Hello friends,
This the last part of this story, if u didn't read it's previous parts, than please read those first, than you will easily be connected with this final part.
पहले तो अंश एकदम शांत बैठा रहा। उन लोगों की सारी बातें चुपचाप सुनता रहा। लड़की वालों के यहां से आए लोगों के सभी सवालों का जवाब भी देता रहा। लेकिन उन लोगों के घर से जाते ही, उसने बहुत ही गुस्से में अपने मम्मी पापा को शादी ना करने का अपना निर्णय सुनाया और वहां से बिना किसी की कोई बात सुने अपने कमरे में जाकर दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। कुछ देर बाद जब अंश की मम्मी उसके लिए खाना लेकर आईं, और उन्होंने दरवाजा खटखटाया, तो अभी भी अंश ने गुस्से में उन्हें वहां से चले जाने को कहा। वे वहां कुछ देर और दरवाजा खटखटाती रहीं, लेकिन उनकी इस कोशिश का कोई भी जवाब, अंश की ओर से नहीं मिला, और वे हताश होकर वापस लौट गईं। अगली सुबह भी जब अंश अपने कमरे से बाहर नहीं आया, तो इस बार अंश के पापा ने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की। लेकिन वे भी अपनी सभी कोशिशों में नाकाम रहे। कुछ देर बाद फिर से अंश के दरवाजे पर दस्तक हुई।
अंश :- (गुस्से से चिल्लाते हुए) "मैं आप लोगों से कितनी बार कह चुका हूं, कि मुझे नहीं बात करनी है किसी से।"
सिद्धार्थ :- (दरवाजा खटखटाते हुए) "हां ठीक है! मत कर किसी से बात, लेकिन मुझे तो अंदर आने दे।"
सिद्धार्थ की आवाज सुनकर अंश को थोड़ा अच्छा महसूस होता है। और वह दरवाजा खोल देता है। सिद्धार्थ अपने हाथों में गरमा गरम चाय और नाश्ता लेकर, अंश के कमरे में आता है, और उसके अंदर आते ही, अंश फिर से अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लेता है।
सिद्धार्थ :- "तू कब तक यहां बंद कमरे में बैठा रहेगा??"
अंश :- "जब तक इन लोगों को समझ नहीं आ जाएगा, कि मुझे शादी नहीं करनी है।"
सिद्धार्थ :- "देख यार तेरी भावनाओं को मैं समझ सकता हूं, लेकिन तेरे घर वालों को सपना थोड़ी आएगा, कि तू शादी क्यों नहीं करना चाहता!!! वे तो अपने हिसाब से सही कर रहे हैं ना।"
अंश :- "हां तो यार अब उन्हें समझना पड़ेगा, कि मुझे शादी नहीं करनी है।"
सिद्धार्थ :- (अंश को चाय का कप पकड़ाते हुए) "यार तू 29 का हो जाएगा इस साल और अगले साल 30 का। तो वे तो बस अपने मां-बाप होने का फर्ज निभा रहे हैं। अब धीरे-धीरे तो तेरे ऊपर और प्रेशर पड़ेगा शादी को लेकर।"
अंश :- "तो मैं क्या करूं यार??"
सिद्धार्थ :- "मैं क्या बताऊं?? तू मुझे बता, तू क्या करना चाहता है?"
अंश :- "अगर मेरी जगह तू होता, तो तू क्या करता??"
सिद्धार्थ :- (हंसते हुए) "मैं तो कर चुका जो करना था!!"
अंश :- (आश्चर्य से) "क्या?? तेरी शादी फिक्स हो गई क्या??"
सिद्धार्थ :- "नहीं यार!! मैंने घर में बता दिया कि मैं गे हूं। 2 सालों तक तो मैं भी बस यही कह कर मना करता रहा, कि अभी नहीं करनी शादी। लेकिन फिर घर में मम्मी पापा से रोज इसी बात को लेकर लड़ाइयां होने लगी। तो फिर मैंने उन्हें सब सच बता दिया।"
अंश :- "फिर क्या कहा अंकल आंटी ने??"
सिद्धार्थ :- "क्या कहेंगे!! तब से मुझसे बातचीत बंद है। तू जब दुकान पर आया, तब नहीं देखा क्या तूने?? पापा मुझसे बात नहीं कर रहे हैं!! जब से मैंने उन्हें अपने बारे में बताया है।"
अंश :- "यार तेरे लिए तो यह बहुत ही मुश्किल समय होगा फिर?"
सिद्धार्थ :- "हां यार!! वह तो है, लेकिन और कोई रास्ता था ही नहीं मेरे पास। इसलिए तो मैं तुझसे कह रहा हूं, कि तू भी अब तय कर ले, तू क्या करना चाहता है!! अभी तो कुछ वक्त है तेरे पास।"
अंश :- "इसमें तय क्या कर ना यार!! मैं भी शादी नहीं कर सकता। तो मुझे भी इन लोगों को सच बताना ही पड़ेगा।"
सिद्धार्थ :- "हां यार!! लेकिन फिर भी अभी थोड़ा समय ले, और तैयार कर ले खुद को। पता नहीं तेरे घरवाले कैसे रिएक्ट करें इस बात पर। तो अच्छे से सोच ले, समझ ले, अभी तो बस मना करता रह, शादी के लिए। जब बात ज्यादा ही बढ़ जाए, तब बता देना।"
अंश :- "यार क्या तब और अब!!! जो तब सोचेंगे, वही अभी भी सोचेंगे। तो मैं आज ही बता कर, मुंबई वापस चला जाऊंगा।"
सिद्धार्थ से बात करके अंश को एक रास्ता मिल गया था। उस रास्ते पर चलना तो बेशक अंश के लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल होने वाला था। लेकिन इस सच्चाई को छुपाए रखने से भी किसी का कोई फायदा नहीं होने वाला था। सिद्धार्थ जबरदस्ती अंश को चाय नाश्ता करा कर, वापस अपने घर चला गया। और अंश अपने घर वालों को अपनी सच्चाई बताने की तैयारी करने लगा। शाम होते ही, अंश ने अपने सभी घरवालों को एक जगह इकट्ठा किया। और उन्हें अपने गे होने और मुंबई में अपने बॉयफ्रेंड होने के बारे में सब सच बता दिया। कुछ देर तो वहां सन्नाटा छाया रहा, लेकिन फिर धीरे-धीरे सभी के विचार सामने आने लगे। कुछ ने इसे महज एक जिंदगी का दौर कहा, और शादी के बाद सब ठीक हो जाने का वादा दिया। कुछ ने इसे मुंबई जाने का दोष बताया। और कुछ ने इसे, अंश के उस मुंबई वाले दोस्त की गलत संगत कहा। लेकिन अंश के मम्मी-पापा, वे दोनों चुपचाप बस अंश को ही देखे जा रहे थे। अपने घर वालों के बर्ताव को देखकर, अंश अपनी नजरें झुकाए, वहां से वापस अपने कमरे में चला गया। फिर उसने सिद्धार्थ को फोन कर, सारी बात बताई। और सिद्धार्थ ने उसके घर आने का बोला, लेकिन उसने ऐसा करने से सिद्धार्थ को मना किया। अंश ने सिद्धार्थ को कल उसे एयरपोर्ट छोड़ने को कहा, जिसके लिए सिद्धार्थ ने हामी भरी।
रात को अंश की मम्मी, अंश के लिए खाना लेकर उसके कमरे में आईं। अंश अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था। मम्मी को आता देख, वह उठकर तो बैठ गया, लेकिन उसने अपनी नजरें नीचे ही झुकाए रखीं।
मम्मी :- (अंश के पास बैठते हुए) "तूने जो आज किया है, वह बहुत हिम्मत का काम है। इसके लिए तुझे नजरें झुकाने की कोई जरूरत नहीं है।"
अपनी मम्मी की बातें सुनकर अंश थोड़े आश्चर्य में पड़ा। और वह अपनी मम्मी की ओर देखने लगा, और सोचने लगा, कि "जब मैंने यह बात बताई थी, तब तो मम्मी कुछ नहीं बोल रही थी। और अब यह सब क्यों बोल रही है?"
मम्मी :- (अंश की ओर खाने की थाली बढ़ाते हुए) "अब ऐसे क्या देख रहा है? माँ हूँ तेरी! तेरे बचपन से ही पता था मुझे, कि तू बाकी लड़कों से अलग है। लेकिन मैंने यही सोचा कि, शायद वक्त के साथ सब बदल गया होगा। जब तूने आज यह सब कहा, तब मुझे लगा, कि तेरी शादी के बारे में सोचने से पहले, मुझे तुझसे बात करनी चाहिए थी। यह हमसे गलती हुई है। यह मेरी और तेरे पापा की गलती है, जो हम तुझे समझ नहीं पाए। इसमें तुझे नीचे देखने की, या नजरें चुराने की, या यहां कमरे में छुपकर बैठने की कोई जरूरत नहीं है।"
अंश :- "नहीं मम्मी!! गलती मेरी है, मुझे यह सब बहुत पहले ही आप लोगों को बता देना चाहिए था।"
खाने के साथ-साथ दोनों मां-बेटे के बीच, ढेरों बातें होती हैं। आज की, कल की, और आने वाले कल की भी। अंश की मम्मी, अंश से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में भी पूछती हैं। और व्योम कपूर का नाम सुनकर, तो उनके होश ही उड़ जाते हैं। जिसको वह रोज अपनी टीवी पर देखती हैं, वह व्योम कपूर, उनके बेटे के साथ में एक प्यार भरे रिश्ते में है, यह जानकर तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। और वे अंश को व्योम से फोन पर बात कराने को कहती हैं। और अंश भी उनकी बात व्योम से करा देता है। अंश की मम्मी, हिचकीचाते हुए, खुश होकर, व्योम कपूर से फोन पर बात करती हैं। और उसे भी कभी ग्वालियर आने का न्योता देती हैं।
अगली सुबह अंशु द्वारा बताए समय पर, सिद्धार्थ अपनी गाड़ी लेकर, अंश को हवाई अड्डे छोड़ने के लिए आ जाता है। अंश अपने रूठे घरवालों और प्रफुल्लित मम्मी से विदा लेकर वापस मुंबई आ जाता है। मुंबई आने के बाद, व्योम की व्यस्तता के चलते, अंश का कुछ हफ्तों से व्योम से मिलना नहीं हो पा रहा था। फोन पर और चैट पर बस साधारण बातें हो जाया करती थी। कुछ ही दिनों बाद, सिद्धार्थ ने अंश को फोन किया और उसे व्योम के बारे एक बात बताइए।
सिद्धार्थ :- (फ़ोन पर) "कैसा है?? अंश अगर तुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा हो, तो तू ग्वालियर आजा। या मैं आ जाता हूं, कुछ दिनों के लिए वहां।"
अंश :- "हां!!! तू आजा, तुझे मुंबई भी घुमा दूंगा। लेकिन यह क्यों पूछ रहा है अचानक??"
सिद्धार्थ :- "तू ने टीवी पर नहीं देखा क्या? व्योम कपूर के बारे में??"
अंश :- (चिंता से) "क्या हुआ?? अभी तो मेरी उससे बात हुई है, थोड़ी देर पहले!!!"
सिद्धार्थ :- "नहीं!!! वो स्टार प्लस पर एक शो आने वाला है, नच बलिए!!!! उसमें दिखा रहे हैं, कि व्योम कपूर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हिस्सा लेने वाला है।"
अंश :- (हंसते हुए) "क्या??? अरे तो उसका कोई सीरियल होगा। उसके लिए इतना सीरियस क्यों हो रहा है?"
सिद्धार्थ :- (दबी आवाज में) "नहीं यार!! यह एक रियलिटी शो है। इसमें हस्बैंड, वाइफ या बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड ही हिस्सा लेते हैं।"
अंश :- "ओके!!! तू चिंता मत कर। मैं व्योम से बात कर लूंगा इस बारे में। लेकिन जहां तक मुझे लगता है, कि यह बस टीवी के लिए ही होगा।"
अंश सिद्धार्थ को तो समझा देता है। लेकिन यह बात सुनकर उसके मन में भी कई सवाल उठने लगते हैं। वह तुरंत व्योम को फोन करता है, और शाम को उसे अपने घर बुलाता है। शाम को ऑफिस के बाद, जब अंश अपने घर पहुंचता है। तो वह तब से ही व्योम को फोन लगाना शुरु करता है, लेकिन व्योम अपना फोन उठता है, रात के 11:00 बजे। काम में व्यस्त होने का कारण बताकर, व्योम रात 12:30 बजे अंश से मिलने उसके फ्लैट पर आता है।
व्योम :- (अंश के फ्लैट में अंदर आते हुए) "क्या हो गया?? इतना भी क्या जरूरी काम था???"
अंश :- "अर्जेंट तो कुछ नहीं!! लेकिन जब से ग्वालियर से वापस आया हूं, तुमसे मिल ही नहीं पाया।"
व्योम :- (अंश को गले लगाते हुए) "हां यार!! आजकल ज्यादा काम है, बहुत बिजी रहता हूं। बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता।"
अंश :- "नच बलिए के लिए???"
व्योम :- (अंश को खुद से दूर करके, उसके चेहरे की तरफ देखते हुए) "हां!!! लेकिन तुम्हें कैसे पता??"
अंश :- "टीवी पर देखा!!! तुम और तुम्हारी गर्लफ्रेंड भी हिस्सा ले रहे हैं, इस बार शो में!!"
व्योम :- (हंसते हुए) "अरे वह तो बस टीवी पर यूं ही दिखाते हैं। सरगुन और मैं तो बस अच्छे दोस्त हैं। नच बलिए से मुझे, शो का ऑफर आया, तो बोला कि आपकी पार्टनर को भी करना पड़ेगा। तो मैंने और सरगुन ने एक सीरियल में साथ काम किया था पहले, तो काफी अच्छी बॉन्डिंग थी हमारी। मैंने उससे पूछा तो वह भी फ्री थी इस टाइम के लिए। तो हम दोनों ने मिलकर साइन कर लिया।"
अंश :- "अरे तो मुझे क्यों इतनी सफाई दी रहे हो?? मुझे तुम पर भरोसा है। एक बात बताऊं!!! मैंने मेरे घर वालों को बता दिया, कि मैं गे हूं, और मम्मी को तो मैंने तुम्हारे और मेरे बारे में भी बता दिया।"
व्योम :- (थोड़ा गुस्सा होते हुए) "अच्छा तभी उस दिन इतने प्यार से बात कर रहीं थीं वो!!! लेकिन अंशुमन यह सही नहीं रहेगा, मेरे करियर के लिए। और तुम्हें अपने बारे में जो बताना है बताओ, लेकिन मेरा नाम अपने साथ मत जोड़ा करो।"
अंश :- "यार मम्मी है वो मेरी!!! कैसे छुपा सकता हूं उनसे। और मेरी मम्मी को तुम्हारे बारे में पता होने से कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा तुम्हारे काम पर??"
व्योम :- "अंशुमन अब तुम मुंबई में हो, मेरे साथ हो। यह छोटे शहरों वाली सोच को बाहर निकालो अपने दिमाग से। हमारा रिश्ता एक सीक्रेट है, और हमेशा बस मेरा और तुम्हारा सीक्रेट ही रहेगा। जरा सी अफवाह, मेरा करियर खत्म कर सकती है। जब मेरा उस फैशन डिजाइनर से रिश्ता टूटा था ना, तब मुझे भी नहीं समझ आ रहा था, कि उसने ऐसा क्यों किया, जैसे अभी तुम्हें नहीं समझ आ रहा है। लेकिन अब मैं समझ सकता हूं, कि उसने जो किया सही किया। वही ठीक था हम दोनों के लिए। जब नच बलिए का मुझे ऑफर आया, तो मैंने बिना सोचे समझे हां कर दिया। पता है क्यों?? सिर्फ इसलिए, कि अभी भी अगर किसी के दिमाग में जरा सा भी शक होगा, मेरे और उस फैशन डिज़ाइनर के बारे में, तो यह शो देखकर वह भी खत्म हो जाएगा।"
अंश :- (आश्चर्य से) "तुम जो कुछ भी कह रहे हो ना, मैंने कभी भी तुमसे ये सब सुनने की उम्मीद नही की थी।"
व्योम :- "क्या गलत बोला मैंने?? तुमने सोचा है, तुम्हारे मम्मी पापा पर क्या गुजर रही होगी, यह सब जानकर!!! तुम उनके अकेले बैटे हो!! उनके कितने सपने होंगे, तुम्हें लेकर, तुम्हारी फैमिली को लेकर, और तुमने एक बार भी मुझसे पूछना जरूरी भी नहीं समझा??"
अंश :- "इसमें पूछने वाली कौन सी बात थी?? मेरी फैमिली है वो, मेरे बारे में सच जानने का पूरा हक है उनका। और वह लोग मेरी शादी की बात कर रहे थे, और कब तक छुपा कर रखता है इस बात को मैं??"
व्योम :- "शादी कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, कि उसके लिए तुम अपने मम्मी पापा के सपने ही तोड़ दो। कुछ बातें हमेशा के लिए छुपा कर रखनी पड़ती हैं, और कुछ बातों का दिखावा करना पड़ता है। तभी हमारे आसपास के सभी लोग खुश रह पाते हैं।"
अंश :- "हां जैसे तुम्हारा यह गर्लफ्रेंड वाला नाटक???? किसे खुश करने के लिए कर रहे हो तुम??? और मेरे पम्मी पापा खुश है, मेरी सच्चाई जानकर। हां बाकी घर वाले थोड़े निराश हैं, लेकिन मैं उन्हें जानता हूं, कुछ समय बाद वे सब भी नॉर्मल हो जाएंगे। और एक बात मुझे बताओ!! मुझे खुश देखकर वह लोग खुश होंगे, या फिर मैं एक जबरदस्ती का रिश्ता बनाऊ, और कुछ समय के बाद वह रिश्ता टूट जाए, फिर मेरी लाइफ को देखकर वह लोग खुश होंगे??? किस तरीके से खुश होंगे वो लोग????"
व्योम :- "गलती हो गई जो मैंने तुम्हें कुछ अच्छा समझाने की कोशिश की। जो तुम्हें ठीक लगे वही करो तुम। बस मेरा नाम कहीं लेने की जरूरत नहीं है।...... कितना अच्छा मूड था, सब खराब कर दिया!!"
अंश के फ्लैट में कुछ देर वक्त बिताने के बाद, व्योम कुछ नाराज होकर वहां से चला गया। और व्योम की बातें अंश को भी बिल्कुल पसंद नहीं आई। व्योम का यह रूप, इतने महीनों में अंश को पहली बार देखने को मिला था। अंश व्योम की बातों से थोड़ा गुस्सा और थोड़ा परेशान सा हो गया था। और अंश, व्योम के गर्लफ्रेंड वाले नाटक की वजह से परेशान नहीं हो रहा था, अंश के परेशानी की वजह थी, व्योम की सोच। व्योम अभी जो कुछ भी कह कर गया था, इसमें साफ साफ उसकी सोच नज़र आती थी। और उस सोच को जानकर, अंश को बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था। अगले दिन सोकर जागने के बाद, जब व्योम ने कल रात को, अंश से की हुई बातों के बारे में सोचा, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। और उसने अंश को फोन कर अपनी गलती की माफी मांगी। और अपनी गलती के प्रायश्चित फल स्वरुप, अंश के साथ आज का सारा दिन साथ बिताना तय किया। व्योम ने अंश को भी उसके ऑफिस फोन करके आज की छुट्टी लेने को कहा। और कुछ समय बाद, व्योम अंश को लेने उसके फ्लैट पर भी आ गया। दोनों साथ में महाबलेश्वर के लिए निकल गए।
रास्ते भर दोनों के बीच अपने अपने विचारों का आदान-प्रदान हुआ। लेकिन अंश व्योम की सोच के बारे में जानकर, थोड़ा हैरान जरूर हुआ था। व्योम की सोच ने उनके रिश्ते पर कुछ सवाल जरूर खड़े कर दिए थे। जिनके बारे में अंश चाह कर भी नहीं सोचना चाहता था। और इतने दिनों के बाद, व्योम के साथ ने उन सभी सवालों को हवा में भी उड़ा दिया था। अंश और व्योम ने पिछली रात की सारी बातों को भुला कर, साथ में अच्छा समय बिताया, और दोनों देर रात तक वापस मुंबई भी लौट आए।
कुछ ही दिनों में दोनों के बीच का मनमुटाव पूरी तरह से खत्म हो चुका था। व्योम अपने नए शो, नच बलिए को लेकर ज्यादा ही व्यस्त हो गया था। लेकिन जब उसे समय मिलता था, वह अंश के साथ समय बिताने, उसके फ्लैट पर आ जाया करता था। अपनी और सरगुन की डांस प्रैक्टिस की सभी बातें, अंश को सुनाया करता था। अंश की मम्मी से भी कभी-कभी फोन पर बात कर लिया करता था। व्योम की सोच के कुछ अंश, अगर उससे अलग कर दिए जाएं, तो अंश के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व की छवि साफ़ साफ़ व्योम में देखी जा सकती थी। और कुछ कमियां तो हर इंसान में ही होती हैं, और उन कमियों को स्वीकार कर अंश ने व्योम की अच्छाइयों को ही तवज्जो देने का जो फैसला ले लिया था, अब अंश अपने उस फैसले से काफी खुश भी था। मुंबई आने का फैसला लेना, व्योम से मिलना, और व्योम का अंश की जिंदगी में आना, यह सब महज एक संयोग ही था। और अंश अपनी जिंदगी में अचानक आए इस प्यार के समंदर से काफी अभिभूत भी था। लेकिन अगर कोई अपनी किस्मत में ही दर्द-ए-दिल पाना लिखवा कर साथ लाया हो, तो उसके दिल को टूटने से कोई नहीं बचा सकता।
कुछ ही दिनों बाद नच बलिए टीवी पर आना शुरू हो गया। और ग्वालियर में सिद्धार्थ और अंश की मम्मी, इस शो को बड़े ही चाव से देखने भी लगे। लेकिन शो शुरू होने के तीसरे हफ्ते में ही, व्योम कपूर ने नेशनल टेलीविजन पर, सारे देश के सामने, अपनी तथाकथित गर्लफ्रेंड सरगुन मेहता को, शादी के लिए प्रपोज कर दिया। और सरगुन ने भी इस रिश्ते के लिए हामी भर दी। यह सब टीवी पर देखकर सिद्धार्थ को तो बहुत ही गुस्सा आया। और वहीं अंश की मम्मी, अपने बेटे को होने वाली निराशा से दुखी हुई। दोनों ने ही इस बारे में अंश को फोन पर जानकारी दी। यह खबर सुनकर, अंश की परेशानी का सबब उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। जिस गर्लफ्रेंड के किस्से को वो अब तक, महज टीवी के लिए किए जाने वाला नाटक समझ रहा था। वह नाटक अब धोखे का रूप लेता जा रहा था। सिद्धार्थ और अपनी मम्मी की बात को सच ना मानकर, अंश ने खुद इंटरनेट पर उस शो को देखा। और हाथों में अंगूठी लिए, सरगुन के सामने घुटनों पर बैठे हुए व्योम को देखकर, अंश को अपने प्यार पर ही शक होने लगा। उसने तुरंत व्योम को फोन किया, लेकिन व्योम ने फोन नहीं उठाया। अंश अभी भी खुद को संभाले हुए, अपने ऑफिस में नॉर्मल तरीके से काम किए जा रहा था। वह एक बार व्योम से बात करके, इस नाटक की सच्चाई को खुद व्योम के मुंह से सुनना चाह रहा था। लेकिन व्योम और सरगुन की वह तस्वीर, तो उसके जहन से निकल ही नहीं रही थी। वह सारा दिन, थोड़ी थोड़ी देर बाद, लगातार व्योम को फोन करता रहा। लेकिन व्योम ने एक बार भी उसका फोन नहीं उठाया। देर रात जब व्योम, अंश के फ्लैट पर पहुंचा। तो फ्लैट में अंदर दाखिल होते ही, अंश ने उसके फोन ना उठाने का कारण व्योम से पूछा। जिसका उत्तर व्योम ने काम की व्यस्तता को बताया। उसने फिर सरगुन से शादी का सवाल भी व्योम से किया, तो अंश का इस तरह से सवाल जवाब करना व्योम को बिल्कुल भी रास नहीं आया।
व्योम :- (गुस्से में) "यार मैं दिन भर का थका हारा आया हूं। मुझे रिलैक्स कराने के बजाय, मुझसे सवाल पर सवाल किए जा रहे हो!!"
अंश :- "सवाल करने वाले काम ही कर के आए हो, तो सवाल ही होंगे!!!"
व्योम :- "हां किया है मैंने उसे प्रपोज!! और शादी भी करूंगा उससे!!! पता है, आज ही दो फिल्मों के ऑफर आए हैं, हम दोनों को। हीरो हीरोइन के तौर पर लेना चाहते हैं, हम दोनों को साथ में। मेरे करियर ग्राफ के लिए एकदम सही फैसला है यह।"
अंश :- (व्योम की बात सुनकर निराश होकर) "मैं क्या हूं तुम्हारे लिए व्योम??? उस दिन मुझे बोल रहे थे, कि मैंने अपने बारे में अपने घरवालों को बताने से पहले तुमसे क्यों नहीं पूछा!!! और आज मेरे साथ रिलेशन में होने के बावजूद, किसी लड़की से शादी करने का फैसला ले लिया तुमने, और मुझे इस बारे में एक बार बताना भी जरूरी नहीं समझा??"
व्योम :- (अंश को गले लगाने के लिए बढ़ते हुए) "अरे यार तो इसका हमारे प्यार पर कोई असर नहीं पड़ेगा!!"
अंश :- (व्योम को खुद से दूर करते हुए) "क्या??? व्योम मुझे ऐसा लग रहा है, कि मैं तुम्हें जानता ही नहीं हूं। तुम वह शख्स हो ही नहीं जिससे मैंने प्यार किया था।"
व्योम :- (अंश के हाथों को पकड़ते हुए) "मेरा विश्वास करो अंश!! जैसा अभी चल रहा है, शादी के बाद भी सब ऐसा ही चलता रहेगा। आई ऑलवेज लव यू!!"
अंश :- (व्योम के हाथों को झटकते हुए) "प्यार का मतलब भी जानते हो तुम??? घिन आ रही है मुझे तुमसे और तुम्हारी सोच से। चले जाओ यहां से, मुझे शक्ल भी नहीं देखनी तुम्हारी।"
व्योम अंश को मनाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह जो भी दलीलें खुद को सही जताने के लिए, अंश को देता है। उनसे वह अंश की नजरों में गिरता ही जाता है। अपनी बात ना बनते देख, व्योम वहां से गुस्से में चला जाता है। और अंश अपने फ्लैट में अकेले में बस व्योम की कही बातों के बारे में सोच सोच कर रोता ही रह जाता है। यह दूसरी दफा था, जब अंश का दिल किसी ने तोड़ा था। उसे दर्दे दिल का गम दिया था। लेकिन पहले सिद्धार्थ उसके साथ था, उसका दर्द बांटने के लिए, उसके आंसू पोछने के लिए, उसे दिलासा देने के लिए। लेकिन अभी तो अंश बिल्कुल अकेला है। यह तन्हाई और व्योम की बातें, उसकी यादें, अंश के आंसुओं को सूखने का एक मौका तक नहीं दे रही है। अंश ने यूं ही रोते हुए सारी रात निकाल दी, और अगली सुबह के उगते सूरज का स्वागत भी, अपनी भीगी पलकों के साथ ही किया। नहा धोकर अंश ने ऑफिस जाना ही तय किया। क्योंकि घर पर रहकर तो वह सारा दिन, सिर्फ व्योम के बारे में ही सोचता रहता, और अकेले में आंसू ही बहता रहता। इसलिए ऑफिस जाकर, काम में मन को उलझाना ही उसे सही लगा। आफिस में सारा दिन, व्योम, सिद्धार्थ और मम्मी के आए तमाम कॉल और मैसेज का उत्तर देने का अंश का बिल्कुल भी मन नहीं हुआ। शाम को ऑफिस से आ जाने के बाद, रात भर ना सोने के कारण, बिस्तर पर लेटते ही उसकी नींद भी लग गई। और बिना कुछ खाए पिए ही, अंश शाम को ही सो गया। रात के करीब 12:30 पर दरवाजे पर हो रही आहट से उसकी आंख खुली। जब उसने दरवाजे पर जाकर आवाज लगाई, तो बाहर से व्योम के दरवाजा खोलने का उत्तर पाकर, उसे व्योम की वही सब बातें याद आने लगी, जो व्योम पिछली रात कह कर गया था। और अंश ने बिना दरवाजा खोले, व्योम को वापस जाने को कह दिया। और थोड़ी देर बाद, व्योम वहां से चला गया। कुछ देर वही दरवाजे के पास ही खड़े रहने के बाद, अंश वापस अपने कमरे में आया, और मोबाइल उठा कर देखा। मोबाइल में मम्मी, सिद्धार्थ और व्योम के कई, मिस कॉल और मैसेज पढ़े हुए थे, जिन्हें नजरअंदाज कर वो वापस से सो गया।
अगली सुबह अंश की आंख फिर दरवाजे पर हो रही खटखटाहट से ही खुली। और उसने यही सोचा कि, व्योम ही वापस से आ गया होगा।
अंश :- (घर के अंदर से चिल्लाते हुए) "मुझे नहीं कोई बात करनी तुमसे। प्लीज कोई तमाशा मत बनाओ!!! और जाओ वापस अपनी उस नकली दुनिया में।"
सिद्धार्थ :- (दरवाजे को खटखटाते हुए) "दरवाजा तो खोल यार अंश । मैं सिद्धार्थ!!!"
सिद्धार्थ की आवाज सुनते ही अंश ने फोरन दरवाजा खोला और सिद्धार्थ को जोर से गले लगा कर रोने लगा। सिद्धार्थ ने अंश को संभाला और उसे शांत कराने की कोशिश करने लगा। लेकिन अंश के दूसरी बार टूटे दिल को वापस से जोड़ पाना, इस बार सिद्धार्थ के लिए भी बहुत मुश्किल काम हो गया था। सिद्धार्थ कि कहीं किसी भी बात को, अंश सुनने को ही तैयार नहीं था। दोबारा प्यार में मिले धोखे को, अंश खुद की ही गलती माने बैठा था। उसने सिद्धार्थ को वापस उसे ग्वालियर ले जाने को कहा, और सिद्धार्थ ने भी उसकी बात मान ली। और अगले ही दिन सिद्धार्थ अंश को अपने साथ ग्वालियर ले आया। अंश के घर में सिर्फ उसकी मम्मी को छोड़कर, उसके टूटे दिल का हाल किसी को नहीं पता था। और अंश के पापा को छोड़कर, बाकी घरवालों में, अंश के शादी ना करने के फैसले से थोड़ा मनमुटाव बाकी था। सिद्धार्थ और अंश की मम्मी को 6 से 7 दिन का समय लगा, अंश के चेहरे पर मुस्कान वापस लाने में। लेकिन दिल की टीस अभी भी अंश को रात को चैन से सोने नहीं देती थी। और व्योम के बार-बार आते कॉल और मैसेज उसे सब कुछ भूलने भी नहीं देते थे। एक रात अंश सिद्धार्थ से फोन पर बात कर रहा था, कि......
अंश :- (फोन पर) "सिद्धार्थ थैंक्यू!!!! तू हमेशा मेरा साथ देता है यार!!! तेरे जैसा दोस्त सच में किस्मत से ही मिलता है।"
सिद्धार्थ :- "इसमें थैंकयू बोलने की कोई जरूरत नहीं है। मैं हमेशा तेरे आस पास रहूंगा तुझे संभालने के लिए।"
अंश :- "यार काश मैं तुझसे ही प्यार कर लेता, कम से कम मेरा दिल तो ना टूटता!!!"
सिद्धार्थ :- "अंश यार मैं एक बात बोलूं.....? चल रहने दे...!!! तू सो जा कल बात करते हैं।"
अंश :- "अरे नहीं यार!! नींद नहीं आ रही मुझे अभी। तू बता!! क्या कह रहा था???"
सिद्धार्थ :- "यार मुझे नहीं पता, कि यह सही समय है अपनी बात बोलने का या नहीं!!! लेकिन यार मैं तुझे यह बात बहुत समय पहले ही बताना चाहता था। लेकिन मैं तुझे कुछ कह पाता, इससे पहले तू आदित्य के साथ रिलेशन में चला गया, और फिर मुंबई चला गया और फिर व्योम तेरी लाइफ में आ गया........"
अंश :- "क्या कहना चाहता है? बोल चुप क्यों हो गया??"
सिद्धार्थ :- "यार अंश मैं जब से तुझ से मिला हूं, मेरे दिल में तेरे लिए फीलिंग है। लेकिन यार मैं तुझे कभी कुछ कह ही नहीं पाया।"
अंश :- "देख अगर तू यह सब मजाक कर रहा है, या मेरा मूड ठीक करने के लिए कह रहा है, तो मेरा मूड पहले से ही ठीक है। और यह बहुत ही खराब मजाक है।"
सिद्धार्थ :- "नहीं यार!!! मैं बिल्कुल मजाक नहीं कर रहा। मैं सच बोल रहा हूं। मैं तुझे दोस्त से बढ़कर पसंद करता हूं।"
अंश :- "अच्छा अगर ऐसा है, तो जब मैंने तुझे उस दिन किले पर किस किया था, तो ऐसा रिएक्शन क्यों दे रहा था, कि मैंने कुछ गलत कर दिया हो??"
सिद्धार्थ :- "यार तब मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि मैं क्या करूं, क्या कहूं। अगर मैं तब तुझे यह सब बोलता, या मैं भी आगे बढ़कर तुझे किस करने लगता। तो उस वक्त तेरा ब्रेकअप हुआ ही था, तो कहीं तुझे ऐसा ना लगता, कि मैं तेरा फायदा उठा रहा हूं। इसलिए उस समय मैंने खुद को काबू में कर लिया था। लेकिन मन तो मेरा हो रहा था तुझे किस करने का।"
अंश :- (हँसते हुए) "हां मुझे सब समझ आ रहा है, कि तू बस मजाक ही कर रहा है।"
सिद्धार्थ :- "देख यही तेरी दिक्कत है। मैं अपने मन की बात बता रहा हूं, तो तुझे मजाक लग रहा है। और कोई गलत इरादे से तुझे आई लव यू बोलेगा, तो तू हंस के उसके साथ चला जाएगा।"
अंश :- "यार मुझे नहीं समझ आ रहा, मैं क्या बोलूं।"
सिद्धार्थ :- "अरे तो मैं थोड़ी तुझे कुछ बोलने के लिए कह रहा हूं, मैं तो बस तुझे अपने दिल की बात बता रहा हूं। अच्छा सुन!!! कल कोई प्लान तो नहीं है ना तेरा??? और अगर हो तो कैंसल कर दे!!! कल मैं तुझे एक जगह ले चलूंगा, तुझे अच्छा लगेगा वहां।"
अंश :- "ऐसी कौन सी जगह ले जा रहा है?? नाम तो बता??"
सिद्धार्थ :- "कल चल कर ही देख लेना, मैं आ जाऊंगा 11:00 बजे लेने तुझे। तैयार रहना। चल अब सो जा, और हां मेरी बात के बारे में सोचना जरूर। आई लव यू !!!"
सिद्धार्थ अपनी बात कहकर फोन काट देता है। और अंश सिद्धार्थ कि कही सारी बातों के बारे में सोचने लगता है। अंश सोचता है, कि कहीं सिद्धार्थ मजाक तो नहीं कर रहा था??? लेकिन जितना अंश सिद्धार्थ को जानता है, तो सिद्धार्थ इतनी बड़ी बात का मजाक तो नहीं बनाएगा!!! तो क्या सच में सिद्धार्थ अंश से प्यार करता है??? इन्हीं बातों को सोचते हुए अंश की आंख लग जाती है। और अंश अपने सपने में भी सिद्धार्थ को ही देखता है। सिद्धार्थ के साथ हंसना मुस्कुराना, उसके साथ लड़ना झगड़ना, सिद्धार्थ का हर जरूरत के वक्त अंश का सहारा बन कर खड़ा होना, और सिद्धार्थ को किले की ऊंचाइयों पर, ढलते सूरज की लाली में, किस करना। इन सभी सपनों के साथ अंश मुस्कुराकर अगली सुबह उठता है। और तैयार होकर सिद्धार्थ से मिलने का इंतजार करने लगता है। उधर सिद्धार्थ भी तैयार होकर, फूलों का गुलदस्ता लेकर, अंश से मिलने उसके घर की ओर निकल पड़ता है।
जैसे ही सिद्धार्थ अंश के घर के पास पहुंचता है, वहां काफी भीड़ इकट्ठी हुई होती है। कई न्यूज़ चैनल्स की गाड़ियां, अंश के घर के आसपास खड़ी हुई होती हैं। कई न्यूज़ रिपोर्टर हाथों में माइक, और कैमरामैन के साथ अंश के घर की ओर देख रहे होते हैं। भीड़ से निकलकर सिद्धार्थ जैसे ही अंश के घर में घुसता है, वहां अंश का सारा परिवार, व्योम कपूर की खातिरदारी में लगा हुआ होता है। सिद्धार्थ वहां से निकलकर किचन की तरफ जाता है, जहां अंश की मम्मी कुछ काम कर रही होती है। और वह उनसे सभी हाल जानने की कोशिश करता है। अंश की मम्मी सिद्धार्थ को बताती हैं कि, "कुछ देर पहले ही व्योम कपूर यहां आया है, और इसे देखकर ही, अंश ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया है। ना तो वो बाहर आ रहा है, और ना ही व्योम कपूर यहां से जाने का नाम ले रहा है।" अंश की मम्मी की बात सुनकर, सिद्धार्थ अंश के कमरे की ओर जाता है, और अंश के कमरे का दरवाजा खटखटा ता है।
सिद्धार्थ :- (दरवाजा खटखटाते हुए) "अंश दरवाजा खोल, बाहर आ, या मुझे अंदर आने दे!!"
अंश :- (दरवाजा खोलकर सिद्धार्थ को अंदर बुला कर, वापस कमरे का दरवाजा बंद करते हुए) "क्यों आया है अब ये यहां??? और कोई इसे जाने को भी नहीं कह रहा है!!!"
सिद्धार्थ :- "वो यहां सिर्फ तेरे लिए आया है, तो तुझे ही उसे जाने के लिए कहना पड़ेगा ना!!!"
अंश :- "यार मुझे उसका चेहरा भी नहीं देखना है!!! तू उसे भगा यहां से।"
सिद्धार्थ :- "हां चल मेरे साथ, हम उसे जाने के लिए कहते हैं।"
बड़ी मुश्किल से समझा-बुझाकर, सिद्धार्थ अंश को बाहर व्योम के सामने लेकर आता है। अंश को देखते ही व्योम आगे बढ़कर, अंश को अपने गले से लगा लेता है।
अंश :- (व्योम को खुद से दूर करते हुए) "क्यों आए हो तुम यहां??"
व्योम :- "मुझे अपनी गलती समझ आ गई है!! आज मैं अपनी गलती सुधारने और तुम्हें वापस अपने साथ ले जाने आया हूं।"
अंश :- "मुझे कहीं नहीं जाना है तुम्हारे साथ!!! तुम जाकर अपनी शादी की तैयारियां करो!!"
व्योम :- (अंश का हाथ पकड़ते हुए) "क्या हम अकेले में चल कर बात कर सकते हैं??"
अंश :- (व्योम का हाथ झटकते हुए) "मुझे तुमसे कोई भी बात नहीं करनी है!! चले जाओ तुम यहां से।"
व्योम :- "प्लीज अंश!!! मैं इतनी दूर से सिर्फ तुमसे बात करने आया हूं। क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, और इतनी आसानी से तुम्हें अपनी जिंदगी से नहीं जाने दे सकता।"
अंश के बाकी घर वाले, जो अब तक व्योम की खातिरदारी में लगे हुए थे। अंश और व्योम की बातें सुनकर, अब अपने नाक और भवै सिकोड़ कर, अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं। वहां रह जाते हैं, तो बस अंश के मम्मी-पापा, और सिद्धार्थ। और वे तीनों ही अंश को व्योम की बात एक बार सुनने के लिए कहते हैं। और अंश उन लोगों की बात मानकर, व्योम को बोलने का इशारा करता है।
व्योम :- "थैंक्यू अंश!!! में सच में यहां तुमसे अपने बर्ताव के लिए माफी मांगने आया हूं। और मैंने सरगुन को भी हमारे रिश्ते के बारे में सब सच बता दिया है। और उसे भी हमारे रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है। हम दोनों मेरी शादी के बाद भी, साथ रह सकते हैं।"
सिद्धार्थ :- (आश्चर्य से) "क्या मतलब???"
व्योम :- (अंश के हाथों को पकड़ते हुए) "मैं एक एक्टर हूं अंश!! तो मेरी शादी और सरगुन का रिश्ता तुम एक्टिंग ही समझ लो बस। बस मीडिया के लिए हम शादी करेंगे, पति-पत्नी बनेंगे। लेकिन मैं हमेशा तुमसे ही प्यार करूंगा। तुम्हारे साथ ही रहूंगा।"
अंश :- "मुझे सच में विश्वास नहीं हो रहा है, कि तुम मेरे ही घर में खड़े होकर, मेरे मम्मी पापा के सामने, मुझे अपनी रखेल बनाने की बात कर रहे हो।"
व्योम :- "कैसी बातें कर रहे हो अंश!!! मैं तुमसे प्यार करता हूं। यह शादी तो बस एक नाटक होगी।"
अंश :- "तुम प्यार का मतलब ही नहीं जानते हो व्योम!!! तुम्हारे लिए यह सब बस एक खेल है। प्यार का सही मतलब भी जानते हो तुम??? जब तुम अपनी खुशी से ज्यादा, दूसरे की खुशी की परवाह करो, उसे कहते हैं प्यार। जब तुम दूसरे की आंखों में आंसू देख कर, खुद भी रोने लगो, उसे कहते हैं प्यार। दूसरे को तकलीफ में देख कर, तुम उस का सहारा बन जाओ, उसे कहते हैं प्यार। और अब मैं तुमसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता। मैं किसी और से प्यार करता हूं। तो अब तुम यहां से जा सकते हो। और ऐसा प्यार का नाटक करने वाले तुम्हें बहुत मिल जाएंगे। तो ऐसा प्यार तुम्हें ही मुबारक हो।"
अंश की बातें सुनकर व्योम निराश होकर वहां से चला जाता है। और अंश के मम्मी पापा भी अपने कमरे में चले जाते हैं। और वहां रह जाते हैं, अंश और सिद्धार्थ। सिद्धार्थ अब अंश की आंखों में एक अलग ही चमक महसूस कर सकता था। जो उसने आज तक नहीं देखी थी। सिद्धार्थ कुछ कह पाता इससे पहले अंश सिद्धार्थ की ओर बढ़ा, और उसके होठों पर एक प्यारी सी किस की, और धीरे से उसके कानों में कहा.....
" किले पर चलें???"
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Lots of LoveYuvraaj ❤️