Wednesday, September 23, 2020

"दर्द-ए-दिल" Final Part

 Hello friends,

                  This the last part of this story, if u didn't read it's previous parts, than please read those first, than you will easily be connected with this final part.



      पहले तो अंश एकदम शांत बैठा रहा। उन लोगों की सारी बातें चुपचाप सुनता रहा। लड़की वालों के यहां से आए लोगों के सभी सवालों का जवाब भी देता रहा। लेकिन उन लोगों के घर से जाते ही, उसने बहुत ही गुस्से में अपने मम्मी पापा को शादी ना करने का अपना निर्णय सुनाया और वहां से बिना किसी की कोई बात सुने अपने कमरे में जाकर दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। कुछ देर बाद जब अंश की मम्मी उसके लिए खाना लेकर आईं, और उन्होंने दरवाजा खटखटाया, तो अभी भी अंश ने गुस्से में उन्हें वहां से चले जाने को कहा। वे वहां कुछ देर और दरवाजा खटखटाती रहीं, लेकिन उनकी इस कोशिश का कोई भी जवाब, अंश की ओर से नहीं मिला, और वे हताश होकर वापस लौट गईं। अगली सुबह भी जब अंश अपने कमरे से बाहर नहीं आया, तो इस बार अंश के पापा ने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की। लेकिन वे भी अपनी सभी कोशिशों में नाकाम रहे। कुछ देर बाद फिर से अंश के दरवाजे पर दस्तक हुई।



अंश :- (गुस्से से चिल्लाते हुए) "मैं आप लोगों से कितनी बार कह चुका हूं, कि मुझे नहीं बात करनी है किसी से।"


सिद्धार्थ :- (दरवाजा खटखटाते हुए) "हां ठीक है! मत कर किसी से बात, लेकिन मुझे तो अंदर आने दे।"



       सिद्धार्थ की आवाज सुनकर अंश को थोड़ा अच्छा महसूस होता है। और वह दरवाजा खोल देता है। सिद्धार्थ अपने हाथों में गरमा गरम चाय और नाश्ता लेकर, अंश के कमरे में आता है, और उसके अंदर आते ही, अंश फिर से अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लेता है।



सिद्धार्थ :- "तू कब तक यहां बंद कमरे में बैठा रहेगा??"


अंश :- "जब तक इन लोगों को समझ नहीं आ जाएगा, कि मुझे शादी नहीं करनी है।"


सिद्धार्थ :- "देख यार तेरी भावनाओं को मैं समझ सकता हूं, लेकिन तेरे घर वालों को सपना थोड़ी आएगा, कि तू शादी क्यों नहीं करना चाहता!!! वे तो अपने हिसाब से सही कर रहे हैं ना।"


अंश :- "हां तो यार अब उन्हें समझना पड़ेगा, कि मुझे शादी नहीं करनी है।"


सिद्धार्थ :- (अंश को चाय का कप पकड़ाते हुए) "यार तू 29 का हो जाएगा इस साल और अगले साल 30 का। तो वे तो बस अपने मां-बाप होने का फर्ज निभा रहे हैं। अब धीरे-धीरे तो तेरे ऊपर और प्रेशर पड़ेगा शादी को लेकर।"


अंश :- "तो मैं क्या करूं यार??" 


सिद्धार्थ :- "मैं क्या बताऊं?? तू मुझे बता, तू क्या करना चाहता है?"


अंश :- "अगर मेरी जगह तू होता, तो तू क्या करता??"


सिद्धार्थ :- (हंसते हुए) "मैं तो कर चुका जो करना था!!"


अंश :- (आश्चर्य से) "क्या?? तेरी शादी फिक्स हो गई क्या??" 


सिद्धार्थ :-  "नहीं यार!! मैंने घर में बता दिया कि मैं गे हूं। 2 सालों तक तो मैं भी बस यही कह कर मना करता रहा, कि अभी नहीं करनी शादी। लेकिन फिर घर में मम्मी पापा से रोज इसी बात को लेकर लड़ाइयां होने लगी। तो फिर मैंने उन्हें सब सच बता दिया।"


अंश :- "फिर क्या कहा अंकल आंटी ने??"


सिद्धार्थ :- "क्या कहेंगे!! तब से मुझसे बातचीत बंद है। तू जब दुकान पर आया, तब नहीं देखा क्या तूने?? पापा मुझसे बात नहीं कर रहे हैं!! जब से मैंने उन्हें अपने बारे में बताया है।"


अंश :- "यार तेरे लिए तो यह बहुत ही मुश्किल समय होगा फिर?"


सिद्धार्थ :- "हां यार!! वह तो है, लेकिन और कोई रास्ता था ही नहीं मेरे पास। इसलिए तो मैं तुझसे कह रहा हूं, कि तू भी अब तय कर ले, तू क्या करना चाहता है!! अभी तो कुछ वक्त है तेरे पास।" 


अंश :- "इसमें तय क्या कर ना यार!! मैं भी शादी नहीं कर सकता। तो मुझे भी इन लोगों को सच बताना ही पड़ेगा।" 


सिद्धार्थ :- "हां यार!! लेकिन फिर भी अभी थोड़ा समय ले, और तैयार कर ले खुद को। पता नहीं तेरे घरवाले कैसे रिएक्ट करें इस बात पर। तो अच्छे से सोच ले, समझ ले, अभी तो बस मना करता रह, शादी के लिए। जब बात ज्यादा ही बढ़ जाए, तब बता देना।"


अंश :- "यार क्या तब और अब!!! जो तब सोचेंगे, वही अभी भी सोचेंगे। तो मैं आज ही बता कर, मुंबई वापस चला जाऊंगा।"



     सिद्धार्थ से बात करके अंश को एक रास्ता मिल गया था। उस रास्ते पर चलना तो बेशक अंश के लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल होने वाला था। लेकिन इस सच्चाई को छुपाए रखने से भी किसी का कोई फायदा नहीं होने वाला था। सिद्धार्थ जबरदस्ती अंश को चाय नाश्ता करा कर, वापस अपने घर चला गया। और अंश अपने घर वालों को अपनी सच्चाई बताने की तैयारी करने लगा। शाम होते ही, अंश ने अपने सभी घरवालों को एक जगह इकट्ठा किया। और उन्हें अपने गे होने और मुंबई में अपने बॉयफ्रेंड होने के बारे में सब सच बता दिया। कुछ देर तो वहां सन्नाटा छाया रहा, लेकिन फिर धीरे-धीरे सभी के विचार सामने आने लगे। कुछ ने इसे महज एक जिंदगी का दौर कहा, और शादी के बाद सब ठीक हो जाने का वादा दिया। कुछ ने इसे मुंबई जाने का दोष बताया। और कुछ ने इसे, अंश के उस मुंबई वाले दोस्त की गलत संगत कहा। लेकिन अंश के मम्मी-पापा, वे दोनों चुपचाप बस अंश को ही देखे जा रहे थे। अपने घर वालों के बर्ताव को देखकर, अंश अपनी नजरें झुकाए, वहां से वापस अपने कमरे में चला गया। फिर उसने सिद्धार्थ को फोन कर, सारी बात बताई। और सिद्धार्थ ने उसके घर आने का बोला, लेकिन उसने ऐसा करने से सिद्धार्थ को मना किया। अंश ने सिद्धार्थ को कल उसे एयरपोर्ट छोड़ने को कहा, जिसके लिए सिद्धार्थ ने हामी भरी।


         रात को अंश की मम्मी, अंश के लिए खाना लेकर उसके कमरे में आईं। अंश अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था। मम्मी को आता देख, वह उठकर तो बैठ गया, लेकिन उसने अपनी नजरें नीचे ही झुकाए रखीं।



मम्मी :- (अंश के पास बैठते हुए) "तूने जो आज किया है, वह बहुत हिम्मत का काम है। इसके लिए तुझे नजरें झुकाने की कोई जरूरत नहीं है।"



         अपनी मम्मी की बातें सुनकर अंश थोड़े आश्चर्य में पड़ा। और वह अपनी मम्मी की ओर देखने लगा, और सोचने लगा, कि "जब मैंने यह बात बताई थी, तब तो मम्मी कुछ नहीं बोल रही थी। और अब यह सब क्यों बोल रही है?"



मम्मी :- (अंश की ओर खाने की थाली बढ़ाते हुए) "अब ऐसे क्या देख रहा है? माँ हूँ तेरी!  तेरे बचपन से ही पता था मुझे, कि तू बाकी लड़कों से अलग है। लेकिन मैंने यही सोचा कि, शायद वक्त के साथ सब बदल गया होगा। जब तूने आज यह सब कहा, तब मुझे लगा, कि तेरी शादी के बारे में सोचने से पहले, मुझे तुझसे बात करनी चाहिए थी। यह हमसे गलती हुई है। यह मेरी और तेरे पापा की गलती है, जो हम तुझे समझ नहीं पाए। इसमें तुझे नीचे देखने की, या नजरें चुराने की, या यहां कमरे में छुपकर बैठने की कोई जरूरत नहीं है।"


अंश :- "नहीं मम्मी!! गलती मेरी है, मुझे यह सब बहुत पहले ही आप लोगों को बता देना चाहिए था।"



     खाने के साथ-साथ दोनों मां-बेटे के बीच, ढेरों बातें होती हैं। आज की, कल की, और आने वाले कल की भी। अंश की मम्मी, अंश से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में भी पूछती हैं। और व्योम कपूर का नाम सुनकर, तो उनके होश ही उड़ जाते हैं। जिसको वह रोज अपनी टीवी पर देखती हैं, वह व्योम कपूर, उनके बेटे के साथ में एक प्यार भरे रिश्ते में है, यह जानकर तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। और वे अंश को व्योम से फोन पर बात कराने को कहती हैं। और अंश भी उनकी बात  व्योम से करा देता है। अंश की मम्मी,  हिचकीचाते हुए, खुश होकर, व्योम कपूर से फोन पर बात करती हैं। और उसे भी कभी ग्वालियर आने का न्योता देती हैं।


       अगली सुबह अंशु द्वारा बताए समय पर, सिद्धार्थ अपनी गाड़ी लेकर, अंश को हवाई अड्डे छोड़ने के लिए आ जाता है। अंश अपने रूठे घरवालों और प्रफुल्लित मम्मी से विदा लेकर वापस मुंबई आ जाता है। मुंबई आने के बाद, व्योम की व्यस्तता के चलते, अंश का कुछ हफ्तों से व्योम से मिलना नहीं हो पा रहा था। फोन पर और चैट पर बस साधारण बातें हो जाया करती थी। कुछ ही दिनों बाद, सिद्धार्थ ने अंश को फोन किया और उसे व्योम के बारे एक बात बताइए।



सिद्धार्थ :- (फ़ोन पर) "कैसा है?? अंश अगर तुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा हो, तो तू ग्वालियर आजा। या मैं आ जाता हूं, कुछ दिनों के लिए वहां।"


अंश :- "हां!!! तू आजा, तुझे मुंबई भी घुमा दूंगा। लेकिन यह क्यों पूछ रहा है अचानक??"


सिद्धार्थ :- "तू ने टीवी पर नहीं देखा क्या? व्योम कपूर के बारे में??"


अंश :- (चिंता से) "क्या हुआ?? अभी तो मेरी उससे बात हुई है, थोड़ी देर पहले!!!"


सिद्धार्थ :- "नहीं!!! वो स्टार प्लस पर एक शो आने वाला है, नच बलिए!!!! उसमें दिखा रहे हैं, कि व्योम कपूर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हिस्सा लेने वाला है।"


अंश :- (हंसते हुए) "क्या??? अरे तो उसका कोई सीरियल होगा। उसके लिए इतना सीरियस क्यों हो रहा है?"


सिद्धार्थ :- (दबी आवाज में) "नहीं यार!! यह एक रियलिटी शो है। इसमें हस्बैंड, वाइफ या बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड ही हिस्सा लेते हैं।"


अंश :- "ओके!!! तू चिंता मत कर। मैं व्योम से बात कर लूंगा इस बारे में। लेकिन जहां तक मुझे लगता है, कि यह बस टीवी के लिए ही होगा।"



          अंश सिद्धार्थ को तो समझा देता है। लेकिन यह बात सुनकर उसके मन में भी कई सवाल उठने लगते हैं। वह तुरंत व्योम को फोन करता है, और शाम को उसे अपने घर बुलाता है। शाम को ऑफिस के बाद, जब अंश अपने घर पहुंचता है। तो वह तब से ही व्योम को फोन लगाना शुरु करता है, लेकिन व्योम अपना फोन उठता है, रात के 11:00 बजे। काम में व्यस्त होने का कारण बताकर, व्योम रात 12:30 बजे अंश से मिलने उसके फ्लैट पर आता है।



व्योम :- (अंश के फ्लैट में अंदर आते हुए) "क्या हो गया?? इतना भी क्या जरूरी काम था???"


अंश :- "अर्जेंट तो कुछ नहीं!! लेकिन जब से ग्वालियर से वापस आया हूं, तुमसे मिल ही नहीं पाया।"


व्योम :- (अंश को गले लगाते हुए) "हां यार!! आजकल ज्यादा काम है, बहुत बिजी रहता हूं। बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता।"


अंश :- "नच बलिए के लिए???"


व्योम :- (अंश को खुद से दूर करके, उसके चेहरे की तरफ देखते हुए) "हां!!! लेकिन तुम्हें कैसे पता??"


अंश :- "टीवी पर देखा!!! तुम और तुम्हारी गर्लफ्रेंड भी हिस्सा ले रहे हैं, इस बार शो में!!"


व्योम :- (हंसते हुए) "अरे वह तो बस टीवी पर यूं ही दिखाते हैं। सरगुन और मैं तो बस अच्छे दोस्त हैं। नच बलिए से मुझे, शो का ऑफर आया, तो बोला कि आपकी पार्टनर को भी करना पड़ेगा। तो मैंने और सरगुन ने एक सीरियल में साथ काम किया था पहले, तो काफी अच्छी बॉन्डिंग थी हमारी। मैंने उससे पूछा तो वह भी फ्री थी इस टाइम के लिए। तो हम दोनों ने मिलकर साइन कर लिया।"


अंश :- "अरे तो मुझे क्यों इतनी सफाई दी रहे हो?? मुझे तुम पर भरोसा है। एक बात बताऊं!!! मैंने मेरे घर वालों को बता दिया, कि मैं गे हूं, और मम्मी  को तो मैंने तुम्हारे और मेरे बारे में भी बता दिया।"


व्योम :- (थोड़ा गुस्सा होते हुए) "अच्छा तभी उस दिन इतने प्यार से बात कर रहीं थीं वो!!! लेकिन अंशुमन यह सही नहीं रहेगा, मेरे करियर के लिए। और तुम्हें अपने बारे में जो बताना है बताओ, लेकिन मेरा नाम अपने साथ मत जोड़ा करो।"


अंश :- "यार मम्मी है वो मेरी!!! कैसे छुपा सकता हूं उनसे। और मेरी मम्मी को तुम्हारे बारे में पता होने से कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा तुम्हारे काम पर??"


व्योम :- "अंशुमन अब तुम मुंबई में हो, मेरे साथ हो। यह छोटे शहरों वाली सोच को बाहर निकालो अपने दिमाग से। हमारा रिश्ता एक सीक्रेट है, और हमेशा बस मेरा और तुम्हारा सीक्रेट ही रहेगा। जरा सी अफवाह, मेरा करियर खत्म कर सकती है। जब मेरा उस फैशन डिजाइनर से रिश्ता टूटा था ना, तब मुझे भी नहीं समझ आ रहा था, कि उसने ऐसा क्यों किया, जैसे अभी तुम्हें नहीं समझ आ रहा है। लेकिन अब मैं समझ सकता हूं, कि उसने जो किया सही किया। वही ठीक था हम दोनों के लिए। जब नच बलिए का मुझे ऑफर आया, तो मैंने बिना सोचे समझे हां कर दिया। पता है क्यों?? सिर्फ इसलिए, कि अभी भी अगर किसी के दिमाग में जरा सा भी शक होगा, मेरे और उस फैशन डिज़ाइनर के बारे में, तो यह शो देखकर वह भी खत्म हो जाएगा।"


अंश :- (आश्चर्य से) "तुम जो कुछ भी कह रहे हो ना, मैंने कभी भी तुमसे ये सब सुनने की उम्मीद नही की थी।"


व्योम :- "क्या गलत बोला मैंने?? तुमने सोचा है, तुम्हारे मम्मी पापा पर क्या गुजर रही होगी, यह सब जानकर!!! तुम उनके अकेले बैटे हो!! उनके कितने सपने होंगे, तुम्हें लेकर, तुम्हारी फैमिली को लेकर, और तुमने एक बार भी मुझसे पूछना जरूरी भी नहीं समझा??"


अंश :- "इसमें पूछने वाली कौन सी बात थी?? मेरी फैमिली है वो, मेरे बारे में सच जानने का पूरा हक है उनका। और वह लोग मेरी शादी की बात कर रहे थे, और कब तक छुपा कर रखता है इस बात को मैं??"


व्योम :- "शादी कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, कि उसके लिए तुम अपने मम्मी पापा के सपने ही तोड़ दो। कुछ बातें हमेशा के लिए छुपा कर रखनी पड़ती हैं, और कुछ बातों का दिखावा करना पड़ता है। तभी हमारे आसपास के सभी लोग खुश रह पाते हैं।"


अंश :- "हां जैसे तुम्हारा यह गर्लफ्रेंड वाला नाटक???? किसे खुश करने के लिए कर रहे हो तुम??? और मेरे पम्मी पापा खुश है, मेरी सच्चाई जानकर। हां बाकी घर वाले थोड़े निराश हैं, लेकिन मैं उन्हें जानता हूं, कुछ समय बाद वे सब भी नॉर्मल हो जाएंगे। और एक बात मुझे बताओ!! मुझे खुश देखकर वह लोग खुश होंगे, या फिर मैं एक जबरदस्ती का रिश्ता बनाऊ, और कुछ समय के बाद वह रिश्ता टूट जाए, फिर मेरी लाइफ को देखकर वह लोग खुश होंगे??? किस तरीके से खुश होंगे वो लोग????"


व्योम :- "गलती हो गई जो मैंने तुम्हें कुछ अच्छा समझाने की कोशिश की। जो तुम्हें ठीक लगे वही करो तुम। बस मेरा नाम कहीं लेने की जरूरत नहीं है।...... कितना अच्छा मूड था, सब खराब कर दिया!!"



      अंश के फ्लैट में कुछ देर वक्त बिताने के बाद, व्योम कुछ नाराज होकर वहां से चला गया। और व्योम की बातें अंश को भी बिल्कुल पसंद नहीं आई। व्योम का यह रूप, इतने महीनों में अंश को पहली बार देखने को मिला था। अंश व्योम की बातों से थोड़ा गुस्सा और थोड़ा परेशान सा हो गया था। और अंश, व्योम के गर्लफ्रेंड वाले नाटक की वजह से परेशान नहीं हो रहा था, अंश के परेशानी की वजह थी, व्योम की सोच। व्योम अभी जो कुछ भी कह कर गया था, इसमें साफ साफ उसकी सोच नज़र आती थी। और उस सोच को जानकर, अंश को बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था। अगले दिन सोकर जागने के बाद, जब व्योम ने कल रात को, अंश से की हुई बातों के बारे में सोचा, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। और उसने अंश को फोन कर अपनी गलती की माफी मांगी। और अपनी गलती के प्रायश्चित फल स्वरुप, अंश के साथ आज का सारा दिन साथ बिताना तय किया। व्योम ने अंश को भी उसके ऑफिस फोन करके आज की छुट्टी लेने को कहा। और कुछ समय बाद, व्योम अंश को लेने उसके फ्लैट पर भी आ गया। दोनों साथ में महाबलेश्वर के लिए निकल गए।


      रास्ते भर दोनों के बीच अपने अपने विचारों का आदान-प्रदान हुआ। लेकिन अंश व्योम की सोच के बारे में जानकर, थोड़ा हैरान जरूर हुआ था। व्योम की सोच ने उनके रिश्ते पर कुछ सवाल जरूर खड़े कर दिए थे। जिनके बारे में अंश चाह कर भी नहीं सोचना चाहता था। और इतने दिनों के बाद, व्योम के साथ ने उन सभी सवालों को हवा में भी उड़ा दिया था। अंश और व्योम ने पिछली रात की सारी बातों को भुला कर, साथ में अच्छा समय बिताया, और दोनों देर रात तक वापस मुंबई भी लौट आए।


      कुछ ही दिनों में दोनों के बीच का मनमुटाव पूरी तरह से खत्म हो चुका था। व्योम अपने नए शो, नच बलिए को लेकर ज्यादा ही व्यस्त हो गया था। लेकिन जब उसे समय मिलता था, वह अंश के साथ समय बिताने, उसके फ्लैट पर आ जाया करता था। अपनी और सरगुन की डांस प्रैक्टिस की सभी बातें, अंश को सुनाया करता था। अंश की मम्मी से भी कभी-कभी फोन पर बात कर लिया करता था। व्योम की सोच के कुछ अंश, अगर उससे अलग कर दिए जाएं, तो अंश के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व की छवि साफ़ साफ़ व्योम में देखी जा सकती थी। और कुछ कमियां तो हर इंसान में ही होती हैं, और उन कमियों को स्वीकार कर अंश ने व्योम की अच्छाइयों को ही तवज्जो देने का जो फैसला ले लिया था, अब अंश अपने उस फैसले से काफी खुश भी था। मुंबई आने का फैसला लेना, व्योम से मिलना, और व्योम का अंश की जिंदगी में आना, यह सब महज एक संयोग ही था। और अंश अपनी जिंदगी में अचानक आए इस प्यार के समंदर से काफी अभिभूत भी था। लेकिन अगर कोई अपनी किस्मत में ही दर्द-ए-दिल पाना लिखवा कर साथ लाया हो, तो उसके दिल को टूटने से कोई नहीं बचा सकता।


       कुछ ही दिनों बाद नच बलिए टीवी पर आना शुरू हो गया। और ग्वालियर में सिद्धार्थ और अंश की मम्मी, इस शो को बड़े ही चाव से देखने भी लगे। लेकिन शो शुरू होने के तीसरे हफ्ते में ही, व्योम कपूर ने नेशनल टेलीविजन पर, सारे देश के सामने, अपनी तथाकथित गर्लफ्रेंड सरगुन मेहता को, शादी के लिए प्रपोज कर दिया। और सरगुन ने भी इस रिश्ते के लिए हामी भर दी। यह सब टीवी पर देखकर सिद्धार्थ को तो बहुत ही गुस्सा आया। और वहीं अंश की मम्मी, अपने बेटे को होने वाली निराशा से दुखी हुई। दोनों ने ही इस बारे में अंश को फोन पर जानकारी दी। यह खबर सुनकर, अंश की परेशानी का सबब उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। जिस गर्लफ्रेंड के किस्से को वो अब तक, महज टीवी के लिए किए जाने वाला नाटक समझ रहा था। वह नाटक अब धोखे का रूप लेता जा रहा था। सिद्धार्थ और अपनी मम्मी की बात को सच ना मानकर, अंश ने खुद इंटरनेट पर उस शो को देखा। और हाथों में अंगूठी लिए, सरगुन के सामने घुटनों पर बैठे हुए व्योम को देखकर, अंश को अपने प्यार पर ही शक होने लगा। उसने तुरंत व्योम को फोन किया, लेकिन व्योम ने फोन नहीं उठाया। अंश अभी भी खुद को संभाले हुए, अपने ऑफिस में नॉर्मल तरीके से काम किए जा रहा था। वह एक बार व्योम से बात करके, इस नाटक की सच्चाई को खुद व्योम के मुंह से सुनना चाह रहा था। लेकिन व्योम और सरगुन की वह तस्वीर, तो उसके जहन से निकल ही नहीं रही थी। वह सारा दिन, थोड़ी थोड़ी देर बाद, लगातार व्योम को फोन करता रहा। लेकिन व्योम ने एक बार भी उसका फोन नहीं उठाया। देर रात जब व्योम, अंश के फ्लैट पर पहुंचा। तो फ्लैट में अंदर दाखिल होते ही, अंश ने उसके फोन ना उठाने का कारण व्योम से पूछा। जिसका उत्तर व्योम ने काम की व्यस्तता को बताया। उसने फिर सरगुन से शादी का सवाल भी व्योम से किया, तो अंश का इस तरह से सवाल जवाब करना व्योम को बिल्कुल भी रास नहीं आया।



व्योम :- (गुस्से में) "यार मैं दिन भर का थका हारा आया हूं। मुझे रिलैक्स कराने के बजाय, मुझसे सवाल पर सवाल किए जा रहे हो!!"


अंश :- "सवाल करने वाले काम ही कर के आए हो, तो सवाल ही होंगे!!!"


व्योम :- "हां किया है मैंने उसे प्रपोज!! और शादी भी करूंगा उससे!!! पता है, आज ही दो फिल्मों के ऑफर आए हैं, हम दोनों को। हीरो हीरोइन के तौर पर लेना चाहते हैं, हम दोनों को साथ में। मेरे करियर ग्राफ के लिए एकदम सही फैसला है यह।"


अंश :- (व्योम की बात सुनकर निराश होकर) "मैं क्या हूं तुम्हारे लिए व्योम??? उस दिन मुझे बोल रहे थे, कि मैंने अपने बारे में अपने घरवालों को बताने से पहले तुमसे क्यों नहीं पूछा!!! और आज मेरे साथ रिलेशन में होने के बावजूद, किसी लड़की से शादी करने का फैसला ले लिया तुमने, और मुझे इस बारे में एक बार बताना भी जरूरी नहीं समझा??"


व्योम :- (अंश को गले लगाने के लिए बढ़ते हुए) "अरे यार तो इसका हमारे प्यार पर कोई असर नहीं पड़ेगा!!"


अंश :- (व्योम को खुद से दूर करते हुए) "क्या??? व्योम मुझे ऐसा लग रहा है, कि मैं तुम्हें जानता ही नहीं हूं। तुम वह शख्स हो ही नहीं जिससे मैंने प्यार किया था।"


व्योम :- (अंश के हाथों को पकड़ते हुए) "मेरा विश्वास करो अंश!! जैसा अभी चल रहा है, शादी के बाद भी सब ऐसा ही चलता रहेगा। आई ऑलवेज लव यू!!"


अंश :- (व्योम के हाथों को झटकते हुए) "प्यार का मतलब भी जानते हो तुम??? घिन आ रही है मुझे तुमसे और तुम्हारी सोच से। चले जाओ यहां से, मुझे शक्ल भी नहीं देखनी तुम्हारी।"



      व्योम अंश को मनाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह जो भी दलीलें खुद को सही जताने के लिए, अंश को देता है। उनसे वह अंश की नजरों में गिरता ही जाता है। अपनी बात ना बनते देख, व्योम वहां से गुस्से में चला जाता है। और अंश अपने फ्लैट में अकेले में बस व्योम की कही बातों के बारे में सोच सोच कर रोता ही रह जाता है। यह दूसरी दफा था, जब अंश का दिल किसी ने तोड़ा था। उसे दर्दे दिल का गम दिया था। लेकिन पहले सिद्धार्थ उसके साथ था, उसका दर्द बांटने के लिए, उसके आंसू पोछने के लिए, उसे दिलासा देने के लिए। लेकिन अभी तो अंश बिल्कुल अकेला है। यह तन्हाई और व्योम की बातें, उसकी यादें, अंश के आंसुओं को सूखने का एक मौका तक नहीं दे रही है। अंश ने यूं ही रोते हुए सारी रात निकाल दी, और अगली सुबह के उगते सूरज का स्वागत भी, अपनी भीगी पलकों के साथ ही किया। नहा धोकर अंश ने ऑफिस जाना ही तय किया। क्योंकि घर पर रहकर तो वह सारा दिन, सिर्फ व्योम के बारे में ही सोचता रहता, और अकेले में आंसू ही बहता रहता। इसलिए ऑफिस जाकर, काम में मन को उलझाना ही उसे सही लगा। आफिस में सारा दिन, व्योम, सिद्धार्थ और मम्मी के आए तमाम कॉल और मैसेज का उत्तर देने का अंश का बिल्कुल भी मन नहीं हुआ। शाम को ऑफिस से आ जाने के बाद, रात भर ना सोने के कारण, बिस्तर पर लेटते ही उसकी नींद भी लग गई। और बिना कुछ खाए पिए ही, अंश शाम को ही सो गया। रात के करीब 12:30 पर दरवाजे पर हो रही आहट से उसकी आंख खुली। जब उसने दरवाजे पर जाकर आवाज लगाई, तो बाहर से व्योम के दरवाजा खोलने का उत्तर पाकर, उसे व्योम की वही सब बातें याद आने लगी, जो व्योम पिछली रात कह कर गया था। और अंश ने बिना दरवाजा खोले, व्योम को वापस जाने को कह दिया। और थोड़ी देर बाद, व्योम वहां से चला गया। कुछ देर वही दरवाजे के पास ही खड़े रहने के बाद, अंश वापस अपने कमरे में आया, और मोबाइल उठा कर देखा। मोबाइल में मम्मी, सिद्धार्थ और व्योम के कई, मिस कॉल और मैसेज पढ़े हुए थे, जिन्हें नजरअंदाज कर वो वापस से सो गया।


      अगली सुबह अंश की आंख फिर दरवाजे पर हो रही खटखटाहट से ही खुली। और उसने यही सोचा कि, व्योम ही वापस से आ गया होगा।



अंश :- (घर के अंदर से चिल्लाते हुए) "मुझे नहीं कोई बात करनी तुमसे। प्लीज कोई तमाशा मत बनाओ!!! और जाओ वापस अपनी उस नकली दुनिया में।"


सिद्धार्थ :- (दरवाजे को खटखटाते हुए) "दरवाजा तो खोल यार अंश । मैं सिद्धार्थ!!!"



      सिद्धार्थ की आवाज सुनते ही अंश ने फोरन दरवाजा खोला और सिद्धार्थ को जोर से गले लगा कर रोने लगा। सिद्धार्थ ने अंश को संभाला और उसे शांत कराने की कोशिश करने लगा। लेकिन अंश के दूसरी बार टूटे दिल को वापस से जोड़ पाना, इस बार सिद्धार्थ के लिए भी बहुत मुश्किल काम हो गया था। सिद्धार्थ कि कहीं किसी भी बात को, अंश सुनने को ही तैयार नहीं था। दोबारा प्यार में मिले धोखे को, अंश खुद की ही गलती माने बैठा था। उसने सिद्धार्थ को वापस उसे ग्वालियर ले जाने को कहा, और सिद्धार्थ ने भी उसकी बात मान ली। और अगले ही दिन सिद्धार्थ अंश को अपने साथ ग्वालियर ले आया। अंश के घर में सिर्फ उसकी मम्मी को छोड़कर, उसके टूटे दिल का हाल किसी को नहीं पता था। और अंश के पापा को छोड़कर, बाकी घरवालों में, अंश के शादी ना करने के फैसले से थोड़ा मनमुटाव बाकी था। सिद्धार्थ और अंश की मम्मी को 6 से 7 दिन का समय लगा, अंश के चेहरे पर मुस्कान वापस लाने में। लेकिन दिल की टीस अभी भी अंश को रात को चैन से सोने नहीं देती थी। और व्योम के बार-बार आते कॉल और मैसेज उसे सब कुछ भूलने भी नहीं देते थे। एक रात अंश सिद्धार्थ से फोन पर बात कर रहा था, कि......



अंश :- (फोन पर) "सिद्धार्थ थैंक्यू!!!! तू हमेशा मेरा साथ देता है यार!!! तेरे जैसा दोस्त सच में किस्मत से ही मिलता है।"


सिद्धार्थ :- "इसमें थैंकयू बोलने की कोई जरूरत नहीं है। मैं हमेशा तेरे आस पास रहूंगा तुझे संभालने के लिए।"


अंश :- "यार काश मैं तुझसे ही प्यार कर लेता, कम से कम मेरा दिल तो ना टूटता!!!"


सिद्धार्थ :- "अंश यार मैं एक बात बोलूं.....? चल रहने दे...!!! तू सो जा कल बात करते हैं।"


अंश :- "अरे नहीं यार!! नींद नहीं आ रही मुझे अभी। तू बता!! क्या कह रहा था???"


सिद्धार्थ :- "यार मुझे नहीं पता, कि यह सही समय है अपनी बात बोलने का या नहीं!!!  लेकिन यार मैं तुझे यह बात बहुत समय पहले ही बताना चाहता था। लेकिन मैं तुझे कुछ कह पाता, इससे पहले तू आदित्य के साथ रिलेशन में चला गया, और फिर मुंबई चला गया और फिर व्योम तेरी लाइफ में आ गया........"


अंश :- "क्या कहना चाहता है? बोल चुप क्यों हो गया??"


सिद्धार्थ :- "यार अंश मैं जब से तुझ से मिला हूं, मेरे दिल में तेरे लिए फीलिंग है। लेकिन यार मैं तुझे कभी कुछ कह ही नहीं पाया।"


अंश :- "देख अगर तू यह सब मजाक कर रहा है, या मेरा मूड ठीक करने के लिए कह रहा है, तो मेरा मूड पहले से ही ठीक है। और यह बहुत ही खराब मजाक है।"


सिद्धार्थ :- "नहीं यार!!! मैं बिल्कुल मजाक नहीं कर रहा। मैं सच बोल रहा हूं। मैं तुझे दोस्त से बढ़कर पसंद करता हूं।"


अंश :- "अच्छा अगर ऐसा है, तो जब मैंने तुझे उस दिन किले पर किस किया था, तो ऐसा रिएक्शन क्यों दे रहा था, कि मैंने कुछ गलत कर दिया हो??"


सिद्धार्थ :- "यार तब मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि मैं क्या करूं, क्या कहूं। अगर मैं तब तुझे यह सब बोलता, या मैं भी आगे बढ़कर तुझे किस करने लगता। तो उस वक्त तेरा ब्रेकअप हुआ ही था, तो कहीं तुझे ऐसा ना लगता, कि मैं तेरा फायदा उठा रहा हूं। इसलिए उस समय मैंने खुद को काबू में कर लिया था। लेकिन मन तो मेरा हो रहा था तुझे किस करने का।"


अंश :- (हँसते हुए) "हां मुझे सब समझ आ रहा है, कि तू बस मजाक ही कर रहा है।"


सिद्धार्थ :- "देख यही तेरी दिक्कत है। मैं अपने मन की बात बता रहा हूं, तो तुझे मजाक लग रहा है। और कोई गलत इरादे से तुझे आई लव यू बोलेगा, तो तू हंस के उसके साथ चला जाएगा।"


अंश :- "यार मुझे नहीं समझ आ रहा, मैं क्या बोलूं।"


सिद्धार्थ :- "अरे तो मैं थोड़ी तुझे कुछ बोलने के लिए कह रहा हूं, मैं तो बस तुझे अपने दिल की बात बता रहा हूं। अच्छा सुन!!! कल कोई प्लान तो नहीं है ना तेरा??? और अगर हो तो कैंसल कर दे!!! कल मैं तुझे एक जगह ले चलूंगा, तुझे अच्छा लगेगा वहां।"


अंश :- "ऐसी कौन सी जगह ले जा रहा है?? नाम तो बता??"


सिद्धार्थ :- "कल चल कर ही देख लेना, मैं आ जाऊंगा 11:00 बजे लेने तुझे। तैयार रहना। चल अब सो जा, और हां मेरी बात के बारे में सोचना जरूर।  आई लव यू !!!"



      सिद्धार्थ अपनी बात कहकर फोन काट देता है। और अंश सिद्धार्थ कि कही सारी बातों के बारे में सोचने लगता है। अंश सोचता है, कि कहीं सिद्धार्थ मजाक तो नहीं कर रहा था??? लेकिन जितना अंश सिद्धार्थ को जानता है, तो सिद्धार्थ इतनी बड़ी बात का मजाक तो नहीं बनाएगा!!! तो क्या सच में सिद्धार्थ अंश से प्यार करता है??? इन्हीं बातों को सोचते हुए अंश की आंख लग जाती है। और अंश अपने सपने में भी सिद्धार्थ को ही देखता है। सिद्धार्थ के साथ हंसना मुस्कुराना, उसके साथ लड़ना झगड़ना, सिद्धार्थ का हर जरूरत के वक्त अंश का सहारा बन कर खड़ा होना, और सिद्धार्थ को किले की ऊंचाइयों पर, ढलते सूरज की लाली में, किस करना। इन सभी सपनों के साथ अंश मुस्कुराकर अगली सुबह उठता है। और तैयार होकर सिद्धार्थ से मिलने का इंतजार करने लगता है। उधर सिद्धार्थ भी तैयार होकर, फूलों का गुलदस्ता लेकर, अंश से मिलने उसके घर की ओर निकल पड़ता है।


       जैसे ही सिद्धार्थ अंश के घर के पास पहुंचता है, वहां काफी भीड़ इकट्ठी हुई होती है। कई न्यूज़ चैनल्स की गाड़ियां, अंश के घर के आसपास खड़ी हुई होती हैं। कई न्यूज़ रिपोर्टर हाथों में माइक, और कैमरामैन के साथ अंश के घर की ओर देख रहे होते हैं। भीड़ से निकलकर सिद्धार्थ जैसे ही अंश के घर में घुसता है, वहां अंश का सारा परिवार, व्योम कपूर की खातिरदारी में लगा हुआ होता है। सिद्धार्थ वहां से निकलकर किचन की तरफ जाता है, जहां अंश की मम्मी कुछ काम कर रही होती है। और वह उनसे सभी हाल जानने की कोशिश करता है। अंश की मम्मी सिद्धार्थ को बताती हैं कि, "कुछ देर पहले ही व्योम कपूर यहां आया है, और इसे देखकर ही, अंश ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया है। ना तो वो बाहर आ रहा है, और ना ही व्योम कपूर यहां से जाने का नाम ले रहा है।" अंश की मम्मी की बात सुनकर, सिद्धार्थ अंश के कमरे की ओर जाता है, और अंश के कमरे का दरवाजा खटखटा ता है।



सिद्धार्थ :- (दरवाजा खटखटाते हुए) "अंश दरवाजा खोल, बाहर आ, या मुझे अंदर आने दे!!"


अंश :- (दरवाजा खोलकर सिद्धार्थ को अंदर बुला कर, वापस कमरे का दरवाजा बंद करते हुए) "क्यों आया है अब ये यहां??? और कोई इसे जाने को भी नहीं कह रहा है!!!"


सिद्धार्थ :- "वो यहां सिर्फ तेरे लिए आया है, तो तुझे ही उसे जाने के लिए कहना पड़ेगा ना!!!"


अंश :- "यार मुझे उसका चेहरा भी नहीं देखना है!!! तू उसे भगा यहां से।"


सिद्धार्थ :- "हां चल मेरे साथ, हम उसे जाने के लिए कहते हैं।"



        बड़ी मुश्किल से समझा-बुझाकर, सिद्धार्थ अंश को बाहर व्योम के सामने लेकर आता है। अंश को देखते ही व्योम आगे बढ़कर, अंश को अपने गले से लगा लेता है।



अंश :- (व्योम को खुद से दूर करते हुए) "क्यों आए हो तुम यहां??"


व्योम :- "मुझे अपनी गलती समझ आ गई है!! आज मैं अपनी गलती सुधारने और तुम्हें वापस अपने साथ ले जाने आया हूं।"


अंश :- "मुझे कहीं नहीं जाना है तुम्हारे साथ!!! तुम जाकर अपनी शादी की तैयारियां करो!!"


व्योम :- (अंश का हाथ पकड़ते हुए) "क्या हम अकेले में चल कर बात कर सकते हैं??"


अंश :- (व्योम का हाथ झटकते हुए) "मुझे तुमसे कोई भी बात नहीं करनी है!! चले जाओ तुम यहां से।"


व्योम :- "प्लीज अंश!!! मैं इतनी दूर से सिर्फ तुमसे बात करने आया हूं। क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, और इतनी आसानी से तुम्हें अपनी जिंदगी से नहीं जाने दे सकता।"



     अंश के बाकी घर वाले, जो अब तक व्योम की खातिरदारी में लगे हुए थे। अंश और व्योम की बातें सुनकर, अब अपने नाक और भवै सिकोड़ कर, अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं। वहां रह जाते हैं, तो बस अंश के मम्मी-पापा, और सिद्धार्थ। और वे तीनों ही अंश को व्योम की बात एक बार सुनने के लिए कहते हैं। और अंश उन लोगों की बात मानकर, व्योम को बोलने का इशारा करता है। 



व्योम :- "थैंक्यू अंश!!! में सच में यहां तुमसे अपने बर्ताव के लिए माफी मांगने आया हूं। और मैंने सरगुन को भी हमारे रिश्ते के बारे में सब सच बता दिया है। और उसे भी हमारे रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है। हम दोनों मेरी शादी के बाद भी, साथ रह सकते हैं।"


सिद्धार्थ :- (आश्चर्य से) "क्या मतलब???"


व्योम :- (अंश के हाथों को पकड़ते हुए) "मैं एक एक्टर हूं अंश!! तो मेरी शादी और सरगुन का रिश्ता तुम एक्टिंग ही समझ लो बस। बस मीडिया के लिए हम शादी करेंगे, पति-पत्नी बनेंगे। लेकिन मैं हमेशा तुमसे ही प्यार करूंगा। तुम्हारे साथ ही रहूंगा।"


अंश :- "मुझे सच में विश्वास नहीं हो रहा है, कि तुम मेरे ही घर में खड़े होकर, मेरे मम्मी पापा के सामने, मुझे अपनी रखेल बनाने की बात कर रहे हो।"


व्योम :- "कैसी बातें कर रहे हो अंश!!! मैं तुमसे प्यार करता हूं। यह शादी तो बस एक नाटक होगी।"


अंश :- "तुम प्यार का मतलब ही नहीं जानते हो व्योम!!! तुम्हारे लिए यह सब बस एक खेल है। प्यार का सही मतलब भी जानते हो तुम??? जब तुम अपनी खुशी से ज्यादा, दूसरे की खुशी की परवाह करो, उसे कहते हैं प्यार। जब तुम दूसरे की आंखों में आंसू देख कर, खुद भी रोने लगो, उसे कहते हैं प्यार। दूसरे को तकलीफ में देख कर, तुम उस का सहारा बन जाओ, उसे कहते हैं प्यार। और अब मैं तुमसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता। मैं किसी और से प्यार करता हूं। तो अब तुम यहां से जा सकते हो। और ऐसा प्यार का नाटक करने वाले तुम्हें बहुत मिल जाएंगे। तो ऐसा प्यार तुम्हें ही मुबारक हो।"



        अंश की बातें सुनकर व्योम निराश होकर वहां से चला जाता है। और अंश के मम्मी पापा भी अपने कमरे में चले जाते हैं। और वहां रह जाते हैं, अंश और सिद्धार्थ। सिद्धार्थ अब अंश की आंखों में एक अलग ही चमक महसूस कर सकता था। जो उसने आज तक नहीं देखी थी। सिद्धार्थ कुछ कह पाता इससे पहले अंश सिद्धार्थ की ओर बढ़ा, और उसके होठों पर एक प्यारी सी किस की, और धीरे से उसके कानों में कहा.....


" किले पर चलें???"


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Lots of Love

Yuvraaj ❤️











Thursday, September 10, 2020

"दर्द-ए-दिल" - Part II

 Hello friends,     

                If you didn't read first part of this story than please read it, than you will get easily be connected with this second part.




    अब वापस से सब कुछ पहले जैसा हो गया था। वही ऑफिस के बाद अंश का सिद्धार्थ की दुकान पर आ जाना, घंटों तक साथ समय बिताना, घूमना फिरना, हंसी-मजाक। लेकिन 3 साल के आदित्य के साथ की यादें आज भी अंश को कहीं ना कहीं घेरे हुए थी। पहले प्यार को पूरी तरह से भुला पाना, शायद ही किसी के बस में हो। इसलिए अंश ने एक रोज अचानक ही तय कर लिया, कि वह ग्वालियर से बाहर ही नौकरी करने जाएगा। नया शहर, नए लोग, शायद यही सब बदलाव की अभी उसे जरूरत भी है। यहां ग्वालियर में सिद्धार्थ है उसका साथ देने के लिए, लेकिन सिर्फ अपनी खुशी के लिए सिद्धार्थ का सारा समय ले लेना, यह बात भी अंश को सही नहीं लगती थी। और किले की अंश की हरकत के बाद से, एक हल्की सी असहजता, सिद्धार्थ की आंखों में भी साफ साफ देखी जा सकती थी। सिद्धार्थ ने कुछ डेट्स भी, अंश के बहुत मना करने के बाद भी फिक्स कराई थी। और अंश उनसे मिलने भी गया था। लेकिन ग्वालियर में ज्यादातर लोगों को अंश और आदित्य के रिश्ते की जानकारी पहले से ही थी। तो सिद्धार्थ की ये कोशिशें भी किसी ना किसी तरह, अंश को आदित्य की यादों को भुलाने में सहायक साबित नहीं हो रही थी। इसलिए उसने अपने अचानक आए इस ख्याल पर तुरंत अमल भी किया। उसने अपने कॉलेज के सभी दोस्तों को जो ग्वालियर के बाहर नौकरी कर रहे थे, सभी को अपना रिज्यूम भेज दिया। और उन्हें अपने लिए कोई सूटेबल जॉब ढूंढने के लिए आग्रह किया। कुछ ही दिनों में अंश को उसके एक दोस्त ने मुंबई की Softlabs नाम की कंपनी की जॉब वैकेंसी के बारे में बताया। उसने भी बिना समय गवाएं अपना रिज्यूम उस कंपनी में भेज दिया। और कुछ ही घंटों में अंश का उस कंपनी के द्वारा टेलिफोनिक इंटरव्यू भी कर लिया गया। अगले ही दिन अंश से कुछ और डॉक्यूमेंट मांगे गए, जो सब अंश ने उस कंपनी को भिजवा दिए। शाम को जब अंश सिद्धार्थ से मिला, तो उसने इस पूरे घटनाक्रम को सिद्धार्थ को भी बताया। सिद्धार्थ यह सब सुन अंश के लिए खुश तो हुआ, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी का कोई भी भाव अंश को नजर तो ना आया। लेकिन अंश ने इसे सिद्धार्थ के काम की व्यस्तता समझ नजरअंदाज कर दिया। अगले ही दिन मुंबई से Softlabs कंपनी से अंश को नौकरी दी जाने की खबर, अंश को दे दी गई। और अगले 7 दिनों में उसे मुंबई के ऑफिस में रिपोर्ट करने को भी कहा गया। ये खबर सुन अंश काफी खुश हुआ, उसने अपनी खुशी बांटने के लिए सिद्धार्थ को फोन कर यही बात बताई। सिद्धार्थ ने भी अंश को नए शहर की नौकरी के लिए बधाई दी।


        कुछ ही दिनों में अंश ने e-biz से नौकरी छोड़ने की कागजी कार्यवाही भी पूरी की, और मुंबई जाने की पैकिंग भी शुरू कर दी। अंश के घर में इस बात का मिलाजुला रूप था। घर के कुछ लोग खुश थे, कि अंश मुंबई में नौकरी करने जाएगा, तो कभी ना कभी वे लोग भी मुंबई घूम आया करेंगे। वहीं अंश के मम्मी पापा इस बात से बेहद नाराज थे। अपने शहर, अपने घर में रहकर, अच्छी खासी सैलरी की नौकरी छोड़कर, नए शहर, नए माहौल, किराए के घर में जाकर अकेले रहने तथा अन्य कई परेशानियों के बारे में सोचकर, अंश के मम्मी पापा उसके इस फैसले के बिल्कुल पक्ष में नहीं थे। उन्होंने तो सिद्धार्थ को भी अंश को समझा-बुझा कर, ग्वालियर ही रोकने को भी कहा। लेकिन अंश अपना मन पक्का कर चुका था। अब ना तो वह अपने मम्मी पापा की कोई भी बात सुनने को तैयार था, ना ही सिद्धार्थ की बेमानी हंसी का कारण जानने का इच्छुक। और सब को अलविदा कहकर, अंश कुछ ही दिनों में मुंबई के लिए रवाना भी हो गया।



        मुंबई!!!!! तेज रफ्तार से भागती जिंदगी और उसमें धड़कते सपनों का शहर, मुंबई!!!! लाखों की भीड़ में खो जाने का शहर, मुंबई!!!!  जैसा माहौल इस वक्त अंश को चाहिए था, उसके लिए बिल्कुल उपयुक्त शहर, मुंबई!!!! ना किसी को तुम्हारे आज की परवाह, ना ही किसी को तुम्हारा अतीत जानने की दिलचस्पी। मुंबई आकर कुछ ही दिनों में अंश यहां के माहौल में घुल मिल गया। अपने ऑफिस के पास ही एक फ्लैट भी किराए पर ले लिया। ग्वालियर में घर पर फोन से रोज बात हो जाया करती थी। और सिद्धार्थ को भी चैट पर सारी खैर खबर बता दी जाती थी। ऑफिस में भी कलीग्स से दोस्ती होती जा रही थी। नया शहर, नया माहौल, ठीक अंश के अनुरूप ही काम कर रहा था। आदित्य की यादों के बादल भी अब धीरे-धीरे अंश के जहन से छटते जा रहे थे। जैसा अंश चाहता था, सब कुछ ठीक उसी के मुताबिक हो भी रहा था। मुंबई शहर में अंश का ऐसा मन रमा, कि कुछ दिन, कुछ हफ्तों और कुछ हफ्ते, कुछ महीनों में पलक झपकते बदल गए। अब सबकुछ बिल्कुल ही साधारण सा हो गया था। ग्वालियर में घर का माहौल भी अब ठीक था। मम्मी पापा की नाराजगी भी अब दूर हो चुकी थी। और अब जब भी किले की उस घटना की याद आती थी, तो असहजता की जगह हंसी आ जाया करती थी। आदित्य की यादें पूर्णतः खत्म हो चुकी थी। अब आदित्य का ख्याल आते ही, आंसू और उसके साथ बिताए हंसी और प्यार के लम्हों की जगह, उसके कमीनेपन की याद आती थी। अभी तक अंश के मन में जो बोझ था, वह सब गायब हो चुका था। अंश अब एकदम हल्का महसूस करता था। नए शहर में अकेले रहना उसे काफी रास आने लगा था। अब अंश गे डेटिंग एप भी इस्तेमाल करने लगा था। मुंबई में कुछ लोगों से रेस्टोरेंट्स या नाइट क्लब या पब्स में मिलने भी जाने लगा था। लेकिन अभी वह किसी भी तरह के फिजिकल और मेंटल रिलेशन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोच रहा था।


       कुछ ही दिनों में Softlabs के भारत में 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। जिस के लिए स्टेज परफॉर्मेंस करने वाले कलाकारों के कोआर्डिनेशन का कार्य अंश को सौंपा गया। 15 दिन पहले से ही इस आयोजन की तैयारियां भी शुरू कर दी गई। मुख्य परफॉर्मेंस के लिए टीवी एक्टर व्योम कपूर को बुक कर लिया गया था। रात के 9:00 से 1:00 के समय के लिए, जिसमें तीन गानों पर डांस परफॉर्मेंस और स्टाफ के साथ ऑफिस में सोशल मीडिया के लिए एक फोटो सेशन के लिए, उन्हें बुक किया गया था। लेकिन एक्टर की व्यस्तता के चलते, जो फोटो सेशन समारोह के दिन होना था, उसे आज ही करने की तैयारी कर दी गई। और अपने तय समय पर, व्योम कपूर अंश के ऑफिस भी आ गया, और फोटो सेशन शुरू हुआ। ऑफिस के सभी कोनों में, ऑफिस स्टाफ के साथ फोटो लेना शुरू किया गया। कुछ ही देर में अंश की भी बारी आई। अंश के साथ फोटो खिंचवाते समय, व्योम कभी उसके कंधे पर हाथ रखकर के सहलाता, तो कभी उसकी कमर पर। अंश को व्योम की यह हरकत समझ तो आ रही थी, लेकिन उसने इसे महज अपने दिमाग का वहम ही समझा। कुछ ही देर में फोटो सेशन खत्म हुआ, और व्योम को सारा ऑफिस घुमाया जाने लगा। जब व्योम स्टाफ सेक्शन में आया, तो सभी ने उसका तालियां बजाकर अभिवादन किया। व्योम ने भी सभी का अभिवादन स्वीकार किया।


व्योम :- "सॉरी!!! मेरी वजह से आप सभी को अगर थोड़ी सी भी परेशानी हुई हो तो। लेकिन मुझे आप सभी के साथ काम करके बहुत मजा आया।"



       व्योम बारी-बारी से सभी के पास जा जाकर, सभी से हाथ मिलाने लगा। जब बारी अंश की आई, तो व्योम ने एक हाथ से अंश से हाथ मिलाया, और दूसरे हाथ को अंश के हाथ के ऊपर रख, सहलाने लगा।



व्योम :- "अंशुमन जी!! काफी फोटोजेनिक चेहरा है आपका। कोई एक बार देखो तो बार बार देखने का मन करे। और पर्सनालिटी भी काफी शानदार है। कभी मॉडलिंग और टीवी में काम करने का मन हो तो बताइएगा।"



      अंश ने सिर्फ थैंक यू ही कहा, और व्योम आगे बढ़कर दूसरे स्टाफ के पास चला गया। व्योम के ऑफिस से जाने के बाद, सारा स्टाफ व्योम के बर्ताव और उसके इतना नामी होने के बाद भी, साधारण व्यवहार की तारीफ करने लगा। लेकिन अंश तो अभी भी व्योम की छुअन को अपने शरीर पर महसूस कर सकता था। अंश ने फिल्म इंडस्ट्री की कई बातें भी पहले सुन रखी थी। कि इस इंडस्ट्री में कैसे नामी लोग, छोटे लोगों का फायदा उठाते हैं, उनका यौन शोषण करते हैं। और व्योम की हरकतें भी अंश को उसी तरफ इशारा कर रही थी। और अंश तो यह सोचकर भी परेशान था, कि व्योम की देखभाल की जिम्मेदारी भी उसी के ऊपर है। तो व्योम से दूर रहना, तो बिल्कुल भी मुमकिन नहीं होगा। अंश ने तुरंत अपने मैनेजर से जाकर समारोह में मिली ड्यूटी को बदलने की बात की। लेकिन मैनेजर ने ऐसा करने से बिल्कुल मना कर, अंश को वापस उसके काम पर भेज दिया। शाम को जब अंश ऑफिस के बाद, अपने घर पहुंचा। तो वह सिद्धार्थ को फोन लगाकर, आज व्योम के साथ बिताए समय और अपने अनुभव को बयां करने लगा। तो सिद्धार्थ ने उसे समझाया कि "इसमें डरने या घबराने की क्या बात है?? वह कोई तेरा बलात्कार थोड़ी करेगा। अगर कोई जबरदस्ती करें भी, तो उसका वीडियो बनाने लगना, और उसे बदनाम करने की धमकी दे देना। अपनी इज्जत और काम बचाने के लिए फिर वह कुछ नहीं करेगा। और अगर तुझे वह पसंद आ रहा हो, तो तू भी इंजॉय कर। परेशान क्यों हो रहा है।" सिद्धार्थ से मिले सुझाव ने अंश की परेशानी को कुछ हद तक कम तो कर दिया था, लेकिन फिर भी अभी भी अंश के मन में, व्योम के व्यवहार को लेकर थोड़ी सी परेशानी बाकी थी। दरअसल अंश की परेशानी, व्योम के बर्ताव को लेकर नहीं थी, बल्कि व्योम की सोसायटी, उसकी शौहरत, उसकी बड़े-बड़े लोगों में हो सकने वाली पहचान से थी। उसने इस तरीके के हाईप्रोफाइल लोगों के लव अफेयर्स के कई किस्से सुन रखे थे। तो उसका भी यही डर था, कि अगर वह व्योम को नाराज कर देगा, या उसकी कोई बात नहीं मानेगा, तो कहीं व्योम उसके लिए मुश्किलें ना खड़ी कर दे।


      अगले दिन अंश जब ऑफिस पहुंचा, तो मैनेजर ने उसे बुलाकर, व्योम कपूर के घर जाने को कहा। जब अंश ने वहां जाने का कारण पूछा, तो समारोह की कुछ डिटेल्स व्योम को देना बताया गया। जितना अंश व्योम से दूर रहना चाह रहा था, उतना ही उसके पास जाना पड़ रहा था। और कोई बहाना देकर वह इस सब से बच भी नहीं सकता था। थोड़ा डरते हुए, थोड़ा घबराते हुए, सिद्धार्थ की बातों को याद करते हुए, वह व्योम के घर जा पहुंचा। व्योम के हाउस स्टाफ ने घर के हॉल में, अंश को इंतजार करने को कहा। और थोड़ी देर के बाद व्योम भी वहां आ गया।


व्योम :- (हॉल में घुसते हुए) "गुड मॉर्निंग अंशुमन जी!  सॉरी आपको थोड़ा इंतेज़ार करना पड़ा।"


अंश :- (खड़े होते हुए) "गुड मॉर्निंग सर! एंड इट्स ओके! नो प्रोब्लेम।"


व्योम :- "प्लीज मुझे सर मत कहिये! आप मुझे व्योम ही बोलिये, मुझे अच्छा लगेगा।"


अंश :- "ओके सर.....!! मतलब व्योम !!! ये फंक्शन की डिटेल की फ़ाइल है, जो आपने मंगवाई थी!!"


व्योम :- "ओके!!! चलिए!! हम इसे गाड़ी में डिस्कस कर लेते हैं। मुझे एक शूट के लिए फ़िल्म सिटी पहुंचना है, अगर हम यहाँ डिस्कस करेंगे, तो मैं लेट हो जाऊंगा।"


अंश :- "कोई दिक्कत नही है!!! मैं यह फ़ाइल यही छोड़ देता हूं, आपको जब समय मिले, आप इसे देख लीजियेगा।"


व्योम :- "फिक्र मत कीजिये अंशुमन जी! आपका सिर्फ 1:30 2:00 घंटे का समय ही मुझे चाहिए बस! फिर मेरा ड्राइवर आपको वापस, आपके आफिस छोड़ आएगा। ओके!!!! अब चलिए।"



      अंश के कुछ कहने से पहले ही, व्योम घर से निकल गया। और ना चाहते हुए भी, अंश को उसके साथ जाना ही पड़ा।



व्योम :- "लाइए!!! अंशुमन जी बताइए!!! क्या शेड्यूल है, आपके प्रोग्राम का??"



       अंश व्योम को फंक्शन की सारी डिटेल्स बताता है, लेकिन व्योम का ध्यान, अंश की बातों को सुनने से ज्यादा, अंश के ऊपर होता है। व्योम की नजरें, कभी अंश के गालों पर, आंखों पर, कभी उसके होठों पर, बाहों पर, कभी उसके सीने पर घूम रही होती हैं। अंश को भी व्योम की यह हरकत समझ आने लगती है। और वह थोड़ा असहज हो जाता है।



व्योम :- "क्या उम्र है आपकी अंशुमन जी?"


अंश :- "क्या??? 28!!"


व्योम :- "अरे! तो फिर तो तुम मुझसे छोटे हो। मैं 30 का हो जाऊंगा इस साल। तो मैं तुम्हे अंशुमन कह सकता हूँ, अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो?"


अंश :- (असहजता से) "हाँ सर!! बिल्कुल कह सकते हो!"


व्योम :- "सर नही व्योम कहो मुझे। तो अंशुमन! मुंबई में फैमिली के साथ रहते हो??? वैसे तुम्हारी भाषा मुंबई की तो नही लगती।"


अंश :- "हाँ!! मैं यहाँ का नही हूँ। मैं ग्वालियर का......."


व्योम :- (अंश को बोलने से बीच में ही रोकते हुए) "क्या ग्वालियर???  अरे वाह!!! मैं भी भोपाल से बिलॉन्ग करता हूं। ग्वालियर में भी मेरे कई रिश्तेदार है। मेरा देखा हुआ है ग्वालियर, काफी अच्छा शहर है।"



     व्योम की बातें खत्म भी नहीं हुई होती, की फिल्म सिटी आ जाती है। और ड्राइवर गाड़ी रोक देता है। व्योम ने अंश को अपना मोबाइल थमाया और अपना मोबाइल नंबर उसमें सेव करने को कहा। अंश थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन वह ऐसा करने से मना भी तो नहीं कर सकता था। व्योम के साथ कोआर्डिनेशन का काम उसी को तो देखना था। अंश का नंबर लेकर उसे अलविदा कह, व्योम तो अपने काम पर चला गया, और ड्राइवर को बोलकर अंश को भी उसके ऑफिस ड्रॉप करवा दिया। कुछ ही देर में एक अनजान नंबर से, अंश को व्हाट्सएप पर कुछ फनी जोक्स आने लगे। उसने जब चेक किया तो यह व्योम का ही नंबर था। अंश ने तुरंत सिद्धार्थ को फोन कर सारी बात बताई।



सिद्धार्थ :- (फोन पर)  "यार तो तू परेशान क्यों हो रहा है!! मुझे यह नहीं समझ आ रहा?? तू पहली बार थोड़ी किसी ऐसे लड़के से मिल रहा, जो तेरी बॉडी को घूर रहा हो!!!"


अंश :- "यार बात वह नहीं है। क्या तूने नहीं सुना, इन सिलेब्रिटीज के बारे में??? यह लोग ऐसे ही लोगों का इस्तेमाल करते रहते हैं!!"


सिद्धार्थ :- "अरे तो वह कोई जबरदस्ती थोड़ी करेगा तेरे साथ। और करने की कोशिश करे तो मैंने जो कल बताया, वैसा ही करना उसके साथ। वैसे जब तूने उसके बारे में बताया, तो मैंने उसका टीवी सीरियल देखा। बहुत ही मस्त दिखता है यार वह तो, और शरीफ लगता है चेहरे से तो।"


अंश :- "हां अच्छा तो दिखता है। बातें भी ठीक ही करता है। और आज उसने बताया कि भोपाल का रहने वाला है। लेकिन यार उसकी हरकतें शरीफों वाली नहीं है।"


सिद्धार्थ :- "यार तू इतना सोच रहा है उसके बारे में जैसे तुझे शादी करनी है उसके साथ। अभी तेरा फंक्शन हो जाएगा, फिर थोड़ी मिलना है तुझे उससे। तो ज्यादा टेंशन मत ले, बस अपने काम पर ध्यान दें।"



      सिद्धार्थ से बात करके, अंश को थोड़ी तसल्ली मिली। हफ्ते भर बाद ही फंक्शन था, बस उसके बाद यह व्योम का किस्सा भी खत्म ही होना था। तो यही सोचकर अब अंश की परेशानी भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी थी। लेकिन जब जब व्योम का कोई नया मैसेज मोबाइल पर आता था, तो एक परेशानी की शिकन अंश के माथे पर आ ही जाती थी। शाम को ऑफिस के बाद जब अंश अपने घर पहुंचा, तो कुछ ही देर बाद उसे व्योम का फोन आया। अंश ने कुछ देर सोचने के बाद, व्योम का फोन ना उठाना ही तय किया। और ऐसा उसने लगातार दो बार और आए फोन पर भी किया। लेकिन जब चौथी बार फिर से फोन बजा, तो अंश को ना चाहते हुए भी फोन उठाना ही पड़ा।



व्योम :- (फ़ोन पर) "अरे कहाँ बिजी हो अंशुमन?? कितने फ़ोन लगा चुका हूँ मैं।"


अंश :- "सॉरी सर!! फ़ोन साइलेंट मोड पर था, तो पता ही नही चला। आप बताइए!! कोई काम था???"


व्योम :- "यार कितनी बार बोलूं मुझे व्योम ही बुलाया करो। और हां एक जरूरी काम है, जल्दी से नीचे आ जाओ, मैं तुम्हारी बिल्डिंग के नीचे ही खड़ा हूं।"


अंश :- (हड़बड़ा कर) "क्या??  आप!!!  यहां!!! लेकिन..... आपको मेरा एड्रेस कैसे पता चला??"


व्योम :- "यार क्या फोन पर ही सारी बातें कर लोगे?? जल्दी नीचे आओ, मैं काफी समय से यहां तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।"



       इतना कहकर व्योम फोन काट देता है। अंश भी घबरा कर अपने फ्लैट की खिड़की से नीचे देखता है, तो व्योम की गाड़ी वहां नीचे ही खड़ी होती है। अब अंश थोड़ी टेंशन में आ जाता है। कि अगर वह व्योम के साथ चला गया तो, कहीं जो वह व्योम के बारे में सोच रहा है, वैसा ही ना हो। और अगर वह नहीं गया तो, कहीं व्योम यहां ऊपर उसके फ्लैट में ही ना आ जाए। अंश यह सब सोच ही रहा होता है, कि उसका फोन फिर से बजता है। और यह व्योम का ही कॉल होता है। अंश कॉल कट कर देता है, और घबराते हुए नीचे व्योम की गाड़ी के पास पहुंच जाता है। और उसने सिद्धार्थ के बताए अनुसार, अपने मोबाइल फोन पर वॉइस रिकॉर्डिंग चालू कर ली होती है। जब अंश गाड़ी के पास पहुंचता है, तो व्योम का ड्राइवर गाड़ी का पीछे वाला दरवाजा खोलकर, अंश को गाड़ी के अंदर बैठने का इशारा करता है। अंश अंदर बैठता है तो, व्योम मुस्कुरा कर अंश का स्वागत करता है। और गाड़ी वहां से आगे बढ़ जाती है।



अंश :- (गाड़ी में बैठे हुए व्योम को देखकर) "गुड इवनिंग सर!!! बताइए क्या काम था आपको??? और सर मेरा एड्रेस...."


व्योम :- (अंश को बीच में ही रोकते हुए) "प्लीज यार मुझे व्योम कहा करो बस ।और यार किसी को ढूंढना इतना भी मुश्किल नहीं है, बस सही जगह एक फोन करना होता है।"


    

      अंश समझ जाता है, कि उसका पता, व्योम को उसके ऑफिस से ही मिला होगा। और अंश के चेहरे की परेशानी, व्योम को साफ साफ नजर आने लगती है।



व्योम :- (अंश के कंधे पर हाथ रखते हुए) "चिंता मत करो! मुझे कोई काम नहीं है। वह तो मैं बस थोड़ा अकेला महसूस कर रहा था, और सुबह जब पता चला कि, तुम और मैं पास पास के ही शहरों से बिलॉन्ग करते हैं। तो लगा कि तुम्हारे साथ थोड़ा समय बिताना चाहिए। सुबह काम था, तो सुबह बिल्कुल समय नहीं मिला। अब जब फ्री हुआ तो, सबसे पहले तुम्हारा ही ख्याल आया। वैसे अगर तुम्हें कोई काम हो तो, कोई बात नही, मैं तुम्हें वापस वहीं छोड़ देता हूं।"



      अंश कहना तो यही चाहता था, कि उसे वापस उसके घर छोड़ दो। लेकिन इस ना का असर, उसकी नौकरी पर ना पड़े, इसलिए उसने बिना कुछ बोले, मुस्कुराकर बस अपना सर ना में हिला दिया।



व्योम :- (मुस्कुराकर) "ओके!! गुड!!! तो बताओ क्या हाल चाल हैं ग्वालियर के?? कितने समय से हो यहाँ मुम्बई में।"


अंश :- "बस कुछ महीने ही हुए हैं, यहां आए अभी तो।"


व्योम :- "कैसा लग रहा है यहां मुंबई में??? ग्वालियर की याद तो नहीं आती??"


अंश :- "घर की याद तो आती है सर। लेकिन यहां ज्यादा अच्छा लग रहा है मुझे।"


व्योम :- " फिर सर!!!  कहा ना यार सर मत बोला करो मुझे।"


अंश :- "ओके!! सॉरी!! आगे से ध्यान रखूंगा, व्योम!!!"


व्योम :- "Hmmmmmm.... !! गुड!!! वैसे अभी तो सब नया नया है, इसलिए सब अच्छा लग रहा होगा। लेकिन धीरे-धीरे बिल्कुल रास नहीं आएगा यह शहर तुम्हें। जब अकेलापन सताने लगेगा, तो मन करेगा, कि भाग जाओ यहां से। हां, अगर कोई प्यार करने वाला साथ हो, तो एक अलग बात है।"


अंश :- (मुस्कुराते हुए) "देखते हैं!!! फिलहाल तो यह अकेलापन मुझे काफी पसंद आ रहा है।"


व्योम :- "और तुम्हारी लव लाइफ!!!! वो कैसी चल रही है यहाँ??"


अंश :- "कुछ खास नही!! मैं सिंगल हूँ अभी तो।"


व्योम :- "ओके!!! मैं भी अभी सिंगल हूँ। लेकिन पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड था यहाँ मुम्बई में।"



      व्योम के मुंह से यह बात सुनकर, अंश ने उसे थोड़ा आश्चर्यचकित होकर देखा।



व्योम :- "अरे इतना आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है। यहां मुंबई में तो यह बहुत ही नॉर्मल सी बात है। और हमारी इंडस्ट्री में तो और भी ज्यादा आम बात है। हां, बस हम मीडिया से बचकर रहते हैं। क्योंकि मीडिया में यह बात आने से, हमारी इमेज खराब हो सकती है। फिर हमारे कैरियर पर भी इसका असर पड़ सकता है।"


अंश :- "तो फिर आप यह सब मुझे क्यों बता रहे हो??"


व्योम :- "अरे तुम तो अपने से लगते हो। तुमसे यह बात बताने में कैसी शर्म!!!"


अंश :- "और मैंने यह बात किसी को बता दी तो??"


व्योम :- "इतने सालों से इस इंडस्ट्री में हूं, इंसानों को परखना सीख गया हूं। मैं जानता हूं, तुम ऐसे बंदे नहीं हो।"



        दोनों साथ में काफी देर मुंबई की सड़कों पे यहां वहां घूमते रहे। ग्वालियर, भोपाल और मुंबई की ढेरों बातें, दोनों ने आपस में सांझा की। व्योम ने डिनर के लिए अंश को किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे साथ चलने को कहा। लेकिन अंश के मना करने के बाद, व्योम ने गाड़ी में ही चाइनीस फूड मंगवा लिया, और दोनों ने साथ में ही खाना खाया। कुछ देर बाद व्योम ने वापस अंश को उसकी बिल्डिंग के नीचे ड्रॉप कर दिया। व्योम से आज की मुलाकात ने, अंश के मन में बसी व्योम के लिए परेशानी, काफी हद तक खत्म कर दी थी। व्योम के आज के बर्ताव ने, अंश के मन में बनी खुद की छवि को ओझल कर दिया था। जहां आज शाम को व्योम से मिलते वक्त, अंश परेशान था। वही अब व्योम के घरवालों के बारे में, उसके मुंबई के स्ट्रगल और सक्सेस के बारे में, और उसकी पिछली लव लाइफ के बारे में जानने के बाद, अब काफी नॉर्मल महसूस कर रहा था। उसने अपने घर आकर सबसे पहले सिद्धार्थ को फोन कर, अभी की सारी बातें उसे बताई।


       अगले दिन भी जब व्योम के गुड मॉर्निंग के मैसेज का रिप्लाई अंश ने दिया, तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी। यह सब कल व्योम के साथ बिताए समय का ही नतीजा था। अब दोनों के बीच केवल फनी जोक्स के मैसेजेस ही नहीं हो रहे थे, बल्कि अब दोनों व्हाट्सएप पर घंटों चैटिंग कर रहे थे। और अब व्योम की बातों से भी, अंश को उसे सही से पहचानने का मौका मिल रहा था। अब अंश कि व्योम के प्रति सोच में, पहले के मुकाबले जमीन आसमान का अंतर आ चुका था। अंश की अब की सोच के मुताबिक, व्योम थोड़ा मुंहफट लेकिन केयरिंग नेचर का इंसान था। व्योम का पूरा नाम, व्योम कपूर नहीं बल्कि व्योम भार्गव था। जो कि उसने अपने पहले टीवी सीरियल के डायरेक्टर के कहने पर बदल लिया था। वह भोपाल के अरेरा कॉलोनी का रहने वाला था। भोपाल में बस उसके मम्मी पापा ही थे, वे दोनों सरकारी कर्मचारी थे। व्योम को एक्टिंग का शौक था। और वह हीरो बनने के लिए, भोपाल से, घर में बिना बताए भाग आया था। मुंबई में काफी धक्के खाने के बाद फिल्मों में तो नहीं, लेकिन टीवी सीरियल्स में अपना सपना पूरा करने का मौका उसे मिला। जिसके फलस्वरूप आज वो टीवी इंडस्ट्री का नामी ग्रामी एक्टर है। अब तक 2 सीरियस रिलेशनशिप में रह चुका है। और सेक्स ओरिएंटेशन से बायसेक्सुअल है। भोपाल में कॉलेज में एक गर्लफ्रेंड थी। जिसके साथ रिश्ता मुंबई आने की वजह से टूट गया था। और मुंबई में एक फैशन डिजाइनर के साथ रिलेशनशिप में रहा। उसने ही व्योम के टीवी इंडस्ट्री में कांटेक्ट बनाने में मदद की। लेकिन मीडिया में अपना नाम गे कम्युनिटी से जुड़ता देख, उसने व्योम से दूरियां बना ली। तब से ही व्योम सिंगल है, और एक अच्छे साथी की तलाश में है। यह सब बातें अंश को व्योम से इन 2 दिनों में जानने को मिली थी।



          कुछ ही दिनों में अंश के ऑफिस के फंक्शन का दिन भी आ गया। व्योम भी अपने तय समय पर, समारोह स्थल पर पहुंच गया। उस पूरी रात केवल अपनी परफॉर्मेस के समय के अलावा, व्योम ने अंश को खुद से दूर ही नहीं जाने दिया। पूरे समय कभी किसी काम में, तो कभी अपनी बातों में, अंश को अपने इर्द-गिर्द ही व्यस्त रखें रहा। स्टेज पर जब व्योम शर्टलेस होकर अपनी परफॉर्मेंस कर रहा था, तो व्योम को इस तरह नाचते हुए देख कर, अंश के मन में भी नए भाव जागने लगे। जो अंश अभी कुछ दिनों तक, व्योम द्वारा खुद के साथ दुर्व्यवहार से डर रहा था, आज व्योम को स्टेज पर, अर्धनग्न होकर डांस करते देख,  खुद ही उसका फायदा उठाना चाह रहा था। जब व्योम अपनी परफॉर्मेंस खत्म कर, वापस से अपने मेकअप रूम में गया। तो वहां उपस्थित अंश की बदली आंखों की चमक को देख कर, उसे 1 सेकंड नहीं लगा, अंश के मन के हाल को जानने में। और उसने तुरंत ही उस रूम में उपस्थित, अंश के अलावा, अपने स्टाफ को कोई ना कोई काम बता कर, वहां से बाहर भेज दिया। स्टाफ के जाते ही, व्योम अंश की ओर बढ़ा, और अंश कुछ समझ पाए उसके पहले ही, व्योम ने अपने होठों को अंश के होंठों से मिला दिया। अंश ने भी आगे बढ़कर इस काम क्रीड़ा में व्योम का साथ दिया। और दोनों ही उस बंद दरवाजे के पीछे, एक दूसरे के आगोश में खो गए।



       धीरे-धीरे दोनों के बीच का नया रिश्ता, नया रूप लेने लगा। दोनों प्यार के बंधन में गहराई से जुड़ते चले गए। जो अपनेपन, प्यार की तलाश व्योम को थी, वह तलाश अंश पर आकर खत्म हो चुकी थी। और अंश जिस मकसद से नए शहर में आया था, वह मकसद तो उसका पहले ही पूरा हो चुका था। लेकिन अकस्मात मिले इस नए रिश्ते को, अंश ने भी खुली बांहों से स्वीकार कर लिया था। अंश ने जब अपने इस बदले रिश्ते के बारे में, सिद्धार्थ को अवगत कराया, तो सिद्धार्थ ने अपनी खुशी का इजहार किया। लेकिन साथ ही साथ अंश को चेताया भी, कि वह ऐसा कुछ ना करें, जो वह पहले आदित्य के साथ कर चुका था। लेकिन अंश और व्योम के रिश्ते में ऐसी कोई बात थी ही नहीं। इस रिश्ते में व्योम की ज्यादा सहभागिता थी। व्योम दिन में समय निकालकर, अंश को फोन किया करता था। और व्हाट्सएप पर तो उन दोनों की चैटिंग, सारा दिन चला ही करती थी। रात को फ्री होने के बाद, व्योम सबकी नजरों से छुप छुपा कर, अंश से मिलने जरूर आता था। दोनों घंटों समय साथ गुजारा करते थे, और व्योम देर रात अपने घर वापस जाया करता था। वीकेंड पर अंश के ऑफिस की तो छुट्टी रहती ही थी, लेकिन जब कभी व्योम भी फ्री होता था, तो दोनों मुंबई से बाहर कहीं घूम आया करते थे। व्योम हर रोज कुछ ना कुछ गिफ्ट भी, अंश के लिए जरूर अपने साथ लाया करता था। और इन सब से कहीं ज्यादा, व्योम अंश का बहुत ख्याल भी रखता था, और बेशुमार प्यार भी करता था। धीरे-धीरे यह समय महीनों और महीनों से पूरे 1 साल में बदल गया।



       इस पूरे समय में अंश ने एक बार भी ग्वालियर जाने के बारे में नहीं सोचा था। पहले तो नए शहर, और 28 सालों में पहली बार अकेले रहने की एक्साइटमेंट, उसके बाद व्योम के साथ ने, कभी ग्वालियर की याद अंश को आने ही नहीं दी थी। लेकिन मम्मी पापा की जिद पर, अंश ने 3 दिन का ग्वालियर का प्लान बना ही लिया। व्योम इस ट्रिप से थोड़ा नाखुश था। उसका बस चले तो वह तो अंश को हमेशा अपने पास ही रखें और कभी खुद से दूर ना जाने दे। लेकिन अपने परिवार से दूर रहने के दर्द को बखूबी समझते हुए, उसने बिना अंश को बताए, उसके आने जाने के फ्लाइट के टिकट खुद ही बुक करवा दिए। यह बात अंश को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई, और उसने व्योम को आगे से कभी फिर ऐसा कुछ भी करने से साफ इनकार कर दिया।


 

      ग्वालियर में आज भी सब कुछ वैसा ही था जैसा अंश साल भर पहले छोड़ कर गया था। वही लोग, वही माहौल, बस अब अंश  का बर्ताव इस माहौल के हिसाब से थोड़ा-सा बदल गया था। ग्वालियर में तो आज भी पड़ोस के घर में क्या हो रहा है, उनके बच्चे क्या कर रहे हैं, इस बात का जिक्र, खुद के पारिवारिक मुद्दों की तरह चर्चा का विषय बना हुआ था। घर के छोटे-छोटे निर्णयों के लिए घंटों विचार किआ जाता था। अंश की अब इन सब माहौल में रहने की आदत बिल्कुल ही छूट चुकी थी। ग्वालियर आए अभी अंश को ज्यादा समय नहीं हुआ था, लेकिन अपने ही घर वालों की सोच को देखकर, उसे उलझन होने लगी थी। और इसी उलझन से भागने के लिए, अंश जा पहुंचा सिद्धार्थ की दुकान पर। सिद्धार्थ ने अंश को देखते ही, दौड़कर अपने गले से लगा लिया, और अपनी नम आंखों से अंश का स्वागत किया। दोनों ने ही मुंबई और ग्वालियर की खैर खबरों का आदान प्रदान किया। अंश ने बड़ी ही प्रसन्नता के साथ, व्योम के बारे में भी सिद्धार्थ को अवगत कराया। सारा समय दोनों ने अपनी बातों में ही गुजार दिया। रात को अंश की मम्मी के फोन के साथ, दोनों की बातों का सिलसिला खत्म हुआ। अंश जब घर पहुंचा, तो वहां पहले से ही कुछ मेहमान, अंश के घर आने का इंतजार कर रहे थे। अंश के पापा ने उन सभी मेहमानों का परिचय अंश से कराया। और कुछ ही देर में उनकी बातों से, अंश को साफ-साफ समझ आने लगा, कि यह कोई साधारण मेहमान नहीं, बल्कि अंश के रिश्ते के लिए उसे देखने आए लड़की वाले हैं।



    आगे अंश और व्योम के जीवन मे क्या उथल पुथल मचाते है, यह मेहमान। क्या इस बार भी अंश के दिल को दर्द से गुजरना पड़ेगा?? क्या इस बार भी सिद्धार्थ अंश की कोई मदद कर पायेगा? और भी कई सवालों  के जवाब छुपे है, इस कहानी के आखिरी पार्ट में। जल्द ही इस कहानी का आखिरी पार्ट भी प्रस्तुत करूँगा। तब तक के लिए अपने विचार जरूर सांझा करे।













Friday, September 4, 2020

"दर्द-ए-दिल" Part - I

 Hello friends, I am again here to present my new story "दर्द-ए-दिल" hope you all like my this story too, as all previous ones.


अंश :- (बाथरूम का शीशा अपने हाथ से गुस्से में तोड़ते हुए) "क्यों?? क्यों किया मेरे साथ ऐसा??"


सिद्धार्थ :- (अंश का हाथ पकड़कर देखते हुए) "संभालो खुद को अंश, खुद को चोट पहुंचाकर क्या मिलेगा तुम्हें??? मैं तो कहता हूं यह मुक्का उसमें मारो चलकर!!"


अंश :- (रोते हुए) "यार सिद्धार्थ मैंने सब कुछ किया उसके लिए!!! उसकी छोटी सी छोटी जरूरतों का भी ख्याल रखा है मैंने!!! जब उसे कहीं कोई जॉब नहीं मिल रही थी, तब मैंने अपने कोंटेक्ट से उसकी जॉब लगवाई। जब उसके पापा का ऑपरेशन होना था, हॉस्पिटल का सारा बिल मैंने भरा।"


सिद्धार्थ :- (अंश को चुप कराते हुए) "यार मैंने तो तुझे साल भर पहले भी समझाया था, मत कर उस पर पैसे खर्च, वह सिर्फ पैसों के लिए ही तेरे साथ है।"


अंश :- "यार बात पैसों की नहीं है। मैं हर जरूरत के वक्त उसके साथ खड़ा रहा यार!!! उसे मेरा प्यार एक बार भी नजर नहीं आया??? उसने मुझे धोखा देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा?"


सिद्धार्थ :- (अंश को गले लगाते हुए) "यार अब मैं तुझे कैसे समझाऊं!! वह नहीं प्यार करता तुझसे और ना पहले कभी किया उसने तुझसे प्यार!!  मुझे तो उसकी सारी खबरें मिलती रहती थी। मैंने तो तुझे भी रोकने की कोशिश की थी, लेकिन तूने मुझसे ही लड़ाई करी, वह भी उसके लिए।"


अंश :- (आंसू पोंछते हुए, सिद्धार्थ की आंखों में देखकर) "सॉरी यार!! काश मैं तेरी बात पहले ही मान लेता, तो मुझे आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।"


सिद्धार्थ :- (अंश के आंसू पोंछते हुए) "चल अब रोना बंद कर!!! तू जिसके लिए यह आंसू बहा रहा है ना, वह तेरे एक भी आंसू के लायक नहीं है। तूने तो आज बस उसे एक लड़के के साथ देखा है, मैंने तो न जाने कितने लड़कों से उसके किस्से सुन रखे हैं। वह किसी एक लड़के के लिए लॉयल रहने वालों में से है ही नहीं। मुझे तो पता था कि ऐसा होगा, और तेरा दिल टूटेगा। लेकिन इसमें इतना ज्यादा समय लगेगा, यह नहीं सोचा था मैंने।"



         सिद्धार्थ अंश को चुप करा कर, बाथरूम से बाहर उसे उसके कमरे में ले आता है। बाथरूम का शीशा तोड़ने की वजह से, अंश के हाथ में थोड़ी चोट भी आ जाती है। सिद्धार्थ उसे साफ करके, बेंडेड अंश के हाथ पर लगा देता है।


सिद्धार्थ :- (अंश को उसके बिस्तर पर लिटाते हुए) "अब तू मत सोच उसके बारे में। उसका तेरी लाइफ से जाना ही सही है। वह तेरे लायक ही नहीं है। वह तेरे क्या किसी के भी प्यार के लायक नहीं है। अब तू सो जा, मैं भी घर जाता हूं। कल आऊंगा, हम कहीं बाहर चलेंगे घूमने, पहले की तरह। ठीक है।"



        सिद्धार्थ अंश को बिस्तर पर लिटा कर, उसे चादर ओढ़ाकर, कमरे से बाहर आ जाता है। और उधर अकेले में अंश आदित्य को याद करके वापस से रोने लगता है। अंश आदित्य कि कहीं हर वह बात, उसके किए हर उन वादों को याद करने लगता है, जो आदित्य ने इन 3 सालों में अंश से किए थे। अंश को आदित्य के साथ बिताए हर वह प्यार के लम्हे याद आने लगते हैं, और उसे याद आता है, आज का दिन, आज अंश ने आदित्य को अपनी आंखों से किसी अनजान लड़के के साथ हमबिस्तर होते देखा था। उसे जैसे ही आदित्य का वह घिनौना चेहरा याद आता है, वह फूट-फूट कर रोने लगता है। तभी पीछे से सिद्धार्थ उसे अपनी बांहों में भर लेता है, और उसे थपथपाते हुए, चुप कराने की कोशिश करता है।


सिद्धार्थ :- "मुझे लग रहा था, कि अकेले मैं तो तू और ज्यादा रोएगा। इसलिए मैंने अपने घर फोन कर दिया है। मैं आज रात यहीं रुकूंगा तेरे साथ।"



        अंश करवट बदलता है, और सिद्धार्थ को गले लगाकर अपने 3 सालों के रिलेशन के, ऐसे खत्म होने के गम में, जी भर कर रोता है। दिल के टूटने की ना तो कोई आवाज़ होती है, और ना ही इस दर्द को मापने का कोई पैमाना। लेकिन दर्दे दिल का एहसास हर वो शक्स अच्छे से समझ सकता है, और महसूस कर सकता है, जिसने कभी प्यार में धोखा पाया हो, यह जिसका प्यार का रिश्ता टूटा हो। उसी दर्द से इस वक्त गुजर रहा है, अंश।  यूं तो अंश का पूरा नाम अंशुमन शर्मा है, लेकिन घर में और उसके सभी दोस्त उसे अंश ही कहते हैं। अंश ग्वालियर शहर का रहने वाला है। पुराने ग्वालियर में बाड़े के पास अपने पुश्तैनी मकान में एक बहुत बड़ी जॉइंट फैमिली में पला बढ़ा है। रिश्तो की खनक बचपन से ही उसके कानों में गूंजती रही है। तो किसी भी रिश्ते को एक खास अहमियत देना और पूरी इमानदारी से उस रिश्ते को निभाना, अंश के व्यवहार में भी एक खास जगह बना चुका है। अंश अपने सभी रिश्तो को बेटे का, भाई का, दोस्त का और प्यार के रिश्ते को बहुत ही प्यार से और शिद्दत से निभाने वाला लड़का है। ग्वालियर में ही स्कूल और इंजीनियरिंग खत्म कर, ग्वालियर की एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी "e-biz" में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर काम करता है। स्कूल लाइफ से ही अपनी भावनाओं और इच्छाओं के बारे में सजग है। फेसबुक पर फेक आईडी से और इंटरनेट की हेल्प से गे वर्ल्ड को अच्छे से एक्स्प्लोर कर चुका है। ग्वालियर में कई लड़कों से मिल चुका है, कई लोगों से फेसबुक की फेक आईडी से चैटिंग भी कर चुका है। रिलेशनशिप और सच्चे प्यार की कहानियों पर विश्वास करता है, इसलिए ग्वालियर में जिन लोगों से मिलता है, एक दूरी बनाकर रखता है। जब अंश कॉलेज में था उन दिनों फेसबुक के माध्यम से ही वह मिला सिद्धार्थ सक्सेना से। जो कि ग्वालियर, नई सड़क का ही रहने वाला था, और उम्र में अंश से 1 साल छोटा था।


       सिद्धार्थ अपने माता पिता और अपनी एक छोटी बहन के साथ रहता था। घर के नीचे ही सिद्धार्थ के पिता ने कपड़ों की दुकान खोल रखी थी। वैसे तो सिद्धार्थ के पिता का ताल्लुक ग्वालियर के पास के गांव से ही है, लेकिन रुपयों पैसों की तलाश में अब ग्वालियर में ही बस गए हैं। सिद्धार्थ को भी जब से होश संभाला, तब से ही अपने पापा की दुकान पर आए लड़कों को कपड़े बदलते देखने में बहुत अच्छा लगता था। इसलिए उसका ज्यादा समय पापा के साथ दुकान पर ही गुजरता था। सिद्धार्थ का पढ़ाई में भी ज्यादा मन नहीं लगा। लेकिन जैसे तैसे पास ही के माधव कॉलेज से बीकॉम खत्म कर, अब पूरा समय पापा की दुकान पर ही बताता है। फेसबुक पर भी एक फेक आई डी है। जिससे ग्वालियर के कई लड़कों से अब तक मिल चुका है। लेकिन उसका मन मोह ले ऐसा उसे अभी तक कोई नहीं मिला है। अंश से भी मुलाकात फेसबुक की ही उस फेक आईडी से ही हुई थी। लेकिन समय के साथ यह मुलाकात, असल रिश्ते में बदल चुकी थी, दोस्ती का रिश्ता!!! सिद्धार्थ को अंश का शांत और सहज व्यवहार बहुत भाया, और अंश को भी सिद्धार्थ के चंचल मन ने मोह लिया, और समय के साथ दोनों की दोस्ती गहरी दोस्ती में बदल गई।



         अंश अपने आफिस के बाद घर आने से पहले, सिद्धार्थ की दुकान पर चला जाता और घंटों दोनों आपस में बातें करते। जब कभी सिद्धार्थ के पापा दुकान पर ना होते, तो दोनों अपने मोबाइल में फेसबुक के फेक अकाउंट से ग्वालियर के लड़कों से चैटिंग करते और एक दूसरे से आपस में बातें सांझा कर, हंसी मजाक करते। संडे को जब अंश के ऑफिस की छुट्टी रहती, तो दोनों साथ में कभी-कभी ग्वालियर के आसपास के इलाकों में घूम फिर आया करते। कभी कभी फेसबुक से किसी लड़के से मीटिंग फिक्स कर, दोनों साथ में उस लड़के से मिल आया करते, और बाद में घर आकर उस लड़के के बारे में अपनी अपनी राय, एक दूसरे से सांझा करते। लेकिन अभी तक दोनों को ही ऐसा कोई नहीं मिला था, जिसके बारे में सीरियस होकर सोचा जाए। ग्वालियर की गे कम्युनिटी में ज्यादातर लोग, दोनों को जानने लगे थे। और दोनों को जय वीरू का नाम भी दे दिया गया था। सिद्धार्थ और अंश दोनों ही व्यवहार कुशल थे, और अपने व्यवहार से ग्वालियर की गे कम्युनिटी के ज्यादातर लोगों के अच्छे दोस्त भी थे।


        आज से कुछ 3 साल पहले, एक नई गे डेटिंग एप के बारे में सिद्धार्थ ने अंश को अवगत कराया। दोनों ने ही उस एप पर अपने अकाउंट बनाएं, और वहां भी लड़कों से चैटिंग करना, फोटो एक्सचेंज करना, मीटिंग करना शुरू किया। दोनों ही दिन भर में जिस से भी चैट करते थे, शाम को मिलकर एक दूसरे को सारी बातें बताया करते थे। जब कभी सिद्धार्थ किसी लड़के की चैट के बारे में या फोटो के बारे में अंश को बताता था, तो अंश बिना किसी हिचक के, अपनी राय उस चैट या फिर उस फोटो के बारे में ईमानदारी से सिद्धार्थ को बताया करता था। और सिद्धार्थ भी अंश के लिए ऐसा ही किया करता था। इसी सच्चाई की वजह से ही दोनों की दोस्ती दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही थी।


       वहीं कुछ दिनों के बाद अंश की उस नई ऐप से एक नए लड़के से चैट शुरू हुई। वह लड़का था "आदित्य"। आदित्य ग्वालियर के पास डबरा शहर का रहने वाला था। उम्र में अंश से कुछ 2 साल छोटा था। और अभी अपने इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में था। अपने इंजीनियरिंग की शिक्षा आदित्य ग्वालियर के ही एक प्राइवेट कॉलेज से ग्रहण कर रहा था। और डबरा से ग्वालियर रोजाना अप डाउन करता था। आदित्य एक निम्न मध्यम परिवार से था। उसके घर में बस उसके माता-पिता ही थे। आदित्य की मां एक साधारण गृहणी थी, और अपना सारा समय घर के कामों में ही गुजारा करती थी। आदित्य के पिता किसान थे। थोड़ी-बहुत पुश्तैनी जमीन के भी मालिक थे। लेकिन सिर्फ जमीन के उस छोटे से टुकड़े के भरोसे जीवन यापन में बहुत कठिनाई आती थी। और आदित्य के कॉलेज की फीस और बाकी सभी खर्चों को पूरा करने के लिए, दूसरों के खेतों पर, बटाई पर किसानी किया करते थे। जिससे घर खर्च और आदित्य के जीवन को संवारने में तो मदद मिल जाती थी। लेकिन महीने के अंत में हाथ में कुछ रुपए ही शेष रह जाया करते थे।


      आदित्य और अंश ने अपनी चैटिंग के दौरान, एक दूसरे की फ़ोटो को आपस में सांझा कीया। और दोनों को ही एक दूसरे की फोटो बेहद पसंद आई। दोनों ने अपनी अपनी निजी जिंदगी की भी कई बातों का आपस में आदान-प्रदान किया। और पहली ही वर्चुअल मुलाकात से दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करने लगे। शाम को जब अंश सिद्धार्थ की दुकान पर गया, तो अपनी आदत अनुसार, सिद्धार्थ के पापा से छुपा कर उसने आदित्य की फोटो सिद्धार्थ को दिखाई। सिद्धार्थ को भी आदित्य की फोटो पसंद आई,  और उसने अपना सर हां के इशारे में हिलाया। कुछ दिनों बाद जब आदित्य और अंश ने पहली बार मिलना तय किया, तो अंश सिद्धार्थ को भी अपने साथ ले आया। और अंश की यह बात कहीं ना कहीं आदित्य को रास नहीं आई। और कुछ दिनों बाद आदित्य ने अपने मन की इस बात को अंश को भी बता दिया। जिसके फलस्वरूप अब आदित्य और अंश की मुलाकातें अकेले में ही होने लगी। और धीरे-धीरे अंश का सिद्धार्थ से मिलना भी कम होता गया। और उधर आदित्य और अंश के बीच प्यार के रिश्ते की मीठी सी शुरुआत भी होने लगी।


      सिद्धार्थ जहां अंश के व्यवहार में आ रहे बदलावों से परेशान था, वही अंश को मिले प्यार के लिए खुश भी था। और इसी वजह से सिद्धार्थ ने खुद को फिर कभी भी आदित्य और अंश के बीच नहीं आने दिया। और उसने खुद ही अंश से भी थोड़ी दूरी बनानी शुरू कर दी। वहीं अंश को सिद्धार्थ और उसके रिश्ते के बीच बनती दरार नजर ही नहीं आ रही थी। और नज़र आती भी क्यों!  अंश पर तो अभी आदित्य के प्यार का रंग जो चढ़ता जा रहा था। धीरे-धीरे अंश की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल चुकी थी। अब सिद्धार्थ के साथ बिताए जाने वाले समय पर आदित्य का कब्जा हो चुका था। अंश ऑफिस के बाद का सारा समय आदित्य के साथ गुजरने लगा था। कभी मूवी, कभी घूमना फिरना, और रात का डिनर आदित्य के साथ ही, किसी रेस्टोरेंट में होता था। उसके बाद आदित्य को रेलवे स्टेशन छोड़कर, रात 10:00 बजे तक अंश अपने घर पहुंचता था। संडे के दिन आदित्य से मिलने अंश डबरा, आदित्य के शहर तक जाया करता था। आदित्य के लिए कपड़े, उसका मोबाइल बिल, उसकी रेल यात्रा का पास, और भी छोटे बड़े सारे खर्चे, अंश स्वत ही उठाने लगा था। अंश और आदित्य दोनों ही अपने इस रिश्ते में बाहर से बहुत ही खुश नजर आते थे। अंश के लिए तो यह उसका पहला प्यार था, जिसे वह पूरी इमानदारी और बड़े ही प्यार से निभा रहा था। लेकिन आदित्य के लिए यह सब धीरे-धीरे एक खुली जेल बनता जा रहा था। यूं तो आदित्य को अंश का प्यार करना, उसकी छोटी से छोटी जरूरतों का ख्याल रखना, बेहद पसंद था, लेकिन आदित्य की शारीरिक जरूरतें!!! जिन पर अंश का बिल्कुल ध्यान नहीं था। और अंश की यही आदत आदित्य कि उस रिश्ते में घुटन का कारण बनती जा रही थी। आदित्य ने कई छुपे इशारों में अपने मन की बात अंश को समझाने की कोशिश भी की, और नाकाम रहा। उसने वापस से उसी गे डेटिंग ऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया, जिसका इस्तेमाल उसने अंश से मिलने के बाद बिल्कुल बंद कर दिया था।


        आज से कुछ साल भर पहले, सिद्धार्थ के पास, उसके किसी दोस्त के ज़रिए, आदित्य की एक फोटो उसके हाथ जा लगी। और उसी दोस्त की बातों के अनुसार, सिद्धार्थ का वह दोस्त और आदित्य कुछ ही दिनों पहले हमबिस्तर हो चुके थे। जब सिद्धार्थ को इस बात का पता चला, तो उसने अच्छे दोस्त होने के नाते, अंश से मिलकर यह सारी बात अंश को भी बताई। और इन बातों पर भरोसा ना करते हुए, अंश सिद्धार्थ को ही भला बुरा कह कर, हमेशा के लिए सिद्धार्थ से अपनी दोस्ती खत्म कर, वहां से चला गया। सिद्धार्थ ने बहुत कोशिशें की, कि वह अंश को समझा सके, उसकी कही बातों को सच साबित कर सके। लेकिन अंश ने प्यार के रिश्ते के आगे, दोस्ती के रिश्ते को रखने से साफ साफ इंकार कर दिया। और जब यह बात आदित्य तक पहुंची, तो उसने अपनी सफाई में कई बातें अंश के सामने रखीं। क्योंकि अब आदित्य अंश को प्यार की वजह से नहीं, बल्कि अपनी जरूरतों की वजह से, अपनी जिंदगी से नहीं जाने दे सकता था। अभी पिछले साल ही अंश ने आदित्य की जॉब आईटीएम कॉलेज में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर लगवाई थी। और अभी कुछ महीनों पहले जब आदित्य के पिता के पैर में खेत में काम करते समय, जो गहरी चोट आई थी, उसके इलाज का भी पूरा खर्चा, अंश ने ही उठाया था। आदित्य की और भी छोटी-बड़ी सभी जरूरतों का भरण-पोषण आज भी अंश ही करता था। तो अपनी इस सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को अब अपने हाथों से जाने देना, आदित्य के लिए गवारा नहीं था। और उसने सिद्धार्थ को ही अंश के सामने गलत साबित कर, हमेशा के लिए सिद्धार्थ से दूर रहने का वादा अंश से ले लिया। और कुछ समय के लिए उसने उस गे डेटिंग एप से भी दूरी बना ली।


      अगर शरीर की आग से खेलने की आपको लत लग जाए, तो आप ज्यादा देर उससे दूर नहीं रह सकते। इसलिए अपनी शारीरिक उत्तेजना के आगे विवश होकर, आदित्य वापस से उस डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने लगा। लेकिन इस बार थोड़ी सतर्कता के साथ। और वहीं सिद्धार्थ ने भी अपने ग्वालियर के सभी दोस्तों की मदद से, आदित्य को रंगे हाथों पकड़ कर, अंश को उसके जाल से बाहर निकालने की ठान रखी थी। लेकिन आदित्य की सतर्कता और चतुराई के चलते, सिद्धार्थ को ऐसा मौका ढूंढने में महीनों का समय लगा। लेकिन आखिरकार आदित्य सिद्धार्थ की बिछाई चाल में खुद ही आकर फस गया। सिद्धार्थ ने बड़ी ही होशियारी से, अंश को भी उस जगह पहुंचा दिया, जहां आदित्य और सिद्धार्थ का एक दोस्त, नग्न अवस्था में, पहले से ही मौजूद थे। सिद्धार्थ जानता था, कि अंश को यह दृश्य अंदर से तोड़ कर रख देगा, लेकिन आदित्य की सच्चाई को अंश के रूबरू लाने का इससे बेहतर कोई और तरीका था ही नहीं। जिस तरह आदित्य ने पहले खुद को अंश के सामने सही साबित कर लिया था,  सिद्धार्थ इस बार ऐसा कोई भी मौका आदित्य को नहीं देना चाहता था। और आदित्य के असली रूप की कीमत, अंश के दिल के टूटने के रूप में देने को भी सिद्धार्थ राजी था। और जैसा सिद्धार्थ ने सोचा था, ठीक वैसा ही हुआ। इस बार आदित्य किसी भी बात, किसी भी तर्क से अंश की आंखों को बंद नहीं किआ जा सकता था।


      आखिरकार सिद्धार्थ की सच्चाई के साथ, आदित्य और अंश के प्यार के रिश्ते का, इतने घिनौने रूप में, अंत हो ही गया। सिद्धार्थ अंश को संभालते हुए, उसे वापस उसके घर ले आया। अपने घर आने पर जो सुकून अंश को पहले मिलता था, आज वह सुकून आदित्य के साथ कहीं दूर, बहुत दूर जा चुका था। लेकिन अभी तक ना तो अंश ने आदित्य से कुछ कहा था, और ना ही सिद्धार्थ से। अंश की आंखों ने आंसुओं को भी, अब तक एक बांध की तरह रोक रखा था। जो उसके बाथरूम में जाते ही टूट गया। और अंश का सारा गुस्सा बाथरूम की दीवार पर लगे शीशे पर जा टूटा। सिद्धार्थ ने दोस्त होने का फर्ज बखूबी निभाया, और अपने दोस्त को गलत संगत से बाहर खींच लाया। और अभी उसे अपने गले लगा कर, बिखरने से संभाल रहा है। अंश का सहारा बन, उसके प्यार के खोखले रिश्ते की यादों को मिटाने में मदद कर रहा है। इसलिए, दोस्ती के रिश्ते को सबसे अहम और खास समझा जाता है, यह तब आपके साथ खड़े होते हैं, जब आप सब से अकेले होते हैं। आज शायद अंश को सिद्धार्थ की उसकी दोस्ती की अहमियत साफ-साफ समझ आ रही थी। जिस दोस्त को कुछ समय पहले, अंश अपने प्यार की तरफदारी में गालियां दे रहा था, भला-बुरा कह रहा था, उसके साथ अपना दोस्ती का रिश्ता भी खत्म करने को तैयार था, आज जब उसी प्यार ने उसे धोखा दिया, तो उसके आंसू अपने वही सिद्धार्थ, वही दोस्त, उसके सामने खड़ा था।



       रात को भी सिद्धार्थ ने अंश को अकेला नहीं छोड़ा। देर रात तक अंश का सर अपनी गोद में रखकर, उसके बालों में उंगलियां घुमाते हुए, उसे कई बातें बताता रहा, उसे समझाता रहा। या यूं कहो, अंश के टूटे दिल के टुकड़ों को समेटता रहा, उन्हें जोड़ता रहा। कुछ देर बाद अंश भी सारी बातों को भुलाकर, नींद के आगोश में खो गया। और सिद्धार्थ भी उसे गोद में लिटाये, प्यार से थपकियाँ देते हुए, बिस्तर से टेक लगा कर, वह भी सो गया। अगली सुबह जब अंश की आंख खुली, और उसने अभी भी अपना सर सिद्धार्थ की गोद में ही पाया, तो वह उठा और सिद्धार्थ को बैठे बैठे सोते हुए देख, सोचने लगा, "मैंने इसकी उस दिन कितनी बेइज्जती की थी, कितना भला बुरा सुनाया था, और फिर भी यह मेरी इतनी चिंता करता है, इतना साथ देता है। इससे अच्छा दोस्त तो पूरी दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता।" यह सब सोचते वक्त, अंश के चेहरे पर अनायास ही एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है, तभी सिद्धार्थ की भी आंख खुल जाती है।


सिद्धार्थ :- (अंगड़ाई लेते हुए, अंश को मुस्कुराता देख) "क्या हुआ?? मुस्कुरा क्यों रहा है?? मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या??"


अंश :- (सिद्धार्थ को गले लगाते हुए) "थैंक यू यार!! तूने जो मेरे लिए किया, तुझे यह सब करने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन फिर भी तूने मेरा साथ दिया। थैंक यू सो मच"


सिद्धार्थ :- (अंश को और जोर से गले लगाते हुए) "इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं। मैंने ऐसा कुछ स्पेशल नहीं किया, जो करना चाहिए था बस वही किया। तू मेरी जान है, तेरे लिए तो मैं किसी की जान भी ले लूं।"


अंश :- (मुस्कुराते हुए, बिस्तर से उठते हुए) "किसी की जान लेने की भी जरूरत नहीं है यार। चल तैयार हो जा, तुझे शॉप पर भी तो जाना होगा।"


सिद्धार्थ :- (बिस्तर से उठते हुए) "हां जाऊंगा। तू भी जाएगा ना ऑफिस??"


अंश :- " नहीं यार!! मन नहीं हो रहा। आज छुट्टी ले लूंगा।"


सिद्धार्थ :- (अंगड़ाई लेते हुए) "अच्छा फिर क्या बस यहां बैठकर अर्जित सिंह के गाने सुनेगा!!! और उसकी यादों में आंसू बहाएगा?"


अंश :- "नहीं यार ऐसा कुछ नहीं करूंगा। लेकिन थोड़ा वक़्त तो लगेगा ना यार उसे भूलने में। 3 साल कम नहीं होते, किसी को प्यार करने के लिए।"


सिद्धार्थ :- "हां तो तू यह सोचना, कि केवल 3 साल ही उसने तुझे चूना लगाया। अगर नहीं पकड़ में आता, तो और ना जाने कब तक लूटता रहता तुझे।"


अंश :- "ऐसा नहीं है यार!!! उसने कभी भी मुझसे कुछ मांगा नहीं। मैंने ही खुद सब कुछ किया उसके लिए।"


सिद्धार्थ :- "मांगा नहीं तो मना भी तो नहीं किया। अगर कोई खुद्दार इंसान होता, तो क्या ऐसा करता। चल अब छोड़ उसे, मार गोली उसे, और भूल जा। चल तू तैयार हो जा, मैं भी तैयार होकर आता हूं। फिर अपन दोनों कहीं घूमने चलते हैं, पहले की तरह।"


अंश :- " नहीं यार!! मेरा मन नहीं है कहीं जाने का।"


सिद्धार्थ :- "तो मैं तुझसे पूछ नहीं रहा हूं, तुझे बता रहा हूं। चल तैयार हो जा। एक डेढ़ घंटे से आता हूं मैं।"



        और जैसा सिद्धार्थ कह कर गया था, कुछ ही देर बाद वह अपनी गाड़ी लेकर अंश को लेने उसके घर भी आ गया। और दोनों शहर में ही यहां वहां घूमने निकल पड़े। आप कितने भी खुशनुमा माहौल में क्यों ना हो, लेकिन आपके दिल के करीब का टूटा रिश्ता, जिसे आपने बहुत ही प्यार से संजो के रखा हो, आपके चेहरे पर मायूसी ले ही आता है। यही मायूसी इस वक्त अंश के चेहरे पर भी साफ साफ देखी जा सकती थी। सिद्धार्थ भी अंश को खुश रखने की, उसे हंसाने की, कई कोशिशें तो कर रहा था, जिससे अंश के चेहरे पर भी मुस्कान आ रही थी। लेकिन रह-रहकर आदित्य की यादें भी, अंश को दुखी करे ही जा रही थी। दिन भर दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए, शहर भर में घूमते रहे। शाम होते ही सिद्धार्थ अंश को ग्वालियर किले पर ले आया। और दोनों वहीं कुछ देर शांति से बैठे रहे। किले से ढलता सूरज, और शहर भर की लाइटों का जलना शुरू होते, दोनों ने कई सालों से साथ में नहीं देखा था।


अंश :- (किले से शहर की ओर देखते हुए) "पहले हम महीने में कम से कम 2 बार तो यहां आ ही जाते थे!!"


सिद्धार्थ :- (जगमगाती लाइटों की तरफ देखते हुए) "हैं यार! मैं आखिरी बार तेरे साथ ही आया था यहां।"


अंश :- (सिद्धार्थ की ओर देखते हुए) "सॉरी यार! मैंने एक नए रिश्ते के लिए, तुझसे ही दूरी बना ली। तू ही तो बस मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, और मैंने तुझे ही छोड़ दिया।"


सिद्धार्थ :- "सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं है यार। हमारा दिल सबसे कमजोर हिस्सा होता है हमारे शरीर का, बस वह ना टूटे उसके लिए हम कुछ भी कर सकते हैं। तूने जो भी किया, अपने दिल के हाथों मजबूर होकर किया। तो इस में तेरी कोई गलती नहीं। हां तेरे दिल की जरूर गलती है, जो कि एक गलत इंसान पर मर मिटा।"


अंश :- (दुखी होकर) "उसी बात की सजा पा रहा हूँ यार!!"


सिद्धार्थ :- (अंश की आंखों में आंसू आते देख उसे गले लगाकर) "छोड़ यार अब, वह इस लायक नहीं, कि तू उसके लिए आंसू बहाए। समझ सकता हूं, तेरा दिल टूटा है। तुझे बुरा भी लग रहा है। लेकिन मैं हूं यार तेरे साथ। देखना धीरे-धीरे तू बिल्कुल भुला देगा उसे, और मेरा पुराना वाला, हंसमुख अंश वापस लौट आएगा।"




       अंश भी सिद्धार्थ को जोर से गले लगा लेता है। और सिद्धार्थ की बातों को ध्यान से सुने लगता है। दिन भर के सिद्धार्थ के साथ, उसके अपनेपन के भाव, ढलती शाम, ठंडी हवा के साए में, अंश उस पल में खो जाता है। और सिद्धार्थ को कसकर अपनी बाहों में भर लेता है। अंश के हाथ सिद्धार्थ की पीठ पर हल्के हल्के मचलने लगते हैं। अंश की सांसो की रफ्तार बदलकर, सिद्धार्थ के कानों में सारा हाल बयां कर देती है। सिद्धार्थ खुद को अंश से अलग करता है, और अंश के चेहरे के बदले भावों को बड़े गौर से देखता है।


अंश :- (लजाते हुए) " आई एम सॉरी यार!! मैंने होश ही खो दिया।"


सिद्धार्थ :- (अंश की हालत समझते हुए बात बदल कर) "अरे कोई बात नही यार!! हो जाता है कभी-कभी। ऐसा ही एक किस्सा, मेरे चाचा के लड़के के साथ भी हो गया था। हुआ यूं........."



       सिद्धार्थ उस पल को हंसी मजाक में लेते हुए निकाल देता है। दरअसल सिद्धार्थ अंश के मन की हालत को अच्छे से समझता है। अभी अभी दिल पर गहरा जख्म खाने की वजह से, कहीं से भी मिला प्यार का हाथ, बहुत ही खास हो जाता है। वही प्यार का एहसास, इस वक्त अंश के दिल पर मरहम का काम कर रहा है। और ऐसे में सिद्धार्थ के प्यार में बह जाना, बहुत ही साधारण सी बात है। लेकिन कहीं अंश इस बात को भी अपने दिल पर ना ले जाए, इसलिए सिद्धार्थ अपने मन से कहानी बनाकर अंश को सुना रहा है। जिससे अंश सहज रह सके। कुछ देर और वही किले पर समय बिताने के बाद, दोनों वापस अपने घर की ओर रवाना हो जाते हैं। सिद्धार्थ आज रात भी, अंश के साथ ही रुकने की बात, अंश से कहता है। लेकिन अभी किले पर जो अंश ने सिद्धार्थ के साथ किया, उसे याद करके, अंश को ग्लानि का एहसास होता है। और वह एक बार फिर सिद्धार्थ से उस पल के लिए माफी मांगता है।


अंश :- "आई एम सॉरी यार!!! आज जो हुआ सच में ऐसा नहीं होना चाहिए था। पता नहीं तू मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।"


सिद्धार्थ :- "नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है। मैंने तुझे बताया ना, ऐसा मेरे साथ भी हो चुका है। तो तू बिल्कुल भी टेंशन मत ले इस बारे में। चल!!!! पहले मेरे घर चलते हैं, मैं कपड़े बदल लेता हूं, फिर तेरे साथ ही चलूंगा, और आज रात भी तेरे साथ ही रुक जाऊंगा।"


अंश :- "नहीं यार!! मैं अब बिल्कुल ठीक हूं। तू मुझे घर पर ही छोड़ दे और अपने घर निकल जा। आज शॉप पर भी नहीं गया, तो मेरी वजह से अंकल गुस्सा करेंगे तुझ पर।"


सिद्धार्थ :- (मुस्कुराते हुए) "नहीं यार पापा कुछ नहीं बोलेंगे। और कुछ कहेंगे भी तो दोस्ती के लिए थोड़ी डांट भी खा लूंगा। पापा की डांट तुझसे बढ़कर थोड़ी है।"


अंश :- "सच में यार तेरे जैसा दोस्त किस्मत वालों को ही मिलता है। और मैं बहुत किस्मत वाला हूं। लेकिन मैं बिल्कुल ठीक हूं, तू अपने घर जा, और मुझे अपने घर छोड़ दे।"


सिद्धार्थ :- "ठीक है, लेकिन मैं फोन करूं तो उठा लेना। अगर फोन नहीं उठाया, तो मैं तेरे घर आ जाऊंगा।"



        अंश को उसके घर छोड़, सिद्धार्थ भी अपने घर चला जाता है। और देर रात अंश को फोन कर, उससे बात करता है। क्योंकि वह जानता है, कि अकेले में अंश, बस आदित्य को याद करके रोता ही रहेगा। और कल रात के बाथरूम का शीशा तोड़ने के बाद, उसे यह भी डर था, कि कहीं गुस्से में अंश खुद को ही चोट ना पहुंचा ले।


अंश :- (सिद्धार्थ से फ़ोन पर बात करते हुए) "अरे हां यार! मैं ठीक हूं! अब इतनी भी फिक्र मत कर मेरी।"


सिद्धार्थ :- "तू जान है मेरी। तेरी फिक्र करना तो कभी नहीं छोड़ सकता मैं।"


अंश :- (किले की बात को याद करके) "सिद्धार्थ यार! किले पर जो हुआ उसके लिए फिर से सॉरी।"


सिद्धार्थ :- (उस बात का मजाक बनाते हुए) "लेकिन यार मुझे तो मजा आ रहा था, तू रुक क्यों गया??"


अंश :- (हिचकीचाते हुए) "तू मजाक कर रहा है ना???"


सिद्धार्थ :- (हंसते हुए) "हां यार!! अब तू भूल जा उस बात को भी और उस क**** आदित्य को भी। और आगे बढ़। तेरे लिए अब कोई अच्छा सा लड़का ढूंढता हूं मैं।"


अंश :- "नहीं यार!!! वह भी इसके जैसा निकला तो?? इससे अच्छा तो मैं सिंगल ही ठीक हूं। और फिर तू है ना मेरे साथ, बस काफी है।"


सिद्धार्थ :- "हां यार मैं तो हमेशा हूं तेरे साथ। लेकिन कभी तेरा मूड बन गया तो?? मैं क्या करूंगा फिर???"


अंश :- (जोर से हंसते हुए) "किले पर चलना फिर मेरे साथ और क्या!!!"


सिद्धार्थ :- "बस यार ऐसे ही हंसता रहा कर। कल से अब सुनी है तेरी ऐसी हंसी। अब अच्छा लग रहा है थोड़ा।"


अंश :- "थैंक्स यार!! मेरा साथ देने के लिए। अगर तू नहीं होता, तो पता नहीं यह सब कभी खत्म होता भी या नहीं।"


सिद्धार्थ :- "तू बिल्कुल भी फिक्र मत कर मेरी जान। मैं हमेशा रहूंगा तेरे साथ।"




    आगे की कहानी क्या मोड़ लेगी? क्या आदित्य को पूरी तरह भुला कर आगे बड़ पायेगा अंश??? क्या सिद्धार्थ और अंश की दोस्ती का रिश्ता कोई नया रूप लेगा?? या कोई और ही अध्याय जुड़ने को तैयार बैठा है, अंश के जीवन मे?? ये सब जानने के लिए बने रहे मेरी इस नई कहानी के साथ।



Lots of Love

Yuvraaj ❤️
















Shadi.Com Part - III

Hello friends,                      If you directly landed on this page than I must tell you, please read it's first two parts, than you...