Friday, August 17, 2018

""मित्र"" Part - II

If you didn't read first part than please go and read the first part than you easily be connected its second part.

    धीरे धीरे समय बीतता गया और शुभ और रेहान भी करीब आते गए और अच्छे दोस्त बन गए। रेहान का caring nature सिर्फ शुभ के लिए था या फिर रेहान था ही एसा, इन सब से शुभ बहुत confuse रेहता था। College, canteen और hostel बस इसी के बीच उनका समय बीत रहा था। Weakends पर hostel के बाहर जाने की भी permission थी, तो weakends पर रेहान और शुभ बाकी के classmates के साथ delhi भी घूम आया करते थे। 
     Ist semester के exam भी खत्म हो चुके थे और IInd semester शुरू होने मे अभी 15 से 20 दिन बाकी थे। सभी students अपने अपने घरों को जा रहे थे, लेकिन शुभ का मन रेहान को छोङ कर जाने का कर ही नहीं रहा था। फिर भी वो मन मार के ग्वालियर आ ही गया। इतने दिनों बाद घर आने के बाद भी वो ज्यादा खुश नहीं था, हर वक्त बस रेहान के बारे में ही सोचा करता था। जब ज्यादा ही रेहान की याद आती थी तो, रेहान को फोन करके इधर - उधर की बातें कर लेता था। रेहान की आवाज ही सुनकर, कुछ वक्त के लिए ही सही, उसे तस्सल्ली मिल जाया करती थी। जैसे तैसे अपना break खत्म कर शुभ तो वापस hostel आ गया, लेकिन रेहान को आने मे अभी एक दिन बाकी था। वो एक दिन उसे एक साल के जैसा लग रहा था। हर 5 मिनट के बाद घङी देखता, फिर अपने फोन मे समय देखता कि कहीं घङी गलत वक्त तो नहीं बता रही। कितनी मुश्किलों से उसने वो समय बिताया, और आखिर रेहान के आने का समय हो ही गया। शुभ तो मानो पागल सा हो रहा था, रेहान के इंतज़ार में, बार बार कमरे की खिङकी से झांक कर देखता, बार बार अपने फोन में रेहान की train का status check करता, और जब रेहान आया, तो शुभ ने अपने सारे होश-ओ-हवास खो कर, भाग कर रेहान को गले से लगा लिया, और बङबङाने लगा..... "पता है कितना miss किया मैने तुम्हे, कितना इंतज़ार कराया है आज तुमने मुझे। अब आगे से कभी मुझे ऐसे छोङ के मत जाना।"

     शुभ की बातें सुन कर रेहान थोङा हैरान तो था, उसने शुभ का ऐसा रूप पेहले कभी नहीं देखा था, और ऐसा अपनापन रेहान ने अपनी अम्मी के अलावा किसी और के लिए मेहसूस भी नहीं किया था। फिर भी शुभ की बातों को नज़रअंदाज करते हुए, रेहान ने शुभ को अपने सीने से अलग किया और कहा..... "हाँ! हाँ! ठीक है, अब अंदर तो आने दे, यहीं दरवाजे पर खङा रखेगा क्या?"

      IInd semester शुरू हो गया था और Ist semester का result भी आ चुका था। रेहान  Ist और शुभ  IInd स्थान पर रहे थे अपनी ब्राँच में। धीरे धीरे सभी अपने अगले exam की तैयारियों में जुट गये। लेकिन एक चीज बिल्कुल बदल चुकी थी, वो था शुभ का रेहान के लिए व्यवहार। शुभ के मन मे रेहान के नाम की चिंगारी अब आग का रूप ले चुकी थी और इसकी गरमाहट रेहान भी मेहसूस कर सकता था। रेहान ने अभी तक अपनी sexuality की तरफ ध्यान तो नही दिया था, लेकिन शुभ का बदला व्यवहार और अपने ऊपर ध्यान दिऐ जाने का एहसास, रेहान को काफी पसंद आ रहा था। Exam से पेहले ही शुभ ने तय किया कि वो अपने मन की बात रेहान को बता देगा। रेहान की तरफ से आने वाले अन्जान जवाब से वो घबराया तो था, लेकिन अपने मन मे रेहान के लिए प्यार को अब दबाए रखने से वो परेशान भी था। Hostel फिर से खाली होने लगा था, होली जो आ रही थी। लेकिन केवल 2 दिन की ही छुट्टी थीं, तो दूर दराज के students ने ना जाने का निर्णय लिया था और रेहान के घर में भी होली खेलते तो थे, लेकिन इतना भी कोई खास उल्लास ना था। रेहान को न जाता देख, शुभ ने भी अपने घर में पङाई का बहाना बना दिया। शुभ ने होली के ठीक पेहली वाली रात को अपने मन की बात रेहान से कह ही दी..... "रेहान! मुझे नही पता कि तुम ये सब सुन कर कैसे react करोगे, लेकिन मैं अब और इस एहसास को अपने मन मे दबा के नहीं रह सकता। I am gay! And I love you! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। मुझे नही पता कि तुम भी gay हो या नहीं, मुझे नही पता कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो या नहीं। लेकिन तुम्हारे साथ ने ही मुझे हिम्मत दी कि मैं अपने मन कि बात तुम से कह सकूं। शुभ की बात सुन कर रेहान एक दम चुप हो गया, उसे समझ ही नही आया कि शुभ ये सब क्या कह रहा है। रेहान की चुप्पी देख कर शुभ बोला..... "मुझे पता है ये सब सुन कर तुम्हें थोङा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही मेरी सच्चाई है और तुम्हारे लिए मेरी feelings भी एक दम सच्ची हैं। मैं अपनी भावनाएँ तुम पर थोपना नहीं चाहता, लेकिन जिस तरह से तुम मेरे साथ रेहते हो, जिस तरह से मेरी care करते हो, जिस तरह से मेरी आँखों मे देखते हो, मुझे लगा कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो। लेकिन please इस बात को अपने दिल पर लेने की कोई जरूरत नही है। अगर तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है, तो कोई जबरदस्ती नहीं है, मैं अपने दिल को समझा लूंगा और तुम भी इस रात को भूल जाओ। मैं तुम्हारे जैसा एक अच्छा दोस्त पाकर ही बहुत खुश हूँ। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, i am sorry."  यह कह कर शुभ अपने पलंग पर लेट गया। रेहान तो बस वहां खङा सोचता ही रहा कि ये सब क्या हुआ। उस रात दोनों को ही नींद नही आई। रेहान सोचता रहा कि क्या जो सब शुभ ने कहा वो सच है? क्या उसे शुभ से प्यार है? क्या वो gay है? और वहीं शुभ ये सोचता रहा कि कहीं वो रेहान की दोस्ती भी ना गवां बैठे। 

    रात में देर से सोने की वजह से शुभ की सुबह आँख ही नही खुली। शुभ की आँख खुली रेहान की अवाज से..... "Happy holi शुभ!!!" शुभ ने आँखे खोली तो रेहान अपने दोनों हांथो से शुभ के गालों पर गुलाल लगा रहा था। शुभ ने उठने की कोशिश की तो रेहान ने उसे उठने नही दिया और बोला..... "मुझे नही पता कि मैं gay हूँ या नहीं। मुझे ये भी नही पता कि जो मैं तेरे लिए मेहसूस करता हूँ वो किसी और के लिए क्यों नहीं। लेकिन अगर ये प्यार है, तो मैं अपनी जिंदगी के पहले प्यार को इतनी आसानी से नही जाने दूँगा। मुझे कोई फर्क नहीं पङता कि मै gay हूँ या नहीं, मुझे इससे भी कोई फर्क नही पङता कि लोग मेरे बारे मे क्या सोचेगें, लेकिन मुझे इस बात से बहुत फर्क पङा है कि तू मेरे बारे मे क्या सोचता है। और आज मे सबको बता देना चाहता हूँ कि Rehan loves Shubh। I love you too." रेहान की ये बात सुन शुभ उसका चेहरा अपने हाथों मे पकङता है और रेहान को kiss करता है। दोनों एक दूसरे कि आँखों मे देख मुस्कुराते हैं और शुभ कहता है.... "किसी को कुछ बताने की कोई जरूरत नही है। लोगो को हमारा प्यार समझ नही आएगा, और मुझे तो बस इस बात कीही बहुत खुशी है कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो।"

    समय बीतता गया और 4 साल कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला। समय के साथ शुभ और रेहान का प्यार भी बहुत गहरा होता गया। 4साल! 4 साल  बहुत लम्बा समय होता है एक दूसरे को समझने, जानने पेहचानने के लिए। अब तक रेहान और शुभ एक दूसरे को अच्छे से जान चुके थे, और केवल एक दूसरे को ही क्यों, रेहान शुभ को अपनी अम्मी और बाकी परिवार से भी मिलवा चुका था, और रेहान भी ग्वालियर अच्छे से घूम चुका था और शुभ के घरवालों के साथ familiar भी हो चुका था। दोनों ने बहुत ही अच्छे accademics के साथ B.Tech पास कर लिया था और Noida के ही HCL Campus में दोनों को बहुत ही अच्छे package पे नौकरी भी मिल गई थी। HCL को चुनने का भी एक कारण यही था कि दोनो को एक साथ अच्छे package मे नौकरी मिल रही थी। रेहान और शुभ का तो Capus Placement में selection हो गया था लेकिन दोनो को joining अलग अलग शहरों मे मिल रही थी, इस लिए दोनों ने HCL को चुना। दोनों ने Noida मे ही एक flat किराए पर ले लिया था और दोनो हँसी खुशी साथ मे रह रहे थे। इन सब के बीच रेहान अपने जरूरी काम को बिल्कुल नहीं भूला था और उसने अपनी पहली salary से एक वकील hire किया और अपने चाचा के ऊपर घर और दुकान के आधे हिस्से के बराबर हक का case चलवाया। रेहान की अम्मी ने उसे ऐसा करने से रोकने की कोशिश की, लेकिन अपने भाई और अब्बू के दबाव मे वो एसा कर नही पाईं। सब कुछ एक सुन्दर कहानी की तरह हो रहा था। लेकिन कहानी मे भी तो twist और drama होता है, तो ये तो शुभ और रेहान की असल जिन्दगी थी। वे दोनों इससे कैसे बच सकते थे।

     हम सब जिस समाज में रेहते हैं वहां के कुछ नियम कायदे होते हैं। जिनका पालन हम सभी को करना होता है। ऐसा ही कुछ रेहान और शुभ के घरवाले कर रहे थे। वे लोग अपने बच्चों की शादी के लिए रिश्ते खोजने लगे थे। पहले के कुछ शुरूआती दिनों मे रेहान और शुभ इन बातों को टालते रहे। वे दोनों जानते थे कि उनके परिवार, उन दोनों के रिश्ते को कभी नहीं अपनाएँगे। लेकिन सभी अपनी हद के दायरों में अपने अपने प्रयास कर रहे थे।दोनों परिवार अपने बच्चों से नाराज भी होने लगे थे क्योंकी उन लोगों के अथक प्रयासों का हर बार एक ही जवाब होता था। 

        एक रात रेहान को बहुत तेज़ बुखार आ गया और वो ठण्ड से कांपने भी लगा। रात को तो शुभ ने उसे बुखार की दवा दे दी, जिससे उसे आराम भी मिल गया था। लेकिन अगली सुबह , रेहान के बहुत मना करने बाद भी शुभ उसे जबरदस्ती hospital लेके गया। डाॅक्टर ने भी Viral की दवा दे दी और blood testing के लिए भेज दिया। उस दवाई से रेहान को कोई भी आराम नही मिला। अगले दिन शुभ रेहान की blood report लेके डाॅक्टर के पास गया और डाॅक्टर ने मलेरिया बता कर दवाईयाँ बदल दी। शुभ ने घर आ कर दोनों की leave application office मे mail कर दी। ये बात रेहान की अम्मी को भी पता चली, और वे रेहान की देखभाल के लिए Noida भी आ गई। वो आईं तो रेहान की देखभाल करने थी, लेकिन उन्हें कुछ करने की कोई जरूरत ही नही पङी। शुभ ने सारी जिम्मेदारी बङी बखूबी उठा रखी थी। रेहान का खाना पीना, दवाईयाँ, नहाना धोना, शुभ को रेहान के लिए ये सब करते देख, रेहान की अम्मी के मन मे ये खयाल भी आया और उन्होंने शुभ से कह भी दिया.... "बेटा जिस तरह से तू रेहान का खयाल रख रहा है ना, अगर तू लङकी होता तो मे धर्म का अंतर भुला कर भी तेरी शादी अपने रेहान से करा देती। बेटा बुरा मत मानना, लेकिन तेरी कोई बहन है क्या??"

      रेहान की अम्मी की बात सुनकर शुभ बहुत जोर से हँसने लगा और बोला..... "नहीं आँटी मेरी कोई बहन नही है। और आप रेहान की बिल्कुल भी फिक्र मत करो, मैं हूँ रेहान के साथ  और उसका पूरा खयाल रखूंगा।"

    इस पर रेहान की अम्मी बोलीं..... "हाँ बेटा! वो तो मैं देख ही रही हूँ । इतना तो मैं भी नही कर पाती जितना तू कर रहा है। लेकिन तू भी वो साथ, वो अपनापन तो नही दे सकता ना जो एक बीवी दे सकती है।"  इतने मे ही रेहान के खाँसने की आवाज आती है और शुभ उसे देखने उसके कमरे मे चला जाता है। वहीं रेहान की अम्मी शुभ के कमरे मे अकेली रेह जाती हैं , तो वो कमरे कि दीवारों पर लगी तस्वीरें देखने लगती हैं। 

     मैं आपको रेहान और शुभ के लिए flat के बारे मे बताना तो भूल ही गया। ये लोग 2BHK flat मे रेहते हैं, और घर को अपने मन मुताबिक रंगों से सजा रखा है। वैसे तो दोनों साथ मे ही एक ही कमरे में सोते हैं, लेकिन जब भी दोनों के परिवारों से कोई आता है, तो अलग अलग कमरे मे रेहते हैं। जैसा अभी रेहान की अम्मी के आने पर कर रहे थे। Romantic पलों की यादों के कई फोटो उनके घर की दीवारों और मेजों पर देखे जा सकते थे, लेकिन रेहान की अम्मी के आने कि खबर से ही, ऐसी सारी फोटो को शुभ के कमरे की अलमारी मे छुपा दिया गया था और अंजाने मे वे सारी तस्वीरें रेहान की अम्मी के हाँथ लग गईं।शुभ जब वापस अपने कमरे में आया और अम्मी के हाँथों मे वो सभी तस्वीरें देख के सकपका गया। उसने तुरंत रेहान की अम्मी के हाँथों से वो तस्वीरें छीनी और बोला..... "अरे आँटी ये सब तो बस बेकार चीजे हैं, फेकने के लिए यहा रखी हुई हैं।"  शुभ सारे फोटो समेट कर अलमारी बंद कर देता है और दूसरा काम करने का नाटक करने लगता है, वो ये जताना चाह रहा था कि ये सब एक मामूली सी बात है। लेकिन रेहान की अम्मी अभी भी अलमारी के पास खङी होकर सब समझने की कोशिश कर रहीं थीं। शादी के इतने सारे रिश्ते रेहान क्यों ठुकरा रहा था, अब वो समझ चुकी थीं। 

     वो धीरे से बिस्तर के एक कोने मे बैठ गईं और रेहान और शुभ के रिश्ते को समझने की कोशिश करने लगीं। शुभ चोरी छुपे अम्मी को बार बार देख भी लेता था और किसी काम मे मशरूफ होने का नाटक भी कर रहा था। "मुझे रेहान के लिए दूध गर्म करना है, मैं 2 मिनट मे आता हूँ आँटी"  ये बोल कर शुभ वहां से जाना चाह रहा था और जाकर रेहान को सब बताना चाहता था। लेकिन रेहान की अम्मी ने उसे रोक दिया और वे बोलीं..... "क्या जो मैं सोच रही हूँ वो सच है???" अम्मी की बात का उत्तर शुभ ने एक झूठी हँसी के साथ दिया......"क्या?? क्या आँटी??? आप किस बारे मे बात कर रहीं हैं???"

       रेहान की अम्मी ने गुस्से से शुभ की ओर देखा और बोला..... "मैं तुम्हारे और रेहान के रिश्ते के बारे मे पूछ रही हूँ। आखिर क्या रिश्ता है तुम्हारा मेरे बेटे के साथ?? ये एसी तस्वीरें क्यों हैं यहां??  जो एक माँ, एक बीवी से भी बङकर तुम रेहान का खयाल रखे हुए हो??"  रेहान की अम्मी कुछ और बोले इससे पेहले शुभ बोला.... "आँटी आप कुछ ज्यादा ही सोच रहीं हैं इस बारे में। मैं और रेहान बहुत अच्छे दोस्त हैं।"   शुभ की बात सुन कर रेहान की अम्मी बोली....  "दोस्ती और प्यार के रिश्ते मे अंतर करना जानती हैं मेरी आँखें। मैने जब तुम्हें रेहान का खयाल रखते देखा, उसकी छोटी से छोटी जरूरतों का खयाल रखते देखा, मैं तभी समझ गई थी कि तुम रेहान को दोस्त से बङकर मानते हो। लेकिन अब ये तस्वीरे देख कर तो मैं रेहान का भी मन पङ सकती हूँ।"    अम्मी की बात सुनकर शुभ बस सर झुकाए खङा था। रेहान की अम्मी भी खङी हुईं और शुभ के सामने अपना आंचल फैला कर बोली.... "मुझे मेरा बेटा लोटा दे बेटा!! मुझे मेरा रेहान लौटा दे!!" और वो रोने लगीं। शुभ ने उनका हाँथ पकङा और बोला.... "आप ऐसा क्यों बोल रही हो आंटी?? रेहान आपका ही बेटा है और मैं उसे आपसे दूर नहीं कर रहा हूँ।" शुभ ने अम्मी के आँसू पोंछते हुए कहा।

      "तू उसे मुझसे नहीं उसकी खुशियों से दूर कर रहा है। वो तेरे कारण ही शादी नहीं कर रहा। अगर तू उसे नहीं छोङेगा तो वो अपना घर परिवार कैसे बसा पाऐगा।"  रेहान की अम्मी ने वापस बिस्तर पर बैठते हुए कहा।

      शुभ वहीं उनके पास जमीन पर बैठ गया और हाँथों पर हाँथ रख कर बोला.... "आँटी हम दोनो एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। रेहान केवल मेरी वजह से शादी करने से मना नहीं कर रहा है आँटी, हम दोनों gay हैं। अगर आप उसकी शादी किसी लङकी से करा भी दोगे, तब भी वो खुश नहीं रेह पाऐगा। रेहान की सारी खुशी मुझमें और मेरी सारी खुशी रेहान मे है आँटी।" 

    शुभ का हाथ झटकते हुए रेहान की अम्मी ने बोला.... "खुशी!!!!? इसे खुशी नहीं हवस कहते हैं बस! आदमी को असली खुशी बस उसकी पत्नी ही दे सकती है, उसके बच्चे दे सकते हैं, उसका परिवार दे सकता है। तू देगा उसे वो खुशी???? तू देगा उसे बच्चे???? और समाज???? क्या कहेंगे लोग???"

    शुभ रोंआंसा सा होकर बोला..... "आँटी शादी करना, बच्चे पैदा करना ही तो बस खुशी ही नही होती ना? भले ही हमारे बच्चे नहीं होंगे, लेकिन हम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा खुश तो रहेंगे। आँटी हमें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पङता की लोग हमारे रिश्ते को अपनाऐंगे या नहीं। हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और वही हमारे लिए  काफी है। हम दोनों एक दूसरे के बिना नहीं जी सकते।"

       गुस्से  में रेहान की अम्मी खङे होकर बोली.... "तुम्हे क्यों फर्क पङेगा की कोई क्या सोचता है, क्योंकी अभी तो तुम्हारी आँखों पर इस झूठे प्यार की पट्टी बंधी है, अभी तो जवान खून की गर्मी है, हवस में डूबे हुए हो। लेकिन आगे चल कर क्या भविष्य है तुम्हारा?? रेहान का एक छोटा भाई भी है, उसके ऊपर क्या असर पङेगा। लोग तो उसे जीने नहीं देंगे, और तुम्हारे कारण उसका भी घर नहीं बस पाऐगा। मेरे दोनों बेटों का जीवन बर्बाद हो जाऐगा सिर्फ तुम्हारे कारण।"

      शुभ बस वहां खङा रोता रेहता है, उसके पास ऐसे कोई शब्द नहीं है जिनसे वो रेहान की अम्मी का गुस्सा ठण्डा कर सके। रेहान की अम्मी शुभ की ओर मुङती हैं और बहुत प्यार से उसके आँसू पोंछकर, उसका हाँथ अपने  सर के ऊपर रख कर कहती हैं...... "मेरे बेटे को छोङ दे शुभ। चले जा उसकी जिन्दगी से। जीने दे मेरे बेटे को। मैं अकेली माँ हूँ बेटा, मैने अकेले पाला है उसे। अगर वो तेरे साथ रेह गया तो लोग मेरी परवरिश को गाली देंगे। हमारी छोटी सी दुनियां तबाह हो जाऐगी। मैं तेरे हाथ जोङती हूँ बेटा। तुझे मेरी कसम, निकल जा उसकी जिन्दगी से, छोङ दे मेरे बेटे को शुभ! छोङ दे उसे!!"

     शुभ ये सुनकर हङबङाकर रेहान की अम्मी के सर से अपना हाँथ खींच लेता है। अपनी आँखों मे सैलाब लिऐ, फिर भी खुद को संभाले, रेहान की अम्मी को  बिस्तर पर बैठाते हुए कहते है.... "मैं आपकी सारी बातें समझता हूँ आँटी और आपकी सारी बातें मानने को भी तैयार हूँ। लेकिन मैं रेहान को कैसे छोङ सकता हूँ। मैं रेहान से बहुत प्यार करता हूँ आँटी और रेहान भी मुझसे उतना ही प्यार करता है। हम दोनों मर जाएँगे आँटी एक दूसरे के बिना।Please हमें अलग होने को मत कहिऐ, बाकि आप जो भी कहेंगी मैं बिल्कुल वैसा ही करूँगा।" ये केहते हुए, रो कर शुभ अपना सर रेहान की अम्मी की गोद में रख देता है।

     रेहान की अम्मी शुभ का सर अपने हाँथों मे उठाकर, उसकी आँखों मे देखकर बोलती हैं..... "अगर तू रेहान को नहीं छोङेगा, तो मैं अपनी जान दे दूंगी। अपने दोनों बेटों का जीवन बर्बाद होते हुए तो नहीं देखा जाएगा मुझसे। अब तू सोचले कि तू रेहान को छोङेगा या मेरी मौत का कारण बनेगा।"  और वो वहां से उठ कर जाने लगती हैं। 

     शुभ खङा होता है और उनहें रोक कर बोलता है..... "आँटी हम दोनों एक दूसरे को सच्चा प्यार करते हैं, ये कोई हवस नहीं है। हम एक दूसरे के साथ बेहद खुश हैं। लेकिन मैं इतना भी खुदगर्ज नहीं कि अपने प्यार के लिए किसी की कुर्बानी सेह लूँ। मैं आपकी बात मानने को तैयार हूँ, मैं छोङ दूगां रेहान को, चला जाउंगा उसकी जिंदगी से। लेकिन मुझे थोङा समय चाहिए एसा करने के लिए।"  ये शब्द तो शुभ के मुँह से निकल रहे थे, लेकिन उसकी आँखों से निकलते आँसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि उसका दिल कितना दुख रहा है, ये सब कहते हुए। लेकिन शुभ की परवरिश उसे किसी को दुखी करने की इजाजत नहीं देती है, इसलिए उसने अपने दिल की आवाज को अनसुना कर दिया था। 

      शुभ की बात सुनकर रेहान की अम्मी खुश होकर मुस्कुराते हुए उसके पास आकर उसे गले लगा लेती हैं और कहती हैं...... "शुक्रिया बेटा!! शुक्रिया!! तुझे जितना समय लेना है लेले, लेकिन मेरे बेटे को छोङ दे। तू नहीं जानता, तूने ये कह कर ही मुझे कितनी खुशी दी है। मैं तेरा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगी।"

     शुभ रेहान की अम्मी को खुद से दूर करके कहता है..... "मैं आपसे वादा करता हूँ कि मैं खुद को रेहान से दूर कर दूँगा, मेरे होने, ना होने की खबर तक रेहान को नही होने दूँगा। आप मुझे तो रेहान से दूर कर देंगी लेकिन उसके दिल से मुझे कैसे निकाल पाएँगी। उसकी यादों से कैसे मुझे निकाल पाएँगी। मुझे अपने साथ ना पाके जब उसका दिल टूटेगा, तो आप उसे कैसे संभाल पाएँगी। आप चाहे भले ही रेहान की शादी ही क्यों ना करा दें, लेकिन वो मेरे बिना खुश नहीं रेह पाऐगा। मुझे रेहान से दूर करके, उसके मन के मौत की जिम्मेदार आप होंगी। आप हमें एक दूसरे से चाहे जितना अलग करने कि कोशिश करलें,  मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है, रेहान का दिल सिर्फ मेरे लिए ही धङकेगा, और मेरा रेहान के लिए। और हमारे दिल से आप हमे कभी नही निकाल पाऐंगी।" ये कह कर शुभ वहां से रोते हुए चला जाता है।शुभ की आँखों मे रेहान के लिए इतना गहरा प्यार देख कर रेहान की अम्मी स्तब्ध खङी रह जाती हैं और शुभ को जाते हौए देखती रेहती हैं।

     कुछ दिनों बाद रेहान की तबियत बिल्कुल ठीक हो जाती है और रेहान और शुभ office जाना भी शुरू कर देते हैं। रेहान की अम्मी भी कानपुर वापस जाने  की तैयारी करने लगती है। रेहान भी कई सारे तोहफे अपने छोटे भाई और बाकी घरवालों के लिए ले आता है और अपनी अम्मी की पैकिंग मे मदद करने लगता है। रेहान की अम्मी रेहान से बोलती हैं..... "चल बेटा मेरी तो सारी तैयारी हो गई, अब तू भी जल्दी से कानपुर आजा और भाईजान ने जो दो तीन रिश्ते देख रखे हैं, उनमे से लङकी पसंद करके तू भी शादी के बंधन में बंध जा।"

    इस पर रेहान बोला..... "अम्मी कितनी बार आपको बोला है कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है। आप और मामूजान बिल्कुल भी परेशान ना हो, मुझे जब शादी करनी होगी तब मे बता दूंगा। वैसे भी आज कल काम का बहुत बोझ  है। अब शुभ को ही देख लो अम्मी, काम की वजह से इतना परेशान है, कि किसी से सही से बात भी नहीं कर पा रहा है। उसके घरवालों का भी बार बार मेरे पास ही फोन आ रहा है।"

     शुभ का नाम सुनते ही रेहान की अम्मी झुंझलाते हुए बोली...... "अरे शुभ से हमे क्या लेना देना। मुझे तो बस अपने बेटे से मतलब है।  मैं तो अपने बेटे की खुशी के बारे मे सोचूगी, ना कि किसी और की परेशानी के बारे में।"

    अपनी अम्मी की बात सुनकर रेहान थोङा दंग रह गया। उसने आज तक अम्मी को किसी के भी बारे में इस तरह बोलते नहीं सुना था। रेहान ने उनसे बोला.... "आप कैसे बात कर रही हो अम्मी, शुभ कोई भी नहीं है, मेरा दोस्त है, मेरी जान है।"

    अम्मी ने बात पलटते हुए कहा.... "हाँ!! हाँ!! ठीक है, शाम को ट्रेन है मेरी और अभी खाने के लिए भी कुछ बनाना है।"

    इस पर रेहान मुस्कुराते हुए बोला.... "इसकी चिंता मत करो, शुभ ने आपके पसंदीदा आलू के पराठे बना दिए हैं, बस पैक करना बाकि है। और taxy को भी book कर दिया है जो शाम को समय पर आ जाऐगी। देखा अम्मी इतना तो आपकी बहू भी नही करेगी। Office के बाद सारा घर शुभ अकेले ही संभालता है।"

    रेहान की बात सुन अम्मी खिसियानी हँसी लिऐ बोली.... "कितनी भी औरत बनने की कोशिश कर ले वो, लेकिन कभी औरत नहीं बन सकता।"

    आज तो रेहान अपनी अम्मी का ये रूप देखकर काफी हैरान था "अम्मी आपको हो क्या गया है, आप इस तरह से क्यों बात कर रही हैं??"

    इस बार फिर अम्मी ने बात टाल दी और अपने बाकी के कामों में लग गईं। शाम को ट्रेन का समय भी हो चला था, और शुभ ने जो cab book  की थी वो भी नीचे आ गई थी। रेहान भी अम्मी के साथ जाने वाला था, अम्मी को स्टेशन छोङने और उसने शुभ को भी साथ चलने को कहा, लेकिन शुभ ने थके होने का कारण दिया, और रेहान भी कई दिनों से शुभ को परेशान भी देख रहा था, तो उसने साथ चलने कि जिद भी नहीं की। अम्मी के जाते वक्त शुभ ने पैर छुए और अम्मी ने भी शुभ को गले लगा लिया और धीरे से उसके कान मे बोलीं..... "मेरे बेटे का अब तक खयाल रखने के लिए शुक्रिया। मुझे उम्मीद है कि तुम्हें अपना वादा याद होगा और तुम जल्द ही उस पर अमल करोगे।"

   शुभ ने भी बिना कुछ बोले हाँ में सर हिला दिया। लेकिन रेहान जिसे कुछ सुनाई नहीं दिया था, बोला.... "ये क्या काना फूसी हो रही है?? अम्मी!! कहीं मेरी बुराई तो नहीं कर रहीं शुभ से?"

     इस पर अम्मी मुसकुरा कर बोली.... "बुराई करे तेरे दुश्मन!!! मैं तो शुभ को कह रही थी कि वो तेरी खुशियों का खयाल रखे।"

    और वो दोनो flat से निकल गए और शुभ अकेला रह गया। शुभ दरवाजा बंद करके पलटा ही था कि, रेहान ने दरवाजा खोला और शुभ को पीछे से पकङ कर अपनी बाहों मे भर कर बोला..... "I love you jaan! इतने दिनों से तुम्हें गले लगा कर i love you बोलने का मौका ही नहीं मिल पाया। और बहुत बहुत thanks मेरी अम्मी का इतना खयाल रखने के लिए। अब तो अम्मी भी तुमसे बहुत खुश हैं, इस बार जब मै कानपुर जाऊँगा, तो अम्मी को हमारे रिश्ते के बारे मे जरूर सब बता दूंगा। अब और दिन इंतजार करना ठीक नही रहेगा, वरना पता नही अम्मी और कितनी लङकियों की तस्वीरें इक्खट्टी करती रहेंगी। मैं यूं गया और यूं आया अम्मी को ट्रेन मे बैठा कर। ok!i love you!"

    रेहान बस शुभ को गले लगाने और i love you केहने के लिए ही वापस आया था, और कह कर चला भी गया। लेकिन उसने शुभ के आँसुओं को नही देखा, जो बिना रुके बहे चले जा रहे थे। अगर वो शुभ को अपनी तरफ पलट देता, तो शायद वो ना होता जो होने जा रहा था। रेहान ने शुभ की उस मायूसी को नहीं समझा, जो उसे छोङकर जाने के खयाल से ही शुभ के चेहरे पर कई दिनों से घर किए हुई थी। रेहान ये नहीं जानता था कि उस दिन एक नहीं दो सवारियां स्टेशन गईं थी। पैकिंग सिर्फ अम्मी की नहीं , शुभ की भी हो चुकी थी। और ये उसकी आखिरी मुलाकात थी जो वो शुभ से करके गया था। इन सब से अन्जान जब रेहान अम्मी को रवाना कर वापस घर आया तो उसने hall की मेज़ पर एक खत रखा हुआ पाया। खत को हाँथ मे लेकर उसने शुभ को आवाज भी लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। और उसने खत पङना शुरू किया। 



"Dear Rehan,
     अगर तुम ये खत पङ रहे हो, तो इसका मतलब है कि मैं इस घर से, इस शहर से और तुम्हारी जिन्दगी से जा चुका हूँ। Please मुझे गलत मत समझना और मुझसे नफरत मत करना, मैं ये हमारे परिवारों की खुशी के लिए कर रहा हूँ। तुम अच्छे से जानते हो कि हमारे रिश्ते को हमारे घरवाले कभी भी नही अपनाऐंगे। अगर हम उन्हें बता भी दें, और वो लोग हमें हमारे तरीके से रहने की अनुमति भी दे दें, लेकिन फिर भी हम उन्हें वो खुशी कभी नही दे पाऐंगे, जिसकी उन्हें हमसे उम्मीद है। अपने परिवारों को दुखी रख कर हम कैसे अपनी दुनियाँ सजा सकते हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि हम अपने रास्ते अलग कर लें, और अब वक्त आ गया है कि अब हम अपने बारे मे ना सोच कर अपने परिवार वालों की खुशी के लिए कुछ करें। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, और अगर ये सब बात मे तुम्हारे सामने करता तो शायद तुम मुझे कुछ समझाते और मैं वो समझ भी जाता, और तुमसे दूर कभी भी ना जा पाता। इसलिए मैने यही रास्ता सही समझा। मैं जानता हूँ, तुम्हें बहुत दुख होगा, मुझ पर बहुत गुस्सा भी आऐगा, लेकिन ठण्डे दिमाग से सोचना, तो तुम्हें मेरा ये फैसला सही लगेगा। Please मुझपे ज्यादा गुस्सा मत करना, मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे अपनी कङवी यादों में सहेज कर रखो। हमने जो वक्त साथ बिताया, वो मेरी जिन्दगी का सबसे प्यारा समय था, और मै जानता हूँ कि तुम भी यही मेहसूस करते हो, तो इस वक्त को बस एक हसीन सपना ही समझो, और मुझे भी इन हसीन यादों का हिस्सा बने रेहने देना। मैने तुम्हारी अलमारी सही से लगा दी है, तो दो या तीन हफ्ते तुम्हे कोई परेशानी नही आऐगी। हाँ, लेकिन अब तुम्हें सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी पङेगी। मैने अलार्म घङी भी तुम्हारी तरफ वाली मेज़ पर रख दी है। खाना तुम्हें खुद बनाना पङेगा, मैं नही चाहता कि बाहर का खाना खा कर तुम बीमार पङ जाओ। इस लिए जो जो तुम्हें पसंद है उन सबकी recipe book  मैने किचिन मे ही रख दी है। और हाँ, मेरे चक्कर मे देवदास बनने के बारे मे बिल्कुल मत सोचना, क्योंकी beard look तुम पर बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। अम्मी बता रही थी कि उन्होंने एक दो लङकियाँ देख रखी हैं, कोई भी पसंद करके शादी कर लेना, और अपनी पत्नि को बहुत सारा प्यार देना। हमारे रिश्ते का असर अपनी आगे की जिन्दगी पर मत पङने देना। मैं ग्वालियर नही जाउगा, मैने एक company मे apply कर दिया था, और उन्होने मुझे  job offer भी कर दी है, तो मैं सीधे वहीं जाऊंगा। please मुझे डूंडने की बिल्कुल कोशिश मत करना, तुम्हें मेरी कसम। हो सकता है मेरे घरवाले तुम्हें कभी कभी फोन करे, तुमसे बात करने का मन करें, तो उन लोगो को इस बारे मे कुछ मत बताना और उनसे मेरे बारे मे जानने की कोशिश भी मत करना। मैं जानता हूँ कि ये सब कर के मैने तुम्हें बहुत बङा दुख दिया है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि तुम मुझे समझोगे और मुझे माफ भी कर दोगे। और हाँ एक बात हमेशा याद रखना कि मै तुमसे बेहद प्यार करता हूँ, और हमेशा करता रहूँगा। I Love you"





आगे कि कहानी क्या मोङ लेकर आऐगी, जानने के लिए जुङे रहे रेहान और शुभ के साथ।

Lots of love
Yuvraaj ❤ 
         
  




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