Thursday, September 10, 2020

"दर्द-ए-दिल" - Part II

 Hello friends,     

                If you didn't read first part of this story than please read it, than you will get easily be connected with this second part.




    अब वापस से सब कुछ पहले जैसा हो गया था। वही ऑफिस के बाद अंश का सिद्धार्थ की दुकान पर आ जाना, घंटों तक साथ समय बिताना, घूमना फिरना, हंसी-मजाक। लेकिन 3 साल के आदित्य के साथ की यादें आज भी अंश को कहीं ना कहीं घेरे हुए थी। पहले प्यार को पूरी तरह से भुला पाना, शायद ही किसी के बस में हो। इसलिए अंश ने एक रोज अचानक ही तय कर लिया, कि वह ग्वालियर से बाहर ही नौकरी करने जाएगा। नया शहर, नए लोग, शायद यही सब बदलाव की अभी उसे जरूरत भी है। यहां ग्वालियर में सिद्धार्थ है उसका साथ देने के लिए, लेकिन सिर्फ अपनी खुशी के लिए सिद्धार्थ का सारा समय ले लेना, यह बात भी अंश को सही नहीं लगती थी। और किले की अंश की हरकत के बाद से, एक हल्की सी असहजता, सिद्धार्थ की आंखों में भी साफ साफ देखी जा सकती थी। सिद्धार्थ ने कुछ डेट्स भी, अंश के बहुत मना करने के बाद भी फिक्स कराई थी। और अंश उनसे मिलने भी गया था। लेकिन ग्वालियर में ज्यादातर लोगों को अंश और आदित्य के रिश्ते की जानकारी पहले से ही थी। तो सिद्धार्थ की ये कोशिशें भी किसी ना किसी तरह, अंश को आदित्य की यादों को भुलाने में सहायक साबित नहीं हो रही थी। इसलिए उसने अपने अचानक आए इस ख्याल पर तुरंत अमल भी किया। उसने अपने कॉलेज के सभी दोस्तों को जो ग्वालियर के बाहर नौकरी कर रहे थे, सभी को अपना रिज्यूम भेज दिया। और उन्हें अपने लिए कोई सूटेबल जॉब ढूंढने के लिए आग्रह किया। कुछ ही दिनों में अंश को उसके एक दोस्त ने मुंबई की Softlabs नाम की कंपनी की जॉब वैकेंसी के बारे में बताया। उसने भी बिना समय गवाएं अपना रिज्यूम उस कंपनी में भेज दिया। और कुछ ही घंटों में अंश का उस कंपनी के द्वारा टेलिफोनिक इंटरव्यू भी कर लिया गया। अगले ही दिन अंश से कुछ और डॉक्यूमेंट मांगे गए, जो सब अंश ने उस कंपनी को भिजवा दिए। शाम को जब अंश सिद्धार्थ से मिला, तो उसने इस पूरे घटनाक्रम को सिद्धार्थ को भी बताया। सिद्धार्थ यह सब सुन अंश के लिए खुश तो हुआ, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी का कोई भी भाव अंश को नजर तो ना आया। लेकिन अंश ने इसे सिद्धार्थ के काम की व्यस्तता समझ नजरअंदाज कर दिया। अगले ही दिन मुंबई से Softlabs कंपनी से अंश को नौकरी दी जाने की खबर, अंश को दे दी गई। और अगले 7 दिनों में उसे मुंबई के ऑफिस में रिपोर्ट करने को भी कहा गया। ये खबर सुन अंश काफी खुश हुआ, उसने अपनी खुशी बांटने के लिए सिद्धार्थ को फोन कर यही बात बताई। सिद्धार्थ ने भी अंश को नए शहर की नौकरी के लिए बधाई दी।


        कुछ ही दिनों में अंश ने e-biz से नौकरी छोड़ने की कागजी कार्यवाही भी पूरी की, और मुंबई जाने की पैकिंग भी शुरू कर दी। अंश के घर में इस बात का मिलाजुला रूप था। घर के कुछ लोग खुश थे, कि अंश मुंबई में नौकरी करने जाएगा, तो कभी ना कभी वे लोग भी मुंबई घूम आया करेंगे। वहीं अंश के मम्मी पापा इस बात से बेहद नाराज थे। अपने शहर, अपने घर में रहकर, अच्छी खासी सैलरी की नौकरी छोड़कर, नए शहर, नए माहौल, किराए के घर में जाकर अकेले रहने तथा अन्य कई परेशानियों के बारे में सोचकर, अंश के मम्मी पापा उसके इस फैसले के बिल्कुल पक्ष में नहीं थे। उन्होंने तो सिद्धार्थ को भी अंश को समझा-बुझा कर, ग्वालियर ही रोकने को भी कहा। लेकिन अंश अपना मन पक्का कर चुका था। अब ना तो वह अपने मम्मी पापा की कोई भी बात सुनने को तैयार था, ना ही सिद्धार्थ की बेमानी हंसी का कारण जानने का इच्छुक। और सब को अलविदा कहकर, अंश कुछ ही दिनों में मुंबई के लिए रवाना भी हो गया।



        मुंबई!!!!! तेज रफ्तार से भागती जिंदगी और उसमें धड़कते सपनों का शहर, मुंबई!!!! लाखों की भीड़ में खो जाने का शहर, मुंबई!!!!  जैसा माहौल इस वक्त अंश को चाहिए था, उसके लिए बिल्कुल उपयुक्त शहर, मुंबई!!!! ना किसी को तुम्हारे आज की परवाह, ना ही किसी को तुम्हारा अतीत जानने की दिलचस्पी। मुंबई आकर कुछ ही दिनों में अंश यहां के माहौल में घुल मिल गया। अपने ऑफिस के पास ही एक फ्लैट भी किराए पर ले लिया। ग्वालियर में घर पर फोन से रोज बात हो जाया करती थी। और सिद्धार्थ को भी चैट पर सारी खैर खबर बता दी जाती थी। ऑफिस में भी कलीग्स से दोस्ती होती जा रही थी। नया शहर, नया माहौल, ठीक अंश के अनुरूप ही काम कर रहा था। आदित्य की यादों के बादल भी अब धीरे-धीरे अंश के जहन से छटते जा रहे थे। जैसा अंश चाहता था, सब कुछ ठीक उसी के मुताबिक हो भी रहा था। मुंबई शहर में अंश का ऐसा मन रमा, कि कुछ दिन, कुछ हफ्तों और कुछ हफ्ते, कुछ महीनों में पलक झपकते बदल गए। अब सबकुछ बिल्कुल ही साधारण सा हो गया था। ग्वालियर में घर का माहौल भी अब ठीक था। मम्मी पापा की नाराजगी भी अब दूर हो चुकी थी। और अब जब भी किले की उस घटना की याद आती थी, तो असहजता की जगह हंसी आ जाया करती थी। आदित्य की यादें पूर्णतः खत्म हो चुकी थी। अब आदित्य का ख्याल आते ही, आंसू और उसके साथ बिताए हंसी और प्यार के लम्हों की जगह, उसके कमीनेपन की याद आती थी। अभी तक अंश के मन में जो बोझ था, वह सब गायब हो चुका था। अंश अब एकदम हल्का महसूस करता था। नए शहर में अकेले रहना उसे काफी रास आने लगा था। अब अंश गे डेटिंग एप भी इस्तेमाल करने लगा था। मुंबई में कुछ लोगों से रेस्टोरेंट्स या नाइट क्लब या पब्स में मिलने भी जाने लगा था। लेकिन अभी वह किसी भी तरह के फिजिकल और मेंटल रिलेशन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोच रहा था।


       कुछ ही दिनों में Softlabs के भारत में 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। जिस के लिए स्टेज परफॉर्मेंस करने वाले कलाकारों के कोआर्डिनेशन का कार्य अंश को सौंपा गया। 15 दिन पहले से ही इस आयोजन की तैयारियां भी शुरू कर दी गई। मुख्य परफॉर्मेंस के लिए टीवी एक्टर व्योम कपूर को बुक कर लिया गया था। रात के 9:00 से 1:00 के समय के लिए, जिसमें तीन गानों पर डांस परफॉर्मेंस और स्टाफ के साथ ऑफिस में सोशल मीडिया के लिए एक फोटो सेशन के लिए, उन्हें बुक किया गया था। लेकिन एक्टर की व्यस्तता के चलते, जो फोटो सेशन समारोह के दिन होना था, उसे आज ही करने की तैयारी कर दी गई। और अपने तय समय पर, व्योम कपूर अंश के ऑफिस भी आ गया, और फोटो सेशन शुरू हुआ। ऑफिस के सभी कोनों में, ऑफिस स्टाफ के साथ फोटो लेना शुरू किया गया। कुछ ही देर में अंश की भी बारी आई। अंश के साथ फोटो खिंचवाते समय, व्योम कभी उसके कंधे पर हाथ रखकर के सहलाता, तो कभी उसकी कमर पर। अंश को व्योम की यह हरकत समझ तो आ रही थी, लेकिन उसने इसे महज अपने दिमाग का वहम ही समझा। कुछ ही देर में फोटो सेशन खत्म हुआ, और व्योम को सारा ऑफिस घुमाया जाने लगा। जब व्योम स्टाफ सेक्शन में आया, तो सभी ने उसका तालियां बजाकर अभिवादन किया। व्योम ने भी सभी का अभिवादन स्वीकार किया।


व्योम :- "सॉरी!!! मेरी वजह से आप सभी को अगर थोड़ी सी भी परेशानी हुई हो तो। लेकिन मुझे आप सभी के साथ काम करके बहुत मजा आया।"



       व्योम बारी-बारी से सभी के पास जा जाकर, सभी से हाथ मिलाने लगा। जब बारी अंश की आई, तो व्योम ने एक हाथ से अंश से हाथ मिलाया, और दूसरे हाथ को अंश के हाथ के ऊपर रख, सहलाने लगा।



व्योम :- "अंशुमन जी!! काफी फोटोजेनिक चेहरा है आपका। कोई एक बार देखो तो बार बार देखने का मन करे। और पर्सनालिटी भी काफी शानदार है। कभी मॉडलिंग और टीवी में काम करने का मन हो तो बताइएगा।"



      अंश ने सिर्फ थैंक यू ही कहा, और व्योम आगे बढ़कर दूसरे स्टाफ के पास चला गया। व्योम के ऑफिस से जाने के बाद, सारा स्टाफ व्योम के बर्ताव और उसके इतना नामी होने के बाद भी, साधारण व्यवहार की तारीफ करने लगा। लेकिन अंश तो अभी भी व्योम की छुअन को अपने शरीर पर महसूस कर सकता था। अंश ने फिल्म इंडस्ट्री की कई बातें भी पहले सुन रखी थी। कि इस इंडस्ट्री में कैसे नामी लोग, छोटे लोगों का फायदा उठाते हैं, उनका यौन शोषण करते हैं। और व्योम की हरकतें भी अंश को उसी तरफ इशारा कर रही थी। और अंश तो यह सोचकर भी परेशान था, कि व्योम की देखभाल की जिम्मेदारी भी उसी के ऊपर है। तो व्योम से दूर रहना, तो बिल्कुल भी मुमकिन नहीं होगा। अंश ने तुरंत अपने मैनेजर से जाकर समारोह में मिली ड्यूटी को बदलने की बात की। लेकिन मैनेजर ने ऐसा करने से बिल्कुल मना कर, अंश को वापस उसके काम पर भेज दिया। शाम को जब अंश ऑफिस के बाद, अपने घर पहुंचा। तो वह सिद्धार्थ को फोन लगाकर, आज व्योम के साथ बिताए समय और अपने अनुभव को बयां करने लगा। तो सिद्धार्थ ने उसे समझाया कि "इसमें डरने या घबराने की क्या बात है?? वह कोई तेरा बलात्कार थोड़ी करेगा। अगर कोई जबरदस्ती करें भी, तो उसका वीडियो बनाने लगना, और उसे बदनाम करने की धमकी दे देना। अपनी इज्जत और काम बचाने के लिए फिर वह कुछ नहीं करेगा। और अगर तुझे वह पसंद आ रहा हो, तो तू भी इंजॉय कर। परेशान क्यों हो रहा है।" सिद्धार्थ से मिले सुझाव ने अंश की परेशानी को कुछ हद तक कम तो कर दिया था, लेकिन फिर भी अभी भी अंश के मन में, व्योम के व्यवहार को लेकर थोड़ी सी परेशानी बाकी थी। दरअसल अंश की परेशानी, व्योम के बर्ताव को लेकर नहीं थी, बल्कि व्योम की सोसायटी, उसकी शौहरत, उसकी बड़े-बड़े लोगों में हो सकने वाली पहचान से थी। उसने इस तरीके के हाईप्रोफाइल लोगों के लव अफेयर्स के कई किस्से सुन रखे थे। तो उसका भी यही डर था, कि अगर वह व्योम को नाराज कर देगा, या उसकी कोई बात नहीं मानेगा, तो कहीं व्योम उसके लिए मुश्किलें ना खड़ी कर दे।


      अगले दिन अंश जब ऑफिस पहुंचा, तो मैनेजर ने उसे बुलाकर, व्योम कपूर के घर जाने को कहा। जब अंश ने वहां जाने का कारण पूछा, तो समारोह की कुछ डिटेल्स व्योम को देना बताया गया। जितना अंश व्योम से दूर रहना चाह रहा था, उतना ही उसके पास जाना पड़ रहा था। और कोई बहाना देकर वह इस सब से बच भी नहीं सकता था। थोड़ा डरते हुए, थोड़ा घबराते हुए, सिद्धार्थ की बातों को याद करते हुए, वह व्योम के घर जा पहुंचा। व्योम के हाउस स्टाफ ने घर के हॉल में, अंश को इंतजार करने को कहा। और थोड़ी देर के बाद व्योम भी वहां आ गया।


व्योम :- (हॉल में घुसते हुए) "गुड मॉर्निंग अंशुमन जी!  सॉरी आपको थोड़ा इंतेज़ार करना पड़ा।"


अंश :- (खड़े होते हुए) "गुड मॉर्निंग सर! एंड इट्स ओके! नो प्रोब्लेम।"


व्योम :- "प्लीज मुझे सर मत कहिये! आप मुझे व्योम ही बोलिये, मुझे अच्छा लगेगा।"


अंश :- "ओके सर.....!! मतलब व्योम !!! ये फंक्शन की डिटेल की फ़ाइल है, जो आपने मंगवाई थी!!"


व्योम :- "ओके!!! चलिए!! हम इसे गाड़ी में डिस्कस कर लेते हैं। मुझे एक शूट के लिए फ़िल्म सिटी पहुंचना है, अगर हम यहाँ डिस्कस करेंगे, तो मैं लेट हो जाऊंगा।"


अंश :- "कोई दिक्कत नही है!!! मैं यह फ़ाइल यही छोड़ देता हूं, आपको जब समय मिले, आप इसे देख लीजियेगा।"


व्योम :- "फिक्र मत कीजिये अंशुमन जी! आपका सिर्फ 1:30 2:00 घंटे का समय ही मुझे चाहिए बस! फिर मेरा ड्राइवर आपको वापस, आपके आफिस छोड़ आएगा। ओके!!!! अब चलिए।"



      अंश के कुछ कहने से पहले ही, व्योम घर से निकल गया। और ना चाहते हुए भी, अंश को उसके साथ जाना ही पड़ा।



व्योम :- "लाइए!!! अंशुमन जी बताइए!!! क्या शेड्यूल है, आपके प्रोग्राम का??"



       अंश व्योम को फंक्शन की सारी डिटेल्स बताता है, लेकिन व्योम का ध्यान, अंश की बातों को सुनने से ज्यादा, अंश के ऊपर होता है। व्योम की नजरें, कभी अंश के गालों पर, आंखों पर, कभी उसके होठों पर, बाहों पर, कभी उसके सीने पर घूम रही होती हैं। अंश को भी व्योम की यह हरकत समझ आने लगती है। और वह थोड़ा असहज हो जाता है।



व्योम :- "क्या उम्र है आपकी अंशुमन जी?"


अंश :- "क्या??? 28!!"


व्योम :- "अरे! तो फिर तो तुम मुझसे छोटे हो। मैं 30 का हो जाऊंगा इस साल। तो मैं तुम्हे अंशुमन कह सकता हूँ, अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो?"


अंश :- (असहजता से) "हाँ सर!! बिल्कुल कह सकते हो!"


व्योम :- "सर नही व्योम कहो मुझे। तो अंशुमन! मुंबई में फैमिली के साथ रहते हो??? वैसे तुम्हारी भाषा मुंबई की तो नही लगती।"


अंश :- "हाँ!! मैं यहाँ का नही हूँ। मैं ग्वालियर का......."


व्योम :- (अंश को बोलने से बीच में ही रोकते हुए) "क्या ग्वालियर???  अरे वाह!!! मैं भी भोपाल से बिलॉन्ग करता हूं। ग्वालियर में भी मेरे कई रिश्तेदार है। मेरा देखा हुआ है ग्वालियर, काफी अच्छा शहर है।"



     व्योम की बातें खत्म भी नहीं हुई होती, की फिल्म सिटी आ जाती है। और ड्राइवर गाड़ी रोक देता है। व्योम ने अंश को अपना मोबाइल थमाया और अपना मोबाइल नंबर उसमें सेव करने को कहा। अंश थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन वह ऐसा करने से मना भी तो नहीं कर सकता था। व्योम के साथ कोआर्डिनेशन का काम उसी को तो देखना था। अंश का नंबर लेकर उसे अलविदा कह, व्योम तो अपने काम पर चला गया, और ड्राइवर को बोलकर अंश को भी उसके ऑफिस ड्रॉप करवा दिया। कुछ ही देर में एक अनजान नंबर से, अंश को व्हाट्सएप पर कुछ फनी जोक्स आने लगे। उसने जब चेक किया तो यह व्योम का ही नंबर था। अंश ने तुरंत सिद्धार्थ को फोन कर सारी बात बताई।



सिद्धार्थ :- (फोन पर)  "यार तो तू परेशान क्यों हो रहा है!! मुझे यह नहीं समझ आ रहा?? तू पहली बार थोड़ी किसी ऐसे लड़के से मिल रहा, जो तेरी बॉडी को घूर रहा हो!!!"


अंश :- "यार बात वह नहीं है। क्या तूने नहीं सुना, इन सिलेब्रिटीज के बारे में??? यह लोग ऐसे ही लोगों का इस्तेमाल करते रहते हैं!!"


सिद्धार्थ :- "अरे तो वह कोई जबरदस्ती थोड़ी करेगा तेरे साथ। और करने की कोशिश करे तो मैंने जो कल बताया, वैसा ही करना उसके साथ। वैसे जब तूने उसके बारे में बताया, तो मैंने उसका टीवी सीरियल देखा। बहुत ही मस्त दिखता है यार वह तो, और शरीफ लगता है चेहरे से तो।"


अंश :- "हां अच्छा तो दिखता है। बातें भी ठीक ही करता है। और आज उसने बताया कि भोपाल का रहने वाला है। लेकिन यार उसकी हरकतें शरीफों वाली नहीं है।"


सिद्धार्थ :- "यार तू इतना सोच रहा है उसके बारे में जैसे तुझे शादी करनी है उसके साथ। अभी तेरा फंक्शन हो जाएगा, फिर थोड़ी मिलना है तुझे उससे। तो ज्यादा टेंशन मत ले, बस अपने काम पर ध्यान दें।"



      सिद्धार्थ से बात करके, अंश को थोड़ी तसल्ली मिली। हफ्ते भर बाद ही फंक्शन था, बस उसके बाद यह व्योम का किस्सा भी खत्म ही होना था। तो यही सोचकर अब अंश की परेशानी भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी थी। लेकिन जब जब व्योम का कोई नया मैसेज मोबाइल पर आता था, तो एक परेशानी की शिकन अंश के माथे पर आ ही जाती थी। शाम को ऑफिस के बाद जब अंश अपने घर पहुंचा, तो कुछ ही देर बाद उसे व्योम का फोन आया। अंश ने कुछ देर सोचने के बाद, व्योम का फोन ना उठाना ही तय किया। और ऐसा उसने लगातार दो बार और आए फोन पर भी किया। लेकिन जब चौथी बार फिर से फोन बजा, तो अंश को ना चाहते हुए भी फोन उठाना ही पड़ा।



व्योम :- (फ़ोन पर) "अरे कहाँ बिजी हो अंशुमन?? कितने फ़ोन लगा चुका हूँ मैं।"


अंश :- "सॉरी सर!! फ़ोन साइलेंट मोड पर था, तो पता ही नही चला। आप बताइए!! कोई काम था???"


व्योम :- "यार कितनी बार बोलूं मुझे व्योम ही बुलाया करो। और हां एक जरूरी काम है, जल्दी से नीचे आ जाओ, मैं तुम्हारी बिल्डिंग के नीचे ही खड़ा हूं।"


अंश :- (हड़बड़ा कर) "क्या??  आप!!!  यहां!!! लेकिन..... आपको मेरा एड्रेस कैसे पता चला??"


व्योम :- "यार क्या फोन पर ही सारी बातें कर लोगे?? जल्दी नीचे आओ, मैं काफी समय से यहां तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।"



       इतना कहकर व्योम फोन काट देता है। अंश भी घबरा कर अपने फ्लैट की खिड़की से नीचे देखता है, तो व्योम की गाड़ी वहां नीचे ही खड़ी होती है। अब अंश थोड़ी टेंशन में आ जाता है। कि अगर वह व्योम के साथ चला गया तो, कहीं जो वह व्योम के बारे में सोच रहा है, वैसा ही ना हो। और अगर वह नहीं गया तो, कहीं व्योम यहां ऊपर उसके फ्लैट में ही ना आ जाए। अंश यह सब सोच ही रहा होता है, कि उसका फोन फिर से बजता है। और यह व्योम का ही कॉल होता है। अंश कॉल कट कर देता है, और घबराते हुए नीचे व्योम की गाड़ी के पास पहुंच जाता है। और उसने सिद्धार्थ के बताए अनुसार, अपने मोबाइल फोन पर वॉइस रिकॉर्डिंग चालू कर ली होती है। जब अंश गाड़ी के पास पहुंचता है, तो व्योम का ड्राइवर गाड़ी का पीछे वाला दरवाजा खोलकर, अंश को गाड़ी के अंदर बैठने का इशारा करता है। अंश अंदर बैठता है तो, व्योम मुस्कुरा कर अंश का स्वागत करता है। और गाड़ी वहां से आगे बढ़ जाती है।



अंश :- (गाड़ी में बैठे हुए व्योम को देखकर) "गुड इवनिंग सर!!! बताइए क्या काम था आपको??? और सर मेरा एड्रेस...."


व्योम :- (अंश को बीच में ही रोकते हुए) "प्लीज यार मुझे व्योम कहा करो बस ।और यार किसी को ढूंढना इतना भी मुश्किल नहीं है, बस सही जगह एक फोन करना होता है।"


    

      अंश समझ जाता है, कि उसका पता, व्योम को उसके ऑफिस से ही मिला होगा। और अंश के चेहरे की परेशानी, व्योम को साफ साफ नजर आने लगती है।



व्योम :- (अंश के कंधे पर हाथ रखते हुए) "चिंता मत करो! मुझे कोई काम नहीं है। वह तो मैं बस थोड़ा अकेला महसूस कर रहा था, और सुबह जब पता चला कि, तुम और मैं पास पास के ही शहरों से बिलॉन्ग करते हैं। तो लगा कि तुम्हारे साथ थोड़ा समय बिताना चाहिए। सुबह काम था, तो सुबह बिल्कुल समय नहीं मिला। अब जब फ्री हुआ तो, सबसे पहले तुम्हारा ही ख्याल आया। वैसे अगर तुम्हें कोई काम हो तो, कोई बात नही, मैं तुम्हें वापस वहीं छोड़ देता हूं।"



      अंश कहना तो यही चाहता था, कि उसे वापस उसके घर छोड़ दो। लेकिन इस ना का असर, उसकी नौकरी पर ना पड़े, इसलिए उसने बिना कुछ बोले, मुस्कुराकर बस अपना सर ना में हिला दिया।



व्योम :- (मुस्कुराकर) "ओके!! गुड!!! तो बताओ क्या हाल चाल हैं ग्वालियर के?? कितने समय से हो यहाँ मुम्बई में।"


अंश :- "बस कुछ महीने ही हुए हैं, यहां आए अभी तो।"


व्योम :- "कैसा लग रहा है यहां मुंबई में??? ग्वालियर की याद तो नहीं आती??"


अंश :- "घर की याद तो आती है सर। लेकिन यहां ज्यादा अच्छा लग रहा है मुझे।"


व्योम :- " फिर सर!!!  कहा ना यार सर मत बोला करो मुझे।"


अंश :- "ओके!! सॉरी!! आगे से ध्यान रखूंगा, व्योम!!!"


व्योम :- "Hmmmmmm.... !! गुड!!! वैसे अभी तो सब नया नया है, इसलिए सब अच्छा लग रहा होगा। लेकिन धीरे-धीरे बिल्कुल रास नहीं आएगा यह शहर तुम्हें। जब अकेलापन सताने लगेगा, तो मन करेगा, कि भाग जाओ यहां से। हां, अगर कोई प्यार करने वाला साथ हो, तो एक अलग बात है।"


अंश :- (मुस्कुराते हुए) "देखते हैं!!! फिलहाल तो यह अकेलापन मुझे काफी पसंद आ रहा है।"


व्योम :- "और तुम्हारी लव लाइफ!!!! वो कैसी चल रही है यहाँ??"


अंश :- "कुछ खास नही!! मैं सिंगल हूँ अभी तो।"


व्योम :- "ओके!!! मैं भी अभी सिंगल हूँ। लेकिन पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड था यहाँ मुम्बई में।"



      व्योम के मुंह से यह बात सुनकर, अंश ने उसे थोड़ा आश्चर्यचकित होकर देखा।



व्योम :- "अरे इतना आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है। यहां मुंबई में तो यह बहुत ही नॉर्मल सी बात है। और हमारी इंडस्ट्री में तो और भी ज्यादा आम बात है। हां, बस हम मीडिया से बचकर रहते हैं। क्योंकि मीडिया में यह बात आने से, हमारी इमेज खराब हो सकती है। फिर हमारे कैरियर पर भी इसका असर पड़ सकता है।"


अंश :- "तो फिर आप यह सब मुझे क्यों बता रहे हो??"


व्योम :- "अरे तुम तो अपने से लगते हो। तुमसे यह बात बताने में कैसी शर्म!!!"


अंश :- "और मैंने यह बात किसी को बता दी तो??"


व्योम :- "इतने सालों से इस इंडस्ट्री में हूं, इंसानों को परखना सीख गया हूं। मैं जानता हूं, तुम ऐसे बंदे नहीं हो।"



        दोनों साथ में काफी देर मुंबई की सड़कों पे यहां वहां घूमते रहे। ग्वालियर, भोपाल और मुंबई की ढेरों बातें, दोनों ने आपस में सांझा की। व्योम ने डिनर के लिए अंश को किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे साथ चलने को कहा। लेकिन अंश के मना करने के बाद, व्योम ने गाड़ी में ही चाइनीस फूड मंगवा लिया, और दोनों ने साथ में ही खाना खाया। कुछ देर बाद व्योम ने वापस अंश को उसकी बिल्डिंग के नीचे ड्रॉप कर दिया। व्योम से आज की मुलाकात ने, अंश के मन में बसी व्योम के लिए परेशानी, काफी हद तक खत्म कर दी थी। व्योम के आज के बर्ताव ने, अंश के मन में बनी खुद की छवि को ओझल कर दिया था। जहां आज शाम को व्योम से मिलते वक्त, अंश परेशान था। वही अब व्योम के घरवालों के बारे में, उसके मुंबई के स्ट्रगल और सक्सेस के बारे में, और उसकी पिछली लव लाइफ के बारे में जानने के बाद, अब काफी नॉर्मल महसूस कर रहा था। उसने अपने घर आकर सबसे पहले सिद्धार्थ को फोन कर, अभी की सारी बातें उसे बताई।


       अगले दिन भी जब व्योम के गुड मॉर्निंग के मैसेज का रिप्लाई अंश ने दिया, तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी। यह सब कल व्योम के साथ बिताए समय का ही नतीजा था। अब दोनों के बीच केवल फनी जोक्स के मैसेजेस ही नहीं हो रहे थे, बल्कि अब दोनों व्हाट्सएप पर घंटों चैटिंग कर रहे थे। और अब व्योम की बातों से भी, अंश को उसे सही से पहचानने का मौका मिल रहा था। अब अंश कि व्योम के प्रति सोच में, पहले के मुकाबले जमीन आसमान का अंतर आ चुका था। अंश की अब की सोच के मुताबिक, व्योम थोड़ा मुंहफट लेकिन केयरिंग नेचर का इंसान था। व्योम का पूरा नाम, व्योम कपूर नहीं बल्कि व्योम भार्गव था। जो कि उसने अपने पहले टीवी सीरियल के डायरेक्टर के कहने पर बदल लिया था। वह भोपाल के अरेरा कॉलोनी का रहने वाला था। भोपाल में बस उसके मम्मी पापा ही थे, वे दोनों सरकारी कर्मचारी थे। व्योम को एक्टिंग का शौक था। और वह हीरो बनने के लिए, भोपाल से, घर में बिना बताए भाग आया था। मुंबई में काफी धक्के खाने के बाद फिल्मों में तो नहीं, लेकिन टीवी सीरियल्स में अपना सपना पूरा करने का मौका उसे मिला। जिसके फलस्वरूप आज वो टीवी इंडस्ट्री का नामी ग्रामी एक्टर है। अब तक 2 सीरियस रिलेशनशिप में रह चुका है। और सेक्स ओरिएंटेशन से बायसेक्सुअल है। भोपाल में कॉलेज में एक गर्लफ्रेंड थी। जिसके साथ रिश्ता मुंबई आने की वजह से टूट गया था। और मुंबई में एक फैशन डिजाइनर के साथ रिलेशनशिप में रहा। उसने ही व्योम के टीवी इंडस्ट्री में कांटेक्ट बनाने में मदद की। लेकिन मीडिया में अपना नाम गे कम्युनिटी से जुड़ता देख, उसने व्योम से दूरियां बना ली। तब से ही व्योम सिंगल है, और एक अच्छे साथी की तलाश में है। यह सब बातें अंश को व्योम से इन 2 दिनों में जानने को मिली थी।



          कुछ ही दिनों में अंश के ऑफिस के फंक्शन का दिन भी आ गया। व्योम भी अपने तय समय पर, समारोह स्थल पर पहुंच गया। उस पूरी रात केवल अपनी परफॉर्मेस के समय के अलावा, व्योम ने अंश को खुद से दूर ही नहीं जाने दिया। पूरे समय कभी किसी काम में, तो कभी अपनी बातों में, अंश को अपने इर्द-गिर्द ही व्यस्त रखें रहा। स्टेज पर जब व्योम शर्टलेस होकर अपनी परफॉर्मेंस कर रहा था, तो व्योम को इस तरह नाचते हुए देख कर, अंश के मन में भी नए भाव जागने लगे। जो अंश अभी कुछ दिनों तक, व्योम द्वारा खुद के साथ दुर्व्यवहार से डर रहा था, आज व्योम को स्टेज पर, अर्धनग्न होकर डांस करते देख,  खुद ही उसका फायदा उठाना चाह रहा था। जब व्योम अपनी परफॉर्मेंस खत्म कर, वापस से अपने मेकअप रूम में गया। तो वहां उपस्थित अंश की बदली आंखों की चमक को देख कर, उसे 1 सेकंड नहीं लगा, अंश के मन के हाल को जानने में। और उसने तुरंत ही उस रूम में उपस्थित, अंश के अलावा, अपने स्टाफ को कोई ना कोई काम बता कर, वहां से बाहर भेज दिया। स्टाफ के जाते ही, व्योम अंश की ओर बढ़ा, और अंश कुछ समझ पाए उसके पहले ही, व्योम ने अपने होठों को अंश के होंठों से मिला दिया। अंश ने भी आगे बढ़कर इस काम क्रीड़ा में व्योम का साथ दिया। और दोनों ही उस बंद दरवाजे के पीछे, एक दूसरे के आगोश में खो गए।



       धीरे-धीरे दोनों के बीच का नया रिश्ता, नया रूप लेने लगा। दोनों प्यार के बंधन में गहराई से जुड़ते चले गए। जो अपनेपन, प्यार की तलाश व्योम को थी, वह तलाश अंश पर आकर खत्म हो चुकी थी। और अंश जिस मकसद से नए शहर में आया था, वह मकसद तो उसका पहले ही पूरा हो चुका था। लेकिन अकस्मात मिले इस नए रिश्ते को, अंश ने भी खुली बांहों से स्वीकार कर लिया था। अंश ने जब अपने इस बदले रिश्ते के बारे में, सिद्धार्थ को अवगत कराया, तो सिद्धार्थ ने अपनी खुशी का इजहार किया। लेकिन साथ ही साथ अंश को चेताया भी, कि वह ऐसा कुछ ना करें, जो वह पहले आदित्य के साथ कर चुका था। लेकिन अंश और व्योम के रिश्ते में ऐसी कोई बात थी ही नहीं। इस रिश्ते में व्योम की ज्यादा सहभागिता थी। व्योम दिन में समय निकालकर, अंश को फोन किया करता था। और व्हाट्सएप पर तो उन दोनों की चैटिंग, सारा दिन चला ही करती थी। रात को फ्री होने के बाद, व्योम सबकी नजरों से छुप छुपा कर, अंश से मिलने जरूर आता था। दोनों घंटों समय साथ गुजारा करते थे, और व्योम देर रात अपने घर वापस जाया करता था। वीकेंड पर अंश के ऑफिस की तो छुट्टी रहती ही थी, लेकिन जब कभी व्योम भी फ्री होता था, तो दोनों मुंबई से बाहर कहीं घूम आया करते थे। व्योम हर रोज कुछ ना कुछ गिफ्ट भी, अंश के लिए जरूर अपने साथ लाया करता था। और इन सब से कहीं ज्यादा, व्योम अंश का बहुत ख्याल भी रखता था, और बेशुमार प्यार भी करता था। धीरे-धीरे यह समय महीनों और महीनों से पूरे 1 साल में बदल गया।



       इस पूरे समय में अंश ने एक बार भी ग्वालियर जाने के बारे में नहीं सोचा था। पहले तो नए शहर, और 28 सालों में पहली बार अकेले रहने की एक्साइटमेंट, उसके बाद व्योम के साथ ने, कभी ग्वालियर की याद अंश को आने ही नहीं दी थी। लेकिन मम्मी पापा की जिद पर, अंश ने 3 दिन का ग्वालियर का प्लान बना ही लिया। व्योम इस ट्रिप से थोड़ा नाखुश था। उसका बस चले तो वह तो अंश को हमेशा अपने पास ही रखें और कभी खुद से दूर ना जाने दे। लेकिन अपने परिवार से दूर रहने के दर्द को बखूबी समझते हुए, उसने बिना अंश को बताए, उसके आने जाने के फ्लाइट के टिकट खुद ही बुक करवा दिए। यह बात अंश को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई, और उसने व्योम को आगे से कभी फिर ऐसा कुछ भी करने से साफ इनकार कर दिया।


 

      ग्वालियर में आज भी सब कुछ वैसा ही था जैसा अंश साल भर पहले छोड़ कर गया था। वही लोग, वही माहौल, बस अब अंश  का बर्ताव इस माहौल के हिसाब से थोड़ा-सा बदल गया था। ग्वालियर में तो आज भी पड़ोस के घर में क्या हो रहा है, उनके बच्चे क्या कर रहे हैं, इस बात का जिक्र, खुद के पारिवारिक मुद्दों की तरह चर्चा का विषय बना हुआ था। घर के छोटे-छोटे निर्णयों के लिए घंटों विचार किआ जाता था। अंश की अब इन सब माहौल में रहने की आदत बिल्कुल ही छूट चुकी थी। ग्वालियर आए अभी अंश को ज्यादा समय नहीं हुआ था, लेकिन अपने ही घर वालों की सोच को देखकर, उसे उलझन होने लगी थी। और इसी उलझन से भागने के लिए, अंश जा पहुंचा सिद्धार्थ की दुकान पर। सिद्धार्थ ने अंश को देखते ही, दौड़कर अपने गले से लगा लिया, और अपनी नम आंखों से अंश का स्वागत किया। दोनों ने ही मुंबई और ग्वालियर की खैर खबरों का आदान प्रदान किया। अंश ने बड़ी ही प्रसन्नता के साथ, व्योम के बारे में भी सिद्धार्थ को अवगत कराया। सारा समय दोनों ने अपनी बातों में ही गुजार दिया। रात को अंश की मम्मी के फोन के साथ, दोनों की बातों का सिलसिला खत्म हुआ। अंश जब घर पहुंचा, तो वहां पहले से ही कुछ मेहमान, अंश के घर आने का इंतजार कर रहे थे। अंश के पापा ने उन सभी मेहमानों का परिचय अंश से कराया। और कुछ ही देर में उनकी बातों से, अंश को साफ-साफ समझ आने लगा, कि यह कोई साधारण मेहमान नहीं, बल्कि अंश के रिश्ते के लिए उसे देखने आए लड़की वाले हैं।



    आगे अंश और व्योम के जीवन मे क्या उथल पुथल मचाते है, यह मेहमान। क्या इस बार भी अंश के दिल को दर्द से गुजरना पड़ेगा?? क्या इस बार भी सिद्धार्थ अंश की कोई मदद कर पायेगा? और भी कई सवालों  के जवाब छुपे है, इस कहानी के आखिरी पार्ट में। जल्द ही इस कहानी का आखिरी पार्ट भी प्रस्तुत करूँगा। तब तक के लिए अपने विचार जरूर सांझा करे।













No comments:

Post a Comment

Shadi.Com Part - III

Hello friends,                      If you directly landed on this page than I must tell you, please read it's first two parts, than you...