Saturday, November 3, 2018

हत्यारा : एक इंसान या एक सोच Final part

Hello friends.....
          Here in this part you going to know who is the murderer and why he or she did that with Sumit. But it's my humble request to all of you, after reading this part please don't reveal it's suspense to anyone or anywhere. I know it's hard to keep secrets, but I am sure you can do that. Hope you like my this new writing attempt and this story as well. Waiting for your valuable comments. So please give your feedback, here, on fb, on Instagram, in messenger or anywhere, where you want. So let's find out the murderer with Inspector Jivba Ji. Dalvi.





Sub Inspector 1 :- (डाल्वी जी और बाकी की team से इस case को discuss करते हुए) "सर आपको क्या लगता है, की कातिल कोई उस लड़के का दोस्त ही है????"


डाल्वी जी :- "होना तो ऐसा ही चाहिए, क्योंकि यहां कोई और ऐसी वजह ही नही, की उस लड़के का murder किआ जाए। तो कातिल तो इन लोगों में से ही कोई होना चाहिए।"


Sub Inspector 2 :- "लेकिन सर बार बार एक ही सवाल अलग अलग तरीके से पूछने की आपकी इस तरीके से तो ऐसा ही लगा, की वो सब लोग सच ही बोल रहे थे, और postmortem की report के हिसाब से ये murder रात को 12 से 2 के बीच हुआ है, और समय तो ये सभी resort में ही थे।" 


डाल्वी जी :- "yes, you are right!!! बोल तो सभी सच ही रहे थे, लेकिन आधा सच!! कातिल कितनी भी होशियारी क्यों न दिखाए, लेकिन कोई न कोई सुराग तो छोड़ ही जाता है। बस हमें वही सुराग ढूंढना है। सबसे पहले तो वो resort की CCTV की recording से, कौन कितने बजे बाहर गया और कितने बजे वापस आया, ये रिपोर्ट कल मुझे तैयार करके दो, और दूसरी बात, postmortem की report के मुताबिक, उस लड़के के blood में नींद की दवा मिली है, तो यहां आस पास के सभी medical stores से पता करो, की इनमें से कोई भी ऐसी कोई दवा ले कर गया था क्या!! और फिलहाल बाकी सारे काम एक तरफ रख, हमे जल्द से जल्द इस केस को सुलझा कर, media में इस murder का आरोपी खड़ा करना है, कैसे भी!!! एक सैलानी के murder से, CM तक का pressure आने लगा है। तो आप सभी अभी सिर्फ इस case को ही priority दीजिये, और कल सुबह तक ये दोनों reports मुझे मेरी टेबल पर चाहिए।"



                  अगले दिन 16 सितम्बर की सुबह वो दोनों reports जिनका ज़िक्र डाल्वी जी ने कल की meeting में किया था, उनकी टेबल पर पहुंच गई थी, और डाल्वी जी के समयानुसार स्मिता, प्रीति, रुमित और चैतन्य भी police station पहुंच गए थे, और शिवांश और विवेक को भी lockup से बाहर ले आया गया था। डाल्वी जी की टेबल पर रखी रिपोर्ट को देखकर आज के सवाल जवाब का सिलसिला शुरू करने से पहले, डाल्वी जी ने अपने रात के सोच विचार के अनुसार, एक team को calangute beach पर विवेक की बताई जगह पर, उसकी मौजूदगी की पड़ताल करने, और सुमित के उस दिन वहां beach पर आने या ना आने के बारे में, जानकारी लेने के लिए रवाना कर दिया था। वहीं आज सभी से एक एक कर सवाल जवाब होने थे, और आज के सभी के बयानों को record भी किया जाना था। टेबल पर रखी उन रिपोर्ट्स को देखते हुए, डाल्वी जी ने शुरुआत की शिवांश से।


डाल्वी जी :- (शिवांश और typist को समझते हुए) "कल की जो भी कहानी थी उसे अपने दिमाग से निकाल दो, और आज जो भी बोलो, बहुत ही सोच समझ के बोलना, क्योकि आज का बयान ही तुम्हारी आगे की ज़िंदगी निर्धारित करेगा। और हवलदार तुम भी सब कुछ सही से type करना, कहीं कुछ छूट ना जाये, और हां अपना recoeder भी चालू रखना, वरना आज कल लोग यहां कुछ और बयान देते है, फिर कोर्ट में जा कर बदल जाते हैं। हाँ तो शिवांश, शुरू से शुरू हो जाओ। सुमित को कैसे जानते हो, कब मिले, यहां कैसे आये, सुमित से झगड़ा क्यों हुआ, और उसे कैसे मारा??"


शिवांश :- (आखिरी बात सुनकर, घबराते हुए) "ये आप क्या कह रहे हैं, सर!!! सुमित मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, मैं उसे नही मार सकता।" 


डाल्वी जी :- (हँसते हुए) "हाँ तो बाकी बातें तो बताओ। हवलदार, अपना recoerder सही से चालू करलो।"


शिवांश :- "सर सुमित मेरा बहुत अच्छा दोस्त था। हम college में मीले थे और तबसे हम साथ हैं, लेकिन फिर उसकी मुलाकात, विवेक से हो गयी, और वो धीरे धीरे मुझसे दूर हो गया। और सर मैं तो इस trip पर भी नही आना चाहता था, लेकिन सुमित ही मुझे जबरदस्ती लेकर आया। मैं उसे भला क्यों मारूंगा।"


डाल्वी जी :- "जैसे हर चोर कहता है कि उसने चोरी नही की, ऐसे ही हर खूनी कहता है कि उसने खून नही किया। खैर, ये बताओ, तुम्हारा झगड़ा क्यों हुआ था सुमित से??"


शिवांश :- "सर विवेक के कारण, मैं बिल्कुल पसंद नही विवेक को, और ना ही वो मुझे पसंद है। उसे हमारी दोस्ती पर ही शक था, सर!! इसलिए झगड़ा हुआ, और सुमित ने मुझे ही थप्पड़ मार दिया, जबकि मैंने सुमित को एक शब्द भी नही कहा, और चुपचाप अपने कमरे में चला गया। और सर, कल भी विवेक बेवजह मेरे कमरे का दरवाजा पीटने लगा, और मुझे मारने लगा। सर, विवेक को हमारे साथ से बहुत चिढ़ थी, वो तो 2 3 दिनों से मुझे सुमित के पास भी नही जाने दे रहा था। फिर जब उसे मेरे और सुमित के kiss वाली बात पता चली तो वो बहुत ज्यादा ही भड़क गया, और गुस्से में resort से निकल गया, और सुमित भी उसे मनाने ही उसके पीछे गया। सर, उसीने गुस्से में सुमित को मारा होगा, वो नही बर्दाश्त कर पा रहा था, मुझे सुमित के साथ, फिर ये kiss वाली बात तो बहुत बड़ी हो गयी होगी उसके लिए। सर, उसीने मारा होगा मेरे सुमित को (रोते हुए)"


डाल्वी जी :- (हँसते हुए) "अच्छा!!!! मतलब boyfriend वो है, और kiss तुम करो?? तो फिर उसे तो तुमको भी मारना चाहिए था!!"


शिवांश :- (आंसू पोंछते हुए) "सर ये बहुत पुरानी बात है, ऐसी कोई खास बात भी नही, kiss तो मैं करना चाहता था, सुमित के लिए तो ये बस दोस्ती का रिश्ता था।"


डाल्वी जी :- "मतलब तुम्हे जलन थी, की सुमित दोस्ती से आगे क्यों नही बड़ा!! अच्छा ये बताओ, सुमित के जाने के तुरंत बाद तुम भी उसके पीछे निकले resort से, तो तुमने सुमित को कहीं देखा???? और तुम कहाँ थे सारा दिन??"


शिवांश :- "सर, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था विवेक पर, गुस्से के कारण मेरा सिर फटा जा रहा था, इसलिए मैं resort से बाहर आ गया था। और हां, मैंने सुमित को beach की तरफ ही जाते देखा था, विवेक झूठ बोल रहा है कि सुमित beach पर आया ही नही, लेकिन मैंने खुद उसे beach पर जाते देखा, और इसलिए मैं फिर उस तरफ नही गया, क्योंकि फिरसे हमारी लड़ाई हो जाती, इसलिए मैं फिर मार्केट की तरफ चला गया, और सारा समय मे बस यहां वहां ही घूम रहा था।" 


डाल्वी जी :- "हाँ, अब आये न सही जगह पर, फिर मार्केट के एक medical store से तुमने नींद की दवाई ली.........।"


शिवांश :- (डाल्वी जी को बीच मे ही रोकते हुए) "नही सर, मैं तो सिर दर्द की दवाई लेने गया था। मेरे सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था।"


डाल्वी जी :- "अच्छा!!!! फिर क्या किआ तुमने???"


शिवांश :- "सर, मैं सारे समय इधर उधर ही घूमता फिरता रहा, मेरा वापस रिसोर्ट आने का बिल्कुल भी मन नही हो रहा था, और मैं तो वापस ग़ाज़ियाबाद जाने का भी सोच रहा था। फिर जब शाम को स्मिता दीदी का फ़ोन आया, की सुमित मिल नही रहा है कही, तब मैं वापस resort पहुंचा। हम सब ने उसे इधर उधर ढूंढने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन वो कहीं मिला ही नही। तो हम लोग कुछ 10 10:30 बजे वापस resort आ गए, और सुमित के खुद ही वापस लौट आने का इंतेज़ार करने लगे। लेकिन सर, हमे क्या पता था, की वो कभी वापस ही नही आएगा।"


                       डाल्वी जी और कोई सवाल पूछते, तभी बाहर से रोने की तेज आवाजे आने लगी। उन्होंने बाहर आकर देखा तो एक दंपति से स्मिता लिपट कर जोर जोर से रो रही थी। ये कोई और नही, वो अभागे माँ बाप थे, जिन्होंने एक अनजान कारण की वजह से अपना इकलौता बेटा खो दिया था। धर्मेंद्र जी की भावुकता किसी से छुपी नही थी, लेकिन करुणा जी जैसी सशक्त महिला को, इस कदर टूट कर रोते हुए, स्मिता और बाकी सब ने पहली बार देखा था। वो मंजर देख वहां मौजूद, सभी लोगों की आंखे भी नम हो गयी थी। उस वक़्त की नाजुकता को भांपते हुए, डाल्वी जी ने बिना किसी सवाल के, स्मिता, धर्मेंद्र जी और करुणा जी को police jeep में सरकारी हस्पताल के postmortem house में भिजवा दिया, जहां सुमित की लाश रखी हुई थी। विवेक के अनुग्रह करने पर डाल्वी जी ने उसे भी साथ जाने की इजाजत दे दी। बेटे को खो देने का दुख, किन्ही भी लफ्जों में बयां नही किया जा सकता। उस दुख का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता था कि, अभी तक ना तो धर्मेंद्र जी ने, ना ही करुणा जी ने, किसी से ये एक सवाल तक नही किया था, की उनके बेटे को क्या हो गया था? किस वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया गया? उनके लिए इस दर्द से उबर पाना ही मुश्किल था, की उनका बेटा, जो कुछ दिनों पहले उनका आशीर्वाद लेकर घर से निकला था, वो अब कभी उस घर मे वापस नही आ सकता था।



                     हस्पताल में सुमित को उस हालत में देखना, उन चारों में से किसी के लिए भी आसान नही था। Postmortem house के उस box में रखी वो लाश, किसी के लाडले बेटे की थी, किसी के प्यारे भाई की थी, और किसी की ज़िंदगी मे भरने वाले हसीन रंगों की थी। जो इस समय अपनी आंखें बंद किये, बेसुध लेटा हुआ था। सुमित को उस हालात में देख, चारों की आंखों में आंसू और मन मे एक मलाल था। करुणा जी और धर्मेंद्र जी के मन की पीड़ा, की उन्होंने सुमित को यहां आने ही क्यों दिया? ना वो यहां आता ना उसके साथ ऐसा होता। स्मिता के मन की टीस, की उसने सुमित को resort से जाने ही क्यों दिया? ना वो resort से जाता ना उसके साथ ये हादसा होता। विवेक के मन की चुभन, की उसने सुमित से झगड़ा ही क्यों किआ? अगर वो आराम से सुमित की बात सुन लेता, तो आज सुमित यूँ हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद किये यहां लेटा ना होता। लेकिन अब उन सभी के पास केवल अफसोस, और रोने के अलावा, कोई रास्ता भी नही था, अब सुमित को ना तो उनकी ग्लानि वापस ला सकती थी, ना ही उनका पछतावा।



                 डाल्वी जी ने सुमित की लाश को धर्मेंद्र जी और करुणा जी के साथ, सारी कानूनी कार्यवाही के बाद रवाना कर दिया, लेकिन सुमित के किसी भी दोस्त को गोआ छोड़ कर जाने की इजाजत नही थी। डाल्वी जी ने आगे की कार्यवाही के लिए, विवेक को उसके बयान के लिए बुलाया, और तब तक डाल्वी जी द्वारा भेजी गई team ने भी, विवेक की बताई जगह पर, उसके होने की पुष्टि कर दी थी।



डाल्वी जी :- "हाँ विवेक जी, आप बताइए आप कहाँ थे, सुमित से आपके संबंध, और झगड़ा होने की वजह??"


विवेक :- (भारी मन से) "हम दोनों साथ मे बेहद खुश थे सर, सुमित सिर्फ मेरा boyfriend नही, मेरी ज़िंदगी था। अब आगे मैं कैसे जीऊंगा उसके बिना, मैं नही जानता!! मैं तो सर उसे अपने घरवालों से भी मिलवा चुका था, और यहां से जाने के बाद हम सुमित के घरवालों को भी अपने रिश्ते के बारे में बताने वाले थे। अब ऐसे छोटे मोटे झगड़े तो हमारे बीच होते रहते थे, और कुछ समय बाद हम लोग एक दूसरे को मना भी लिया करते थे। 14 तारिक को हमारा....... हमारा आखिरी झगड़ा हुआ था, और मैं गुस्से में beach पर आकर बैठ गया था, और मुझे पूरी उम्मीद थी कि सुमित मुझसे बात करने वहां जरूर आएगा। और जैसा कि बाकी सबने बताया कि सुमित मुझसे बात करने ही resort से निकला भी था। लेकिन सर वो वहां beach पर मेरे पास आया ही नही। ये बात आप वहां वाटर स्पोर्ट्स वालों से भी पूछ सकते हो, मैं सारे समय वहीं था, और वो लोग भी बार बार आकर मुझे watar sport करने को बोल रहे थे, और इसी कारण से मेरा उनसे भी झगड़ा हो गया था, लेकिन मैं वहां से एक पल के लिए भी उठा नही था। फिर जब शाम को मैं वापस resort आया तब मुझे पता चला कि सुमित तो सुबह से ही यहां है ही नही। तब हम सब ने मिलकर उसे यहां वहां ढूढ़ने की कोशिश भी की, लेकिन वो हमें कहीं नही मिला। और सर वो ऐसे पहले भी गायब हो गया था, लेकिन तब मुझे beach पर ही मिल गया था, लेकिन हमने सोचा कि शायद गुस्से में कहीं ऐसी जगह चला गया हो, जहां हम उसे ढूढ़ न पाएं। इसी उम्मीद में की वो खुद ही वापस आ जायेगा, हम सब resort में वापस आ गए, लेकिन सर, सुबह police ने हमे आकर बताया कि सुमित का murder हो गया है। सर गलती मेरी ही है कि मैंने उससे झगड़ा किआ और वो resort से चला गया। लेकिन सर हम मे से कोई भी सुमित की जान तो नही ले सकता। (रोते हुए)"


डाल्वी जी :- "और जो कल आप शिवांश पर सुमित के खून का इल्जाम लगा रहे थे, उसका क्या??"


विवेक :- (अपने आंसू पोंछते हुए) "सर जबसे मैं शिवांश से मिला हूँ उसका व्यवहार मेरे लिए कुछ अच्छा नही रहा, और इसका जिक्र मैने जब भी सुमित से किया है, हमारा झगड़ा ही होता था। क्योंकि वो मेरी बात मानता ही नही था, और शिवांश का ही पक्ष लेता था, तो मुझे गुस्सा आ जाया करता था। लेकिन जबसे हम इस trip पर आए हैं, शिवांश का व्यवहार मेरे प्रति मुझे पहले से भी ज्यादा खराब लगा, और मुझे तो ऐसा भी लग रहा था, की वो मेरे और सुमित के बीच आने की कोशिश कर रहा है। 14 तारिक को जब हमारा झगड़ा हुआ तो उसकी वजह भी शिवांश ही था, लेकिन ये पहली बार था जब सुमित ने मेरा पक्ष लेते हुए शिवांश को थप्पड़ मार दिया था। कल तो जब चैतन्य ने मुझे बताया कि शिवांश ही गुस्से में सुमित के पीछे पीछे resort से निकला था, तो मुझे उस पर शक हुआ, और मुझे उस पर बहुत गुस्सा भी आया, इसलिए कल मेरी उससे हाथापाई भी हो गई थी। लेकिन सर रात भर सोचने के बाद, मुझे यही लगा कि शिवांश लड़ाई झगड़े तो कर सकता है, लेकिन सुमित को मार नही सकता।"



डाल्वी जी :- "देखिए विवेक जी मैं आपके दुख को समझता हूं, लेकिन ये एक murder case है, और आप सब पर शक करना मेरी duty।"



                 Beach पर water sports वालों के बयान के अनुसार, विवेक सारा समय वहीं बीच पर ही बैठा हुआ था, और उन्होंने ना तो विवेक को कहीं जाते देखा, ना ही किसी को विवेक के पास आते। और जिस समय सुमित का कत्ल हुआ, उस समय भी resort के CCTV में विवेक को reception पर स्मिता के साथ देखा जा सकता था। तो डाल्वी जी की शक की निगाहों से विवेक तो कुछ समय के लिए बाहर हो चुका था। लेकिन सभी के पिछले दिन के बयानों के आधार पर, डाल्वी जी को सबसे ज्यादा शक केवल इन तीन लोगों, विवेक, शिवांश और चैतन्य पर ही था। विवेक, शिवांश और सुमित के झगड़े इस कत्ल की वजह हो सकते थे। वहीं चैतन्य के पास कोई वजह तो नही थी लेकिन सुमित के रिसोर्ट से जाने के बाद शिवांश के साथ साथ चैतन्य भी resort के बाहर गया था, और जिस समय ये कत्ल हुआ, उस समय भी शिवांश भी अपने कमरे में था या नही इसका कोई सबूत नही, और वही चैतन्य भी उस समय resort के बाहर था। तो अपने शक के अंदाज़ पर डाल्वी जी शिवांश और विवेक से तो पूछताछ कर चुके थे, अब बारी थी चैतन्य की।



डाल्वी जी :- "बाकी बातें तो मैं आपसे बाद में पूछुंगा, पहले तो आप मुझे ये बताओ, की 14 तारीख को आप दो बार resort से अकेले निकले हो, तो आप कहाँ गए थे??? एक तो सुबह सुमित और शिवांश के पीछे, और दूसरा रात में 11:30 बजे??"


चैतन्य :- "सर सुबह विवेक, शिवांश और सुमित के झगड़े के बाद हम सब का भी mood खराब हो गया था, तो हम सब कहीं घूमने नही जाने वाले थे, तो मैं अपनी गाड़ी की servicing कराने चला गया था........"


डाल्वी जी :- (चैतन्य को बीच मे टोकते हुए) "कहाँ गए थे गाड़ी सही कराने  के लिए????"


चैतन्य :- "सर पणजी highway पर जो पहला गैराज है, मैं वहीं गया था। वहां मेरी entry भी है, आप पता कर सकते है। और रात को मैं bore हो रहा था, तो resort के बाहर ही जो beer baar है, मैं उसमे ही था, आप वहां भी पता कर सकते है।"


डाल्वी जी :- "हां जी, पता तो हम करवाएंगे ही, यही तो हमारा काम है। ज्यादा होशियारी भी कभी कभी खतरनाक हो सकती है, आपको पता है ऐसा कुछ???? चलिये छोड़िये, ये बताईये, की मार्केट में ही 2   3 गैराज है, आप उन सब को छोड़ के highway पर इतनी दूर क्यों गए??"


चैतन्य :- "जी सर, मैं पहले उन दोनों गैराजों पर ही गया था, लेकिन एक पर मेकैनिक नही था, और एक पर गाड़ी का oil नही था। उन्होंने ही मुझे ये highway वाले गैराज के बारे में बताया, तो फिर मुझे वहां जाना पड़ा।"


डाल्वी जी :- (चैतन्य की बताई दोनो जगहों पर अपनी team तप्तीश के लिए भेजने के बाद) "अच्छा!!! और फिर बाकी दिन आपने क्या किआ?"


चैतन्य :- "सर, कुछ खास नही। बस इन तीनो के झगड़ों से हम सभी परेशान हो गए थे। वो तो स्मिता इन नमूनों को अपने साथ ले आयी, वरना प्लान तो केवल हम चारों के आने का था।"



                     डाल्वी जी अपनी आगे की कार्यवाही तो करते ही रहे, लेकिन उन्हें अपनी भेजी team के वापस आने का इंतेज़ार था, जो उहोने चैतन्य के बताए पते पर पूछताछ के लिए भेजी थी। उन्हें उम्मीद थी, की शायद वहां से कोई सुराग मिल सके। और उनके सोचे मुताबिक, स्मिता, प्रीति और रुमित भी अपने बयानों में बस वही सब बातें दोहराए जा रहे थे, जो डाल्वी जी अब तक ना जाने कितनी बार सुन चुके थे। और इन तीनो के बयानों में, इस case को सुलझाने वाली, या कोई भी सुराग होंने वाली बात, डाल्वी जी को कहीं भी नजर नही आ रही थी। तो वापस डाल्वी जी के शक की सुई, विवेक, चैतन्य और शिवांश पर ही आकर अटक गयी थी। क्योंकि इनके अलावा किसी और पर शक करने, या कोई और कारण होने की कोई वजह ही नही थी। postmortem की report के अनुसार, सुमित के शरीर पर चाकू या फिर किसी तेज़ धारदार हथियार के निशान के अलावा, बस सिर पर एक गहरी चोट का ही निशान था, इसके अलावा उसके शरीर पर ना तो कोई घाव था, ना ही कोई खरोंच, इसका मतलब उसके साथ कोई हाथापाई नही हुई थी। उसके blood में भी केवल नींद की दवा की मात्रा पाई गई थी, मतलब कोई ड्रग्स, या फिर नशे की वजह से भी, उसका कत्ल नही किया गया था। सुमित को आखिरी बार resort से निकलता देखा गया था, लेकिन police द्वारा की गई छानबीन और आसपास के लोगों से की गई पूछताछ से, न तो सुमित को मार्केट, ना ही beach पर देखा गया था, लेकिन रात को 12 से 2 के बीच उसके murder के बाद, उसकी लाश को resort के पास ही beach पर पाया गया, इसका मतलब या तो सुमित दिन भर, resort और beach के आसपास ही कहीं था, या फिर उसको अगवा कर resort के बाहर से ले जाया गया, और फिर रात को मार कर beach की झाड़ियों में फेंक दिया गया। और दोनों ही सूरतों में इस पूरे घटनाक्रम में किसी बाहरी व्यक्ति के लिप्त होने की सम्भवना भी इस लिए नही थी, क्योंकि सुमित की ना तो यहां गोआ में और ना ही उसके अपने शहर ग़ाज़ियाबाद में, किसी से कोई दुश्मनी थी, की जिस कारण से उसका murder कर दिया गया हो। तो डाल्वी जी का शक सुमित के अपने दोस्तों पर करना अभी तक तो उनके हिसाब से सही था। लेकिन अब ये murder किसी अपने ने खुद किआ, या किसी को पैसे देकर करवाया, बस यही जानने की जद्दो जेहद में डाल्वी जी लगे हुए थे, और इस case को कैसे भी  जल्द से जल्द खत्म करने का जोर भी उनके ऊपर दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था।



                  अब तक दोपहर के खाने का वक़्त भी हो चला था, तो डाल्वी जी भी सुमित के दोस्तों को resort रवाना कर अपना lunch करने में व्यस्त थे। तभी उनके द्वारा भेजी गई team जो कि चैतन्य की बताई जगहों पर छानबीन के लिए गयी थी, आ चुकी थी। और डाल्वी जी भी अपना खाना छोड़, तुरंत उस टीम से सारी जानकारी लेने पहुंच गए। police की छानबीन से पता चला था कि चैतन्य ने जो भी अपने बयान में बताया, वो सब सही था। और चैतन्य सुबह अपनी गाड़ी की servesing के लिए पणजी highway के, उसके बताए गैराज पर ही था। और रात में भी resort के बाहर के beer baar के CCTV में उसे देख जा सकता था। Police की अब तक कि छानबीन से ये तो साफ था, की विवेक और चैतन्य के बयानों की पुष्टि, या तो कोई इंसान या फिर CCTV की recording ने कर दी थी। केवल शिवांश के ही दिन भर मार्केट में घूमने का सबूत न तो शिवांश के ही पास था, और न ही police को मिला था। बल्कि पुलिस को तो शिवांश के एक medical store पर मौजूद होने का सबूत भी मिला था, जहाँ से हो सकता था कि उसने वो नींद की दवाई ली हो, जिसके sample सुमित के blood में मीले थे।



               अपने शक को यकीन में बदलने, और गुनहगार से उसका गुनाह कबूलवाने के लिए, शाम तक डाल्वी जी ने सारी कानूनी कार्यवाही कर, शिवांश को गिरफ्तार करने के लिए, अपनी एक team को, resort के लिए रवाना कर दिया था। जो कि शिवांश को गिरफ्तार कर, आगे की कार्यवाही के लिए उसे police station ले आयी थी। पहले तो शिवांश से वही सब सवाल, जिनके जवाब वो कई बार दे चुका था, लेकिन थोड़े सख्त अंदाज में पूछे गए। और वही सब जवाब दोबारा पा कर, police ने अपने torture की सीमा को बड़ा दिया, और फिरसे शिवांश से वही सब पूछा गया, जो शिवांश इन 2 दिनों में ना जाने कितनी बार बता चुका था। लेकिन पुलिस को तो इस बार कुछ और ही सुनना था, जो सच था, और शायद जो डाल्वी जी के दिमाग मे भी था। police के torture, रात भर धीरे धीरे बढ़ते ही गए, और पुलिस वाले भी रुकने का नाम नही ले रहे थे। मानो वो लोग बस शिवांश के मुंह से बस एक यही बात सुनना चाहते थे, की सुमित का खून शिवांश ने किआ है। और इस सच को सुनने के लिए, शिवांश को चमड़े के बेल्टों से मारा गया, बर्फ पर नंगा लेटा कर, लाठियों से पीटा गया, उल्टा लटका कर, चाबुकों की बरसात की गई, और भी ना जाने क्या क्या यातनाएं, सहने के बाद भी शिवांश अपना बयान बदलकर, सच बोलने को तैयार ही नही था।



                    वहां resort में भी, शिवांश की गिरफ्तारी और police के लगाए आरोप से सभी सदमे में थे। स्मिता और विवेक तो ये मानने को ही तैयार नही थे, की शिवांश अपने दोस्त का खून, वो भी सिर्फ एक थप्पड़ के बदले के लिए कर सकता है। रुमित और चैतन्य ने भी बताया कि, 13 सितम्बर की रात, जब शिवांश, चैतन्य और रुमित के साथ बैठ कर beer पी रहा था, तब वो बहुत गुस्से में था, सुमित को बहुत भला बुरा भी कह रहा था, और विवेक और सुमित के रिश्ते से नाखुश भी था। लेकिन उन्होंने महज़ इसे शिवांश का गुस्सा और beer का नशा समझ के भूला दिया। उन लोगों ने भी ये नही सोचा था कि शिवांश जो वहां गुस्से और नशे की हालत में कह रहा है, अगले दिन वो वैसा कर भी देगा।



                  लेकिन वहां police station में इतने torture सहने के बाद भी शिवांश इस बात को स्वीकारने को ही तैयार नही था, की सुमित का खून उसी ने किआ है। Police की इतनी यतनाओं के बाद तो एक बेकसूर भी, किसी भी गुनाह को कबूलने के लिए तैयार हो ही जाता है, लेकिन शिवांश, अपने बयान से हटने को भी तैयार नही था। और शिवांश के इस व्यवहार ने, डाल्वी जी को भी मजबूर कर दिया, की वे सभी बयानों और सबूतों का एक बार फिर से निरिक्षण करें। और डाल्वी जी भी जुट गए, सभी बयानों और सभी CCTV recordings को एक बार फिर से जांचने में। और उनकी इस छानबीन में, डाल्वी जी को एक बहुत ही अहम जानकारी हाँथ लगी, जो शायद इस case को सुलझाने में मददगार साबित हो सकती थी। डाल्वी जी ने तो सबसे पहले शिवांश पर, रात भर से हो रहीं यतनाओं को रुकवाया, और एक बार फिर अंधेरे में तीर चलते हुए, अपनी एक team को रवाना किया, कुछ और जानकारियां हांसिल करने के लिए।




                  आज यानी 18 सितम्बर को इस case को 3 दिन हो चुके थे, और पुलिस के हाथों सिर्फ एक suspect था, जिसके खिलाफ उनके पास कोई अहम सबूत भी नही था, बस कुछ लोगों के बयान थे। पुलिस suspect से भी सच उगलवाने की कोशिश कर चुकी थी, जिसमे वो शायद सफल भी हो जाती, अगर डाल्वी जी उस प्रक्रिया को बीच मे ना रुकवाते तो। दोपहर तक डाल्वी जी द्वारा भेजी गई team ने वो जानकारियां ला कर उनके सामने रखी थी, जो इस murder mystery को आईने की तरह साफ करने में सक्षम थीं। असली मुजरिम को गिरफ्तार करने, और उसके मुंह से उसका गुनाह कबूलवाने के लिए एक बार फिर पुलिस निकली resort की ओर, जहां सुमित के अपने, उसके दोस्त थे। और उन्हीं दोस्तों में से एक को पुलिस गिरफ्तार कर अपने साथ police station ले आयी। पुलिस के जाते ही, सुमित के बचे हुए सारे दोस्त भी तुरंत police station पहुंचे, क्योंकि उनके लिए भी ये समझना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, की असली कातिल है कौन???? शिवांश, जो कल रात से ही पुलिस की गिरफ्त में है, या वो, जिसे पुलिस अभी अभी गिरफ्तार करके ले गयी है।



                पुलिस ने इस बार भी लाये suspect को torture room में ले जाकर पूछताछ शुरू की। और पुलिस की 4 लाठियों में, उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया। डाल्वी जी ने सबसे पहले तो उससे उस हथियार के बारे में पूछा, जिससे इस गुनाह को अंजाम दिया गया। हत्यारे की बताई जगह पर पुलिस को एक चाकू भी मिल गया, जिसे fingerprint test के लिए भेज दिया गया। इतने समय मे सुमित के बाकी दोस्त भी police station पहुंच चुके थे, और डाल्वी जी के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे।



डाल्वी जी :- (शिवांश को सहारा देकर लाते हुए) "लीजिये स्मिता जी, अपने दोस्त को अपने साथ ले जाइए, हमे हमारा गुनहगार मिल गया है।"


स्मिता :- (चौंकते हुए, सदमे में) "चैतन्य!!!!! लेकिन वो क्यों मरेगा सुमित को???? उसका क्या लेना देना सुमित से??"


                    स्मिता के साथ साथ, बाकी सभी को भी डाल्वी जी की यह बात सुनकर सदमा लगा था। क्योंकि किसी ने भी नही सोच था, कि चैतन्य, सुमित का खून भी कर सकता है। सभी के दिल और दिमाग मे उठते कई सवालों को पूर्ण विराम दिया डाल्वी जी ने।




डाल्वी जी :- "वैसे तो case से जुड़ी कोई भी बात हम किसी को नही बताते, लेकिन आप लोगों को कुछ बताने से मुझे हर्ज भी नही, और शायद अपने दोस्त और अपने करीबी के हत्यारे के बारे में जानने से आपको तसल्ली भी मिल सके, की पुलिस ने अपना काम सही, और इतने कम दिनों में कर लिया। और इस सब प्रक्रिया में जो कुछ भी शिवांश को सहना पड़ा, उसके लिए मैं सिर्फ उससे माफी ही मांग सकता हूँ। लेकिन हम भी कई सारे दायरों में बंधे होते हैं, और कई बार ना चाहते हुए भी हमे कई ऐसे कदम भी उठाने पड़ते है, जो बहुत ही सख्त होते है। असल मे केवल शिवांश के ही सच का हमारे पास कोई प्रमाण नही था, इसलिए इसे गिरफ्तार कर, खुद इसके मुह से सच निकलवाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता भी नही था। लेकिन ये तो शिवांश की हिम्मत और इसके विश्वास ने ही मुझे मजबूर कर दिया, की मैं एक बार फिर से इस case पर बारीकी से नजर दौड़ाऊं। और तब मुझे पता चला चैतन्य के बारे में। चैतन्य जब सुबह resort से निकला होगा, उसने तभी सुमित को अपने साथ ले लिया होगा, और उस गैराज तक पहुंचने से पहले ही उसे बेहोश कर दिया होगा। जिसका सबूत है, वो highway का medical वाला, जिसने कुछ पैसों के लालच में, बिना किसी डॉक्टर की सलाह के चैतन्य को कई सारे नींद के injection और गोलियां दे दी। फिर जब वो वापस रिसोर्ट में आया, तो या तो उसने सुमित को बेहोश ही गाड़ी में छोड़ दिया होगा, या कहीं छुपा दिया होगा। और फिर वो रात में उस beer baar में भी जानबूझ कर गया, ताकि वहाँ के CCTV Camera में वो अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सके, और हमे चकमा दे सके। और वो तो इसमें सफल भी हो गया था, वो तो पकड़ा गया, उस baar के अंदर लगे CCTV की recording से। शायद baar के अंधेरे के कारण उसने उस Camera पर ध्यान नही दिया, और अगर मैं, भी ध्यान ना देता तो हम तो अभी तक शिवांश को मुजरिम ठहरा चुके होते। उस CCTV के मुताबिक, चैतन्य baar के बाथरूम में गया और वापस 1 घंटे बाद आया। जब इसकी पूछताछ वहां के staff से की, तो बहुत मुश्किल में एक waiter ने अपना मुंह खोला, की उसने चैतन्य को बाथरूम की खिड़की से अंदर आते देखा था, और जिसका मुह बंद करने के लिए, चैतन्य ने उसे भी पैसे खिलाये थे। इन दोनों लोगों के बयानों ने हमारे शक को यकीन में बदल दिया, और अभी चैतन्य ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया है, और हमे वो चाकू भी मिल गया है, जिससे ये कत्ल किया गया। कल तक fingerprint report भी आ जायेगी।"


स्मिता :- (रोते हुए) "सर हो सकता है, कोई गलतफहमी हो, आप एक बार और अच्छे से देखिए please!!! चैतन्य ऐसा नही कर सकता!!!! सर, आप ही सोचिए, उसके पास कोई वजह ही नही है ऐसा करने की।"


डाल्वी जी :- "मैं आपका दुख और परेशानी समझ सकता हूँ। लेकिन चैतन्य अपना गुनाह कबूल कर चुका है। अब उसके ऐसा करने की क्या वजह है, वो भी हमे पता चल जाएगी। अभी पुलिस वही जानने की कोशिश कर कर रही है। अब आप सभी हमारी तरफ से बिल्कुल आज़ाद है। आप अपने घर जा सकते है। बस इस case की chargesheet court में दाखिल करने के बाद, आप लोगों को गवाही देने के लिए आना पड़ेगा।"



                        यूँ तो स्मिता, चैतन्य से मिलने की जिद्द कर रही थी। आखिर वो जानना चाहती थी, की जिस चैतन्य को, यहां से जाकर, वो अपने माता पिता से मिलवाना चाहती थी, उसके साथ घर बसाने वाली थी, उसी चैतन्य ने उसके छोटे भाई की ही जान क्यों ले ली?? लेकिन इस मुलाकात की इजाजत डाल्वी जी ने उसे नही दी, और थोड़ी सख्ती दिखाते हुए, उन सभी को वापस ग़ाज़ियाबाद के लिए रवाना कर दिया। उधर चैतन्य ने भी अपना गुनाह कबूल कर, इस murder की वजह को भी पुलिस को बता दिया था।



चैतन्य :- (रोते हुए) "सर मैं जानबूझ कर सुमित को नही मारना चाहता था। मैं तो बस उसे समझाने की कोशिश कर रहा था। जब मैं resort से निकला, तो मैं गाड़ी की servicing कराने ही जा रहा था। लेकिन निकलते ही मैंने सुमित को beach की तरफ जाते देखा, तो मैंने उसे रोका, और बोला कि, इतनी धूप में विवेक beach पर थोड़ी होगा, वो जरूर मार्केट की तरफ गया होगा, या किसी beer baar में गया होगा। तो सुमित को भी मेरी बात सही लगी। तो मैंने ही उसे अपने साथ चलने को बोला, की हम साथ मे विवेक को भी ढूंढ लेंगे, और मैं गाड़ी की भी servicing करा लूंगा। लेकिन मार्केट के दोनों गैराज में काम नही बना, तो उन्होंने मुझे highway के गैराज के बारे में बताया। सुमित तो वहीं उतर जाना चाहता था, लेकिन मैंने उसे नही जाने दिया, क्योंकि मुझे उससे कुछ बातें करनी थी। आगे रास्ते मे मैंने उसे, उसके GAY होने की बात, और विवेक से उसके रिश्ते की बात किसी को भी ना बताने को बोला, तो वो मुझ पर ही भड़कने लगा। और वो तो ये भी बोलने लगा, की यहां से जाते ही, वो अपने घर मे सब सच बता देगा, और विवेक से भी मिलवा देगा। तो मैंने, जैसे तैसे उसे, मेरी और स्मिता की शादी तक ऐसा ना करने के लिए मना लिया, और वो मान भी गया। लेकिन जैसे ही मैंने उसे, उसकी इस बीमारी के लिए, किसी doctor को दिखाने की बात की, तो वो तो और ज्यादा ही भड़क गया, और उल्टा मुझे ही समझाने लगा, की ये कोई बीमारी नही है, वगेरह, वगेरह!! और जब मैने उसे ऐसा कहा, की अगर उसकी ये बीमारी मेरे बच्चो में भी आ गयी, तो मैं तो उन्हें गला घोंट कर ही मार दूंगा, तो वो तो बहुत ज्यादा ही गुस्सा होने लगा, गाड़ी रोकने की बात करने लगा। सर, मैं तो बस मजाक ही कर रहा था, लेकिन वो तो मुझे ही सुनाने लगा। एक तो खुद GAY और मुझे ही नसीहतें देने लगा, तो मुझे भी गुस्सा आ गया, तो मैने भी थोड़ी गाली गंलोंच कर दी। तो फिर तो वो मुझे धमकी ही देने लगा, की स्मिता और उसके माँ पापा को बताएगा, की मैं एक बुरा इंसान हूँ, और मेरी शादी कभी भी स्मिता से नही होने देगा। सर मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, बात संभालने की भी बहुत कोशिश की, लेकिन वो तो कुछ सुनने को ही तैयार नही था। और जब वो गाड़ी का दरवाजा खोलकर, गाड़ी से ही कूदने की कोशिश करने लगा, तब मैंने उसे गाड़ी में रखे fire extinguisher को उसके सिर पर दे मारा, जिससे वो बेहोश हो गया। फिर मैंने रास्ते से एक medical store से बहुत से नींद के injection और गोलियां खरीदे। पहले तो मैंने उसे एक ही injection लगा कर, गाड़ी के पीछे वाली seat के नीचे लिटा दिया, और ऊपर से चादर उड़ा दिया। फिर गाड़ी की servicing करवा कर मैं वापस रिसोर्ट आ गया। मैं स्मिता को खोने के डर से घबरा गया था सर, इसलिए मैंने किसी को नही बताया कि सुमित मेरी गाड़ी में ही है, और मैं भी सभी के साथ उसे ढूंढने के नाटक करता रहा। लेकिन रात को सबके resort में वापस आने से पहले ही मैं सुमित के पास आया, और उसे होश में लाने की कोशिश की, क्योंकि मैं उसे समझा देना चाहता था, की वो ये बात किसी को ना बताये। लेकिन सर, वो तो कुछ सुनने को ही तैयार नही था, बेहोशी की हालत में भी सिर्फ यही बोले जा रहा था, की चैतन्य अच्छा नही है, स्मिता को उससे शादी नही करनी चाहिए। ये सुनकर तो मुझे बहुत गुस्सा आया, और मैने उसे एक और injection लगा दिया, और मैंने तय कर लिया था कि, सुमित को अब कभी भी होश नही आना चाहिए। और मैं यही सब सोच रहा था, की मैं, ये कैसे करूँगा, तभी मुझे शिवांश की बात याद आ गयी। एक रोज़, शिवांश ने मेरे और रुमित के सामने , नशे और गुस्से में, कहा था, की उसका मन कर रहा है कि वो सुमित और विवेक को जान से ही मार दे। मैने सोच लिया था कि इस murder का जिम्मेदार मैं शिवांश को ही ठहरा दूंगा, और सुमित से हुई लड़ाई, और रुमित के सामने बोली उस बात से कोई मुझ पर शक भी नही करेगा, और सब शिवांश को ही खूनी समझ लेंगे। लेकिन मुझे कुछ भी करने की जरूरत ही नही पड़ी और आप लोग, बिना मेरे कुछ बताये ही शिवांश को गिरफ्तार भी कर लाये। लेकिन मैंने ये नही सोचा था कि उस waiter के मुंह खोल देने की वजह से मैं पकड़ा जाऊंगा। असल मे मैं उस बार मे चला तो गया था, वहां के CCTV में आने के लिए, लेकिन वहां से बाहर जाने का कोई और रास्ता मुझे सूझ ही नही रहा था, जब मैं बाथरूम में गया, तो मुझे वो खिड़की दिखी तो मैं उसमे से ही बाहर आया, और वापस resort आकर, गाड़ी से सुमित को निकाल कर, खींच के beach तक ले गया, और वहीं उसे मार कर चाकू भी मैन रास्ते मे एक गड्ढे में पत्थर के नीचे दबा दिया। लेकिन जब मैं वापस उसी खिड़की से baar में अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, तो किसी ने आहट सुनी और waiter को वहां बुला दिया, और उस waiter ने मुझे खिड़की से अंदर आते देख लिया। मैंने उसे अपना मुंह बंद किये रहने के पैसे भी दिए, लेकिन वो कमजोर निकला। सर, मैंने ये सब मजबूरी में किआ, मैं स्मिता से बहुत प्यार करता हूँ, और मैं उसे खोना नही चाहता था।"



              चैतन्य के इस कबूलनामे की chargesheet court में दाखिल कर दी गयी थी, और court की सुनवाई तक, चैतन्य को जेल में बंदी बना लिया गया था। डाल्वी जी ने सुमित के murder की गुत्थी को अपनी सूझ बूझ से इतने कम समय मे ही सुलझा लिया था, जिसके लिए उनकी प्रंशसा भी हुई और उन्हें पदोन्नती भी दी गयी। लेकिन सुमित के माता-पिता, स्मिता, चैतन्य, शिवांश और विवेक, इनकी ज़िन्दगी को कैसे सुलझाया जा सकता था, जो सुमित के चले जाने के बाद, एक अंधेरे में उलझ कर रह गयी थी।



               चैतन्य के इस फैसले ने उसे स्मिता से तो हमेशा के लिए दूर कर ही दिया था, साथ ही साथ सुमित को भी वहां पहुंचा दिया था, जहां से अब उसका वापस आ पाना नामुम्किन था। चैतन्य को अपने किये की सजा तो मिल ही जाएगी, उम्रकैद या कुछ सालों की जेल, लेकिन क्या ये सजा सुमित को वापस ला पाएगी?? क्या ये सजा, शिवांश को उसका दोस्त, विवेक को उसके जीवन का हमसफर, और व्यास परिवार को उनका बेटा लौटा पाएगी? और सबसे बड़ी बात, क्या ये सजा, चैतन्य की उस संकीर्ण सोच को बदल पाएगी, वो सोच जो कहीं ना कहीं इस पूरे घटनाक्रम की अहम वजह बन गयी थी।



                 आज भी हमारे समाज मे इस संकीर्ण सोच की बहुतायत है, जो GAYS को कोई बीमारी, एक गंदगी या सिर्फ मनोरंजन की वस्तु समझते है। 377 धारा का हटना, सिर्फ इस सोच को बदलने की ओर एक बहुत ही छोटा सा कदम है, अभी भी एक बहुत लंबी जंग बाकी है। जब तक इस घटिया और संकीर्ण सोच का खात्मा, पूरी तरह से हमारे सम्पूर्ण समाज से नही होता, तब तक ना जाने कितने सुमित इस सोच की बली चढ़ते रहेंगे।

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Lots of Love
Yuvraaj ❤️



Thursday, November 1, 2018

हत्यारा : एक इंसान या एक सोच Part - III

Hello friends.....
         First read the previous parts of this story, than you can easily be connected with this part.



                   अगले दिन 7 सितम्बर की सुबह सारी तैयारी कर चैतन्य अपनी scorpio गाड़ी लिए स्मिता को लेने उसके घर आ गया था। इतना जल्दी प्लान बना तो ट्रैन या हवाई जहाज से बेहतर रोड से जाना ही सही लगा। दूरी तो काफी होने वाली थी, इसलिए आराम से बीच मे रुक कर सफर करना तय हुआ। स्मिता तो बाहर आ गयी, लेकिन जैसे ही चैतन्य ने सुमित को बैग लिए तैयार आते देखा, उसका तो mood ही खराब हो गया। करुणा जी और धर्मेंद्र जी ने दोनों बच्चों को एक दूसरे का ख्याल रखने का बोल कर विदा किया। आगे रास्ते से शिवांश, प्रीति और रुमित को भी ले लिया गया। और ग़ाज़ियाबाद highway से विवेक भी इस सफर में शामिल हुआ। गोआ तक का ये सफर दो पड़ावों के साथ तय करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका था। ग़ाज़ियाबाद से ग्वालियर, गुना के रास्ते, पहला पड़ाव इंदौर में चुना गया। फिर इंदौर से अगला पड़ाव शिर्डी और फिर शिर्डी से गोआ तक का ये सफर 3 दिनों में तय करना था। सभी जगह रुकने के लिए hotal की सारी booking रुमित ने online करवा ली थी।



                  7 सितम्बर 2018 को ये सफर शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य 9 सितम्बर की रात या 10 सितम्बर की सुबह गोआ पहुंचना था। गाड़ी तो अभी चैतन्य चला रहा था, जिसकी अदला बदली रुमित के साथ कि जानी थी, अब तकरीबन 2000 km का सफर एक इंसान की दम पर कर पाना थोड़ा मुश्किल था। अभी गाड़ी की front seat पर स्मिता, बीच वाली पर सुमित, विवेक और शिवांश और सबसे पीछे वाली पर रुमित और प्रीति बैठे हुए थे।


चैतन्य :- (ग़ाज़ियाबाद से निकलकर, थोड़ा फुसफुसाते हुए) "अपने भाई को साथ लाने की क्या जरूरत थी।"


स्मिता :- (उसी स्वर में मुस्कुराते हुए) "कोई दिक्कत हो तो हम लोग यहीं उतर जाते हैं।"



                      गाते - गुनगुनाते, हंसते - मुस्कुराते ये सफर शुरू तो हो चुका था। सबका एक दूसरे से परिचय भी स्मिता और सुमित ने करवा दिया था, लेकिन सभी के बीच की असहजता को आसानी से महसूस किया जा सकता था। सुमित और उसके boyfriend को देख कर, चैतन्य की असहजता। सुमित और विवेक को साथ देख कर, शिवांश की असहजता। और खुद के प्रति शिवांश का रुखा सा ये व्यवहार देख कर, विवेक की असहजता। लेकिन इन सभी मे सबसे ज्यादा खुश थे, रुमित, प्रीति और सुमित। रुमित और प्रीति, बड़े दिनों के बाद कहीं घूमने फिरने निकले थे, तो प्यार मोहब्बत की बातें, सबसे पीछे वाली सीट पर शुरू हो चुकी थी। वही चैतन्य ने भी बाकी सभी को ignore कर, स्मिता को मनाना शुरू कर दिया था। सुमित और विवेक यूँ तो अपना अधिकांश समय एक दूसरे के साथ ही बिताते थे, लेकिन तब उन्हें एक दायरे में रहना पड़ता था, और यहां उन्हें किसी भी बात की फिक्र करने की कोई जरूरत नही थी। तो एक दूसरे का हाँथ पकड़ना, एक दूसरे के गले मे हाथ डालना, हंसी मजाक में एक दूसरे के गालों पर प्यारी सी पप्पी देना, ये सब जहाँ उनके और बाकी लोगों के लिए आम बात थी, वहीं शिवांश के लिए ये सब देख पाना बहुत कठिन। शिवांश अब तो मन ही मन अपने आप को कोसने भी लगा था, की कोई भी कारण देकर वो साथ आने को मना कर सकता था, लेकिन पता नही क्यों वो साथ आ गया। बस यूँही, हंसी-खुशी आज का सफर अपनी मंजिल तक पहुंच गया था।



                चूंकि स्मिता ने केवल अपने 2 दोस्तों के साथ चलने की ही बात की थी, तो रुमित ने सभी जगह केवल 3 कमरे ही book करवाये थे। तो जब इंदौर में ये बात पता चली की किसी एक को किसी के साथ कमरे में adjust होना पड़ेगा, तो उन्हें थोड़ी असहजता हुई।

शिवांश :- "नही ऐसा करने की कोई जरूरत नही आप सभी couple's एक एक room लेलो, मैं अपने लिए एक अलग room book कर लेता हूँ, तो किसी को कोई problem नही होगी।"


सुमित :- "Don't be mad!!! रात के 1 बज रहे हैं, और सुबह हमे वापस निकलना है। तो बस कुछ घंटों के लिए क्यों अलग room लेना। तू हमारे साथ चल, हम तीनो एक room share कर लेंगे।"


प्रीति :- "हां!! सुमित सही कह रहा है, अब होटल वाला charge तो पूरा लेगा, और हमे कुछ घंटे ही आराम तो करना है बस। ज्यादा हो तो एक extra bed लगवा लो room में।"


विवेक :- (कमरे में जाते हुए, सुमित के कान में फुसफुसाते हुए) "यहां तो ठीक है, लेकिन ऐसा गोआ में नही हो पायेगा। वहां मुझे single room चाहिए, तुम्हारे साथ।"



                    जो बडा सा पत्थर शिवांश अपने दिल पर रख कर सुमित और विवेक के कमरे में आ गया था, उसे वो अपनी आंखों पर भी रख लेना चाहता था। सुमित और विवेक को परेशानी ना हो, इसलिए वो सोफे पर भी सो गया, लेकिन सुमित और विवेक की फुसफुसाहट और उनकी धीमी हंसी ने उसे सोने ना दिया। और जब उसके कानों में सुमित और विवेक की वो हंसी घर कर गयी थी, तो फिर उसे नींद भी कहाँ आने वाली थी। और वो सारी रात जगता रहा, सिर्फ इस इंतेज़ार में की कब सुबह हो, और वो उस कमरे से बाहर जा सके। उसे ज्यादा इंतेज़ार भी नही करना पड़ा, और सुबह 6 बजे सभी तैयार हो कर अपने आगे के सफर पर निकल पड़े। लेकिन आज गाड़ी रुमित चलाने वाला था, तो रुमित प्रीति की seat लेली स्मिता और चैतन्य ने, और सभी निकल पड़े शिर्डी की ओर। रास्ते मे खाना पीना कर, मौज मस्ती में शाम को शिर्डी भी पहुंच गए। तब तक स्मिता और चैतन्य के बीच का मनमुटाव कुछ हद तक कम भी हो चुका था। वहीं रात भर न सो पाने के कारण शिवांश की तबियत थोड़ी बिगड़ गयी थी, और वो गाड़ी में भी कई बार, सुमित के कंधे पर सिर रख कर कुछ झपकियां भी ले चुका था। लेकिन एक तो रात भर न सो पाने के कारण, और दो दिन के सफर की थकान के कारण उसे उल्टियां भी होने लगी थी। होटल पहुंच कर इस बार भी शिवांश को सुमित अपने कमरे में ही ले गया, और सब नाहा धोकर, साईं बाबा के दर्शन को भी चले गए। लेकिन विवेक के ज़ोर देने पर भी सुमित होटल में ही शिवांश की देखभाल के लिए रुक गया।



                रात को भी सोते समय, शिवांश के बहुत मना करने के बावजूद भी, सुमित ने विवेक को ही सोफे पर सोने के लिए भेज दिया। अब विवेक को भी कहीं ना कहीं, शिवांश का इस trip पर होना खटकने लगा था। रात भर सुमित ने शिवांश का खूब ख्याल रखा, कभी उसका सिर दबाता, कभी हाँथ पेर दबाता, कभी बालों में उंगलियां फिरा कर शिवांश को सुलाता। ना जाने कितनी रातों के बाद, शिवांश इस रात को बहुत ही चैन के साथ, सुमित के साथ, अपने पुराने समय को याद करते हुए सोया था। रात भर अपनी नींद पूरी कर लेने से, शिवांश की तबियत भी अब ठीक हो चुकी थी। और फिर 9 सितम्बर की सुबह, सभी लोग फिर से अपने सफर को आगे बढ़ाते हुए, रात तक गोआ के calangute के उस casa de goa, resort में पहुंच गए, जहां रुमित ने पहले से ही 3 room book करवा रखे थे। और इस बार शिवांश ने सबकी नजरों से बचकर, reception पर जा कर अपने लिए एक अलग room book करवा लिया। सभी ने रात का खाना साथ खाया, और सभी एक दूसरे को good night बोल कर अपने अपने कमरों में सोने जाने लगे। लेकिन जब शिवांश किसी दूसरे कमरे की ओर जाने लगा तो सुमित ने उसे टोका।


सुमित :- "वहां कहाँ जा रहा है, अपना room तो इस तरफ है।"


शिवांश :- "नहीं यार पहले की बात और थी, लेकिन अब मैं तुम दोनों के बीच कबाब में हड्डी नही बनना चाहता। इसलिए मैंने अपने लिए अलग room book कर लिया है।"


सुमित :- "अरे पागल है क्या, ऐसी कोई बात नही है, तू कोई हड्डी नही, मेरा bestest friend है।"


विवेक :- (दोनो को बात करने से रोकते हुए) "अब जाने दो उसे, अपने room में सोफे पर सोने से अच्छा है, की वो अलग room में आराम से bed पर सोये, हैना शिवांश??"


शिवांश :- "हाँ!! चलो bye good night! कल मिलते हैं।"


विवेक :- (अपने कमरे में आने के बाद) "बडा प्यार आ रहा था, अपने bestest friend पर!"


सुमित :- "हाँ तो क्या बोलता, की तुने अच्छा किआ, हमे भी थोड़ी privacy की जरूरत थी!" 


विवेक :- "लेकिन तुमने शिवांश का चेहरा देखा, वो बिल्कुल खुश नही था, अलग कमरे में जाने से। उसे तो तुम्हारे साथ रहने में ही अच्छा लगता है।"


सुमित :- "कुछ भी!!! अगर ऐसा ही होता तो वो college भी क्यों छोड़ता, मेरे साथ job भी कर लेता। ऐसा कुछ भी नही है।"


विवेक :- "मुझे नही पता, लेकिन वो जब भी तुम्हे देखता है,उसकी आँखों मे साफ दिखता है, की वो तुम्हे दोस्त से बड कर ही मानता है।"


सुमित :- (विवेक के गले मे अपने हांथो का हार डालते हुए) "उसे छोड़ो, तुम तो ये बताओ कि मेरी आँखों मे क्या दिख रहा है, तुम्हे???"



                   आज की रात सुमित के लिए बहुत खास थी, क्योंकि अपने इन 3 साल के रिश्ते में, सुमित और विवेक आज पहली बार एक दूसरे के बेहद, बेहद करीब आये थे। आज की रात सुमित और विवेक के रिश्ते ने, प्यार के सफर के हर रास्ते को पूरा कर लिया था। लेकिन इस रात की शुरुआत जितनी सुखद हुई थी, इसका अंत उतना खुशनुमा नही हुआ। सुबह के 4 बजे के आस पास, शिवांश का फ़ोन सुमित के पास आया, और उसने अपनी तबियत सही ना होने का कारण देकर, सुमित को अपने कमरे में बुलाया। और सुमित विवेक को सोता छोड़, शिवांश के कमरे में चला गया। शिवांश की तबियत तो वेसे एक दम ठीक थी, लेकिन सुमित को अपने पास बुलाने का कोई और उपाय शिवांश को नही सूझा। जिन भावनाओ को वो सालों पहले दबा कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था, सुमित के साथ ने उन इक्छाओं को पुनः जाग्रत कर दिया था। सुमित जब शिवांश के कमरे में पहुंचा, तो शिवांश ने अपने सिर में बहुत ही तेज़ दर्द होना बताया, जिस पर सुमित शिवांश के सिर में बाम लगा कर उसका सिर दबाने लगा, और दोनो की कब आंख लग गयी उन्हें पता ही नही चला।



              अगले दिन 10 सितम्बर की सुबह जब विवेक की आंख खुली और उसने सुमित को अपने पास नही पाया, तो उसने सुमित को फ़ोन लगाया, तब उसे पता चला कि रात में शिवांश की तबियत खराब होने की वजह से सुमित रात से उसके पास ही है। ये सुनकर विवेक को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन इसके लिए वो कुछ कर भी नही सका। उस दिन सभी ने calangute beach पर ही सारा दिन बिताया, मौज मस्ती और water sports के लुत्फ उठाये। रात में सभी ने beach के ही एक night club में जाना तय किया। रात की शुरुआत सभी ने beer और breezer के साथ कि, और dancing floor की तरफ रुख किया। विवेक अपना सारा समय सुमित के साथ ही बिताना चाह रहा था, लेकिन शिवांश की मौजूदगी ऐसा होने नही दे रही थी। प्रीति, रुमित और चैतन्य, स्मिता तो आपस मे मशरूफ थे, लेकिन शिवांश, विवेक और सुमित के बीच एक दीवार बना खड़ा था। जिसे भांपते हुए विवेक सुमित को club से बाहर ले आया।


विवेक :- "चलो थोड़ा वक्त beach पर ही बैठते है, यहां शोर शराबे में मुझे अच्छा नही लग रहा।"


सुमित :- "हाँ यार! मन तो मेरा भी बहुत है तुम्हारे साथ अकेले में time बिताने का, लेकिन हम अगर अभी ऐसे चले जायेंगे तो, बाकियों को तो कोई फर्क नही पड़ेगा, लेकिन शिवांश एक दम अकेला पड़ जायेगा।"


विवेक :- (शिवांश का नाम सुनते ही चिढ़ते हुए) "अरे तो वो कोई छोटा बच्चा थोड़ी है, he can manage himself. काल रात भी तुम मुझे छोड़ के उसके पास चले गए, लेकिन मैंने कुछ नही कहा। अब क्या शिवांश के चलते हम enjoy भी नही करेंगे क्या??"


सुमित :- ( विवेक के गुस्से को समझते हुए) "अरे यार!!! वो यहां सिर्फ मेरे कहने पर आया है,और मैं ही यहां लाकर उसे अकेला छोड़ दूं, कैसा लगेगा उसे। और कल तो उसकी तबियत ठीक नही थी, मैं तुम्हे बताना चाहता था, लेकिन तुम गहरी नींद में थे, तो मैंने जगाना सही नही समझा।"


विवेक :- (झुंझलाते हुए) "उसके लिए मुझे ignore करने का तुम्हारा ये behaviour मुझे बिल्कुल पसंद नही आ रहा है। तुम्हारे लिए मैं important हूँ, या वो??"


 सुमित :- (प्यार से विवेक को समझाते हुए) "नही यार ऐसा बिल्कुल नही है। मैं तो बहुत खुश हूँ, की यहां मुझे तुम्हारे साथ quality time बिताने को मिल रहा है। हम चलेंगे न beach पर, लेकिन थोड़ी देर से चलते हैं ना, तब तक ये लोग भी resort लौट जाएंगे।"


                    विवेक को सुमित की ये बात बिल्कुल अच्छी नही लगी, की उसने शिवांश के लिए उसकी ही बात को ठुकरा दिया। विवेक ने लेकिन फिर एक शब्द और नही कहा, और गुस्से में सुमित का हाँथ झटक, resort की तरफ चला गया। सुमित भी उसे मनाने के लिए उसके पीछे आ ही रहा था कि शिवांश ने उसे आवाज दे कर रोक दिया।


शिवांश :- "I am really sorry यार!!! मेरी वजह से विवेक तुझसे गुस्सा हो गया।"


सुमित :- "अरे नही यार! वो तो बस थक गया है, इसलिए वापस resort चला गया।"


शिवांश :- "मुझसे झूठ बोलने की कोई जरूरत नही तुझे। मैंने तुम दोनों की सारी बात सुन ली है। और यार ये मेरी ही गलती है, इसलिए मैं आने के लिए मना कर रहा था, लेकिन तू सुनने को ही तैयार नही था।"


सुमित :- "नही यार शिवांश सच मे, ऐसी कोई बात नही है। वो तो बस मैं उसे सही से time नही दे पा रहा हूँ, इसलिए थोड़ा सा नाराज है, बस।"


शिवांश :- "थोड़ा सा?? मैने देखा उसने कैसे behave किआ तेरे साथ। मेरे हिसाब से तुझे उसे थोड़ा समय अकेले छोड़ देना चाहिए, जब उसका गुस्सा ठंडा हो जाएगा, तो उसे खुद अपनी गलती समझ आ जायेगी।"


सुमित :- "नही यार! ऐसी कोई बात नही। मैं अभी जा कर उससे बात करता हूँ, और उसे वापस लेकर आता हूँ।


शिवांश :- "अरे नही! तू मेरी बात मान। अभी वो गुस्से में है, कुछ नही सुनेगा तेरी, उल्टा तुझे ही कुछ भला बुरा बोल देगा, तो बात और बड़ जाएगी। उसे थोड़ा समय दे, और तू मेरी बात सुन....."


                     शिवांश सुमित को अपनी बातों में उलझा कर जानबूझ कर उसे club से दूर, beach पर ले आता है। और विवेक के बारे में कई सवाल - जवाब, कई सारी बातें करने लगता है। असल मे वो बस सुमित को विवेक से दूर रखना चाह रहा था, जिससे वो उन दोनों के बीच की दूरी को बड़ा सके। उधर जब विवेक resort तक पहुंचा, तब तक उसका गुस्सा भी शांत हो चुका था, और उसे भी समझ आया कि इतनी सी बात के लिए उसे सुमित के साथ ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था। सुमित से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने, और उसे मनाने, जब विवेक night club वापस आया, तो बाकी लोगों से उसे पता चला कि सुमित और शिवांश तो काफी देर से वहाँ नहीं हैं। विवेक ने जब बाहर आकर यहाँ वहां ढूंढा, तो beach पर सुमित, शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठा हुआ दिखा। सुमित को शिवांश के साथ ऐसे बैठा, देख कर, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। लेकिन फिर भी खुद पर संयम रख कर वो वहां उन दोनों के पास जाकर उन्हें कुछ कहने के बजाय वापस वहां से अपने resort के कमरे में आ गया। थोड़ी देर बाद सुमित भी वापस resort में आ गया, और उसने विवेक से बात भी करनी चाही। लेकिन विवेक, नींद आने का बहाना देकर, कल बात करने के लिए कह कर, एक तरफ करवट करके लेट गया। लेकिन विवेक जैसे ही अपनी आंखें बंद करता, उसे सुमित का शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठे होने का दृश्य ही दिखाई देता। जिस वजह से उस रात बहुत देर से विवेक को नींद आयी। उसे सुमित के प्यार पर शक तो नही था, लेकिन शिवांश के साथ से एतराज जरूर था। और शिवांश इस एतराज का फायदा बहुत ही अच्छे से उठा रहा था।



                    अगले दिन यानी 11 सितम्बर को सभी ने south गोआ घूमने का प्लान बनाया। जिसपर विवेक ने साथ न चलने की इक्छा ज़ाहिर की, लेकिन सुमित ने विवेक की एक न सुनते हुए, उसे साथ चलने को तैयार कर ही लिया। सारे दिन सभी अपनी मस्ती में मगन, गोआ घूमने का लुत्फ उठा रहे थे, फ़ोटो खिंचवा रहे थे। लेकिन विवेक गुमसुम सा, सिर्फ सुमित और शिवांश को ही घूरे जा रहा था। और इसका आभास सुमित को भी था, और इसका कारण जानने का और विवेक को मनाने के कई प्रयास भी सुमित ने किए, लेकिन वो नाकामयाब ही रहा। सारा दिन घूम फिर कर, रात को आकार सभी अपने अपने कमरों में, दिन भर की थकान मिटाने चले गए। इधर सुमित ने भी एक बार फिर, विवेक के मन का हाल जानने की कोशिश की।


सुमित :- "क्या हुआ है, बताओगे भी?? कितनी बार बोल चुका हूं, कल के लिए I am sorry!!"


विवेक :- "Sorry बोलने की तुम्हे कोई जरूरत नही।"


सुमित :- "तो फिर किस बात के लिए गुस्सा हो?? आज अच्छे से enjoy भी नही किआ। सब मुझसे ही पूछ रहे थे, की क्या हुआ विवेक को?? क्या बताता उन्हें, जब मुझे खुद ही नही पता।"


 विवेक :- "क्या फर्क पड़ता है??? तुमने तो enjoy किआ ना, शिवांश के साथ, आज भी और कल भी!!"


सुमित :- "किसी से हंस के अच्छे से बात करने को ही enjoy करना बोलते है क्या? तो क्या मैं भी तुम्हारी तरह मुंह फूला कर बैठ जाऊं??"


 विवेक :- "नहीं, बिल्कुल नहीं! Beach पर, समुद्र के किनारे, चांदनी रात में, शिवांश के कंधे पर सिर रख कर बैठ जाओ, और फिर रात में भी उसी के कमरे में ही सो जाओ। पता नही मेरे boyfriend हो या उसके??!!"



                     ये बात सुनकर सुमित को बहुत बुरा लगा, गुस्सा भी बहुत आया, लेकिन वो बिना कुछ जवाब दिए ही वहां से चला गया। विवेक भी बहुत गुस्से में था, इसलिए उसने भी सुमित को जाने से नही रोका। फिर जब रात को 2 बजे तक सुमित वापस कमरे में नही आया, तो विवेक को फिक्र भी होने लगी, और उसने अपना गुस्सा एक किनारे कर, सुमित को फ़ोन लगाया। जब घंटी बजी तब पता चला कि सुमित तो फ़ोन कमरे में ही छोड़ गया है। तो सुमित सबसे पहले शिवांश के कमरे की तरफ गया, उसे लगा कि सुमित गुस्से में यहीं आया होगा। लेकिन सुमित वहां नही था, फिर स्मिता और प्रीति के room में देखने पर पता चला कि सुमित वहां भी नही है। फिर सभी ने आस पास ढूढना भी शुरू किया, और विवेक सुमित को खोजते हुए, calangute beach पर पहुंचा, जहां उसे सुमित अकेला बैठा मिला। विवेक ने वहां सुमित के पास जाकर, अपनी गलती की माफी मांगी, और उससे अपने मन की सारी बातें भी की। सुमित ने विवेक से कान पकड़ कर उठक बैठक भी करवाये, और फिर उसके होंठों पर एक प्यारी सी kiss देकर उसे माफ भी कर दिया, और दोनों वापस resort आ गए। जब सुमित वापस आया, तो स्मिता ने उसकी खूब फटकार लगाई, और दोबारा ऐसी हरकत ना करने का वादा भी लिया। और हंसी खुशी सुमित और विवेक ने अपने बीच की इस दूरी को भी खत्म कर लिया। लेकिन विवेक के चेहरे पर आई ये खुशी, शिवांश को बिल्कुल भी न भाई।



                   अगले दिन 12 सितम्बर को सभी थोड़ी देर से सो कर उठे, क्योंकि रात को सुमित की वजह से सभी की नींद खराब जो हो गयी थी। स्मिता और चैतन्य ने आज का दिन resort के ही spa में relax करना तय किया। लेकिन सुमित, विवेक, रुमित और प्रीति, आस पास ही घूमने निकल गए। शिवांश ने तबियत ठीक ना होने का कारण देकर आज resort में ही रुकने का फैसला लिया। असल मे वो बस कुछ सोचने के लिए समय चाहता था, जिससे वो विवेक और सुमित के बीच वापस से गहरी दूरी ला सके। इधर स्मिता और चैतन्य ने भी अपने बीच के मनमुटाव को खत्म कर लिया था, लेकिन चैतन्य ने सुमित के GAY होने और विवेक से रिश्ते की बात को, हमेशा के लिए अपने घरवालों से छुपाने का फैसला लिया था, क्योंकि वो अपने घरवालों के विचारों को अच्छे से समझता था, और वो नही चाहता था कि, सुमित के GAY होने की वजह से स्मिता और उसके रिश्ते पर कोई भी आंच आये। यहां से जाने के बाद दोनों ने ही अपने अपने घरवालों को उनके रिश्ते के बारे में बताना भी तय किया हुआ था। और स्मिता और चैतन्य ने कल के लिए, सभी के साथ north गोआ घूमने का प्लान भी बना लिया था। आज का दिन सभी के लिए हल्का बीता। प्रीति और रुमित भी, आज सारा दिन सुमित और विवेक के साथ रहने की वजह से उनसे और बेहतर घुल मिल चुके थे, और शायद कहीं न कहीं GAYS के बारे में बनी प्रीति और रुमित कि सोच को भी, सुमित और विवेक के प्यार ने बदल दिया था। वहीं जो शिकन अभी तक विवेक के माथे पर थी, अब उसे शिवांश के चेहरे पर देखा जा सकता था। जिसकी वजह था, सुमित और विवेक का साथ। रात के खाने पर जब सब साथ आये, तो विवेक, शिवांश के चेहरे की उदासी को अच्छे से समझ गया था, लेकिन उसने इस बारे में सुमित से कोई भी बात ना करना ही उचित समझा, क्योंकि वो फिर से खुद को या सुमित को शिवांश की वजह से परेशान नही करना चाहता था। इस रात शिवांश ने फिर एक बार सुमित को फ़ोन कर अपने कमरे में बुलाना चाहा, लेकिन आज फ़ोन विवेक ने उठाया, और सुमित सो चुका है, कहकर फ़ोन काट दिया।



                   13 सितम्बर की सुबह सभी तैयार होकर, स्मिता और चैतन्य के प्लान के मुताबिक, north गोआ घूमने को निकाल गए। लेकिन शिवांश को अब ये घूमना फिरना बिल्कुल भी रास नही आ रहा था, क्योंकि अब विवेक थोड़ा सजग हो गया था, और वो शिवांश को सुमित के पास भी नही आने दे रहा था, और ना ही शिवांश को सुमित से ज्यादा देर बात करने दे रहा था। अब ये विवेक का नया रूप, शिवांश की आंखों में खटकने लगा था। दिन भर घूमने फिरने के बाद, शाम को resort लौटते वक्त प्रीति और स्मिता, resort के पास वाले मार्केट में ही उतर गई, थोड़ी बहुत खरीददारी करने के लिए। उधर विवेक ने resort पहुंच कर, सुमित के साथ कुछ समय beach पर बिताने की इक्छा जाहिर की, जिसका सुमित ने हाँ में उत्तर दिया, और दोनों बीच के लिए निकल पड़े।



शिवांश :- (सुमित और विवेक को रोकते हुए) "अरे रुको guys!!! मैं भी साथ चलता हूँ।"


विवेक :- "Please dont mind शिवांश!!! लेकिन मैं थोड़ा समय सुमित के साथ अकेले बिताना चाहता हूं।"


सुमित :- (विवेक को टोकते हुए) "Dont be so mean!!! चल आजा शिवांश, कोई दिक्कत नही।"


शिवांश :- (खुशी से, सुमित के पास आते हुए) "Thanks यार!! नही तो मैं यहां अकेले bore हो जाता।"


विवेक :- (शिवांश को रुमित और चैतन्य की तरफ मोड़ते हुए) "अरे बिल्कुल bore नही होगे तुम यहाँ, मैंने तुम सब लोगों के लिए, beer order की है, बस आती ही होगी। तो यहां, चैतन्य और रुमित के साथ आराम से बैठ कर beer पीओ और enjoy करो। हम दोनो बस थोड़ी ही देर में आते हैं।"


                  विवेक के इस कदम ने शिवांश को तो resort में ही रोक दिया था, लेकिन अब शिवांश को भी अच्छे से समझ आ गया था, की अब विवेक को झांसा देकर, उसे सुमित से दूर करना इतना भी आसान नही होने वाला है। शिवांश यूँ तो बैठा चैतन्य और रुमित के साथ था, लेकिन उसका सारा ध्यान सुमित और विवेक के वापस आने पर ही था। लेकिन विवेक और सुमित रात में देर से वापस resort में आये, और उस समय शिवांश ने सुमित से कोई भी बात करना ठीक नही समझा।



                 अगले दिन सुबह, 14 सितम्बर को जब सभी नाश्ते के लिए बैठे, तो शिवांश जल्दी से विवेक के आगे जाकर सुमित के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया। लेकिन विवेक भी अब शिवांश की इस तरह की किसी भी हरकत पर चुप बैठने वाले नही था, और उसने सुमित को वह से उठा कर दूसरी जगह अपने पास बैठा लिया। ये देख कर तो शिवांश ने अपना आपा ही खो दिया।


शिवांश :- (विवेक पर गुस्से में चिल्लाते हुए) "तुम्हारी problem क्या है, हाँ?? कल से देख रहा हूं मैं, तुम मुझे सुमित से बात ही नही करने दे रहे, उसके पास भी नही जाने दे रहे। क्या दिक्कत क्या है, तुम्हे मुझसे??!!"


विवेक :- (मुस्कुरा कर) "क्यों गरम हो रहा है भाई?? मुझे सुमित के पास बैठना था, और वहां जगह नही थी, इसलिए मैं उसे यहां ले आया। इसमे इतना गुस्सा होने वाली क्या बात है?? और मैं क्यों रोकूंगा तुझे सुमित से बात करने से, तू तो उसका दोस्त है!!"


शिवांश :- (विवेक को मुस्कुराता देख, और झल्लाते हुए) "हाँ तो ये बात हमेशा याद रखना, तेरा boyfriend होने से पहले वो मेरा best friend है। कोई हमारे बीच मे नही आ सकता, और अगर तूने हमारे बीच मे आने की कोशिश भी की ना, तो अच्छा नही होगा तेरे लिए।"


सुमित :- (अभी तक विवेक को शांत करा रहा था, लेकिन शिवांश की बात सुन, उस पर गुस्सा होते हुए) "कैसे बात कर रहा है तू, जरा ढंग से बात कर। और मेरे विवेक के साथ बैठने से तुझे क्या problem है???" 


विवेक :- (सुमित को शांत करते हुए) "अरे तो तुम क्यों गुस्सा हो रहे हो?? उसे कोई misunderstanding हो गयी होगी।"


शिवांश :- (गुस्से में चिल्लाते हुए) "कोई misunderstanding नही है मुझे, साफ समझ आ रहा है, की क्या करना चाहता है तू। अलग करना चाहता है ना तू मुझे सुमित से? कभी नही कर पायेगा तू ऐसा!! वो तो मैंने ही जाने दिया इसे तेरे पास, वरना अगर उस रात मैंने इसे kiss कर लिया होता, और अपना बना लिया होता, तो तेरी तरफ आंख उठा कर भी नही देखता ये!!"


              शिवांश के इस कदर बत्तमीजी से बात करने से, सुमित अपने आप को रोक नही पाया और उसने शिवांश में एक जोरदार थप्पड़ मार दिया। जिस पर शिवांश ने कोई प्रतिउत्तर तो नही दिया, लेकिन झुंझलाकर वहां से अपने कमरे में चला गया।


सुमित :- (विवेक से) "शिवांश की तरफ से मैं तुमसे माफी मांगता हूं, पता नही उसे क्या हो गया है।"


विवेक :- (आंखों में आंसू लिए, सुमित की ओर देखते हुए) "वो किस रात की बात कर रहा था??? तुम उसे kiss करने वाले थे???"


सुमित :- (विवेक का चेहरा अपने हांथों में पकड़ते हुए) "नही यार!! ऐसा कुछ भी नही है, ये बहुत मामूली और पुरानी बात है।"


विवेक :- (सुमित का हाँथ झटकते हुए) "हम 3 सालों से साथ है!! और तुम्हे एक बार भी नही लगा, की तुम्हे मुझे ये मामूली बात बतानी चाहिए थी, की तुम शिवांश को kiss करने वाले थे!!"


सुमित :- "अरे इसमे ऐसी कोई बात ही नही है!!! तुम गलत सोच रहे हो!"


विवेक :- (वहां से जाते हुए) "तुम लोग kiss करने वाले थे, और मैं गलत सोच रहा हूँ। मेरे भी कई friends है, लेकिन मैं तो किसी को kiss नही करता।"


                  शिवांश ऐसा कुछ करना तो नही चाहता था, लेकिन उसकी इस अधूरी बात ने, विवेक के मन मे कई सारे सवाल खड़े कर दिए थे। और वो गुस्से में resort से निकल कर beach की ओर चला गया। वहां मौजूद बाकी लोग बस दर्शक बने सब तमाशा देख रहे थे, क्योंकि वहां जो कुछ भी हुआ, किसी को कुछ समझ ही नही आ रहा था। स्मिता ने आकर फिर सुमित को समझाया, की जो भी बात है आराम से बैठ कर बात करो, यूँ गुस्सा कर के, चिल्ला कर, या किसी पर हाँथ उठाकर तो कोई solution नही निकलेगा। और स्मिता ने ही सुमित को विवेक से बात करने, उसके पीछे भेज दिया। सुमित के जाने के साथ ही, शिवांश भी गुस्से में रिसोर्ट से निकल गया।



रुमित :- (नाश्ते की टेबल से उठते हुए) "इन लोगों का भी पता नही क्या चलता रहता है। अब इन लोगों के ड्रामे के चलते हमारा तो आज का सारा प्लान ही खराब हो गया न।"


प्रीति :- (रुमित को समझते हुए, और स्मिता के पास जाते हुए) "छोड़ न यार, दोस्तों में तो ये सब चलता रहता है। वो लोग आपस मे सुलझा लेंगे। चल स्मिता आज हम spa चलते है, थोड़ा mood भी fresh हो जाएगा।"


स्मिता :- "नही यार मन नही मेरा, तू रुमित के साथ चली जा, मैं इन लोगों को देखती हूँ, कहाँ गए है, और आखिर ये बात क्या है। किस बात पर झगड़ रहे है, मुझे तो कुछ समझ ही नही आया।"


चैतन्य :- "Dont worry!!! छोटे बच्चे थोड़ी हैं, अपना ख्याल भी रख सकते हैं, और अपने problem भी सुलझा सकते है। तुम आराम करो, कहीं जाने की जरूरत नही है, आपस में सुलझाने दो उन्हें। तब तक मैं गाड़ी की servicing करवा कर आता हूँ, बहुत travel कर लिया है, वापस घर जाते समय कोई प्रॉब्लम ना आ जाये।"


                    इस झगड़े को ज्यादा serious ना समझते हुए, रुमित, प्रीति spa में और स्मिता अपने कमरे मै आराम करने और चैतन्य अपनी गाड़ी की servicing करने निकल गया। इस छोटे से वाक़ये की संगीनता तो शाम को समझ आयी जब विवेक अकेले ही resort में आया। और सुमित को ढूंढता हुआ, स्मिता और सुमित के कमरे में पहुंचा।



विवेक :- (स्मिता के कमरे के दरवाजे पर दस्तक देने के बाद) "Sorry to disturb you दीदी!! सुमित को देखा क्या आपने??? फ़ोन भी नही उठा रहा है, शिवांश के room में देखा तो वो भी lock है, वहां भी नही है।"


स्मिता :- (आश्चर्य से) "तुम्हारे पीछे पीछे ही तो गया था वो, तुमसे बात करने।"


विवेक :- "नही दीदी!! मैं तो तबसे beach पर ही था, वहां तो नही आया।"


चैतन्य :- (बिस्तर से उठ कर दरवाजे पर, स्मिता और विवेक के पास आते हुए) "शिवांश को फोन करो...... उससे तो नही लड़ने बैठ गया कहीं!!"


स्मिता :- (शिवांश को फ़ोन लगते हुए) "Hello शिवांश!!! सुमित तुम्हारे साथ है क्या??"


शिवांश :- (फ़ोन पर) "नही दीदी !!! उस महान विवेक के साथ होगा ना। उसके सिवा अब और कोई दिखता ही कहाँ है, सुमित को!!"


स्मिता :- (फ़ोन पर) "नही है उसके साथ यार!!! विवेक खुद ढूंढ रहा है उसे!!"


                     ये सुनते ही शिवांश भी भागता हुआ resort आ गया और रुमित प्रीति भी अपने कमरे से बाहर आ गए, और सभी लोग सुमित को आस पास के पूरे इलाके में ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते रात भी हो गयी, लेकिन सुमित का कोई पता ही नही चला। सभी लोग थक हार कर वापस resort में भी आ गए। सभी ने यही सोचा, की हो सकता है, पहले की तरह इस बार भी नाराज होकर कहीं अकेले में time spend कर रहा होगा, शायद थोड़ी देर में खुद ही वापस आ जाये। यही सोच के साथ बाकी सभी अपने अपने कमरों में सोने चले गए। लेकिन स्मिता और विवेक वहीं reception पर ही सुमित का इंतेज़ार करने लगे।



विवेक :- (हताशा में) "सब मेरी ही गलती है दीदी, ना मैं जाता, ना मेरे पीछे वो।"


स्मिता :- (विवेक को समझते हुए) "नही!! अकेले तुम्हारी नही, मेरी भी गलती है!!! तुम्हारे पीछे जाने के लिए तो मैंने ही कहा था ना।"


विवेक :- "सुमित बचपन से ही ऐसा है क्या दीदी!!?? Careless, गुस्सैल, नासमझ??"


स्मिता :- (मुस्कुराते हुए) "जी नही!! बहुत समझदार है, मेरा भाई!! ये तो तुम्हारी संगत में ऐसा हो गया है। वरना गुस्सा तो मेरे अलावा किसी और ने देखा भी नही था उसका।"


चैतन्य :- (स्मिता को बताते हुए) "यार bore हो रहा हूँ, पास के ही baar में जा रहा हूँ। वहां लोगों से पूछ भी लूंगा सुमित के बारे में, शायद किसी ने देखा हो उसे। और हाँ, तब तक यहां आ जाये तो मुझे फ़ोन करके बता भी देना, और मेरी तरफ से 2 कान के नीचे भी लगा देना उसके।"


स्मिता :- (मुस्कुराते हुए) "बिल्कुल!! लेकिन अकेले क्यों जा रहे हो, रुमित को ले जाओ!!"


चैतन्य :- "वो busy है प्रीति के साथ, तो उसे disturb करना सही नही।"


स्मिता :- "तो शिवांश को ले जाओ।"


चैतन्य :- (हँसते हुए वहां से जाते हुए) "वो Angry yong man के साथ से तो में अकेला ही अच्छा हूँ।"


विवेक :-  (चैतन्य के जाने के बाद) "दीदी ये शिवांश का क्या status है। Please dont mind, लेकिन जितनी भी उसके बारे में सुमित से बात हुई, तो उसने बताया कि, वो उसका सबसे अच्छा दोस्त है। लेकिन मैं जब भी शिवांश को देखता हूँ, तो मुझे उसकी intansion कुछ अलग ही लगती है। और आज सुबह आपने भी देखा!! बेवजह भड़क रहा था, और ना जाने क्या क्या बकवास कर रहा था।"


स्मिता :- "Frankly बताऊं तो शिवांश सुमित का अच्छा दोस्त है,  इसके आगे कुछ नही। अगर कुछ serious होता उन दोनो के बीच तो सुमित मुझे जरूर बताता। अब शिवांश के दिमाग मे अगर कुछ और बात चल रही है, और वो जो कुछ भी सुबह बोल रहा था, तो ये तो वो ही बता सकता है, या सुमित। मुझे इस बारे में कुछ भी नही पता।"


                     सुमित के बारे में ढेर सारी बातें करते करते, सुमित के इंतेज़ार में, विवेक और स्मिता, वहीं reception के सोफे पर ही सो गए। कुछ 2 घंटे बाद चैतन्य भी beer baar से वापस लौट आया, लेकिन स्मिता को सोता देख उसे जगाना ठीक नही समझा, और वापस अपने कमरे में जाकर सो गया। सुबह वो मनहूस खबर ने सबकी नींद उड़ा दी, की जिसका इंतेज़ार स्मिता और विवेक पलके बिछाए resort के reception पर कर रहे थे, वो अब कभी भी वापस नही आने वाला है। वो मरा नही, उसे बड़ी ही बेरहमी से मार दिया गया है।


                        Calangute police station के head जिव्बा जी. डाल्वी, इस murder case की तहकीकात कर रहे थे, और उन्होंने ने ही सुमित के सभी दोस्तों को पूछताछ के लिए police station बुलवाया था। अभी तक किसी को सुमित की लाश नही दिखाई गई थी, क्योंकि अभी लाश का postmortem चल रहा था, लेकिन उस लाश की फ़ोटो से पहचान लिया गया था, की ये लाश सुमित की ही है।



डाल्वी जी :- (स्मिता से) "आपका तो वो भाई था!!! आपने भी किसी को inform नही किआ!!! क्यों???


स्मिता :- (आंसू पोंछते हुए, दबी आवाज में ) "सर उसका झगड़ा हुआ था, उसके boyfriend के साथ, तो हम बस उन्हें अकेले में थोड़ा समय देना चाहते थे, ताकि वो लोग आपस मे सब सुलझा लें, लेकिन जब विवेक अकेला ही resort में आया, और जब हम लोगों ने उसे सुमित के बारे में पूछा, तब हमे पता चला कि वो तो सारे दिन से अकेला था, सुमित तो उसके पास आया ही नही। तब हमने सुमित को यहां वहां ढूंढा भी, लेकिन हमें लगा कि वो कहीं गुस्से में अकेले time spend कर रहा होगा, हमे इसमे कोई serious बात लगी ही नही सर। सुमित पहले भी ऐसा कर चुका था, तो हमे लगा कि वो कुछ देर बाद खुद ही वापस आ जायेगा। मुझे क्या पता था सर की मेरा भाई किसी मुसीबत में है, मुझे भनक भी होती तो मैं उसे कहीं नही जाने देती। अब क्या बोलूंगी मैं माँ पापा को!!"


डाल्वी जी :- "माँ पापा को तो आप लोग बाद में सोचना, की क्या बताना है और क्या नही। पहले मुझे बताने के लिए आप लोग अच्छे से याद करलो, की कल रात आप सब कहाँ थे, और क्या कर रहे थे।"


चैतन्य :- (झल्लाते हुए) "सर आप कातिल को ढूंढने की जगह हम सब पर शक कर रहे हो। हम सब सुमित के दोस्त और परिवार है, हम लोग ऐसा क्यों करेंगे।"


डाल्वी जी :- "हमे अपना काम अच्छे से आता है, तो co-operate करो। वरना रात भर lockup में रख कर भी ये पूछताछ की जा सकती है।"


डाल्वी जी :- (विवेक से) "हाँ जी boyfriend साहब, क्यों झगड़ा हुआ तुम्हारा सुमित से, और तुम कहा थे सारा दिन??"


विवेक :- (मायूसी से) "सर ऐसा कोई खास झगड़ा नही हुआ था, ऐसी अनबन तो जबसे ये trip शुरू हुई तबसे ही चल रही थी, और मैं सारे दिन calangute beach पर ही बैठा था, और मुझे पता था कि थोड़ी देर में सुमित भी मेरे पास आ जायेगा, लेकिन मुझे ये अंदाज बिल्कुल नही था कि उसके साथ ऐसा हादसा हो जाएगा।"


डाल्वी जी :- "ये murder भी तो beach पर ही हुआ है??? तुमने सुमित को beach पर आते कैसे नही देखा फिर??? कहा बैठे थे beach पर???"


विवेक :- "सर मैं right hand side जहां water sport वाले होते है, मैं वंही बैठा हुआ था पूरे समय, सर सुमित beach पर आया ही नही था, अगर वो आता तो मुझे जरूर दिखाई देता। मैं जहां बैठा था वंहा से सारा beach दिखाई दे रहा था सर, और मैं एक पल के लिए भी वह से उठ कर नही गया था।" 


प्रीति :- (दोबारा चिल्ला कर) "सर हम सब ये सभी बातें पहले भी आपको अच्छे से बता चुके है, बार-बार पूछने से सच बदल नही जाएगा। हम सुबह से यहां भूखे प्यासे बैठे है, और एक ही बात बार-बार दोहराए जा रहे हैं। आखिर और कब तक बस यही चलता रहेगा।"


डाल्वी जी :- (इस बार मुस्कुरा कर) "हवलदार!!!! मैडम के लिए चाय नाश्ता लाओ, मैडम यहां holiday पर आईं है। मैडम, suspect के साथ कैसा व्यवहार करना है, क्या पूछना है, ये मेरा काम है, और मुझे मेरा काम अच्छे से आता है। तो ये बार बार आवाज़ ऊंची करने का कोई फायदा नही है। मुझे पूरी सहानुभूति है आप लोगों के साथ, लेकिन उसके पहले, आप लोग एक murder  के suspect हैं...... लो हवलदार भी आ गया, और जिसका मुझे काफी समय से इंतेज़ार था, वो भी आ गयी, postmortem की report!!!"


डाल्वी जी :- (postmortem की report देखते हुए) "हाँ तो boyfriend साहब, आपने क्या बताया, की आप beach से वापस कब आये थे?? शाम को???"


विवेक :- "हाँ सर, मैं शाम को कुछ 6:30 या 7 बजे के करीब वापस आ गया था।"


डाल्वी जी :- (Report को बंद करते हुए) "चलिये ठीक है, अब आप लोग अपने resort जाइये, और कल सुबह ठीक 10:30 बजे वापस यहां आ जाइये। लेकिन resort से बाहर बिना हमे बताए आप लोगों को कहीं जाने की permission नही है, और इसके लिए हमारी एक team रिसोर्ट के बाहर ही आप लोगों पर निगरानी रखेगी। और हाँ स्मिता जी, हमने आपके घर खबर भिजवादी है, तो कल आपके माता पिता भी यहां आ जाएंगे।"


                         सारी पूछताछ करने के बाद ही डाल्वी जी ने रात को 8 बजे, सभी को वापस resort जाने का आदेश दिया, लेकिन अब वो resort भी किसी खुली जेल से कम नही था। स्मिता का तो सुबह से ही रो रो कर बुरा हाल था, जैसे तैसे चैतन्य ने उसे नींद की दवा दे कर सुलाया, वरना और रो रो कर वो अपनी तबियत ही खराब कर लेती। स्मिता के सोने के बाद, प्रीति और रुमित भी अपने कमरे में चले गए, और शिवांश और विवेक, पहले से ही अपने अपने कमरों में, सुमित को याद कर के रो रो कर अपना बुरा हाल किये हुए थे। स्मिता को अच्छे से लिटा कर, उसे अच्छे से चादर ओडा कर, चैतन्य अपने हांथो में 2 beer की बोतल लिए, विवेक के कमरे में उसका मन हल्का करने पहुंचा।


चैतन्य :- (विवेक की तरफ एक बोतल बढ़ाते हुए) "जानता हूँ कि ये सही समय नही है, लेकिन इससे तेरा मन हल्का हो जाएगा।"


विवेक :- (आंखों से आंसू पोंछते हुए) "नही चैतन्य!! इसकी कोई जरूरत नही है। स्मिता कैसी है अब?? उसने खाना खा लिया?? और तुम्हे इस वक़्त उसके साथ होना चाहिए, उसे तुम्हारे साथ कि ज्यादा जरूरत है।"


चैतन्य :- (वहीं बिस्तर पर विवेक के पास बैठते हुए, और जबरदस्ती विवेक को beer की बोतल पकड़ाते हुए) "स्मिता को थोड़ा बहुत खिला कर उसे नींद की दवा देकर सुला कर ही आ रहा हूँ। अगर जगती तो बस रोती ही रहती, और अपनी तबियत ही खराब कर लेती। तू भी ये बियर, दवाई समझ के ही पी ले।"


विवेक :- (रोते हुए) "यार सुमित ने क्या बिगाड़ा था किसी का, जो उसके साथ किसीने इतना बुरा किआ। और यार तुम लोगों ने जाने ही क्यों दिया उसे??"


चैतन्य :- (विवेक के कंधे पर हाँथ रख) "यार अब हर situation पर हमारा control नही होता ना, शायद सुमित के नसीब में यही लिखा था, तेरा और सुमित का झगड़ना, तेरा सुमित से गुस्सा होकर यहां से निकल जाना, फिर सुमित का तेरे पीछे तुझे मनाने के लिए जाना, फिर शिवांश का गुस्से में सुमित के पीछे यहां से निकल जाना.........."


विवेक :- (चैतन्य को बीच मे ही रोकते हुए) "शिवांश!!! शिवांश गया था गुस्से में सुमित के पीछे????"


चैतन्य :- "हाँ, और फिर उसके पीछे में भी निकला था, गाड़ी की servicing कराने के लिए, लेकिन मुझे कहीं भी रास्ते मे शिवांश दिखा तो नही था, मुझे लगा कि शायद beach की तरफ गया हो, लेकिन आज police station में वो बोला कि मार्केट में था, लेकिन मुझे तो कहीं भी नही दिखा।"


                     विवेक ये सुनकर गुस्से में अपने कमरे से निकला और शिवांश के कमरे का दरवाजा जोर जोर से पीटकर, शिवांश को भी कमरे से बाहर आने के लिए मजबूर कर दिया।


विवेक :- (शिवांश का कॉलर पकड़, गुस्से में) "तू ही गया था ना, सुमित के पीछे गुस्से में, ले लिया अपना बदला तूने, अरे मुझसे दिक्कत थी तो मुझे मारता ना, सुमित के साथ ऐसा क्यों किआ तूने??? और खुद को सुमित का अच्छा दोस्त बताता है!! तू ही कातिल है मेरे सुमित का।"


                        विवेक पहले से ही सुमित को याद करके दुखी तो था ही, चैतन्य की बात ने उसे गुस्सा भी दिला दिया, और सुमित के साथ हुए हादसे के लिए विवेक, शिवांश को जिम्मेदार ठहराते हुए, उसे मारने पीटने लगा। अपने बचाव में शिवांश भी प्रतिउत्तर देने लगा। और देखते ही देखते, दोनो के बीच की इस हाथापाई ने विकराल रूप ले लिया। शिवांश और विवेक के इस हंगामे से, रुमित, प्रीति, बाकी resort के guest और resort का staff भी वहां इक्कट्ठा हो गया। और resort के manager ने तुरंत ही पुलिस को भी वहां बुला लिया, और पुलिस विवेक और शिवांश को वापस police station ले आयी।



डाल्वी जी :- (हंसते हुए) "अरे!! अभी तो भेजा था आप लोगों को, और आप लोग वापस भी आ गए!!! क्या इतना पसंद आ गया क्या हमारा police station??"


विवेक :- (गुस्से में, चिल्लाते हुए) "सर इसी ने मारा है, मेरे सुमित को, इसे ही हम दोनों का साथ बिल्कुल पसंद नही था, और जब हमारा झगड़ा हुआ, तो सुमित ने भी मेरा साथ दिया, और इसे ही थप्पड़ मार दिया। और इसने उस एक थप्पड़ के बदले में मेरे सुमित को ही मुझसे छीन लिया। (रोते हुए) थू है शिवांश तुझपे! Bestest friend कहता था वो तुझे, तेरे लिए मुझसे ही लड़ जाया करता था, और तूने ऐसे निभाई अपनी दोस्ती!!!"



                    डाल्वी जी, दोनो को ही अलग अलग lockup में डाल कर, अपनी team के साथ इस केस को discuss करने निकल गए।








बने रहिये डाल्वी जी के साथ इस disscussion में, और जानिए की कौन है सुमित का हत्यारा!!! एक इंसान या फिर एक सोच!!!



Lots of Love
Yuvraaj ❤️

Monday, October 29, 2018

हत्यारा : एक इंसान या एक सोच Part - II

First please read it's first part, than you get easily be connected with this part. So here's the second part of this murder mystery.


            इन दिनों सुमित बहुत खुश रहता था, किसी भी बात का बुरा नही मानता था, सबसे बड़े ही प्यार से और एक बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ ही मिलता था। सभी को सुमित का ये बदला अंदाज साफ नजर आ रहा था, और सभी सुमित के साथ उसके इस नए अंदाज में खुश भी थे, सिवाय शिवांश के। शिवांश के लिए तो ये दिन बहुत ही कठिन बीत रहे थे। ना तो रातों में नींद थी, ना ही दिन में चैन। शिवांश ने सुमित से कई बार उस लड़के के बारे में जानने की कोशिश भी की, लेकिन सुमित हर बार बस यही उत्तर देता था, की अभी वो लोग सिर्फ chat ही करते है, ना तो सुमित के पास उसका कोई फ़ोटो है, ना ही उसका फ़ोन नंबर। शिवांश अपनी तरफ से हर वो कोशिश करना चाहता था, जिसके जरिये वो सुमित को इस अजनबी से दूर रख सके।



शिवांश :- "कहीं कोई चक्कर तो नही??? इतने दिन हो गए और उसने अपनी फोटो तक नही दिखाई तुझे!! जरूर बहुत ही बुरा दिखता होगा। और कही उसने तुझसे झूठ तो नही बोल दिया?? कही वो हमारा senior ही न हो! और college का माली या watchman हो?? या हो सकता है, की हमारे college का हो ही ना, सच मे कोई बुड्ढा हो!! और बस तेरे मज़े ले रहा हो?? कुछ बता तो तू उसके बारे में?? उसका नाम ही बता दे!! अगर इस college में हुआ, तो में उसे ढूंढ निकालूंगा!!"

सुमित :- "तू भी ना!!! पीछे ही पड़ गया है उसके!!! मैं कह रहा हूँ ना, मुझे नही कोई फर्क पड़ता, वो जैसा भी दिखता है, कौन है, हमारे college का है भी या नही, लेकिन मुझे उससे बातें करना अच्छा लगता है! और मैंने तो उसे अपना फ़ोटो और मोबाइल नंबर दे दिया है। उसे जब सही लगेगा तो वो भी दे देगा।"

शिवांश :- "वाह!!! ये बहुत अच्छा किआ तूने!!! मतलब अगर वो इस college का ही हुआ, तो वो तुझे देख सकता है, लेकिन तुझे पता भी नही चलेगा , की तू जिससे chat करता है, वो तेरे सामने खड़ा है। वाह मेरे शेर!! क्या बेवकूफों वाली हरकत की है तूने!!"

सुमित :- "यार तू कुछ ज्यादा ही serious हो रहा है। उसने मुझे कहा है कि वो मुझे उसके placement के बाद मिलेगा। और वो भी मेरी तरह ही है। वो भी अपने घर मे अपने बारे में सब बताने वाला है, उसके जॉब मिलने के बाद, और उसने तो ये भी बोल है कि , अगर वो मुझे पसंद आ गया, और मेरी तरफ से भी हाँ हो तो, वो मुझे अपने घरवालों से भी मिलवाएगा।"

शिवांश :- "हाँ??? घरवाले??? वो तुझसे शादी करेगा क्या???"

सुमित :- "हाँ"

शिवांश :- "और तू क्या चाहता है???"

सुमित :- "अभी मुझे कुछ नही पता यार!!! सबसे पहले तो मेरी job ही मेरे लिए important है, फिर माँ पापा का क्या reaction होता है, मेरे बारे में जानने के बाद, तब कहीं जाकर ये शादी की बात आती है। तो इतना दूर का सोचने से पहले, पढ़ाई पर ध्यान देले, exam आने वाले हैं।"


                 यूँ तो सुमित पहले भी कई बार अपने जीवन के लक्ष्यों से शिवांश को अवगत करा चुका था, लेकिन ये facebook friend की तरफ सुमित का झुकाव, शिवांश को बिल्कुल रास नही आ रहा था। अब तो हालात ये हो गए थे कि शिवांश सुमित को एक पल के लिए भी अकेला छोड़ने के लिए तैयार नही था। कभी तो सामने से, कभी छुप - छुप कर सुमित के ऊपर निगरानी रखने लगा था। College में भी जहां कोई लड़का 5 सेकंड से भी ज्यादा सुमित को घूरता दिखता, तो उसे कोने में ले जाकर खूब मारता पीटता और उस से पूछता, की क्या वही सुमित का facebook friend है??? ये सिलसिला यूँ ही कुछ महीने चलता रहा, फिर सुमित busy हो गया अपने exams की तैयारियों में, और शिवांश ने तो इस बार, पूरे exam भर के लिए, अपना डेरा, सुमित के घर मे ही जमा लिया था। शिवांश असल मे दो काम करना चाहता था, एक तो सुमित को facebook से दूर रखना, जो वो अपने घर पर रह कर तो नही ही कर सकता था। और दूसरा काम ये की, मौका पा कर उस लड़के की कुछ भी details पता करना, जो सुमित के दिल मे घर कर चुका था।



                     लेकिन अफसोस, एसा कुछ भी नही हुआ। सुमित ने खुद ही exam के चलते, facebook से दूरी बना ली थी। और उस लड़के की details, ना तो सुमित के फ़ोन में थी, और ना ही किसी notebook में। लेकिन इस खोजबीन के चक्कर मे, शिवांश ने बिल्कुल भी ध्यान अपनी पढ़ाई पर नही दिया। जिसका नतीजा ये निकला, की जहां सुमित के पडाने से, शिवांश ने, BCA के first year के exam में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था, वही अब भी उसने द्वितीय स्थान ही प्राप्त किया, लेकिन नीचे से। और इसका जरा भी अफसोस शिवांश को नही था। क्योंकि ये MBA और नोएडा तक की भाग दौड़ तो वो सिर्फ सुमित के साथ रहने के लिए ही कर रहा था।



                सुमित और शिवांश के MBA के first year के result के साथ साथ दो अच्छी बातें हुईं थी। एक तो स्मिता को उसकी ट्रेनिंग के बाद वडोदरा, गुजरात की एक SBI branch में joining मिली थी, जिसके 2 साल के कठिन प्रयासों के बाद उसका transfer नोएडा के सेक्टर 44 की SBI branch में मिल गया था, तो अब स्मिता को घर से बाहर रहने की कोई जरूरत नही थी। और दूसरी बात ये, की सुमित के facebook friend की भी MBA पूरी हो चुकी थी और college campus से ही placement में उसे भी नोएडा की ही सेक्टर 126 की NIIT Technology Ltd Company में job मिल गयी थी। सुमित के लिए ये सारी ही बाते बड़ी खुशी की थी। एक तो MBA का एक साल अच्छे नंबरो से पूरा हो गया था, स्मिता पूरे 2 साल के बाद वापस घर आ गयी थी और सबसे महत्वपूर्ण, उसके facebook friend की जॉब लग गयी थी, तो अब उस से मिलने का दिन भी करीब आ गया था, और सुमित का एक डर भी खत्म हो गया था। सुमित को डर था, की job मिलने के बाद, स्मिता की तरह ही, कहीं उसके facebook friend को कहीं दूसरे शहर न जाना पडे, लेकिन उसके facebook friend को Amity नोएडा , सेक्टर 125 से 1 सेक्टर से ज्यादा दूर नही जाना पड़ा था। वहीं शिवांश को बाकी सारी बातों से कोई खास फर्क नही पड़ा था, लेकिन सुमित के facebook friend की खबर ने, उसे गुस्सा जरूर दिल दिया था। और शिवांश की बहुत सी कोशिशों के बाद भी, वो दिन आ ही गया, जब सुमित एक blind date पर अपने उसी facebook friend से पहली बार मिलने जा रहा था।



                      सुमित की date उसके facebook friend ने नोएडा के ही सेक्टर 62 के रेस्टोरेंट Asia Fun में तय की हुई थी। वैसे तो वो facebook friend ग़ाज़ियाबाद ही आना चाह रहा था, और सुमित उस facebook friend के घर के पास यानी दिल्ली जाना चाह रहा था। लेकिन फिर दोनों ने नोएडा में ही मिलना तय किया, और उस facebook friend ने नोएडा का सेक्टर 62 इसलिए चुना, क्योंकि वो ग़ाज़ियाबाद के पास भी था, और वो रेस्टोरेंट भी काफी अच्छा था। यहां तक कि सुमित को उस रेस्टोरेंट तक लाने के लिए एक cab भी book करवा रखी थी, सुमित के उस facebook friend ने। लेकिन शिवांश ने वहां आकर उस cab को वापस लौटा दिया, और सुमित के लाख मना करने पर भी, उसे खुद नोएडा छोड़ कर आने की जिद्द करने लगा। जिस ज़िद्द को आखिरकार सुमित को मानना ही पड़ा। और शिवांश सुमित को अपनी bike पर बैठा, निकल पड़ा नोएडा की ओर। बीच रास्ते आकर, शिवांश ने जानबूझ कर बिना कुछ सोचे समझे, अपनी bike को slip कर दिया, और दोनों बहुत दूर तक रोड पर घसीटते हुए जा गिरे। सुमित को तो कुछ मामूली चोटें और बहुत सी खरोंचे आयी थी, लेकिन शिवांश को काफी गहरी चोटें आई थी, और वो वहीं accident वाली जगह पर ही बेहोश भी हो गया था। वहां लोगों ने उन्हें घेर लिया, और तुरंत ambulance को फोन किया। चूंकि ये accident नोएडा के सेक्टर 63 के आस पास ही हुआ था, तो ambulance उन्हें वहाँ के सबसे नजदीकी हॉस्पिटल, शंकुतला देवी हॉस्पिटल, सेक्टर 62A में ले आयी। सुमित की dressing कर दी गयी, और शिवांश के हाथ और पैर में fracture आ गया था, तो उसका इलाज भी शुरू कर दिया गया। सुमित ने अपने और शिवांश के घरवालों को फ़ोन कर सारा हाल बताया। कुछ देर में सुमित के पास एक फ़ोन और आया, सुमित के उस facebook friend का, जो अभी भी सुमित का इंतेज़ार उसी रेस्टोरेंट में कर रहा था। सुमित ने पहली बार फ़ोन पर अपने उस facebook friend की आवाज सुनी, और फ़ोन पर उस मीठी आवाज से सुमित अपने सारे दुख दर्द भी भूलने लगा, लेकिन सुमित की बात ज्यादा देर तक नही हो पाई, क्योंकि तब तक सुमित और शिवांश के घरवाले हॉस्पिटल पहुंच चुके थे,और वे सभी सुमित से उसका और शिवांश का हाल पूछने लगे।



                कुछ देर में शिवांश को plaster भी चढ़ा दिया गया, और उसे होश भी आ गया। शिवांश को एक private room में भी shift कर दिया गया था, जहां सभी घरवाले और सुमित उससे मिलने पहुंचे।


शिवांश के पापा :- "कितनी बार कहा है इस लड़के को की धीरे गाड़ी चलाया कर, लेकिन सुनता ही नही है।"

शिवांश :- (सबको अनदेखा कर) "सुमित कैसा है तू??? ज्यादा चोट तो नही आई तुझे??? Sorry यार मेरी वजह से तेरा सारा प्लान खराब हो गया।"

स्मिता :- "कौनसा प्लान???"

सुमित :- (हड़बड़ाते हुए) "college का प्लान.... और कैसा प्लान!! तू बिल्कुल भी परेशान मत हो शिवांश, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। और देख तुझसे, मिलने कोन आया है??"

शिवांश :- (सुमित और बाकी घरवालों के बीच एक अजनबी को देखकर) "ये कौन है???"

सुमित :- (शिवांश को आंखों से इशारे करने के साथ साथ) "विवेक!!! अपने senior!!! यहीं पास में ही थे। अपने accident की खबर सुनी, तो यहां आ गए।"

विवेक :- "Hello शिवांश!! I hope की fracture minor हों और तुम जल्दी से ठीक हो जाओ।"

शिवांश :- (सुमित का इशारा समझते हुए) "अब आप आ गए हो, तो ठीक तो होना ही पड़ेगा।....... चलिये अब आप लोग जाईये और मुझे थोड़ा आराम करने दीजिए।"

शिवांश की मम्मी :- "हाँ स्मिता बेटा, बहनजी आप लोग भी घर जाईये, और सुमित का ख्याल रखियेगा। यहां हम लोग है।" 

करुणा जी :- "हाँ बहनजी आप भी ख्याल रखियेगा शिवांश का। हम लोग घर जाते है, अभी स्मिता के पापा को भी नही बताया है बच्चों के accident के बारे में, उनको थोड़ा BP का problem रहता है। और बहनजी, भाईसाहब कोई भी चीज़ की जरूरत हो तो बेझिझक बोल दीजियेगा, शिवांश भी हमारे बच्चे जैसा ही है। अब हम चलते है, कल फिर आएंगे।"

सुमित :- (स्मिता और माँ को जाता देख) "दीदी आप माँ को लेकर जाओ, मैं विवेक जी के साथ आ जाऊंगा।"

करुणा जी :- "अरे नही! साथ चल हमारे घर चल के आराम कर। देख कितनी चोट आई है।"

सुमित :- "नही माँ, मैं ठीक हूँ, और आप चलिये तो, मैं भी बस कुछ ही देर में घर पहुंचता हुँ।"

करुणा जी :- "ठीक है, लेकिन ध्यान से आना बच्चों, आज कल तो रोड पे चलना ही मुश्किल हो गया है।"


               
                    शिवांश वहां हॉस्पिटल के बिस्तर पर आंखे बंद करे तो लेटा था, लेकिन अब उसकी आँखों से नींद कहीं दूर जा चुकी थी। उसने ये accident जानबूझ कर इस मंशा से किआ था, की इसी बहाने सही, वो सुमित को उसके facebook friend उर्फ विवेक से दूर रख सकेगा। लेकिन अब वो अपने किये पर पछता रहा था, और वो भी इसलिए नही, की इन सब मे उसके खुद के हाँथ पैर ही टूट गए थे, बल्कि इसलिए, क्योंकि अब इस हालत में वो सुमित पर नज़र नही रख सकता था, और ना ही उसे विवेक से मिलने से रोक सकता था। और वहीं सुमित और विवेक, हॉस्पिटल की canteen में ही अपनी पहली date मना रहे थे।


सुमित :- "I am really sorry! मेरी वजह से आपकी सारी arrangement खराब हो गयी।"

विवेक :- "Dont be sorry!! अब इस accident में तुम्हारी क्या गलती, और please मैने chat पर भी कितनी बार बोला है, मुझे आप मत बोलो, थोड़ी बुजर्गों वाली feeling आने लगती है।"

सुमित :- "Ok!! मैं आपको आप नही बोलूंगा!! Sorry..... तुमको!! अब ठीक है? और सच मे यार, मेरी ही गलती है, अगर मैं शिवांश की जिद्द नही मानता, तो अभी वो भी ठीक ठाक अपने घर होता और मैं भी आपके...... तुम्हारे साथ!!"

विवेक :- "Dont worry! शिवांश जल्दी ठीक हो जाएगा!! और देखो, तुम मेरे साथ ही तो हो, और हमारी first date के लिए ये जगह भी कोई बुरी नही।"


                    अपनी ज़िंदगी की पहली date से घर आकर सुमित ने सबसे पहले फोन शिवांश को ही किआ। क्योंकि सुमित का तो बस एक वो ही ऐसा दोस्त था, जिससे सुमित अपनी सारी मन की बातें कर सकता था।


सुमित :- "Hello!!! सो रहा था क्या? इतनी देर लगादी फ़ोन उठाने में??"

शिवांश :- "सोच रहा था, फ़ोन उठाऊ या नही!!"

सुमित :- "एक हाँथ टूटा है बस, तो दूसरे हाँथ से उठा सकता है। ये सब छोड़, और ये बात, विवेक कैसा लगा तुझे??"

शिवांश :- "दिखने में तो ठीक ठाक ही है, लेकिन तू पहले उसे अच्छे से जान ले, समझ ले, फिर कोई फैसला लेना।"

सुमित :- "यार हमें बात करते हुए, चाहे chat ही सही, काफी समय हो गया है। तो अब हम एक दूसरे को काफी अच्छे से जानते समझते है। बस मिलना ही बाकी रह गया था, वो भी आज हो गया।"

शिवांश :- (आंखों में आंसू भरे) "हाँ चल बढ़िया है, अब तुझे तेरा प्यार मिल गया है, अब तू मेरा पीछा तो छोड़ेगा।"

सुमित :- "नही यार ऐसा बिल्कुल नही है, उसकी जगह अलग है, और तेरी अलग। तू तो मेरा इकलौता bestest friend है, जो हर समय मेरे साथ रहता है, और ज्यादा खुश मत हो, विवेक आ गया है तो इसका ये मतलब थोड़ी है कि मैं तुझे छोड़ दूंगा।"

शिवांश :- "हाँ हाँ ठीक है, चल अब फ़ोन रख और मुझे सोने दे।"


                 उस दिन शिवांश के हाँथ पैर ही नही टूटे थे, उसका दिल भी टूटा था, जो किसी को दिखाई भी नही दे रहा था, और जिसे किसी इलाज से ठीक भी नही किआ जा सकता था। वो सुमित से अच्छे से बात तो कर रहा था, लेकिन सुमित की तरफ से उसे बहुत गहरी चोट पहुंची थी। अब सुमित की ज़िंदगी मे कोई आ चुका है, अब सुमित पहले की तरह उसे समय नही दे पाएगा, उसके प्यार को तो सुमित पहले ही ठुकरा चुका था, लेकिन अब तो उसकी दोस्ती भी खतरे में थी, सिर्फ इस एहसास ने ही, शिवांश को अंदर तक घायल कर दिया था। कुछ दिनों बाद शिवांश हॉस्पिटल से तो घर आ गया था, लेकिन उसके चेहरे की हंसी-खुशी कहीं खो गयी थी, और अब उसका मन किसी भी चीज़ में नही लगता था। यूँ तो सुमित सारा दिन हॉस्पिटल में शिवांश के साथ ही रहता था। College न जाकर, हॉस्पिटल में दिन के समय शिवांश की देख रेख किआ करता था। दोपहर में शिवांश को हॉस्पिटल का, या कभी कभी घर से आया खाना खिला कर, खुद विवेक के साथ, कभी हॉस्पिटल की canteen में, कभी विवेक के office की canteen में, खाने के साथ कुछ समय विवेक के साथ बिताकर, रात को ही विवेक के साथ ही घर वापस आया करता था। लेकिन शिवांश के लिए अब सुमित का हॉस्पिटल आना, और उसकी देखभाल करना बस एक बहाना था, जिससे वो कुछ समय विवेक के साथ बिता सके। घर आकर शिवांश ने एक बार तो ये भी सोचा, की वो सुमित के घरवालों को सुमित के GAY होने और विवेक के बारे में भी बता देगा, शायद इस तरह वो सुमित को विवेक से दूर कर सके। लेकिन फिर इस आग की लपटें उसके घर भी ना पहुंच जाए, इस बात के ज़ेहन में आते ही, उसने इस बात को अपने दिमाग से निकाल दिया। लेकिन वो इसी उधेड़बुन में लगा रहता कि, कैसे सुमित को विवेक से दूर किया जाए।



                 उधर विवेक को भी शिवांश का खुद के लिए ये रूखा व्यवहार साफ नजर आता था, और उसने कई बार सुमित को भी इस बारे में बताया। लेकिन सुमित ने हर बार, शिवांश के बीमार होने की वजह बता कर इस बात को टाल दिया। शिवांश अब घर चुका था, और पहले से काफी बेहतर था, लेकिन अभी भी उसके प्लास्टर कटने में 1 महीना बाकी था। पहले तो सुमित का college जाना शिवांश की bike से ही होता था, लेकिन अब उसने बस से college जाने का इरादा बनाया, लेकिन विवेक ने उसे लाने लेजाने का उपाय सुझाया। लेकिन सुमित को अपनी बहन स्मिता का विचार पसंद आया। स्मिता और उसके 2 दोस्तों, प्रीति और रुमित, जो कि ग़ाज़ियाबाद के ही थे, और स्मिता की बैंक में ही काम किया करते थे, उन्होंने एक cab hire की हुई थी। जो कि उन्हें नोएडा तक लाने लेजाने का काम करती थी। स्मिता ने सुमित को अपने साथ नोएडा चलने का प्रस्ताव दिया, और ये सुझाव सुमित को बेहद पसंद आया। स्मिता के बैंक, सेक्टर 44 और सुमित के college, Amity सेक्टर 125 में सिर्फ एक रोड का फसला था। इसलिए सुमित को अपने साथ ले जाने से स्मिता या उसके दोस्तों को कोई एतराज भी नही हुआ।



              अब सुमित सुबह अपने college जाता तो स्मिता और उसके दोस्तों के साथ ही था, लेकिन शाम को विवेक ही उसे वापस घर छोड़ने आता था। धीरे धीरे समय के साथ सभी को इस नई दिनचर्या की आदत भी हो गयी। सुमित हर sunday शिवांश के घर जाकर उसे पढ़ाया भी करता था, और विवेक की कई सारी बातें सांझा भी किआ करता था। शिवांश मुहँ पर तो हंसी रखता था, लेकिन विवेक का नाम सुनते ही उसका दिल सुलग जाया करता था। plaster कटने के बाद ही शिवांश ने सुमित और अपने घरवालों को, आगे पढ़ाई न करने का अपना निर्णय सुना दिया। जिसे सुनकर सबसे ज्यादा आश्चर्य सुमित को हुआ। उसने शिवांश को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन शिवांश ने अपने ही तर्क देकर, सुमित को चुप करा दिया। उसने कहा कि उसे MBA करने का अब जरा भी चाव बाकी नही रहा, और जब उसे अपने पापा की मदद ही करनी है, तो क्यों फिर एक साल और बर्बाद करे। वैसे तो शिवांश के दिये तर्क वाजिब थे, लेकिन इसकी वजह था, सुमित और विवेक का साथ। अभी जब सुमित अपने और विवेक के किस्से भर ही सुनता था, तो शिवांश को जलन हुआ करती थी,और college जाकर जब वो दोनों को साथ देखता तो उस पर क्या बीतती। इसलिए खुद को उस दर्द से बचाने के लिए, उसने ये फैसला लिया था।



              धीरे धीरे समय यूँही बीतता गया, लेकिन हर sunday शिवांश के घर जाना सुमित ने बंद नही किआ। अब शिवांश का वो गुस्सा, विवेक के लिए वो जलन, पहले से कुछ कम हो चुकी थी। उधर सुमित और विवेक का रिश्ता भी काफी गहरा हो चुका था। विवेक तो अपने परिवार से सुमित को मिलवा भी चुका था, और अपने और सुमित के रिश्ते से भी सभी को अवगत करा चुका था। विवेक के बारे में जान कर उसके घर मे थोड़ा गमगीन माहौल था, जिसे ठीक होने में अभी कुछ समय और लगने वाला था। वहीं सुमित की स्मिता के दोस्तो, प्रीति और रुमित से भी काफी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी, और वो लोग सुमित को किसी चैतन्य का नाम लेकर छेड़ते थे। स्मिता से पूछने पर वो उन लोगों का मज़ाक बोल कर टाल जाया करती थी।



                 कुछ समय बाद ही सुमित के MBA के final year के exam भी आ गए और उसने बहुत ही अच्छे अंको से MBA भी complete कर ली। और उसने बाकी सारे अच्छे options को दरकिनार कर विवेक की ही NIIT Technology Ltd Company में job भी लेली। अब कंपनी की cab ही सुमित को लेने आया करती थी, तो स्मिता, प्रीति और रुमित का साथ अब छूट गया था। लेकिन विवेक का साथ अब हर समय सुमित के साथ ही रहता था, जिस बात की सुमित को बेहद खुशी थी। कुछ एक महीने बाद, प्रीति और रुमित ने सुमित से मिलने का प्लान बनाया और उसे स्मिता के साथ एक रेस्टोरेंट में बुलाया। वहां रेस्टोरेंट में उनका एक दोस्त और साथ था, जिसका नाम चैतन्य था। उस gettogether में चैतन्य का स्मिता के प्रति extra caring nature, और स्मिता की असहजता ने सुमित को सब समझा दिया था, की क्यों प्रीति और रुमित उसे चैतन्य का नाम लेकर चिढ़ाते थे। वो रात तो बीत गयी, लेकिन उस रात की असहजता को अभी भी स्मिता के चेहरे पर देखा जा सकता था। स्मिता अभी भी अपनी नज़रें अपने ही छोटे भाई से चुरा रही थी। और इसे भांपते हुए सुमित ने छुट्टी के दिन स्मिता से बात करना तय किया।



सुमित :- "चल दीदी मेरे कमरे में चल, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है।"

स्मिता :- (नज़रे चुराते हुए) "बाद में आती हूँ, सुमित! अभी थोड़ा काम है।"

सुमित :- (स्मिता का हाँथ पकड़, अपने कमरे में ले जाते हुए) "काम बाद में भी हो जाएंगे, लेकिन मेरा तुझसे बात करना ज्यादा जरूरी है। आ यहां बैठ और बात क्या हुआ है? क्यों तू मुझसे नज़ारे चुरा रही है इतने दिनों से??"

स्मिता :- (इधर-उधर देखते हुए) "कहाँ कुछ हुआ है?? कुछ भी तो नही हुआ!!"

सुमित :- (स्मिता का हाँथ पकड़ कर) "ठीक है ना दीदी, तूने कोई गलत काम नही किआ है। प्यार करना कोई गलती तो नही है ना, तो तू क्यों ऐसे behave कर रही है, जैसे तूने कोई गलती कर दी हो।"

स्मिता :- (सिर झुका कर) "I know यार!! लेकिन मैं नही चाहती थी कि चैतन्य इस तरह से तेरे सामने आए। और मुझे नही पता था कि प्रीति और रुमित ने उसे भी बुलाया है। वरना....."

सुमित :- (स्मिता को बीच मे ही टोकते हुए, और उसका सिर अपने हांथो से ऊपर उठाते हुए) "तो क्या हो गया?? इसमे इतना तो कुछ बुरा नही हुआ न कि तू मुझसे नज़रें चुराए, और यूँ सिर झुका कर बैठे। अब चल छोड़ ये सब और बता जीजाजी के बारे में, कहाँ से है, क्या करते हैं, तू कहाँ मिली और कबसे चल रहा ये सब???"

स्मिता :- (मुस्कुराते हुए) "बस-बस और कितने सवाल करेगा। सब बताती हूँ... चैतन्य मेरी ही बैंक में मैनेजर है, बैंक में ही मिली मैं उस से, पहले तो बस normal friendship थी, लेकिन फिर ये कब प्यार में बदल गयी मुझे पता ही नही चला। हमारी friendship तो तब ही हो गयी थी जब मैने बैंक join किआ, लेकिन पिछले साल ही उसने मुझे prupose किआ, और मैने भी हाँ बोल दी। तब तो नही सोचा, लेकिन बाद में लगा कि एक बार माँ पापा और तुझे इस बारे में बता देना चाहिए, लेकिन हिम्मत ही नही हुई कभी। और फिर वो अचानक से तेरे सामने ही आ गया, तो समझ ही नही आ रहा था, की पहले तुझे बताऊ, या माँ - पापा को बताऊ या क्या करूँ।"

सुमित :- (स्मिता के कंधों पर हाथ रखते हुए) "अरे chill दीदी! इतनी भी कोई tension की बात नही है। अभी बता दे माँ - पापा को और मैं तो कहता हूं, साथ ही साथ रात के खाने पर भी बुला ले चैतन्य को।"

स्मिता :- "नहीं!!! पहले माँ - पापा को तो बता दूं, फिर आगे वो लोग जैसा बोलें।"

सुमित :- (स्मिता का हाँथ वापस से पकड़ते हुए) "दीदी!! मुझे भी तुझे कुछ बताना है।"

स्मिता :- "हाँ बता ना, क्या बात है।"

सुमित :- "मैं भी पिछले साल किसी से मिला online, हमने बातें की फिर हम मिले और वो online वाली friendship धीरे धीरे प्यार में बदल गयी। और मैं पिछले साल भर से उसके साथ commited relationship में हूँ।"

स्मिता :- "अरे तो ये तो खुशी की बात है ना, तो तू इतने seriuosly क्यों बता रहा है। और मुझे भी तो दिखा मेरी भाभी का फोटो..... मैं भी तो देखूं कौन है ये online girlfriend?"

सुमित :- "दीदी girlfriend नही.... boyfriend!!"

स्मिता :- "क्या मतलब???"

सुमित :- "दीदी I am in a relationship with a boy!! I am GAY!!!"

स्मिता :- (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) "कबसे है ऐसा??? और कैसे???"

सुमित :- "क्या कबसे और कैसे दीदी? कोई बीमारी थोड़ी है, I am born GAY!!!"

स्मिता :- "अरे मेरा मतलब, तू कबसे जनता है अपनी इन feelings के बारे में?"

सुमित :- "नही याद दीदी!!! लेकिन ये तो मुझे स्कूल में ही समझ आ गया था कि मैं लड़कों की तरफ ही attract होता हूँ लड़कियों की तरफ नही।" 

स्मिता :- (अपने भाई को समझते हुए) "तो तूने अब तक क्यों छुपा के रखी ये बात?? माँ - पापा को पता है इस बारे में??"

सुमित :- "नही दीदी!! मुझे नही समझ आ रहा था कि आप लोग कैसे react करोगे, तो मैंने नही बताया किसी को।"

स्मिता :- (कुछ देर सोचने के बाद मुस्कुरा कर) "चल कोई बात नही की तूने पहले क्यों नही बताया, अगर पहले बता देता तो ये सारा बोझ तुझे इतने सालों अपने अंदर ही छुपाने की जरूरत नही पड़ती, तू GAY हो या Straight, तू पहले मेरा भाई है, और हमेशा रहेगा। चल अब वो लड़का ही बता दे, कौन है वो?? एक मिनट, कहीं वो शिवांश तो नही???"

सुमित :- "नही दीदी!!! वो तो मेरा दोस्त है। लेकिन हां वो मेरे बारे में सब जनता है। और मेरा boyfriend तो विवेक है, वो जिससे आप लोगों को हॉस्पिटल में मिलवाया था।"



                   उस दिन सुमित गया तो था स्मिता को हिम्मत देने, लेकिन फिर खुद हिम्मत दिखा कर, अपना सच स्मिता को बता आया। उसने स्मिता को फिर अपनी और विवेक की इस प्यारी सी प्रेम कहानी से भी अवगत कराया। दोनो भाई बहन, बेहद खुश थे, एक दूसरे के जीवन के अहम लोगों के बारे में जान कर, लेकिन मन में एक अजब सी भावना भी थी, की अब ये बातें अपने माँ - पापा को कब और कैसे बतायी जाएं।



                  इसी उधेड़बुन में, आंख झपकते ही 2 साल भी बीत गए, और वो ऐतिहासिक दिन भी हमे देखने को मिला, जब 6 सितंबर 2018 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने section 377 को ख़ारिज करते हुए, समलैंगिक रिश्तों को जायज़ ठहराया।



सुमित :- (TV देखते हुए) "दीदी देख न्यूज़ पर क्या चल रहा है, section 377 को हटा दिया गया है, अब LGBT समुदाय के लोग भी भारत मे legal शादी करके रह सकते हैं।"

स्मिता :- (बैंक के लिए निकलते हुए) "अरे वाह भाई!!! ये तो अच्छी खबर है। अब कम से कम भारत के लोगों का नज़रिया तो बदलेगा। चल मैं निकलती हूँ, शाम को मिलती हूँ तुझे, आराम कर अब तू।"

सुमित :- (स्मिता के जाने के बाद, शिवांश को फोन लगाते हुए) "hello!!! कहाँ है???? News देखी??? Section 377 को हटा दिया है आज सुप्रीम कोर्ट ने।"

शिवांश :- (फ़ोन पर) "हाँ तो क्या हो गया??? कहलायेग तो GAY ही ना, GAY का ठप्पा हटा के तुझे इंसान तो नही बना दिया ना!!"

सुमित :- "अरे तो क्या हो गया, जैसे अभी ये समझ आया है कि हम लोग मुजरिम नही है, आगे ये भी समझ आ जायेगा कि हम भी normal इंसान हैं।और तू ये सब छोड़, अगर free है तो घर आजा मेरे!! आज office नही जा रहा हूँ, तबियत ठीक नही थोड़ी, और तुझसे मिले भी काफी समय हो गया।"

 शिवांश :- "नही यार, काम है तो busy हूँ अभी तो, पापा भी बाहर गए थे हफ्ते भर को कुछ काम से, आज आजायेंगे तो फिर में free हु हफ्ते भर के लिए, तो अभी तो नही आ सकता। तू अपने वो facebook friend को बुला ले ना।"

सुमित :- "उसका नाम भी है, पता नही क्यों तू उसे facebook friend ही बोलता रहता है। और मुझे उसके नही, अपने दोस्त के साथ समय बिताना है, तू बता कब तक आ जायेगा??"

शिवांश :- "अभी तो नही यार, रात को आता हूँ free होकर, और आज आंटी को बोल देना पकोड़ी की कड़ी बनाने को, सालों से नही खाई आंटी के हाँथ की कड़ी।"

सुमित :- "हाँ तू आ तो जा, मैं तो हमेशा बोलता हूं आने को, लेकिन अब तेरे पास time ही कहाँ!!"


                    शिवांश इन 3 सालों में सुमित के प्यार को दबाकर आगे तो बड़ गया था, लेकिन उसने अभी भी सुमित के लिए अपने प्यार को भुलाया नही था। बाहर से तो वो यही जताता था, की सुमित और विवेक के रिश्ते से उसे कोई फर्क नही पड़ता, लेकिन भीतर मन में वो विवेक से अभी भी बहुत जलता था। ये जलन विवेक को साफ समझ भी आती थी, जिसका इन 3 सालों में ना जाने कितनी बार विवेक ने सुमित से ज़िक्र भी किआ, लेकिन सुमित को भी इस बात का अंदाज़ा था, की शिवांश विवेक को कुछ खास पसंद नही करता है, लेकिन वो विवेक से जलता है, उस से नफरत करता है, ये बात सुमित मानने को ही तैयार नही था। और इस बात को लेकर सुमित और विवेक में कई बार मनमुटाव भी हो जाय करता था। जिसके फलस्वरूप एक या दो दिन दोनो आपस मे बात नही करते थे, और मुहँ फुलाये इधर उधर घूमते रहते थे, फिर कभी सुमित तो कभी विवेक एक दूसरे को मना कर, बात को रफ़ा दफ़ा कर दिया करते थे।



                  वहीं विवेक के घरवाले भी, अब तक विवेक का GAY होना स्वीकार कर चुके थे, अब बिना किसी असहजता के, हंसी खुशी रहते थे, लेकिन समाज के डर से, विवेक और सुमित के रिश्ते पर चुप्पी साधे हुए थे।



                  उधर ये ऐतिहासिक फैसले की खबर चारों तरफ जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी, और स्मिता का बैंक भी इस खबर से अछूता नही था।


प्रीति :- "यार तुम लोगों को SC के verdict के बारे में पता चला??"

स्मिता :- "हाँ, सुमित बता रहा था सुबह, चलो देर से ही सही, SC ने ये तो माना कि GAYS कोई मुजरिम नही, उन्हें भी समान अधिकार मिलना चाहिए, अपने हिसाब से रहने का ।"

चैतन्य :- "और क्या.... they are not criminals, they are just sick!!"

स्मिता :- "what sick?? ये कोई बीमारी नही है। They are as normal like us. They just attracted toward same sex, thats it!! इतनी साधारण सी बात है बस।"

चैतन्य :- (हंसते हुए) "तुम तो ऐसे बात कर रही हो, जैसे तुम्हारे रिश्तेदार ही GAY हों।" 

स्मिता :- "GAY हो भी तो क्या??? वो भी हमारी तरह normal इंसान है।"

चैतन्य :- "Oh please स्मिता! अब देखना इस फैसले से कितना गंदा हो जाएगा हमारा समाज, जो लोग अभी तक कहीं छुपे बैठे थे, इस फैसले से वो लोग भी बाहर आ जाएंगे, और इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा हम सभी पर।"

स्मिता :- "What do you mean by की बुरा असर पड़ेगा?? अब किसी के GAY होने पर, तुम पर क्या बुरा असर पड़ेगा।"

चैतन्य :- (हंसते हुए) "अरे तुम जानती नही हो इन लोगों को, ये अपने जैसा ही बना लेते हैं सभी को।"

स्मिता :- (गुस्से में) "क्या बच्चों जैसी बातें कर रहे हो?? मेरा भाई GAY है, कुछ बुरा असर पड़ा उसका मुझ पर?? वो तो प्रीति और रुमित के साथ भी बहुत रहा है, क्या इन लोगों को भी उसने GAY बना लिया??"

चैतन्य :- (आश्चर्य से) "सुमित???? तुम्हारा भाई सुमित??? हम उसे किसी doctor के पास ले चलते है, शायद वो ठीक हो जाये।"

स्मिता :- (ग़ुस्से में वहां से जाते हुए) "Doctor की जरूरत उसे नही, तुम्हारी छोटी सोच को है।"

चैतन्य :- (हंसते हुए स्मिता को रोकने की कोशिश करते हुए) "अरे मेरा वो मतलब नही था यार, तुम तो गुस्सा ही हो गयी, सुनो तो..... रुको...... "

चैतन्य :- (स्मिता के जाने के बाद रुमित और प्रीति से) "कहा था ना, ये फैसला हम सब पर बुरा असर डालेगा, देखो शुरुआत यही से हो गयी।"

रुमित :- (चैतन्य को समझाते हुए)  "यार तो तुझे भी सही से बात करनी चाहिए थी ना, अब उसका भाई है तो उसे तो बुरा लगेगा ही ना। हम दोनों भी तो है यहां, और सुमित के बारे में सुनकर हमे भी झटका लगा, लेकिन हम लोगों ने कुछ भी कहा?? तो तुझे भी बात आगे नही बढ़ानी चाहिए थी ना यार!"

चैतन्य :- "अरे तो मैंने क्या गलत कह दिया, मैं स्मिता को बहुत प्यार करता हूँ, उसकी family भी मेरी faimly जैसी ही है।"

 प्रीति :- "हम सब जानते है चैतन्य की तुम कितना प्यार करते हो स्मिता से, और वो भी उतना ही प्यार करती है तुम्हे, लेकिन तुम भी तो समझो ना, उसके भाई की बात है, तो उसे बुरा तो लगेगा ना।"

चैतन्य :- "यार तो में भी तो उसके भाई को ठीक करने की ही तो बात कर रहा था, हो सकता है मेरे कहने का तरीका थोड़ा सा गलत हो।"

रुमित :- "हाँ तो जा अब मना ले उसे।"

चैतन्य :- "नही मानेगी यार ऐसे वो, बहुत ज़िद्दी है।"

रुमित :- "तो कहीं बाहर ले जा उसे, lunch या dinner पे, एक अच्छा सा गिफ्ट दे और sorry बोल दे, फिर मान जाएगी।"

प्रीति :- "मेरे पास एक idea है, हम सब कहीं बाहर holiday पर चलते है, घूमना फिरना भी हो जाएगा, माहौल भी बदल जायेगा, तुम उसे मना भी लेना।"

चैतन्य :- "यार वो बहुत गुस्से में है, वो नही मानेगी, और कहीं बाहर जाने को तो बिल्कुल नही।"

प्रीति :- "अरे ये सब मुझ पर छोड़ दो, हम लोग कल ही छुट्टियों के लिए गोआ जाने के बारे में सोच रहे थे। मैं अभी उसे मना कर आती हूँ, तुम लोग बस जाने की तैयारी करो।" 

प्रीति :- (स्मिता को मनाते हुए) "अरे स्मिता, जाने दे ना अब उस बात को, थोड़ा time दे उसे, वो समझ जाएगा अपनी गलती।"

स्मिता :- "यार प्रीति मुझे गुस्सा चैतन्य पर नही, उसकी सोच पर आ रहा है। मैं यहां उसे अपने घरवालों से मिलवाने के बारे में सोच रही हूं, और वो मेरे घरवालों के लिए ही ऐसी सोच रखे है।"

प्रीति :- "यार तू जानती तो है उसे, मूफट है थोड़ा, लेकिन तुझसे प्यार भी तो कितना करता है।"

स्मिता :- "हाँ दिख रहा मुझे की कितना प्यार करता है, अभी तक अपनी गलती के लिए एक sorry तक बोलने नही आया।"

प्रीति :- "बस sorry?? वो तो वहां तुझे मनाने के लिए एक special गोआ की trip प्लान कर रहा है।"

स्मिता :- "क्या???? गोआ????"

प्रीति :- "हाँ बोल रहा था, की बहुत प्यार करता है तुझसे, अब ऐसे गुस्सा नही रहने देगा तुझे, गोआ ले जा कर ही मनाएगा। तू बता, चलेगी???? Outing भी हो जाएगी, और तुम दोनों sort भी कर लेना सारी बातें, की अपने अपने घरों में कैसे मिलाना है एक दूसरे को, कैसे बात आगे बढ़ानी है।"

स्मिता :- "हाँ यार, थोड़े break की तो मुझे भी जरूरत है, मैं कल भी तो कह रही थी तुझे, कहीं ये idea तुने ही तो नही दिया उसे??? और हाँ यार बात तो उस से करनी ही है, बेहतर यही रहेगा कि मैं चालू तुम लोगों के साथ। लेकिन मेरी एक शर्त है, मेरी भी 2 friends आएंगे साथ। तो तू पूछ लें चैतन्य को, अगर उसे कोई problem ना हो तो।"

प्रीति :- "Ok done!! चैतन्य को तो मैं बोल दूंगी, तू तो चलने की तैयारी कर बस।"


                     इस तरह प्रीति सभी को गोआ जाने के लिए तैयार कर लेती है, और स्मिता के वो 2 फ्रेंड्स कोई और नही, सुमित और विवेक ही थे। इस प्लान के बारे में स्मिता घर आकर सुमित को बताती है, तो वो तो बेहद ही खुश हो जाता है,  क्योंकि उसकी तो ये पहली trip होने वाली थी विवेक के साथ। College के बाद सीधे office, तो ऐसे कहीं घूमने फिरने का मौका ही नही मिला था सुमित को। तो वो विवेक को भी मना लेता है, इस trip के लिए। और सुमित के साथ ऐसे बाहर समय बिताने के बारे में सोच कर, विवेक भी खुशी खुशी मान जाता है। रात को जब शिवांश सुमित के घर आता है, तो सुमित बहुत ना नुकुर के बाद शिवांश को भी राजी कर लेता है, साथ चलने के लिए। शिवांश जाना तो नही चाहता था, क्योंकि ना चाहते हुए भी सुमित और विवेक को साथ देखना पड़ता, लेकिन सुमित को मना करने का कोई ठोस कारण भी तो नही था उसके पास। सुमित बेहद खुश था इस trip को लेकर, अब उसे कहाँ पता था, की उसकी जिंदगी की दोस्तों के साथ कि ये पहली trip ही, उसकी आखिरी trip बन जाएगी, और गोआ से वापस वो नही, उसकी लाश आएगी।





   आगे की कहानी जानने के लिए आप भी चलिये Goa, सुमित के साथ.......

Lots ऑफ Love
Yuvraaj ❤️
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 





























Shadi.Com Part - III

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