Hello friends,
Here I am again, with my new story, "RADIANCE". First time I am gonna try, which I like most. Hope you like my this creation as well as my all previous once.
"Dear diary,
आज मैं बहुत खुश हूं। आज मेरा final interview भी clear हो गया। और मुझे मेरी पसंदीदा जगह पर ही job भी मिल गई है। तुम्हें पता है, जब मैंने यह खबर घर पर बताई, तो वो लोग कितने ज्यादा खुश थे, पापा तो कंपनी का नाम भी सही से नहीं ले पा रहे थे। Capgemini!!! इतना भी मुश्किल नहीं है वैसे तो। लेकिन वह बहुत खुश थे। अब तक तो उन्होंने चाचा और बुआ दोनों को ही, थोड़ा बढ़ा चढ़ाकर बता भी दिया होगा, मेरी job के बारे में। लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मुझे job की कितनी ज्यादा जरूरत थी। मुझे उसे proof भी तो करना था। लेकिन समझ नहीं आ रहा कैसे करूं। Facebook पर working details show करूं या Whatsapp group में normally inform कर दूं। उसे पता तो चल जाएगा, लेकिन उसे ज्यादा बुरा किस तरीके से लगेगा।
Please don't judge me!! अब उसने जो किया उसके लिए मेरा यह reaction तो कुछ भी नहीं है। You know ना उसकी वजह से मुझे 6 month extra कॉलेज को देने पड़े थे। और extended degree के बाद भी मुझे Capgemini में job मिली, तो show off करना तो बनता है। Ok Bye!!! कल मेरा first day है जॉब पर। I am so excited।"
ये है रोहित!!! जिसे आपने अभी अपनी diary से बात करते पढ़ा। रोहित इंदौर शहर से belong करता है, पर पिछले साढे़ 4 सालों से यहां मुंबई में है। रोहित IIT मुंबई से Computer Science Engineering कर रहा था। और कॉलेज hostel में ही रहता था। घर और दोस्तों से अलग होने के बाद, रोहित ने diary लिखना शुरू किया था। मुंबई में adjust होने में उसकी इस नई रुचि ने उसकी खूब मदद की थी। वैसे तो Engineering 4 सालों में ही complete हो जानी चाहिए थी। लेकिन रोहित ने इसे पूरा करने में 6 महीने ज्यादा का समय लिया था। जिसका कारण था "रोहन"। अब बाकी सभी के लिए रोहन तो बस रोहित का classmate, अच्छा दोस्त,और final year में roommate ही था। लेकिन इनके रिश्ते की सच्चाई रोहन, रोहित और उसकी diary को ही पता थी। दोनों अपनी गहरी दोस्ती के चलते final year शुरू होने पर, हॉस्टल की एक ही room में shift हुए थे। और इस नए रिश्ते की नई उमंगों ने रोहित का ध्यान पढ़ाई से पूरी तरह हटा दिया था। और इसका नतीजा यह निकला कि रोहित अपने final semester में दो subject में fail हो गया था। रोहन तो अच्छे नंबरों से पास भी हुआ और उसे बेंगलुरु की एक नामी ग्रामी कंपनी, में अच्छे पैकेज पर, job भी मिली। और वो रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, अपने नए सफर पर चला गया। रोहित को इस सबसे उबरने में थोड़ा समय लगा। लेकिन अब अच्छे नंबरों से पास होना, अच्छी नौकरी, अच्छी life, यह सब खुद के सुकून से ज्यादा, रोहन को दिखाने के लिए करना ज्यादा जरूरी हो गया था। और इसमें रोहित पास भी हो गया था।
Hostel से निकले अभी रोहित को 8 दिन ही हुए थे। कॉलेज में तो रोहित को किसी भी campus drive में बैठने को नहीं मिल पाया था, उसके final year के result के कारण। इसलिए उसे खुद ही job search करनी पड़ी थी। पहले रोहित ने मुंबई से ही शुरुआत करने की ठानी। वह पिछले 4 सालों से मुंबई में ही था। यहां local में भी उसके कुछ friends बन गए थे। और उसे मुंबई शहर भी बहुत पसंद था। मुंबई की lifestyle, यहां के लोगों का बर्ताव, यूं तो रोहित ने मुंबई शहर को कॉलेज की पाबंदियों के चलते कम ही जाना था, लेकिन जितनी भी उसने मुंबई शहर में सांस ली थी, उस हवा ने उसके मन में गहरी छाप छोड़ी थी। और उसे इस शहर से और इस शहर की रफ्तार से प्यार हो गया था। और इसी रफ्तार से ताल मिलाकर रोहित बहुत आगे निकल जाना चाहता था। रोहन को, उसके साथ बिताए पलों को और अपने आखिरी semester के result को बिल्कुल अपनी आंखों से मिटा देना चाहता था। Final year के result की वजह से रोहित थोड़ा उदास तो रहता था, लेकिन इस उदासी का सबसे बड़ा कारण उसका result नहीं, रोहन की बेरुखी थी। रोहन बिना रोहित को अलविदा कहे, बिना कोई बात किए, रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, बेंगलुरु चला गया था। पीछे छोड़ गया था तो रोते हुए रोहित को और एक whatsapp message को। जिसमें उसने रोहित से breakup करने और life में आगे बढ़ने की कई सारी बातें लिखी थी। रोहित की उदासी इंदौर में भी उसके घरवालों से नहीं छुपी थी और वे लोग भी रोहित को इंदौर वापस आने पर कई बार जोर दे चुके थे। लेकिन रोहित ने उनसे कुछ समय की मोहलत ली और मुंबई में ही अपने एक दोस्त के घर पर रुक कर job searching में लग गया था। जिसमें उसे कुछ समय बाद ही सफलता भी मिल गई थी
"Dear diary,
आज मेरा job पर first day था। मैं बहुत excited भी था, और nervous भी। लेकिन अच्छा atmosphere था office का, ज्यादा किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था, सभी अपने ही कामों में लगे हुए थे। मेरे साथ और भी 12 trainee है office में। अब शायद कल से हमारी training शुरू हो जाएगी। शाम को पापा का भी फोन आया था। वे तो अभी से ही मेरी salary के बारे में पूछ रहे थे। अब उन्हें कौन समझाए, कि अभी 6 months तो training ही चलेगी। उसके बाद सब finalize होगा। लेकिन अब मैं सोच रहा हूं, कि rent पर कहीं room search कर लूं। अब तो job भी लग गई है, तो अब यहां रुकना भी सही नहीं रहेगा। वैसे तो uncle-aunty बहुत अच्छे हैं, कुछ कहते भी नहीं है, लेकिन फिर भी, हूं तो बोझ ही ना उन पर। कल से ही मैं room searching पर लग जाता हूं। और एक बात बताऊं, मैं जिस बात के लिए डर रहा था ना, कि सभी मजाक उड़ाएंगे या बात बनाएंगे, मेरे 6 month extension पर, लेकिन पता है, वहां तो किसी ने एक बार भी पूछा भी नहीं, मेरे कॉलेज, academics, project's के बारे में। जैसे किसी को पड़ी ही नहीं है, कि हमने क्या किया है, और क्या नहीं। लेकिन जो भी हो, मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, अब यहां मुंबई में। और मैंने facebook पर ही update कर दिया है job के बारे में, और मैंने आज office की भी कुछ pics upload की थी। देख तो ली ही होंगी उसने, जल भी गया होगा थोड़ा। अब उसे भी समझ आ जाएगा, जिस job के लिए उसने मुझसे whatsapp पर breakup किया था, उससे अच्छी job है मेरे पास। अब कल मिलते हैं, सोना भी है, और कल से office भी शुरू है।
Bye, Good Night"
आज रोहित का पहला दिन office में अच्छा गुजरा। शाम को घर आते वक्त एक agent से भी मुलाकात हुई। जो कि बहुत कम fee में, रोहित को एक अच्छा घर ढूंढने में मदद के लिए तैयार भी हो गया। रोहित ने अपने नए घर के लिए कुछ सुविधाओं की एक list भी बनवाई, और जल्द ही कोई अच्छा घर ढूंढने का वादा लिए, अपने दोस्त के घर वापस आ गया। रोहित ने घर वापस आकर अपने दोस्त और उसके मम्मी पापा को तलाशे जा रहे नए घर के बारे में अवगत कराया। थोड़ी सी ना - नुकर के बाद, वे सभी रोहित के लिए बेहद खुश भी हुए। लेकिन आज एक ऐसी घटना भी हुई थी, जो रोहित के दिमाग पर तो गहरी छाप छोड़ गई थी, लेकिन उस बात का जिक्र रोहित ने अपनी diary में नहीं किया था। वैसे मुंबई आने के बाद अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ था, कि रोहित ने कोई बात छुपा के अपने मन में दबा ली हो, और dairy में ना लिखी हो। यूं तो वह दिन की हर बात डायरी में नहीं लिखता था, जो बातें उसके दिल या दिमाग में रह जाती थी, वही बातें रात को डायरी में लिखी जाती थी। लेकिन आज कि वह महक अभी भी रोहित के जहन में ताजा थी। लेकिन फिर भी उसका कोई भी ज़िक्र आज diary के पन्नों पर नहीं लिखा गया था।
रात भर ना जाने किसके ख्यालों में खोए हुए, अगले दिन रोहित की देर से आंख खुली। और वह अपनी training के पहले दिन ही office देरी से पहुंचा। सारा दिन office में बिताने के बाद, शाम को रोहित agent के साथ तीन-चार flat देखने भी गया। और उसमें से एक flat उसे पसंद भी आ गया। वह flat 21 वे floor पर था। जिसकी balcony से मुंबई शहर का अच्छा नजारा दिखाई देता था। और वह flat रोहित के office के भी नजदीक था, और उसके budget में भी था। उसने बिना समय गवाएं agent को उस flat के documents तैयार करने को बोला और रात तक अपने दोस्त के घर वापस आ गया।
"Dear diary,
You don't believe आज मेरे साथ क्या हुआ। आज मैं जब office पहुंचा, तो मैं late हो गया था, और training शुरू हो चुकी थी। और तुम विश्वास नहीं करोगी, मेरा training officer कल रात मेरे सपनों में आया था। जब मैं room में enter हुआ, और मैंने उसे देखा। मुझे तो लगा, कि मैं सपना ही देख रहा हूं। उसने शायद मुझे देरी से आने के लिए थोड़ा डाटा भी था। लेकिन सच कहूं, मुझे कुछ याद नहीं। मतलब वह कुछ बोल तो रहा था, लेकिन मुझे सुनाई नहीं दे रहा था, कि वह क्या बोल रहा है। फिर मैंने खुद को चुटकी भरी, तब सब normal हुआ। Actually मैंने उसे देख तो कल ही लिया था, और वह मुझे attractive भी बहुत लगा था। लेकिन मुझे लगा, की ऐसा attraction तो बहुत लोगों को देखकर हो ही जाता है। इसलिए मैंने तुम्हें कल उसके बारे में कुछ नहीं बताया। लेकिन फिर वह कल रात सपने में भी आया, और अब तो वह मेरा training officer भी है। तो अब तो मुझे उसकी हर एक बात तुम्हें बतानी ही पड़ेगी। अरे एक और बात, आज मैंने flat final कर दिया है। अच्छा है, जैसा मुझे चाहिए था, बिल्कुल वैसा ही है। अभी dinner करते समय मैंने uncle-aunty को भी बोल दिया। वह लोग भी खुश थे। घर पर भी फोन करके बताया, मम्मी पापा भी बेहद खुश थे। और मेरी खुशी का तो पूछो ही नहीं। मैं तो बहुत ही ज्यादा खुश हूं। कल तक सारे documents भी तैयार हो जाएंगे, और hopefully 2 - 3 days में मैं वहां shift भी हो जाऊंगा। मैंने उस flat के भी कई pics facebook और whattsapp group पर डाले, देख तो लिए ही होंगे उसने। यह ठीक वैसा ही flat है, जैसा वह लेने के बारे में हमेशा बोलता था। Higher floor, balcony view, good vibes, sunset, hmmmmmmm, देख कर जलेगा, तब समझ आएगा, उसने क्या-क्या अपनी किस्मत से जाने दिया है। Now bye, good night। मैं कल फिर से late नही होना चाहता। तो मैं जा रहा सोने। कल बात करते है।"
Here I am again, with my new story, "RADIANCE". First time I am gonna try, which I like most. Hope you like my this creation as well as my all previous once.
"Dear diary,
आज मैं बहुत खुश हूं। आज मेरा final interview भी clear हो गया। और मुझे मेरी पसंदीदा जगह पर ही job भी मिल गई है। तुम्हें पता है, जब मैंने यह खबर घर पर बताई, तो वो लोग कितने ज्यादा खुश थे, पापा तो कंपनी का नाम भी सही से नहीं ले पा रहे थे। Capgemini!!! इतना भी मुश्किल नहीं है वैसे तो। लेकिन वह बहुत खुश थे। अब तक तो उन्होंने चाचा और बुआ दोनों को ही, थोड़ा बढ़ा चढ़ाकर बता भी दिया होगा, मेरी job के बारे में। लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मुझे job की कितनी ज्यादा जरूरत थी। मुझे उसे proof भी तो करना था। लेकिन समझ नहीं आ रहा कैसे करूं। Facebook पर working details show करूं या Whatsapp group में normally inform कर दूं। उसे पता तो चल जाएगा, लेकिन उसे ज्यादा बुरा किस तरीके से लगेगा।
Please don't judge me!! अब उसने जो किया उसके लिए मेरा यह reaction तो कुछ भी नहीं है। You know ना उसकी वजह से मुझे 6 month extra कॉलेज को देने पड़े थे। और extended degree के बाद भी मुझे Capgemini में job मिली, तो show off करना तो बनता है। Ok Bye!!! कल मेरा first day है जॉब पर। I am so excited।"
ये है रोहित!!! जिसे आपने अभी अपनी diary से बात करते पढ़ा। रोहित इंदौर शहर से belong करता है, पर पिछले साढे़ 4 सालों से यहां मुंबई में है। रोहित IIT मुंबई से Computer Science Engineering कर रहा था। और कॉलेज hostel में ही रहता था। घर और दोस्तों से अलग होने के बाद, रोहित ने diary लिखना शुरू किया था। मुंबई में adjust होने में उसकी इस नई रुचि ने उसकी खूब मदद की थी। वैसे तो Engineering 4 सालों में ही complete हो जानी चाहिए थी। लेकिन रोहित ने इसे पूरा करने में 6 महीने ज्यादा का समय लिया था। जिसका कारण था "रोहन"। अब बाकी सभी के लिए रोहन तो बस रोहित का classmate, अच्छा दोस्त,और final year में roommate ही था। लेकिन इनके रिश्ते की सच्चाई रोहन, रोहित और उसकी diary को ही पता थी। दोनों अपनी गहरी दोस्ती के चलते final year शुरू होने पर, हॉस्टल की एक ही room में shift हुए थे। और इस नए रिश्ते की नई उमंगों ने रोहित का ध्यान पढ़ाई से पूरी तरह हटा दिया था। और इसका नतीजा यह निकला कि रोहित अपने final semester में दो subject में fail हो गया था। रोहन तो अच्छे नंबरों से पास भी हुआ और उसे बेंगलुरु की एक नामी ग्रामी कंपनी, में अच्छे पैकेज पर, job भी मिली। और वो रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, अपने नए सफर पर चला गया। रोहित को इस सबसे उबरने में थोड़ा समय लगा। लेकिन अब अच्छे नंबरों से पास होना, अच्छी नौकरी, अच्छी life, यह सब खुद के सुकून से ज्यादा, रोहन को दिखाने के लिए करना ज्यादा जरूरी हो गया था। और इसमें रोहित पास भी हो गया था।
Hostel से निकले अभी रोहित को 8 दिन ही हुए थे। कॉलेज में तो रोहित को किसी भी campus drive में बैठने को नहीं मिल पाया था, उसके final year के result के कारण। इसलिए उसे खुद ही job search करनी पड़ी थी। पहले रोहित ने मुंबई से ही शुरुआत करने की ठानी। वह पिछले 4 सालों से मुंबई में ही था। यहां local में भी उसके कुछ friends बन गए थे। और उसे मुंबई शहर भी बहुत पसंद था। मुंबई की lifestyle, यहां के लोगों का बर्ताव, यूं तो रोहित ने मुंबई शहर को कॉलेज की पाबंदियों के चलते कम ही जाना था, लेकिन जितनी भी उसने मुंबई शहर में सांस ली थी, उस हवा ने उसके मन में गहरी छाप छोड़ी थी। और उसे इस शहर से और इस शहर की रफ्तार से प्यार हो गया था। और इसी रफ्तार से ताल मिलाकर रोहित बहुत आगे निकल जाना चाहता था। रोहन को, उसके साथ बिताए पलों को और अपने आखिरी semester के result को बिल्कुल अपनी आंखों से मिटा देना चाहता था। Final year के result की वजह से रोहित थोड़ा उदास तो रहता था, लेकिन इस उदासी का सबसे बड़ा कारण उसका result नहीं, रोहन की बेरुखी थी। रोहन बिना रोहित को अलविदा कहे, बिना कोई बात किए, रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, बेंगलुरु चला गया था। पीछे छोड़ गया था तो रोते हुए रोहित को और एक whatsapp message को। जिसमें उसने रोहित से breakup करने और life में आगे बढ़ने की कई सारी बातें लिखी थी। रोहित की उदासी इंदौर में भी उसके घरवालों से नहीं छुपी थी और वे लोग भी रोहित को इंदौर वापस आने पर कई बार जोर दे चुके थे। लेकिन रोहित ने उनसे कुछ समय की मोहलत ली और मुंबई में ही अपने एक दोस्त के घर पर रुक कर job searching में लग गया था। जिसमें उसे कुछ समय बाद ही सफलता भी मिल गई थी
"Dear diary,
आज मेरा job पर first day था। मैं बहुत excited भी था, और nervous भी। लेकिन अच्छा atmosphere था office का, ज्यादा किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था, सभी अपने ही कामों में लगे हुए थे। मेरे साथ और भी 12 trainee है office में। अब शायद कल से हमारी training शुरू हो जाएगी। शाम को पापा का भी फोन आया था। वे तो अभी से ही मेरी salary के बारे में पूछ रहे थे। अब उन्हें कौन समझाए, कि अभी 6 months तो training ही चलेगी। उसके बाद सब finalize होगा। लेकिन अब मैं सोच रहा हूं, कि rent पर कहीं room search कर लूं। अब तो job भी लग गई है, तो अब यहां रुकना भी सही नहीं रहेगा। वैसे तो uncle-aunty बहुत अच्छे हैं, कुछ कहते भी नहीं है, लेकिन फिर भी, हूं तो बोझ ही ना उन पर। कल से ही मैं room searching पर लग जाता हूं। और एक बात बताऊं, मैं जिस बात के लिए डर रहा था ना, कि सभी मजाक उड़ाएंगे या बात बनाएंगे, मेरे 6 month extension पर, लेकिन पता है, वहां तो किसी ने एक बार भी पूछा भी नहीं, मेरे कॉलेज, academics, project's के बारे में। जैसे किसी को पड़ी ही नहीं है, कि हमने क्या किया है, और क्या नहीं। लेकिन जो भी हो, मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, अब यहां मुंबई में। और मैंने facebook पर ही update कर दिया है job के बारे में, और मैंने आज office की भी कुछ pics upload की थी। देख तो ली ही होंगी उसने, जल भी गया होगा थोड़ा। अब उसे भी समझ आ जाएगा, जिस job के लिए उसने मुझसे whatsapp पर breakup किया था, उससे अच्छी job है मेरे पास। अब कल मिलते हैं, सोना भी है, और कल से office भी शुरू है।
Bye, Good Night"
आज रोहित का पहला दिन office में अच्छा गुजरा। शाम को घर आते वक्त एक agent से भी मुलाकात हुई। जो कि बहुत कम fee में, रोहित को एक अच्छा घर ढूंढने में मदद के लिए तैयार भी हो गया। रोहित ने अपने नए घर के लिए कुछ सुविधाओं की एक list भी बनवाई, और जल्द ही कोई अच्छा घर ढूंढने का वादा लिए, अपने दोस्त के घर वापस आ गया। रोहित ने घर वापस आकर अपने दोस्त और उसके मम्मी पापा को तलाशे जा रहे नए घर के बारे में अवगत कराया। थोड़ी सी ना - नुकर के बाद, वे सभी रोहित के लिए बेहद खुश भी हुए। लेकिन आज एक ऐसी घटना भी हुई थी, जो रोहित के दिमाग पर तो गहरी छाप छोड़ गई थी, लेकिन उस बात का जिक्र रोहित ने अपनी diary में नहीं किया था। वैसे मुंबई आने के बाद अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ था, कि रोहित ने कोई बात छुपा के अपने मन में दबा ली हो, और dairy में ना लिखी हो। यूं तो वह दिन की हर बात डायरी में नहीं लिखता था, जो बातें उसके दिल या दिमाग में रह जाती थी, वही बातें रात को डायरी में लिखी जाती थी। लेकिन आज कि वह महक अभी भी रोहित के जहन में ताजा थी। लेकिन फिर भी उसका कोई भी ज़िक्र आज diary के पन्नों पर नहीं लिखा गया था।
रात भर ना जाने किसके ख्यालों में खोए हुए, अगले दिन रोहित की देर से आंख खुली। और वह अपनी training के पहले दिन ही office देरी से पहुंचा। सारा दिन office में बिताने के बाद, शाम को रोहित agent के साथ तीन-चार flat देखने भी गया। और उसमें से एक flat उसे पसंद भी आ गया। वह flat 21 वे floor पर था। जिसकी balcony से मुंबई शहर का अच्छा नजारा दिखाई देता था। और वह flat रोहित के office के भी नजदीक था, और उसके budget में भी था। उसने बिना समय गवाएं agent को उस flat के documents तैयार करने को बोला और रात तक अपने दोस्त के घर वापस आ गया।
"Dear diary,
You don't believe आज मेरे साथ क्या हुआ। आज मैं जब office पहुंचा, तो मैं late हो गया था, और training शुरू हो चुकी थी। और तुम विश्वास नहीं करोगी, मेरा training officer कल रात मेरे सपनों में आया था। जब मैं room में enter हुआ, और मैंने उसे देखा। मुझे तो लगा, कि मैं सपना ही देख रहा हूं। उसने शायद मुझे देरी से आने के लिए थोड़ा डाटा भी था। लेकिन सच कहूं, मुझे कुछ याद नहीं। मतलब वह कुछ बोल तो रहा था, लेकिन मुझे सुनाई नहीं दे रहा था, कि वह क्या बोल रहा है। फिर मैंने खुद को चुटकी भरी, तब सब normal हुआ। Actually मैंने उसे देख तो कल ही लिया था, और वह मुझे attractive भी बहुत लगा था। लेकिन मुझे लगा, की ऐसा attraction तो बहुत लोगों को देखकर हो ही जाता है। इसलिए मैंने तुम्हें कल उसके बारे में कुछ नहीं बताया। लेकिन फिर वह कल रात सपने में भी आया, और अब तो वह मेरा training officer भी है। तो अब तो मुझे उसकी हर एक बात तुम्हें बतानी ही पड़ेगी। अरे एक और बात, आज मैंने flat final कर दिया है। अच्छा है, जैसा मुझे चाहिए था, बिल्कुल वैसा ही है। अभी dinner करते समय मैंने uncle-aunty को भी बोल दिया। वह लोग भी खुश थे। घर पर भी फोन करके बताया, मम्मी पापा भी बेहद खुश थे। और मेरी खुशी का तो पूछो ही नहीं। मैं तो बहुत ही ज्यादा खुश हूं। कल तक सारे documents भी तैयार हो जाएंगे, और hopefully 2 - 3 days में मैं वहां shift भी हो जाऊंगा। मैंने उस flat के भी कई pics facebook और whattsapp group पर डाले, देख तो लिए ही होंगे उसने। यह ठीक वैसा ही flat है, जैसा वह लेने के बारे में हमेशा बोलता था। Higher floor, balcony view, good vibes, sunset, hmmmmmmm, देख कर जलेगा, तब समझ आएगा, उसने क्या-क्या अपनी किस्मत से जाने दिया है। Now bye, good night। मैं कल फिर से late नही होना चाहता। तो मैं जा रहा सोने। कल बात करते है।"
औरों के लिए diary, अपने विचार, अपनी यादें, सँजोने का जरिया होती है। लेकिन रोहित के लिए diary उसकी अच्छी दोस्त की तरह थी। मुंबई आने के बाद का अकेलापन और अपनी sexuality का उजागर होना, ये दो सबसे महत्वपूर्ण कारण थे, जिसके लिए रोहित को एक अच्छे दोस्त की जरूरत थी। और उस दोस्त की कमी को पूरा किया था, रोहित की diary ने। इस डायरी में केवल रोहित की यादें नहीं थी, इसमें वे सभी बातें, अच्छे बुरे वाक्ये, रोहित का मुंबई का साडे 4 सालों का वह सफर कैद था, जो शायद रोहित ने कभी भी किसी और से share नहीं किया था।
अगले दिन रोहित फिर थोड़ी देरी से सो कर उठा। क्योंकि आज फिर रोहित के सपनों में उसके training officer ने उसे सुलाएं रखा। लेकिन आज रोहित भागते हुए सीधे office पहुंचा, और training शुरू होने से पहले ही, training room तक जा पहुंचा। और तय समय पर आज की training शुरू भी हो गई। Training तो शुरू हो चुकी थी, लेकिन रोहित का ध्यान अपने काम से ज्यादा, training officer पर ही था। आज की अपनी training खत्म कर, शाम को रोहित agent के पास गया। और सारी formalities को पूरा किया। अगले 2 दिन Saturday - sunday रोहित के office का work off था। नए flat में shift होने के लिए यह अच्छा अवसर था। सारे काम निपटा कर रोहित रात को अपने दोस्त के घर वापस आ गया। रात को खाने के बाद उसने अपना कुछ समय अपनी diary के साथ बिताया।
"Dear diary,
I am so excited, कल मैं अपने नए घर में shift हो जाऊंगा। लेकिन थोड़ा बुरा भी लग रहा है। रोहन की याद भी आ रही है। You know ना, यह हमारा सपना था, कि job लगते ही, एक साथ एक ही flat में रहेंगे। अगर एक ही company में job नहीं भी मिली, तो कम से कम weekends और हर शाम तो साथ बीतेगी। रात को dinner साथ में अपने flat की balcony में ही करेंगे। जहां से मुंबई शहर की जगमगाती lights हमारा साथ देंगी, और समुद्र किनारे की ठंडी हवा, हमारी दिन भर की थकान दूर करेगी। अब सब वैसा ही है, बस वह सारे सपने जीने के लिए रोहन ही मेरे साथ नहीं है। मुझे आज बहुत खराब लग रहा है। पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया और अगर breakup करना ही था, तो कम से कम एक बार मुझसे मिलकर बात तो करता। हमने इतना बुरा भी समय साथ नहीं बताया था, कि whatsapp पर breakup का message करके मेरा नंबर ही block कर दिया जाए।
Anyway, वह गाना है ना, एकदम सही है, "इसमें तेरा घाटा, मेरा कुछ नहीं जाता" यही सही है उसके लिए। जी रहा होगा अपनी boring life वहां बिना friends के। और कितने भी अच्छे शहर में चला जाए, लेकिन मुंबई की बराबरी तो कोई भी नहीं कर सकता। और मेरे पास देखो friends भी है, friend की family भी है। नया flat भी है, और एक eye candy भी। हाँ मैंने उसके बारे में तो ज्यादा कुछ बताया ही नहीं। आज ही मुझे उसका नाम पता चला, कल तो मैं late हो गया था, तो intro हो नहीं पाया था। आज जब एक problem के लिए मैंने उसे बुलाया, तब उसने अपना नाम "अविनाश" बताया। नाम तो थोड़ा old faishon है, लेकिन बंदा बहुत कमाल है। क्या मस्त perfume use करता है वो, मन करता है, हमेशा उसके आसपास घूमते रहो। और आज canteen में भी सभी उसके बारे में ही बात कर रहे थे। Python का तो expert है वो, पिछले साल का employee of the year भी वही था। इसलिए ही तो इस tool की training के लिए manegement ने उसे चुना है। और एक trainee तो बता रहा था, कि सबसे ज्यादा projects, with in the time limit, complete करने का record बनाया है, उसने पूरे mumbai में। बहुत सारी companies उसके साथ काम करने के लिए, उसे बहुत अच्छे packages देने को भी घूमती हैं। लगता है यहां भी उसकी salary बहुत ज्यादा ही होगी। लेकिन मुझे इन सब से क्या करना, मुझे तो सबसे ज्यादा उसकी आंखें पसंद है। एकदम काली आंखें हैं उसकी। एक बार उन आंखों में देख लो, तो कहीं और देखने का मन ही नहीं करता। लेकिन बहुत strict है, मैंने अभी तक तो उसे मुस्कुराते हुए नहीं देखा। चलो bye, अब मैं सोता हूं। कल मुझे यहां से packing कर के, अपने नए घर में shift भी करना है। कल बहुत काम रहेगा, शायद मैं कल कुछ ना लिख पाऊं। जब time मिलेगा तब और बताऊंगा अविनाश के बारे में। लेकिन नाम सच में अच्छा नहीं है उसका। चलो bye, good night।"
अगले दिन रोहित की सुबह जल्दी आँख खुल गई। और वह अपनी packing में लग गया। दोपहर तक रोहित अपने सारे सामान के साथ अपने नए घर पहुंच गया। रोहित के पास ज्यादा सामान तो नहीं था सिर्फ दो बड़े - बड़े भारी suitcases, जिनमें सिर्फ उसके कपड़े, जूते चप्पल, और कुछ जरूरत का सामान था। और एक उसके laptop का backpack। वैसे तो इन दोनों suitcases ने इंदौर से मुंबई का सफर रोहित के साथ ही तय किया था। लेकिन इन साढे 4 सालों में अब तक उनका बोझ पहले से कई गुना बढ़ चुका था। रोहित के नए घर तक पहुंचाने में उसके friend और taxi वाले ने रोहित की बहुत मदद की थी। लेकिन अब उस building के entrance से 21 वे floor तक का सफर, रोहित को अकेले ही तय करना था। पहले तो रोहित दोनों suitcases को अपने एक एक हाथ से एक साथ खींचने लगा। trolley bag होने की वजह से उसे ऐसा करने में ज्यादा तकलीफ तो नहीं हुई। लेकिन दोनों suitcases का वजन और एक साथ दोनों का तालमेल बिठा कर आगे बढ़ना, रोहित के लिए थोड़ा मुश्किल होने लगा। पसीने में तर बतर होकर रोहित अब बारी बारी से, पहले एक suitcase को थोड़ी दूर तक खींच कर लाता, फिर उसे वहीं छोड़, वापस लौट कर दूसरे suitcase को खींचकर पहले वाले के पास लाकर, थोड़ा दम भरता। ऐसा उसने पांच बार किया, तब कहीं जाकर building के entrance से main building तक पहुंच पाया। इस पूरे समय रोहित मदद के लिए अपने आसपास निगाहें दौड़ाता रहा। लेकिन एक तो saturday, ऊपर से दोपहर का समय, इसलिए उसे यह सारी मेहनत अकेले ही करनी पड़ी। तो रोहित का friend उसके साथ आना चाहता था, लेकिन अगले हफ्ते ही उसका IES का exam था। जिसकी तैयारी वह पूरी लगन से पिछले छह महीनों से कर रहा था। तो उसे disturb करना रोहित ने ठीक नहीं समझा। और वैसे भी इतने दिनों, रोहित का रहने और खाने-पीने का खास खयाल उसके friend और उसके मम्मी पापा ने रखा था, रोहित के लिए यह साथ ही काफी था। इस छोटी सी परेशानी को तो वह अकेले ही face कर सकता था। लेकिन अब एक और चुनौती रोहित के सामने थी, सीढ़ियां!!!!! Main building में अंदर जाने के लिए उसे यह 10 12 सीढ़ियां चढ़कर जाना था, तब जाकर वह lift तक पहुंच सकता था।
रोहित ने एक लंबी सांस भरी, और एक suitcase के ऊपर वाले handle को पूरे दम से खींचा। अगले ही पल, टूटने की आवाज के साथ, suitcase का handle अपने हाथ में लिए, रोहित जमीन पर जा गिरा। कुछ seconds बाद, अपने कपड़ों को झाड़ते हुए, रोहित उठा और तभी उसे एक जानी पहचानी सी खुशबू आने लगी। और कुछ देर में उस खुशबू का मालिक, रोहित कि "eye candy", "अविनाश" अपने हाथों में एक bag लिए, रोहित की तरफ ही बढ़ने लगा।
अविनाश :- "Do you need help??"
रोहित :- (अपने आप को साफ करते हुए) "Yes I do!!! But what are you doing here???"
अविनाश :- "Means??? I live here!!"
रोहित :- (आश्चर्य से अपनी आँखें बड़ी कर, हल्की सी मुस्कुराहट के साथ) "Ohhhhk!!!!! Which floor???"
अविनाश :- "21"
रोहित :- (झूठी हँसी हँसते हुए) "Ohhhk!! तो मतलब अब हम neighbors हैं!!! Ok!!! Thats good।"
अविनाश :- "Ok! So can I help you? To take this stuff up???"
पहले तो रोहित ने "हाँ" मैं अपना सर हिलाया। लेकिन जैसे ही अविनाश रोहित के suitcases उठाने लगा, रोहित ने उसे चेताने के लिए बोला।
रोहित :- "आराम से, bag बहुत भारी हैं, और पुराने भी।"
लेकिन रोहित अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही अविनाश दोनों suitcases को side handle से उठाकर, साथ में अपना bag भी लिए, बड़ी ही आसानी से आधी सीढ़ियां भी चड़ गया था। और रोहित अपने पीठ पीछे laptop backpack और अपने हाथ में एक suitcase का handle लिए, उसे ऐसा करते देखे जा रहा था। जब अविनाश सारी सीढ़ियां चढ़ गया, तो उसे रोहित के साथ चलने की आवाज नहीं आई। तो उसने पीछे पलटकर रोहित को देखा, तो रोहित अभी भी वहीं खड़ा था, जहां वह पहले था। और बस अविनाश को घूरे जा रहा था।
अविनाश :- "Do you only have to bring these things up? Will you not go up?"
अविनाश की बात सुनकर, रोहित ने उसे घूरना बन्द किआ, और भागता हुआ, अविनाश के पीछे - पीछे चलने लगा।
रोहित :- (आश्चर्यचकित स्वर में) "मैं literally सही से इन bags को एक एक करके भी नही खींच पा रहा था। और तुमने...... मेरा मतलब आपने इतने आसानी से उठा लिया, वो भी दोनों bag एक साथ!!!! That is mind blowing !!!!"
अविनाश :- (अपने normal स्वर में) "Use your power at the right place, so you can also able to do it!!!"
अविनाश दिखने में तो under 30 लगता था। लेकिन उसका व्यवहार, बात करने का तरीका, 60 plus से कम नहीं था, ऐसा रोहित का सोचना था। और अभी कुछ पलों की मुलाकात ने अविनाश के लिए रोहित की सोच को सच में ही बदल दिया था। दोनों lift से अपने floor पर भी पहुंच गए। और अविनाश ने रोहित के बताए flat के दरवाजे के सामने उसके bag भी रख दिए। रोहित ने अविनाश को "Thanks" बोला, और अविनाश बिल्कुल नपी तुली smile pass कर, हल्का सा सर हिलाकर, रोहित के flat के बिल्कुल बगल वाले flat में चला गया। और 2 seconds बाद ही वापस भी आ गया।
अविनाश :- "If you need anything, than plz let me know!!"
रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Thanks for your concern!!! But really I am fine now. And thanks for bags though!!!"
अविनाश :- "I understand, you are just going to be shifted, so you need several things, so just let me know, I am just a wall away!!!"
रोहित :- (मुस्कुराते हुए, अपने flat का lock खोलते हुए) " I am seriously fine, I have everything in these bags, so don't worry, I am good."
दरअसल, रोहित को जरूरत तो बहुत सारी चीजों की थी। लेकिन एक तो अविनाश उसका office में senior, उसका training officer, और सबसे बड़ी बात, इतना ज्यादा खडूस। तो रोहित उसकी कोई भी मदद लेने से कतरा रहा था। और शायद कहीं ना कहीं अविनाश को भी यह बात नजर आ रही थी।
अविनाश :- "Seriously!!! You have Broome in your bag, to clean the house???"
रोहित :- "Ok! Fine! I need several things, the mattress, bedsheets, few vessels or many more...."
अविनाश :- (रोहित को बीच मे ही रोकते हुए) "Ok! Ok! There is a mall nearby, get freshenup, than I will take you there, you will find all that goods there!!"
रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Ok! I will meet you after 30 minutes!!"
अविनाश :- "Ok! Good!"
दोनों अपने-अपने flat मैं चले जाते हैं। रोहित अपने सामान को अपने bedroom की fix अलमारी में रखता है। और नहाने के लिए चला जाता है। नहाते वक्त रोहित, अविनाश के बारे में ही सोचता है, कि "शायद अविनाश इतना भी खडूस नहीं, जितना वह दिखता है" caring nature का है, और gym तो 100% जाता है, तभी तो इतना strong है। थोड़ी देर बाद तैयार होकर रोहित अविनाश का door knock करता है। अविनाश भी तैयार होकर बाहर आता है। और दोनों पास के ही mall में जाकर, रोहित के लिए जरूरत के सभी सामान की खरीददारी करते हैं। सारा सामान खरीदते हुए दोनों को शाम हो जाती है, और रोहित को भूख भी लग आती है।
रोहित :- "Hey!!! मुझे अब बहुत तेज़ भूख लग रही है। कुछ खाएं???"
अविनाश :- "हाँ!!! Ground floor पर एक restorant है, वहां भी चल सकते हैं, और second floor पर dominoz और Mc-donald है। जहां भी जाना चाहो।"
रोहित :- "Restorant ही चलते हैं, भूख बहुत तेज़ लगी है, और pizza, burger नही खाना मुझे।"
दोनों mall के ही एक restorant में खाने के लिए आ जाते हैं। लेकिन खाने का order सिर्फ रोहित ही करता है।
रोहित:- (मेज़ के इर्दगिर्द अपने खरीदे हुए सामान को रखते हुए) "तुम्हे..... मेरा मतलब है आपको बिल्कुल भी भूख नही है??? मुझसे तो अब बर्दाश्त ही नही हो रही भूख।"
अविनाश :- "हाँ!!! अब daily का यही routine बन गया है, office से कभी कभी late हो जाता है, तो late ही खाने की आदत है।"
रोहित :- (अविनाश की आँखों मे गौर से देखते हुए) "तुमने..... मेरा मतलब है आपने, lenses पहने हुए हैं क्या???"
अविनाश :- (अपनी आँखों को मलते हुए) "नहीं तो!!!! And you can say तुम, I dont mind।"
रोहित :- (अविनाश को गौर से देखते हुए) "नहीं!! मुझे अच्छे से याद है तुम्हारी.... मतलब आपकी आँखे काले रंग की है, लेकिन अभी ये मुझे कुछ कुछ ब्राउन सी लग रही हैं।"
अविनाश :- "तुमने ध्यान से नही देखा होगा, मेरी आँखे तो हमेशा से ऐसी ही हैं। और तुम मेरी आँखों पर क्यों इतना ध्यान दे रहे हो?"
रोहित :- (अविनाश के चेहरे से नज़रें हटाते हुए) "नहीं वो तो बस नज़र पड़ गयी इसलिए बोल दिया।"
इतने में ही रोहित का order किया हुआ खाना, वहां मेज़ पर आ गया। रोहित ने अपना खाना खाया, और साथ-साथ कई बार अविनाश को भी खाने का offer दिया। लेकिन अविनाश ने हर वक्त अपना सर "ना" में ही हिलाया। और अपने mobile में व्यस्त रहा। खाना finish कर दोनों ने थोड़ा बचा हुआ सामान भी खरीदा। अब तक रात भी हो चली थी। और सारा सामान लेकर दोनों वापस flat पर आ गए। इस बार भी ज्यादातर सामान अविनाश ने ही उठाया। रोहित तो बस कम वजन के तीन चार bag ही लाने में, बुरी तरह से थक चुका था। अविनाश ने सारा सामान रोहित के flat के दरवाजे के बाहर ही रखा, और अपने flat का lock खोलने लगा।
रोहित :- (अपने हाँथो के bags को नीचे रखते हुए) "अब इतनी मदद की है, तो ये सारा सामान, अन्दर set करने भी थोड़ी help करदो।"
अविनाश :- "जरूर कर देता, लेकिन अब मेरी भूख का समय हो रहा है। और अब मुझसे control नही हो रहा। एक काम करो, सारा सामान अभी ऐसे ही रख दो, काल sunday है, आराम से set कर लेंगे।"
इतना कहकर अविनाश सीधा अपने flat के अंदर चला गया। और रोहित बाहर ही खड़ा सोचता रहा, कि "शायद बहुत तेज ही भूख लगी है, इसको। बिना bye, good night! बोले ही अंदर चला गया। और मुझे भी thanks बोलने का मौका नहीं दिया। फिर वह भी अपने flat के अंदर आ गया, और धीरे-धीरे सारा सामान भी अंदर ले आया। अपने bedroom को थोड़ा बहुत साफ किया, और जमीन पर ही गद्दा बिछाया और सो गया।
आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये रोहित और अविनाश की इस चमकते आज के साथ, शायद बिता कल या आने वाला समय इतना सुनहरा ना हो।
Lots of loveYuvraaj ❤️
Next part jaldi post karo yr bich Mai mat chhodo
ReplyDeleteThanks for reading dear. Next part will be uploaded soon.
DeleteNice part plz jaldi upload karna next part
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