Monday, June 18, 2018

सपनों का जहां part - V

Same day Night : 07/06/2018 :-

   शब्द सोने की कोशिश कर रहा है लेकिन lift की घटना उसे बार बार याद आ रही है। श्लोक का चेहरा तो मानो उसकी नजर से हट ही नही रहा है। आखिर इस सब से तंग आ कर वो बिस्तर से उठता है और छत पर आ जाता है थोङी ताजी हवा लेने। छत पर आ कर वो आसमान की तरफ देखता है और चाँद तारों से सजा आसमान उसे अपने बीते कल की याद दिला देता है।

Flash back : 03/01/2015 :-

     "यार दे ना मुझे भी, मैं भी आज try करना चाहता हूँ।" ये बोलकर शब्द अपने दोस्त मुकुल के हाथ से जलती हुई सिगरेट लेके एक कश लगाता है और जोर जोर से खासने लगता है। "रेहने दे बेटा ये बच्चों के लिए नही है" और मुकुल शब्द से सिगरेट वापस ले लेता है। इतने मे ही शब्द के पापा वहा आ जाते हैं। "इतनी सदीॅ मे तुम लोग यहा छत पर क्या कर रहे हो" दिक्षित जी को देख कर मुकुल हङबङा जाता है और सिगरेट अपने पीछे छुपा लेता है। दिक्षित जी उसे एसा करते देख लेते हैं "क्या छुपा रहे हो मुकुल, हाथ आगे लाओ।" "कुछ नहीं अंकल जी कुछ भी तो नही" मुकुल घबरा जाता है। दिक्षित जी आगे बङते हैं तो उन्हें सिगरेट की बदबू आ जाती है और वो बिना कुछ बोले शब्द मे एक जोर का थप्पङ मार देते हैं।

Present day - 07/06/2018 :-

    छत के दरवाजे पर आवाज होती है शब्द पीछे मुङ के देखता है तो श्लोक उसकी तरफ ही आ रहा होता है। "तुम्हे भी नीद नही आ रही" ये बोलते हुए श्लोक शब्द की ओर सिगरेट बङाता है। "मैं नही पीता" ये बोलकर शब्द श्लोक के चेहरे की तरफ देखता है और lift की घटना के बारे मे सोचता है। लेकिन श्लोक का चेहरा देख कर एसा लग रहा है मानो कुछ हुआ ही ना हो। "मैं तो देहरादून में कभी कभी पी लेता था" ये केहते हुए श्लोक सिगरेट जला लेता है।

   "देहरादून???" शब्द एसे बोलता है जेसे सवाल कर रहा हो।

  "हां मैं वही रेहता था अपनी दादी के साथ फिर दादी के गुज़र जाने के बाद dad मुझे यहा ले आए।"

    "Ohhh i am sorry! मुझे इस बारे मे कुछ पता नही था।" ये बोलकर शब्द श्लोक के कंधे पर हाथ रखता है उसे दिलासा देने के लिए। और श्लोक के कंधे पर हाथ रखते ही उसे lift की घटना याद आ जाती है और वो अपना हाथ तुरंत हटा लेता है।

     "तुम्हे पता भी केसे होगा हम अभी एक दूसरे को जानते ही कहा है। so तुम यहा अकेले रेहते हो? तुम्हारे mom dad?"

    "हां मेरे माँ पापा ग्वालियर मे रेहते हैं।" और इतना बोलकर शब्द कुछ सोच मे डूब जाता है। तभी एक चुटकी की आवाज आती है "क्या यार तुम फिर खो गए अपने खयालो मे। तुम इतने खोए खोए क्यो रेहते हो?" ये बोलकर श्लोक शब्द के कंधे पे हाथ रखता है और उसे हिलाता है। शब्द की आँखे नम हो जाती हैं अपने माँ पापा के बारे मे सोचने से और वो बहुत दबी आवाज मे बोलता है "नही कुछ नही"

    शब्द को एसे देख श्लोक अपनी सिगरेट फेंक शब्द के दुसरे कंधे पर हाथ रख उसे अपनी तरफ घुमाता है "if there is any problem so you can tell me. हम दोस्त ना सही लेकिन शायद मुझे बता कर तुम थोङा अच्छा मेहसूस कर सको"। शब्द को भी इसी तरह के अपनेपन की जरूरत थी और श्लोक की बात सुन कर शब्द फूट फूट कर रोने लगा। शब्द को रोता देख श्लोक ने उसे गले लगा लिया। "hey hey listen!  कोई problem तो मुझसे कहो हम साथ मिलकर कोई solution निकालेंगे।" और शब्द का सर पकङ कर अपने चेहरे के सामने करता है " एसे रोने से तो कुछ नही होगा ना। और कोई भी problem permanent नही होती कोई ना कोई solution तो निकल ही आएगा ना। Be strong"

     शब्द श्लोक की तरफ देखता है और ना जाने उसे क्या हो जाता है और वो श्लोक को kiss करने लगता है।

    श्लोक को भी समझ नही आ रहा है कि ये क्या हो रहा है लेकिन वो शब्द को रोकने की या उसे हटाने की कोशिश नही करता है। तभी शब्द को अचानक होश आता है और उसे समझ आता है कि वो ये क्या कर रहा है तो वो तुरंत पीछे हटता है 2 second श्लोक को देखता है और उसे धक्का देके वहा से भाग जाता है।

    श्लोक भी भागता हुआ शब्द के पीछे आता है। शब्द अपने flat मे आके दरवाजा बंद कर दरवाजे के पीछे ही खङा हो जाता है। उसे समझ ही नही आ रहा है कि ये क्या हुआ और उसने एसा क्यों किआ। इतने मे श्लोक दरवाजा knock करता है और केहता है " hello dude! Please open the door. Forget about it you are emotionally break so एसा हो जाता है। please open the door and talk to me."

   "चले जाओ यहां से और मुझे अकेला छोङ दो।" शब्द गुस्से मे अंदर से चिल्लाता है।

   "Ok ok! I am going. You just take rest and be normal हम कल बात करेंगे।"


Please stay tune to know more about shabd and shlok.


Lots of Love
Yuvraaj ❤

      

Thursday, June 14, 2018

सपनों का जहां part -IV

Next day morning - 07/06/2018 :-

     "Mom जल्दी से मेरा breakfast ready कर दो मैं first day ही देरसे नहीं पोहचना चाहता" ये बोल के श्लोक जल्दी से ready होता है और निकल देता है अपने काॅलेज के लिए। वहीं शब्द भी एक बार फिर से अपनी strugle शुरू करने को तैयार है।

    और एक बार फिर से दोनो का आमना सामना होता है लिफ्ट के बाहर। श्लोक कानो मे headphones लगाए backpack लिए देख रहा था शब्द की ओर की शायद आज ये अपने कल के rude behaviuor के लिए sorry बोलेगा। लेकिन शब्द ने एक बार फिर ध्यान ही नही दिआ श्लोक की ओर और अपने खयालो मे ही खोया रहा। इतने मे लिफ्ट आ गई और दोनो अंदर आ गए।

      श्लोक लिफ्ट के अंदर भी शब्द के बारे मे ही सोच रहा है " ये लङका तो सच मे ही बहुत खङूस है, हम किसी अंजान को भी देख कर एक smile तो pass कर देते है लेकिन इसे तो basic manners ही नही है"।  lift groundfloor पे रुकती है और दोनो निकल पङते हैं अपने अपने रास्ते।

      श्लोक बहुत ही friendly nature का लङका है, जल्द ही किसी भी माहोल मे घुलमिल जाता है, और जल्द ही friends भी बना लेता है। तो first day उसे college मे ज्यादा problem नही हुई और उसने कुछ friends भी बना लिए।

    "चलो guys बहुत भूख लग रही है canteen चलते है और कुछ खाते है"। ये बोलकर श्लोक अपना backpack उठाने लगा। तभी रोहित ने उसे रोका "यहा canteen मे कुछ अच्छा नही मिलता है, college के पास ही एक restorent है हम वहा चलते है। और आज श्लोक का first day है तो treat भी इसी की बनती है"। और सभी दोस्त बाहर के restorent मे आ जाते हैं।

    Self service restorent है तो श्लोक खुद ही अपना order ला रहा होता है कि सामने से आता हुआ लङका उस से टकरा जाता है और श्लोक के हाथो से ट्रे नीचे गिर जाती है। श्लोक उस लङके की तरफ गुस्से से देखता है

   "Not again, यहां भी"

   "I am realy sorry, मै अपने मोबाईल मे देख रहा था तो आपको देखा ही नहीं" ये बोलकर शब्द नीचे पङी ट्रे उठाकर श्लोक को देता है तो श्लोक का चेहरा उसे जाना पेहचाना सा लगता है और वो बोलता है "क्या मैं आपको जानता हूँ?"

    ये सुनकर तो श्लोक को और गुस्सा आ जाता है "hello dude!! नशे मे रेहते हो क्या?? मैं तुम्हारी ही building मे तुम्हारे सामने वाले flat मे ही रेहता हूँ। मैं वो ही हूँ जो कल तुम्हे letters देने आया था और जिसे ठीक से thanq बोलने के बजाय तुमने दरवाजा ही बंद कर दिआ था। और आज सुबह lift मे भी देख कर भी अनदेखा कर रहे थे।"

      ये सुनकर शब्द को guilt होता है और वो बोलता है " I am realy sorry, मै कल बहुत परेशान था तो मुझे कुछ भी नही समझ आ रहा था i am realy very sorry. और मे अभी आपका नया order लेके आता हूँ"।

   "No thanks!!!" एसा बोलकर श्लोक गुस्से मे अपने दोस्तो के पास चला गया। थोङी देर मे शब्द नया order लेके श्लोक और उसके दोस्तो के पास गया " I am realy sorry guys मेरी वजह से आपका order खराब हो गया so here the new one, please enjoy and forgive me." ये बोलकर वहा से जाने लगा।

    इतने मे स्नेहा शब्द को रोकती है और केहती है " its ok dear एसा तो होता रेहता है अब आप ये ले ही आए हो तो please join us if you have time?"।

   शब्द थोङा हिचकिचाता है क्योंकी वो किसी को जानता नही और जिसे थोङा बहुत जानता है वो उस से मुँह फुलाए बैठा है। रोहित शब्द की झिझक समझ रहा है और शब्द को सभी से introduce करता है " ये है स्नेहा, शालिनी, तुषार और जिस से आप टकराए "श्लोक""। और सभी हँसने लगते है और शब्द भी खुद को introduce कराता हुआ वही बैठ जाता है।

    लेकिन श्लोक तो अभी भी नाराज ही है शब्द से। तभी स्नेहा धीरे से श्लोक के कान मे फुसफुसाती है " यार बङा hot बंदा है और मेने सुना की तेरे घर के पास भी रेहता है, तो मेरी जान पेहचान करवा दे"।

    श्लोक स्नेहा की तरफ देखता है और केहता है "तेरे type का बिल्कुल नही है एक दम खङूस है "। इस पर स्नेहा केहती है " तो मुझे कोनसी शादी करनी है यार बस थोङा time pass ही हो जाएगा"। और दोनो हँसने लगते हैं।

   इतने मे शब्द का phone call आता है और उसे एक जरूरी काम से जाना पङता है।

Same day evening - 07/06/2018:-

   "Stop Stop Stop!!!" बोलकर भागते हुए श्लोक lift रुकवाता है। और again शब्द lift रोक देता है और श्लोक अंदर आ जाता है और lift ऊपर जाने लगती है। थोङी देर खामोशी रेहती है और फिर शब्द बोलता है "hey listen कल के लिए और आज के लिए i am realy sorry!! वो कल मैं बहुत ज्यादा खराब मूड मे था इसलिए ऐसे behave कर गया और " शब्द को बीच मे ही रोकते हुए श्लोक केहता है " its ok dude होता है कभी कभी एसा और i am sorry too मैं भी आज restorent मे कुछ ज्यादा ही बोल गया। lets forget all these and let start fresh.... "Hello i am shlok""। और श्लोक अपना हाथ आगे बङाता है शब्द की ओर और शब्द भी ok बोलकर श्लोक से हाथ मिलाता है "hello i am shabd" और दोनो का eye contact होता है और मानो थोङी देर के लिए सब थम सा जाता है और दोनो बस एक दूसरे को देखते ही रेह जाते हैं और lift का दरवाजा खुल जाता है , तब शब्द eye contact तोङते हुए लङखङाती आवाज मे केहता है "ok!!! Nice to meet you... फिर मिलते हैं" और lift से बाहर आ जाता है और अपने flat की तरफ चला जाता है।

   वहीं श्लोक बस शब्द को देखता ही रेह जाता है और कुछ केह ही नही पाता। और फिर वो भी lift से निकलकर अपने flat की ओर चल देता है।



 Whats going between them? Is it a natural eye contact or something else? Please stay with me to know more about their feelings.

Lots of Love 
Yuvraaj ❤

Monday, June 11, 2018

सपनों का जहां part -III

Flash Back 02/04/2015 :- 
   
     "ये सिफॆ तुम्हारा फैसला है मैं और तुम्हारी माॅ कभी इस फैसले में तुम्हारे साथ नहीं थे और ना होंगे। तुम एक मतलबी ईंसान हो तुमने कभी हमारे बारे मे सोचा कि हम दोनो कैसे रहेगे तुम्हारे बिना। याद रखना ये तुम्हारे अकेले का फैसला है और अगर कल को कोई दिक्कत आती है तो वो भी सिफॆ तुम्हारी ही होगी।"

   "सुगंधा...इसे कुछ पैसे देदो क्योंकी कल को मुझे इससे ये नहीं सुन ना है कि इसके माॅ बाप ने इसे खाली हाथ ही जाने दिआ।"

   इतना कह कर दीक्षित जी ने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।ये शब्द के पापा के आखिरी शब्द थे इसके बाद इन 8 महीनों मे कभी भी उन्होने शब्द से बात नही की।

Present day 06/06/2018 :-

    मायूस शब्द जब अपने पापा की आखिरी बात याद करता है तो वो रुक जाता है। और अपने पापा को याद करके और जोर जोर से रोने लगता है। तभी उसके flat की door bell बजती है।

    शब्द उठता है दरवाजे पर जा कर अपने ऑसू पोछता है दरवाजा खोलता है और बोलता है " दीदी आज कोई काम नही आप please कल आ जाना"
तभी सामने से एक अजनबी हॅसने की आवाज आती है "मैं दीदी नही दादा हू"
     
      तब शब्द ऊपर देखता है तो लगभग उसी की उमृ का, घुंघराले उलझे से बालो वाला, भूरी ऑखे और एक बङी सी हॅसी लिए एक लङका खङा होता है दरवाजे पे।

   शब्द बिना कुछ बोले उसे देखता है मानो पूछना चाह रहा हो कि अब आप क्या लेने आए है उस से। तो वो लङका ही चुप्पी खतम करते हूऐ बोलता है "आपका letter box full हो गया था तो security दादा ने आपको देने को बोला तो मैं ले आया।"

    शब्द ने वो letters उसके हाथ से लिए और बोला "इसकी क्या जरूरत थी मै खुद ले आता लेकिन लाने के लिए thanks" और बिना कुछ और बोले दरवाजा बंद कर दिआ। और अंदर आके मेज पर letters रख कर फिर से खो गया अपने माॅ पापा की यादो मे।

      One minute!!!!!! उस लङके का क्या जो अभी भी दरवाजे पर ही खङा है और सोच रहा है "ये कितना खङूस ईंसान है ना hi ना hello और दरवाजा ही बंद कर दिआ। सही केहती है mom आज कल तो भलाई करने का जमाना ही नही है"

      ये है   श्लोक   हमारी इस रचना का दूसरा मुख्य किरदार। श्लोक शब्द के सामने वाले flat मे ही रेहता है अपने mom dad के साथ। अभी तक श्लोक अपनी दादी के पास था देहरादून मे वही schooling की और वही के college मे graduation कर रहा था। दादी के स्वगॆवास के बाद श्लोक वहां अकेला पङ गया तो श्लोक के dad ने उसे mumbai ही बुला लिया। अब वेसे तो यू बीच session मे किसी भी college मे admission नही होता लेकिन श्लोक के dad की जान पेहचान बहुत है इसलिए कोई तकलीफ नही हुई।


   Now we have to check what this new character brings in shabd's life?? So please tune with this story and give your valuable comments.


Lots of Love
Yuvraaj ❤

Friday, June 8, 2018

सपनों का जहां part - II

Present day 06/06/2018 :-

    शब्द अपने घर की खिङकी से बाहर देख रहा है कुछ सोच मे डूबा हुआ, लेकिन उसे देख कर कोई नही कह सकता की उसके अंतर मन मे क्या तूफान आ रहा है। मानो एक युध्द सा छीङा हो उसके सपनो और आज की सच्चाई के बीच, उसके होंसले और उसके भाग्य के बीच। लेकिन फिर भी किसी तरह खुद को संभाले खङा है बिल्कुल अपनी माॅ की तरह। वो सोचने लगा अपनी माॅ के बारे मे कि कैसे उसकी माॅ ने समझोता किआ होगा खुद के डर और अपने बेटे के सपनों के बीच। और ये सोचते हुए वो अपनी जगह से हटता है और अपने drawing room से होता हुआ आगे बङता कि तभी वहां लगे आईने पर उसकी नज़र पङती है, जिसमे उसे खुद की ही परछाई सी नज़र आती है।
     
       तभी शब्द के कदम खुद ब खुद रुक जाते हैं और वो देखता है खुद को आईने मे। तभी उस आईने मे एक और चेहरा नज़र आता है, ये उसकी माॅ हैं जो उसे देख रहीं हैं और उनके चेहरे से साफ समझ आ रहा है कि वो मानो कह रही हों " बेटा घबराना नहीं, ये समय हमेशा के लिए नहीं है तुम इस से लङ सकते हो और जीत भी सकते हो "

     तभी एक और चेहरा सामने आता है, ये शब्द के पापा हैं मानो कह रहे हों " ये है असली दुनिया ईसी डर से मैं ने कभी तुम्हारे फैसले का साथ नही दिआ। मैं इन सब से तुम्हे बचाना चाहता था और आज मैं इसमे नाकाबयाब रहा"

    शब्द आईने को हाथ लगाता है और वहां कोई नही है वो एक दम अकेला है और यही सच्चाई है। ये सब सोच के वो फूट फूट के रोने लगता है और अपना फोन डूंडने लगता है। वो अपने पापा को फोन करना चाहता है, उन्हे बताना चाहता है कि " पापा आप सही थे, लेकिन मेने आपकी एक बात ना मानी और यहा आने का फैसला ले लिया" वो अपने पापा को गले लगा कर खूब रोना चाहता था। वो अपनी माॅ के पास जाना चाहता था उनकी गोद मे सर रख कर सो जाना चाहता था। परिवार क्या होता है आज उसे समझ आ गया था। लेकिन अभी वो एक दम अकेला था। अभी उसके साथ कोई था तो वो था अकेलापन और अंधेरा।

    तभी उसे अपने पापा की कही आखरी बात याद आ जिती है और वो रुक जाता है....


   Hello friends....
  Whats are the last words of his father? Stay tuned to know much more about our hero SHABD.


Lots of love
Yuvraaj ❤

Thursday, June 7, 2018

सपनों का जहां part - I

Hello friends...
  I wrote this story in english but i feel i can convey my emotions in hindi well. So i write this story in hindi here in this blog. I wrote this story 3 years ago it comes in phrases it also had time flash backs so here i change the dates according to nowadays. Hope you all like my first creation.

Introduction of characters:-

06/06/2018

      नया दिन, नया रास्ता और नई शुरूआत, ये केवल शब्द नहीं हैं , ये शब्द उस इंसान के लिए सारा जहां हैं जिसने अपने सारे सपने, अपने सारे अरमान और अपनी सारी उम्मीदों को टूटते हुऐ देखा हो और बावजूद इसके अपने साहस और कुछ कर दिखाने के जज़्बे के सहारे, एक लम्बी सांस लेकर, अपनी नम ऑखों को पोंछ खङा है फिर से अपने टूटे सपनों को एक बार फिर से पूरा करने के लिऐ।

      मिलिए शब्द से, ये है मुख्य किरदार इस रचना के। इनमे हिम्मत है, काबिलियत है कि एक ही जीवन मे इन्होंने दूसरी बार जन्म लिया है। लोगों को कई जीवन लगते है दोबारा जन्म लेने के लिए, लेकिन शब्द ने ये कर दिखाया है अपने होसले से और संगीत के लिए अपनी निष्ठा से, अपनी लगन से।

Flash back - 25/03/2015

     शब्द ने अपनी पैकिगं पूरी कर ली है और आज रात उसकी ट्रेन है मुम्बई के लिए। शब्द की माॅ श्रीमती दिक्षित गुस्से मे तो हैं लेकिन संभाले खुद को और शब्द की मदद कर रहीं हैअं पैकिंग मे लेकिन उन्हे गुस्से से ज्यादा डर सता रहा है अपने बच्चे के लिए क्योंकी शब्द इन 23 सालों में पेहली बार एसे घर से बाहर जा रहा है।

     वो घबराई हुई  है अपने बेटे के लिए क्योंकी वो जानती है कि बाहर की दुनिया मे केसे लोग बेठे हुए हैं और वो जानती हैं शब्द को अच्छे से कि वो कितने साफ दिल का है और वो किसी पर भी आसानी से भरोसा कर लेता है। वो वो परेशान हैं अपने पति के लिए क्योंकी वो जानती हैं कि शब्द के इस फैसले ने दिक्षित जी को अंदर से तोङ दिया है। उन्होने अपने पति और अपने बेटे के बीच की दूरियों को खतम करने की बहुत कोशिशें की हैं।

      शब्द और उसके पापा के बीच हमेशा से ये दूरी नहीं थी, ये दूरी आई पिछले साल जब शब्द ने अपने सपनों और अपने future plans के बारे मे घर मे बताया। और ऐसा नहीं है कि दिक्षित जी शब्द के music के खिलाफ थे, लेकिन उनकी नज़र मे music शब्द का या कीसी का भी मुख्य carrier option नही हो सकता है। उन्होने शब्द को हमेशा कीसी अन्य काम मे उलझाए रखने की कोशिश की ताकी शब्द के सर से music का भूत उतर जाए।

        लेकिन ये सारी कोशिशें एक तरफा ही थीं। शब्द के लिए music उसके जीवन का लक्ष्य था जिससे उसे भटका पाना मुश्किल था। तो जब उसने मुम्बई जा कर अपने सपनो को पूरा करने की ठानी और ये बात अपने घर मे बताई तभी से दोनो बाप बेटे के बीच अतंर कलह शुरू हो गई थी।

    So this is the one family of this story. The other one is waiting for you in another parts. Hope you like them and the plot of this story. Please let me know your reviews about this one. I post other parts soon.


Lots of love
Yuvraaj ❤



Shadi.Com Part - III

Hello friends,                      If you directly landed on this page than I must tell you, please read it's first two parts, than you...