Monday, June 11, 2018

सपनों का जहां part -III

Flash Back 02/04/2015 :- 
   
     "ये सिफॆ तुम्हारा फैसला है मैं और तुम्हारी माॅ कभी इस फैसले में तुम्हारे साथ नहीं थे और ना होंगे। तुम एक मतलबी ईंसान हो तुमने कभी हमारे बारे मे सोचा कि हम दोनो कैसे रहेगे तुम्हारे बिना। याद रखना ये तुम्हारे अकेले का फैसला है और अगर कल को कोई दिक्कत आती है तो वो भी सिफॆ तुम्हारी ही होगी।"

   "सुगंधा...इसे कुछ पैसे देदो क्योंकी कल को मुझे इससे ये नहीं सुन ना है कि इसके माॅ बाप ने इसे खाली हाथ ही जाने दिआ।"

   इतना कह कर दीक्षित जी ने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।ये शब्द के पापा के आखिरी शब्द थे इसके बाद इन 8 महीनों मे कभी भी उन्होने शब्द से बात नही की।

Present day 06/06/2018 :-

    मायूस शब्द जब अपने पापा की आखिरी बात याद करता है तो वो रुक जाता है। और अपने पापा को याद करके और जोर जोर से रोने लगता है। तभी उसके flat की door bell बजती है।

    शब्द उठता है दरवाजे पर जा कर अपने ऑसू पोछता है दरवाजा खोलता है और बोलता है " दीदी आज कोई काम नही आप please कल आ जाना"
तभी सामने से एक अजनबी हॅसने की आवाज आती है "मैं दीदी नही दादा हू"
     
      तब शब्द ऊपर देखता है तो लगभग उसी की उमृ का, घुंघराले उलझे से बालो वाला, भूरी ऑखे और एक बङी सी हॅसी लिए एक लङका खङा होता है दरवाजे पे।

   शब्द बिना कुछ बोले उसे देखता है मानो पूछना चाह रहा हो कि अब आप क्या लेने आए है उस से। तो वो लङका ही चुप्पी खतम करते हूऐ बोलता है "आपका letter box full हो गया था तो security दादा ने आपको देने को बोला तो मैं ले आया।"

    शब्द ने वो letters उसके हाथ से लिए और बोला "इसकी क्या जरूरत थी मै खुद ले आता लेकिन लाने के लिए thanks" और बिना कुछ और बोले दरवाजा बंद कर दिआ। और अंदर आके मेज पर letters रख कर फिर से खो गया अपने माॅ पापा की यादो मे।

      One minute!!!!!! उस लङके का क्या जो अभी भी दरवाजे पर ही खङा है और सोच रहा है "ये कितना खङूस ईंसान है ना hi ना hello और दरवाजा ही बंद कर दिआ। सही केहती है mom आज कल तो भलाई करने का जमाना ही नही है"

      ये है   श्लोक   हमारी इस रचना का दूसरा मुख्य किरदार। श्लोक शब्द के सामने वाले flat मे ही रेहता है अपने mom dad के साथ। अभी तक श्लोक अपनी दादी के पास था देहरादून मे वही schooling की और वही के college मे graduation कर रहा था। दादी के स्वगॆवास के बाद श्लोक वहां अकेला पङ गया तो श्लोक के dad ने उसे mumbai ही बुला लिया। अब वेसे तो यू बीच session मे किसी भी college मे admission नही होता लेकिन श्लोक के dad की जान पेहचान बहुत है इसलिए कोई तकलीफ नही हुई।


   Now we have to check what this new character brings in shabd's life?? So please tune with this story and give your valuable comments.


Lots of Love
Yuvraaj ❤

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