Friday, September 4, 2020

"दर्द-ए-दिल" Part - I

 Hello friends, I am again here to present my new story "दर्द-ए-दिल" hope you all like my this story too, as all previous ones.


अंश :- (बाथरूम का शीशा अपने हाथ से गुस्से में तोड़ते हुए) "क्यों?? क्यों किया मेरे साथ ऐसा??"


सिद्धार्थ :- (अंश का हाथ पकड़कर देखते हुए) "संभालो खुद को अंश, खुद को चोट पहुंचाकर क्या मिलेगा तुम्हें??? मैं तो कहता हूं यह मुक्का उसमें मारो चलकर!!"


अंश :- (रोते हुए) "यार सिद्धार्थ मैंने सब कुछ किया उसके लिए!!! उसकी छोटी सी छोटी जरूरतों का भी ख्याल रखा है मैंने!!! जब उसे कहीं कोई जॉब नहीं मिल रही थी, तब मैंने अपने कोंटेक्ट से उसकी जॉब लगवाई। जब उसके पापा का ऑपरेशन होना था, हॉस्पिटल का सारा बिल मैंने भरा।"


सिद्धार्थ :- (अंश को चुप कराते हुए) "यार मैंने तो तुझे साल भर पहले भी समझाया था, मत कर उस पर पैसे खर्च, वह सिर्फ पैसों के लिए ही तेरे साथ है।"


अंश :- "यार बात पैसों की नहीं है। मैं हर जरूरत के वक्त उसके साथ खड़ा रहा यार!!! उसे मेरा प्यार एक बार भी नजर नहीं आया??? उसने मुझे धोखा देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा?"


सिद्धार्थ :- (अंश को गले लगाते हुए) "यार अब मैं तुझे कैसे समझाऊं!! वह नहीं प्यार करता तुझसे और ना पहले कभी किया उसने तुझसे प्यार!!  मुझे तो उसकी सारी खबरें मिलती रहती थी। मैंने तो तुझे भी रोकने की कोशिश की थी, लेकिन तूने मुझसे ही लड़ाई करी, वह भी उसके लिए।"


अंश :- (आंसू पोंछते हुए, सिद्धार्थ की आंखों में देखकर) "सॉरी यार!! काश मैं तेरी बात पहले ही मान लेता, तो मुझे आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।"


सिद्धार्थ :- (अंश के आंसू पोंछते हुए) "चल अब रोना बंद कर!!! तू जिसके लिए यह आंसू बहा रहा है ना, वह तेरे एक भी आंसू के लायक नहीं है। तूने तो आज बस उसे एक लड़के के साथ देखा है, मैंने तो न जाने कितने लड़कों से उसके किस्से सुन रखे हैं। वह किसी एक लड़के के लिए लॉयल रहने वालों में से है ही नहीं। मुझे तो पता था कि ऐसा होगा, और तेरा दिल टूटेगा। लेकिन इसमें इतना ज्यादा समय लगेगा, यह नहीं सोचा था मैंने।"



         सिद्धार्थ अंश को चुप करा कर, बाथरूम से बाहर उसे उसके कमरे में ले आता है। बाथरूम का शीशा तोड़ने की वजह से, अंश के हाथ में थोड़ी चोट भी आ जाती है। सिद्धार्थ उसे साफ करके, बेंडेड अंश के हाथ पर लगा देता है।


सिद्धार्थ :- (अंश को उसके बिस्तर पर लिटाते हुए) "अब तू मत सोच उसके बारे में। उसका तेरी लाइफ से जाना ही सही है। वह तेरे लायक ही नहीं है। वह तेरे क्या किसी के भी प्यार के लायक नहीं है। अब तू सो जा, मैं भी घर जाता हूं। कल आऊंगा, हम कहीं बाहर चलेंगे घूमने, पहले की तरह। ठीक है।"



        सिद्धार्थ अंश को बिस्तर पर लिटा कर, उसे चादर ओढ़ाकर, कमरे से बाहर आ जाता है। और उधर अकेले में अंश आदित्य को याद करके वापस से रोने लगता है। अंश आदित्य कि कहीं हर वह बात, उसके किए हर उन वादों को याद करने लगता है, जो आदित्य ने इन 3 सालों में अंश से किए थे। अंश को आदित्य के साथ बिताए हर वह प्यार के लम्हे याद आने लगते हैं, और उसे याद आता है, आज का दिन, आज अंश ने आदित्य को अपनी आंखों से किसी अनजान लड़के के साथ हमबिस्तर होते देखा था। उसे जैसे ही आदित्य का वह घिनौना चेहरा याद आता है, वह फूट-फूट कर रोने लगता है। तभी पीछे से सिद्धार्थ उसे अपनी बांहों में भर लेता है, और उसे थपथपाते हुए, चुप कराने की कोशिश करता है।


सिद्धार्थ :- "मुझे लग रहा था, कि अकेले मैं तो तू और ज्यादा रोएगा। इसलिए मैंने अपने घर फोन कर दिया है। मैं आज रात यहीं रुकूंगा तेरे साथ।"



        अंश करवट बदलता है, और सिद्धार्थ को गले लगाकर अपने 3 सालों के रिलेशन के, ऐसे खत्म होने के गम में, जी भर कर रोता है। दिल के टूटने की ना तो कोई आवाज़ होती है, और ना ही इस दर्द को मापने का कोई पैमाना। लेकिन दर्दे दिल का एहसास हर वो शक्स अच्छे से समझ सकता है, और महसूस कर सकता है, जिसने कभी प्यार में धोखा पाया हो, यह जिसका प्यार का रिश्ता टूटा हो। उसी दर्द से इस वक्त गुजर रहा है, अंश।  यूं तो अंश का पूरा नाम अंशुमन शर्मा है, लेकिन घर में और उसके सभी दोस्त उसे अंश ही कहते हैं। अंश ग्वालियर शहर का रहने वाला है। पुराने ग्वालियर में बाड़े के पास अपने पुश्तैनी मकान में एक बहुत बड़ी जॉइंट फैमिली में पला बढ़ा है। रिश्तो की खनक बचपन से ही उसके कानों में गूंजती रही है। तो किसी भी रिश्ते को एक खास अहमियत देना और पूरी इमानदारी से उस रिश्ते को निभाना, अंश के व्यवहार में भी एक खास जगह बना चुका है। अंश अपने सभी रिश्तो को बेटे का, भाई का, दोस्त का और प्यार के रिश्ते को बहुत ही प्यार से और शिद्दत से निभाने वाला लड़का है। ग्वालियर में ही स्कूल और इंजीनियरिंग खत्म कर, ग्वालियर की एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी "e-biz" में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर काम करता है। स्कूल लाइफ से ही अपनी भावनाओं और इच्छाओं के बारे में सजग है। फेसबुक पर फेक आईडी से और इंटरनेट की हेल्प से गे वर्ल्ड को अच्छे से एक्स्प्लोर कर चुका है। ग्वालियर में कई लड़कों से मिल चुका है, कई लोगों से फेसबुक की फेक आईडी से चैटिंग भी कर चुका है। रिलेशनशिप और सच्चे प्यार की कहानियों पर विश्वास करता है, इसलिए ग्वालियर में जिन लोगों से मिलता है, एक दूरी बनाकर रखता है। जब अंश कॉलेज में था उन दिनों फेसबुक के माध्यम से ही वह मिला सिद्धार्थ सक्सेना से। जो कि ग्वालियर, नई सड़क का ही रहने वाला था, और उम्र में अंश से 1 साल छोटा था।


       सिद्धार्थ अपने माता पिता और अपनी एक छोटी बहन के साथ रहता था। घर के नीचे ही सिद्धार्थ के पिता ने कपड़ों की दुकान खोल रखी थी। वैसे तो सिद्धार्थ के पिता का ताल्लुक ग्वालियर के पास के गांव से ही है, लेकिन रुपयों पैसों की तलाश में अब ग्वालियर में ही बस गए हैं। सिद्धार्थ को भी जब से होश संभाला, तब से ही अपने पापा की दुकान पर आए लड़कों को कपड़े बदलते देखने में बहुत अच्छा लगता था। इसलिए उसका ज्यादा समय पापा के साथ दुकान पर ही गुजरता था। सिद्धार्थ का पढ़ाई में भी ज्यादा मन नहीं लगा। लेकिन जैसे तैसे पास ही के माधव कॉलेज से बीकॉम खत्म कर, अब पूरा समय पापा की दुकान पर ही बताता है। फेसबुक पर भी एक फेक आई डी है। जिससे ग्वालियर के कई लड़कों से अब तक मिल चुका है। लेकिन उसका मन मोह ले ऐसा उसे अभी तक कोई नहीं मिला है। अंश से भी मुलाकात फेसबुक की ही उस फेक आईडी से ही हुई थी। लेकिन समय के साथ यह मुलाकात, असल रिश्ते में बदल चुकी थी, दोस्ती का रिश्ता!!! सिद्धार्थ को अंश का शांत और सहज व्यवहार बहुत भाया, और अंश को भी सिद्धार्थ के चंचल मन ने मोह लिया, और समय के साथ दोनों की दोस्ती गहरी दोस्ती में बदल गई।



         अंश अपने आफिस के बाद घर आने से पहले, सिद्धार्थ की दुकान पर चला जाता और घंटों दोनों आपस में बातें करते। जब कभी सिद्धार्थ के पापा दुकान पर ना होते, तो दोनों अपने मोबाइल में फेसबुक के फेक अकाउंट से ग्वालियर के लड़कों से चैटिंग करते और एक दूसरे से आपस में बातें सांझा कर, हंसी मजाक करते। संडे को जब अंश के ऑफिस की छुट्टी रहती, तो दोनों साथ में कभी-कभी ग्वालियर के आसपास के इलाकों में घूम फिर आया करते। कभी कभी फेसबुक से किसी लड़के से मीटिंग फिक्स कर, दोनों साथ में उस लड़के से मिल आया करते, और बाद में घर आकर उस लड़के के बारे में अपनी अपनी राय, एक दूसरे से सांझा करते। लेकिन अभी तक दोनों को ही ऐसा कोई नहीं मिला था, जिसके बारे में सीरियस होकर सोचा जाए। ग्वालियर की गे कम्युनिटी में ज्यादातर लोग, दोनों को जानने लगे थे। और दोनों को जय वीरू का नाम भी दे दिया गया था। सिद्धार्थ और अंश दोनों ही व्यवहार कुशल थे, और अपने व्यवहार से ग्वालियर की गे कम्युनिटी के ज्यादातर लोगों के अच्छे दोस्त भी थे।


        आज से कुछ 3 साल पहले, एक नई गे डेटिंग एप के बारे में सिद्धार्थ ने अंश को अवगत कराया। दोनों ने ही उस एप पर अपने अकाउंट बनाएं, और वहां भी लड़कों से चैटिंग करना, फोटो एक्सचेंज करना, मीटिंग करना शुरू किया। दोनों ही दिन भर में जिस से भी चैट करते थे, शाम को मिलकर एक दूसरे को सारी बातें बताया करते थे। जब कभी सिद्धार्थ किसी लड़के की चैट के बारे में या फोटो के बारे में अंश को बताता था, तो अंश बिना किसी हिचक के, अपनी राय उस चैट या फिर उस फोटो के बारे में ईमानदारी से सिद्धार्थ को बताया करता था। और सिद्धार्थ भी अंश के लिए ऐसा ही किया करता था। इसी सच्चाई की वजह से ही दोनों की दोस्ती दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही थी।


       वहीं कुछ दिनों के बाद अंश की उस नई ऐप से एक नए लड़के से चैट शुरू हुई। वह लड़का था "आदित्य"। आदित्य ग्वालियर के पास डबरा शहर का रहने वाला था। उम्र में अंश से कुछ 2 साल छोटा था। और अभी अपने इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में था। अपने इंजीनियरिंग की शिक्षा आदित्य ग्वालियर के ही एक प्राइवेट कॉलेज से ग्रहण कर रहा था। और डबरा से ग्वालियर रोजाना अप डाउन करता था। आदित्य एक निम्न मध्यम परिवार से था। उसके घर में बस उसके माता-पिता ही थे। आदित्य की मां एक साधारण गृहणी थी, और अपना सारा समय घर के कामों में ही गुजारा करती थी। आदित्य के पिता किसान थे। थोड़ी-बहुत पुश्तैनी जमीन के भी मालिक थे। लेकिन सिर्फ जमीन के उस छोटे से टुकड़े के भरोसे जीवन यापन में बहुत कठिनाई आती थी। और आदित्य के कॉलेज की फीस और बाकी सभी खर्चों को पूरा करने के लिए, दूसरों के खेतों पर, बटाई पर किसानी किया करते थे। जिससे घर खर्च और आदित्य के जीवन को संवारने में तो मदद मिल जाती थी। लेकिन महीने के अंत में हाथ में कुछ रुपए ही शेष रह जाया करते थे।


      आदित्य और अंश ने अपनी चैटिंग के दौरान, एक दूसरे की फ़ोटो को आपस में सांझा कीया। और दोनों को ही एक दूसरे की फोटो बेहद पसंद आई। दोनों ने अपनी अपनी निजी जिंदगी की भी कई बातों का आपस में आदान-प्रदान किया। और पहली ही वर्चुअल मुलाकात से दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करने लगे। शाम को जब अंश सिद्धार्थ की दुकान पर गया, तो अपनी आदत अनुसार, सिद्धार्थ के पापा से छुपा कर उसने आदित्य की फोटो सिद्धार्थ को दिखाई। सिद्धार्थ को भी आदित्य की फोटो पसंद आई,  और उसने अपना सर हां के इशारे में हिलाया। कुछ दिनों बाद जब आदित्य और अंश ने पहली बार मिलना तय किया, तो अंश सिद्धार्थ को भी अपने साथ ले आया। और अंश की यह बात कहीं ना कहीं आदित्य को रास नहीं आई। और कुछ दिनों बाद आदित्य ने अपने मन की इस बात को अंश को भी बता दिया। जिसके फलस्वरूप अब आदित्य और अंश की मुलाकातें अकेले में ही होने लगी। और धीरे-धीरे अंश का सिद्धार्थ से मिलना भी कम होता गया। और उधर आदित्य और अंश के बीच प्यार के रिश्ते की मीठी सी शुरुआत भी होने लगी।


      सिद्धार्थ जहां अंश के व्यवहार में आ रहे बदलावों से परेशान था, वही अंश को मिले प्यार के लिए खुश भी था। और इसी वजह से सिद्धार्थ ने खुद को फिर कभी भी आदित्य और अंश के बीच नहीं आने दिया। और उसने खुद ही अंश से भी थोड़ी दूरी बनानी शुरू कर दी। वहीं अंश को सिद्धार्थ और उसके रिश्ते के बीच बनती दरार नजर ही नहीं आ रही थी। और नज़र आती भी क्यों!  अंश पर तो अभी आदित्य के प्यार का रंग जो चढ़ता जा रहा था। धीरे-धीरे अंश की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल चुकी थी। अब सिद्धार्थ के साथ बिताए जाने वाले समय पर आदित्य का कब्जा हो चुका था। अंश ऑफिस के बाद का सारा समय आदित्य के साथ गुजरने लगा था। कभी मूवी, कभी घूमना फिरना, और रात का डिनर आदित्य के साथ ही, किसी रेस्टोरेंट में होता था। उसके बाद आदित्य को रेलवे स्टेशन छोड़कर, रात 10:00 बजे तक अंश अपने घर पहुंचता था। संडे के दिन आदित्य से मिलने अंश डबरा, आदित्य के शहर तक जाया करता था। आदित्य के लिए कपड़े, उसका मोबाइल बिल, उसकी रेल यात्रा का पास, और भी छोटे बड़े सारे खर्चे, अंश स्वत ही उठाने लगा था। अंश और आदित्य दोनों ही अपने इस रिश्ते में बाहर से बहुत ही खुश नजर आते थे। अंश के लिए तो यह उसका पहला प्यार था, जिसे वह पूरी इमानदारी और बड़े ही प्यार से निभा रहा था। लेकिन आदित्य के लिए यह सब धीरे-धीरे एक खुली जेल बनता जा रहा था। यूं तो आदित्य को अंश का प्यार करना, उसकी छोटी से छोटी जरूरतों का ख्याल रखना, बेहद पसंद था, लेकिन आदित्य की शारीरिक जरूरतें!!! जिन पर अंश का बिल्कुल ध्यान नहीं था। और अंश की यही आदत आदित्य कि उस रिश्ते में घुटन का कारण बनती जा रही थी। आदित्य ने कई छुपे इशारों में अपने मन की बात अंश को समझाने की कोशिश भी की, और नाकाम रहा। उसने वापस से उसी गे डेटिंग ऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया, जिसका इस्तेमाल उसने अंश से मिलने के बाद बिल्कुल बंद कर दिया था।


        आज से कुछ साल भर पहले, सिद्धार्थ के पास, उसके किसी दोस्त के ज़रिए, आदित्य की एक फोटो उसके हाथ जा लगी। और उसी दोस्त की बातों के अनुसार, सिद्धार्थ का वह दोस्त और आदित्य कुछ ही दिनों पहले हमबिस्तर हो चुके थे। जब सिद्धार्थ को इस बात का पता चला, तो उसने अच्छे दोस्त होने के नाते, अंश से मिलकर यह सारी बात अंश को भी बताई। और इन बातों पर भरोसा ना करते हुए, अंश सिद्धार्थ को ही भला बुरा कह कर, हमेशा के लिए सिद्धार्थ से अपनी दोस्ती खत्म कर, वहां से चला गया। सिद्धार्थ ने बहुत कोशिशें की, कि वह अंश को समझा सके, उसकी कही बातों को सच साबित कर सके। लेकिन अंश ने प्यार के रिश्ते के आगे, दोस्ती के रिश्ते को रखने से साफ साफ इंकार कर दिया। और जब यह बात आदित्य तक पहुंची, तो उसने अपनी सफाई में कई बातें अंश के सामने रखीं। क्योंकि अब आदित्य अंश को प्यार की वजह से नहीं, बल्कि अपनी जरूरतों की वजह से, अपनी जिंदगी से नहीं जाने दे सकता था। अभी पिछले साल ही अंश ने आदित्य की जॉब आईटीएम कॉलेज में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर लगवाई थी। और अभी कुछ महीनों पहले जब आदित्य के पिता के पैर में खेत में काम करते समय, जो गहरी चोट आई थी, उसके इलाज का भी पूरा खर्चा, अंश ने ही उठाया था। आदित्य की और भी छोटी-बड़ी सभी जरूरतों का भरण-पोषण आज भी अंश ही करता था। तो अपनी इस सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को अब अपने हाथों से जाने देना, आदित्य के लिए गवारा नहीं था। और उसने सिद्धार्थ को ही अंश के सामने गलत साबित कर, हमेशा के लिए सिद्धार्थ से दूर रहने का वादा अंश से ले लिया। और कुछ समय के लिए उसने उस गे डेटिंग एप से भी दूरी बना ली।


      अगर शरीर की आग से खेलने की आपको लत लग जाए, तो आप ज्यादा देर उससे दूर नहीं रह सकते। इसलिए अपनी शारीरिक उत्तेजना के आगे विवश होकर, आदित्य वापस से उस डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने लगा। लेकिन इस बार थोड़ी सतर्कता के साथ। और वहीं सिद्धार्थ ने भी अपने ग्वालियर के सभी दोस्तों की मदद से, आदित्य को रंगे हाथों पकड़ कर, अंश को उसके जाल से बाहर निकालने की ठान रखी थी। लेकिन आदित्य की सतर्कता और चतुराई के चलते, सिद्धार्थ को ऐसा मौका ढूंढने में महीनों का समय लगा। लेकिन आखिरकार आदित्य सिद्धार्थ की बिछाई चाल में खुद ही आकर फस गया। सिद्धार्थ ने बड़ी ही होशियारी से, अंश को भी उस जगह पहुंचा दिया, जहां आदित्य और सिद्धार्थ का एक दोस्त, नग्न अवस्था में, पहले से ही मौजूद थे। सिद्धार्थ जानता था, कि अंश को यह दृश्य अंदर से तोड़ कर रख देगा, लेकिन आदित्य की सच्चाई को अंश के रूबरू लाने का इससे बेहतर कोई और तरीका था ही नहीं। जिस तरह आदित्य ने पहले खुद को अंश के सामने सही साबित कर लिया था,  सिद्धार्थ इस बार ऐसा कोई भी मौका आदित्य को नहीं देना चाहता था। और आदित्य के असली रूप की कीमत, अंश के दिल के टूटने के रूप में देने को भी सिद्धार्थ राजी था। और जैसा सिद्धार्थ ने सोचा था, ठीक वैसा ही हुआ। इस बार आदित्य किसी भी बात, किसी भी तर्क से अंश की आंखों को बंद नहीं किआ जा सकता था।


      आखिरकार सिद्धार्थ की सच्चाई के साथ, आदित्य और अंश के प्यार के रिश्ते का, इतने घिनौने रूप में, अंत हो ही गया। सिद्धार्थ अंश को संभालते हुए, उसे वापस उसके घर ले आया। अपने घर आने पर जो सुकून अंश को पहले मिलता था, आज वह सुकून आदित्य के साथ कहीं दूर, बहुत दूर जा चुका था। लेकिन अभी तक ना तो अंश ने आदित्य से कुछ कहा था, और ना ही सिद्धार्थ से। अंश की आंखों ने आंसुओं को भी, अब तक एक बांध की तरह रोक रखा था। जो उसके बाथरूम में जाते ही टूट गया। और अंश का सारा गुस्सा बाथरूम की दीवार पर लगे शीशे पर जा टूटा। सिद्धार्थ ने दोस्त होने का फर्ज बखूबी निभाया, और अपने दोस्त को गलत संगत से बाहर खींच लाया। और अभी उसे अपने गले लगा कर, बिखरने से संभाल रहा है। अंश का सहारा बन, उसके प्यार के खोखले रिश्ते की यादों को मिटाने में मदद कर रहा है। इसलिए, दोस्ती के रिश्ते को सबसे अहम और खास समझा जाता है, यह तब आपके साथ खड़े होते हैं, जब आप सब से अकेले होते हैं। आज शायद अंश को सिद्धार्थ की उसकी दोस्ती की अहमियत साफ-साफ समझ आ रही थी। जिस दोस्त को कुछ समय पहले, अंश अपने प्यार की तरफदारी में गालियां दे रहा था, भला-बुरा कह रहा था, उसके साथ अपना दोस्ती का रिश्ता भी खत्म करने को तैयार था, आज जब उसी प्यार ने उसे धोखा दिया, तो उसके आंसू अपने वही सिद्धार्थ, वही दोस्त, उसके सामने खड़ा था।



       रात को भी सिद्धार्थ ने अंश को अकेला नहीं छोड़ा। देर रात तक अंश का सर अपनी गोद में रखकर, उसके बालों में उंगलियां घुमाते हुए, उसे कई बातें बताता रहा, उसे समझाता रहा। या यूं कहो, अंश के टूटे दिल के टुकड़ों को समेटता रहा, उन्हें जोड़ता रहा। कुछ देर बाद अंश भी सारी बातों को भुलाकर, नींद के आगोश में खो गया। और सिद्धार्थ भी उसे गोद में लिटाये, प्यार से थपकियाँ देते हुए, बिस्तर से टेक लगा कर, वह भी सो गया। अगली सुबह जब अंश की आंख खुली, और उसने अभी भी अपना सर सिद्धार्थ की गोद में ही पाया, तो वह उठा और सिद्धार्थ को बैठे बैठे सोते हुए देख, सोचने लगा, "मैंने इसकी उस दिन कितनी बेइज्जती की थी, कितना भला बुरा सुनाया था, और फिर भी यह मेरी इतनी चिंता करता है, इतना साथ देता है। इससे अच्छा दोस्त तो पूरी दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता।" यह सब सोचते वक्त, अंश के चेहरे पर अनायास ही एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है, तभी सिद्धार्थ की भी आंख खुल जाती है।


सिद्धार्थ :- (अंगड़ाई लेते हुए, अंश को मुस्कुराता देख) "क्या हुआ?? मुस्कुरा क्यों रहा है?? मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या??"


अंश :- (सिद्धार्थ को गले लगाते हुए) "थैंक यू यार!! तूने जो मेरे लिए किया, तुझे यह सब करने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन फिर भी तूने मेरा साथ दिया। थैंक यू सो मच"


सिद्धार्थ :- (अंश को और जोर से गले लगाते हुए) "इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं। मैंने ऐसा कुछ स्पेशल नहीं किया, जो करना चाहिए था बस वही किया। तू मेरी जान है, तेरे लिए तो मैं किसी की जान भी ले लूं।"


अंश :- (मुस्कुराते हुए, बिस्तर से उठते हुए) "किसी की जान लेने की भी जरूरत नहीं है यार। चल तैयार हो जा, तुझे शॉप पर भी तो जाना होगा।"


सिद्धार्थ :- (बिस्तर से उठते हुए) "हां जाऊंगा। तू भी जाएगा ना ऑफिस??"


अंश :- " नहीं यार!! मन नहीं हो रहा। आज छुट्टी ले लूंगा।"


सिद्धार्थ :- (अंगड़ाई लेते हुए) "अच्छा फिर क्या बस यहां बैठकर अर्जित सिंह के गाने सुनेगा!!! और उसकी यादों में आंसू बहाएगा?"


अंश :- "नहीं यार ऐसा कुछ नहीं करूंगा। लेकिन थोड़ा वक़्त तो लगेगा ना यार उसे भूलने में। 3 साल कम नहीं होते, किसी को प्यार करने के लिए।"


सिद्धार्थ :- "हां तो तू यह सोचना, कि केवल 3 साल ही उसने तुझे चूना लगाया। अगर नहीं पकड़ में आता, तो और ना जाने कब तक लूटता रहता तुझे।"


अंश :- "ऐसा नहीं है यार!!! उसने कभी भी मुझसे कुछ मांगा नहीं। मैंने ही खुद सब कुछ किया उसके लिए।"


सिद्धार्थ :- "मांगा नहीं तो मना भी तो नहीं किया। अगर कोई खुद्दार इंसान होता, तो क्या ऐसा करता। चल अब छोड़ उसे, मार गोली उसे, और भूल जा। चल तू तैयार हो जा, मैं भी तैयार होकर आता हूं। फिर अपन दोनों कहीं घूमने चलते हैं, पहले की तरह।"


अंश :- " नहीं यार!! मेरा मन नहीं है कहीं जाने का।"


सिद्धार्थ :- "तो मैं तुझसे पूछ नहीं रहा हूं, तुझे बता रहा हूं। चल तैयार हो जा। एक डेढ़ घंटे से आता हूं मैं।"



        और जैसा सिद्धार्थ कह कर गया था, कुछ ही देर बाद वह अपनी गाड़ी लेकर अंश को लेने उसके घर भी आ गया। और दोनों शहर में ही यहां वहां घूमने निकल पड़े। आप कितने भी खुशनुमा माहौल में क्यों ना हो, लेकिन आपके दिल के करीब का टूटा रिश्ता, जिसे आपने बहुत ही प्यार से संजो के रखा हो, आपके चेहरे पर मायूसी ले ही आता है। यही मायूसी इस वक्त अंश के चेहरे पर भी साफ साफ देखी जा सकती थी। सिद्धार्थ भी अंश को खुश रखने की, उसे हंसाने की, कई कोशिशें तो कर रहा था, जिससे अंश के चेहरे पर भी मुस्कान आ रही थी। लेकिन रह-रहकर आदित्य की यादें भी, अंश को दुखी करे ही जा रही थी। दिन भर दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए, शहर भर में घूमते रहे। शाम होते ही सिद्धार्थ अंश को ग्वालियर किले पर ले आया। और दोनों वहीं कुछ देर शांति से बैठे रहे। किले से ढलता सूरज, और शहर भर की लाइटों का जलना शुरू होते, दोनों ने कई सालों से साथ में नहीं देखा था।


अंश :- (किले से शहर की ओर देखते हुए) "पहले हम महीने में कम से कम 2 बार तो यहां आ ही जाते थे!!"


सिद्धार्थ :- (जगमगाती लाइटों की तरफ देखते हुए) "हैं यार! मैं आखिरी बार तेरे साथ ही आया था यहां।"


अंश :- (सिद्धार्थ की ओर देखते हुए) "सॉरी यार! मैंने एक नए रिश्ते के लिए, तुझसे ही दूरी बना ली। तू ही तो बस मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, और मैंने तुझे ही छोड़ दिया।"


सिद्धार्थ :- "सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं है यार। हमारा दिल सबसे कमजोर हिस्सा होता है हमारे शरीर का, बस वह ना टूटे उसके लिए हम कुछ भी कर सकते हैं। तूने जो भी किया, अपने दिल के हाथों मजबूर होकर किया। तो इस में तेरी कोई गलती नहीं। हां तेरे दिल की जरूर गलती है, जो कि एक गलत इंसान पर मर मिटा।"


अंश :- (दुखी होकर) "उसी बात की सजा पा रहा हूँ यार!!"


सिद्धार्थ :- (अंश की आंखों में आंसू आते देख उसे गले लगाकर) "छोड़ यार अब, वह इस लायक नहीं, कि तू उसके लिए आंसू बहाए। समझ सकता हूं, तेरा दिल टूटा है। तुझे बुरा भी लग रहा है। लेकिन मैं हूं यार तेरे साथ। देखना धीरे-धीरे तू बिल्कुल भुला देगा उसे, और मेरा पुराना वाला, हंसमुख अंश वापस लौट आएगा।"




       अंश भी सिद्धार्थ को जोर से गले लगा लेता है। और सिद्धार्थ की बातों को ध्यान से सुने लगता है। दिन भर के सिद्धार्थ के साथ, उसके अपनेपन के भाव, ढलती शाम, ठंडी हवा के साए में, अंश उस पल में खो जाता है। और सिद्धार्थ को कसकर अपनी बाहों में भर लेता है। अंश के हाथ सिद्धार्थ की पीठ पर हल्के हल्के मचलने लगते हैं। अंश की सांसो की रफ्तार बदलकर, सिद्धार्थ के कानों में सारा हाल बयां कर देती है। सिद्धार्थ खुद को अंश से अलग करता है, और अंश के चेहरे के बदले भावों को बड़े गौर से देखता है।


अंश :- (लजाते हुए) " आई एम सॉरी यार!! मैंने होश ही खो दिया।"


सिद्धार्थ :- (अंश की हालत समझते हुए बात बदल कर) "अरे कोई बात नही यार!! हो जाता है कभी-कभी। ऐसा ही एक किस्सा, मेरे चाचा के लड़के के साथ भी हो गया था। हुआ यूं........."



       सिद्धार्थ उस पल को हंसी मजाक में लेते हुए निकाल देता है। दरअसल सिद्धार्थ अंश के मन की हालत को अच्छे से समझता है। अभी अभी दिल पर गहरा जख्म खाने की वजह से, कहीं से भी मिला प्यार का हाथ, बहुत ही खास हो जाता है। वही प्यार का एहसास, इस वक्त अंश के दिल पर मरहम का काम कर रहा है। और ऐसे में सिद्धार्थ के प्यार में बह जाना, बहुत ही साधारण सी बात है। लेकिन कहीं अंश इस बात को भी अपने दिल पर ना ले जाए, इसलिए सिद्धार्थ अपने मन से कहानी बनाकर अंश को सुना रहा है। जिससे अंश सहज रह सके। कुछ देर और वही किले पर समय बिताने के बाद, दोनों वापस अपने घर की ओर रवाना हो जाते हैं। सिद्धार्थ आज रात भी, अंश के साथ ही रुकने की बात, अंश से कहता है। लेकिन अभी किले पर जो अंश ने सिद्धार्थ के साथ किया, उसे याद करके, अंश को ग्लानि का एहसास होता है। और वह एक बार फिर सिद्धार्थ से उस पल के लिए माफी मांगता है।


अंश :- "आई एम सॉरी यार!!! आज जो हुआ सच में ऐसा नहीं होना चाहिए था। पता नहीं तू मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।"


सिद्धार्थ :- "नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है। मैंने तुझे बताया ना, ऐसा मेरे साथ भी हो चुका है। तो तू बिल्कुल भी टेंशन मत ले इस बारे में। चल!!!! पहले मेरे घर चलते हैं, मैं कपड़े बदल लेता हूं, फिर तेरे साथ ही चलूंगा, और आज रात भी तेरे साथ ही रुक जाऊंगा।"


अंश :- "नहीं यार!! मैं अब बिल्कुल ठीक हूं। तू मुझे घर पर ही छोड़ दे और अपने घर निकल जा। आज शॉप पर भी नहीं गया, तो मेरी वजह से अंकल गुस्सा करेंगे तुझ पर।"


सिद्धार्थ :- (मुस्कुराते हुए) "नहीं यार पापा कुछ नहीं बोलेंगे। और कुछ कहेंगे भी तो दोस्ती के लिए थोड़ी डांट भी खा लूंगा। पापा की डांट तुझसे बढ़कर थोड़ी है।"


अंश :- "सच में यार तेरे जैसा दोस्त किस्मत वालों को ही मिलता है। और मैं बहुत किस्मत वाला हूं। लेकिन मैं बिल्कुल ठीक हूं, तू अपने घर जा, और मुझे अपने घर छोड़ दे।"


सिद्धार्थ :- "ठीक है, लेकिन मैं फोन करूं तो उठा लेना। अगर फोन नहीं उठाया, तो मैं तेरे घर आ जाऊंगा।"



        अंश को उसके घर छोड़, सिद्धार्थ भी अपने घर चला जाता है। और देर रात अंश को फोन कर, उससे बात करता है। क्योंकि वह जानता है, कि अकेले में अंश, बस आदित्य को याद करके रोता ही रहेगा। और कल रात के बाथरूम का शीशा तोड़ने के बाद, उसे यह भी डर था, कि कहीं गुस्से में अंश खुद को ही चोट ना पहुंचा ले।


अंश :- (सिद्धार्थ से फ़ोन पर बात करते हुए) "अरे हां यार! मैं ठीक हूं! अब इतनी भी फिक्र मत कर मेरी।"


सिद्धार्थ :- "तू जान है मेरी। तेरी फिक्र करना तो कभी नहीं छोड़ सकता मैं।"


अंश :- (किले की बात को याद करके) "सिद्धार्थ यार! किले पर जो हुआ उसके लिए फिर से सॉरी।"


सिद्धार्थ :- (उस बात का मजाक बनाते हुए) "लेकिन यार मुझे तो मजा आ रहा था, तू रुक क्यों गया??"


अंश :- (हिचकीचाते हुए) "तू मजाक कर रहा है ना???"


सिद्धार्थ :- (हंसते हुए) "हां यार!! अब तू भूल जा उस बात को भी और उस क**** आदित्य को भी। और आगे बढ़। तेरे लिए अब कोई अच्छा सा लड़का ढूंढता हूं मैं।"


अंश :- "नहीं यार!!! वह भी इसके जैसा निकला तो?? इससे अच्छा तो मैं सिंगल ही ठीक हूं। और फिर तू है ना मेरे साथ, बस काफी है।"


सिद्धार्थ :- "हां यार मैं तो हमेशा हूं तेरे साथ। लेकिन कभी तेरा मूड बन गया तो?? मैं क्या करूंगा फिर???"


अंश :- (जोर से हंसते हुए) "किले पर चलना फिर मेरे साथ और क्या!!!"


सिद्धार्थ :- "बस यार ऐसे ही हंसता रहा कर। कल से अब सुनी है तेरी ऐसी हंसी। अब अच्छा लग रहा है थोड़ा।"


अंश :- "थैंक्स यार!! मेरा साथ देने के लिए। अगर तू नहीं होता, तो पता नहीं यह सब कभी खत्म होता भी या नहीं।"


सिद्धार्थ :- "तू बिल्कुल भी फिक्र मत कर मेरी जान। मैं हमेशा रहूंगा तेरे साथ।"




    आगे की कहानी क्या मोड़ लेगी? क्या आदित्य को पूरी तरह भुला कर आगे बड़ पायेगा अंश??? क्या सिद्धार्थ और अंश की दोस्ती का रिश्ता कोई नया रूप लेगा?? या कोई और ही अध्याय जुड़ने को तैयार बैठा है, अंश के जीवन मे?? ये सब जानने के लिए बने रहे मेरी इस नई कहानी के साथ।



Lots of Love

Yuvraaj ❤️
















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