Tuesday, August 11, 2020

"RADIANCE" Part - II

Hello friends,
                       If you haven't read it's first part, than please read it first, than you will get connected easily with this second part.



       अगली सुबह 6:00 बजे ही रोहित के दरवाजे पर दस्तक हुई।रोहित अभी सोकर नहीं उठा था। लेकिन दरवाजे की आवाज से उसकी नींद खुल गई। और अपनी आँखें मलते हुए, उसने दरवाजा खोला, और सामने अविनाश को खड़ा पाया।


रोहित :- "Hey good morning!!!"

अविनाश :- 'Good morning! हाँ, तो बताओ, क्या help करूँ।"

रोहित :- (आश्चर्य से) "क्या??? इतनी सुबह - सुबह!!! तुम्हे रात को नींद नही आई क्या? मतलब आपको??"

अविनाश :- (रोहित के flat में अंदर आते हुए) "मैं इसी time तक ready हो जाता हूँ, मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत है। और मैने कल भी तुम्हे कहा था, की तुम मुझे "तुम" कह कर बुला सकते हो, मुझे नही कोई problem है। ये बार-बार तुम और आप में confuse नही होना पड़ेगा।"

रोहित :- (अपने flat का दरवाज़ा बन्द करते हुए) "हाँ वो तो ठीक है, लेकिन फिर office में भी "तुम" बोलूंगा तो अच्छा नही लगेगा। तो आप को आप ही रहने देते हैं। वो तो तुम्हारी...... आपकी age बराबर की ही लगती है ना, इसलिए बार-बार "तुम" ही निकलता है। लेकिन आदत में आ जायेगा तो फिर इतना awkward नही लगेगा।"

अविनाश :- (कल खरीद कर लाये सामान को देखते हुए) "तो मतलब अभी मुझसे बात करना तुम्हे awkward लगता है।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "अरे नहीं! मुझे तो बहुत अच्छा लगता है, जब आपके पास होता हूं। मेरा मतलब है कि ये जो तुम-आप, तुम-आप हो रहा है ना, वो ठीक हो जाएगा थोड़े time बाद।"

अविनाश :- "तो मतलब मेरे साथ होने से तुम्हे अच्छा लगता है?"

        
         रोहित समझ तो गया था, कि उसने कुछ ऐसा बोल दिया है, जिसे अब वह explain नहीं कर सकता। अभी वह अविनाश को इतने अच्छे से भी नहीं जानता था, कि उसके साथ हंसी मजाक कर सके। और अविनाश के इस सवाल का जवाब वो हां या ना में भी नहीं दे सकता था। तो उसने बात काटना ही सही समझा।


रोहित :- "मैं बस 5-10 minutes में नहा-धोकर आता हूँ। तब तक आप अंदर room में wait करलो, फिर हम ये set कर लेंगे।"



          इतना कहकर रोहित जल्दी से bathroom में घुस जाता है। वैसे तो रोहित को नहाने-धोने की ऐसी कोई जल्दी नहीं थी। लेकिन इस बातचीत को टालने का रोहित के पास इससे अच्छा कोई उपाय भी नहीं था। 10 minute बाद जब रोहित bathroom से बाहर आया, तो अपने घर का नया रूप देखकर एकदम दंग रह गया। सारा घर साफ हो चुका था, और किसी नए paint किए हुए घर की तरह चम-चमा रहा था। जो भी थोड़ा बहुत सामान रोहित कल बाजार से लाया था, और जो अभी तक थैलों में भरा, उसके घर के फर्श पर, एक कोने में पड़ा हुआ था। वह सब भी व्यवस्थित तरीके से सजा हुआ था। रोहित ने अपने कमरे में झांका, तो वहां भी एक दम साफ सफाई थी। रोहित का बिस्तर भी सलीके से बना हुआ था, और उसका सारा सामान भी अच्छे से जमाया हुआ था। रोहित आगे बढ़कर hall से होता हुआ, kitchen की तरफ़ मुड़ा, तो वहां भी सारा सामान अच्छी तरह से, किसी सुंदर kitchen का रूप लिए हुए था। और अविनाश एक पतीले में शायद चाय और दूसरे पतीले में maggi बना रहा था। रोहित यह सब नजारा आश्चर्यचकित हुए देखे जा रहा था। रोहित को अपनी आंखों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा था,  कि अविनाश ने सिर्फ 10 minute में, वह भी बिना किसी आवाज किए, उसके घर का यह सुंदर काया कल्प कैसे कर दिया।



अविनाश :- (Kitchen में काम करते हुए) "आ जाओ, मैने तुम्हारे लिए breakfast बना दिया है। कुछ और मिला नही तो maggi ही बना दी।"

रोहित :- (आश्चर्य से) "तुमने इतनी जल्दी ये सब कैसे किआ???"

अविनाश :- "यहाँ ज्यादा कुछ करने को था ही कहाँ?? अच्छा ये hall थोड़ा खाली लग रहा है, इसके लिए sofa या कोई furniture ले सकते हो।"

रोहित :- "हाँ!!! अब next month लूंगा, अभी तो घर से पैसे मंगवा कर इस flat की lease ली है। salary आ जाये, फिर ले लूंगा।"

अविनाश :- "मेरे पास एक extra sofa पड़ा है। मैं अपने पुराने घर से साथ ले आया था। थोड़ा old fashion है, अगर चाहो तो वो ले सकते हो।"

रोहित :- "अरे नही!!! मैं next month तक ले लूंगा। अब इतनी help की है, वो ही काफी है। और help लेता हुआ, अच्छा नही लगूंगा।"

अविनाश :- (रोहित को maggi और चाय देते हुए) "तो मैं कोनसा free में लेने के लिए कह रहा हूँ। Half rate में ले लेना। मेरे पास तो extra ही पड़ा हुआ है। और next month जब सैलरी आ जाये तब मुझे pay कर देना।"

रोहित :- (चाय पीते हुए) "Ok!!! अच्छा option है!!! Hmmmmmm..... चाय तो काफी अच्छी बनाई है। बिल्कुल office canteen जैसी।"

अविनाश :- "Hmmmmm..... मैने तुम्हे कहते सुना था office में, की canteen की चाय तुम्हे बहुत अच्छी लगती है। इसलिए ठीक वैसी ही बनाने की कोशिश की थी।"

रोहित :- "Ohhhh!!!इतना ध्यान!!! Very good!!!और तुम्हारी चाय और maggi कहाँ है??? क्या सिर्फ मेरे लिए ही बनाई है???"

अविनाश :- "हाँ!! मैं तो breakfast करके आया हूँ, तो अब बिल्कुल मन नही।"

रोहित :- "Ok!! And thanks for all this, अगर तुम help नही करते तो मेरा सारा सामान अभी वैसा ही पड़ा होता।"

अविनाश :- (रोहित के घर से बाहर जाते हुए) "चलो तुम breakfast करो, मैं वो सोफा साफ करके लाता हूँ।"

रोहित :- (अविनाश के पीछे आते हुए) "अरे मैं भी साथ चलता हूँ, अकेले लाने में दिक्कत होगी।"

अविनाश :- "कोई दिक्कत नही होगी। मैं अकेले ला सकता हूँ। तुम अपना breakfast finish करो।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "हाँ!! Strong तो तुम काफी हो मैंने कल notice किआ था।"



          रोहित अविनाश के जाने के बाद दरवाजा बंद करके, अपने kitchen तक भी नहीं पहुंच पाता, तब तक वापस door bell बज जाती है। रोहित वापस जाकर दरवाजा खोलता है, तो अविनाश ही बाहर sofa लेकर खड़ा था।


रोहित :- "अरे अभी तो गए ही थे? क्या पहले से ही बाहर लाकर रख लिया था  ये sofa??"

अविनाश :-(sofa धकेल कर रोहित के hall में रखते हुए) "जो चीज़ जिसकी हो, उतनी जल्दी उसके पास पहुंच जाए, उतना अच्छा।"

रोहित :- "Hmmmmm.... लेकिन अभी तो तुम्हारी ही है, next month मेरी हो जाएगी ये चीज़। वैसे ये पुराना नही, काफी पुराना लग रहा है, एक दम antique type! आज कल इस तरीके का काम, वो भी sofa पर तो बिल्कुल नही मिलता। काफ़ी महँगा होगा ये तो??"

अविनाश :- "नहीं महँगा तो नही, लेकिन बहुत खास जरूर है, और बिल्कुल महँगा नही। चलो अब तुम आराम करो, कोई जरूरत हो तो बताना।"



         इतना कहकर अविनाश वापस अपने flat में चला गया। और रोहित के पास भी अब कोई काम नहीं बचा था। उसका सारा काम तो अविनाश ने मिनटों में ही खत्म कर दिया था। तो रोहित ने free समय पाकर इंदौर अपने घर video call कर अपने मम्मी पापा को अपने नए घर के दर्शन कराए। फिर अपने मुंबई वाले दोस्त और uncle aunty से भी phone पर बात की, और उन्हें भी अपने नए घर पर आने का न्योता दिया। और फिर अपनी diary को भी समय दिया।



"Dear diary,
                      जिसे मैं अभी तक सिर्फ eye candy समझ रहा था, वह तो बहुत ही ज्यादा strong, fast और बहुत ही helpful निकला। जब से मैं यहां आया हूं, तब से ही वह मेरी help कर रहा है। कल भी सारे सामान को बड़ी आसानी से मेरे flat तक पहुंचाया। और आज सारे घर की सफाई भी उसने अकेले ने ही की। और अभी अपना sofa भी मुझे दे गया। बहुत ही अच्छा बंदा है। और एक बात बताऊं, आज बातों ही बातों में मैंने उसे कह भी दिया, कि मुझे तो अच्छा लगता है, उसके साथ रहना। उसने भी notice कर लिया था। लेकिन फिर मैंने टाल दी वो बात। पता है, कल जब उसे पहली बार देखा ना, तो थोड़ा akward हो गया था, लेकिन आज उतना ही आसान लग रहा था। पता है, अभी भी पूरे घर में उसी की खुशबू आ रही है। ऐसा लग रहा है, जैसे यही आस पास है वह। और आज तो उसने मेरे लिए अपने हाथों से maggi और चाय भी बनाई। 100% relationship material है यह बंदा तो। वैसे मैंने अभी तक try भी नहीं किया है उस पर। straight लगता है। और office में senior है, Training officer है, इसलिए और मैं आगे नहीं बढ़ना चाहता। अभी तो training भी खत्म नहीं हुई। तो शुरू में ही पंगे नहीं चाहिए मुझे। और ऐसी job, वो भी मेरी degree के साथ, पता नहीं मुझे दोबारा मिलेगी भी या नहीं। इसलिए a big NO!!! और कितनी भी अच्छाई क्यों ना हो, बंदा बहुत खड़ूस है। चलो office का तो समझ आता है, आपको थोड़ा strickt रहना पड़ता होगा। लेकिन कल से मेरे साथ तो personal terms पर ही तो बात हो रही है ना, लेकिन फिर भी मैंने एक बार भी smile करते नहीं देखा उसे। इसलिए eye candy ही ठीक है। देख कर अच्छा लगता है, उसके साथ रहकर अच्छा लगता है, बस इतना ही काफी है। अरे flat के कुछ pics click करता हूं, और upload करता हूं, whatsapp और facebook पर। रोहन को भी तो थोड़ी मिर्ची लगानी है। Ok! Bye for now!! रात में मिलते हैं।"



         आज दोपहर में भी रोहित ने maggi से ही अपना पेट भरा। लेकिन रात को 8:00 बजे जब उसे भूख लगी, तो उसे फिर से maggi खाने का बिल्कुल मन नहीं हुआ। बहुत सोच-विचार के बाद, उसने तय किया, कि अभी बाहर ही कुछ खा आता है, और लौटते वक्त, आगे के खाने के लिए राशन और सब्जी लेते आएगा। रोहित तैयार होकर अपने flat का lock लगाता है, और सोचता है कि अविनाश को भी साथ चलने का पूछ लेता है। लेकिन उसे सुबह अपनी diary से की हुई बातें याद आती हैं, और वह अविनाश से दूरी बनाना ही सही समझ कर, अकेले ही lift की ओर बढ़ने लगता है। तभी अविनाश के flat का दरवाजा खुलता है। रोहित पलट कर देखता है, तो अविनाश अपने flat का दरवाजा lock कर उसकी तरफ ही आ रहा होता है।


अविनाश :- (रोहित की तरफ आते हुए) "मुझे क्यों नही बुलाया??"

रोहित :- (Lift का button दबाते हुए) "अरे मुझे लगा कि आप busy होंगे। और अब तो मुझे यही रहना है, तो कब तक हर काम के लिए आपकी help लेता रहूंगा।"

अविनाश :- "इतना ज्यादा भी सोचने की जरूरत नही है वैसे। अब तो हम पड़ोसी हैं, तो ये सब तो चलता ही रहेगा।"



         तभी lift  के दरवाजे खुलते हैं , और दोनों lift के अंदर आ जाते हैं। और रोहित अविनाश की तरफ मुस्कुरा कर देखता हुआ सोचता है, कि "जितना इससे दूर जाने का सोचो,उतना ही यह पास आता जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो मैं कैसे इससे दूर रह पाऊंगा। अभी तो सिर्फ attraction है, लेकिन कभी ना कभी तो यह feelings तो आगे बढ़ेगी ही ना। God knows क्या होगा?" कि तभी अविनाश भी रोहित की तरफ देख कर मुस्कुरा देता है।



रोहित :- (आश्चर्य से) "तुम मुस्कुराते भी हो??"

अविनाश :- (मुस्कुरा कर) "हाँ!! सभी मुस्कुराते हैं, इसमे कोई अजीब बात थोड़ी है।"

रोहित :- "हाँ!! लेकिन जबसे मैंने तुम्हें देखा है, मैंने तो मुस्कुराते हुए नही देखा। ये मेरा first time है। वैसे मुस्कुराया करो, तुम smile करते हुए, और भी ज्यादा cute लगते हो।"



        अविनाश मुस्कुराकर रोहित को "Thanks" कहता है, और दोनों lift से बाहर आ जाते हैं। लेकिन अब रोहित को अविनाश की आंखों में एक अलग ही चमक नज़र आने लगती है। दोनों building के पास वाले market में आ जाते हैं। रास्ते भर रोहित खुद को कोसता रहता है, कि "ये cute लगने वाली बात बोलने की क्या जरूरत थी" । दोनों रोहित के लिए राशन और सब्जी खरीदते हैं। रोहित पास ही के एक chainese counter पर खाने के लिए रुकता है।


रोहित :- "तुम्हे chainese पसंद है??"

अविनाश :- "मुझे तो इन्दौरी पसंद है!!"

रोहित :- (आश्चर्य से अविनाश की ओर देखते हुए) "क्या??"

अविनाश :- "अरे इस समय, इंदौर के सराफा बाजार में जो चाट market लगता है ना, मुझे वो बहुत पसंद है।"

रोहित :- "अच्छा!!!! मैं भी इंदौर से ही हूँ। मुझे भी वहाँ की चाट बहुत पसंद है। लेकिन अभी तो हम यहाँ है, तो बताओ क्या खाओगे तुम?"

अविनाश :- "नहीं! मैं कुछ नही खाऊंगा, मैं तो dinner करके आया हूँ।"

रोहित :- "इतनी जल्दी dinner भी कर लिया तुमने??"

अविनाश:- "हाँ!!! बताया था ना, आदत पड़ गयी है अब, अपने time पर ही खाने की। वैसे तुम manchurian try करो। अच्छा है यहाँ का।"

       रोहित अपने लिये खाना order करता है। और थोड़ी देर बाद दोनों वापस अपने घर लौट आते हैं।


अविनाश :- (अपने flat का lock खोलते हुए) "कल सुबह 8 बजे मुझे लेने cab आएगी। अगर चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो।"

रोहित :- (अपने flat का lock खोलते हुए) "8:00 बजे!!!!! लेकिन मेरा timing तो 10:30 पर शुरू होता है। इतनी जल्दी जाकर मै क्या करूँगा। तुम निकल जाना, मैं पहुंच जाऊंगा अपने time पर।"




           दोनों एक दूसरे को good night बोल कर वापस अपने अपने flat में आ जाते हैं। रोहित सारा सामान kitchen में रख, अपनी diary में अभी का सारा वाक्या लिखता है। और कुछ देर बाद सोने चला जाता है। आधी रात को रोहित की चौंक कर आंख खुलती है। और वह अपने bedroom में अविनाश को पाता है। रोहित आश्चर्य से बिस्तर से उठकर, कमरे की light on करता है, तो कमरे में उसके अलावा कोई और नहीं होता। वह सोचता है कि "शायद जो वो अविनाश का सपना देख रहा था, इसलिए उसे लगा होगा कि अविनाश वहीं उसके साथ है।" और रोहित light off कर वापस सो जाता है।


            अगली सुबह जब अविनाश office जाने के लिए निकला, lift का button दबाया, कि पीछे से रोहित की आवाज आई।


रोहित :- (जल्दबाज़ी में अपने flat का lock लगाते हुए) "Hey!!! Wait for me!! मैं भी चल रहा हूँ, तुम्हारे साथ।"

अविनाश :- "क्यों??? रात को तो मना कर रहे थे, फिर क्या हुआ?"

रोहित :- "हाँ वो रात को नींद नही आई सही से, और अभी सुबह भी जल्दी आँख खुल गयी। तो सोचा, तुम्हारे साथ ही चला जाऊं। कुछ काम भी pending है, जल्दी जाकर वो भी निपटा लूंगा।"


        Lift को ना आता देख, अविनाश ने security guard को phone लगाया, तो पता चला कि, maintenance के काम की वजह से lift बंद है, और 2 घंटे बंद ही रहेगी। दोनों को stairs से ही नीचे आना पड़ा। लेकिन नीचे आते वक्त रोहित अपनी बातों में इतना खोया था, कि उसे 1 stair का अंदाजा ही नहीं रहा, और वह गिरने ही वाला था, कि अविनाश ने उसका हाथ पकड़कर उसे संभाल लिया।



रोहित :- (हाँफते हुए) "Thanks!!! अग़र तुम नही पकड़ते तो आज बहुत चोट लगने वाली थी मुझे।"

अविनाश :- "Hmmmm.... तुम्हारा ध्यान जो सिर्फ बातों में था।"

रोहित :- (अविनाश का हाँथ छोड़, अपने कपड़े सही करते हुए) "लेकिन तुम्हारे हाँथ क्यों इतने ठंडे है? यहाँ तो AC भी नही है!!"

अविनाश :- "पता नही! मैने notice नही किआ।"


            दोनों cab से office आ जाते हैं। और अपने अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं। training के दौरान, रोहित कई बार अविनाश को देखकर smile pass करता है, लेकिन अब अविनाश के भी बर्ताव में, रोहित को लेकर अंतर आने लगता है। अब अविनाश भी रोहित की smile का उत्तर अपनी मुस्कुराहट से देता है, और अब पहले से कहीं ज्यादा रोहित पर ध्यान देता है। रोहित के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे कई techniques बताता है। अविनाश के व्यवहार को देखकर अब रोहित को भी समझ आने लगा है, कि अविनाश भी अब उसमें interest दिखा रहा है।



               Lunch time में भी रोहित सारी canteen में बार-बार अपनी नजरें दौड़ाकर अविनाश को ही तलाशता है। लेकिन उसे अविनाश कहीं भी नजर नहीं आता। शाम को office के बाद अविनाश रोहित को call करता है। और अपनी ही cab में साथ वापस चलने को कहता है।



रोहित :- (Cab में बैठते हुए) "Thanks for the ride!! वैसे मैंने अपना registration कर दिया है, अब कल से मुझे लेने sharing cab आने लगेगी।"

अविनाश :- "उसकी क्या जरूरत थी, मैंने अपनी शिफ्ट 10:00 बजे की select कर ली है, अब तुम मेरे साथ ही आ जाया करो। वैसे भी मैं तो अकेला ही आता जाता हूँ।"

रोहित:- "Ok! मैं office में inform कर दूंगा। वैसे तुम lunch भी कहीं अकेले में करते हो क्या??"

अविनाश:- "मतलब??"

रोहित :- "मैं canteen में तुम्हे देख रहा था, पर तुम कहीं दिखे ही नही।"

अविनाश :- "अरे वो तो मेरी एक client के साथ meeting थी, तो lunch भी उन्ही लोगो के साथ किआ था।"

रोहित :- "Ok! आज रात का क्या plan है? तुम्हे इन्दौरी flavour पसंद है ना, तो रात को मेरे साथ dinner करो। मैं तुम्हारे लिए कुछ special बनाता हूँ।"

अविनाश :- " अरे नहीं!!!  मैंने आज late lunch किया था, तो अब कुछ भी खाने का तो mood नहीं है। लेकिन मुझे खाना बनते देखना और उसकी खुशुब भी बहुत पसंद है। तो अगर तुम्हें कोई problem ना हो, तो मैं आ सकता हूं। तुम्हें खाना बनाते भी देख लूंगा।"

रोहित :- "Ok!! ऐसा तो मैने पहली बार सुना है। But anyways! आ जाना! मुझे अच्छा लगेगा।"



      रात को ठीक 8 बजे अविनाश, रोहित के flat पर पहुंच जाता है।


अविनाश :- " तो क्या बना रहे हो आज??  लाओ मैं बना देता हूं!! तुम तो hostel में रहते थे। तो मुझे नहीं लगता, कि तुम्हें सही से खाना बनाना भी आता होगा।"

रोहित :- " जब मेरे हाथ का खाना खाओगे, तब बता पाओगे कि मुझे खाना बनाना आता है या नहीं। वैसे सच में तुम्हें बिल्कुल भी भूख नहीं??? अब तो बहुत समय हो गया है, lunch किए हुए, थोड़ी बहुत भूख तो लग ही आई होगी??"

अविनाश :- " नहीं बिल्कुल नहीं!!! और office से आकर मैंने juice भी पी लिया था, तो बिल्कुल भूख नहीं।"

रोहित :- "Ok!! अब तुम तो खाओगे नहीं, तो मैं तो अपने लिए भरमा करेले बनाने का सोच रहा हूं। और मुझे भी करेले खाए बहुत समय हो गया। और यह मेरी पसंदीदा सब्जी है।"



         रोहित अविनाश से बातें करते हुए, करेले काटने लगता है। उसका ध्यान थोड़ा सा चूक जाता है, और चाकू उसके हाथ में लग जाता है। रोहित एक आह की आवाज़ के साथ, चाकू छोड़ अपना हाथ पकड़ने लगता है। और वह चाकू जमीन पर भी नहीं गिर पाता की, पलक झपकते ही hall के sofa पर बैठा अविनाश, तुरंत रोहित के पास, kitchen में पहुंच जाता है। रोहित के हाथ को अविनाश तुरंत sink में नल के नीचे लगाता है। और जितना खून रोहित के हाथों में नहीं होता, उससे कहीं ज्यादा तो अविनाश की आंखों में आ जाता है। धीरे-धीरे अविनाश का चेहरा भी लाल होने लगता है।


अविनाश :- (रोहित को डांटते हुए) "ध्यान कहाँ था तुम्हारा?"

रोहित :- (मुस्कुरा कर, अविनाश की ओर देखते हुए) " इतनी भी ज्यादा चोट नहीं है, जैसा कि तुम reaction दे रहे हो। और इतना क्यों परेशान हो रहे हो, जरा सा cut लगा है बस। चेहरा तो देखो अपना एकदम लाल हो गया है।"



        अविनाश रोहित का हाथ छोड़ता है, और भागता हुआ वहां से निकलकर अपने flat की ओर चला जाता है। रोहित बस सोच ही रहा होता है, कि "इसे क्या हुआ??" और इतने में ही अविनाश first aid box लेकर वापस भी आ जाता है। अविनाश रोहित को अपने साथ hall में लाता है, उसे sofa पर बैठा कर, उसके जख्म की मलहम पट्टी करता है।



अविनाश :- (पट्टी बांधते हुए) " मैंने कहा था ना, कि मैं बना देता हूं। मुझे पता था, कि तुम्हें खाना बनाना नहीं आता है।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "ये तुम्हारी ही वजह से ही हुआ है।"

अविनाश :- (रोहित की ओर देखते हुए) "मेरी वजह से???"

रोहित :- " हां!! तुम्हारी वजह से!!  मेरा ध्यान तुम्हारी आंखों की तरफ था। इसलिए वह करेला मेरे हाथ से छूट गया, और चाकू मेरे हाथ में लग गया। लेकिन मैं सही था, तुम्हारी आंखें फिर से अलग रंग की हो गयी हैं।"

अविनाश :- "वैसे मेरी आँखों पर ध्यान देने से ज्यादा important......"



       अविनाश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया, कि रोहित ने उसके होठों पर kiss कर दिया। अविनाश पीछे हटा, और बिना कुछ बोले, वहां से जाने लगा। रोहित ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका।


रोहित :- (अविनाश को रोक कर उसके सामने आते हुए) "I am sorry!!! Please इसे भूल जाओ। मैं खो गया था। अब दोबारा नही होगा कभी ऐसा।"


         अविनाश बिना कुछ बोले, अपनी नज़रें झुकाये, बस वहां खड़ा रहता है।


रोहित :- 'Please, I am sorry!!! अब फिर ऐसा नही होगा। कुछ तो बोलो?"

अविनाश :- "I love you!!"

रोहित :- (आश्चर्य से) " तो फिर ऐसे क्यों जा रहे थे?? जैसे मैंने कुछ गलत कर दिया हो। इन तीन-चार दिनों में, इतना तो मुझे भी समझ आ गया था, कि हमारे बीच कुछ तो connection है।"

अविनाश :- (अभी भी अपनी पलकें झुकाये हुए) "लेकिन ये सही नही है।"

रोहित :- " क्या पुराने जमाने की बात कर रहे हो!! अब सभी लोग समझते हैं कि प्यार - प्यार होता है। Gender की boundries में नही बाँध सकते प्यार को!!"

अविनाश :- (रोहित की आँखों मे देखते हुए) "मैं तुम्हारे लिए सही नही हूँ।"

रोहित :- (मुस्कुरा कर, अविनाश के गालों पर हाँथ रखते हुए) " यहां मेरा ख्याल रखते हो, Office में मेरा ख्याल रखते हो, मेरी care करते हो, मुझे पसंद करते हो, और अभी बोला, प्यार भी करते हो। तो तुमसे ज्यादा सही तो मेरे लिए कोई भी नहीं हो सकता।"



        रोहित अविनाश को अपने गले से लगा लेता है, और अविनाश भी रोहित को अपनी बाहों में भर लेता है। और दोनों ही प्यार के सागर में डूब जाते हैं। प्यार की ये चमक इन दोनों को और भी एक दूसरे के करीब, बहुत करीब ले आती है। रोहित कल तक जिन feelings को दबाने के बारे में सोच रहा था, अविनाश के साथ ने उन्हें प्यार की शक्ल दे दी है, जिसे अब चाह कर भी रोहित खुद से दूर नही कर सकता है। और दोनों ही प्यार के एहसास में, एक दूसरे के साथ बहे चले जाते हैं।



         आगे की कहानी क्या मोड़ लेती है? क्या रोहित का प्यार फिर से धोका देगा, या इस बार उम्र भर उसका साथ निभाएगा? अविनाश का ये अजीबोग़रीब बर्ताव रोहित को कितने दिन रास आ पायेगा? के सारि और बाते जानने के लिए बने रहे रोहित और अविनाश के साथ।



Lots of love
Yuvraaj ❤️




















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