Saturday, November 3, 2018

हत्यारा : एक इंसान या एक सोच Final part

Hello friends.....
          Here in this part you going to know who is the murderer and why he or she did that with Sumit. But it's my humble request to all of you, after reading this part please don't reveal it's suspense to anyone or anywhere. I know it's hard to keep secrets, but I am sure you can do that. Hope you like my this new writing attempt and this story as well. Waiting for your valuable comments. So please give your feedback, here, on fb, on Instagram, in messenger or anywhere, where you want. So let's find out the murderer with Inspector Jivba Ji. Dalvi.





Sub Inspector 1 :- (डाल्वी जी और बाकी की team से इस case को discuss करते हुए) "सर आपको क्या लगता है, की कातिल कोई उस लड़के का दोस्त ही है????"


डाल्वी जी :- "होना तो ऐसा ही चाहिए, क्योंकि यहां कोई और ऐसी वजह ही नही, की उस लड़के का murder किआ जाए। तो कातिल तो इन लोगों में से ही कोई होना चाहिए।"


Sub Inspector 2 :- "लेकिन सर बार बार एक ही सवाल अलग अलग तरीके से पूछने की आपकी इस तरीके से तो ऐसा ही लगा, की वो सब लोग सच ही बोल रहे थे, और postmortem की report के हिसाब से ये murder रात को 12 से 2 के बीच हुआ है, और समय तो ये सभी resort में ही थे।" 


डाल्वी जी :- "yes, you are right!!! बोल तो सभी सच ही रहे थे, लेकिन आधा सच!! कातिल कितनी भी होशियारी क्यों न दिखाए, लेकिन कोई न कोई सुराग तो छोड़ ही जाता है। बस हमें वही सुराग ढूंढना है। सबसे पहले तो वो resort की CCTV की recording से, कौन कितने बजे बाहर गया और कितने बजे वापस आया, ये रिपोर्ट कल मुझे तैयार करके दो, और दूसरी बात, postmortem की report के मुताबिक, उस लड़के के blood में नींद की दवा मिली है, तो यहां आस पास के सभी medical stores से पता करो, की इनमें से कोई भी ऐसी कोई दवा ले कर गया था क्या!! और फिलहाल बाकी सारे काम एक तरफ रख, हमे जल्द से जल्द इस केस को सुलझा कर, media में इस murder का आरोपी खड़ा करना है, कैसे भी!!! एक सैलानी के murder से, CM तक का pressure आने लगा है। तो आप सभी अभी सिर्फ इस case को ही priority दीजिये, और कल सुबह तक ये दोनों reports मुझे मेरी टेबल पर चाहिए।"



                  अगले दिन 16 सितम्बर की सुबह वो दोनों reports जिनका ज़िक्र डाल्वी जी ने कल की meeting में किया था, उनकी टेबल पर पहुंच गई थी, और डाल्वी जी के समयानुसार स्मिता, प्रीति, रुमित और चैतन्य भी police station पहुंच गए थे, और शिवांश और विवेक को भी lockup से बाहर ले आया गया था। डाल्वी जी की टेबल पर रखी रिपोर्ट को देखकर आज के सवाल जवाब का सिलसिला शुरू करने से पहले, डाल्वी जी ने अपने रात के सोच विचार के अनुसार, एक team को calangute beach पर विवेक की बताई जगह पर, उसकी मौजूदगी की पड़ताल करने, और सुमित के उस दिन वहां beach पर आने या ना आने के बारे में, जानकारी लेने के लिए रवाना कर दिया था। वहीं आज सभी से एक एक कर सवाल जवाब होने थे, और आज के सभी के बयानों को record भी किया जाना था। टेबल पर रखी उन रिपोर्ट्स को देखते हुए, डाल्वी जी ने शुरुआत की शिवांश से।


डाल्वी जी :- (शिवांश और typist को समझते हुए) "कल की जो भी कहानी थी उसे अपने दिमाग से निकाल दो, और आज जो भी बोलो, बहुत ही सोच समझ के बोलना, क्योकि आज का बयान ही तुम्हारी आगे की ज़िंदगी निर्धारित करेगा। और हवलदार तुम भी सब कुछ सही से type करना, कहीं कुछ छूट ना जाये, और हां अपना recoeder भी चालू रखना, वरना आज कल लोग यहां कुछ और बयान देते है, फिर कोर्ट में जा कर बदल जाते हैं। हाँ तो शिवांश, शुरू से शुरू हो जाओ। सुमित को कैसे जानते हो, कब मिले, यहां कैसे आये, सुमित से झगड़ा क्यों हुआ, और उसे कैसे मारा??"


शिवांश :- (आखिरी बात सुनकर, घबराते हुए) "ये आप क्या कह रहे हैं, सर!!! सुमित मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, मैं उसे नही मार सकता।" 


डाल्वी जी :- (हँसते हुए) "हाँ तो बाकी बातें तो बताओ। हवलदार, अपना recoerder सही से चालू करलो।"


शिवांश :- "सर सुमित मेरा बहुत अच्छा दोस्त था। हम college में मीले थे और तबसे हम साथ हैं, लेकिन फिर उसकी मुलाकात, विवेक से हो गयी, और वो धीरे धीरे मुझसे दूर हो गया। और सर मैं तो इस trip पर भी नही आना चाहता था, लेकिन सुमित ही मुझे जबरदस्ती लेकर आया। मैं उसे भला क्यों मारूंगा।"


डाल्वी जी :- "जैसे हर चोर कहता है कि उसने चोरी नही की, ऐसे ही हर खूनी कहता है कि उसने खून नही किया। खैर, ये बताओ, तुम्हारा झगड़ा क्यों हुआ था सुमित से??"


शिवांश :- "सर विवेक के कारण, मैं बिल्कुल पसंद नही विवेक को, और ना ही वो मुझे पसंद है। उसे हमारी दोस्ती पर ही शक था, सर!! इसलिए झगड़ा हुआ, और सुमित ने मुझे ही थप्पड़ मार दिया, जबकि मैंने सुमित को एक शब्द भी नही कहा, और चुपचाप अपने कमरे में चला गया। और सर, कल भी विवेक बेवजह मेरे कमरे का दरवाजा पीटने लगा, और मुझे मारने लगा। सर, विवेक को हमारे साथ से बहुत चिढ़ थी, वो तो 2 3 दिनों से मुझे सुमित के पास भी नही जाने दे रहा था। फिर जब उसे मेरे और सुमित के kiss वाली बात पता चली तो वो बहुत ज्यादा ही भड़क गया, और गुस्से में resort से निकल गया, और सुमित भी उसे मनाने ही उसके पीछे गया। सर, उसीने गुस्से में सुमित को मारा होगा, वो नही बर्दाश्त कर पा रहा था, मुझे सुमित के साथ, फिर ये kiss वाली बात तो बहुत बड़ी हो गयी होगी उसके लिए। सर, उसीने मारा होगा मेरे सुमित को (रोते हुए)"


डाल्वी जी :- (हँसते हुए) "अच्छा!!!! मतलब boyfriend वो है, और kiss तुम करो?? तो फिर उसे तो तुमको भी मारना चाहिए था!!"


शिवांश :- (आंसू पोंछते हुए) "सर ये बहुत पुरानी बात है, ऐसी कोई खास बात भी नही, kiss तो मैं करना चाहता था, सुमित के लिए तो ये बस दोस्ती का रिश्ता था।"


डाल्वी जी :- "मतलब तुम्हे जलन थी, की सुमित दोस्ती से आगे क्यों नही बड़ा!! अच्छा ये बताओ, सुमित के जाने के तुरंत बाद तुम भी उसके पीछे निकले resort से, तो तुमने सुमित को कहीं देखा???? और तुम कहाँ थे सारा दिन??"


शिवांश :- "सर, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था विवेक पर, गुस्से के कारण मेरा सिर फटा जा रहा था, इसलिए मैं resort से बाहर आ गया था। और हां, मैंने सुमित को beach की तरफ ही जाते देखा था, विवेक झूठ बोल रहा है कि सुमित beach पर आया ही नही, लेकिन मैंने खुद उसे beach पर जाते देखा, और इसलिए मैं फिर उस तरफ नही गया, क्योंकि फिरसे हमारी लड़ाई हो जाती, इसलिए मैं फिर मार्केट की तरफ चला गया, और सारा समय मे बस यहां वहां ही घूम रहा था।" 


डाल्वी जी :- "हाँ, अब आये न सही जगह पर, फिर मार्केट के एक medical store से तुमने नींद की दवाई ली.........।"


शिवांश :- (डाल्वी जी को बीच मे ही रोकते हुए) "नही सर, मैं तो सिर दर्द की दवाई लेने गया था। मेरे सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था।"


डाल्वी जी :- "अच्छा!!!! फिर क्या किआ तुमने???"


शिवांश :- "सर, मैं सारे समय इधर उधर ही घूमता फिरता रहा, मेरा वापस रिसोर्ट आने का बिल्कुल भी मन नही हो रहा था, और मैं तो वापस ग़ाज़ियाबाद जाने का भी सोच रहा था। फिर जब शाम को स्मिता दीदी का फ़ोन आया, की सुमित मिल नही रहा है कही, तब मैं वापस resort पहुंचा। हम सब ने उसे इधर उधर ढूंढने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन वो कहीं मिला ही नही। तो हम लोग कुछ 10 10:30 बजे वापस resort आ गए, और सुमित के खुद ही वापस लौट आने का इंतेज़ार करने लगे। लेकिन सर, हमे क्या पता था, की वो कभी वापस ही नही आएगा।"


                       डाल्वी जी और कोई सवाल पूछते, तभी बाहर से रोने की तेज आवाजे आने लगी। उन्होंने बाहर आकर देखा तो एक दंपति से स्मिता लिपट कर जोर जोर से रो रही थी। ये कोई और नही, वो अभागे माँ बाप थे, जिन्होंने एक अनजान कारण की वजह से अपना इकलौता बेटा खो दिया था। धर्मेंद्र जी की भावुकता किसी से छुपी नही थी, लेकिन करुणा जी जैसी सशक्त महिला को, इस कदर टूट कर रोते हुए, स्मिता और बाकी सब ने पहली बार देखा था। वो मंजर देख वहां मौजूद, सभी लोगों की आंखे भी नम हो गयी थी। उस वक़्त की नाजुकता को भांपते हुए, डाल्वी जी ने बिना किसी सवाल के, स्मिता, धर्मेंद्र जी और करुणा जी को police jeep में सरकारी हस्पताल के postmortem house में भिजवा दिया, जहां सुमित की लाश रखी हुई थी। विवेक के अनुग्रह करने पर डाल्वी जी ने उसे भी साथ जाने की इजाजत दे दी। बेटे को खो देने का दुख, किन्ही भी लफ्जों में बयां नही किया जा सकता। उस दुख का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता था कि, अभी तक ना तो धर्मेंद्र जी ने, ना ही करुणा जी ने, किसी से ये एक सवाल तक नही किया था, की उनके बेटे को क्या हो गया था? किस वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया गया? उनके लिए इस दर्द से उबर पाना ही मुश्किल था, की उनका बेटा, जो कुछ दिनों पहले उनका आशीर्वाद लेकर घर से निकला था, वो अब कभी उस घर मे वापस नही आ सकता था।



                     हस्पताल में सुमित को उस हालत में देखना, उन चारों में से किसी के लिए भी आसान नही था। Postmortem house के उस box में रखी वो लाश, किसी के लाडले बेटे की थी, किसी के प्यारे भाई की थी, और किसी की ज़िंदगी मे भरने वाले हसीन रंगों की थी। जो इस समय अपनी आंखें बंद किये, बेसुध लेटा हुआ था। सुमित को उस हालात में देख, चारों की आंखों में आंसू और मन मे एक मलाल था। करुणा जी और धर्मेंद्र जी के मन की पीड़ा, की उन्होंने सुमित को यहां आने ही क्यों दिया? ना वो यहां आता ना उसके साथ ऐसा होता। स्मिता के मन की टीस, की उसने सुमित को resort से जाने ही क्यों दिया? ना वो resort से जाता ना उसके साथ ये हादसा होता। विवेक के मन की चुभन, की उसने सुमित से झगड़ा ही क्यों किआ? अगर वो आराम से सुमित की बात सुन लेता, तो आज सुमित यूँ हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद किये यहां लेटा ना होता। लेकिन अब उन सभी के पास केवल अफसोस, और रोने के अलावा, कोई रास्ता भी नही था, अब सुमित को ना तो उनकी ग्लानि वापस ला सकती थी, ना ही उनका पछतावा।



                 डाल्वी जी ने सुमित की लाश को धर्मेंद्र जी और करुणा जी के साथ, सारी कानूनी कार्यवाही के बाद रवाना कर दिया, लेकिन सुमित के किसी भी दोस्त को गोआ छोड़ कर जाने की इजाजत नही थी। डाल्वी जी ने आगे की कार्यवाही के लिए, विवेक को उसके बयान के लिए बुलाया, और तब तक डाल्वी जी द्वारा भेजी गई team ने भी, विवेक की बताई जगह पर, उसके होने की पुष्टि कर दी थी।



डाल्वी जी :- "हाँ विवेक जी, आप बताइए आप कहाँ थे, सुमित से आपके संबंध, और झगड़ा होने की वजह??"


विवेक :- (भारी मन से) "हम दोनों साथ मे बेहद खुश थे सर, सुमित सिर्फ मेरा boyfriend नही, मेरी ज़िंदगी था। अब आगे मैं कैसे जीऊंगा उसके बिना, मैं नही जानता!! मैं तो सर उसे अपने घरवालों से भी मिलवा चुका था, और यहां से जाने के बाद हम सुमित के घरवालों को भी अपने रिश्ते के बारे में बताने वाले थे। अब ऐसे छोटे मोटे झगड़े तो हमारे बीच होते रहते थे, और कुछ समय बाद हम लोग एक दूसरे को मना भी लिया करते थे। 14 तारिक को हमारा....... हमारा आखिरी झगड़ा हुआ था, और मैं गुस्से में beach पर आकर बैठ गया था, और मुझे पूरी उम्मीद थी कि सुमित मुझसे बात करने वहां जरूर आएगा। और जैसा कि बाकी सबने बताया कि सुमित मुझसे बात करने ही resort से निकला भी था। लेकिन सर वो वहां beach पर मेरे पास आया ही नही। ये बात आप वहां वाटर स्पोर्ट्स वालों से भी पूछ सकते हो, मैं सारे समय वहीं था, और वो लोग भी बार बार आकर मुझे watar sport करने को बोल रहे थे, और इसी कारण से मेरा उनसे भी झगड़ा हो गया था, लेकिन मैं वहां से एक पल के लिए भी उठा नही था। फिर जब शाम को मैं वापस resort आया तब मुझे पता चला कि सुमित तो सुबह से ही यहां है ही नही। तब हम सब ने मिलकर उसे यहां वहां ढूढ़ने की कोशिश भी की, लेकिन वो हमें कहीं नही मिला। और सर वो ऐसे पहले भी गायब हो गया था, लेकिन तब मुझे beach पर ही मिल गया था, लेकिन हमने सोचा कि शायद गुस्से में कहीं ऐसी जगह चला गया हो, जहां हम उसे ढूढ़ न पाएं। इसी उम्मीद में की वो खुद ही वापस आ जायेगा, हम सब resort में वापस आ गए, लेकिन सर, सुबह police ने हमे आकर बताया कि सुमित का murder हो गया है। सर गलती मेरी ही है कि मैंने उससे झगड़ा किआ और वो resort से चला गया। लेकिन सर हम मे से कोई भी सुमित की जान तो नही ले सकता। (रोते हुए)"


डाल्वी जी :- "और जो कल आप शिवांश पर सुमित के खून का इल्जाम लगा रहे थे, उसका क्या??"


विवेक :- (अपने आंसू पोंछते हुए) "सर जबसे मैं शिवांश से मिला हूँ उसका व्यवहार मेरे लिए कुछ अच्छा नही रहा, और इसका जिक्र मैने जब भी सुमित से किया है, हमारा झगड़ा ही होता था। क्योंकि वो मेरी बात मानता ही नही था, और शिवांश का ही पक्ष लेता था, तो मुझे गुस्सा आ जाया करता था। लेकिन जबसे हम इस trip पर आए हैं, शिवांश का व्यवहार मेरे प्रति मुझे पहले से भी ज्यादा खराब लगा, और मुझे तो ऐसा भी लग रहा था, की वो मेरे और सुमित के बीच आने की कोशिश कर रहा है। 14 तारिक को जब हमारा झगड़ा हुआ तो उसकी वजह भी शिवांश ही था, लेकिन ये पहली बार था जब सुमित ने मेरा पक्ष लेते हुए शिवांश को थप्पड़ मार दिया था। कल तो जब चैतन्य ने मुझे बताया कि शिवांश ही गुस्से में सुमित के पीछे पीछे resort से निकला था, तो मुझे उस पर शक हुआ, और मुझे उस पर बहुत गुस्सा भी आया, इसलिए कल मेरी उससे हाथापाई भी हो गई थी। लेकिन सर रात भर सोचने के बाद, मुझे यही लगा कि शिवांश लड़ाई झगड़े तो कर सकता है, लेकिन सुमित को मार नही सकता।"



डाल्वी जी :- "देखिए विवेक जी मैं आपके दुख को समझता हूं, लेकिन ये एक murder case है, और आप सब पर शक करना मेरी duty।"



                 Beach पर water sports वालों के बयान के अनुसार, विवेक सारा समय वहीं बीच पर ही बैठा हुआ था, और उन्होंने ना तो विवेक को कहीं जाते देखा, ना ही किसी को विवेक के पास आते। और जिस समय सुमित का कत्ल हुआ, उस समय भी resort के CCTV में विवेक को reception पर स्मिता के साथ देखा जा सकता था। तो डाल्वी जी की शक की निगाहों से विवेक तो कुछ समय के लिए बाहर हो चुका था। लेकिन सभी के पिछले दिन के बयानों के आधार पर, डाल्वी जी को सबसे ज्यादा शक केवल इन तीन लोगों, विवेक, शिवांश और चैतन्य पर ही था। विवेक, शिवांश और सुमित के झगड़े इस कत्ल की वजह हो सकते थे। वहीं चैतन्य के पास कोई वजह तो नही थी लेकिन सुमित के रिसोर्ट से जाने के बाद शिवांश के साथ साथ चैतन्य भी resort के बाहर गया था, और जिस समय ये कत्ल हुआ, उस समय भी शिवांश भी अपने कमरे में था या नही इसका कोई सबूत नही, और वही चैतन्य भी उस समय resort के बाहर था। तो अपने शक के अंदाज़ पर डाल्वी जी शिवांश और विवेक से तो पूछताछ कर चुके थे, अब बारी थी चैतन्य की।



डाल्वी जी :- "बाकी बातें तो मैं आपसे बाद में पूछुंगा, पहले तो आप मुझे ये बताओ, की 14 तारीख को आप दो बार resort से अकेले निकले हो, तो आप कहाँ गए थे??? एक तो सुबह सुमित और शिवांश के पीछे, और दूसरा रात में 11:30 बजे??"


चैतन्य :- "सर सुबह विवेक, शिवांश और सुमित के झगड़े के बाद हम सब का भी mood खराब हो गया था, तो हम सब कहीं घूमने नही जाने वाले थे, तो मैं अपनी गाड़ी की servicing कराने चला गया था........"


डाल्वी जी :- (चैतन्य को बीच मे टोकते हुए) "कहाँ गए थे गाड़ी सही कराने  के लिए????"


चैतन्य :- "सर पणजी highway पर जो पहला गैराज है, मैं वहीं गया था। वहां मेरी entry भी है, आप पता कर सकते है। और रात को मैं bore हो रहा था, तो resort के बाहर ही जो beer baar है, मैं उसमे ही था, आप वहां भी पता कर सकते है।"


डाल्वी जी :- "हां जी, पता तो हम करवाएंगे ही, यही तो हमारा काम है। ज्यादा होशियारी भी कभी कभी खतरनाक हो सकती है, आपको पता है ऐसा कुछ???? चलिये छोड़िये, ये बताईये, की मार्केट में ही 2   3 गैराज है, आप उन सब को छोड़ के highway पर इतनी दूर क्यों गए??"


चैतन्य :- "जी सर, मैं पहले उन दोनों गैराजों पर ही गया था, लेकिन एक पर मेकैनिक नही था, और एक पर गाड़ी का oil नही था। उन्होंने ही मुझे ये highway वाले गैराज के बारे में बताया, तो फिर मुझे वहां जाना पड़ा।"


डाल्वी जी :- (चैतन्य की बताई दोनो जगहों पर अपनी team तप्तीश के लिए भेजने के बाद) "अच्छा!!! और फिर बाकी दिन आपने क्या किआ?"


चैतन्य :- "सर, कुछ खास नही। बस इन तीनो के झगड़ों से हम सभी परेशान हो गए थे। वो तो स्मिता इन नमूनों को अपने साथ ले आयी, वरना प्लान तो केवल हम चारों के आने का था।"



                     डाल्वी जी अपनी आगे की कार्यवाही तो करते ही रहे, लेकिन उन्हें अपनी भेजी team के वापस आने का इंतेज़ार था, जो उहोने चैतन्य के बताए पते पर पूछताछ के लिए भेजी थी। उन्हें उम्मीद थी, की शायद वहां से कोई सुराग मिल सके। और उनके सोचे मुताबिक, स्मिता, प्रीति और रुमित भी अपने बयानों में बस वही सब बातें दोहराए जा रहे थे, जो डाल्वी जी अब तक ना जाने कितनी बार सुन चुके थे। और इन तीनो के बयानों में, इस case को सुलझाने वाली, या कोई भी सुराग होंने वाली बात, डाल्वी जी को कहीं भी नजर नही आ रही थी। तो वापस डाल्वी जी के शक की सुई, विवेक, चैतन्य और शिवांश पर ही आकर अटक गयी थी। क्योंकि इनके अलावा किसी और पर शक करने, या कोई और कारण होने की कोई वजह ही नही थी। postmortem की report के अनुसार, सुमित के शरीर पर चाकू या फिर किसी तेज़ धारदार हथियार के निशान के अलावा, बस सिर पर एक गहरी चोट का ही निशान था, इसके अलावा उसके शरीर पर ना तो कोई घाव था, ना ही कोई खरोंच, इसका मतलब उसके साथ कोई हाथापाई नही हुई थी। उसके blood में भी केवल नींद की दवा की मात्रा पाई गई थी, मतलब कोई ड्रग्स, या फिर नशे की वजह से भी, उसका कत्ल नही किया गया था। सुमित को आखिरी बार resort से निकलता देखा गया था, लेकिन police द्वारा की गई छानबीन और आसपास के लोगों से की गई पूछताछ से, न तो सुमित को मार्केट, ना ही beach पर देखा गया था, लेकिन रात को 12 से 2 के बीच उसके murder के बाद, उसकी लाश को resort के पास ही beach पर पाया गया, इसका मतलब या तो सुमित दिन भर, resort और beach के आसपास ही कहीं था, या फिर उसको अगवा कर resort के बाहर से ले जाया गया, और फिर रात को मार कर beach की झाड़ियों में फेंक दिया गया। और दोनों ही सूरतों में इस पूरे घटनाक्रम में किसी बाहरी व्यक्ति के लिप्त होने की सम्भवना भी इस लिए नही थी, क्योंकि सुमित की ना तो यहां गोआ में और ना ही उसके अपने शहर ग़ाज़ियाबाद में, किसी से कोई दुश्मनी थी, की जिस कारण से उसका murder कर दिया गया हो। तो डाल्वी जी का शक सुमित के अपने दोस्तों पर करना अभी तक तो उनके हिसाब से सही था। लेकिन अब ये murder किसी अपने ने खुद किआ, या किसी को पैसे देकर करवाया, बस यही जानने की जद्दो जेहद में डाल्वी जी लगे हुए थे, और इस case को कैसे भी  जल्द से जल्द खत्म करने का जोर भी उनके ऊपर दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था।



                  अब तक दोपहर के खाने का वक़्त भी हो चला था, तो डाल्वी जी भी सुमित के दोस्तों को resort रवाना कर अपना lunch करने में व्यस्त थे। तभी उनके द्वारा भेजी गई team जो कि चैतन्य की बताई जगहों पर छानबीन के लिए गयी थी, आ चुकी थी। और डाल्वी जी भी अपना खाना छोड़, तुरंत उस टीम से सारी जानकारी लेने पहुंच गए। police की छानबीन से पता चला था कि चैतन्य ने जो भी अपने बयान में बताया, वो सब सही था। और चैतन्य सुबह अपनी गाड़ी की servesing के लिए पणजी highway के, उसके बताए गैराज पर ही था। और रात में भी resort के बाहर के beer baar के CCTV में उसे देख जा सकता था। Police की अब तक कि छानबीन से ये तो साफ था, की विवेक और चैतन्य के बयानों की पुष्टि, या तो कोई इंसान या फिर CCTV की recording ने कर दी थी। केवल शिवांश के ही दिन भर मार्केट में घूमने का सबूत न तो शिवांश के ही पास था, और न ही police को मिला था। बल्कि पुलिस को तो शिवांश के एक medical store पर मौजूद होने का सबूत भी मिला था, जहाँ से हो सकता था कि उसने वो नींद की दवाई ली हो, जिसके sample सुमित के blood में मीले थे।



               अपने शक को यकीन में बदलने, और गुनहगार से उसका गुनाह कबूलवाने के लिए, शाम तक डाल्वी जी ने सारी कानूनी कार्यवाही कर, शिवांश को गिरफ्तार करने के लिए, अपनी एक team को, resort के लिए रवाना कर दिया था। जो कि शिवांश को गिरफ्तार कर, आगे की कार्यवाही के लिए उसे police station ले आयी थी। पहले तो शिवांश से वही सब सवाल, जिनके जवाब वो कई बार दे चुका था, लेकिन थोड़े सख्त अंदाज में पूछे गए। और वही सब जवाब दोबारा पा कर, police ने अपने torture की सीमा को बड़ा दिया, और फिरसे शिवांश से वही सब पूछा गया, जो शिवांश इन 2 दिनों में ना जाने कितनी बार बता चुका था। लेकिन पुलिस को तो इस बार कुछ और ही सुनना था, जो सच था, और शायद जो डाल्वी जी के दिमाग मे भी था। police के torture, रात भर धीरे धीरे बढ़ते ही गए, और पुलिस वाले भी रुकने का नाम नही ले रहे थे। मानो वो लोग बस शिवांश के मुंह से बस एक यही बात सुनना चाहते थे, की सुमित का खून शिवांश ने किआ है। और इस सच को सुनने के लिए, शिवांश को चमड़े के बेल्टों से मारा गया, बर्फ पर नंगा लेटा कर, लाठियों से पीटा गया, उल्टा लटका कर, चाबुकों की बरसात की गई, और भी ना जाने क्या क्या यातनाएं, सहने के बाद भी शिवांश अपना बयान बदलकर, सच बोलने को तैयार ही नही था।



                    वहां resort में भी, शिवांश की गिरफ्तारी और police के लगाए आरोप से सभी सदमे में थे। स्मिता और विवेक तो ये मानने को ही तैयार नही थे, की शिवांश अपने दोस्त का खून, वो भी सिर्फ एक थप्पड़ के बदले के लिए कर सकता है। रुमित और चैतन्य ने भी बताया कि, 13 सितम्बर की रात, जब शिवांश, चैतन्य और रुमित के साथ बैठ कर beer पी रहा था, तब वो बहुत गुस्से में था, सुमित को बहुत भला बुरा भी कह रहा था, और विवेक और सुमित के रिश्ते से नाखुश भी था। लेकिन उन्होंने महज़ इसे शिवांश का गुस्सा और beer का नशा समझ के भूला दिया। उन लोगों ने भी ये नही सोचा था कि शिवांश जो वहां गुस्से और नशे की हालत में कह रहा है, अगले दिन वो वैसा कर भी देगा।



                  लेकिन वहां police station में इतने torture सहने के बाद भी शिवांश इस बात को स्वीकारने को ही तैयार नही था, की सुमित का खून उसी ने किआ है। Police की इतनी यतनाओं के बाद तो एक बेकसूर भी, किसी भी गुनाह को कबूलने के लिए तैयार हो ही जाता है, लेकिन शिवांश, अपने बयान से हटने को भी तैयार नही था। और शिवांश के इस व्यवहार ने, डाल्वी जी को भी मजबूर कर दिया, की वे सभी बयानों और सबूतों का एक बार फिर से निरिक्षण करें। और डाल्वी जी भी जुट गए, सभी बयानों और सभी CCTV recordings को एक बार फिर से जांचने में। और उनकी इस छानबीन में, डाल्वी जी को एक बहुत ही अहम जानकारी हाँथ लगी, जो शायद इस case को सुलझाने में मददगार साबित हो सकती थी। डाल्वी जी ने तो सबसे पहले शिवांश पर, रात भर से हो रहीं यतनाओं को रुकवाया, और एक बार फिर अंधेरे में तीर चलते हुए, अपनी एक team को रवाना किया, कुछ और जानकारियां हांसिल करने के लिए।




                  आज यानी 18 सितम्बर को इस case को 3 दिन हो चुके थे, और पुलिस के हाथों सिर्फ एक suspect था, जिसके खिलाफ उनके पास कोई अहम सबूत भी नही था, बस कुछ लोगों के बयान थे। पुलिस suspect से भी सच उगलवाने की कोशिश कर चुकी थी, जिसमे वो शायद सफल भी हो जाती, अगर डाल्वी जी उस प्रक्रिया को बीच मे ना रुकवाते तो। दोपहर तक डाल्वी जी द्वारा भेजी गई team ने वो जानकारियां ला कर उनके सामने रखी थी, जो इस murder mystery को आईने की तरह साफ करने में सक्षम थीं। असली मुजरिम को गिरफ्तार करने, और उसके मुंह से उसका गुनाह कबूलवाने के लिए एक बार फिर पुलिस निकली resort की ओर, जहां सुमित के अपने, उसके दोस्त थे। और उन्हीं दोस्तों में से एक को पुलिस गिरफ्तार कर अपने साथ police station ले आयी। पुलिस के जाते ही, सुमित के बचे हुए सारे दोस्त भी तुरंत police station पहुंचे, क्योंकि उनके लिए भी ये समझना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, की असली कातिल है कौन???? शिवांश, जो कल रात से ही पुलिस की गिरफ्त में है, या वो, जिसे पुलिस अभी अभी गिरफ्तार करके ले गयी है।



                पुलिस ने इस बार भी लाये suspect को torture room में ले जाकर पूछताछ शुरू की। और पुलिस की 4 लाठियों में, उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया। डाल्वी जी ने सबसे पहले तो उससे उस हथियार के बारे में पूछा, जिससे इस गुनाह को अंजाम दिया गया। हत्यारे की बताई जगह पर पुलिस को एक चाकू भी मिल गया, जिसे fingerprint test के लिए भेज दिया गया। इतने समय मे सुमित के बाकी दोस्त भी police station पहुंच चुके थे, और डाल्वी जी के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे।



डाल्वी जी :- (शिवांश को सहारा देकर लाते हुए) "लीजिये स्मिता जी, अपने दोस्त को अपने साथ ले जाइए, हमे हमारा गुनहगार मिल गया है।"


स्मिता :- (चौंकते हुए, सदमे में) "चैतन्य!!!!! लेकिन वो क्यों मरेगा सुमित को???? उसका क्या लेना देना सुमित से??"


                    स्मिता के साथ साथ, बाकी सभी को भी डाल्वी जी की यह बात सुनकर सदमा लगा था। क्योंकि किसी ने भी नही सोच था, कि चैतन्य, सुमित का खून भी कर सकता है। सभी के दिल और दिमाग मे उठते कई सवालों को पूर्ण विराम दिया डाल्वी जी ने।




डाल्वी जी :- "वैसे तो case से जुड़ी कोई भी बात हम किसी को नही बताते, लेकिन आप लोगों को कुछ बताने से मुझे हर्ज भी नही, और शायद अपने दोस्त और अपने करीबी के हत्यारे के बारे में जानने से आपको तसल्ली भी मिल सके, की पुलिस ने अपना काम सही, और इतने कम दिनों में कर लिया। और इस सब प्रक्रिया में जो कुछ भी शिवांश को सहना पड़ा, उसके लिए मैं सिर्फ उससे माफी ही मांग सकता हूँ। लेकिन हम भी कई सारे दायरों में बंधे होते हैं, और कई बार ना चाहते हुए भी हमे कई ऐसे कदम भी उठाने पड़ते है, जो बहुत ही सख्त होते है। असल मे केवल शिवांश के ही सच का हमारे पास कोई प्रमाण नही था, इसलिए इसे गिरफ्तार कर, खुद इसके मुह से सच निकलवाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता भी नही था। लेकिन ये तो शिवांश की हिम्मत और इसके विश्वास ने ही मुझे मजबूर कर दिया, की मैं एक बार फिर से इस case पर बारीकी से नजर दौड़ाऊं। और तब मुझे पता चला चैतन्य के बारे में। चैतन्य जब सुबह resort से निकला होगा, उसने तभी सुमित को अपने साथ ले लिया होगा, और उस गैराज तक पहुंचने से पहले ही उसे बेहोश कर दिया होगा। जिसका सबूत है, वो highway का medical वाला, जिसने कुछ पैसों के लालच में, बिना किसी डॉक्टर की सलाह के चैतन्य को कई सारे नींद के injection और गोलियां दे दी। फिर जब वो वापस रिसोर्ट में आया, तो या तो उसने सुमित को बेहोश ही गाड़ी में छोड़ दिया होगा, या कहीं छुपा दिया होगा। और फिर वो रात में उस beer baar में भी जानबूझ कर गया, ताकि वहाँ के CCTV Camera में वो अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सके, और हमे चकमा दे सके। और वो तो इसमें सफल भी हो गया था, वो तो पकड़ा गया, उस baar के अंदर लगे CCTV की recording से। शायद baar के अंधेरे के कारण उसने उस Camera पर ध्यान नही दिया, और अगर मैं, भी ध्यान ना देता तो हम तो अभी तक शिवांश को मुजरिम ठहरा चुके होते। उस CCTV के मुताबिक, चैतन्य baar के बाथरूम में गया और वापस 1 घंटे बाद आया। जब इसकी पूछताछ वहां के staff से की, तो बहुत मुश्किल में एक waiter ने अपना मुंह खोला, की उसने चैतन्य को बाथरूम की खिड़की से अंदर आते देखा था, और जिसका मुह बंद करने के लिए, चैतन्य ने उसे भी पैसे खिलाये थे। इन दोनों लोगों के बयानों ने हमारे शक को यकीन में बदल दिया, और अभी चैतन्य ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया है, और हमे वो चाकू भी मिल गया है, जिससे ये कत्ल किया गया। कल तक fingerprint report भी आ जायेगी।"


स्मिता :- (रोते हुए) "सर हो सकता है, कोई गलतफहमी हो, आप एक बार और अच्छे से देखिए please!!! चैतन्य ऐसा नही कर सकता!!!! सर, आप ही सोचिए, उसके पास कोई वजह ही नही है ऐसा करने की।"


डाल्वी जी :- "मैं आपका दुख और परेशानी समझ सकता हूँ। लेकिन चैतन्य अपना गुनाह कबूल कर चुका है। अब उसके ऐसा करने की क्या वजह है, वो भी हमे पता चल जाएगी। अभी पुलिस वही जानने की कोशिश कर कर रही है। अब आप सभी हमारी तरफ से बिल्कुल आज़ाद है। आप अपने घर जा सकते है। बस इस case की chargesheet court में दाखिल करने के बाद, आप लोगों को गवाही देने के लिए आना पड़ेगा।"



                        यूँ तो स्मिता, चैतन्य से मिलने की जिद्द कर रही थी। आखिर वो जानना चाहती थी, की जिस चैतन्य को, यहां से जाकर, वो अपने माता पिता से मिलवाना चाहती थी, उसके साथ घर बसाने वाली थी, उसी चैतन्य ने उसके छोटे भाई की ही जान क्यों ले ली?? लेकिन इस मुलाकात की इजाजत डाल्वी जी ने उसे नही दी, और थोड़ी सख्ती दिखाते हुए, उन सभी को वापस ग़ाज़ियाबाद के लिए रवाना कर दिया। उधर चैतन्य ने भी अपना गुनाह कबूल कर, इस murder की वजह को भी पुलिस को बता दिया था।



चैतन्य :- (रोते हुए) "सर मैं जानबूझ कर सुमित को नही मारना चाहता था। मैं तो बस उसे समझाने की कोशिश कर रहा था। जब मैं resort से निकला, तो मैं गाड़ी की servicing कराने ही जा रहा था। लेकिन निकलते ही मैंने सुमित को beach की तरफ जाते देखा, तो मैंने उसे रोका, और बोला कि, इतनी धूप में विवेक beach पर थोड़ी होगा, वो जरूर मार्केट की तरफ गया होगा, या किसी beer baar में गया होगा। तो सुमित को भी मेरी बात सही लगी। तो मैंने ही उसे अपने साथ चलने को बोला, की हम साथ मे विवेक को भी ढूंढ लेंगे, और मैं गाड़ी की भी servicing करा लूंगा। लेकिन मार्केट के दोनों गैराज में काम नही बना, तो उन्होंने मुझे highway के गैराज के बारे में बताया। सुमित तो वहीं उतर जाना चाहता था, लेकिन मैंने उसे नही जाने दिया, क्योंकि मुझे उससे कुछ बातें करनी थी। आगे रास्ते मे मैंने उसे, उसके GAY होने की बात, और विवेक से उसके रिश्ते की बात किसी को भी ना बताने को बोला, तो वो मुझ पर ही भड़कने लगा। और वो तो ये भी बोलने लगा, की यहां से जाते ही, वो अपने घर मे सब सच बता देगा, और विवेक से भी मिलवा देगा। तो मैंने, जैसे तैसे उसे, मेरी और स्मिता की शादी तक ऐसा ना करने के लिए मना लिया, और वो मान भी गया। लेकिन जैसे ही मैंने उसे, उसकी इस बीमारी के लिए, किसी doctor को दिखाने की बात की, तो वो तो और ज्यादा ही भड़क गया, और उल्टा मुझे ही समझाने लगा, की ये कोई बीमारी नही है, वगेरह, वगेरह!! और जब मैने उसे ऐसा कहा, की अगर उसकी ये बीमारी मेरे बच्चो में भी आ गयी, तो मैं तो उन्हें गला घोंट कर ही मार दूंगा, तो वो तो बहुत ज्यादा ही गुस्सा होने लगा, गाड़ी रोकने की बात करने लगा। सर, मैं तो बस मजाक ही कर रहा था, लेकिन वो तो मुझे ही सुनाने लगा। एक तो खुद GAY और मुझे ही नसीहतें देने लगा, तो मुझे भी गुस्सा आ गया, तो मैने भी थोड़ी गाली गंलोंच कर दी। तो फिर तो वो मुझे धमकी ही देने लगा, की स्मिता और उसके माँ पापा को बताएगा, की मैं एक बुरा इंसान हूँ, और मेरी शादी कभी भी स्मिता से नही होने देगा। सर मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, बात संभालने की भी बहुत कोशिश की, लेकिन वो तो कुछ सुनने को ही तैयार नही था। और जब वो गाड़ी का दरवाजा खोलकर, गाड़ी से ही कूदने की कोशिश करने लगा, तब मैंने उसे गाड़ी में रखे fire extinguisher को उसके सिर पर दे मारा, जिससे वो बेहोश हो गया। फिर मैंने रास्ते से एक medical store से बहुत से नींद के injection और गोलियां खरीदे। पहले तो मैंने उसे एक ही injection लगा कर, गाड़ी के पीछे वाली seat के नीचे लिटा दिया, और ऊपर से चादर उड़ा दिया। फिर गाड़ी की servicing करवा कर मैं वापस रिसोर्ट आ गया। मैं स्मिता को खोने के डर से घबरा गया था सर, इसलिए मैंने किसी को नही बताया कि सुमित मेरी गाड़ी में ही है, और मैं भी सभी के साथ उसे ढूंढने के नाटक करता रहा। लेकिन रात को सबके resort में वापस आने से पहले ही मैं सुमित के पास आया, और उसे होश में लाने की कोशिश की, क्योंकि मैं उसे समझा देना चाहता था, की वो ये बात किसी को ना बताये। लेकिन सर, वो तो कुछ सुनने को ही तैयार नही था, बेहोशी की हालत में भी सिर्फ यही बोले जा रहा था, की चैतन्य अच्छा नही है, स्मिता को उससे शादी नही करनी चाहिए। ये सुनकर तो मुझे बहुत गुस्सा आया, और मैने उसे एक और injection लगा दिया, और मैंने तय कर लिया था कि, सुमित को अब कभी भी होश नही आना चाहिए। और मैं यही सब सोच रहा था, की मैं, ये कैसे करूँगा, तभी मुझे शिवांश की बात याद आ गयी। एक रोज़, शिवांश ने मेरे और रुमित के सामने , नशे और गुस्से में, कहा था, की उसका मन कर रहा है कि वो सुमित और विवेक को जान से ही मार दे। मैने सोच लिया था कि इस murder का जिम्मेदार मैं शिवांश को ही ठहरा दूंगा, और सुमित से हुई लड़ाई, और रुमित के सामने बोली उस बात से कोई मुझ पर शक भी नही करेगा, और सब शिवांश को ही खूनी समझ लेंगे। लेकिन मुझे कुछ भी करने की जरूरत ही नही पड़ी और आप लोग, बिना मेरे कुछ बताये ही शिवांश को गिरफ्तार भी कर लाये। लेकिन मैंने ये नही सोचा था कि उस waiter के मुंह खोल देने की वजह से मैं पकड़ा जाऊंगा। असल मे मैं उस बार मे चला तो गया था, वहां के CCTV में आने के लिए, लेकिन वहां से बाहर जाने का कोई और रास्ता मुझे सूझ ही नही रहा था, जब मैं बाथरूम में गया, तो मुझे वो खिड़की दिखी तो मैं उसमे से ही बाहर आया, और वापस resort आकर, गाड़ी से सुमित को निकाल कर, खींच के beach तक ले गया, और वहीं उसे मार कर चाकू भी मैन रास्ते मे एक गड्ढे में पत्थर के नीचे दबा दिया। लेकिन जब मैं वापस उसी खिड़की से baar में अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, तो किसी ने आहट सुनी और waiter को वहां बुला दिया, और उस waiter ने मुझे खिड़की से अंदर आते देख लिया। मैंने उसे अपना मुंह बंद किये रहने के पैसे भी दिए, लेकिन वो कमजोर निकला। सर, मैंने ये सब मजबूरी में किआ, मैं स्मिता से बहुत प्यार करता हूँ, और मैं उसे खोना नही चाहता था।"



              चैतन्य के इस कबूलनामे की chargesheet court में दाखिल कर दी गयी थी, और court की सुनवाई तक, चैतन्य को जेल में बंदी बना लिया गया था। डाल्वी जी ने सुमित के murder की गुत्थी को अपनी सूझ बूझ से इतने कम समय मे ही सुलझा लिया था, जिसके लिए उनकी प्रंशसा भी हुई और उन्हें पदोन्नती भी दी गयी। लेकिन सुमित के माता-पिता, स्मिता, चैतन्य, शिवांश और विवेक, इनकी ज़िन्दगी को कैसे सुलझाया जा सकता था, जो सुमित के चले जाने के बाद, एक अंधेरे में उलझ कर रह गयी थी।



               चैतन्य के इस फैसले ने उसे स्मिता से तो हमेशा के लिए दूर कर ही दिया था, साथ ही साथ सुमित को भी वहां पहुंचा दिया था, जहां से अब उसका वापस आ पाना नामुम्किन था। चैतन्य को अपने किये की सजा तो मिल ही जाएगी, उम्रकैद या कुछ सालों की जेल, लेकिन क्या ये सजा सुमित को वापस ला पाएगी?? क्या ये सजा, शिवांश को उसका दोस्त, विवेक को उसके जीवन का हमसफर, और व्यास परिवार को उनका बेटा लौटा पाएगी? और सबसे बड़ी बात, क्या ये सजा, चैतन्य की उस संकीर्ण सोच को बदल पाएगी, वो सोच जो कहीं ना कहीं इस पूरे घटनाक्रम की अहम वजह बन गयी थी।



                 आज भी हमारे समाज मे इस संकीर्ण सोच की बहुतायत है, जो GAYS को कोई बीमारी, एक गंदगी या सिर्फ मनोरंजन की वस्तु समझते है। 377 धारा का हटना, सिर्फ इस सोच को बदलने की ओर एक बहुत ही छोटा सा कदम है, अभी भी एक बहुत लंबी जंग बाकी है। जब तक इस घटिया और संकीर्ण सोच का खात्मा, पूरी तरह से हमारे सम्पूर्ण समाज से नही होता, तब तक ना जाने कितने सुमित इस सोच की बली चढ़ते रहेंगे।

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Lots of Love
Yuvraaj ❤️



3 comments:

  1. You are absolutely right Mr. Yubraaj jb tk smaaj apni soch nhi badal Leta tb tk n jaane kitni problems ko face krna parega

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    1. Yes... This is true... And thanks for reading my story.

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  2. लिखते अच्छा हो तुम युवराज
    Shayarshubh here

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