Thursday, November 1, 2018

हत्यारा : एक इंसान या एक सोच Part - III

Hello friends.....
         First read the previous parts of this story, than you can easily be connected with this part.



                   अगले दिन 7 सितम्बर की सुबह सारी तैयारी कर चैतन्य अपनी scorpio गाड़ी लिए स्मिता को लेने उसके घर आ गया था। इतना जल्दी प्लान बना तो ट्रैन या हवाई जहाज से बेहतर रोड से जाना ही सही लगा। दूरी तो काफी होने वाली थी, इसलिए आराम से बीच मे रुक कर सफर करना तय हुआ। स्मिता तो बाहर आ गयी, लेकिन जैसे ही चैतन्य ने सुमित को बैग लिए तैयार आते देखा, उसका तो mood ही खराब हो गया। करुणा जी और धर्मेंद्र जी ने दोनों बच्चों को एक दूसरे का ख्याल रखने का बोल कर विदा किया। आगे रास्ते से शिवांश, प्रीति और रुमित को भी ले लिया गया। और ग़ाज़ियाबाद highway से विवेक भी इस सफर में शामिल हुआ। गोआ तक का ये सफर दो पड़ावों के साथ तय करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका था। ग़ाज़ियाबाद से ग्वालियर, गुना के रास्ते, पहला पड़ाव इंदौर में चुना गया। फिर इंदौर से अगला पड़ाव शिर्डी और फिर शिर्डी से गोआ तक का ये सफर 3 दिनों में तय करना था। सभी जगह रुकने के लिए hotal की सारी booking रुमित ने online करवा ली थी।



                  7 सितम्बर 2018 को ये सफर शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य 9 सितम्बर की रात या 10 सितम्बर की सुबह गोआ पहुंचना था। गाड़ी तो अभी चैतन्य चला रहा था, जिसकी अदला बदली रुमित के साथ कि जानी थी, अब तकरीबन 2000 km का सफर एक इंसान की दम पर कर पाना थोड़ा मुश्किल था। अभी गाड़ी की front seat पर स्मिता, बीच वाली पर सुमित, विवेक और शिवांश और सबसे पीछे वाली पर रुमित और प्रीति बैठे हुए थे।


चैतन्य :- (ग़ाज़ियाबाद से निकलकर, थोड़ा फुसफुसाते हुए) "अपने भाई को साथ लाने की क्या जरूरत थी।"


स्मिता :- (उसी स्वर में मुस्कुराते हुए) "कोई दिक्कत हो तो हम लोग यहीं उतर जाते हैं।"



                      गाते - गुनगुनाते, हंसते - मुस्कुराते ये सफर शुरू तो हो चुका था। सबका एक दूसरे से परिचय भी स्मिता और सुमित ने करवा दिया था, लेकिन सभी के बीच की असहजता को आसानी से महसूस किया जा सकता था। सुमित और उसके boyfriend को देख कर, चैतन्य की असहजता। सुमित और विवेक को साथ देख कर, शिवांश की असहजता। और खुद के प्रति शिवांश का रुखा सा ये व्यवहार देख कर, विवेक की असहजता। लेकिन इन सभी मे सबसे ज्यादा खुश थे, रुमित, प्रीति और सुमित। रुमित और प्रीति, बड़े दिनों के बाद कहीं घूमने फिरने निकले थे, तो प्यार मोहब्बत की बातें, सबसे पीछे वाली सीट पर शुरू हो चुकी थी। वही चैतन्य ने भी बाकी सभी को ignore कर, स्मिता को मनाना शुरू कर दिया था। सुमित और विवेक यूँ तो अपना अधिकांश समय एक दूसरे के साथ ही बिताते थे, लेकिन तब उन्हें एक दायरे में रहना पड़ता था, और यहां उन्हें किसी भी बात की फिक्र करने की कोई जरूरत नही थी। तो एक दूसरे का हाँथ पकड़ना, एक दूसरे के गले मे हाथ डालना, हंसी मजाक में एक दूसरे के गालों पर प्यारी सी पप्पी देना, ये सब जहाँ उनके और बाकी लोगों के लिए आम बात थी, वहीं शिवांश के लिए ये सब देख पाना बहुत कठिन। शिवांश अब तो मन ही मन अपने आप को कोसने भी लगा था, की कोई भी कारण देकर वो साथ आने को मना कर सकता था, लेकिन पता नही क्यों वो साथ आ गया। बस यूँही, हंसी-खुशी आज का सफर अपनी मंजिल तक पहुंच गया था।



                चूंकि स्मिता ने केवल अपने 2 दोस्तों के साथ चलने की ही बात की थी, तो रुमित ने सभी जगह केवल 3 कमरे ही book करवाये थे। तो जब इंदौर में ये बात पता चली की किसी एक को किसी के साथ कमरे में adjust होना पड़ेगा, तो उन्हें थोड़ी असहजता हुई।

शिवांश :- "नही ऐसा करने की कोई जरूरत नही आप सभी couple's एक एक room लेलो, मैं अपने लिए एक अलग room book कर लेता हूँ, तो किसी को कोई problem नही होगी।"


सुमित :- "Don't be mad!!! रात के 1 बज रहे हैं, और सुबह हमे वापस निकलना है। तो बस कुछ घंटों के लिए क्यों अलग room लेना। तू हमारे साथ चल, हम तीनो एक room share कर लेंगे।"


प्रीति :- "हां!! सुमित सही कह रहा है, अब होटल वाला charge तो पूरा लेगा, और हमे कुछ घंटे ही आराम तो करना है बस। ज्यादा हो तो एक extra bed लगवा लो room में।"


विवेक :- (कमरे में जाते हुए, सुमित के कान में फुसफुसाते हुए) "यहां तो ठीक है, लेकिन ऐसा गोआ में नही हो पायेगा। वहां मुझे single room चाहिए, तुम्हारे साथ।"



                    जो बडा सा पत्थर शिवांश अपने दिल पर रख कर सुमित और विवेक के कमरे में आ गया था, उसे वो अपनी आंखों पर भी रख लेना चाहता था। सुमित और विवेक को परेशानी ना हो, इसलिए वो सोफे पर भी सो गया, लेकिन सुमित और विवेक की फुसफुसाहट और उनकी धीमी हंसी ने उसे सोने ना दिया। और जब उसके कानों में सुमित और विवेक की वो हंसी घर कर गयी थी, तो फिर उसे नींद भी कहाँ आने वाली थी। और वो सारी रात जगता रहा, सिर्फ इस इंतेज़ार में की कब सुबह हो, और वो उस कमरे से बाहर जा सके। उसे ज्यादा इंतेज़ार भी नही करना पड़ा, और सुबह 6 बजे सभी तैयार हो कर अपने आगे के सफर पर निकल पड़े। लेकिन आज गाड़ी रुमित चलाने वाला था, तो रुमित प्रीति की seat लेली स्मिता और चैतन्य ने, और सभी निकल पड़े शिर्डी की ओर। रास्ते मे खाना पीना कर, मौज मस्ती में शाम को शिर्डी भी पहुंच गए। तब तक स्मिता और चैतन्य के बीच का मनमुटाव कुछ हद तक कम भी हो चुका था। वहीं रात भर न सो पाने के कारण शिवांश की तबियत थोड़ी बिगड़ गयी थी, और वो गाड़ी में भी कई बार, सुमित के कंधे पर सिर रख कर कुछ झपकियां भी ले चुका था। लेकिन एक तो रात भर न सो पाने के कारण, और दो दिन के सफर की थकान के कारण उसे उल्टियां भी होने लगी थी। होटल पहुंच कर इस बार भी शिवांश को सुमित अपने कमरे में ही ले गया, और सब नाहा धोकर, साईं बाबा के दर्शन को भी चले गए। लेकिन विवेक के ज़ोर देने पर भी सुमित होटल में ही शिवांश की देखभाल के लिए रुक गया।



                रात को भी सोते समय, शिवांश के बहुत मना करने के बावजूद भी, सुमित ने विवेक को ही सोफे पर सोने के लिए भेज दिया। अब विवेक को भी कहीं ना कहीं, शिवांश का इस trip पर होना खटकने लगा था। रात भर सुमित ने शिवांश का खूब ख्याल रखा, कभी उसका सिर दबाता, कभी हाँथ पेर दबाता, कभी बालों में उंगलियां फिरा कर शिवांश को सुलाता। ना जाने कितनी रातों के बाद, शिवांश इस रात को बहुत ही चैन के साथ, सुमित के साथ, अपने पुराने समय को याद करते हुए सोया था। रात भर अपनी नींद पूरी कर लेने से, शिवांश की तबियत भी अब ठीक हो चुकी थी। और फिर 9 सितम्बर की सुबह, सभी लोग फिर से अपने सफर को आगे बढ़ाते हुए, रात तक गोआ के calangute के उस casa de goa, resort में पहुंच गए, जहां रुमित ने पहले से ही 3 room book करवा रखे थे। और इस बार शिवांश ने सबकी नजरों से बचकर, reception पर जा कर अपने लिए एक अलग room book करवा लिया। सभी ने रात का खाना साथ खाया, और सभी एक दूसरे को good night बोल कर अपने अपने कमरों में सोने जाने लगे। लेकिन जब शिवांश किसी दूसरे कमरे की ओर जाने लगा तो सुमित ने उसे टोका।


सुमित :- "वहां कहाँ जा रहा है, अपना room तो इस तरफ है।"


शिवांश :- "नहीं यार पहले की बात और थी, लेकिन अब मैं तुम दोनों के बीच कबाब में हड्डी नही बनना चाहता। इसलिए मैंने अपने लिए अलग room book कर लिया है।"


सुमित :- "अरे पागल है क्या, ऐसी कोई बात नही है, तू कोई हड्डी नही, मेरा bestest friend है।"


विवेक :- (दोनो को बात करने से रोकते हुए) "अब जाने दो उसे, अपने room में सोफे पर सोने से अच्छा है, की वो अलग room में आराम से bed पर सोये, हैना शिवांश??"


शिवांश :- "हाँ!! चलो bye good night! कल मिलते हैं।"


विवेक :- (अपने कमरे में आने के बाद) "बडा प्यार आ रहा था, अपने bestest friend पर!"


सुमित :- "हाँ तो क्या बोलता, की तुने अच्छा किआ, हमे भी थोड़ी privacy की जरूरत थी!" 


विवेक :- "लेकिन तुमने शिवांश का चेहरा देखा, वो बिल्कुल खुश नही था, अलग कमरे में जाने से। उसे तो तुम्हारे साथ रहने में ही अच्छा लगता है।"


सुमित :- "कुछ भी!!! अगर ऐसा ही होता तो वो college भी क्यों छोड़ता, मेरे साथ job भी कर लेता। ऐसा कुछ भी नही है।"


विवेक :- "मुझे नही पता, लेकिन वो जब भी तुम्हे देखता है,उसकी आँखों मे साफ दिखता है, की वो तुम्हे दोस्त से बड कर ही मानता है।"


सुमित :- (विवेक के गले मे अपने हांथो का हार डालते हुए) "उसे छोड़ो, तुम तो ये बताओ कि मेरी आँखों मे क्या दिख रहा है, तुम्हे???"



                   आज की रात सुमित के लिए बहुत खास थी, क्योंकि अपने इन 3 साल के रिश्ते में, सुमित और विवेक आज पहली बार एक दूसरे के बेहद, बेहद करीब आये थे। आज की रात सुमित और विवेक के रिश्ते ने, प्यार के सफर के हर रास्ते को पूरा कर लिया था। लेकिन इस रात की शुरुआत जितनी सुखद हुई थी, इसका अंत उतना खुशनुमा नही हुआ। सुबह के 4 बजे के आस पास, शिवांश का फ़ोन सुमित के पास आया, और उसने अपनी तबियत सही ना होने का कारण देकर, सुमित को अपने कमरे में बुलाया। और सुमित विवेक को सोता छोड़, शिवांश के कमरे में चला गया। शिवांश की तबियत तो वेसे एक दम ठीक थी, लेकिन सुमित को अपने पास बुलाने का कोई और उपाय शिवांश को नही सूझा। जिन भावनाओ को वो सालों पहले दबा कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था, सुमित के साथ ने उन इक्छाओं को पुनः जाग्रत कर दिया था। सुमित जब शिवांश के कमरे में पहुंचा, तो शिवांश ने अपने सिर में बहुत ही तेज़ दर्द होना बताया, जिस पर सुमित शिवांश के सिर में बाम लगा कर उसका सिर दबाने लगा, और दोनो की कब आंख लग गयी उन्हें पता ही नही चला।



              अगले दिन 10 सितम्बर की सुबह जब विवेक की आंख खुली और उसने सुमित को अपने पास नही पाया, तो उसने सुमित को फ़ोन लगाया, तब उसे पता चला कि रात में शिवांश की तबियत खराब होने की वजह से सुमित रात से उसके पास ही है। ये सुनकर विवेक को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन इसके लिए वो कुछ कर भी नही सका। उस दिन सभी ने calangute beach पर ही सारा दिन बिताया, मौज मस्ती और water sports के लुत्फ उठाये। रात में सभी ने beach के ही एक night club में जाना तय किया। रात की शुरुआत सभी ने beer और breezer के साथ कि, और dancing floor की तरफ रुख किया। विवेक अपना सारा समय सुमित के साथ ही बिताना चाह रहा था, लेकिन शिवांश की मौजूदगी ऐसा होने नही दे रही थी। प्रीति, रुमित और चैतन्य, स्मिता तो आपस मे मशरूफ थे, लेकिन शिवांश, विवेक और सुमित के बीच एक दीवार बना खड़ा था। जिसे भांपते हुए विवेक सुमित को club से बाहर ले आया।


विवेक :- "चलो थोड़ा वक्त beach पर ही बैठते है, यहां शोर शराबे में मुझे अच्छा नही लग रहा।"


सुमित :- "हाँ यार! मन तो मेरा भी बहुत है तुम्हारे साथ अकेले में time बिताने का, लेकिन हम अगर अभी ऐसे चले जायेंगे तो, बाकियों को तो कोई फर्क नही पड़ेगा, लेकिन शिवांश एक दम अकेला पड़ जायेगा।"


विवेक :- (शिवांश का नाम सुनते ही चिढ़ते हुए) "अरे तो वो कोई छोटा बच्चा थोड़ी है, he can manage himself. काल रात भी तुम मुझे छोड़ के उसके पास चले गए, लेकिन मैंने कुछ नही कहा। अब क्या शिवांश के चलते हम enjoy भी नही करेंगे क्या??"


सुमित :- ( विवेक के गुस्से को समझते हुए) "अरे यार!!! वो यहां सिर्फ मेरे कहने पर आया है,और मैं ही यहां लाकर उसे अकेला छोड़ दूं, कैसा लगेगा उसे। और कल तो उसकी तबियत ठीक नही थी, मैं तुम्हे बताना चाहता था, लेकिन तुम गहरी नींद में थे, तो मैंने जगाना सही नही समझा।"


विवेक :- (झुंझलाते हुए) "उसके लिए मुझे ignore करने का तुम्हारा ये behaviour मुझे बिल्कुल पसंद नही आ रहा है। तुम्हारे लिए मैं important हूँ, या वो??"


 सुमित :- (प्यार से विवेक को समझाते हुए) "नही यार ऐसा बिल्कुल नही है। मैं तो बहुत खुश हूँ, की यहां मुझे तुम्हारे साथ quality time बिताने को मिल रहा है। हम चलेंगे न beach पर, लेकिन थोड़ी देर से चलते हैं ना, तब तक ये लोग भी resort लौट जाएंगे।"


                    विवेक को सुमित की ये बात बिल्कुल अच्छी नही लगी, की उसने शिवांश के लिए उसकी ही बात को ठुकरा दिया। विवेक ने लेकिन फिर एक शब्द और नही कहा, और गुस्से में सुमित का हाँथ झटक, resort की तरफ चला गया। सुमित भी उसे मनाने के लिए उसके पीछे आ ही रहा था कि शिवांश ने उसे आवाज दे कर रोक दिया।


शिवांश :- "I am really sorry यार!!! मेरी वजह से विवेक तुझसे गुस्सा हो गया।"


सुमित :- "अरे नही यार! वो तो बस थक गया है, इसलिए वापस resort चला गया।"


शिवांश :- "मुझसे झूठ बोलने की कोई जरूरत नही तुझे। मैंने तुम दोनों की सारी बात सुन ली है। और यार ये मेरी ही गलती है, इसलिए मैं आने के लिए मना कर रहा था, लेकिन तू सुनने को ही तैयार नही था।"


सुमित :- "नही यार शिवांश सच मे, ऐसी कोई बात नही है। वो तो बस मैं उसे सही से time नही दे पा रहा हूँ, इसलिए थोड़ा सा नाराज है, बस।"


शिवांश :- "थोड़ा सा?? मैने देखा उसने कैसे behave किआ तेरे साथ। मेरे हिसाब से तुझे उसे थोड़ा समय अकेले छोड़ देना चाहिए, जब उसका गुस्सा ठंडा हो जाएगा, तो उसे खुद अपनी गलती समझ आ जायेगी।"


सुमित :- "नही यार! ऐसी कोई बात नही। मैं अभी जा कर उससे बात करता हूँ, और उसे वापस लेकर आता हूँ।


शिवांश :- "अरे नही! तू मेरी बात मान। अभी वो गुस्से में है, कुछ नही सुनेगा तेरी, उल्टा तुझे ही कुछ भला बुरा बोल देगा, तो बात और बड़ जाएगी। उसे थोड़ा समय दे, और तू मेरी बात सुन....."


                     शिवांश सुमित को अपनी बातों में उलझा कर जानबूझ कर उसे club से दूर, beach पर ले आता है। और विवेक के बारे में कई सवाल - जवाब, कई सारी बातें करने लगता है। असल मे वो बस सुमित को विवेक से दूर रखना चाह रहा था, जिससे वो उन दोनों के बीच की दूरी को बड़ा सके। उधर जब विवेक resort तक पहुंचा, तब तक उसका गुस्सा भी शांत हो चुका था, और उसे भी समझ आया कि इतनी सी बात के लिए उसे सुमित के साथ ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था। सुमित से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने, और उसे मनाने, जब विवेक night club वापस आया, तो बाकी लोगों से उसे पता चला कि सुमित और शिवांश तो काफी देर से वहाँ नहीं हैं। विवेक ने जब बाहर आकर यहाँ वहां ढूंढा, तो beach पर सुमित, शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठा हुआ दिखा। सुमित को शिवांश के साथ ऐसे बैठा, देख कर, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। लेकिन फिर भी खुद पर संयम रख कर वो वहां उन दोनों के पास जाकर उन्हें कुछ कहने के बजाय वापस वहां से अपने resort के कमरे में आ गया। थोड़ी देर बाद सुमित भी वापस resort में आ गया, और उसने विवेक से बात भी करनी चाही। लेकिन विवेक, नींद आने का बहाना देकर, कल बात करने के लिए कह कर, एक तरफ करवट करके लेट गया। लेकिन विवेक जैसे ही अपनी आंखें बंद करता, उसे सुमित का शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठे होने का दृश्य ही दिखाई देता। जिस वजह से उस रात बहुत देर से विवेक को नींद आयी। उसे सुमित के प्यार पर शक तो नही था, लेकिन शिवांश के साथ से एतराज जरूर था। और शिवांश इस एतराज का फायदा बहुत ही अच्छे से उठा रहा था।



                    अगले दिन यानी 11 सितम्बर को सभी ने south गोआ घूमने का प्लान बनाया। जिसपर विवेक ने साथ न चलने की इक्छा ज़ाहिर की, लेकिन सुमित ने विवेक की एक न सुनते हुए, उसे साथ चलने को तैयार कर ही लिया। सारे दिन सभी अपनी मस्ती में मगन, गोआ घूमने का लुत्फ उठा रहे थे, फ़ोटो खिंचवा रहे थे। लेकिन विवेक गुमसुम सा, सिर्फ सुमित और शिवांश को ही घूरे जा रहा था। और इसका आभास सुमित को भी था, और इसका कारण जानने का और विवेक को मनाने के कई प्रयास भी सुमित ने किए, लेकिन वो नाकामयाब ही रहा। सारा दिन घूम फिर कर, रात को आकार सभी अपने अपने कमरों में, दिन भर की थकान मिटाने चले गए। इधर सुमित ने भी एक बार फिर, विवेक के मन का हाल जानने की कोशिश की।


सुमित :- "क्या हुआ है, बताओगे भी?? कितनी बार बोल चुका हूं, कल के लिए I am sorry!!"


विवेक :- "Sorry बोलने की तुम्हे कोई जरूरत नही।"


सुमित :- "तो फिर किस बात के लिए गुस्सा हो?? आज अच्छे से enjoy भी नही किआ। सब मुझसे ही पूछ रहे थे, की क्या हुआ विवेक को?? क्या बताता उन्हें, जब मुझे खुद ही नही पता।"


 विवेक :- "क्या फर्क पड़ता है??? तुमने तो enjoy किआ ना, शिवांश के साथ, आज भी और कल भी!!"


सुमित :- "किसी से हंस के अच्छे से बात करने को ही enjoy करना बोलते है क्या? तो क्या मैं भी तुम्हारी तरह मुंह फूला कर बैठ जाऊं??"


 विवेक :- "नहीं, बिल्कुल नहीं! Beach पर, समुद्र के किनारे, चांदनी रात में, शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठ जाओ, और फिर रात में भी उसी के कमरे में ही सो जाओ। पता नही मेरे boyfriend हो या उसके??!!"



                     ये बात सुनकर सुमित को बहुत बुरा लगा, गुस्सा भी बहुत आया, लेकिन वो बिना कुछ जवाब दिए ही वहां से चला गया। विवेक भी बहुत गुस्से में था, इसलिए उसने भी सुमित को जाने से नही रोका। फिर जब रात को 2 बजे तक सुमित वापस कमरे में नही आया, तो विवेक को फिक्र भी होने लगी, और उसने अपना गुस्सा एक किनारे कर, सुमित को फ़ोन लगाया। जब घंटी बजी तब पता चला कि सुमित तो फ़ोन कमरे में ही छोड़ गया है। तो सुमित सबसे पहले शिवांश के कमरे की तरफ गया, उसे लगा कि सुमित गुस्से में यहीं आया होगा। लेकिन सुमित वहां नही था, फिर स्मिता और प्रीति के room में देखने पर पता चला कि सुमित वहां भी नही है। फिर सभी ने आस पास ढूढना भी शुरू किया, और विवेक सुमित को खोजते हुए, calangute beach पर पहुंचा, जहां उसे सुमित अकेला बैठा मिला। विवेक ने वहां सुमित के पास जाकर, अपनी गलती की माफी मांगी, और उससे अपने मन की सारी बातें भी की। सुमित ने विवेक से कान पकड़ कर उठक बैठक भी करवाये, और फिर उसके होंठों पर एक प्यारी सी kiss देकर उसे माफ भी कर दिया, और दोनों वापस resort आ गए। जब सुमित वापस आया, तो स्मिता ने उसकी खूब फटकार लगाई, और दोबारा ऐसी हरकत ना करने का वादा भी लिया। और हंसी खुशी सुमित और विवेक ने अपने बीच की इस दूरी को भी खत्म कर लिया। लेकिन विवेक के चेहरे पर आई ये खुशी, शिवांश को बिल्कुल भी न भाई।



                   अगले दिन 12 सितम्बर को सभी थोड़ी देर से सो कर उठे, क्योंकि रात को सुमित की वजह से सभी की नींद खराब जो हो गयी थी। स्मिता और चैतन्य ने आज का दिन resort के ही spa में relax करना तय किया। लेकिन सुमित, विवेक, रुमित और प्रीति, आस पास ही घूमने निकल गए। शिवांश ने तबियत ठीक ना होने का कारण देकर आज resort में ही रुकने का फैसला लिया। असल मे वो बस कुछ सोचने के लिए समय चाहता था, जिससे वो विवेक और सुमित के बीच वापस से गहरी दूरी ला सके। इधर स्मिता और चैतन्य ने भी अपने बीच के मनमुटाव को खत्म कर लिया था, लेकिन चैतन्य ने सुमित के GAY होने और विवेक से रिश्ते की बात को, हमेशा के लिए अपने घरवालों से छुपाने का फैसला लिया था, क्योंकि वो अपने घरवालों के विचारों को अच्छे से समझता था, और वो नही चाहता था कि, सुमित के GAY होने की वजह से स्मिता और उसके रिश्ते पर कोई भी आंच आये। यहां से जाने के बाद दोनों ने ही अपने अपने घरवालों को उनके रिश्ते के बारे में बताना भी तय किया हुआ था। और स्मिता और चैतन्य ने कल के लिए, सभी के साथ north गोआ घूमने का प्लान भी बना लिया था। आज का दिन सभी के लिए हल्का बीता। प्रीति और रुमित भी, आज सारा दिन सुमित और विवेक के साथ रहने की वजह से उनसे और बेहतर घुल मिल चुके थे, और शायद कहीं न कहीं GAYS के बारे में बनी प्रीति और रुमित कि सोच को भी, सुमित और विवेक के प्यार ने बदल दिया था। वहीं जो शिकन अभी तक विवेक के माथे पर थी, अब उसे शिवांश के चेहरे पर देखा जा सकता था। जिसकी वजह था, सुमित और विवेक का साथ। रात के खाने पर जब सब साथ आये, तो विवेक, शिवांश के चेहरे की उदासी को अच्छे से समझ गया था, लेकिन उसने इस बारे में सुमित से कोई भी बात ना करना ही उचित समझा, क्योंकि वो फिर से खुद को या सुमित को शिवांश की वजह से परेशान नही करना चाहता था। इस रात शिवांश ने फिर एक बार सुमित को फ़ोन कर अपने कमरे में बुलाना चाहा, लेकिन आज फ़ोन विवेक ने उठाया, और सुमित सो चुका है, कहकर फ़ोन काट दिया।



                   13 सितम्बर की सुबह सभी तैयार होकर, स्मिता और चैतन्य के प्लान के मुताबिक, north गोआ घूमने को निकाल गए। लेकिन शिवांश को अब ये घूमना फिरना बिल्कुल भी रास नही आ रहा था, क्योंकि अब विवेक थोड़ा सजग हो गया था, और वो शिवांश को सुमित के पास भी नही आने दे रहा था, और ना ही शिवांश को सुमित से ज्यादा देर बात करने दे रहा था। अब ये विवेक का नया रूप, शिवांश की आंखों में खटकने लगा था। दिन भर घूमने फिरने के बाद, शाम को resort लौटते वक्त प्रीति और स्मिता, resort के पास वाले मार्केट में ही उतर गई, थोड़ी बहुत खरीददारी करने के लिए। उधर विवेक ने resort पहुंच कर, सुमित के साथ कुछ समय beach पर बिताने की इक्छा जाहिर की, जिसका सुमित ने हाँ में उत्तर दिया, और दोनों बीच के लिए निकल पड़े।



शिवांश :- (सुमित और विवेक को रोकते हुए) "अरे रुको guys!!! मैं भी साथ चलता हूँ।"


विवेक :- "Please dont mind शिवांश!!! लेकिन मैं थोड़ा समय सुमित के साथ अकेले बिताना चाहता हूं।"


सुमित :- (विवेक को टोकते हुए) "Dont be so mean!!! चल आजा शिवांश, कोई दिक्कत नही।"


शिवांश :- (खुशी से, सुमित के पास आते हुए) "Thanks यार!! नही तो मैं यहां अकेले bore हो जाता।"


विवेक :- (शिवांश को रुमित और चैतन्य की तरफ मोड़ते हुए) "अरे बिल्कुल bore नही होगे तुम यहाँ, मैंने तुम सब लोगों के लिए, beer order की है, बस आती ही होगी। तो यहां, चैतन्य और रुमित के साथ आराम से बैठ कर beer पीओ और enjoy करो। हम दोनो बस थोड़ी ही देर में आते हैं।"


                  विवेक के इस कदम ने शिवांश को तो resort में ही रोक दिया था, लेकिन अब शिवांश को भी अच्छे से समझ आ गया था, की अब विवेक को झांसा देकर, उसे सुमित से दूर करना इतना भी आसान नही होने वाला है। शिवांश यूँ तो बैठा चैतन्य और रुमित के साथ था, लेकिन उसका सारा ध्यान सुमित और विवेक के वापस आने पर ही था। लेकिन विवेक और सुमित रात में देर से वापस resort में आये, और उस समय शिवांश ने सुमित से कोई भी बात करना ठीक नही समझा।



                 अगले दिन सुबह, 14 सितम्बर को जब सभी नाश्ते के लिए बैठे, तो शिवांश जल्दी से विवेक के आगे जाकर सुमित के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया। लेकिन विवेक भी अब शिवांश की इस तरह की किसी भी हरकत पर चुप बैठने वाले नही था, और उसने सुमित को वह से उठा कर दूसरी जगह अपने पास बैठा लिया। ये देख कर तो शिवांश ने अपना आपा ही खो दिया।


शिवांश :- (विवेक पर गुस्से में चिल्लाते हुए) "तुम्हारी problem क्या है, हाँ?? कल से देख रहा हूं मैं, तुम मुझे सुमित से बात ही नही करने दे रहे, उसके पास भी नही जाने दे रहे। क्या दिक्कत क्या है, तुम्हे मुझसे??!!"


विवेक :- (मुस्कुरा कर) "क्यों गरम हो रहा है भाई?? मुझे सुमित के पास बैठना था, और वहां जगह नही थी, इसलिए मैं उसे यहां ले आया। इसमे इतना गुस्सा होने वाली क्या बात है?? और मैं क्यों रोकूंगा तुझे सुमित से बात करने से, तू तो उसका दोस्त है!!"


शिवांश :- (विवेक को मुस्कुराता देख, और झल्लाते हुए) "हाँ तो ये बात हमेशा याद रखना, तेरा boyfriend होने से पहले वो मेरा best friend है। कोई हमारे बीच मे नही आ सकता, और अगर तूने हमारे बीच मे आने की कोशिश भी की ना, तो अच्छा नही होगा तेरे लिए।"


सुमित :- (अभी तक विवेक को शांत करा रहा था, लेकिन शिवांश की बात सुन, उस पर गुस्सा होते हुए) "कैसे बात कर रहा है तू, जरा ढंग से बात कर। और मेरे विवेक के साथ बैठने से तुझे क्या problem है???" 


विवेक :- (सुमित को शांत करते हुए) "अरे तो तुम क्यों गुस्सा हो रहे हो?? उसे कोई misunderstanding हो गयी होगी।"


शिवांश :- (गुस्से में चिल्लाते हुए) "कोई misunderstanding नही है मुझे, साफ समझ आ रहा है, की क्या करना चाहता है तू। अलग करना चाहता है ना तू मुझे सुमित से? कभी नही कर पायेगा तू ऐसा!! वो तो मैंने ही जाने दिया इसे तेरे पास, वरना अगर उस रात मैंने इसे kiss कर लिया होता, और अपना बना लिया होता, तो तेरी तरफ आंख उठा कर भी नही देखता ये!!"


              शिवांश के इस कदर बत्तमीजी से बात करने से, सुमित अपने आप को रोक नही पाया और उसने शिवांश में एक जोरदार थप्पड़ मार दिया। जिस पर शिवांश ने कोई प्रतिउत्तर तो नही दिया, लेकिन झुंझलाकर वहां से अपने कमरे में चला गया।


सुमित :- (विवेक से) "शिवांश की तरफ से मैं तुमसे माफी मांगता हूं, पता नही उसे क्या हो गया है।"


विवेक :- (आंखों में आंसू लिए, सुमित की ओर देखते हुए) "वो किस रात की बात कर रहा था??? तुम उसे kiss करने वाले थे???"


सुमित :- (विवेक का चेहरा अपने हांथों में पकड़ते हुए) "नही यार!! ऐसा कुछ भी नही है, ये बहुत मामूली और पुरानी बात है।"


विवेक :- (सुमित का हाँथ झटकते हुए) "हम 3 सालों से साथ है!! और तुम्हे एक बार भी नही लगा, की तुम्हे मुझे ये मामूली बात बतानी चाहिए थी, की तुम शिवांश को kiss करने वाले थे!!"


सुमित :- "अरे इसमे ऐसी कोई बात ही नही है!!! तुम गलत सोच रहे हो!"


विवेक :- (वहां से जाते हुए) "तुम लोग kiss करने वाले थे, और मैं गलत सोच रहा हूँ। मेरे भी कई friends है, लेकिन मैं तो किसी को kiss नही करता।"


                  शिवांश ऐसा कुछ करना तो नही चाहता था, लेकिन उसकी इस अधूरी बात ने, विवेक के मन मे कई सारे सवाल खड़े कर दिए थे। और वो गुस्से में resort से निकल कर beach की ओर चला गया। वहां मौजूद बाकी लोग बस दर्शक बने सब तमाशा देख रहे थे, क्योंकि वहां जो कुछ भी हुआ, किसी को कुछ समझ ही नही आ रहा था। स्मिता ने आकर फिर सुमित को समझाया, की जो भी बात है आराम से बैठ कर बात करो, यूँ गुस्सा कर के, चिल्ला कर, या किसी पर हाँथ उठाकर तो कोई solution नही निकलेगा। और स्मिता ने ही सुमित को विवेक से बात करने, उसके पीछे भेज दिया। सुमित के जाने के साथ ही, शिवांश भी गुस्से में रिसोर्ट से निकल गया।



रुमित :- (नाश्ते की टेबल से उठते हुए) "इन लोगों का भी पता नही क्या चलता रहता है। अब इन लोगों के ड्रामे के चलते हमारा तो आज का सारा प्लान ही खराब हो गया न।"


प्रीति :- (रुमित को समझते हुए, और स्मिता के पास जाते हुए) "छोड़ न यार, दोस्तों में तो ये सब चलता रहता है। वो लोग आपस मे सुलझा लेंगे। चल स्मिता आज हम spa चलते है, थोड़ा mood भी fresh हो जाएगा।"


स्मिता :- "नही यार मन नही मेरा, तू रुमित के साथ चली जा, मैं इन लोगों को देखती हूँ, कहाँ गए है, और आखिर ये बात क्या है। किस बात पर झगड़ रहे है, मुझे तो कुछ समझ ही नही आया।"


चैतन्य :- "Dont worry!!! छोटे बच्चे थोड़ी हैं, अपना ख्याल भी रख सकते हैं, और अपने problem भी सुलझा सकते है। तुम आराम करो, कहीं जाने की जरूरत नही है, आपस में सुलझाने दो उन्हें। तब तक मैं गाड़ी की servicing करवा कर आता हूँ, बहुत travel कर लिया है, वापस घर जाते समय कोई प्रॉब्लम ना आ जाये।"


                    इस झगड़े को ज्यादा serious ना समझते हुए, रुमित, प्रीति spa में और स्मिता अपने कमरे मै आराम करने और चैतन्य अपनी गाड़ी की servicing करने निकल गया। इस छोटे से वाक़ये की संगीनता तो शाम को समझ आयी जब विवेक अकेले ही resort में आया। और सुमित को ढूंढता हुआ, स्मिता और सुमित के कमरे में पहुंचा।



विवेक :- (स्मिता के कमरे के दरवाजे पर दस्तक देने के बाद) "Sorry to disturb you दीदी!! सुमित को देखा क्या आपने??? फ़ोन भी नही उठा रहा है, शिवांश के room में देखा तो वो भी lock है, वहां भी नही है।"


स्मिता :- (आश्चर्य से) "तुम्हारे पीछे पीछे ही तो गया था वो, तुमसे बात करने।"


विवेक :- "नही दीदी!! मैं तो तबसे beach पर ही था, वहां तो नही आया।"


चैतन्य :- (बिस्तर से उठ कर दरवाजे पर, स्मिता और विवेक के पास आते हुए) "शिवांश को फोन करो...... उससे तो नही लड़ने बैठ गया कहीं!!"


स्मिता :- (शिवांश को फ़ोन लगते हुए) "Hello शिवांश!!! सुमित तुम्हारे साथ है क्या??"


शिवांश :- (फ़ोन पर) "नही दीदी !!! उस महान विवेक के साथ होगा ना। उसके सिवा अब और कोई दिखता ही कहाँ है, सुमित को!!"


स्मिता :- (फ़ोन पर) "नही है उसके साथ यार!!! विवेक खुद ढूंढ रहा है उसे!!"


                     ये सुनते ही शिवांश भी भागता हुआ resort आ गया और रुमित प्रीति भी अपने कमरे से बाहर आ गए, और सभी लोग सुमित को आस पास के पूरे इलाके में ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते रात भी हो गयी, लेकिन सुमित का कोई पता ही नही चला। सभी लोग थक हार कर वापस resort में भी आ गए। सभी ने यही सोचा, की हो सकता है, पहले की तरह इस बार भी नाराज होकर कहीं अकेले में time spend कर रहा होगा, शायद थोड़ी देर में खुद ही वापस आ जाये। यही सोच के साथ बाकी सभी अपने अपने कमरों में सोने चले गए। लेकिन स्मिता और विवेक वहीं reception पर ही सुमित का इंतेज़ार करने लगे।



विवेक :- (हताशा में) "सब मेरी ही गलती है दीदी, ना मैं जाता, ना मेरे पीछे वो।"


स्मिता :- (विवेक को समझते हुए) "नही!! अकेले तुम्हारी नही, मेरी भी गलती है!!! तुम्हारे पीछे जाने के लिए तो मैंने ही कहा था ना।"


विवेक :- "सुमित बचपन से ही ऐसा है क्या दीदी!!?? Careless, गुस्सैल, नासमझ??"


स्मिता :- (मुस्कुराते हुए) "जी नही!! बहुत समझदार है, मेरा भाई!! ये तो तुम्हारी संगत में ऐसा हो गया है। वरना गुस्सा तो मेरे अलावा किसी और ने देखा भी नही था उसका।"


चैतन्य :- (स्मिता को बताते हुए) "यार bore हो रहा हूँ, पास के ही baar में जा रहा हूँ। वहां लोगों से पूछ भी लूंगा सुमित के बारे में, शायद किसी ने देखा हो उसे। और हाँ, तब तक यहां आ जाये तो मुझे फ़ोन करके बता भी देना, और मेरी तरफ से 2 कान के नीचे भी लगा देना उसके।"


स्मिता :- (मुस्कुराते हुए) "बिल्कुल!! लेकिन अकेले क्यों जा रहे हो, रुमित को ले जाओ!!"


चैतन्य :- "वो busy है प्रीति के साथ, तो उसे disturb करना सही नही।"


स्मिता :- "तो शिवांश को ले जाओ।"


चैतन्य :- (हँसते हुए वहां से जाते हुए) "वो Angry yong man के साथ से तो में अकेला ही अच्छा हूँ।"


विवेक :-  (चैतन्य के जाने के बाद) "दीदी ये शिवांश का क्या status है। Please dont mind, लेकिन जितनी भी उसके बारे में सुमित से बात हुई, तो उसने बताया कि, वो उसका सबसे अच्छा दोस्त है। लेकिन मैं जब भी शिवांश को देखता हूँ, तो मुझे उसकी intansion कुछ अलग ही लगती है। और आज सुबह आपने भी देखा!! बेवजह भड़क रहा था, और ना जाने क्या क्या बकवास कर रहा था।"


स्मिता :- "Frankly बताऊं तो शिवांश सुमित का अच्छा दोस्त है,  इसके आगे कुछ नही। अगर कुछ serious होता उन दोनो के बीच तो सुमित मुझे जरूर बताता। अब शिवांश के दिमाग मे अगर कुछ और बात चल रही है, और वो जो कुछ भी सुबह बोल रहा था, तो ये तो वो ही बता सकता है, या सुमित। मुझे इस बारे में कुछ भी नही पता।"


                     सुमित के बारे में ढेर सारी बातें करते करते, सुमित के इंतेज़ार में, विवेक और स्मिता, वहीं reception के सोफे पर ही सो गए। कुछ 2 घंटे बाद चैतन्य भी beer baar से वापस लौट आया, लेकिन स्मिता को सोता देख उसे जगाना ठीक नही समझा, और वापस अपने कमरे में जाकर सो गया। सुबह वो मनहूस खबर ने सबकी नींद उड़ा दी, की जिसका इंतेज़ार स्मिता और विवेक पलके बिछाए resort के reception पर कर रहे थे, वो अब कभी भी वापस नही आने वाला है। वो मरा नही, उसे बड़ी ही बेरहमी से मार दिया गया है।


                        Calangute police station के head जिव्बा जी. डाल्वी, इस murder case की तहकीकात कर रहे थे, और उन्होंने ने ही सुमित के सभी दोस्तों को पूछताछ के लिए police station बुलवाया था। अभी तक किसी को सुमित की लाश नही दिखाई गई थी, क्योंकि अभी लाश का postmortem चल रहा था, लेकिन उस लाश की फ़ोटो से पहचान लिया गया था, की ये लाश सुमित की ही है।



डाल्वी जी :- (स्मिता से) "आपका तो वो भाई था!!! आपने भी किसी को inform नही किआ!!! क्यों???


स्मिता :- (आंसू पोंछते हुए, दबी आवाज में ) "सर उसका झगड़ा हुआ था, उसके boyfriend के साथ, तो हम बस उन्हें अकेले में थोड़ा समय देना चाहते थे, ताकि वो लोग आपस मे सब सुलझा लें, लेकिन जब विवेक अकेला ही resort में आया, और जब हम लोगों ने उसे सुमित के बारे में पूछा, तब हमे पता चला कि वो तो सारे दिन से अकेला था, सुमित तो उसके पास आया ही नही। तब हमने सुमित को यहां वहां ढूंढा भी, लेकिन हमें लगा कि वो कहीं गुस्से में अकेले time spend कर रहा होगा, हमे इसमे कोई serious बात लगी ही नही सर। सुमित पहले भी ऐसा कर चुका था, तो हमे लगा कि वो कुछ देर बाद खुद ही वापस आ जायेगा। मुझे क्या पता था सर की मेरा भाई किसी मुसीबत में है, मुझे भनक भी होती तो मैं उसे कहीं नही जाने देती। अब क्या बोलूंगी मैं माँ पापा को!!"


डाल्वी जी :- "माँ पापा को तो आप लोग बाद में सोचना, की क्या बताना है और क्या नही। पहले मुझे बताने के लिए आप लोग अच्छे से याद करलो, की कल रात आप सब कहाँ थे, और क्या कर रहे थे।"


चैतन्य :- (झल्लाते हुए) "सर आप कातिल को ढूंढने की जगह हम सब पर शक कर रहे हो। हम सब सुमित के दोस्त और परिवार है, हम लोग ऐसा क्यों करेंगे।"


डाल्वी जी :- "हमे अपना काम अच्छे से आता है, तो co-operate करो। वरना रात भर lockup में रख कर भी ये पूछताछ की जा सकती है।"


डाल्वी जी :- (विवेक से) "हाँ जी boyfriend साहब, क्यों झगड़ा हुआ तुम्हारा सुमित से, और तुम कहा थे सारा दिन??"


विवेक :- (मायूसी से) "सर ऐसा कोई खास झगड़ा नही हुआ था, ऐसी अनबन तो जबसे ये trip शुरू हुई तबसे ही चल रही थी, और मैं सारे दिन calangute beach पर ही बैठा था, और मुझे पता था कि थोड़ी देर में सुमित भी मेरे पास आ जायेगा, लेकिन मुझे ये अंदाज बिल्कुल नही था कि उसके साथ ऐसा हादसा हो जाएगा।"


डाल्वी जी :- "ये murder भी तो beach पर ही हुआ है??? तुमने सुमित को beach पर आते कैसे नही देखा फिर??? कहा बैठे थे beach पर???"


विवेक :- "सर मैं right hand side जहां water sport वाले होते है, मैं वंही बैठा हुआ था पूरे समय, सर सुमित beach पर आया ही नही था, अगर वो आता तो मुझे जरूर दिखाई देता। मैं जहां बैठा था वंहा से सारा beach दिखाई दे रहा था सर, और मैं एक पल के लिए भी वह से उठ कर नही गया था।" 


प्रीति :- (दोबारा चिल्ला कर) "सर हम सब ये सभी बातें पहले भी आपको अच्छे से बता चुके है, बार-बार पूछने से सच बदल नही जाएगा। हम सुबह से यहां भूखे प्यासे बैठे है, और एक ही बात बार-बार दोहराए जा रहे हैं। आखिर और कब तक बस यही चलता रहेगा।"


डाल्वी जी :- (इस बार मुस्कुरा कर) "हवलदार!!!! मैडम के लिए चाय नाश्ता लाओ, मैडम यहां holiday पर आईं है। मैडम, suspect के साथ कैसा व्यवहार करना है, क्या पूछना है, ये मेरा काम है, और मुझे मेरा काम अच्छे से आता है। तो ये बार बार आवाज़ ऊंची करने का कोई फायदा नही है। मुझे पूरी सहानुभूति है आप लोगों के साथ, लेकिन उसके पहले, आप लोग एक murder  के suspect हैं...... लो हवलदार भी आ गया, और जिसका मुझे काफी समय से इंतेज़ार था, वो भी आ गयी, postmortem की report!!!"


डाल्वी जी :- (postmortem की report देखते हुए) "हाँ तो boyfriend साहब, आपने क्या बताया, की आप beach से वापस कब आये थे?? शाम को???"


विवेक :- "हाँ सर, मैं शाम को कुछ 6:30 या 7 बजे के करीब वापस आ गया था।"


डाल्वी जी :- (Report को बंद करते हुए) "चलिये ठीक है, अब आप लोग अपने resort जाइये, और कल सुबह ठीक 10:30 बजे वापस यहां आ जाइये। लेकिन resort से बाहर बिना हमे बताए आप लोगों को कहीं जाने की permission नही है, और इसके लिए हमारी एक team रिसोर्ट के बाहर ही आप लोगों पर निगरानी रखेगी। और हाँ स्मिता जी, हमने आपके घर खबर भिजवादी है, तो कल आपके माता पिता भी यहां आ जाएंगे।"


                         सारी पूछताछ करने के बाद ही डाल्वी जी ने रात को 8 बजे, सभी को वापस resort जाने का आदेश दिया, लेकिन अब वो resort भी किसी खुली जेल से कम नही था। स्मिता का तो सुबह से ही रो रो कर बुरा हाल था, जैसे तैसे चैतन्य ने उसे नींद की दवा दे कर सुलाया, वरना और रो रो कर वो अपनी तबियत ही खराब कर लेती। स्मिता के सोने के बाद, प्रीति और रुमित भी अपने कमरे में चले गए, और शिवांश और विवेक, पहले से ही अपने अपने कमरों में, सुमित को याद कर के रो रो कर अपना बुरा हाल किये हुए थे। स्मिता को अच्छे से लिटा कर, उसे अच्छे से चादर ओडा कर, चैतन्य अपने हांथो में 2 beer की बोतल लिए, विवेक के कमरे में उसका मन हल्का करने पहुंचा।


चैतन्य :- (विवेक की तरफ एक बोतल बढ़ाते हुए) "जानता हूँ कि ये सही समय नही है, लेकिन इससे तेरा मन हल्का हो जाएगा।"


विवेक :- (आंखों से आंसू पोंछते हुए) "नही चैतन्य!! इसकी कोई जरूरत नही है। स्मिता कैसी है अब?? उसने खाना खा लिया?? और तुम्हे इस वक़्त उसके साथ होना चाहिए, उसे तुम्हारे साथ कि ज्यादा जरूरत है।"


चैतन्य :- (वहीं बिस्तर पर विवेक के पास बैठते हुए, और जबरदस्ती विवेक को beer की बोतल पकड़ाते हुए) "स्मिता को थोड़ा बहुत खिला कर उसे नींद की दवा देकर सुला कर ही आ रहा हूँ। अगर जगती तो बस रोती ही रहती, और अपनी तबियत ही खराब कर लेती। तू भी ये बियर, दवाई समझ के ही पी ले।"


विवेक :- (रोते हुए) "यार सुमित ने क्या बिगाड़ा था किसी का, जो उसके साथ किसीने इतना बुरा किआ। और यार तुम लोगों ने जाने ही क्यों दिया उसे??"


चैतन्य :- (विवेक के कंधे पर हाँथ रख) "यार अब हर situation पर हमारा control नही होता ना, शायद सुमित के नसीब में यही लिखा था, तेरा और सुमित का झगड़ना, तेरा सुमित से गुस्सा होकर यहां से निकल जाना, फिर सुमित का तेरे पीछे तुझे मनाने के लिए जाना, फिर शिवांश का गुस्से में सुमित के पीछे यहां से निकल जाना.........."


विवेक :- (चैतन्य को बीच मे ही रोकते हुए) "शिवांश!!! शिवांश गया था गुस्से में सुमित के पीछे????"


चैतन्य :- "हाँ, और फिर उसके पीछे में भी निकला था, गाड़ी की servicing कराने के लिए, लेकिन मुझे कहीं भी रास्ते मे शिवांश दिखा तो नही था, मुझे लगा कि शायद beach की तरफ गया हो, लेकिन आज police station में वो बोला कि मार्केट में था, लेकिन मुझे तो कहीं भी नही दिखा।"


                     विवेक ये सुनकर गुस्से में अपने कमरे से निकला और शिवांश के कमरे का दरवाजा जोर जोर से पीटकर, शिवांश को भी कमरे से बाहर आने के लिए मजबूर कर दिया।


विवेक :- (शिवांश का कॉलर पकड़, गुस्से में) "तू ही गया था ना, सुमित के पीछे गुस्से में, ले लिया अपना बदला तूने, अरे मुझसे दिक्कत थी तो मुझे मारता ना, सुमित के साथ ऐसा क्यों किआ तूने??? और खुद को सुमित का अच्छा दोस्त बताता है!! तू ही कातिल है मेरे सुमित का।"


                        विवेक पहले से ही सुमित को याद करके दुखी तो था ही, चैतन्य की बात ने उसे गुस्सा भी दिला दिया, और सुमित के साथ हुए हादसे के लिए विवेक, शिवांश को जिम्मेदार ठहराते हुए, उसे मारने पीटने लगा। अपने बचाव में शिवांश भी प्रतिउत्तर देने लगा। और देखते ही देखते, दोनो के बीच की इस हाथापाई ने विकराल रूप ले लिया। शिवांश और विवेक के इस हंगामे से, रुमित, प्रीति, बाकी resort के guest और resort का staff भी वहां इक्कट्ठा हो गया। और resort के manager ने तुरंत ही पुलिस को भी वहां बुला लिया, और पुलिस विवेक और शिवांश को वापस police station ले आयी।



डाल्वी जी :- (हंसते हुए) "अरे!! अभी तो भेजा था आप लोगों को, और आप लोग वापस भी आ गए!!! क्या इतना पसंद आ गया क्या हमारा police station??"


विवेक :- (गुस्से में, चिल्लाते हुए) "सर इसी ने मारा है, मेरे सुमित को, इसे ही हम दोनों का साथ बिल्कुल पसंद नही था, और जब हमारा झगड़ा हुआ, तो सुमित ने भी मेरा साथ दिया, और इसे ही थप्पड़ मार दिया। और इसने उस एक थप्पड़ के बदले में मेरे सुमित को ही मुझसे छीन लिया। (रोते हुए) थू है शिवांश तुझपे! Bestest friend कहता था वो तुझे, तेरे लिए मुझसे ही लड़ जाया करता था, और तूने ऐसे निभाई अपनी दोस्ती!!!"



                    डाल्वी जी, दोनो को ही अलग अलग lockup में डाल कर, अपनी team के साथ इस केस को discuss करने निकल गए।








बने रहिये डाल्वी जी के साथ इस disscussion में, और जानिए की कौन है सुमित का हत्यारा!!! एक इंसान या फिर एक सोच!!!



Lots of Love
Yuvraaj ❤️

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