Hello friends here I'm going to try something new, some different kind of story. But definitely it also has some love, emotion, heartbreaks, mystery and lots of drama. Hope you all like and appreciate my this different work as previous once.
CALANGUTE POLICE STATION, SALIGAO, GOA (15 / SEP / 2018 / 7:30 PM) :-
इतना कहते ही स्मिता की आंखे आंसुओं से भर गई, वहां सभी लोग थे स्मिता के आंसू पोंछने के लिए, उसे सहारा देने के लिए, बस नही था तो वो एक इंसान, जिसके लिए ये आंसू बह निकले थे। स्मिता का इकलौता छोटा भाई, सुमित। जो अब कभी न जागने वाली गहरी नींद में हमेशा के लिए सो चुका था, या यूं कहूँ सुला दिया गया था। किसी ने बड़ी बेरहमी के साथ सुमित के ऊपर चाकू या किसी नुकीले हथियार से कई बार हमला किया था, और उसे अधमरा calangute beach की झाड़ियों में मरने के लिए फेंक दिया था। जिसका पता लगा था इंस्पेक्टर जिव्बा जी डाल्वी को, जब सुबह मछुआरों ने खून से लतपत एक मृत शरीर को झाड़ियों में पाया। खबर लगते ही डाल्वी जी अपनी पूरी team के साथ मौका-ए-वारदात पर पहुंचे। लाश के पहने कपड़ों से वो एक सैलानी प्रतीत होता था, डाल्वी जी ने अंधेरे में तीर चलते हुए, उस मृत व्यक्ति की फ़ोटो निकाली, और आस पास के सभी होटलों और resorts में पहुंचा दी, और उनका तीर भी निशाने पर जा लगा। 1 घंटे के भीतर ही, Casa de Goa, Resort, Calangute से खबर आई कि ये शख्स, पिछले 4 दिनों से अपने बाकी दोस्तों के साथ इस resort में रुक हुआ है। डाल्वी जी ने भी बिना समय गंवाए, अपनी एक team को उस रिसोर्ट में तहक़ीक़ात के लिए तो भेजा ही, साथ ही साथ, उस मृतक के सभी दोस्तों को भी साथ लाने को कहा।
घंटे भर के अंदर ही मृतक के 6 दोस्तों, 2 लड़कियों, प्रीति और स्मिता और 4 लड़कों, रुमित, विवेक, शिवांश और चैतन्य, सभी को Calangute Police Station ले आया गया। वहां दी गयी जानकारी से डाल्वी जी को पता चला कि, मृतक का नाम सुमित है, और 23 वर्ष उसकी उम्र है। स्मिता, मृतक की बड़ी बहन है और उम्र में अपने भाई से 3 साल बड़ी है यानी 26 वर्ष की है। विवेक उम्र 24 वर्ष, मृतक का कथित boyfriend है और चैतन्य उम्र 28 वर्ष, मृतक की बहन यानी स्मिता का बॉयफ्रेंड है। प्रीति उम्र 25 वर्ष और रुमित उम्र 26 वर्ष, दोनो couple है, और स्मिता और चैतन्य के दोस्त है। शिवांश उम्र 22 वर्ष, मृतक और विवेक का दोस्त है। ये सभी 9 सितंबर की रात से गोआ घूमने के इरादे से Casa De Goa Resort में ठहरे हुए थे। पिछले दिन यानी 14 सितंबर की सुबह को, सुमित और विवेक में कुछ कहा सुनी हो गयी थी, और विवेक गुस्से में अकेले ही resort से बाहर चला गया था, स्मिता और बाकी दोस्तो के समझाने पर सुमित भी विवेक को मनाने के लिए अकेले ही उसके पीछे रिसोर्ट से निकल गया था। लेकिन जब शाम को विवेक अकेले ही रिसोर्ट में वापस आया, तो सभी दोस्तों ने beach पर, बाजार में, और आस पास के इलाके में सुमित को ढूंढना शुरू किया। सुमित का मोबाइल भी switch off आ रहा था, तो उस से भी कोई मदद नही मिल सकी। सभी जगह खोज बीन कर सभी दोस्त खाली हाथ ही, थक हार कर रात को वापस रिसोर्ट में ही आ गए। बाकी सभी दोस्त तो अपने अपने कमरों में सोने चले गए, लेकिन स्मिता और विवेक वहीं reception पर ही इंतेज़ार करने लगे सुबह होने का, और उम्मीद का दिया भी जलाए रखे, सुमित के वापस लौट आने का। लेकिन वो दिया तब बुझ गया, जब सुबह के समय रिसोर्ट के staaf ने वहीं reception के सोफे पर बैठे- बैठे ही सोते हुए स्मिता और विवेक को उठाकर बताया कि police उनके दोस्त की फ़ोटो लेकर आई है। स्मिता और विवेक ने सुमित की जब वो फ़ोटो देखी, तो दोनों के मुंह से अकस्मात ही एक ही सवाल निकला "सुमित ठीक तो है ना???" और हवलदार के उस जवाब ने दोनों के पैरों तले जमीन ही खिसक दी, जब उसने बड़ी ही बेरुखी के साथ कहा "मर्डर हुआ है इसका, और आप सब को थाने चलना होगा हमारे साथ।"
चलिये अब मैं आपको यही कहानी एक अलग पृष्ठभूमि से बताता हूँ.......
6 साल पहले : ( 07 / जून / 2012 ) :-
आज का दिन बहुत ही खास है, हमारे सुमित के लिए, क्योंकि आज CBSE अपना 12 का result जो बताने वाला है। यूँ तो सुमित को अपना carrier और future goals साफ साफ पता हैं, की उसे BCA और फिर MBA कर किसी MNC में job करना है, तो 12 का result उसके सपनों के बीच कोई रुकावट तो नही लाने वाला था, लेकिन अच्छे नम्बरों से पास होना, और अपने स्कूल में अच्छा स्थान पाने की भावना ने थोड़ी उत्सुकता को बड़ा तो दिया ही था। अब स्कूल में भी अच्छे स्थान की कामना के पीछे भी सुमित का कोई खास स्वर्थ नही था, था तो डर!!! डर अपनी माँ की शाख का, क्योंकि सुमित कमला नगर, ग़ाज़ियाबाद के जिस केंद्रीय विद्यालय का एक होनहार विद्यार्थी था, उसे होनहार बनाने में सबसे बड़ा हाँथ था, गड़ित की शिक्षिका, श्रीमती करुणा व्यास का, जो कि एक बहुत ही सख्त मिज़ाज शिक्षिका भी थीं, और हमारे सुमित की करुणामयी माँ भी। तो 12 में अच्छे अंक लाना सुमित के लिए बेहद जरूरी, अपनी माँ की शाख को बरकरार रखने के लिए भी था। अब ये काम सुमित के लिए दोगुना जटिल बन गया था, दोगुना इसलिए, क्योंकि यही काम 2 साल पहले सुमित की बड़ी बहन और करुणा जी की एक और विद्यार्थी, स्मिता ने बड़े ही शान के साथ कर दिखाया था। तो सुमित के 12 के result का असर जितना उस विद्यालय में पड़ने वाला था, उतना ही बराबर का असर कमला नगर, ग़ाज़ियाबाद के ही उस घर मे भी पड़ने वाला था, जिस घर के आगे बड़े शान से श्री धर्मेंद्र व्यास (PWD) और श्रीमती करुणा व्यास (M. Sc.) के नाम की तख्ती लटक रही थी।
अब result तो आया, और मिठाई भी बांटी गई, स्कूल में तो करुणा जी की शाख को बचा लिया गया था, लेकिन घर मे हर्षो-उल्लास का वो माहौल नही था, क्योंकि स्मिता ने जहां 82% के साथ 12 पास किआ था, वहीं सुमित केवल 74% ही ला पाया था। स्मिता जहां गड़ित में 89 नंबर लायी थी, वहीं सुमित को मात्र 70 अंक ही मीले थे। तो स्मिता के खुशी का कारण, छोटे भाई के कम अंक तो नही, बल्कि अपनी माँ की डांट थी, जो इस समय सुमित को पड़ रही थी, और इसके लिए स्मिता ने तो मन ही मन सुमित को धन्यवाद भी दे दिया था, क्योंकि अगर सुमित के ज्यादा नंबर आ जाते तो स्मिता को डांट तो नही लेकिन माँ की 4 बातें जरूर सुनने को मिलती। इस गंभीर माहौल को थोड़ा हल्का करने की कोशिश की धर्मेंद्र जी ने।
सभी हंसी खुशी रात का खाना भी खाते है, तब तक करुणा जी का गुस्सा भी कम हो जाता है। सुमित का future plans जानकर ना तो धर्मेंद्र जी और ना ही करुणा जी, किसी को भी बुरा नही लगता, लेकिन सुमित से कई दिनों तक इस बारे में बात जरूर की जाती है, और उसके course और job करने की इक्छा को समझा, और उसे कुछ समझाया भी जाता है। करुणा जी जितनी पढ़ाई लिखाई के मामले में सख्त है, उतनी ही आज़ादी उन्होंने अपने बच्चों को, उनके carrier option चुनने की भी दे रखी है। स्मिता ने भी B. Sc. और साथ ही साथ प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करने का फैसला भी स्वयं ही लिया था, लेकिन सही मार्गदर्शन जरूर धर्मेंद्र जी ने ही किआ। ग़ाज़ियाबाद के काशीराम राजकीय महाविद्यालय में स्मिता का ये द्वितीय वर्ष था, और इसी कॉलेज में ही सुमित ने भी BCA के course में admission ले लिया, और साथ ही साथ MBA के लिए CAT की exam की तैयारियां भी शुरू कर दी। यहां तक तो आपने सुमित और उसके परिवार के बारे में अधिकांश बाते जान ही ली हैं, अब थोड़ा और जानना बाकी है, सुमित को।
एक आम भारतीय लड़के की छाप से सजता था हमारे सुमित का चेहरा। गेंहुआ रंग, काले बाल, तीखे नैन नक्श और एक बहुत ही मनमोहक मुस्कुराहट, सोने पर सुहागे का काम करती थी। पतला दुबला शरीर और एक मध्यम कद काठी। सुमित में सबसे खास थी उसकी प्यारी, मीठी सी बोली। पढ़ाई लिखाई के साथ साथ उसे गायन में भी रुचि थी। स्कूल के हर function पर एक गायन प्रस्तुति सुमित की ओर से जरूर होती थी। संगीत को अच्छे से सीखने की कोशिश भी की, लेकिन महज़ 3 महीनों में ही समझ आ गया कि ये कोई आसान काम भी नही, और इसे बस शौक बनाये रखने में ही भलाई है। सुमित एक शांत स्वभाव वाला लड़का था, आज तक बस स्मिता को छोड़ कर किसी से लड़ाई भी नही हुई थी, ऐसा भी नही था कि सुमित डरपोक हो, अगर कहीं कोई परिस्थिति बिगड़ती भी थी तो वो उसे अपनी सूझ बूझ से हल कर लेता था, लड़ने झगड़ने तक कोई बात पहुंचने ही नही देता था। अब स्मिता से तो लड़ाई, स्मिता की जिद्द की वजह से होती थी, क्योंकि सुमित उसका छोटा भाई था, और छोटे भाई की बात मानना, स्मिता की शान के खिलाफ। खैर, अब ये तो हर भाई बहन के बीच की बात है। लेकिन सुमित कम उम्र से ही अपनी समझदारी का परिचय देता आया था। मेहनती भी था, और कुछ करने की लगन जब भी जगती थी, तो वो काम करने में कोई देरी भी नही करता था, लेकिन वहीं, अगर उसे लगे कि उसकी मेहनत किसी मंजिल तक नही पंहुच सकती, तो उस कार्य को छोड़, दूसरे काम को हाँथ में लेने से जरा नही हिचकता था। लोगों का डर उसके मन मे बिल्कुल नही था, बस अपने हर काम को मंजिल देना ही उसका लक्ष्य होता था। डर था, तो सिर्फ अपनी माँ का। क्योंकि, करुणा जी सुमित के कई कामो को बीच मे ही छोड़ देने की आदत से परेशान थीं, और अपनी इस आदत की वजह से सुमित अपनी माँ से कई बार डाँट और मार भी खा चुका था। इसलिए अब वो अपने मन की हर बात को, बस अपने तक ही रखता था, और उसके पूरा हो जाने के बाद ही अपने घरवालों को बताया करता था।
मन में दबी कई बातों में से एक थी उसके GAY होने की बात। जो उसने अब तक किसी को नही बतायी थी। और ऐसा कब से था, कैसे हुआ, इस बात का कोई सटीक समय और कोई उदाहरण नही था, जब से होश संभाला, सुमित इस बात से परिचित था कि वो एक GAY है। सुमित के व्यक्तित्व की ये खासियत थी, की अगर वो स्वयं किसी को अपने GAY होने के बारे में नही बताता, तो शायद ही किसी को अंदाज़ा हो पाता इस बात का। सुमित अपने स्कूल का इकलौता लड़का था जिसने BCA में admission लिया था, सुमित के सारे दोस्त engineering करने किसी private college या फिर IIT की तैयारी में लगे थे। और अपने लिए इस फैसले पर सुमित को कोई दुख, कोई अफसोस नही था, क्योंकि उसे अपना लक्ष्य साफ नजर आ रहा था।
College में कहने को तो सुमित की कक्षा में 45 विद्यार्थी थे, लेकिन रोज़ college आने वाला केवल सुमित ही था। college शुरू हुए 1 महीना हो चुका था, लेकिन अभी तक सुमित ने अपनी ही कक्षा के सभी विद्यार्थियों की शक्ल भी नही देखी थी। जिससे वो पहले दिन मिला था, वो सहपाठी भी, 30 दिनों के बाद दोबारा नजर आया था। विधार्थीयों की इस अनियमितता का फायदा वहां के शिक्षक उठाते थे, और आये दिन कोई न कोई बहाना दे कर कक्षा में पडाने भी नही आते थे। सुमित कभी कंप्यूटर लैब, कभी लिब्रेरी, तो कभी college की garden में ही अपनी BCA और CAT की पढ़ाई करता रहता रहता था। कॉलेज खुलने के 2 महीने बाद, सुमित की मुलाकात हुई शिवांश से। और बातों ही बातों में पता चला कि शिवांश भी BCA first year का विद्यार्थी है, और सुमित का सहपाठी। शिवांश एक हसमुख और मिलनसार लड़का था, तो उसे सुमित से दोस्ती करने में ज़रा भी वक़्त नही लगा, और उसने अपने बारे में बताते हुए बताया कि, वो चिरंजीव विहार, ग़ाज़ियाबाद के D ब्लॉक में रहता है, और उसके पापा का एक cyber cafe और tour and travels का buisness है। वो भी वही सब संभालता है, ये BCA तो बस graduation करने के लिए कर रहा है।
अपना कॉलेज का सारा समय उस दिन दोनो साथ मे ही बिताते हैं, और इतनी सी देर में हीं, एक दूसरे की schooling और families की बातें भी हो ही जाती है। और घर जाते वक्त शिवांश, सुमित का मोबाइल नंबर भी ले लेता है। शिवांश घर आकर सबसे पहला काम सुमित को facebook पर search करके उसे friend request भेजने का ही करता है। यूँ तो शिवांश bisexual है, लेकिन दिखता खुद को strieght ही है, और लड़कों के साथ समय बिताना, उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना उसे पसंद तो बहुत है, लेकिन इन सभी भावनाओ को मात्र enjoyment का नाम देकर वो बस LGBT समुदाय के tag से बचना चाहता है। खुद को bisexual बोल कर, खुद की मर्दानगी कम होने की भावना से बचना चाहता है। पड़ोस की एक लड़की के साथ भी friendship है, और उसके साथ भी शारीरिक संबंध है। घंटों घरवालों से छुपकर, फ़ोन पर बातें भी होती है, और तोहफों का आदान प्रदान भी किआ जाता है। लेकिन इस रिश्ते को भी प्यार का नाम देने से डरता है। असल में अपने मन की सभी सच्ची भावनाओ को दबाकर cool dude बनने की कोशिशों में लगा रहता है।
घर आकर सुमित ने facebook खोला तो, लेकिन सुमित व्यास के नाम वाला नही, सैमी शर्मा के नाम का फेक एकाउंट। ये सुमित का ही एक दूसरा facebook account था, जो वो अपनी GAY fantasies पूरी करने के लिए चलता था। इस एकाउंट पर सुमित के कई सारे GAY friends थे, जिनसे वो कई सारी बातें भी किआ करता था, लेकिन वो अभी तक मिला किसी से भी नही था। कई friends तो ग़ाज़ियाबाद के भी थे, जो मिलने की ज़िद भी किआ करते थे, लेकिन सुमित बड़े ही अच्छे तरीके से, कुछ न कुछ बहाना देकर उन्हें टाल दिया करता था। सुमित वेसे तो facebook कम ही चलाता था, क्योंकि माँ की इजाज़त के बिना, आज भी दोनो बच्चों का laptop लेना वर्जित था। लेकिन जब भी समय मिलता था, सुमित बड़ी ही सावधानी से अपना ये एकाउंट जरूर देखा करता था। ये एकाउंट जरूर नकली था, लेकिन यहां सुमित की भावनाएं, उसकी इक्छाये, उसके जज्बात, सब असली थे। और एक वो असली एकाउंट भी था, जहां हर वक़्त एक बनावटी सुमित रहता था। laptop रखने से पहले,सुमित ने अपना असली अककॉउंट भी open किआ, जहां उसे शिवांश की friend request मिली, जिसे उसने accept कर लिया।
समय के साथ शिवांश और सुमित की दोस्ती भी बढ़ती गयी, और अब जब भी स्मिता कॉलेज नही आती या उसे देर से घर जाना होता, तो सुमित शिवांश के साथ ही राज नगर एक्सटेंशन तक उसके साथ, उसकी bike पर ही आता था। और देखते देखते ही first year के exam भी आ गए। और इन दिनों शिवांश पहली बार सुमित के घर भी आया, उससे पड़ने के लिए, और फिर ये सिलसिला भी आम हो गया। अब तो शिवांश कभी भी सुमित के घर आ जाता था, सुमित के घरवाले भी शिवांश से परिचित हो चुके थे, और कभी कभी सुमित भी शिवांश के घर चले जाया करता था। बाकी सारे exam तो अच्छे से बीत गए, और सुमित के पडाने के कारण ही शायद, शिवांश भी बेहद खुश था, क्योंकि उसके exam भी काफी अच्छे गए थे। बस एक ही exam बाकी रह गया था, math का। और करुणा जी ने दोनों बच्चों को math में मदद का वादा भी दिया हुआ था। math के exam में अभी 2 दिन बाकी थे, शिवांश एक दिन पहले ही, रात के समय पहुंचा सुमित के घर, और करुणा जी भी दोनो को पढ़ाने लगी। लेकिन पढ़ाई खत्म होने तक रात के 11:30 हो गए थे।
बाहर आकर देखा तो शिवांश की bike ही पंचर हो गयी थी, और इतनी रात में पंचर बनाने वाला भी कोई नही मिलता।
रात को जब सुमित अपने laptop पर अपना नकली facebook account चला रहा था, तो शिवांश ने चोरी छुपे देख लिया। और उस एकाउंट से शिवांश को कुछ समझ तो आ गया, लेकिन तब तो वो चुप रहा, लेकिन उसके दिमाग मे कई सवालों - जवाबों का सिलसिला चलने लगा। वो सुमित के बारे में खुद से ही सवाल भी करने लगा, और खुद को ही जवाब भी देने लगा। इन सवालों जवाबों का निष्कर्ष यह निकला कि, शिवांश को सुमित की असलियत तो पता चल गई थी, लेकिन वो अभी भी confuse था, की सुमित gay है, bisexual है, या बस युही time paas के लिए इस तरह का एकाउंट चला रहा है। अब वो सुमित से इस बारे में पूछना तो चाह रहा था, लेकिन पूछे कैसे, ये उसे नही समझ आ रहा था। और वेसे तो सुमित भी अपना नकली facebook account चलाते समय एहतियात रखता था, और उसने आज भी facebook खोलने से पहले शिवांश की तरफ देखा था, लेकिन तब शिवांश आंखे बंद किये कानों में headphone लगाए तेज़ आवाज़ में गाने सुन रहा था। आज सुमित की ज़रा सी लापरवाही ने शिवांश के मन मे कई सवाल खड़े कर दिए थे। अब exam के दिनों में शिवांश की दोस्ती सुमित से पहले से भी ज्यादा गहरी हो चुकी थी, और उसी दोस्ती के सहारे, शिवांश ने सुमित से अपने मन के कई सवालों को जवाब देने के लिए, सुमित से एक सवाल कर ही दिया।
शिवांश ये सब बस, सुमित का सच जानने के लिए कह रहा था। वरना शिवांश LGBT समुदाय के लोगों को देख कर अपना रास्ता ही बदल लेने वाले इंसानो मेसे है। क्योंकि LGBT समुदाय के लोगों को देख कर, उसे खुद की शख्शियत पर ही शक होने लगता था, क्योंकि एक आईना जो आ जाता था सामने। वहीं सुमित के लिए शिवांश के ये शब्द बहुत ही गहरे थे। उसे ऐसा support, अपनी असलियत के लिए, कहीं देखने और सुनने को नही मिला था। और ये उसके मन का डर भी था, की अगर उसकी असलियत सबके सामने आ गयी, तो कहीं सब उससे नफरत ना करने लगें। लेकिन शिवांश के मात्र इन कुछ शब्दों ने ही, सुमित के मन के डर को मिटा दिया था, और उसने अपने GAY होने का सच, शिवांश को बिना हिचके बात भी दिया।
शिवांश तो मानो बस यही सुनने के इंतेज़ार में ही था। सुमित की सच्चाई जानते ही, बिस्तर से उठा, और सुमित को गालियां देकर, और फिर कभी उसकी तरफ देखने को भी मना कर, आधी रात में ही सुमित के घर से अपनी पंचर bike घसीट के ले गया। सुबह सभी ने शिवांश के जाने का कारण जब सुमित से पूछा, तो सुमित ने कोई जरूरी काम आ जाने का बहाना बना दिया। उस दिन शिवांश पड़ने भी नही आया और अगले दिन math का exam भी हो गया, और कुछ दिनों बाद first year का result भी आ गया। सुमित ने अपनी कक्षा में प्रथम और शिवांश ने द्वितीय स्थान भी प्राप्त किया। आखिर सुमित के पढ़ाने का अच्छा असर पड़ा था शिवांश पर। लेकिन सुमित को अनदेखा कर अभी तक कोई बात नही की थी शिवांश ने, और college आना भी बिल्कुल बंद ही कर दिया था। उधर स्मिता ने भी अपनी graduation अच्छे marks से complete कर ली थी, और पूरी तरह जुट गई थी अपने public sector के exam की तैयारियों में। अब सुमित college में पूरी तरह अकेला रह जाता था, पहले तो स्मिता के साथ ही आता जाता था, लेकिन अब ये काम भी उसे अकेले ही करना पड़ता था। एक दिन जब वो college से घर जा रहा था, तभी शिवांश ने अपनी bike से उसका रास्ता रोका और सुमित को साथ चलने को कहा। सुमित पहले तो हिचकिचाया, लेकिन फिर शिवांश की bike पर जाकर बैठ गया।
दोनों हंसते मुस्कुराते वहां से निकल जाते है। शिवांश इसलिए खुश था, क्योंकि आज खुद के बारे में accept करके वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। और वहीं सुमित इसलिए कि अब कम से कम कोई तो था, जिसके सामने एक नकली मुखौटा पहनने की जरूरत नही थी। दोनों ही एक दूसरे का सच सुन कर, और एक दूसरे को accept कर के खुश थे, और ये खुशी आगे भी ऐसे ही बरकरार रही। अब तो शिवांश सुबह ही सुमित के घर पहुंच जाता था, नाश्ता भी वहीं कर, सुमित को bike पर बैठा, कॉलेज ले आता था। सारा दिन दोनो कॉलेज में साथ बिताते, पड़ते लिखते, हंसी मजाक करते। और कभी कभी college ना जाकर, किसी सिनेमाहॉल में film भी देख आते। शाम को इधर उधर घूम फिर कर, सुमित को घर छोड़ने के बाद ही शिवांश और सुमित का दिन खत्म होता था। ये सिलसिला अगले पूरे साल, ऐसे ही चलता रहा। उधर साल भर की कड़ी मेहनत के बाद, स्मिता का selection SBI Bank PO में हो गया था, और 8 महीने की ट्रेनिंग के लिए उसे noida का ही एक ट्रेनिंग सेंटर भी मिल गया था। घर मे एक खुशी का माहौल था, स्मिता जो करना चाहती थी, उसने वो पा लिया था। और वहीं सुमित के second year के exam भी नज़दीक आ गए थे। इस बार भी, शिवांश को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी सुमित के सर ही थी, लेकिन Math के लिए तो दोनों ही करुणा जी पर निर्भर थे।
इस बार फिर math पड़ने के लिए शिवांश, सुमित के घर आया, इस बार तो bike पंचर न होने पर भी, उसने रात वहीं रुकने को कहा। जिसको बिना किसी विरोध के मान भी लिया गया। रात को सोने से पहले, शिवांश और सुमित साथ मे, सुमित का वो नकली facebook एकाउंट, देखने लगे, और कई लोगों से chat भी करने लगे। मस्ती मजाक में शिवांश, कई लोगों से उनकी nude photo भी मांगने लगा, और कई लोग तो उसे अपनी फोटो भी दिखने लगे। लेकिन सुमित ने इस बात के लिए, शिवांश की डाँट भी लगाई, और laptop बंद कर उसे सोने को भी कहा। शिवांश ने बड़े ही प्यारे अंदाज़ में sorry बोलते हुए सुमित को गले से लगा लिया, और सुमित भी इस बात को हंसी में टाल गया। लेकिन शिवांश का इस बार सुमित को गले लगाना थोड़ा अलग था, थोड़ा अजीब सा था। इस बार शिवांश के गले लगने पर, एक अलग सी अनुभूति सुमित को भी हुई, और उसने खुद को शिवांश से अलग किआ। और अलग होते हुए, शिवांश ने सुमित को kiss करने की कोशिश की। जिसे सुमित ने शिवांश को खुद से ज़ोर से अलग करते हुए रोका।
उस रात शिवांश ने जो भी कुछ करने की कोशिश की, वो उसकी सोच की गंदगी थी। और सुमित के व्यवहार ने एक बात तो उसे साफ कर दी थी, की शिवांश जो भी सोच सुमित के लिए बनाए बैठा है, सुमित बिल्कुल वैसा नही है। सुमित के लिए हर रिश्ते की एक मर्यादा और एक अलग ही नज़रिया था। जो धीरे धीरे शिवांश को भी समझ आ गया। और सुमित को इतने करीब से जानने के बाद, शिवांश सुमित की ओर खींचता ही चला गया, और एक अलग ही आकर्षण भी महसूस करने लग गया, जो उसने आज तक किसी के लिए भी महसूस नही किआ था। समय के साथ साथ दोनो की दोस्ती और गहरी होती चली गयी। सुमित के लिए तो बस ये एक दोस्ती ही थी, लेकिन शिवांश के दिल और दिमाग मे सुमित, दोस्त के ओदे से कहीं ऊपर उठ चुका था।
धीरे धीरे दोनो ने अपनी graduation भी complete करली थी, और सुमित ने CAT में अच्छे marks लाकर, Amity University, Noida में scholarship पे MBA में admission ले लिया। यूँ तो CAT की पढ़ाई सुमित ने शिवांश को भी बराबर की कराई थी, लेकिन अब शिवांश के दिमाग मे, सुमित के चेहरे के अलावा कोई और बात अंदर जाने की जगह ही नही थी। तो इसका नतीजा ये निकल की शिवांश, CAT के exam में जरा भी अच्छे marks न ला पाया। लेकिन वो सुमित को छोड़ने को भी राजी नही था, तो उसने भी अपने पापा से ज़िद्द करके, Amity University में donation दे कर MBA में admission ले लिया। अब तो दोनों का साथ और भी ज्यादा गहरा हो गया था। सुबह सुबह ग़ाज़ियाबाद से नोएडा जाना, सारा दिन college में साथ बिताना, और वापस घर आते आते शाम हो जाय करती थी। यूँ तो Amity में सुमित और शिवांश के कई दोस्त बन गए थे, लेकिन सुमित का और लोगों से ज्यादा बात करना या किसी और के साथ समय बिताना, शिवांश को बिल्कुल भी पसंद नही आता था। शिवांश इतनी दूर पड़ने नही, बल्कि सुमित के साथ वक़्त बिताने ही तो आता था, और वो हर वो कोशिश करता था, जिससे वो हर समय सुमित के आस पास रह सके। उसके मन मे अब सुमित का नाम और गहरा हो चला था और पहली बार उसने बिना कुछ सोचे, खुद के और सुमित के रिश्ते को प्यार का नाम दे दिया था। चाहे भले ही केवल अपने मन मे ही, लेकिन उसने ये स्वीकार कर लिया था, की वो सुमित से बेहद प्यार करने लगा है। और उसने अपने प्यार का इज़हार करने की भी कोशिश की, लेकिन बहुत ही एहतियात के साथ, की कही BCA second year की उस रात की तरह कोई गलती न कर बैठे।
चेहरे पर तो हंसी लेकिन दिल मे आंसू लिए, आज शिवांश पहली बार, आशिकों के उस दर्द को महसूस कर सकता था, जो आज से पहले उसने कहीं पड़े, देखे या सुने थे। आज सुमित ने केवल शिवांश का pruposal ही नही ठुकराया था, उसका दिल भी तोड़ दिया था। शिवांश ने फिर खुद को तो ये समझा लिया कि सुमित प्यार न सही, लेकिन एक अच्छा दोस्त बन के तो उसके साथ रह ही सकता है, लेकिन वो अपने टूटे दिल को ये कैसे समझता कि , ये दिल जो सिर्फ सुमित के चेहरे पर हंसी देखना चाहता है, उसका साथ पाना चाहता है, उसके दिल मे बस जाना चाहता है, ये सब हो तो सकता है, लेकिन सिर्फ दोस्ती के दायरे में। फिर कुछ समय तो शिवांश को अपने टूटे दिल को संभालने में ही निकल गया, और अभी तो वो सही से अपने गम से उबर भी नही पाया था कि उसके सामने एक पहाड़ सा टूट पड़ा।
उस दिन सुमित ने साफ लफ्जों में तो नही कहा था कि उसके मन मे क्या चल रहा है, लेकिन उसके बात करने का अंदाज, उसके बिना किसी बात के मुस्कुराना, उसका वो खुश मिज़ाज व्यवहार, शिवांश को समझने के लिए काफी था, की जिस लड़के के बारे में सुमित बात कर रहा है, वो सुमित के दिल मे एक खास जगह बना चुका है। अब ये जानकर शिवांश को बुरा तो बहुत लग रहा था, लेकिन वो उसके लिए कुछ कर भी नही सकता था। शिवांश ने तो एक पल को ये भी सोच की वो मार पीट कर उस लड़के को सुमित की ज़िंदगी मे आने ही नही देगा, लेकिन शिवांश ने ना तो उस लड़के को देखा था, ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। लेकिन एक बात तो साफ थी, शिवांश सुमित को खुश तो देखना चाहता था, लेकिन किसी और के साथ बिल्कुल नही।
आगे की कहानी क्या मोड़ लेगी, और ऐसा क्या हो जाएगा कि कोई हंसते खेलते सुमित की जान का ही दुश्मन बन जायेगा, जानने के लिए बने रहे सुमित के साथ.......
CALANGUTE POLICE STATION, SALIGAO, GOA (15 / SEP / 2018 / 7:30 PM) :-
प्रीति :- (गुस्से में) "सर, हम सब आपको कितनी बार बता चुके हैं, फिर भी आप एक ही सवाल बार - बार करे जा रहे हैं। हम थक चुके हैं सर!!"
जिव्बा जी डाल्वी :- "आवाज नीचे!! ये पुलिस स्टेशन है, कोई आपका घर या कोई pub नही। और हम अपना काम कर रहे हैं, एक ही सवाल 100 बार भी पूछे तो जवाब देना पड़ेगा। मर्डर हुआ है, और तुम सब उसके suspects हो। तो बेहतर यही होगा कि co-operate करो, आवाज ऊंची करने का यहां कोई फायदा नही।"
रुमित :- (प्रीति के कंधे पर हाँथ रख उसे शांत करते हुए) "Really sorry from her side sir!! हम लोग बहुत थक गए हैं, please understand, एक तो कल रात भर सुमित के कारण सो नही पाए और सुबह से आज सारा दिन यही हो गया है, तो थोड़ी frustration तो हो ही जाती है ना"
जिव्बा जी डाल्वी :- "ये बातें ना अपने वकील के लिए बचा कर रखो, मुझे बस सच सुनना है। जब रात भर से तुम्हारा दोस्त गायब था, तो तुम मेसे किसी एक नए भी police को बताना जरूरी नही समझा?? और मैडम आप!! आपका तो वो भाई था, फिर भी आपने भी किसी को inform नही किआ!! क्यों???"
स्मिता :- (आंसू पोंछते हुए, दबी आवाज़ में) "सर उसका झगड़ा हुआ था, उसके boyfriend के साथ, तो हम बस उन्हें अकेले में थोड़ा समय देना चाहते थे, ताकि वो लोग आपस मे सब सुलझा लें, लेकिन जब विवेक अकेला ही resort में आया, और जब हम लोगों ने उसे सुमित के बारे में पूछा, तब हमे पता चला कि वो तो सारे दिन से अकेला था, सुमित तो उसके पास आया ही नही। तब हमने सुमित को यहां वहां ढूंढा भी, लेकिन हमें लगा कि वो कहीं गुस्से में अकेले time spend कर रहा होगा, हमे इसमे कोई serious बात लगी ही नही सर। सुमित पहले भी ऐसा कर चुका था, तो हमे लगा कि वो कुछ देर बाद खुद ही वापस आ जायेगा। मुझे क्या पता था सर की मेरा भाई किसी मुसीबत में है, मुझे भनक भी होती तो मैं उसे कहीं नही जाने देती। अब क्या बोलूंगी मैं माँ पापा को!!"
इतना कहते ही स्मिता की आंखे आंसुओं से भर गई, वहां सभी लोग थे स्मिता के आंसू पोंछने के लिए, उसे सहारा देने के लिए, बस नही था तो वो एक इंसान, जिसके लिए ये आंसू बह निकले थे। स्मिता का इकलौता छोटा भाई, सुमित। जो अब कभी न जागने वाली गहरी नींद में हमेशा के लिए सो चुका था, या यूं कहूँ सुला दिया गया था। किसी ने बड़ी बेरहमी के साथ सुमित के ऊपर चाकू या किसी नुकीले हथियार से कई बार हमला किया था, और उसे अधमरा calangute beach की झाड़ियों में मरने के लिए फेंक दिया था। जिसका पता लगा था इंस्पेक्टर जिव्बा जी डाल्वी को, जब सुबह मछुआरों ने खून से लतपत एक मृत शरीर को झाड़ियों में पाया। खबर लगते ही डाल्वी जी अपनी पूरी team के साथ मौका-ए-वारदात पर पहुंचे। लाश के पहने कपड़ों से वो एक सैलानी प्रतीत होता था, डाल्वी जी ने अंधेरे में तीर चलते हुए, उस मृत व्यक्ति की फ़ोटो निकाली, और आस पास के सभी होटलों और resorts में पहुंचा दी, और उनका तीर भी निशाने पर जा लगा। 1 घंटे के भीतर ही, Casa de Goa, Resort, Calangute से खबर आई कि ये शख्स, पिछले 4 दिनों से अपने बाकी दोस्तों के साथ इस resort में रुक हुआ है। डाल्वी जी ने भी बिना समय गंवाए, अपनी एक team को उस रिसोर्ट में तहक़ीक़ात के लिए तो भेजा ही, साथ ही साथ, उस मृतक के सभी दोस्तों को भी साथ लाने को कहा।
घंटे भर के अंदर ही मृतक के 6 दोस्तों, 2 लड़कियों, प्रीति और स्मिता और 4 लड़कों, रुमित, विवेक, शिवांश और चैतन्य, सभी को Calangute Police Station ले आया गया। वहां दी गयी जानकारी से डाल्वी जी को पता चला कि, मृतक का नाम सुमित है, और 23 वर्ष उसकी उम्र है। स्मिता, मृतक की बड़ी बहन है और उम्र में अपने भाई से 3 साल बड़ी है यानी 26 वर्ष की है। विवेक उम्र 24 वर्ष, मृतक का कथित boyfriend है और चैतन्य उम्र 28 वर्ष, मृतक की बहन यानी स्मिता का बॉयफ्रेंड है। प्रीति उम्र 25 वर्ष और रुमित उम्र 26 वर्ष, दोनो couple है, और स्मिता और चैतन्य के दोस्त है। शिवांश उम्र 22 वर्ष, मृतक और विवेक का दोस्त है। ये सभी 9 सितंबर की रात से गोआ घूमने के इरादे से Casa De Goa Resort में ठहरे हुए थे। पिछले दिन यानी 14 सितंबर की सुबह को, सुमित और विवेक में कुछ कहा सुनी हो गयी थी, और विवेक गुस्से में अकेले ही resort से बाहर चला गया था, स्मिता और बाकी दोस्तो के समझाने पर सुमित भी विवेक को मनाने के लिए अकेले ही उसके पीछे रिसोर्ट से निकल गया था। लेकिन जब शाम को विवेक अकेले ही रिसोर्ट में वापस आया, तो सभी दोस्तों ने beach पर, बाजार में, और आस पास के इलाके में सुमित को ढूंढना शुरू किया। सुमित का मोबाइल भी switch off आ रहा था, तो उस से भी कोई मदद नही मिल सकी। सभी जगह खोज बीन कर सभी दोस्त खाली हाथ ही, थक हार कर रात को वापस रिसोर्ट में ही आ गए। बाकी सभी दोस्त तो अपने अपने कमरों में सोने चले गए, लेकिन स्मिता और विवेक वहीं reception पर ही इंतेज़ार करने लगे सुबह होने का, और उम्मीद का दिया भी जलाए रखे, सुमित के वापस लौट आने का। लेकिन वो दिया तब बुझ गया, जब सुबह के समय रिसोर्ट के staaf ने वहीं reception के सोफे पर बैठे- बैठे ही सोते हुए स्मिता और विवेक को उठाकर बताया कि police उनके दोस्त की फ़ोटो लेकर आई है। स्मिता और विवेक ने सुमित की जब वो फ़ोटो देखी, तो दोनों के मुंह से अकस्मात ही एक ही सवाल निकला "सुमित ठीक तो है ना???" और हवलदार के उस जवाब ने दोनों के पैरों तले जमीन ही खिसक दी, जब उसने बड़ी ही बेरुखी के साथ कहा "मर्डर हुआ है इसका, और आप सब को थाने चलना होगा हमारे साथ।"
चलिये अब मैं आपको यही कहानी एक अलग पृष्ठभूमि से बताता हूँ.......
6 साल पहले : ( 07 / जून / 2012 ) :-
आज का दिन बहुत ही खास है, हमारे सुमित के लिए, क्योंकि आज CBSE अपना 12 का result जो बताने वाला है। यूँ तो सुमित को अपना carrier और future goals साफ साफ पता हैं, की उसे BCA और फिर MBA कर किसी MNC में job करना है, तो 12 का result उसके सपनों के बीच कोई रुकावट तो नही लाने वाला था, लेकिन अच्छे नम्बरों से पास होना, और अपने स्कूल में अच्छा स्थान पाने की भावना ने थोड़ी उत्सुकता को बड़ा तो दिया ही था। अब स्कूल में भी अच्छे स्थान की कामना के पीछे भी सुमित का कोई खास स्वर्थ नही था, था तो डर!!! डर अपनी माँ की शाख का, क्योंकि सुमित कमला नगर, ग़ाज़ियाबाद के जिस केंद्रीय विद्यालय का एक होनहार विद्यार्थी था, उसे होनहार बनाने में सबसे बड़ा हाँथ था, गड़ित की शिक्षिका, श्रीमती करुणा व्यास का, जो कि एक बहुत ही सख्त मिज़ाज शिक्षिका भी थीं, और हमारे सुमित की करुणामयी माँ भी। तो 12 में अच्छे अंक लाना सुमित के लिए बेहद जरूरी, अपनी माँ की शाख को बरकरार रखने के लिए भी था। अब ये काम सुमित के लिए दोगुना जटिल बन गया था, दोगुना इसलिए, क्योंकि यही काम 2 साल पहले सुमित की बड़ी बहन और करुणा जी की एक और विद्यार्थी, स्मिता ने बड़े ही शान के साथ कर दिखाया था। तो सुमित के 12 के result का असर जितना उस विद्यालय में पड़ने वाला था, उतना ही बराबर का असर कमला नगर, ग़ाज़ियाबाद के ही उस घर मे भी पड़ने वाला था, जिस घर के आगे बड़े शान से श्री धर्मेंद्र व्यास (PWD) और श्रीमती करुणा व्यास (M. Sc.) के नाम की तख्ती लटक रही थी।
अब result तो आया, और मिठाई भी बांटी गई, स्कूल में तो करुणा जी की शाख को बचा लिया गया था, लेकिन घर मे हर्षो-उल्लास का वो माहौल नही था, क्योंकि स्मिता ने जहां 82% के साथ 12 पास किआ था, वहीं सुमित केवल 74% ही ला पाया था। स्मिता जहां गड़ित में 89 नंबर लायी थी, वहीं सुमित को मात्र 70 अंक ही मीले थे। तो स्मिता के खुशी का कारण, छोटे भाई के कम अंक तो नही, बल्कि अपनी माँ की डांट थी, जो इस समय सुमित को पड़ रही थी, और इसके लिए स्मिता ने तो मन ही मन सुमित को धन्यवाद भी दे दिया था, क्योंकि अगर सुमित के ज्यादा नंबर आ जाते तो स्मिता को डांट तो नही लेकिन माँ की 4 बातें जरूर सुनने को मिलती। इस गंभीर माहौल को थोड़ा हल्का करने की कोशिश की धर्मेंद्र जी ने।
धर्मेंद्र जी :- "लो जी करुणा अपना मुंह मीठा करो, अपने गुप्ता जी के यहां से special order दे कर बनवाई है ये काजू कतली। ले स्मिता तू भी खा। सुमित.....!! सुमित......!! कहाँ है..... देख तेरे पास होने की खुशी में मिठाई लाया हूँ मैं, बाहर आ...। कहाँ गया ये लड़का????"
स्मिता :- (धीरे से फुसफुसाते हुए) "अंदर ही है, अभी माँ की डांट चालू है ना।"
धर्मेंद्र जी :- "डाँट?? पास तो हो गया वो और वो भी first class!!! फिर क्यों डाँट रही हो तुम उसे करुणा??"
करुणा जी :- (धर्मेंद्र जी के लिए चाय लाते हुए) "क्योंकि आप तो मिठाई लाये हो उसके लिए,तो मुझे ही तो डांटना पड़ेगा। और इतने भी कोइ अच्छे नंबर नही आये हैं, की special काजू कतली बनवा कर ले आये।"
धर्मेंद्र जी :- "अरे तो क्या हो गया?? पास तो हो गया है ना, तुम तो बेवजह गुस्सा कर रही हो। और अभी कहाँ पढ़ाई खत्म हो गयी है,अब तो मुख्य पढ़ाई शुरू होगी, तब खूब डाँट लेना उसे, लेकिन आज तो enjoy करने दो उसे।"
करुणा जी :- "बस आपके लाड़ प्यार ने ही तो बिगाड़ रखा है दोनो को। तो फिर मुझे तो डांटना ही पड़ेगा ना, वरना ये जो 74% आये है, ये भी ना आते।"
धर्मेंद्र जी :- "अरे अच्छे नंबर तो है!! मेरे तो 62% आये थे 12वीं में, फिर भी देखो अच्छी खासी सरकारी नौकरी कर रहा हूँ।"
करुणा जी :- "तब की बात और थी, और अब कितना संघर्ष है ये आप भी अच्छे से जानते हो। अब पता नही इतने कम नंबर में किसी अच्छे engineering college में admission मिलेगा भी या नही।"
सुमित :- (अंदर कमरे के पर्दे से झांकते हुए) "मुझे engineering नही करनी माँ। मैं MBA करना चाहता हूँ।"
धर्मेंद्र जी :- "अरे तू पहले बाहर तो आजा, फिर जो मन आये वो करना, देख ये काजू कतली कब से तेरा इंतेज़ार कर रही है। और अपनी marksheet तो दिखा, किसी ने दिखाई ही नही मुझे अब तक।"
सभी हंसी खुशी रात का खाना भी खाते है, तब तक करुणा जी का गुस्सा भी कम हो जाता है। सुमित का future plans जानकर ना तो धर्मेंद्र जी और ना ही करुणा जी, किसी को भी बुरा नही लगता, लेकिन सुमित से कई दिनों तक इस बारे में बात जरूर की जाती है, और उसके course और job करने की इक्छा को समझा, और उसे कुछ समझाया भी जाता है। करुणा जी जितनी पढ़ाई लिखाई के मामले में सख्त है, उतनी ही आज़ादी उन्होंने अपने बच्चों को, उनके carrier option चुनने की भी दे रखी है। स्मिता ने भी B. Sc. और साथ ही साथ प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करने का फैसला भी स्वयं ही लिया था, लेकिन सही मार्गदर्शन जरूर धर्मेंद्र जी ने ही किआ। ग़ाज़ियाबाद के काशीराम राजकीय महाविद्यालय में स्मिता का ये द्वितीय वर्ष था, और इसी कॉलेज में ही सुमित ने भी BCA के course में admission ले लिया, और साथ ही साथ MBA के लिए CAT की exam की तैयारियां भी शुरू कर दी। यहां तक तो आपने सुमित और उसके परिवार के बारे में अधिकांश बाते जान ही ली हैं, अब थोड़ा और जानना बाकी है, सुमित को।
एक आम भारतीय लड़के की छाप से सजता था हमारे सुमित का चेहरा। गेंहुआ रंग, काले बाल, तीखे नैन नक्श और एक बहुत ही मनमोहक मुस्कुराहट, सोने पर सुहागे का काम करती थी। पतला दुबला शरीर और एक मध्यम कद काठी। सुमित में सबसे खास थी उसकी प्यारी, मीठी सी बोली। पढ़ाई लिखाई के साथ साथ उसे गायन में भी रुचि थी। स्कूल के हर function पर एक गायन प्रस्तुति सुमित की ओर से जरूर होती थी। संगीत को अच्छे से सीखने की कोशिश भी की, लेकिन महज़ 3 महीनों में ही समझ आ गया कि ये कोई आसान काम भी नही, और इसे बस शौक बनाये रखने में ही भलाई है। सुमित एक शांत स्वभाव वाला लड़का था, आज तक बस स्मिता को छोड़ कर किसी से लड़ाई भी नही हुई थी, ऐसा भी नही था कि सुमित डरपोक हो, अगर कहीं कोई परिस्थिति बिगड़ती भी थी तो वो उसे अपनी सूझ बूझ से हल कर लेता था, लड़ने झगड़ने तक कोई बात पहुंचने ही नही देता था। अब स्मिता से तो लड़ाई, स्मिता की जिद्द की वजह से होती थी, क्योंकि सुमित उसका छोटा भाई था, और छोटे भाई की बात मानना, स्मिता की शान के खिलाफ। खैर, अब ये तो हर भाई बहन के बीच की बात है। लेकिन सुमित कम उम्र से ही अपनी समझदारी का परिचय देता आया था। मेहनती भी था, और कुछ करने की लगन जब भी जगती थी, तो वो काम करने में कोई देरी भी नही करता था, लेकिन वहीं, अगर उसे लगे कि उसकी मेहनत किसी मंजिल तक नही पंहुच सकती, तो उस कार्य को छोड़, दूसरे काम को हाँथ में लेने से जरा नही हिचकता था। लोगों का डर उसके मन मे बिल्कुल नही था, बस अपने हर काम को मंजिल देना ही उसका लक्ष्य होता था। डर था, तो सिर्फ अपनी माँ का। क्योंकि, करुणा जी सुमित के कई कामो को बीच मे ही छोड़ देने की आदत से परेशान थीं, और अपनी इस आदत की वजह से सुमित अपनी माँ से कई बार डाँट और मार भी खा चुका था। इसलिए अब वो अपने मन की हर बात को, बस अपने तक ही रखता था, और उसके पूरा हो जाने के बाद ही अपने घरवालों को बताया करता था।
मन में दबी कई बातों में से एक थी उसके GAY होने की बात। जो उसने अब तक किसी को नही बतायी थी। और ऐसा कब से था, कैसे हुआ, इस बात का कोई सटीक समय और कोई उदाहरण नही था, जब से होश संभाला, सुमित इस बात से परिचित था कि वो एक GAY है। सुमित के व्यक्तित्व की ये खासियत थी, की अगर वो स्वयं किसी को अपने GAY होने के बारे में नही बताता, तो शायद ही किसी को अंदाज़ा हो पाता इस बात का। सुमित अपने स्कूल का इकलौता लड़का था जिसने BCA में admission लिया था, सुमित के सारे दोस्त engineering करने किसी private college या फिर IIT की तैयारी में लगे थे। और अपने लिए इस फैसले पर सुमित को कोई दुख, कोई अफसोस नही था, क्योंकि उसे अपना लक्ष्य साफ नजर आ रहा था।
College में कहने को तो सुमित की कक्षा में 45 विद्यार्थी थे, लेकिन रोज़ college आने वाला केवल सुमित ही था। college शुरू हुए 1 महीना हो चुका था, लेकिन अभी तक सुमित ने अपनी ही कक्षा के सभी विद्यार्थियों की शक्ल भी नही देखी थी। जिससे वो पहले दिन मिला था, वो सहपाठी भी, 30 दिनों के बाद दोबारा नजर आया था। विधार्थीयों की इस अनियमितता का फायदा वहां के शिक्षक उठाते थे, और आये दिन कोई न कोई बहाना दे कर कक्षा में पडाने भी नही आते थे। सुमित कभी कंप्यूटर लैब, कभी लिब्रेरी, तो कभी college की garden में ही अपनी BCA और CAT की पढ़ाई करता रहता रहता था। कॉलेज खुलने के 2 महीने बाद, सुमित की मुलाकात हुई शिवांश से। और बातों ही बातों में पता चला कि शिवांश भी BCA first year का विद्यार्थी है, और सुमित का सहपाठी। शिवांश एक हसमुख और मिलनसार लड़का था, तो उसे सुमित से दोस्ती करने में ज़रा भी वक़्त नही लगा, और उसने अपने बारे में बताते हुए बताया कि, वो चिरंजीव विहार, ग़ाज़ियाबाद के D ब्लॉक में रहता है, और उसके पापा का एक cyber cafe और tour and travels का buisness है। वो भी वही सब संभालता है, ये BCA तो बस graduation करने के लिए कर रहा है।
शिवांश :- "यार ये पड़ने लिखने का मेरा कोई खास मन तो नही, जब मुझे पता ही है, की मुझे अपने पापा का बिज़नेस ही संभालना है, ये तो बस इसलिए कर रहा हुँ, ताकि कल को कोई पूछे तो बात तो सकूँ की graduation की हुई है।"
सुमित :- "बात तो आपकी ठीक है, लेकिन अब जब कर ही रहे हो, तो अच्छे से मन लगा के कर लो। ताकि कल को कोई graduation के marks पूछे, तो गर्व से बता तो सको। वरना distance learning से कोई भी course कर लो।"
शिवांश :- "यार कबसे बोल रहा हूँ, आप-आप करके मत बात कर, we are friends now, और बात तो तेरी सही है, लेकिन हालत देख तो रहा है college की, यहां कोई पडाने को ही तैयार नही है, तो college आकर भी क्या करें।"
सुमित :- "नही ऐसा नही है, तुम आओ तो teachers को भी आना पड़ेगा। और ये तो अच्छा है कि तुमने BCA में admission लिया है, ये course तुम्हारे बिज़नेस में भी तुम्हारी मदद ही करेगा।"
शिवांश :- "हाँ यार, तेरी बात में दम तो है, चल मैं कोशिश करूंगा college आने की, और अगर कोई teacher नही आया तो तू ही पड़ा देना।"
अपना कॉलेज का सारा समय उस दिन दोनो साथ मे ही बिताते हैं, और इतनी सी देर में हीं, एक दूसरे की schooling और families की बातें भी हो ही जाती है। और घर जाते वक्त शिवांश, सुमित का मोबाइल नंबर भी ले लेता है। शिवांश घर आकर सबसे पहला काम सुमित को facebook पर search करके उसे friend request भेजने का ही करता है। यूँ तो शिवांश bisexual है, लेकिन दिखता खुद को strieght ही है, और लड़कों के साथ समय बिताना, उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना उसे पसंद तो बहुत है, लेकिन इन सभी भावनाओ को मात्र enjoyment का नाम देकर वो बस LGBT समुदाय के tag से बचना चाहता है। खुद को bisexual बोल कर, खुद की मर्दानगी कम होने की भावना से बचना चाहता है। पड़ोस की एक लड़की के साथ भी friendship है, और उसके साथ भी शारीरिक संबंध है। घंटों घरवालों से छुपकर, फ़ोन पर बातें भी होती है, और तोहफों का आदान प्रदान भी किआ जाता है। लेकिन इस रिश्ते को भी प्यार का नाम देने से डरता है। असल में अपने मन की सभी सच्ची भावनाओ को दबाकर cool dude बनने की कोशिशों में लगा रहता है।
घर आकर सुमित ने facebook खोला तो, लेकिन सुमित व्यास के नाम वाला नही, सैमी शर्मा के नाम का फेक एकाउंट। ये सुमित का ही एक दूसरा facebook account था, जो वो अपनी GAY fantasies पूरी करने के लिए चलता था। इस एकाउंट पर सुमित के कई सारे GAY friends थे, जिनसे वो कई सारी बातें भी किआ करता था, लेकिन वो अभी तक मिला किसी से भी नही था। कई friends तो ग़ाज़ियाबाद के भी थे, जो मिलने की ज़िद भी किआ करते थे, लेकिन सुमित बड़े ही अच्छे तरीके से, कुछ न कुछ बहाना देकर उन्हें टाल दिया करता था। सुमित वेसे तो facebook कम ही चलाता था, क्योंकि माँ की इजाज़त के बिना, आज भी दोनो बच्चों का laptop लेना वर्जित था। लेकिन जब भी समय मिलता था, सुमित बड़ी ही सावधानी से अपना ये एकाउंट जरूर देखा करता था। ये एकाउंट जरूर नकली था, लेकिन यहां सुमित की भावनाएं, उसकी इक्छाये, उसके जज्बात, सब असली थे। और एक वो असली एकाउंट भी था, जहां हर वक़्त एक बनावटी सुमित रहता था। laptop रखने से पहले,सुमित ने अपना असली अककॉउंट भी open किआ, जहां उसे शिवांश की friend request मिली, जिसे उसने accept कर लिया।
समय के साथ शिवांश और सुमित की दोस्ती भी बढ़ती गयी, और अब जब भी स्मिता कॉलेज नही आती या उसे देर से घर जाना होता, तो सुमित शिवांश के साथ ही राज नगर एक्सटेंशन तक उसके साथ, उसकी bike पर ही आता था। और देखते देखते ही first year के exam भी आ गए। और इन दिनों शिवांश पहली बार सुमित के घर भी आया, उससे पड़ने के लिए, और फिर ये सिलसिला भी आम हो गया। अब तो शिवांश कभी भी सुमित के घर आ जाता था, सुमित के घरवाले भी शिवांश से परिचित हो चुके थे, और कभी कभी सुमित भी शिवांश के घर चले जाया करता था। बाकी सारे exam तो अच्छे से बीत गए, और सुमित के पडाने के कारण ही शायद, शिवांश भी बेहद खुश था, क्योंकि उसके exam भी काफी अच्छे गए थे। बस एक ही exam बाकी रह गया था, math का। और करुणा जी ने दोनों बच्चों को math में मदद का वादा भी दिया हुआ था। math के exam में अभी 2 दिन बाकी थे, शिवांश एक दिन पहले ही, रात के समय पहुंचा सुमित के घर, और करुणा जी भी दोनो को पढ़ाने लगी। लेकिन पढ़ाई खत्म होने तक रात के 11:30 हो गए थे।
करुणा जी :- (जमाई लेते हुए) "चलो बच्चो अब बाकी के chepters कल कर लेंगे, मुझे तो अब बहुत नींद आ रही है। और शिवांश बेटा, तुम भी घर निकलो, ज्यादा रात करना भी सही नही है।"
शिवांश :- "जी आंटी!! वो आज पापा थोड़े busy थे, तो cyber मुझे ही संभालना पड़ा, इसलिए आज थोड़ी देर हो गयी। काल मैं जल्दी आ जाऊंगा।"
बाहर आकर देखा तो शिवांश की bike ही पंचर हो गयी थी, और इतनी रात में पंचर बनाने वाला भी कोई नही मिलता।
करुणा जी :- "अब पहले तो शिवांश तुम अपने घर फ़ोन करके उन्हें बात दो की आज रात यहीं रुकोगे, रात बहुत हो गयी है, वो लोग भी तुम्हारी राह देख रहे होंगे। तुम फ़ोन करो, तब तक मे तुम्हारा बिस्तर सुमित के कमरे में ही लगा देती हूँ।"
रात को जब सुमित अपने laptop पर अपना नकली facebook account चला रहा था, तो शिवांश ने चोरी छुपे देख लिया। और उस एकाउंट से शिवांश को कुछ समझ तो आ गया, लेकिन तब तो वो चुप रहा, लेकिन उसके दिमाग मे कई सवालों - जवाबों का सिलसिला चलने लगा। वो सुमित के बारे में खुद से ही सवाल भी करने लगा, और खुद को ही जवाब भी देने लगा। इन सवालों जवाबों का निष्कर्ष यह निकला कि, शिवांश को सुमित की असलियत तो पता चल गई थी, लेकिन वो अभी भी confuse था, की सुमित gay है, bisexual है, या बस युही time paas के लिए इस तरह का एकाउंट चला रहा है। अब वो सुमित से इस बारे में पूछना तो चाह रहा था, लेकिन पूछे कैसे, ये उसे नही समझ आ रहा था। और वेसे तो सुमित भी अपना नकली facebook account चलाते समय एहतियात रखता था, और उसने आज भी facebook खोलने से पहले शिवांश की तरफ देखा था, लेकिन तब शिवांश आंखे बंद किये कानों में headphone लगाए तेज़ आवाज़ में गाने सुन रहा था। आज सुमित की ज़रा सी लापरवाही ने शिवांश के मन मे कई सवाल खड़े कर दिए थे। अब exam के दिनों में शिवांश की दोस्ती सुमित से पहले से भी ज्यादा गहरी हो चुकी थी, और उसी दोस्ती के सहारे, शिवांश ने सुमित से अपने मन के कई सवालों को जवाब देने के लिए, सुमित से एक सवाल कर ही दिया।
शिवांश :- (कानों से headphone हटाते हुए) "तू GAY है????"
सुमित :- (हड़बड़ा कर laptop बंद करते हुए) "क्या????? क्या बोल रहा है?????"
शिवांश :- "मैंने देखा तेरा फेसबुक!!!"
सुमित :- "अरे नही!!!! क्या बोल रहा है तू भी....."
शिवांश :- (सुमित की बात को काटते हुए) "देख यार अगर तू GAY है भी, तो उससे मुझे कोई दिक्कत नही। तू पहले मेरा दोस्त है। तू मुझे सब सच सच बता सकता है।"
शिवांश ये सब बस, सुमित का सच जानने के लिए कह रहा था। वरना शिवांश LGBT समुदाय के लोगों को देख कर अपना रास्ता ही बदल लेने वाले इंसानो मेसे है। क्योंकि LGBT समुदाय के लोगों को देख कर, उसे खुद की शख्शियत पर ही शक होने लगता था, क्योंकि एक आईना जो आ जाता था सामने। वहीं सुमित के लिए शिवांश के ये शब्द बहुत ही गहरे थे। उसे ऐसा support, अपनी असलियत के लिए, कहीं देखने और सुनने को नही मिला था। और ये उसके मन का डर भी था, की अगर उसकी असलियत सबके सामने आ गयी, तो कहीं सब उससे नफरत ना करने लगें। लेकिन शिवांश के मात्र इन कुछ शब्दों ने ही, सुमित के मन के डर को मिटा दिया था, और उसने अपने GAY होने का सच, शिवांश को बिना हिचके बात भी दिया।
शिवांश तो मानो बस यही सुनने के इंतेज़ार में ही था। सुमित की सच्चाई जानते ही, बिस्तर से उठा, और सुमित को गालियां देकर, और फिर कभी उसकी तरफ देखने को भी मना कर, आधी रात में ही सुमित के घर से अपनी पंचर bike घसीट के ले गया। सुबह सभी ने शिवांश के जाने का कारण जब सुमित से पूछा, तो सुमित ने कोई जरूरी काम आ जाने का बहाना बना दिया। उस दिन शिवांश पड़ने भी नही आया और अगले दिन math का exam भी हो गया, और कुछ दिनों बाद first year का result भी आ गया। सुमित ने अपनी कक्षा में प्रथम और शिवांश ने द्वितीय स्थान भी प्राप्त किया। आखिर सुमित के पढ़ाने का अच्छा असर पड़ा था शिवांश पर। लेकिन सुमित को अनदेखा कर अभी तक कोई बात नही की थी शिवांश ने, और college आना भी बिल्कुल बंद ही कर दिया था। उधर स्मिता ने भी अपनी graduation अच्छे marks से complete कर ली थी, और पूरी तरह जुट गई थी अपने public sector के exam की तैयारियों में। अब सुमित college में पूरी तरह अकेला रह जाता था, पहले तो स्मिता के साथ ही आता जाता था, लेकिन अब ये काम भी उसे अकेले ही करना पड़ता था। एक दिन जब वो college से घर जा रहा था, तभी शिवांश ने अपनी bike से उसका रास्ता रोका और सुमित को साथ चलने को कहा। सुमित पहले तो हिचकिचाया, लेकिन फिर शिवांश की bike पर जाकर बैठ गया।
शिवांश :- (bike start कर आगे बढ़ाते हुए) "यार सुमित!! उस रात के लिए i am really very sorry!!! वो सब अचानक से हो गया बस, मुझे बाद में realize हुआ कि मैने गलत किआ तेरे साथ, लेकिन यार...... I am sorry यार!!! अब तू भी भूल जा उन बातों को, और मुझे माफ़ करदे।"
सुमित :- "It's ok शिवांश!!!! मेरा सच जिस तरह से तेरे सामने आया, तो मैं समझ सकता हूँ तेरे reaction को।"
शिवांश :- "और तेरे घर मे पता है सबको, की तू GAY है??"
सुमित :- "नहीं!!! जैसे तूने react किआ, हो सकता है, वो लोग भी ऐसे ही react करें। इसलिए मैंने अभी तक किसी को इस बारे में बताया नही।"
शिवांश :- "तो तेरा कोई boyfriend भी है???"
सुमित :- "नहीं!!! अभी तक तो नही मिला कोई ऐसा। और मैं बस facebook ही चलता हूं, अभी तक तो मैं मिला भी नही किसी से।"
शिवांश :- "Ok!!! तो कोई girlfriend??? तू pure GAY है, या मेरी तरह bisexual??"
सुमित :- "नहीं यार मेरी कोई girlfriend भी नहीं, मैं pure GAY हूँ........ एक मिनट!!!! मेरी तरह मतलब???"
शिवांश :- (अपनी bike रोड के एक तरफ रोकते हुए) "हाँ यार!! मैं भी bisexual हूँ। मुझे भी तेरी तरह लड़कों में interest है, लेकिन उतना interest मुझे लड़कियों में भी है। मैने अब तक GAYS के बारे में एक अलग ही सोच बना रखी थी, इसलिए मैं खुद को कभी bisexual भी नही मानता था। इसलिए जब तूने उस रात मुझे अपना सच बताया तो मैं डर गया था, की कहीं मेरा सच भी सामने ना आ जाये। इसलिए मैं गुस्से और डर में तुझे भला बुरा बोलकर वहां से निकल आया। लेकिन फिर जब बाद में मैने तेरे बारे में सोचा, तब मुझे समझ आया कि गलत तू नही, गलत मेरी वो सोच है, जो मैंने GAY'S को लेकर बना रखी है। और मुझे एक अच्छा दोस्त मान के तूने इतनी आसानी से मेरे सामने अपनी feelings को accept कर लिया, और मैने फिर क्या किया तेरे साथ, I am really sorry यार, माफ कर दे मुझे!!" (सुमित को गले लगाते हुए)
सुमित :- "अरे! अरे! It's ok यार! होता है ऐसा, चल कोई बात नही!!"
शिवांश :- (सुमित से अलग होते हुए) "एक बात बता?? तू अपने घरवालों को कभी भी नही बताएंग क्या?? और उन्होंने तुझे शादी करने को कहा तो??"
सुमित :- "अरे तू भी कहाँ इतनी जल्दी मेरी शादी तक पहुंच गया, और हां कभी न कभी तो बताना ही पड़ेगा घरवालों को, फिर चाहे वो मुझे accept करें या नहीं, लेकिन मुझे अपने closet से बाहर तो आना ही पड़ेगा कभी।"
शिवांश :- "हाँ सही है यार! लेकिन मेरे घर मे तो कभी भी इस बारे में नही पता चलना चाहिए। वरना मेरे पापा तो लात मार के मुझे घर से भगा ही देंगे। और वेसे भी, मैं तो शादी करूँगा ही, एक सुंदर सी लड़की के साथ।"
दोनों हंसते मुस्कुराते वहां से निकल जाते है। शिवांश इसलिए खुश था, क्योंकि आज खुद के बारे में accept करके वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। और वहीं सुमित इसलिए कि अब कम से कम कोई तो था, जिसके सामने एक नकली मुखौटा पहनने की जरूरत नही थी। दोनों ही एक दूसरे का सच सुन कर, और एक दूसरे को accept कर के खुश थे, और ये खुशी आगे भी ऐसे ही बरकरार रही। अब तो शिवांश सुबह ही सुमित के घर पहुंच जाता था, नाश्ता भी वहीं कर, सुमित को bike पर बैठा, कॉलेज ले आता था। सारा दिन दोनो कॉलेज में साथ बिताते, पड़ते लिखते, हंसी मजाक करते। और कभी कभी college ना जाकर, किसी सिनेमाहॉल में film भी देख आते। शाम को इधर उधर घूम फिर कर, सुमित को घर छोड़ने के बाद ही शिवांश और सुमित का दिन खत्म होता था। ये सिलसिला अगले पूरे साल, ऐसे ही चलता रहा। उधर साल भर की कड़ी मेहनत के बाद, स्मिता का selection SBI Bank PO में हो गया था, और 8 महीने की ट्रेनिंग के लिए उसे noida का ही एक ट्रेनिंग सेंटर भी मिल गया था। घर मे एक खुशी का माहौल था, स्मिता जो करना चाहती थी, उसने वो पा लिया था। और वहीं सुमित के second year के exam भी नज़दीक आ गए थे। इस बार भी, शिवांश को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी सुमित के सर ही थी, लेकिन Math के लिए तो दोनों ही करुणा जी पर निर्भर थे।
इस बार फिर math पड़ने के लिए शिवांश, सुमित के घर आया, इस बार तो bike पंचर न होने पर भी, उसने रात वहीं रुकने को कहा। जिसको बिना किसी विरोध के मान भी लिया गया। रात को सोने से पहले, शिवांश और सुमित साथ मे, सुमित का वो नकली facebook एकाउंट, देखने लगे, और कई लोगों से chat भी करने लगे। मस्ती मजाक में शिवांश, कई लोगों से उनकी nude photo भी मांगने लगा, और कई लोग तो उसे अपनी फोटो भी दिखने लगे। लेकिन सुमित ने इस बात के लिए, शिवांश की डाँट भी लगाई, और laptop बंद कर उसे सोने को भी कहा। शिवांश ने बड़े ही प्यारे अंदाज़ में sorry बोलते हुए सुमित को गले से लगा लिया, और सुमित भी इस बात को हंसी में टाल गया। लेकिन शिवांश का इस बार सुमित को गले लगाना थोड़ा अलग था, थोड़ा अजीब सा था। इस बार शिवांश के गले लगने पर, एक अलग सी अनुभूति सुमित को भी हुई, और उसने खुद को शिवांश से अलग किआ। और अलग होते हुए, शिवांश ने सुमित को kiss करने की कोशिश की। जिसे सुमित ने शिवांश को खुद से ज़ोर से अलग करते हुए रोका।
सुमित :- "क्या कर रहा है???"
शिवांश :- "जैसे तुझे नही पता!!!"
सुमित :- "हाँ तो ये क्यों कर रहा है???"
शिवांश :- "मतलब???"
सुमित :- "क्या मतलब???? हम सिर्फ दोस्त है, इसके आगे कुछ नही।"
शिवांश :- "हाँ तो मैं कब तुझसे शादी करने को कह रहा हूँ???"
सुमित :- "सो जा चुपचाप, तेरा कुछ नही हो सकता।"
उस रात शिवांश ने जो भी कुछ करने की कोशिश की, वो उसकी सोच की गंदगी थी। और सुमित के व्यवहार ने एक बात तो उसे साफ कर दी थी, की शिवांश जो भी सोच सुमित के लिए बनाए बैठा है, सुमित बिल्कुल वैसा नही है। सुमित के लिए हर रिश्ते की एक मर्यादा और एक अलग ही नज़रिया था। जो धीरे धीरे शिवांश को भी समझ आ गया। और सुमित को इतने करीब से जानने के बाद, शिवांश सुमित की ओर खींचता ही चला गया, और एक अलग ही आकर्षण भी महसूस करने लग गया, जो उसने आज तक किसी के लिए भी महसूस नही किआ था। समय के साथ साथ दोनो की दोस्ती और गहरी होती चली गयी। सुमित के लिए तो बस ये एक दोस्ती ही थी, लेकिन शिवांश के दिल और दिमाग मे सुमित, दोस्त के ओदे से कहीं ऊपर उठ चुका था।
धीरे धीरे दोनो ने अपनी graduation भी complete करली थी, और सुमित ने CAT में अच्छे marks लाकर, Amity University, Noida में scholarship पे MBA में admission ले लिया। यूँ तो CAT की पढ़ाई सुमित ने शिवांश को भी बराबर की कराई थी, लेकिन अब शिवांश के दिमाग मे, सुमित के चेहरे के अलावा कोई और बात अंदर जाने की जगह ही नही थी। तो इसका नतीजा ये निकल की शिवांश, CAT के exam में जरा भी अच्छे marks न ला पाया। लेकिन वो सुमित को छोड़ने को भी राजी नही था, तो उसने भी अपने पापा से ज़िद्द करके, Amity University में donation दे कर MBA में admission ले लिया। अब तो दोनों का साथ और भी ज्यादा गहरा हो गया था। सुबह सुबह ग़ाज़ियाबाद से नोएडा जाना, सारा दिन college में साथ बिताना, और वापस घर आते आते शाम हो जाय करती थी। यूँ तो Amity में सुमित और शिवांश के कई दोस्त बन गए थे, लेकिन सुमित का और लोगों से ज्यादा बात करना या किसी और के साथ समय बिताना, शिवांश को बिल्कुल भी पसंद नही आता था। शिवांश इतनी दूर पड़ने नही, बल्कि सुमित के साथ वक़्त बिताने ही तो आता था, और वो हर वो कोशिश करता था, जिससे वो हर समय सुमित के आस पास रह सके। उसके मन मे अब सुमित का नाम और गहरा हो चला था और पहली बार उसने बिना कुछ सोचे, खुद के और सुमित के रिश्ते को प्यार का नाम दे दिया था। चाहे भले ही केवल अपने मन मे ही, लेकिन उसने ये स्वीकार कर लिया था, की वो सुमित से बेहद प्यार करने लगा है। और उसने अपने प्यार का इज़हार करने की भी कोशिश की, लेकिन बहुत ही एहतियात के साथ, की कही BCA second year की उस रात की तरह कोई गलती न कर बैठे।
शिवांश :- (Amity से वापस ग़ाज़ियाबाद आते समय bike पर) "यार सुमित!! हम लोगों को साथ मे काफी समय हो गया ना?"
सुमित :- "हाँ!!! 3 साल हो गए। क्यों?? आज तुझे कैसे याद आ गया??"
शिवांश :- "बस ऐसे ही। और तेरे बारे में जो मैं जानता हूँ, वो कोई और भी नही जानता!!"
सुमित :- "हाँ!! लेकिन हुआ क्या??"
शिवांश :- "देख तू भी GAY है, और मैं भी। तो क्यों न हम अपनी इस दोस्ती को आगे बढ़ाएं??"
सुमित :- "Hello!!! तू कबसे GAY हो गया?? तू bisexual है, याद है ना?? और यार मैं पहले भी बोल चुका हूं, की हम बस दोस्त है, अब तू इस दोस्ती में कोई और angle मत डाल please!!"
शिवांश :- "यार मैं वो नही बोल रहा!! मैं जानता हूं कि मैं पहले कई गलतियां कर चुका हूं, लेकिन तब मैं नासमझ था, लेकिन अब मैं समझता हूं, तुझे भी और खुद को भी। और क्या bisexual GAY नही होते, क्या हमारा दिल नही होता, क्या हम प्यार नही कर सकते?? मैं तुझसे seriously पूछ रहा हूँ एक relationship के बारे मे। You Wanna be my Chammakchallo forever??"
सुमित :- (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) "शिवांश यार तू बहुत अच्छा इंसान है, लेकिन तू मेरा दोस्त है यार! देख मेरी बात ध्यान से सुन.... तू bisexual है, और I know की तुझे आगे चल कर शादी भी करनी है, अपना परिवार भी बनाना है, लेकिन यार ये सब मेरे लिए नही है। आज नही तो कल मैं अपने घर मे भी अपने GAY होने की बात बता दूंगा। मैं GAY हूँ और GAY ही रहूंगा। तो यार तू ये सब करके मुझसे मेरा इकलौता अच्छा दोस्त मत छीन।"
शिवांश :- (झूंठी हंसी के साथ) "अरे chill यार!! ज्यादा serious मत हो, वो तो मैं बस यूँही try मार रहा था। वो क्या है ना, मेरी पड़ोसन की शादी हो गयी है, तो आज कल मैं बहुत अकेला feel कर रहा था, तो सोचा तुझपे try कर लूं।"
सुमित :- "तू नही सुधरेगा। लेकिन यार सच मे तू ही मेरा एक ऐसा दोस्त है, जो मेरे बारे में सब जनता है, और जिसके आगे मुझे कोई बनावट या झूठ नही बोलना पड़ता। please यार आगे से ऐसा कुछ मत करना। अभी तो बस 3 साल ही हुए हैं, मैं चाहता हूं कि हमारी दोस्ती तो पूरी ज़िंदगी युही बरकरार रहे।"
चेहरे पर तो हंसी लेकिन दिल मे आंसू लिए, आज शिवांश पहली बार, आशिकों के उस दर्द को महसूस कर सकता था, जो आज से पहले उसने कहीं पड़े, देखे या सुने थे। आज सुमित ने केवल शिवांश का pruposal ही नही ठुकराया था, उसका दिल भी तोड़ दिया था। शिवांश ने फिर खुद को तो ये समझा लिया कि सुमित प्यार न सही, लेकिन एक अच्छा दोस्त बन के तो उसके साथ रह ही सकता है, लेकिन वो अपने टूटे दिल को ये कैसे समझता कि , ये दिल जो सिर्फ सुमित के चेहरे पर हंसी देखना चाहता है, उसका साथ पाना चाहता है, उसके दिल मे बस जाना चाहता है, ये सब हो तो सकता है, लेकिन सिर्फ दोस्ती के दायरे में। फिर कुछ समय तो शिवांश को अपने टूटे दिल को संभालने में ही निकल गया, और अभी तो वो सही से अपने गम से उबर भी नही पाया था कि उसके सामने एक पहाड़ सा टूट पड़ा।
सुमित :- (ग़ाज़ियाबाद से Amity जाते वक्त रास्ते मे bike पर) "यार पता है, कल मैं एक बंदे से facebook पर चैट कर रहा था। यार बडा ही sensible लगा मुझे तो वो। हम पता है, सुबह के 4 बजे तक chat ही करते रहे। यार बात करना तो दूर, उसके chat करने का तरीका ही इतना अच्छा है, की मैं खुद को रोक ही नही पाया, उसकी तरफ attract होने से।"
शिवांश :- (आश्चर्य में bike एक तरफ अचानक रोक कर) "क्या??? तुझे उससे प्यार हो गया??? उस दिन तो मुझे बड़ी बड़ी बातें दे रहा था, लेकिन अब बिना मिले, बिना जाने पहचाने ही उसके प्यार में पड़ गया??"
सुमित :- (हंसते हुए) "पागल है क्या??? मैने कब बोला प्यार??? मैं तो कह रहा हूँ कि उसके chat करने का तरीका ही बहुत पसंद आया मुझे। और तुझे क्या हो गया?? Bike रोक के क्यों खड़ा है???"
शिवांश :- (Bike start करते हुए) "हाँ तो ऐसे बोल न!! मुझे लगा कि तुझे उससे प्यार हो गया। और क्या क्या बाते की तूने?? फ़ोटो देखा उसका?? फ़ोन नंबर लिया??"
सुमित :- "सच मे ही पगला गया है क्या??? पहली ही chat में कोई ये सब मांगता है क्या??? तू भी ना!!"
शिवांश :- "फ़ोटो ली नही, नंबर लिया नही, तो 4 बजे तक क्या बात कर रहा था तू उस से??"
सुमित :- "यही तो उसका जादू था यार। बातें तो ऐसी कोई खास नही हुई, लेकिन फिर भी वो मुझे बंधे रखा इतनी देर। और पता है, वो हमारे ही college में है MBA final year में।"
शिवांश :- (फिर से bike रोक कर) "क्या?? Senior??? तुझे बुड्ढे लोग पसंद आते हैं क्या??? तो पहले बताना था न, मैं final year में admission ले लेता।"
सुमित :- "तू सच मे ही पागल हो गया है। क्या बकवास करे जा रहा है। और 1 या 2 साल बडा, बुड्ढा नही होता। और तू ये बार बार bike क्यों रोक रहा है??? College पहुंचने में देर हो जाएगी।"
उस दिन सुमित ने साफ लफ्जों में तो नही कहा था कि उसके मन मे क्या चल रहा है, लेकिन उसके बात करने का अंदाज, उसके बिना किसी बात के मुस्कुराना, उसका वो खुश मिज़ाज व्यवहार, शिवांश को समझने के लिए काफी था, की जिस लड़के के बारे में सुमित बात कर रहा है, वो सुमित के दिल मे एक खास जगह बना चुका है। अब ये जानकर शिवांश को बुरा तो बहुत लग रहा था, लेकिन वो उसके लिए कुछ कर भी नही सकता था। शिवांश ने तो एक पल को ये भी सोच की वो मार पीट कर उस लड़के को सुमित की ज़िंदगी मे आने ही नही देगा, लेकिन शिवांश ने ना तो उस लड़के को देखा था, ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। लेकिन एक बात तो साफ थी, शिवांश सुमित को खुश तो देखना चाहता था, लेकिन किसी और के साथ बिल्कुल नही।
आगे की कहानी क्या मोड़ लेगी, और ऐसा क्या हो जाएगा कि कोई हंसते खेलते सुमित की जान का ही दुश्मन बन जायेगा, जानने के लिए बने रहे सुमित के साथ.......
Lots of Love
Yuvraaj ❤️
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