Wednesday, August 19, 2020

"RADIANCE" Final Part

 Hello friends,

                         Hope you like it's previous parts, if you still didn't read them, than read them first than you will get easily be connected with this final part.



        अगली सुबह जब रोहित की आँख खुलती है, तो अविनाश के साथ बिताई, हसीन रात की यादों से उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान छा जाती है। रोहित जब करवट बदलता है, और अविनाश को अपने पास नहीं पाता। तो वह अविनाश को यहां वहां देखने लगता है। और अविनाश उसे मिलता है, balcony में। रोहित पीछे से अविनाश को अपनी बाहों में भर लेता है।


रोहित :- (अविनाश कस कर hug करते हुए) "Good morning! बड़ी जल्दी उठ गए, अभी तो 6 भी नही बजे?"

अविनाश :- (पलटकर रोहित को अपने गले से लगाते हुए) "Very good morning, रोहित!! मुझे तुमसे कुछ कहना है। मुझे नही पता, की तुम्हे ये सब जान कर कैसा लगेगा। लेकिन......"

रोहित :- (अविनाश को बीच मे ही टोकते हुए) "I know!! मैं समझ सकता हूँ। मैं भी तुमसे इस बारे में बात करना चाहता था, लेकिन अच्छा है, कि तुम भी इस बात को समझते हो। हमें अपने relationship को सभी से छुपा कर रखना होगा। एक तो वैसे भी कोई और हमारे रिश्ते को समझेगा भी नहीं, और तुम मेरे training officer भी हो, तो सभी को यही लगेगा कि, मैं तुम्हारा फायदा उठा रहा हूं। तो मैं समझ गया, कुछ कहने की जरूरत नहीं है। चलो अब तुम जाओ। Do your daily work!! हम cab में मिलते हैं। अरे! अरे! लेकिन एक selfie तो बनती है।


           रोहित जल्दी से अपना mobile लाता है, और उगते सूरज के साथ, अविनाश को गले लगाकर selfie लेने लगता है। अविनाश फिर balcony से निकलकर, kitchen में आता है। और रोहित के लिए चाय बनाता है। और उधर रोहित कई सारी अपनी और सेल्फी लेता है। और कुछ photos, whatsapp पर उसी group में upload कर देता है, जिसमें रोहन भी add होता है, उसे जलाने के लिए।


अविनाश :- (kitchen से ही रोहित को आवाज़ लगते हुए) "रोहित, मैंने तुम्हारी चाय रख दी है, लेलो आकर। और में अपने flat में जा रहा हूँ, तुमसे cab में मिलता हूँ।"


       इतना कहकर अविनाश रोहित के flat से चला जाता है। कुछ समय बाद दोनों तैयार होकर, साथ में office आ जाते हैं। और रोहित के कहे अनुसार, office में दोनों एक दूसरे से दूर दूर ही रहते हैं। training के दौरान भी, दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते हैं। लेकिन जब भी दोनों की नजरें एक दूसरे से टकराती हैं, तो दोनों की आंखों की चमक, एक दूसरे से ढेरों बातें करने लगती है। शाम को office के बाद, दोनों साथ में घर लौट आते हैं। और lift में, सारी नजरों से दूर, दोनों एक-दूसरे को बाहों में भर लेते हैं। एक दूसरे को kiss करते हैं। लेकिन जैसे ही lift 21वें floor पर पहुंचती है। तो अविनाश खुद को रोहित से अलग करता है, और उसकी आंखों में वही खून दौड़ आता है, जो कल रात रोहित के हाथ में चाकू लगने पर आया था। रोहित वहां खड़ा बस, अविनाश के चेहरे के बदलते भावों को ही देखता है। इतने में lift का दरवाजा खुलता है, और अविनाश दौड़कर lift से बाहर आता है। और रोहित के flat के बाहर खड़े, एक लड़के को गले से दबोच लेता है। रोहित भी अविनाश के पीछे पीछे भागता हुआ आता है, और अविनाश का हाथ खींच कर उस लड़के को अविनाश की गिरफ्त से छुड़ाने का प्रयास करता है। लेकिन रोहित अविनाश को उसकी जगह से हिला भी नहीं पाता है। थोड़ी ही देर में, वह लड़का जिसे अविनाश ने पकड़ा होता है, वह अविनाश को जोर से धक्का देकर खुद को, अविनाश की गिरफ्त से छुड़ाने में सफल हो जाता है।


रोहित :- (अविनाश और उस लड़के के बीच मे आकर, अविनाश को देखते हुए) "क्या हो गया है तुम्हे? क्यों मार रहे हो इसे?? मैं जानता हूँ इसे!!!"

अविनाश :- (आश्चर्य से रोहित की ओर देखते हुए) "तुम इसे नही जान सकते। तुम्हारा यहां रहना बिल्कुल भी safe नही है। तुम अंदर जाओ अभी के अभी।"

रोहित :- (अविनाश को उस लड़के की ओर बढ़ने से रोकते हुए) "मैं बिल्कुल safe हूँ यहाँ, कुछ नही होगा मुझे। मैं जानता हूँ इसे, ये रोहन है। मेरा ex-boyfriend!!"

अविनाश :- (आश्चर्य और गुस्से में) "Boyfriend!!!! ये किसी का भी boyfriend नही हो सकता। ये एक....."


       अविनाश अपनी बात कहते हुए, बीच मे खुद ही रुक जाता है।


रोहन :- "हाँ! हाँ! बोलो! रुक क्यों गए? मैं नही हो सकता किसी का boyfriend? तो क्या तुम हो सकते हो??"

रोहित :- (दोनों को शांत कराते हुए) "चुप हो जाओ दोनों। मुझे तो समझ नही आ रहा कि तुम लोग लड़ क्यों रहे हो? तुम दोनों जानते हो एक दूसरे को??"

रोहन :- (रोहित की तरफ बढ़ते हुए) "मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।"

अविनाश :- (रोहित को पीछे खीचते हुए, गुस्से में) "इसे तुमसे कोई बात नही करनी। मैं यहाँ कोई तमाशा नही चाहता हूँ। इसलिए जहाँ से आये हो, वहीं वापस लौट जाओ। यही अच्छा होगा तुम्हारे लिए।"

रोहन :- (अविनाश की तरफ बढ़ते हुए, गुस्से से उसकी आँखों मे देखते हुए) "मैं भी देखता हूँ, कौन रोकता है मुझे रोहित से बात करने से।"

रोहित :- (फिर से दोनों के बीच आते हुए) "फिर से शुरू मत करो यार please! और रोहन तुम्हें अब क्या बात करनी है मुझसे?? इन 8 महीनों में तो कभी मेरी याद नहीं आई तुम्हें?? तो अब कौन सी बात तुम्हें यहां खींच लाई??"

रोहन :- "मैं तुम्हें सब बताऊंगा। क्या हम अंदर चल सकते हैं? मैं अकेले में तुमसे कुछ बात करना चाहता हूं। जो यहां तो बिल्कुल नहीं हो सकती। (यह बात रोहन ने अविनाश की तरफ देखते हुए बोली)"

अविनाश :- (मजाकिया हँसी हंसते हुए) "Ohhhh! Dogy को भी डर लगता है।"

रोहन :- (खिसिया कर) "डर किससे? ठन्डे शरीर वाले से??"

रोहित :- "यार तुम दोनों बच्चों की तरह लड़ना बंद करो पहले। (अविनाश की तरफ मुड़ते हुए) तुम please अपने flat में जाओ। मैं इससे बात करता हूं।"

अविनाश :- (रोहित की बाहों को जोर से पकड़ते हुए) "नहीं!!! मैं तुम्हे इसके साथ, वो भी अकेले, कहीं नही जाने दूंगा। तुम नही जानते इसके बारे में। ये एक बहुत खतरनाक....."

रोहित :- (अविनाश को बीच मे ही रोकते हुए, और अपने हाँथो के ऊपर से अविनाश के हाथों को हटाने की कोशिश करते हुए) "तुम मुझे दर्द पहुंचा रहे हो अविनाश!!!"

रोहन :- (रोहित को अविनाश के हाँथो से छुड़ाते हुए) "ये तुम्हे दर्द के अलावा कुछ दे भी नही सकता।"


       रोहन की यह बात सुनकर अविनाश अपना आपा खो देता है, और एक जोरदार punch रोहन के मुंह पर मारता है। और रोहन जमीन पर गिर जाता है। रोहित अविनाश को पीछे रहने का बोलकर, रोहन को उसका हाथ पकड़कर उठाता है। और रोहन के चेहरे को देखता है, तो अविनाश के punch की वजह से, रोहन का होंठ cut जाता है, और रोहन के मुंह से थोड़ा सा खून भी निकल रहा होता है। रोहन रोहित के सहारे से जमीन से उठता है, और रोहित को कहता है।


रोहन :- "मेरा तुमसे बात करना बहुत जरूरी है। अभी तो यह सिर्फ मुझे चोट पहुंचा रहा है। कल को तुम्हें भी पहुंचाएगा।"

रोहित :- "ऐसा कुछ नही होगा। मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा है, कि तुम यहां आए ही क्यों हो??"

रोहन :- (रोहित के कंधों पर हाथ रखते हुए) "मुझे तुमसे बस कुछ बात करनी है। फिर मैं यहां से हमेशा के लिए चला जाऊंगा।"

अविनाश :- (रोहन के हाथों को रोहित के कंधों से झटकते हुए) "इसे तुमसे कोई बात नहीं करनी। एक बार में समझ नहीं आता क्या?? फिर से समझाऊं?"

रोहित :- (अविनाश को चुप कराते हुए) "बस करो यार!! तुम please जाओ, मैं इससे बात करके आता हूं।"

अविनाश :- "मैंने बोला ना, मैं इसके साथ तुम्हे अकेले कही नही जाने दे सकता।"

रोहित :- "Ok!! तो कम से कम अंदर तो चल सकते हैं। यहां बाहर ही तमाशा करने की कोई जरूरत नहीं है।"


        तीनों रोहित के flat के अंदर आ जाते हैं। रोहित first aid box ला कर रोहन के चेहरे को साफ करता है। रोहित और रोहन sofa पर बैठे होते हैं, और अविनाश सामने की दीवार के पास खड़ा, गुस्से से रोहन को घूरे जा रहा होता है।


रोहन :- (रोहित की आंखों में देखते हुए) "तुम्हें पता है, तुम्हें छोड़कर जाना बहुत मुश्किल था मेरे लिए। लेकिन फिर भी मैंने ऐसा किया,  क्योंकि मैं अपनी सच्चाई जानने के बाद तुम्हारे साथ नहीं रह सकता था।"

रोहित :- (मुस्कुराकर) "हां तुम नौकरी वाले, और मैं back वाला!! समझ सकता हूं! और सच कहूं अच्छा ही हुआ, कि तुम चले गए। वरना मैं अविनाश से शायद ना मिल पाता......"

रोहन :- (रोहित को बीच में ही रोकते हुए) "नहीं बात यह नहीं है!! मेरी सच्चाई बहुत अलग है! बहुत डरावनी है! मैं एक.... मैं एक...... मैं तुम्हारे लायक नहीं था। तुम्हें चोट नहीं पहुंचाना चाहता था। इसलिए तुम्हारी life से चला गया था। और ना ही तुम्हें इसके साथ रहना चाहिए। (अविनाश की और गुस्से से देखते हुए) अगर मैं आज तुम्हारी और रोहित की फोटो नहीं देखता, तो तुम तो रोहित की जिंदगी खत्म ही कर देते?!!!"

रोहित :- "क्या बोले जा रहे हो?? अपनी बराबरी अविनाश से करने की कोई जरूरत नहीं है। वह तुम्हारे जैसा बिल्कुल नहीं है। मेरी बहुत care करता है, और मुझसे बहुत प्यार भी करता है। तुम्हारी तरह मुझे धोखा भी नहीं देगा। तो तुम्हारी बात खत्म हो गई हो, तो अब तुम जा सकते हो।"

रोहन :- (अविनाश की तरफ देखते हुए, रोहित से) "धोखा तो ये दे रहा है तुम्हें, अपनी सच्चाई तुम से छिपाकर। (रोहित की ओर देखकर) मैं तुम्हें सब सच बताता हूं। मैं एक wolf हूं। जब मुझे पता चला तो...."

रोहित :- (रोहन को बीच में टोक कर हंसते हुए) "क्या??? कोई और अच्छा बहाना नहीं मिला तुम्हें?? WOLF!!!"

रोहन :- "यही सच है रोहित!!! मैं एक नर भेड़िया हूं। मैं पूर्णमासी की रात पूरी तरह भेड़िए का रूप ले लेता हूं। जब मुझे यह सच्चाई का पता लगा, तो मैं तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकता था। मेरा तुम्हारे साथ होना ही, तुम्हारी जान के लिए खतरा हो सकता है। और मैं कभी भी तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था। इसलिए तुम्हारा दिल तोड़कर तुमसे दूर जाना ही, बस एक रास्ता था मेरे पास। अगर मैं यह सब तुम्हें तब बताता, तो तुम शायद मुझ पर कभी यकीन ही नहीं करते। इसलिए मैं बिना कुछ बोले, तुमसे दूर चला गया। वह तो जब आज दोपहर में मैंने तुम्हारी एक photo में, इसे तुम्हारे साथ देखा। तो मुझे यहां तुम्हारे सामने आना पड़ा, तुम्हें बचाने के लिए। क्योंकि इसने भी अपना सच तुमसे छुपाया है। इसका भी तुम्हारे आसपास होना, तुम्हारी मौत है।"

रोहित :- "क्या बकवास करे जा रहे हो?? मैंने इस तरह की कई फ़िल्मे देखी हैं। यह सब कहानियां फिल्मों में ही अच्छी लगती हैं, असल जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं होता।"

अविनाश :- "रोहन सच कह रहा है।"

रोहित :- "क्या??"



        रोहन खड़ा होता है, रोहित अपनी पलकें भी नहीं झपका पाता, कि रोहन हवा की रफ्तार के साथ, तुरंत kitchen में पहुंच जाता है, और दूसरे ही पल उसी रफ्तार से वापस रोहित के पास आ जाता है। जिस sofa पर रोहित बैठा होता है, उस sofa को एक हाथ से ही, हवा में ऊपर उठा देता है।


रोहन :- (sofa और उस पर बैठे रोहित को हवा में उठाये हुए) "मैं सच कह रहा हूँ, यह सब सच है।"



        यह सब देखकर रोहित की तो आश्चर्य से आंखें फटी की फटी ही रह जाती है। और अब उसे अविनाश की हर वह बात, हर वह वाक्या, याद आने लगता है, जिसे वह अभी तक अविनाश की खूबी समझता था। उसका वह भारी वजन, बिना किसी परेशानी के उठा लेना। उसका हर काम बड़ी ही फुर्ती से कर लेना। उसकी आंखों का रंग बदलना। जिन सारी बातों को वह अभी तक मात्र कहानी समझ रहा था, वह अब हकीकत बन उसे हवा में उठाए हुए थी। रोहन उठाए हुए sofa को नीचे रखता है, और रोहित का हाथ पकड़ता है।



रोहन :- "मैं समझ सकता हूं, कि तुम्हारे लिए यह सब समझ पाना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन यही सच्चाई है। जब मुझे अपने बारे में यह सब पता चला, तो मेरे दिमाग में सबसे पहला ख्याल तुम्हारा ही आया। मैंने एक बार को सोचा भी, कि मैं यह राज हमेशा के लिए तुम से छुपा लूंगा, फिर सोचा कि मैं अपनी सच्चाई तुम्हें बताकर ही तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिता लूंगा। लेकिन दोनों ही सूरतों में, मेरा तुम्हारे साथ होना, तुम्हारे लिए खतरा ही था। पूर्णमासी की रात जब मैं अपने असली रूप में आता हूं, तो मुझे कोई होश हवास नहीं होता। और मेरे सामने जो आता है, वह बस मौत का शिकार हो जाता है। इसलिए मैंने यही तय किया, कि मैं तुमसे दूर हो जाऊं। यही तुम्हारे लिए सबसे सुरक्षित रहेगा। लेकिन जब मैंने आज तुम्हारी photo इसके साथ देखी। मैं इसका चेहरा देख कर ही समझ गया, कि तुम तो और भी बड़ी मुसीबत को गले लगाए हुए हो। इसके लिए तुम बस एक शिकार हो। मैं यहां सिर्फ इसे तुम्हारी जिंदगी से बाहर करने ही आया हूं। और वह किए बिना मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा, चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों ना देनी पड़े। (यह कहते हुए रोहन ने अविनाश की तरह अपनी गुस्से से भरी आंखों से देखा)"



      अविनाश अभी भी, अपना सर झुकाए, रोहित के सामने वही दीवार के पास खड़ा हुआ था। रोहित sofa से उठा, और अविनाश के पास गया।"



रोहित :- "रोहन ये सब क्या कह रहा है??"

अविनाश :- (सर झुकाये हुए, दबी जुबान में) "सही कह रहा है।"

रोहित :- "तुमने यह सब मुझे क्यों नहीं बताया?? तुम मुझे मारना चाहते थे??"

अविनाश :- (रोहित की आंखों में देखते हुए) "नहीं कभी नहीं!!! मैं तुम्हें एक खरोच भी नहीं आने दूंगा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।"

रोहन :- (गुस्से से अविनाश की ओर आते हुए) "झूठ बोल रहा है ये। इसका काम ही यही है, बहला-फुसलाकर लड़के लड़कियों को मौत के घाट उतारा है ये।"

रोहित :- (रोहन को रोककर, अविनाश की ओर देखते हुए) "तुम्हें पता है, रोहन ही मेरा पहला प्यार था। हम लोगों के नाम मिलते जुलते थे, तो हमारे रोल नंबर आगे पीछे के ही थे। मुझे रोहन के लिए feelings मेरे engineering के first year से ही थी। लेकिन मैं अपनी sexuality को लेकर clear नहीं था। खुद को accept करने में, रोहन के प्यार को accept करने में, और रोहन के साथ एक relationship में आने के लिए, मैंने 3 साल का समय लिया। और जब रोहन मुझे छोड़ कर गया। तो मुझे नहीं लगा था, कि मुझे दोबारा प्यार होगा। लेकिन फिर तुम मिले। और तुमसे मिलकर, ना जाने मुझे क्यों ऐसा लगा, कि मैं तुम्हें पहले से जानता हूं। एक अलग तरह का खिंचाव महसूस करता था, मैं तुम्हारे लिए। और चंद दिनों की मुलाकात में ही, मैंने तुम्हें अपना सबकुछ मान कर, खुद को तुम्हें सौंप दिया। और तुमने इतनी बड़ी बात, अपने जीवन की सच्चाई ही मुझे बतानी जरूरी नहीं समझी।"

अविनाश :- "मैं तुम्हें बताना चाहता था। कल रात को भी बताना चाहता था, और आज सुबह भी बताना चाहता था। लेकिन मैं नहीं हिम्मत कर पाया तुम्हें कुछ भी बोलने की। लेकिन इसका मतलब ये नही, की मैं तुम्हे नुकसान पहुंचाना चाहता था।"

रोहन :- "बातें बना रहा है बस। यह कभी नहीं बताता तुम्हें। मैं अच्छे से समझता हूं, इन लोगों को। यह हैवान है। यह हमेशा के लिए तुम्हें अपने वश में करके रखता, और जब चाहे तब तुम्हारा इस्तेमाल करता अपनी भूख मिटाने के लिए।"

अविनाश :- (गुस्से से रोहन को घूरते हुए) "मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था, और ना ही कभी सोच सकता हूं ऐसा। मैं रोहित से प्यार करता हूं, आज से नहीं पिछले 100 सालों से।"

रोहित :- "क्या?? 100 सालों से???"

रोहन :- " इसकी एक भी बात पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। लोगों को बातों में फंसा कर, उनका खून पीना। यही तो इसके जीने का तरीका है।"

रोहित :- (रोहन की ओर देखकर) "तुम लोगों का खून पीते हो???"

रोहन :- "मैं नहीं ये!!! मैं तो बस एक रात के लिए जानवर बनता हूं।लेकिन इसका तो सारा जीवन ही हैवानियत का है। यह wolf नही है, यह एक पिशाच है, vempire!!!  यह अपनी महक से अपने शिकार को मदहोश करता है, फिर अपनी आंखों से hypnotize करके, उनको अपने वश में कर लेता है। फिर वह शिकार इसका गुलाम हो जाता है, यह जैसा कहता है, इसका शिकार वैसा ही करता है।"

रोहित :- (आश्चर्य से अविनाश की ओर देखते हुए) "मतलब वह perfume नहीं, मुझे अपने पास रखने का एक तरीका था। और वह तुम्हारी आंखों का रंग बदलना, वह मुझे अपने वश में करने के लिए था??"

अविनाश :- "हां यह सब सच है। मैं एक vempire हूं। मैं लोगों का खून भी पीता था, उन्हें अपनी महक से अपनी और आकर्षित कर, अपनी आंखों से अपने वश में कर लेता था। लेकिन जबसे मैं तुमसे मिला हूं, मैंने अपनी भूख पर काबू पा लिया है। मैंने पिछले 100 सालों से किसी भी इंसान की जान नहीं ली है, अपनी भूख मिटाने के लिए। ना ही मैंने किसी को अपने वश में किया है। और मेरी मेहक वह मुझ में से आती ही है, मैं उसे नहीं रोक सकता। और मैंने अपनी किसी भी शक्ति का उपयोग तुम्हें अपने पास रखने के लिए कभी भी नहीं किया, ना अभी और ना ही पहले और ना ही आगे कभी करूंगा। मैं सच में तुम्हें दिल से चाहता हूं, और कभी तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता, और ना ही किसी को पहुंचाने दूंगा। (यह बात अविनाश ने रोहन की ओर देखते हुए कही)"

रोहन :- (मुस्कुराकर) "अच्छी कहानी बना लेते हो। किस दिल से प्यार का नाटक कर रहे हो?? दिल तो तुम्हारा धड़का ही नहीं होगा, न जाने कितने सालों से!! और 100 सालों से किसी इंसान को नहीं मारा तुमने??? तो अब तक चल फिर कैसे पा रहे हो???? यह सारी कहानियां उन्हें सुनाना, जो तुम्हारे बारे में जानते ना हो!!!"

अविनाश :- (रोहित के हाथों को पकड़ते हुए) "मेरा विश्वास करो, मैं सच कह रहा हूं। मैं पिछले 100 सालों से जानवरों के खून पर जिंदा हूं, इंसानों के खून की तड़प पर मैंने काबू पा लिया है। जब से मैं तुमसे मिला हूं, मैंने अपने अंदर के पिशाच को कभी जागने नहीं दिया है।"

रोहन :- (अविनाश के हाथों को रोहित के हाथों से झटकते हुए) "हां! लेकिन वो पिशाच कभी भी जाग सकता है। तुम रोहित के लिए हमेशा एक खतरा ही रहोगे। तो अपने इस प्यार के नाटक को बंद करो, और निकल जाओ इसकी जिंदगी से। वरना तुम्हारे ये सदियों के जीवन को खत्म करने में मुझे चंद मिनट ही लगेंगे।"

अविनाश :- (गुस्से से रोहन की shirt की कॉलर पकड़कर) "मैं अभी चाहूं, तो तुम्हें यहीं खत्म करदू, और रोहित को वश में करके, उसके जहन से यह सारी यादें मिटा दूं। अगर मुझे रोहित को सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए अपने पास रखना हो, तो मेरे पास कई तरीके हैं। लेकिन मैं रोहित से प्यार करता हूं, और उसकी हिफाजत करना ही मैंने अपना लक्ष्य बना लिया है। लेकिन अगर रोहित खुद मेरे साथ नहीं रहना चाहता, तो मैं फिर कभी उसे अपनी शक्ल भी नहीं दिखाऊंगा। तो यह अपनी धमकियां अपने पास ही रखो।"

रोहित :- (अविनाश को रोहन से दूर करके, रोहन की ओर देखकर) "रोहन तुम अभी जाओ यहां से। मैं ठीक हूं, और आगे भी safe रहूंगा। और मुझे कोई भी जरूरत होगी, तो मैं तुम्हें call कर दूंगा।"

रोहन :- (रोहित की ओर बढ़ते हुए) "नहीं रोहित!!! में इसके साथ तुम्हें ऐसे नहीं छोड़ सकता। तुम मेरे साथ चलो, कुछ दिन इंदौर रह लेना, या मेरे साथ बेंगलुरु चलो, वहीं job कर लेना।"

रोहित :-  "अगर तुम आज वो photo नहीं देखते, तो मैं अविनाश के साथ ही होता ना अभी!!!!  और अगर उसे मुझे नुकसान ही पहुंचाना होता, तो अब तक पहुंचा चुका होता। तब तुम क्या कर लेते?"

रोहन :- "लेकिन...."

रोहित :- (रोहन को बोलने से रोकते हुए) "कुछ लेकिन वेकिन नहीं। तुम मुझे इसीलिए छोड़ के गए ना, ताकि मैं तुमसे सुरक्षित रहूं। तुम मुझे चोट ना पहुंचा पाओ। अच्छी बात है, लेकिन ऐसा करने के बहुत से तरीके थे। यह जो सब तुम मुझे आज बता रहे हो, यह सब पहले भी बता सकते थे। लेकिन तुमने जो रास्ता चुना, वह तुम्हारे लिए सबसे आसान था। तो अब उस रास्ते से वापस आने की कोशिश भी मत करो। मैं सुरक्षित हूं, और अगर मुझे तुम्हारी help की जरूरत पड़ेगी, तो मैं तुम्हें call कर लूंगा।"

रोहन :- (अपना मन मार कर वहां से जाते हुए, अविनाश को गुस्से से देख कर) "अगर इसे कुछ हुआ तो, वह इस दुनिया में तेरा आखरी दिन होगा।"

रोहित :- (रोहन के जाने के बाद, अविनाश की तरफ मुड़कर) "अब तुम भी जाओ!! यह जो कुछ भी हुआ, यह समझने के लिए मुझे time चाहिए!!!! अकेले!!!!"



        अविनाश बिना कुछ बोले रोहित के flat से निकलकर, अपने flat में चला जाता है। रोहित भी अपना सर पकड़ hall के sofa पर बैठ जाता है, और जो कुछ भी अभी रोहित ने देखा, सुना, सब समझने की कोशिश करने लगता है। रोहित को अभी भी इन सब बातों पर विश्वास नहीं होता है। यह vempire, wolf की कहानियां उसने कई फिल्मों में देखी होती है। लेकिन उन सभी बातों का हकीकत बन उसके सामने इस तरह से आना, किसी बड़े सदमे से कम नहीं होता है। थोड़ी देर बाद रोहित sofa पर ही लेट कर, अपनी आंखें बंद कर, अविनाश के अभी तक के साथ के बारे में सोचने लगता है। यही सब सोचते हुए उसे नींद भी आ जाती है। और वह वहीं sofa पर ही सो जाता है।


       अगली सुबह जब रोहित की आंख खुलती है, तो वह अपने सिरहाने कुछ photos रखी हुई पाता है। उन photos को देख कर उसे कुछ समझ नहीं आता। वह photos काफी पुरानी, कुछ black and white और कुछ coloured होते हैं। लेकिन उन photos में दो शख्स बिल्कुल साफ साफ नजर आ रहे होते हैं। जिनमें एक तो अविनाश ही होता है, और कुछ photos में अविनाश के साथ रोहित भी होता है। और कुछ photos में अविनाश के साथ वाले शख्स की उम्र बढ़ती नजर आती है। लेकिन उन सभी बड़ी उम्र वाले व्यक्तियों में रोहित खुद की शक्ल देख सकता है। और photos के उन दोनों व्यक्तियों द्वारा पहने गए लिबासों से यह साफ झलकता है, कि यह सारी photos काफी पुराने समय की है। रोहित कल रात की सभी बातों को जितना सोचने समझने की कोशिश कर रहा होता है, यह सभी photos उसे उतना ही उलझा देती हैं। रोहित वे सभी photos लेकर अविनाश के flat के बाहर पहुंचता है। और अविनाश के flat का दरवाजा खटखटाने से पहले ही, अविनाश वह दरवाजा खोलकर, रोहित को अंदर आने के लिए बोलता है।


         रोहित अविनाश के flat में जब अंदर आता है, तो बड़े आश्चर्य से अविनाश के सारे घर को देखने लगता है। यह पहला अवसर था कि रोहित अविनाश के flat को अंदर से देख रहा था। अविनाश का flat पूरी तरह से खाली था। बस उसके bedroom में एक पलंग पड़ा हुआ था। जो कि बिल्कुल उस sofa की designe का था जो अविनाश ने रोहित के flat में रखवा दिया था। kitchen में बस एक fridge। और इन दो सामान के अलावा अविनाश के flat में कोई तीसरा सामान नहीं था। उसके bedroom के fixed furniture में कुछ कपड़े हो सकते थे। लेकिन उन अलमारियों के बंद दरवाजे से कुछ भी कह पाना मुश्किल था।


रोहित :- (बड़े आश्चर्य से) "तुम ऐसे रहते हो??"

अविनाश :- "हाँ!!! मुझे किसी चीज़ की जरूरत नही पड़ती!"

रोहित :- (kitchen की तरफ देखते हुए) "तो वो सब lunch, dinner की बातें भी झूठ थी?"

अविनाश :- "हाँ!! मैं तुम्हारी तरह lunch और dinner नही करता हूँ। मैं बस दिन में एक बार, रात के समय, ज़िंदा रहने के लिए खून पिता हूँ।"

रोहित :- "किसका??"

अविनाश :- "mostly जानवरों का, लेकिन मुझे हर महीने में कम से कम एक बार human blood पीना ही पड़ता है, वरना मेरी body ठीक से काम नही कर पायेगी।"

रोहित :- "मतलब, रोहन सही कह रहा था, तुम अपनी भूख को मिटाने के लिए, इंसानो को मारते हो??"

अविनाश :- "हां!!! रोहन की सारी बातें सच थी। लेकिन vempires के बारे में। मेरे बारे में नहीं। मैंने खुद को पूरी तरह control कर लिया है। मैं अपनी भूख के लिए किसी की जान नहीं लेता। मुझे जब भी human blood की जरूरत होती है, तो वह जरूरत blood bank से पूरी हो जाती है। हां, उसके लिए कभी-कभी मुझे कुछ लोगों को अपने वश में करना पड़ता है। लेकिन मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।"

रोहित :- "और अगर तुम blood ना पीओ तो?? तुम उसे भी तो control कर सकते हो??"

अविनाश :- "ये मेरी body की requirement है, जैसे तुम्हारे लिए खाना और पानी। लेकिन तुम्हारे जाने के बाद मैंने यह भी try किया था। लेकिन बिना खून के कुछ हफ्तों में ही मेरे अंदर का शैतान बाहर आने लगा था। और अगर मैं अपनी ख़ुराक पर वापस नहीं आता, तो शायद मैं ना चाहते हुए भी किसी को नुकसान पहुंचा सकता था। और तुम्हारी दी कसम को मैं नहीं तोड़ना चाहता था। इसलिए यही रास्ता सबसे सही था।"

रोहित :- "क्या???? मेरी कसम!!! मेरे जाने के बाद!!! कल भी ये सब बोल रहे थे। कि मुझे 100 सालों से जानते हो!! और आज यह photos!!! यह सब मेरी समझ के बाहर है।"

अविनाश :- (रोहित को अपने साथ bedroom में चलने का इशारा करते हुए) "अंदर चल कर बैठो, मैं सब समझाता हूं। (रोहित को कमरे में पड़े bed पर बैठने का इशारा करते हुए) मैं तुम्हें पहले से जानता हूं। यह तुम्हारा दूसरा जन्म है। मुझे पता है तुम्हें यह सब बातें कहानियां लग रही होंगी, और तुम्हें मेरी बातों पर विश्वास करना भी मुश्किल होगा। लेकिन यही सच है।"

रोहित :- "Seriously!!! Wolf, vempire अब ऐसी कोई बात नही बची, जिसपर मैं विश्वास ना कर सकूं। (कुछ देर सोचने के बाद) तो मतलब मैं भी पहले vempire था??? और रोहन??? क्या उसे भी तुम पहले से जानते थे??"

अविनाश :- "नहीं तुम पहले भी इंसान ही थे। जब मैं तुमसे मिला, तब मैं ऐसा नहीं था। तब मैं इंसानों को सिर्फ अपना शिकार ही समझता था। मैंने तो तुम्हारा खून पीने के लिए, तुम्हें अपने वश में भी कर लिया था। लेकिन तुम्हारी आंखों ने मुझे आगे नहीं बढ़ने दिया। और बस तब से मैं तुम्हारे साथ हूं। और उस दिन से ही मैंने अपने अंदर के हैवान को हमेशा के लिए कैद करके रखा हुआ है। और रही बात रोहन की, तो मैंने कल ही उसे पहली बार देखा था। मुझे नहीं पता था कि मुंबई में कोई wolf भी है।"

रोहित :- "मतलब ये सारे photos में, मैं हूँ तुम्हारे साथ?"

अविनाश :- "हां! यह संजय है। जिसने मुझे खुद से मिलाया। मेरे इस जीवन को एक नई दिशा दी। मुझे प्यार करना सिखाया, मुझे फिर से जीना सिखाया, खुश रहना सिखाया। संजय मुझसे हमेशा कहता था, कि वह मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। अगर इसके लिए उसे दोबारा भी जन्म लेना पड़े, तो भी वह हर बार एक नया जन्म लेकर मेरे पास वापस आ ही जाएगा। और फिर जब मैंने तुम्हें कुछ सालों पहले मुंबई में देखा, तो मुझे खुद की आंखों पर भरोसा ही नहीं हुआ। मैंने तुम्हारे बारे में सब पता किया। मैं इंदौर भी गया। और जब मुझे पता चला कि जिस दिन, जिस समय, संजय ने मेरी बाहों में अपनी आखिरी सांसें ली थी, ठीक उसी समय तुम्हारा भी जन्म हुआ था। तब मुझे यकीन हुआ, कि संजय ने अपना वादा निभाया, और रोहित बन मेरी जिंदगी में वापस आ गया है। लेकिन मैं फिर भी तुमसे दूर रहा, क्योंकि मैंने तुम्हारे बिना जीना सीख लिया था। और मैं बस अपनी खुशी के लिए, वापस अपनी अंधेरी दुनिया में तुम्हें नहीं लाना चाहता था। लेकिन जब भी मुझे तुम्हें देखने का मन होता था, तो मैं दूर से ही तुम्हें देख जाया करता था। और कुछ दिनों बाद तुम्हारा मन पड़ने से मुझे पता चला कि तुम किसी रोहन को पसंद करते हो। तो फिर मैंने तुमसे पूरी तरह से दूरी बना ली थी। लेकिन कुछ दिनों पहले जब मैंने तुम्हें अपने office में देखा, तो मेरा मन तो किया, कि तुम्हें गले लगाकर सब सच बताऊं। लेकिन मुझे यही पता था, कि तुम्हारी life में रोहन है। इसलिए मैं तुमसे फिर से दूर ही रहा। लेकिन जब तुम मेरे घर के बिल्कुल मेरे पास ही आ गए, तो मेरा सब्र धीरे-धीरे खत्म होता चला गया। और जब मैंने तुम्हें तुम्हारी diary लिखते सुना, तो मुझे पता चला कि, अब रोहन तुम्हारी life में नहीं है। और तुम भी मेरे लिए feelings रखते हो, पर कहने से डरते हो। तब मैं तुम्हें सब सच बताना चाहता था, लेकिन सही मौके का इंतजार कर रहा था। लेकिन यह मौका इस तरह आएगा, यह मैंने नहीं सोचा था।"

रोहित :- (अविनाश द्वारा कही गई सारी बातों को समझने की कोशिश करते हुए) "तुम्हें पता है Twilight मेरी favourite movie है और Vempires diaries मेरा favourite serial। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था, कि यह सब real भी हो सकता है। और वह भी मेरे साथ हो सकता है। यह सब सुनना, समझना TV और  films में जितना आसान है, उतना ही real life में देखना मुश्किल है। वैसे तुमने कहा कि मेरे मन की feelings से तुम्हें रोहन के बारे में पता चला!! वह कैसे??"

अविनाश :- "Hmmmmm... vempire और wolf के सभी senses बहुत strong होते हैं। तुम्हारे दिमाग को पड़ सकते हैं, सिर्फ तुम्हे छू कर, तुम्हारे सारे past के बारे में जान सकते हैं। हम कई km तक, तुम्हारी खुशबू सूंघ सकते हैं। कई km दूर से ही, तुम्हारी साँसे, तुम्हारी धड़कन सुन सकते हैं। हम दोनों species कई तरह से मिलते जुलते होते है, लेकिन फिर भी हम दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन होते है। क्योंकि wolf जिनके अच्छे दोस्त बन सकते हैं, हमारे लिए वो लोग सिर्फ एक शिकार, हमारा भोजन होते हैं। यही wolf और vempires की दुश्मनी की इकलौती वजह है। vempires चंद्रमा उपासक होते है, और वुल्फ सूरज उपासक। vempires को चंद्रमा से सारी शक्तियां मिलती है, और सूरज में आते ही हमारी सारी शक्तियां कमजोर पड़ जाती है। इसीलिए तो दिन में मेरी आँखें अपना colour बदल लेती हैं, मैं दिन में किसी को अपने वश में भी नही कर सकता। और wolf पूर्णिमा की रात, चंद्रोदय होते ही, अपने असली रूप में आ जाते है, अपना पूरा होशोहवास खो कर, जानवर बन जाते है। उन्हें उनकी सारी शक्तियां सूरज से मिलती है।"

रोहित :- (बिस्तर से उठते हुए) "बस - बस आज के लिए इतना ही काफी है। इससे ज्यादा मैं यह सब सुनूंगा, तो मेरा सर ही फट जाएगा।"

अविनाश :- (रोहित के सामने खड़ा होकर) "तुम्हें यह सब जानकर मुझसे डर तो नहीं लग रहा?"

रोहित :- "नहीं!! लेकिन ये सब समझने के लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए। चलो अब तुम ready हो, office नही जाओगे?"

अविनाश :- "हाँ!! चलेंगे। लेकिन तुम मेरी एक बात मानोगे?"

रोहित :- "क्या??"

अविनाश :- "ये bed तुम अपने flat में रख लो। ये तुम्हारा ही है, मतलब संजय का। मुझे अच्छा लगेगा अगर ये तुम्हारे पास होगा तो।"

रोहित :- "फिर तुम्हारे पास यहाँ रह ही क्या जाएगा?"

अविनाश :- "मैंने तो इसे बस संजय की यादों में संजोकर रखा था। अब मेरे पास तुम हो, तो यह bed भी तुम्हारे पास ही होना चाहिए, उस sofa की तरह।"



      कुछ समय के बाद, आखिरकार अपने दिल के हाथों मजबूर होकर, रोहित अविनाश को स्वीकार कर ही लेता है। और अविनाश के जीवन में भी, एक बार फिर, उसका प्यार संजय, रोहित के रूप में वापस आ जाता है। रोहन के लाख समझाने के बाद भी, रोहित अपने दिल की ही सुनता है। लेकिन रोहन भी रोहित से एक वादा लेकर इस रिश्ते के लिए हामी भरता है, "कि रोहित अपनी diary की तरह, रोहन को भी दिन में एक बार phone करेगा, और अपना हाल बताएगा, और अगर अविनाश की वजह से, रोहित को जरा सी भी तकलीफ आई, तो उससे बुरा कुछ और नहीं होगा।" अविनाश और रोहित दोनों रोहन कि इस बात को हंसते-हंसते मान लेते हैं, और अपने रिश्ते की एक नई शुरुआत सच्चाई के साथ करते हैं। उनकी ज़िंदगी, उनके प्यार की चमक से रोशन हो जाती है।



       यूं तो आपने vempires, wolf और इंसानो की अनेकों कहानियां पढ़ी, सुनी और देखी भी होंगी। और आपको बहुत पसंद भी आई होंगी। मुझे भी यह कहानियां बेहद पसंद है। इसलिए मैंने भी कोशिश की, कि मैं भी अपने पसंदीदा विषय को, अपनी कहानी में उतार सकूं। अब यूं तो इस विषय की कहानियों में ढेर सारे twist, suspense और thriller होते हैं, लेकिन मैंने अपनी इस कहानी में केवल उनके प्यार की चमक को ही दर्शाने की कोशिश की है। उम्मीद करता हूं, कि आप को भी मेरी यह कोशिश पसंद आएगी। और अगर कभी मन हुआ तो इसी विषय को, इन्हीं characters के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश भी करूंगा। लेकिन अभी के लिए बस इतना ही।


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Lots of love

Yuvraaj ❤️
















Tuesday, August 11, 2020

"RADIANCE" Part - II

Hello friends,
                       If you haven't read it's first part, than please read it first, than you will get connected easily with this second part.



       अगली सुबह 6:00 बजे ही रोहित के दरवाजे पर दस्तक हुई।रोहित अभी सोकर नहीं उठा था। लेकिन दरवाजे की आवाज से उसकी नींद खुल गई। और अपनी आँखें मलते हुए, उसने दरवाजा खोला, और सामने अविनाश को खड़ा पाया।


रोहित :- "Hey good morning!!!"

अविनाश :- 'Good morning! हाँ, तो बताओ, क्या help करूँ।"

रोहित :- (आश्चर्य से) "क्या??? इतनी सुबह - सुबह!!! तुम्हे रात को नींद नही आई क्या? मतलब आपको??"

अविनाश :- (रोहित के flat में अंदर आते हुए) "मैं इसी time तक ready हो जाता हूँ, मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत है। और मैने कल भी तुम्हे कहा था, की तुम मुझे "तुम" कह कर बुला सकते हो, मुझे नही कोई problem है। ये बार-बार तुम और आप में confuse नही होना पड़ेगा।"

रोहित :- (अपने flat का दरवाज़ा बन्द करते हुए) "हाँ वो तो ठीक है, लेकिन फिर office में भी "तुम" बोलूंगा तो अच्छा नही लगेगा। तो आप को आप ही रहने देते हैं। वो तो तुम्हारी...... आपकी age बराबर की ही लगती है ना, इसलिए बार-बार "तुम" ही निकलता है। लेकिन आदत में आ जायेगा तो फिर इतना awkward नही लगेगा।"

अविनाश :- (कल खरीद कर लाये सामान को देखते हुए) "तो मतलब अभी मुझसे बात करना तुम्हे awkward लगता है।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "अरे नहीं! मुझे तो बहुत अच्छा लगता है, जब आपके पास होता हूं। मेरा मतलब है कि ये जो तुम-आप, तुम-आप हो रहा है ना, वो ठीक हो जाएगा थोड़े time बाद।"

अविनाश :- "तो मतलब मेरे साथ होने से तुम्हे अच्छा लगता है?"

        
         रोहित समझ तो गया था, कि उसने कुछ ऐसा बोल दिया है, जिसे अब वह explain नहीं कर सकता। अभी वह अविनाश को इतने अच्छे से भी नहीं जानता था, कि उसके साथ हंसी मजाक कर सके। और अविनाश के इस सवाल का जवाब वो हां या ना में भी नहीं दे सकता था। तो उसने बात काटना ही सही समझा।


रोहित :- "मैं बस 5-10 minutes में नहा-धोकर आता हूँ। तब तक आप अंदर room में wait करलो, फिर हम ये set कर लेंगे।"



          इतना कहकर रोहित जल्दी से bathroom में घुस जाता है। वैसे तो रोहित को नहाने-धोने की ऐसी कोई जल्दी नहीं थी। लेकिन इस बातचीत को टालने का रोहित के पास इससे अच्छा कोई उपाय भी नहीं था। 10 minute बाद जब रोहित bathroom से बाहर आया, तो अपने घर का नया रूप देखकर एकदम दंग रह गया। सारा घर साफ हो चुका था, और किसी नए paint किए हुए घर की तरह चम-चमा रहा था। जो भी थोड़ा बहुत सामान रोहित कल बाजार से लाया था, और जो अभी तक थैलों में भरा, उसके घर के फर्श पर, एक कोने में पड़ा हुआ था। वह सब भी व्यवस्थित तरीके से सजा हुआ था। रोहित ने अपने कमरे में झांका, तो वहां भी एक दम साफ सफाई थी। रोहित का बिस्तर भी सलीके से बना हुआ था, और उसका सारा सामान भी अच्छे से जमाया हुआ था। रोहित आगे बढ़कर hall से होता हुआ, kitchen की तरफ़ मुड़ा, तो वहां भी सारा सामान अच्छी तरह से, किसी सुंदर kitchen का रूप लिए हुए था। और अविनाश एक पतीले में शायद चाय और दूसरे पतीले में maggi बना रहा था। रोहित यह सब नजारा आश्चर्यचकित हुए देखे जा रहा था। रोहित को अपनी आंखों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा था,  कि अविनाश ने सिर्फ 10 minute में, वह भी बिना किसी आवाज किए, उसके घर का यह सुंदर काया कल्प कैसे कर दिया।



अविनाश :- (Kitchen में काम करते हुए) "आ जाओ, मैने तुम्हारे लिए breakfast बना दिया है। कुछ और मिला नही तो maggi ही बना दी।"

रोहित :- (आश्चर्य से) "तुमने इतनी जल्दी ये सब कैसे किआ???"

अविनाश :- "यहाँ ज्यादा कुछ करने को था ही कहाँ?? अच्छा ये hall थोड़ा खाली लग रहा है, इसके लिए sofa या कोई furniture ले सकते हो।"

रोहित :- "हाँ!!! अब next month लूंगा, अभी तो घर से पैसे मंगवा कर इस flat की lease ली है। salary आ जाये, फिर ले लूंगा।"

अविनाश :- "मेरे पास एक extra sofa पड़ा है। मैं अपने पुराने घर से साथ ले आया था। थोड़ा old fashion है, अगर चाहो तो वो ले सकते हो।"

रोहित :- "अरे नही!!! मैं next month तक ले लूंगा। अब इतनी help की है, वो ही काफी है। और help लेता हुआ, अच्छा नही लगूंगा।"

अविनाश :- (रोहित को maggi और चाय देते हुए) "तो मैं कोनसा free में लेने के लिए कह रहा हूँ। Half rate में ले लेना। मेरे पास तो extra ही पड़ा हुआ है। और next month जब सैलरी आ जाये तब मुझे pay कर देना।"

रोहित :- (चाय पीते हुए) "Ok!!! अच्छा option है!!! Hmmmmmm..... चाय तो काफी अच्छी बनाई है। बिल्कुल office canteen जैसी।"

अविनाश :- "Hmmmmm..... मैने तुम्हे कहते सुना था office में, की canteen की चाय तुम्हे बहुत अच्छी लगती है। इसलिए ठीक वैसी ही बनाने की कोशिश की थी।"

रोहित :- "Ohhhh!!!इतना ध्यान!!! Very good!!!और तुम्हारी चाय और maggi कहाँ है??? क्या सिर्फ मेरे लिए ही बनाई है???"

अविनाश :- "हाँ!! मैं तो breakfast करके आया हूँ, तो अब बिल्कुल मन नही।"

रोहित :- "Ok!! And thanks for all this, अगर तुम help नही करते तो मेरा सारा सामान अभी वैसा ही पड़ा होता।"

अविनाश :- (रोहित के घर से बाहर जाते हुए) "चलो तुम breakfast करो, मैं वो सोफा साफ करके लाता हूँ।"

रोहित :- (अविनाश के पीछे आते हुए) "अरे मैं भी साथ चलता हूँ, अकेले लाने में दिक्कत होगी।"

अविनाश :- "कोई दिक्कत नही होगी। मैं अकेले ला सकता हूँ। तुम अपना breakfast finish करो।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "हाँ!! Strong तो तुम काफी हो मैंने कल notice किआ था।"



          रोहित अविनाश के जाने के बाद दरवाजा बंद करके, अपने kitchen तक भी नहीं पहुंच पाता, तब तक वापस door bell बज जाती है। रोहित वापस जाकर दरवाजा खोलता है, तो अविनाश ही बाहर sofa लेकर खड़ा था।


रोहित :- "अरे अभी तो गए ही थे? क्या पहले से ही बाहर लाकर रख लिया था  ये sofa??"

अविनाश :-(sofa धकेल कर रोहित के hall में रखते हुए) "जो चीज़ जिसकी हो, उतनी जल्दी उसके पास पहुंच जाए, उतना अच्छा।"

रोहित :- "Hmmmmm.... लेकिन अभी तो तुम्हारी ही है, next month मेरी हो जाएगी ये चीज़। वैसे ये पुराना नही, काफी पुराना लग रहा है, एक दम antique type! आज कल इस तरीके का काम, वो भी sofa पर तो बिल्कुल नही मिलता। काफ़ी महँगा होगा ये तो??"

अविनाश :- "नहीं महँगा तो नही, लेकिन बहुत खास जरूर है, और बिल्कुल महँगा नही। चलो अब तुम आराम करो, कोई जरूरत हो तो बताना।"



         इतना कहकर अविनाश वापस अपने flat में चला गया। और रोहित के पास भी अब कोई काम नहीं बचा था। उसका सारा काम तो अविनाश ने मिनटों में ही खत्म कर दिया था। तो रोहित ने free समय पाकर इंदौर अपने घर video call कर अपने मम्मी पापा को अपने नए घर के दर्शन कराए। फिर अपने मुंबई वाले दोस्त और uncle aunty से भी phone पर बात की, और उन्हें भी अपने नए घर पर आने का न्योता दिया। और फिर अपनी diary को भी समय दिया।



"Dear diary,
                      जिसे मैं अभी तक सिर्फ eye candy समझ रहा था, वह तो बहुत ही ज्यादा strong, fast और बहुत ही helpful निकला। जब से मैं यहां आया हूं, तब से ही वह मेरी help कर रहा है। कल भी सारे सामान को बड़ी आसानी से मेरे flat तक पहुंचाया। और आज सारे घर की सफाई भी उसने अकेले ने ही की। और अभी अपना sofa भी मुझे दे गया। बहुत ही अच्छा बंदा है। और एक बात बताऊं, आज बातों ही बातों में मैंने उसे कह भी दिया, कि मुझे तो अच्छा लगता है, उसके साथ रहना। उसने भी notice कर लिया था। लेकिन फिर मैंने टाल दी वो बात। पता है, कल जब उसे पहली बार देखा ना, तो थोड़ा akward हो गया था, लेकिन आज उतना ही आसान लग रहा था। पता है, अभी भी पूरे घर में उसी की खुशबू आ रही है। ऐसा लग रहा है, जैसे यही आस पास है वह। और आज तो उसने मेरे लिए अपने हाथों से maggi और चाय भी बनाई। 100% relationship material है यह बंदा तो। वैसे मैंने अभी तक try भी नहीं किया है उस पर। straight लगता है। और office में senior है, Training officer है, इसलिए और मैं आगे नहीं बढ़ना चाहता। अभी तो training भी खत्म नहीं हुई। तो शुरू में ही पंगे नहीं चाहिए मुझे। और ऐसी job, वो भी मेरी degree के साथ, पता नहीं मुझे दोबारा मिलेगी भी या नहीं। इसलिए a big NO!!! और कितनी भी अच्छाई क्यों ना हो, बंदा बहुत खड़ूस है। चलो office का तो समझ आता है, आपको थोड़ा strickt रहना पड़ता होगा। लेकिन कल से मेरे साथ तो personal terms पर ही तो बात हो रही है ना, लेकिन फिर भी मैंने एक बार भी smile करते नहीं देखा उसे। इसलिए eye candy ही ठीक है। देख कर अच्छा लगता है, उसके साथ रहकर अच्छा लगता है, बस इतना ही काफी है। अरे flat के कुछ pics click करता हूं, और upload करता हूं, whatsapp और facebook पर। रोहन को भी तो थोड़ी मिर्ची लगानी है। Ok! Bye for now!! रात में मिलते हैं।"



         आज दोपहर में भी रोहित ने maggi से ही अपना पेट भरा। लेकिन रात को 8:00 बजे जब उसे भूख लगी, तो उसे फिर से maggi खाने का बिल्कुल मन नहीं हुआ। बहुत सोच-विचार के बाद, उसने तय किया, कि अभी बाहर ही कुछ खा आता है, और लौटते वक्त, आगे के खाने के लिए राशन और सब्जी लेते आएगा। रोहित तैयार होकर अपने flat का lock लगाता है, और सोचता है कि अविनाश को भी साथ चलने का पूछ लेता है। लेकिन उसे सुबह अपनी diary से की हुई बातें याद आती हैं, और वह अविनाश से दूरी बनाना ही सही समझ कर, अकेले ही lift की ओर बढ़ने लगता है। तभी अविनाश के flat का दरवाजा खुलता है। रोहित पलट कर देखता है, तो अविनाश अपने flat का दरवाजा lock कर उसकी तरफ ही आ रहा होता है।


अविनाश :- (रोहित की तरफ आते हुए) "मुझे क्यों नही बुलाया??"

रोहित :- (Lift का button दबाते हुए) "अरे मुझे लगा कि आप busy होंगे। और अब तो मुझे यही रहना है, तो कब तक हर काम के लिए आपकी help लेता रहूंगा।"

अविनाश :- "इतना ज्यादा भी सोचने की जरूरत नही है वैसे। अब तो हम पड़ोसी हैं, तो ये सब तो चलता ही रहेगा।"



         तभी lift  के दरवाजे खुलते हैं , और दोनों lift के अंदर आ जाते हैं। और रोहित अविनाश की तरफ मुस्कुरा कर देखता हुआ सोचता है, कि "जितना इससे दूर जाने का सोचो,उतना ही यह पास आता जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो मैं कैसे इससे दूर रह पाऊंगा। अभी तो सिर्फ attraction है, लेकिन कभी ना कभी तो यह feelings तो आगे बढ़ेगी ही ना। God knows क्या होगा?" कि तभी अविनाश भी रोहित की तरफ देख कर मुस्कुरा देता है।



रोहित :- (आश्चर्य से) "तुम मुस्कुराते भी हो??"

अविनाश :- (मुस्कुरा कर) "हाँ!! सभी मुस्कुराते हैं, इसमे कोई अजीब बात थोड़ी है।"

रोहित :- "हाँ!! लेकिन जबसे मैंने तुम्हें देखा है, मैंने तो मुस्कुराते हुए नही देखा। ये मेरा first time है। वैसे मुस्कुराया करो, तुम smile करते हुए, और भी ज्यादा cute लगते हो।"



        अविनाश मुस्कुराकर रोहित को "Thanks" कहता है, और दोनों lift से बाहर आ जाते हैं। लेकिन अब रोहित को अविनाश की आंखों में एक अलग ही चमक नज़र आने लगती है। दोनों building के पास वाले market में आ जाते हैं। रास्ते भर रोहित खुद को कोसता रहता है, कि "ये cute लगने वाली बात बोलने की क्या जरूरत थी" । दोनों रोहित के लिए राशन और सब्जी खरीदते हैं। रोहित पास ही के एक chainese counter पर खाने के लिए रुकता है।


रोहित :- "तुम्हे chainese पसंद है??"

अविनाश :- "मुझे तो इन्दौरी पसंद है!!"

रोहित :- (आश्चर्य से अविनाश की ओर देखते हुए) "क्या??"

अविनाश :- "अरे इस समय, इंदौर के सराफा बाजार में जो चाट market लगता है ना, मुझे वो बहुत पसंद है।"

रोहित :- "अच्छा!!!! मैं भी इंदौर से ही हूँ। मुझे भी वहाँ की चाट बहुत पसंद है। लेकिन अभी तो हम यहाँ है, तो बताओ क्या खाओगे तुम?"

अविनाश :- "नहीं! मैं कुछ नही खाऊंगा, मैं तो dinner करके आया हूँ।"

रोहित :- "इतनी जल्दी dinner भी कर लिया तुमने??"

अविनाश:- "हाँ!!! बताया था ना, आदत पड़ गयी है अब, अपने time पर ही खाने की। वैसे तुम manchurian try करो। अच्छा है यहाँ का।"

       रोहित अपने लिये खाना order करता है। और थोड़ी देर बाद दोनों वापस अपने घर लौट आते हैं।


अविनाश :- (अपने flat का lock खोलते हुए) "कल सुबह 8 बजे मुझे लेने cab आएगी। अगर चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो।"

रोहित :- (अपने flat का lock खोलते हुए) "8:00 बजे!!!!! लेकिन मेरा timing तो 10:30 पर शुरू होता है। इतनी जल्दी जाकर मै क्या करूँगा। तुम निकल जाना, मैं पहुंच जाऊंगा अपने time पर।"




           दोनों एक दूसरे को good night बोल कर वापस अपने अपने flat में आ जाते हैं। रोहित सारा सामान kitchen में रख, अपनी diary में अभी का सारा वाक्या लिखता है। और कुछ देर बाद सोने चला जाता है। आधी रात को रोहित की चौंक कर आंख खुलती है। और वह अपने bedroom में अविनाश को पाता है। रोहित आश्चर्य से बिस्तर से उठकर, कमरे की light on करता है, तो कमरे में उसके अलावा कोई और नहीं होता। वह सोचता है कि "शायद जो वो अविनाश का सपना देख रहा था, इसलिए उसे लगा होगा कि अविनाश वहीं उसके साथ है।" और रोहित light off कर वापस सो जाता है।


            अगली सुबह जब अविनाश office जाने के लिए निकला, lift का button दबाया, कि पीछे से रोहित की आवाज आई।


रोहित :- (जल्दबाज़ी में अपने flat का lock लगाते हुए) "Hey!!! Wait for me!! मैं भी चल रहा हूँ, तुम्हारे साथ।"

अविनाश :- "क्यों??? रात को तो मना कर रहे थे, फिर क्या हुआ?"

रोहित :- "हाँ वो रात को नींद नही आई सही से, और अभी सुबह भी जल्दी आँख खुल गयी। तो सोचा, तुम्हारे साथ ही चला जाऊं। कुछ काम भी pending है, जल्दी जाकर वो भी निपटा लूंगा।"


        Lift को ना आता देख, अविनाश ने security guard को phone लगाया, तो पता चला कि, maintenance के काम की वजह से lift बंद है, और 2 घंटे बंद ही रहेगी। दोनों को stairs से ही नीचे आना पड़ा। लेकिन नीचे आते वक्त रोहित अपनी बातों में इतना खोया था, कि उसे 1 stair का अंदाजा ही नहीं रहा, और वह गिरने ही वाला था, कि अविनाश ने उसका हाथ पकड़कर उसे संभाल लिया।



रोहित :- (हाँफते हुए) "Thanks!!! अग़र तुम नही पकड़ते तो आज बहुत चोट लगने वाली थी मुझे।"

अविनाश :- "Hmmmm.... तुम्हारा ध्यान जो सिर्फ बातों में था।"

रोहित :- (अविनाश का हाँथ छोड़, अपने कपड़े सही करते हुए) "लेकिन तुम्हारे हाँथ क्यों इतने ठंडे है? यहाँ तो AC भी नही है!!"

अविनाश :- "पता नही! मैने notice नही किआ।"


            दोनों cab से office आ जाते हैं। और अपने अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं। training के दौरान, रोहित कई बार अविनाश को देखकर smile pass करता है, लेकिन अब अविनाश के भी बर्ताव में, रोहित को लेकर अंतर आने लगता है। अब अविनाश भी रोहित की smile का उत्तर अपनी मुस्कुराहट से देता है, और अब पहले से कहीं ज्यादा रोहित पर ध्यान देता है। रोहित के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे कई techniques बताता है। अविनाश के व्यवहार को देखकर अब रोहित को भी समझ आने लगा है, कि अविनाश भी अब उसमें interest दिखा रहा है।



               Lunch time में भी रोहित सारी canteen में बार-बार अपनी नजरें दौड़ाकर अविनाश को ही तलाशता है। लेकिन उसे अविनाश कहीं भी नजर नहीं आता। शाम को office के बाद अविनाश रोहित को call करता है। और अपनी ही cab में साथ वापस चलने को कहता है।



रोहित :- (Cab में बैठते हुए) "Thanks for the ride!! वैसे मैंने अपना registration कर दिया है, अब कल से मुझे लेने sharing cab आने लगेगी।"

अविनाश :- "उसकी क्या जरूरत थी, मैंने अपनी शिफ्ट 10:00 बजे की select कर ली है, अब तुम मेरे साथ ही आ जाया करो। वैसे भी मैं तो अकेला ही आता जाता हूँ।"

रोहित:- "Ok! मैं office में inform कर दूंगा। वैसे तुम lunch भी कहीं अकेले में करते हो क्या??"

अविनाश:- "मतलब??"

रोहित :- "मैं canteen में तुम्हे देख रहा था, पर तुम कहीं दिखे ही नही।"

अविनाश :- "अरे वो तो मेरी एक client के साथ meeting थी, तो lunch भी उन्ही लोगो के साथ किआ था।"

रोहित :- "Ok! आज रात का क्या plan है? तुम्हे इन्दौरी flavour पसंद है ना, तो रात को मेरे साथ dinner करो। मैं तुम्हारे लिए कुछ special बनाता हूँ।"

अविनाश :- " अरे नहीं!!!  मैंने आज late lunch किया था, तो अब कुछ भी खाने का तो mood नहीं है। लेकिन मुझे खाना बनते देखना और उसकी खुशुब भी बहुत पसंद है। तो अगर तुम्हें कोई problem ना हो, तो मैं आ सकता हूं। तुम्हें खाना बनाते भी देख लूंगा।"

रोहित :- "Ok!! ऐसा तो मैने पहली बार सुना है। But anyways! आ जाना! मुझे अच्छा लगेगा।"



      रात को ठीक 8 बजे अविनाश, रोहित के flat पर पहुंच जाता है।


अविनाश :- " तो क्या बना रहे हो आज??  लाओ मैं बना देता हूं!! तुम तो hostel में रहते थे। तो मुझे नहीं लगता, कि तुम्हें सही से खाना बनाना भी आता होगा।"

रोहित :- " जब मेरे हाथ का खाना खाओगे, तब बता पाओगे कि मुझे खाना बनाना आता है या नहीं। वैसे सच में तुम्हें बिल्कुल भी भूख नहीं??? अब तो बहुत समय हो गया है, lunch किए हुए, थोड़ी बहुत भूख तो लग ही आई होगी??"

अविनाश :- " नहीं बिल्कुल नहीं!!! और office से आकर मैंने juice भी पी लिया था, तो बिल्कुल भूख नहीं।"

रोहित :- "Ok!! अब तुम तो खाओगे नहीं, तो मैं तो अपने लिए भरमा करेले बनाने का सोच रहा हूं। और मुझे भी करेले खाए बहुत समय हो गया। और यह मेरी पसंदीदा सब्जी है।"



         रोहित अविनाश से बातें करते हुए, करेले काटने लगता है। उसका ध्यान थोड़ा सा चूक जाता है, और चाकू उसके हाथ में लग जाता है। रोहित एक आह की आवाज़ के साथ, चाकू छोड़ अपना हाथ पकड़ने लगता है। और वह चाकू जमीन पर भी नहीं गिर पाता की, पलक झपकते ही hall के sofa पर बैठा अविनाश, तुरंत रोहित के पास, kitchen में पहुंच जाता है। रोहित के हाथ को अविनाश तुरंत sink में नल के नीचे लगाता है। और जितना खून रोहित के हाथों में नहीं होता, उससे कहीं ज्यादा तो अविनाश की आंखों में आ जाता है। धीरे-धीरे अविनाश का चेहरा भी लाल होने लगता है।


अविनाश :- (रोहित को डांटते हुए) "ध्यान कहाँ था तुम्हारा?"

रोहित :- (मुस्कुरा कर, अविनाश की ओर देखते हुए) " इतनी भी ज्यादा चोट नहीं है, जैसा कि तुम reaction दे रहे हो। और इतना क्यों परेशान हो रहे हो, जरा सा cut लगा है बस। चेहरा तो देखो अपना एकदम लाल हो गया है।"



        अविनाश रोहित का हाथ छोड़ता है, और भागता हुआ वहां से निकलकर अपने flat की ओर चला जाता है। रोहित बस सोच ही रहा होता है, कि "इसे क्या हुआ??" और इतने में ही अविनाश first aid box लेकर वापस भी आ जाता है। अविनाश रोहित को अपने साथ hall में लाता है, उसे sofa पर बैठा कर, उसके जख्म की मलहम पट्टी करता है।



अविनाश :- (पट्टी बांधते हुए) " मैंने कहा था ना, कि मैं बना देता हूं। मुझे पता था, कि तुम्हें खाना बनाना नहीं आता है।"

रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "ये तुम्हारी ही वजह से ही हुआ है।"

अविनाश :- (रोहित की ओर देखते हुए) "मेरी वजह से???"

रोहित :- " हां!! तुम्हारी वजह से!!  मेरा ध्यान तुम्हारी आंखों की तरफ था। इसलिए वह करेला मेरे हाथ से छूट गया, और चाकू मेरे हाथ में लग गया। लेकिन मैं सही था, तुम्हारी आंखें फिर से अलग रंग की हो गयी हैं।"

अविनाश :- "वैसे मेरी आँखों पर ध्यान देने से ज्यादा important......"



       अविनाश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया, कि रोहित ने उसके होठों पर kiss कर दिया। अविनाश पीछे हटा, और बिना कुछ बोले, वहां से जाने लगा। रोहित ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका।


रोहित :- (अविनाश को रोक कर उसके सामने आते हुए) "I am sorry!!! Please इसे भूल जाओ। मैं खो गया था। अब दोबारा नही होगा कभी ऐसा।"


         अविनाश बिना कुछ बोले, अपनी नज़रें झुकाये, बस वहां खड़ा रहता है।


रोहित :- 'Please, I am sorry!!! अब फिर ऐसा नही होगा। कुछ तो बोलो?"

अविनाश :- "I love you!!"

रोहित :- (आश्चर्य से) " तो फिर ऐसे क्यों जा रहे थे?? जैसे मैंने कुछ गलत कर दिया हो। इन तीन-चार दिनों में, इतना तो मुझे भी समझ आ गया था, कि हमारे बीच कुछ तो connection है।"

अविनाश :- (अभी भी अपनी पलकें झुकाये हुए) "लेकिन ये सही नही है।"

रोहित :- " क्या पुराने जमाने की बात कर रहे हो!! अब सभी लोग समझते हैं कि प्यार - प्यार होता है। Gender की boundries में नही बाँध सकते प्यार को!!"

अविनाश :- (रोहित की आँखों मे देखते हुए) "मैं तुम्हारे लिए सही नही हूँ।"

रोहित :- (मुस्कुरा कर, अविनाश के गालों पर हाँथ रखते हुए) " यहां मेरा ख्याल रखते हो, Office में मेरा ख्याल रखते हो, मेरी care करते हो, मुझे पसंद करते हो, और अभी बोला, प्यार भी करते हो। तो तुमसे ज्यादा सही तो मेरे लिए कोई भी नहीं हो सकता।"



        रोहित अविनाश को अपने गले से लगा लेता है, और अविनाश भी रोहित को अपनी बाहों में भर लेता है। और दोनों ही प्यार के सागर में डूब जाते हैं। प्यार की ये चमक इन दोनों को और भी एक दूसरे के करीब, बहुत करीब ले आती है। रोहित कल तक जिन feelings को दबाने के बारे में सोच रहा था, अविनाश के साथ ने उन्हें प्यार की शक्ल दे दी है, जिसे अब चाह कर भी रोहित खुद से दूर नही कर सकता है। और दोनों ही प्यार के एहसास में, एक दूसरे के साथ बहे चले जाते हैं।



         आगे की कहानी क्या मोड़ लेती है? क्या रोहित का प्यार फिर से धोका देगा, या इस बार उम्र भर उसका साथ निभाएगा? अविनाश का ये अजीबोग़रीब बर्ताव रोहित को कितने दिन रास आ पायेगा? के सारि और बाते जानने के लिए बने रहे रोहित और अविनाश के साथ।



Lots of love
Yuvraaj ❤️




















Tuesday, August 4, 2020

"RADIANCE" Part - I

Hello friends,
                         Here I am again, with my new story, "RADIANCE". First time I am gonna try, which I like most. Hope you like my this creation as well as my all previous once.



"Dear diary,
                    आज मैं बहुत खुश हूं। आज मेरा final interview भी clear हो गया। और मुझे मेरी पसंदीदा जगह पर ही job भी मिल गई है। तुम्हें पता है, जब मैंने यह खबर घर पर बताई, तो वो लोग कितने ज्यादा खुश थे, पापा तो कंपनी का नाम भी सही से नहीं ले पा रहे थे। Capgemini!!! इतना भी मुश्किल नहीं है वैसे तो। लेकिन वह बहुत खुश थे। अब तक तो उन्होंने चाचा और बुआ दोनों को ही, थोड़ा बढ़ा चढ़ाकर बता भी दिया होगा, मेरी job के बारे में। लेकिन तुम्हें तो पता ही है, मुझे job की कितनी ज्यादा जरूरत थी। मुझे उसे proof भी तो करना था। लेकिन समझ नहीं आ रहा कैसे करूं। Facebook पर working details show करूं या Whatsapp group में normally inform  कर दूं। उसे पता तो चल जाएगा, लेकिन उसे ज्यादा बुरा किस तरीके से लगेगा।

            Please don't judge me!! अब उसने जो किया उसके लिए मेरा यह reaction तो कुछ भी नहीं है। You know ना उसकी वजह से मुझे 6 month extra कॉलेज को देने पड़े थे। और extended degree के बाद भी मुझे Capgemini में job मिली, तो show off करना तो बनता है। Ok Bye!!! कल मेरा first day है जॉब पर। I am so excited।"




         ये है रोहित!!! जिसे आपने अभी अपनी diary से बात करते पढ़ा। रोहित इंदौर शहर से belong करता है, पर पिछले साढे़ 4 सालों से यहां मुंबई में है। रोहित IIT मुंबई से Computer Science Engineering कर रहा था। और कॉलेज hostel में ही रहता था। घर और दोस्तों से अलग होने के बाद, रोहित ने diary लिखना शुरू किया था। मुंबई में adjust होने में उसकी इस नई रुचि ने उसकी खूब मदद की थी। वैसे तो Engineering 4 सालों में ही complete हो जानी चाहिए थी। लेकिन रोहित ने इसे पूरा करने में 6 महीने ज्यादा का समय लिया था। जिसका कारण था "रोहन"।  अब बाकी सभी के लिए रोहन तो बस रोहित का classmate, अच्छा दोस्त,और final year में roommate ही था।  लेकिन इनके रिश्ते की सच्चाई रोहन, रोहित और उसकी diary को ही पता थी। दोनों अपनी गहरी दोस्ती के चलते final year शुरू होने पर, हॉस्टल की एक ही room में shift हुए थे।  और इस नए रिश्ते की नई उमंगों ने रोहित का ध्यान पढ़ाई से पूरी तरह हटा दिया था। और इसका नतीजा यह निकला कि रोहित अपने final semester में दो subject में fail हो गया था। रोहन तो अच्छे नंबरों से पास भी हुआ और उसे बेंगलुरु की एक नामी ग्रामी कंपनी, में अच्छे पैकेज पर, job भी मिली। और वो रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, अपने नए सफर पर चला गया। रोहित को इस सबसे उबरने में थोड़ा समय लगा। लेकिन अब अच्छे नंबरों से पास होना, अच्छी नौकरी, अच्छी life, यह सब खुद के सुकून से ज्यादा, रोहन को दिखाने के लिए करना ज्यादा जरूरी हो गया था। और इसमें रोहित पास भी हो गया था।



          Hostel से निकले अभी रोहित को 8 दिन ही हुए थे। कॉलेज में तो रोहित को किसी भी campus drive में बैठने को नहीं मिल पाया था, उसके final year के result के कारण। इसलिए उसे खुद ही job search करनी पड़ी थी। पहले रोहित ने मुंबई से ही शुरुआत करने की ठानी। वह पिछले 4 सालों से मुंबई में ही था। यहां local में भी उसके कुछ friends बन गए थे। और उसे मुंबई शहर भी बहुत पसंद था। मुंबई की lifestyle, यहां के लोगों का बर्ताव, यूं तो रोहित ने मुंबई शहर को कॉलेज की पाबंदियों के चलते कम ही जाना था, लेकिन जितनी भी उसने मुंबई शहर में सांस ली थी, उस हवा ने उसके मन में गहरी छाप छोड़ी थी। और उसे इस शहर से और इस शहर की रफ्तार से प्यार हो गया था। और इसी रफ्तार से ताल मिलाकर रोहित बहुत आगे निकल जाना चाहता था। रोहन को, उसके साथ बिताए पलों को और अपने आखिरी semester के result को बिल्कुल अपनी आंखों से मिटा देना चाहता था। Final year के result की वजह से रोहित थोड़ा उदास तो रहता था, लेकिन इस उदासी का सबसे बड़ा कारण उसका result नहीं, रोहन की बेरुखी थी। रोहन बिना रोहित को अलविदा कहे, बिना कोई बात किए, रोहित से अपना रिश्ता खत्म कर, बेंगलुरु चला गया था। पीछे छोड़ गया था तो रोते हुए रोहित को और एक whatsapp message को। जिसमें उसने रोहित से breakup करने और life में आगे बढ़ने की कई सारी बातें लिखी थी। रोहित की उदासी इंदौर में भी उसके घरवालों से नहीं छुपी थी और वे लोग भी रोहित को इंदौर वापस आने पर कई बार जोर दे चुके थे। लेकिन रोहित ने उनसे कुछ समय की मोहलत ली और मुंबई में ही अपने एक दोस्त के घर पर रुक कर job searching में लग गया था। जिसमें उसे कुछ समय बाद ही सफलता भी मिल गई थी




"Dear diary,
                     आज मेरा job पर first day था। मैं बहुत excited भी था, और nervous भी। लेकिन अच्छा atmosphere था office का, ज्यादा किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था, सभी अपने ही कामों में लगे हुए थे। मेरे साथ और भी 12 trainee है office में। अब शायद कल से हमारी training शुरू हो जाएगी। शाम को पापा का भी फोन आया था। वे तो अभी से ही मेरी salary के बारे में पूछ रहे थे। अब उन्हें कौन समझाए, कि अभी 6 months तो training ही चलेगी। उसके बाद सब finalize होगा। लेकिन अब मैं सोच रहा हूं, कि rent पर कहीं room search कर लूं। अब तो job भी लग गई है, तो अब यहां रुकना भी सही नहीं रहेगा। वैसे तो uncle-aunty बहुत अच्छे हैं, कुछ कहते भी नहीं है, लेकिन फिर भी, हूं तो बोझ ही ना उन पर। कल से ही मैं room searching पर लग जाता हूं। और एक बात बताऊं, मैं जिस बात के लिए डर रहा था ना, कि सभी मजाक उड़ाएंगे या बात बनाएंगे, मेरे 6 month extension पर, लेकिन पता है, वहां तो किसी ने एक बार भी पूछा भी नहीं, मेरे कॉलेज, academics, project's के बारे में। जैसे किसी को पड़ी ही नहीं है, कि हमने क्या किया है, और क्या नहीं। लेकिन जो भी हो, मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, अब यहां मुंबई में। और मैंने facebook पर ही update कर दिया है job के बारे में, और मैंने आज office की भी कुछ pics upload की थी। देख तो ली ही होंगी उसने, जल भी गया होगा थोड़ा। अब उसे भी समझ आ जाएगा, जिस job के लिए उसने मुझसे whatsapp पर breakup किया था, उससे अच्छी job है मेरे पास। अब कल मिलते हैं, सोना भी है, और कल से office भी शुरू है।
Bye, Good Night"




           आज रोहित का पहला दिन office में अच्छा गुजरा। शाम को घर आते वक्त एक agent से भी मुलाकात हुई। जो कि बहुत कम fee में, रोहित को एक अच्छा घर ढूंढने में मदद के लिए तैयार भी हो गया। रोहित ने अपने नए घर के लिए कुछ सुविधाओं की एक list भी बनवाई, और जल्द ही कोई अच्छा घर ढूंढने का वादा लिए, अपने दोस्त के घर वापस आ गया। रोहित ने घर वापस आकर अपने दोस्त और उसके मम्मी पापा को तलाशे जा रहे नए घर के बारे में अवगत कराया। थोड़ी सी ना - नुकर के बाद, वे सभी रोहित के लिए बेहद खुश भी हुए। लेकिन आज एक ऐसी घटना भी हुई थी, जो रोहित के दिमाग पर तो गहरी छाप छोड़ गई थी, लेकिन उस बात का जिक्र रोहित ने अपनी diary में नहीं किया था। वैसे मुंबई आने के बाद अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ था, कि रोहित ने कोई बात छुपा के अपने मन में दबा ली हो, और dairy में ना लिखी हो। यूं तो वह दिन की हर बात डायरी में नहीं लिखता था, जो बातें उसके दिल या दिमाग में रह जाती थी, वही बातें रात को डायरी में लिखी जाती थी। लेकिन आज कि वह महक अभी भी रोहित के जहन में ताजा थी। लेकिन फिर भी उसका कोई भी ज़िक्र आज diary के पन्नों पर नहीं लिखा गया था।



       रात भर ना जाने किसके ख्यालों में खोए हुए, अगले दिन रोहित की देर से आंख खुली। और वह अपनी training के पहले दिन ही office देरी से पहुंचा। सारा दिन office में बिताने के बाद, शाम को रोहित agent के साथ तीन-चार flat देखने भी गया। और उसमें से एक flat उसे पसंद भी आ गया। वह flat 21 वे floor पर था। जिसकी balcony से मुंबई शहर का अच्छा नजारा दिखाई देता था। और वह flat रोहित के office के भी नजदीक था, और उसके budget में भी था। उसने बिना समय गवाएं agent को उस flat के documents तैयार करने को बोला और रात तक अपने दोस्त के घर वापस आ गया।



"Dear diary,
                      You don't believe आज मेरे साथ क्या हुआ। आज मैं जब office पहुंचा, तो मैं late हो गया था, और training शुरू हो चुकी थी। और तुम विश्वास नहीं करोगी, मेरा training officer कल रात मेरे सपनों में आया था। जब मैं room में enter हुआ, और मैंने उसे देखा। मुझे तो लगा, कि मैं सपना ही देख रहा हूं। उसने शायद मुझे देरी से आने के लिए थोड़ा डाटा भी था। लेकिन सच कहूं, मुझे कुछ याद नहीं। मतलब वह कुछ बोल तो रहा था, लेकिन मुझे सुनाई नहीं दे रहा था, कि वह क्या बोल रहा है। फिर मैंने खुद को चुटकी भरी, तब सब normal हुआ। Actually मैंने उसे देख तो कल ही लिया था, और वह मुझे attractive भी बहुत लगा था। लेकिन मुझे लगा, की ऐसा attraction तो बहुत लोगों को देखकर हो ही जाता है। इसलिए मैंने तुम्हें कल उसके बारे में कुछ नहीं बताया। लेकिन फिर वह कल रात सपने में भी आया, और अब तो वह मेरा training officer भी है। तो अब तो मुझे उसकी हर एक बात तुम्हें बतानी ही पड़ेगी। अरे एक और बात, आज मैंने flat final कर दिया है। अच्छा है, जैसा मुझे चाहिए था, बिल्कुल वैसा ही है। अभी dinner करते समय मैंने uncle-aunty को भी बोल दिया। वह लोग भी खुश थे। घर पर भी फोन करके बताया, मम्मी पापा भी बेहद खुश थे। और मेरी खुशी का तो पूछो ही नहीं। मैं तो बहुत ही ज्यादा खुश हूं। कल तक सारे documents भी तैयार हो जाएंगे, और hopefully 2 - 3 days में मैं वहां shift भी हो जाऊंगा। मैंने उस flat के भी कई pics facebook और whattsapp group पर डाले, देख तो लिए ही होंगे उसने। यह ठीक वैसा ही flat है, जैसा वह लेने के बारे में हमेशा बोलता था। Higher floor, balcony view, good vibes, sunset, hmmmmmmm, देख कर जलेगा, तब समझ आएगा, उसने क्या-क्या अपनी किस्मत से जाने दिया है। Now bye, good night।  मैं कल फिर से late नही होना चाहता। तो मैं जा रहा सोने। कल बात करते है।"



       औरों के लिए diary, अपने विचार, अपनी यादें,  सँजोने का जरिया होती है। लेकिन रोहित के लिए diary उसकी अच्छी दोस्त की तरह थी। मुंबई आने के बाद का अकेलापन और अपनी sexuality का उजागर होना, ये दो सबसे महत्वपूर्ण कारण थे, जिसके लिए रोहित को एक अच्छे दोस्त की जरूरत थी। और उस दोस्त की कमी को पूरा किया था, रोहित की diary ने। इस डायरी में केवल रोहित की यादें नहीं थी, इसमें वे सभी बातें, अच्छे बुरे वाक्ये, रोहित का मुंबई का साडे 4 सालों का वह सफर कैद था, जो शायद रोहित ने कभी भी किसी और से share नहीं किया था।



        अगले दिन रोहित फिर थोड़ी देरी से सो कर उठा। क्योंकि आज फिर रोहित के सपनों में उसके training  officer ने उसे सुलाएं रखा। लेकिन आज रोहित भागते हुए सीधे office पहुंचा, और training शुरू होने से पहले ही, training room तक जा पहुंचा। और तय समय पर आज की training शुरू भी हो गई। Training तो शुरू हो चुकी थी, लेकिन रोहित का ध्यान अपने काम से ज्यादा, training officer पर ही था। आज की अपनी training खत्म कर, शाम को रोहित agent के पास गया। और सारी formalities को पूरा किया। अगले 2 दिन Saturday - sunday रोहित के office का work off था। नए flat में shift होने के लिए यह अच्छा अवसर था। सारे काम निपटा कर रोहित रात को अपने दोस्त के घर वापस आ गया। रात को खाने के बाद उसने अपना कुछ समय अपनी diary के साथ बिताया।


"Dear diary,
                      I am so excited,  कल मैं अपने नए घर में shift हो जाऊंगा। लेकिन थोड़ा बुरा भी लग रहा है। रोहन की याद भी आ रही है। You know ना, यह हमारा सपना था, कि job लगते ही, एक साथ एक ही flat में रहेंगे। अगर एक ही company में job नहीं भी मिली, तो कम से कम weekends और हर शाम तो साथ बीतेगी। रात को dinner साथ में अपने flat की balcony में ही करेंगे। जहां से मुंबई शहर की जगमगाती lights हमारा साथ देंगी, और समुद्र किनारे की ठंडी हवा, हमारी दिन भर की थकान दूर करेगी। अब सब वैसा ही है, बस वह सारे सपने जीने के लिए रोहन ही मेरे साथ नहीं है। मुझे आज बहुत खराब लग रहा है। पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया और अगर breakup करना ही था, तो कम से कम एक बार मुझसे मिलकर बात तो करता। हमने इतना बुरा भी समय साथ नहीं बताया था, कि whatsapp पर breakup का message करके मेरा नंबर ही block कर दिया जाए।

            Anyway, वह गाना है ना, एकदम सही है, "इसमें तेरा घाटा, मेरा कुछ नहीं जाता" यही सही है उसके लिए। जी रहा होगा अपनी boring life वहां बिना friends के। और कितने भी अच्छे शहर में चला जाए, लेकिन मुंबई की बराबरी तो कोई भी नहीं कर सकता। और मेरे पास देखो friends भी है, friend की family भी है। नया flat भी है, और एक eye candy भी। हाँ मैंने उसके बारे में तो ज्यादा कुछ बताया ही नहीं। आज ही मुझे उसका नाम पता चला, कल तो मैं late हो गया था, तो intro हो नहीं पाया था। आज जब एक problem के लिए मैंने उसे बुलाया, तब उसने अपना नाम "अविनाश" बताया। नाम तो थोड़ा old faishon है, लेकिन बंदा बहुत कमाल है। क्या मस्त perfume use करता है वो, मन करता है, हमेशा उसके आसपास घूमते रहो। और आज canteen में भी सभी उसके बारे में ही बात कर रहे थे। Python का तो expert है वो, पिछले साल का employee of the year भी वही था। इसलिए ही तो इस tool की training के लिए manegement ने उसे चुना है। और एक trainee तो बता रहा था, कि सबसे ज्यादा projects, with in the time limit, complete करने का record बनाया है, उसने पूरे mumbai में। बहुत सारी companies उसके साथ काम करने के लिए, उसे बहुत अच्छे packages देने को भी घूमती हैं। लगता है यहां भी उसकी salary बहुत ज्यादा ही होगी। लेकिन मुझे इन सब से क्या करना, मुझे तो सबसे ज्यादा उसकी आंखें पसंद है। एकदम काली आंखें हैं उसकी। एक बार उन आंखों में देख लो, तो कहीं और देखने का मन ही नहीं करता। लेकिन बहुत strict है, मैंने अभी तक तो उसे मुस्कुराते हुए नहीं देखा। चलो bye, अब मैं सोता हूं। कल मुझे यहां से packing कर के, अपने नए घर में shift भी करना है। कल बहुत काम रहेगा, शायद मैं कल कुछ ना लिख पाऊं। जब time मिलेगा तब और बताऊंगा अविनाश के बारे में। लेकिन नाम सच में अच्छा नहीं है उसका। चलो bye, good night।"



        अगले दिन रोहित की सुबह जल्दी आँख खुल गई। और वह अपनी packing में लग गया। दोपहर तक रोहित अपने सारे सामान के साथ अपने नए घर पहुंच गया। रोहित के पास ज्यादा सामान तो नहीं था सिर्फ दो बड़े - बड़े भारी suitcases, जिनमें सिर्फ उसके कपड़े, जूते चप्पल, और कुछ जरूरत का सामान था। और एक उसके laptop का backpack। वैसे तो इन दोनों suitcases ने इंदौर से मुंबई का सफर रोहित के साथ ही तय किया था। लेकिन इन साढे 4 सालों में अब तक उनका बोझ पहले से कई गुना बढ़ चुका था। रोहित के नए घर तक पहुंचाने में उसके friend और taxi वाले ने रोहित की बहुत मदद की थी। लेकिन अब उस building के entrance से 21 वे floor  तक का सफर, रोहित को अकेले ही तय करना था। पहले तो रोहित दोनों suitcases को अपने एक एक हाथ से एक साथ खींचने लगा। trolley bag होने की वजह से उसे ऐसा करने में ज्यादा तकलीफ तो नहीं हुई। लेकिन दोनों suitcases का वजन और एक साथ दोनों का तालमेल बिठा कर आगे बढ़ना, रोहित के लिए थोड़ा मुश्किल होने लगा। पसीने में तर बतर होकर रोहित अब बारी बारी से, पहले एक suitcase को थोड़ी दूर तक खींच कर लाता, फिर उसे वहीं छोड़, वापस लौट कर दूसरे suitcase को खींचकर पहले वाले के पास लाकर, थोड़ा दम भरता। ऐसा उसने पांच बार किया, तब कहीं जाकर building के entrance से main building तक पहुंच पाया। इस पूरे समय रोहित मदद के लिए अपने आसपास निगाहें दौड़ाता रहा। लेकिन एक तो saturday, ऊपर से दोपहर का समय, इसलिए उसे यह सारी मेहनत अकेले ही करनी पड़ी। तो रोहित का friend उसके साथ आना चाहता था, लेकिन अगले हफ्ते ही उसका IES का exam था। जिसकी तैयारी वह पूरी लगन से पिछले छह महीनों से कर रहा था। तो उसे disturb करना रोहित ने ठीक नहीं समझा। और वैसे भी इतने दिनों, रोहित का रहने और खाने-पीने का खास खयाल उसके friend और उसके मम्मी पापा ने रखा था, रोहित के लिए यह साथ ही काफी था। इस छोटी सी परेशानी को तो वह अकेले ही face कर सकता था। लेकिन अब एक और चुनौती रोहित के सामने थी, सीढ़ियां!!!!!  Main building में अंदर जाने के लिए उसे यह 10  12 सीढ़ियां चढ़कर जाना था, तब जाकर वह lift तक पहुंच सकता था।



        रोहित ने एक लंबी सांस भरी, और एक suitcase के ऊपर वाले handle को पूरे दम से खींचा। अगले ही पल, टूटने की आवाज के साथ, suitcase का handle अपने हाथ में लिए, रोहित जमीन पर जा गिरा। कुछ seconds बाद, अपने कपड़ों को झाड़ते हुए, रोहित उठा और तभी उसे एक जानी पहचानी सी खुशबू आने लगी। और कुछ देर में उस खुशबू का मालिक, रोहित कि "eye candy", "अविनाश" अपने हाथों में एक bag लिए, रोहित की तरफ ही बढ़ने लगा।



अविनाश :- "Do you need help??"

रोहित :- (अपने आप को साफ करते हुए) "Yes I do!!! But what are you doing here???"

अविनाश :- "Means??? I live here!!"

रोहित :- (आश्चर्य से अपनी आँखें बड़ी कर, हल्की सी मुस्कुराहट के साथ) "Ohhhhk!!!!! Which floor???"

अविनाश :- "21"

रोहित :- (झूठी हँसी हँसते हुए) "Ohhhk!! तो मतलब अब हम neighbors हैं!!! Ok!!! Thats good।"

अविनाश :- "Ok! So can I help you? To take this stuff up???"



         पहले तो रोहित ने "हाँ" मैं अपना सर हिलाया। लेकिन जैसे ही अविनाश रोहित के suitcases उठाने लगा, रोहित ने उसे चेताने के लिए बोला।


रोहित :- "आराम से, bag बहुत भारी हैं, और पुराने भी।"




         लेकिन रोहित अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही अविनाश दोनों suitcases को side handle से उठाकर, साथ में अपना bag भी लिए, बड़ी ही आसानी से आधी सीढ़ियां भी चड़ गया था। और रोहित अपने पीठ पीछे laptop backpack और अपने हाथ में एक suitcase का handle लिए, उसे ऐसा करते देखे जा रहा था। जब अविनाश सारी सीढ़ियां चढ़ गया, तो उसे रोहित के साथ चलने की आवाज नहीं आई। तो उसने पीछे पलटकर रोहित को देखा, तो रोहित अभी भी वहीं खड़ा था, जहां वह पहले था। और बस अविनाश को घूरे जा रहा था।


अविनाश :- "Do you only have to bring these things up? Will you not go up?"




        अविनाश की बात सुनकर, रोहित ने उसे घूरना बन्द किआ, और भागता हुआ, अविनाश के पीछे - पीछे चलने लगा।



रोहित :- (आश्चर्यचकित स्वर में) "मैं literally  सही से इन bags को एक एक करके भी नही खींच पा रहा था। और तुमने...... मेरा मतलब आपने इतने आसानी से उठा लिया, वो भी दोनों bag एक साथ!!!! That is mind blowing !!!!"


अविनाश :- (अपने normal स्वर में) "Use your power at the right place, so you can also able to do it!!!"




        अविनाश दिखने में तो under 30 लगता था। लेकिन उसका व्यवहार, बात करने का तरीका, 60 plus से कम नहीं था, ऐसा रोहित का सोचना था। और अभी कुछ पलों की मुलाकात ने अविनाश के लिए रोहित की सोच को सच में ही बदल दिया था। दोनों lift से अपने floor पर भी पहुंच गए। और अविनाश ने रोहित के बताए flat के दरवाजे के सामने उसके bag भी रख दिए। रोहित ने अविनाश को "Thanks" बोला, और अविनाश बिल्कुल नपी तुली smile pass कर, हल्का सा सर हिलाकर, रोहित के flat के बिल्कुल बगल वाले flat में चला गया। और 2 seconds बाद ही वापस भी आ गया।


अविनाश :- "If you need anything, than plz let me know!!"


रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Thanks for your concern!!! But really I am fine now. And thanks for bags though!!!"


अविनाश :- "I understand, you are just going to be shifted, so you need several things, so just let me know, I am just a wall away!!!"


रोहित :- (मुस्कुराते हुए, अपने flat का lock खोलते हुए) " I am seriously fine, I have everything in these bags, so don't worry, I am good."




        दरअसल, रोहित को जरूरत तो बहुत सारी चीजों की थी। लेकिन एक तो अविनाश उसका office में senior, उसका training officer, और सबसे बड़ी बात, इतना ज्यादा खडूस। तो रोहित उसकी कोई भी मदद लेने से कतरा रहा था। और शायद कहीं ना कहीं अविनाश को भी यह बात नजर आ रही थी।



अविनाश :- "Seriously!!! You have Broome in your bag, to clean the house???"


रोहित :- "Ok! Fine! I need several things, the mattress, bedsheets, few vessels or many more...."


अविनाश :- (रोहित को बीच मे ही रोकते हुए) "Ok! Ok! There is a mall nearby, get freshenup, than I will take you there, you will find all that goods there!!"


रोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Ok! I will meet you after 30 minutes!!"


अविनाश :- "Ok! Good!"


           दोनों अपने-अपने flat मैं चले जाते हैं। रोहित अपने सामान को अपने bedroom की fix अलमारी में रखता है। और नहाने के लिए चला जाता है। नहाते वक्त रोहित, अविनाश के बारे में ही सोचता है, कि "शायद अविनाश इतना भी खडूस नहीं, जितना वह दिखता है" caring nature का है, और gym तो 100% जाता है, तभी तो इतना strong है। थोड़ी देर बाद तैयार होकर रोहित अविनाश का door knock करता है। अविनाश भी तैयार होकर बाहर आता है। और दोनों पास के ही mall में जाकर, रोहित के लिए जरूरत के सभी सामान की खरीददारी करते हैं। सारा सामान खरीदते हुए दोनों को शाम हो जाती है, और रोहित को भूख भी लग आती है।


रोहित :- "Hey!!! मुझे अब बहुत तेज़ भूख लग रही है। कुछ खाएं???"

अविनाश :- "हाँ!!! Ground floor पर एक restorant है, वहां भी चल सकते हैं, और second floor पर dominoz और Mc-donald है। जहां भी जाना चाहो।"

रोहित :- "Restorant ही चलते हैं, भूख बहुत तेज़ लगी है, और pizza, burger नही खाना मुझे।"


        दोनों mall के ही एक restorant में खाने के लिए आ जाते हैं। लेकिन खाने का order सिर्फ रोहित ही करता है।


रोहित:- (मेज़ के इर्दगिर्द अपने खरीदे हुए सामान को रखते हुए) "तुम्हे..... मेरा मतलब है आपको बिल्कुल भी भूख नही है??? मुझसे तो अब बर्दाश्त ही नही हो रही भूख।"

अविनाश :- "हाँ!!! अब daily का यही routine बन गया है, office से कभी कभी late हो जाता है, तो late ही खाने की आदत है।"

रोहित :- (अविनाश की आँखों मे गौर से देखते हुए) "तुमने..... मेरा मतलब है आपने, lenses पहने हुए हैं क्या???"

अविनाश :- (अपनी आँखों को मलते हुए) "नहीं तो!!!! And you can say तुम, I dont mind।"

रोहित :- (अविनाश को गौर से देखते हुए) "नहीं!! मुझे अच्छे से याद है तुम्हारी.... मतलब आपकी आँखे काले रंग की है, लेकिन अभी ये मुझे कुछ कुछ ब्राउन सी लग रही हैं।"

अविनाश :- "तुमने ध्यान से नही देखा होगा, मेरी आँखे तो हमेशा से ऐसी ही हैं। और तुम मेरी आँखों पर क्यों इतना ध्यान दे रहे हो?"

रोहित :- (अविनाश के चेहरे से नज़रें हटाते हुए) "नहीं वो तो बस नज़र पड़ गयी इसलिए बोल दिया।"


       
        इतने में ही रोहित का order किया हुआ खाना, वहां मेज़ पर आ गया। रोहित ने अपना खाना खाया, और साथ-साथ कई बार अविनाश को भी खाने का offer दिया। लेकिन अविनाश ने हर वक्त अपना सर "ना" में ही हिलाया। और अपने mobile में व्यस्त रहा। खाना finish कर दोनों ने थोड़ा बचा हुआ सामान भी खरीदा। अब तक रात भी हो चली थी। और सारा सामान लेकर दोनों वापस flat पर आ गए। इस बार भी ज्यादातर सामान अविनाश ने ही उठाया। रोहित तो बस कम वजन के तीन चार bag ही लाने में, बुरी तरह से थक चुका था। अविनाश ने सारा सामान रोहित के flat के दरवाजे के बाहर ही रखा, और अपने flat का lock खोलने लगा।


रोहित :- (अपने हाँथो के bags को नीचे रखते हुए) "अब इतनी मदद की है, तो ये सारा सामान, अन्दर set करने भी थोड़ी help करदो।"


अविनाश :- "जरूर कर देता, लेकिन अब मेरी भूख का समय हो रहा है। और अब मुझसे control नही हो रहा। एक काम करो, सारा सामान अभी ऐसे ही रख दो, काल sunday है, आराम से set कर लेंगे।"



        इतना कहकर अविनाश सीधा अपने flat के अंदर चला गया। और रोहित बाहर ही खड़ा सोचता रहा, कि "शायद बहुत तेज ही भूख लगी है, इसको। बिना bye, good night! बोले ही अंदर चला गया। और मुझे भी thanks बोलने का मौका नहीं दिया। फिर वह भी अपने flat के अंदर आ गया, और धीरे-धीरे सारा सामान भी अंदर ले आया। अपने bedroom को थोड़ा बहुत साफ किया, और जमीन पर ही गद्दा बिछाया और सो गया।





आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये रोहित और अविनाश की इस चमकते आज के साथ, शायद बिता कल या आने वाला समय इतना सुनहरा ना हो।




Lots of love
Yuvraaj ❤️










 









Shadi.Com Part - III

Hello friends,                      If you directly landed on this page than I must tell you, please read it's first two parts, than you...