Friday, July 10, 2020

"वो पहली नज़र" Part - I

Hello dear friends,
       I am again here with my new story "वो पहली नज़र" I know you all like this story as previous ones. Please give your valuable comments after reading it.




"जाने क्यों दिल आज उदास सा है,
मन मे छुपा कोई राज़ सा है,
तन्हा हम थे तन्हा ये सफ़र था,
मिल जाओ अब बस तुम,
यही बाक़ी एक ख़्वाब सा है।"



        अयान को शायरी लिखने का शौक काफी समय से था। अब तक उसने अपनी शायरियों से न जाने कितनी ही डायरियां भर डाली थीं। लेकिन आज तक किसी को भी अपनी एक भी शायरी ना ही पढ़ाई थी, ना ही सुनाई थी। यह शायरियां तो बस अयान के लिए उसका खाली समय काटने का जरिया थी। उसके अकेलेपन की साथी थी। इन शायरियों से ही वह अपने जीवन में जैसे चाहे वैसे रंग भर लिया करता था।


         अयान तिवारी, ग्वालियर शहर में अपने मम्मी पापा के साथ रहता था। अयान के मम्मी पापा दोनों ही ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। अयान बचपन से ही अपनी दादी के बहुत करीब था। मम्मी पापा के काम पर जाने के बाद दादी ही उसकी मां थी, दोस्त थी, पहली शिक्षिका थी। दादी ने बड़े लाड प्यार से अयान को पाल पोस कर बड़ा किया था। लेकिन दादी की बढ़ती उम्र और बिगड़ती तबीयत की वजह से अयान को उनका साथ ज्यादा लंबे समय तक ना मिल सका। दादी को संगीत से बड़ा लगाव था। वह घर के काम करते वक्त, अयान के साथ खेलते वक्त, कोई ना कोई धुन गुनगुनाया करती थी। और उन्हीं धुनों को शब्द देने के प्रयासों से, अयान को शायरी का शौक लग गया था। अब तो जब भी अयान को खाली समय मिलता था, वह अपनी डायरी और पेन लेकर कुछ सोच में डूब जाया करता था। कम उम्र से ही अकेले समय बिताने की वजह से अयान का स्वभाव ही बन गया था, उसे ज्यादा भीड़ भाड़ में रहना ज्यादा पसंद नहीं था। इसी स्वभाव के कारण पूरी schooling में उसके मात्र दो ही दोस्त थे। लेकिन उनकी दोस्ती भी काफी गहरी थी। लेकिन उन दोनों का साथ भी अयान को बारहवीं कक्षा के बाद छोड़ना पड़ा। वे दोनों IIT की तैयारी करने के लिए कोटा चले गए थे। उन्होंने अयान के मम्मी-पापा को अयान को भी साथ भेजने के लिए काफी मनाया, लेकिन अयान के मम्मी-पापा 1 साल बर्बाद करने के बिल्कुल पक्ष में नहीं थे।




         अयान का दाखिला ग्वालियर के आईटीएम कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करा दिया गया, और 4 सालों के बाद कॉलेज केंपस ड्राइव से अयान को गुड़गांव की एक एमएनसी, हनीवेल में जॉब भी मिल गई थी। उसका ऑफिस गुड़गांव के सुशांत lok-1 में था और वहीं पास के तारिका अपार्टमेंट में उसने एक फ्लैट भी किराए पर ले लिया था। यहां तक का यह सफर पढ़ने और सुनने में जितना सरल लग रहा है, इतना आसान अयान के लिए बिल्कुल नहीं था। हां यह सफर शायद इतना मुश्किल ना होता, अगर अयान इस सफर में अपने साथ कोई हमराही लेकर चलता। दादी का जाना, मम्मी पापा का काम में व्यस्त रहना, दोस्तों से अलग किए जाना, इस सब से अयान ने खुद को एक दीवार के पीछे कैद कर लिया था, यहां अगर उसके चेहरे पर कोई मुस्कुराहट ला सकता था, तो वो थी उसकी शायरियां। कॉलेज के 4 सालों और गुड़गांव में अब तक इस एक साल में अयान ने कभी किसी को अपने करीब आने की इजाजत ही नहीं दी थी। स्कूल के दोनों दोस्तों से अक्सर कर फोन पर बातें होती थी। उससे उम्मीद थी कि उनके कॉलेज खत्म होने के बाद शायद उन लोगों को भी दिल्ली नोएडा या गुरुग्राम में जॉब मिल जाएगी। लेकिन अब उस उम्मीद ने भी अपना दम तोड़ दिया था। अयान के एक दोस्त को बैंगलोर और दूसरे को पुणे में जॉब मिल गई थी। वैसे तो अयान अपनी सारी बातें अपने दोस्तों के साथ सांझा किया करता था, लेकिन फिर भी एक अकेलापन, उसके साथ किसी के ना होने का भाव, उसे हमेशा घेरे रहता था। और इस सब के लिए वो स्वयं ही जिम्मेदार था।




           वैसे तो अयान ने अपनी दिनचर्या कुछ इस तरह से बना ली थी, कि उसे किसी की जरूरत भी नहीं थी। सुबह 6:30 बजे उठने के बाद, 7:00 बजे तक फ्रेश होकर सोसाइटी के पार्क में जोगिंग, और थोड़ा व्यायाम। 8:30 तक नहा धोकर तैयार हो जाना, ब्रेकफास्ट में हमेशा की तरह दो अंडे का हाफ फ्राय और दो टोस्ट, एक कप गरमागरम कॉपी के साथ। 9:15 से 9:30 के बीच ऑफिस की कैब का इंतजार। 10:00 am से 7:00 pm तक ऑफिस। रात 8:00 बजे तक घर आकर फ्रेश होकर सोसाइटी के पार्क में थोड़ा टहलना और अपनी डायरी में कुछ शायरियों के साथ थोड़ा समय बिताना। रात 12:00 बजे तक खाना खा कर सो जाना। पूरा हफ्ता तो इसी दिनचर्या में कैसे निकल जाता था, अयान ज्यादा गौर नहीं करता था। लेकिन sunday!!! आज ऑफिस की छुट्टी होने के कारण अयान को कुछ और काम ढूंढने पड़ते थे, जिनमें वह खुद को व्यस्त रख सके। आज के दिन के लिए घर की साफ-सफाई, कपड़ों की धुलाई, सुपर मार्केट से हफ्ते भर का राशन, दूध, फल सब्जी लाना। ग्वालियर में घर पर फोन से बात करना, या कभी कभी वीडियो कॉल करना। फिर दोस्तों के साथ कॉन्फ्रेंसिंग कॉल। इन सभी में अपना पूरा दिन निकाल देना। सूरज ढलते ही अपने घर की बालकनी या फिर सोसायटी पार्क में अपनी डायरी के साथ समय बिताना, और अपनी शायरीयों में खो जाना।




"यूँ तो देखा है मैने, हज़ारों चेहरों में छुपे वो ख्वाब,


आईना बन खुद को खुद का अक्स वो दिखाते हैं,


चाहते तो हैं, चकोर बन छू लें चाँद की ऊंचाई को,


दिन के शोर में, उनके बिखरने की आवाज़ नही सुन पाते हैं।"




           एक दिन अपनी दिनचर्या से तंग आकर अयान में सोचा कि क्यों ना पुणे या बेंगलुरु में ही जॉब सर्च की जाए। इससे वह कम से कम अपने एक दोस्त के शहर में तो रह सकेगा। उसने पुणे और बेंगलुरु की तमाम एमएनसी में अपना रिज्यूम ऑनलाइन सेंड कर दिया।  कुछ एक दो कंपनियों से उसे रिटर्न मेल भी आया, लेकिन कहीं से भी उसे वह उत्तर नहीं मिला जिसकी तलाश अयान कर रहा था। इसके साथ ही कुछ कंपनियों ने उसके लिए एक रास्ता और खोला, कि वह वहां आकर इंटरव्यू दे सकता है। लेकिन अपनी जमी जमाई नौकरी को छोड़ कर, किसी अनजान शहर में फिर से नौकरी की तलाश में लगना, उसे यह ऑप्शन कुछ ठीक ना लगा। और फिर इसी अकेलेपन को अपनी किस्मत मान कर कुछ महीने ऐसे ही गुजर गए।



         Sunday की दिनचर्या का अनुसरण करते हुए, जब अयान अपने दोस्तों से फ़ोन पर बात कर रहा था, तो उसने अपने दोस्तों को उनकी कंपनी में वैकेंसी के बारे में पूछा। जिस पर अयान के एक दोस्त ने उसे सलाह दी, कि वह ऐसा सिर्फ हमारे साथ रहने के लिए ना करें। अगर कल को फिर से हमारा ट्रांसफर किसी दूसरे शहर में हो गया, या फिर हमारी कंपनी ने हमें विदेश भेज दिया, तो फिर अयान क्या करेगा। इसलिए सबसे अच्छा रास्ता है कि, अयान जहां है, वहीं लोगों के साथ घुले मिले, दोस्त बनाए, पार्टियों में जाए। अब अयान के दोस्त ने उसे यह सलाह दे तो दी थी, लेकिन वह भी कहीं ना कहीं यह जानता था, कि जो अयान इन 21 सालों में ऐसा नहीं कर पाया, अब ना जाने ऐसा करना उसके बस में होगा भी या नहीं।



         कुछ दिनों बाद रात के 12:00 बजे अयान का फोन बजा। अयान ने जब फोन उठाया, तब सामने से उसके दोस्तों की आवाज आई "happy birthday to you"। आज अयान का जन्मदिन था। अयान तो इस दिन को भूल ही गया था। उसके दोस्तों के उस फ़ोन कॉल ने उसे याद दिलाया कि आज अयान पूरे 22 साल का हो गया है। दादी के जाने के बाद से अयान ने अपना बर्थडे सेलिब्रेट ही नहीं किया था। उसी दिन सुबह ग्वालियर से भी उसके मम्मी पापा ने अयान को फोन पर बधाई दी। आज ऑफिस में भी HR की तरफ से अयान की डेस्क पर बर्थडे केक सजाया गया, और उसके डेस्क के आस पास के ही colleague केक कटवाने भी आ गए। सब ने तालियां बजाई और अयान ने केक काटा। सब अयान को विश करके, केक खा कर, अपने-अपने डेस्क पर जा ही रहे थे, कि अयान ने हिचकिचाते हुए बोला।


अयान :- "Office के बाद, treat के लिए चलें???"



         वहां उपस्थित सभी लोग थोड़े हैरान थे। क्योंकि यह पहली बार था कि अयान पार्टी की बात कर रहा था। आज तक अगर उसे कोई अपनी पार्टी में बुलाता था, तो अयान ना जाने का कोई ना कोई बहाना दे देता था। ऑफिस में भी सबसे अलग ही रहता था, लंच भी सबसे अलग ही करता था। पहले तो ऑफिस के कुछ colleagues ने अयान को अपने साथ लंच करने, कॉफी पर चलने, दारू पार्टी और भी न जाने क्या-क्या, के लिए साथ में आने का न्योता दिया। लेकिन हर बार मना कर देने की वजह से, अब कोई भी अयान को साथ आने के लिए पूछता भी नहीं था। और आज अयान की तरफ से पार्टी की बात सुनकर सभी चकित थे। लेकिन मुफ्त का खाना और ड्रिंक्स किसे नहीं पसंद, तो सभी शाम को पार्टी के लिए मान भी गए।



        ऑफिस के बाद सभी ने पास के ही क्रॉस पॉइंट मॉल के कैफे दिल्ली हाइट्स में जाना तय किया। सभी ने अपनी-अपनी पसंदीदा ड्रिंक्स और फूड ऑर्डर किया। अयान के लिए यह पहला मौका था, जब वह इस तरीके की पार्टी में मौजूद हो, और तो और वह पार्टी जिसके लिए उसने खुद ही लोगों को बुलाया हो। यह अयान के दोस्तों का ही आईडिया था, जिससे अयान जहां है वहीं कुछ दोस्त बना सके। वैसे तो अपनी दिनचर्या से हटकर कुछ नया करने में अयान को थोड़ी असहजता तो हो रही थी, लेकिन अब वह अपनी एक ही रफ्तार से चलती जिंदगी से तंग आ गया था। तो कुछ नया करना उसके लिए बेहद जरूरी भी हो गया था। और शायद यहां अयान को उसकी किस्मत ही लेकर आई थी। अयान ने खुद के लिए बस एक coke ही ऑर्डर की थी। जिसे लेकर आया एक वेटर, जिसके batch पर उसका नाम "कार्तिक" लिखा हुआ था।



          कार्तिक से अयान की नजरें कुछ यूं मिली, कि अयान वहां और लोगों की उपस्थिति ही भूल कर, बस उन आंखों में ही खो गया। अयान बेसुध कार्तिक को यूं देखे जा रहा था, मानो इतने सालों की घोर तपस्या का आज अयान को फल मिल गया हो। अयान की पलकें तब झपकी जब उसके कानों में कार्तिक की आवाज गूंजी।



कार्तिक :- "Sir!!!!! Sir!!!!! Sir!!!! आपका आर्डर.......!!!"



          अयान ने कार्तिक के हाथों में trey में रखी coke को उठा लिया, और वह कार्तिक को thanks कहना चाहता था, लेकिन मानो उसके होंठ सिल गए हो, और वह कुछ ना कह सका। कार्तिक भी अपना काम कर वहां से दूसरी टेबल पर चला गया। उस रात वहां मौजूद अयान के colleagues ने क्या बातें की, अयान से कुछ कहा भी या नहीं, अयान को कुछ याद ही नहीं रहा। याद रहा तो बस एक चेहरा, और उसकी आवाज। जो अभी भी अयान के कानों में गूंज रही थी। उस पूरी रात अयान के लिए सो पाना थोड़ा मुश्किल था। अयान बस अपनी करवटें बदलता रहा, और कार्तिक का चेहरा उसे अपनी बंद आंखों से भी साफ साफ दिखाई दे रहा था।



        अगली सुबह अयान अपनी सारी दिनचर्या को दरकिनार कर, जल्दी से नहा धोकर, तैयार होकर  सुबह 8:00 बजे ही, उसी कैफ़े पर पहुंच गया, जहां उसने कल उस इंसान को देखा था, जिसने उसकी दिल की धड़कनों को ही बढ़ा दिया था। लेकिन कैफ़े तक कि यह भागदौड़ आयान की व्यर्थ ही गई। कैफ़े के खुलने में अभी समय था। अयान वहीं पास पड़ी एक बेंच पर बैठकर, कैफ़े खुलने का इंतजार करने लगा। दरअसल उसे इंतजार तो सिर्फ उन आंखों का था, जिसने उसे रात भर सोने नहीं दिया था। वहीं बैठे बैठे थोड़ी देर बाद अयान ने अपनी डायरी निकाल ली, और कोई नई शायरी लिखने लग गया।




"आंखे ये मेरी तुमसे क्या कहती हैं तुम सुनो,


कानों में मेरे सरगम सी बजती है तुम कहो,


लबों पर जो ये बात आई है वो कहदो,


चुप हैं सारि बातें बस दिल मेरा ये कहे,


संग तेरे हवाओं में, फ़िज़ाओं में, उड़ता मैं रहूँ,


संग तेरे जीना है, मरना है, बस इतना ही कहूँ।"



      अपने ख्यालों में डूबे हुए, जब अयान की नजर उसकी घड़ी पर पड़ी, तो उसे पता चला कि 10:30 हो चुके हैं। और वह अपने ऑफिस के लिए लेट हो गया है। और उसने जब कैफे के दरवाजे की तरफ देखा, तो वह अभी भी बंद ही था। अयान ने और इंतजार करने से अच्छा ऑफिस जाना ही बेहतर समझा, और वह भागता हुआ ऑफिस पहुंच गया।  आज साल भर में यह पहली बार था, कि अयान 1 घंटे देरी से ऑफिस में आया हो, उसके colleagues ने उसका हाल चाल पूछा, और सब कल की पार्टी के लिए अयान को धन्यवाद भी दे रहे थे। और यह नया एहसास अयान को बेहद पसंद भी आ रहा था। और वह हंसते मुस्कुराते सभी से बात भी कर रहा था, और सभी का अभिवादन भी स्वीकार कर रहा था। अयान ने जैसे-तैसे घड़ी को बार-बार देख कर अपना आज का ऑफिस का समय निकाला, और 7 बजते ही भागते हुए, सीधे उसी कैफ़े कि, उसी टेबल पर जाकर बैठ गया। और जिसका इंतजार वह सुबह से ही कर रहा था, वही चेहरा मुस्कुराते हुए अयान की ओर बढ़ा और बोला।



कार्तिक :- "Good evening sir! Your order?



       लेकिन अयान कोई उत्तर तो तब देता, जब उसने कुछ सुना होता। वो तो बस कार्तिक के चेहरे को, उसकी आँखों को, उसकी वो प्यारी सी मुस्कुराहट को ही देखे जा रहा था।




कार्तिक :- "Sir!!!! Sir!!!! Your order????"


अयान :- (कार्तिक की आवाज़ सुन, हड़बड़ा कर) "Fried rice, munchurian, and a coke"


कार्तिक :- (मुस्कुराते हुए) "Ok Sir! Your order will take 10 to 15 minutes"




          इतना कहकर कार्तिक तो वहां से दूसरी टेबल पर चला गया, लेकिन अयान की नजरें कार्तिक का ही पीछा करती रही। जब कार्तिक, अयान की तरफ देखता, तो अयान अपने मोबाइल में, या फिर इधर उधर देखने लगता और फिर थोड़ी देर बाद, वह फिर से कार्तिक को मुस्कुराते हुए, दूसरे लोगों से बात करते देखने लगता। कुछ देर बाद कार्तिक ने अयान का आर्डर उसको दिया और अयान ने कार्तिक को थैंक्स बोला और अपना खाना खाने लगा। जो खाना 30 मिनट में खत्म किया जा सकता था, अयान ने उसे खत्म करने में पूरे 2 घंटे से ज्यादा का समय लिया। क्योंकि वह सिर्फ खाना खाने तो वहां नहीं आया था ना। जब कार्तिक अयान की टेबल साफ करने आया।


कार्तिक :- (झूठे बर्तनों को उठाते हुए) "Anything else sir???"


अयान :- ( कार्तिक की आँखों मे देखते हुए) " I want a coffee with you!!!"


कार्तिक :-  "What sir???"


अयान :- ( अपनी नज़रें चुराते हुए) "Coffee!!! I want a coffee!!"


कार्तिक :- "Ok sir! And sir please make sure, this is your last order, we are closing in 1 hour!"


अयान :- "Ok Fine !"


       

         अब कैफ़े की लाइट्स धीरे धीरे बन्द होने लगी थीं। कैफ़े का स्टाफ भी अपनी यूनिफार्म बदल चुका था। अयान भी अपनी कॉफ़ी  खत्म कर अपने मोबाइल में ध्यान देने का नाटक कर रहा था।



कार्तिक :- (अयान की टेबल की तरफ हाँथ बढ़ाते हुए) "Can i take that cup sir??"


अयान :- (मोबाइल एक तरफ रखते हुए) "yes! Sure!!"


कार्तिक :- (मुस्कुरा कर कप उठाते हुए) "Have a good night sir!"


अयान :- (कार्तिक को देखकर मुस्कुराते हुए) "Thaks! You too!!"




         आज उस कैफ़े से निकलने वाला सबसे आखरी गेस्ट अयान ही था। अयान वहां से टहलते हुए, मुस्कुराते हुए, गुनगुनाते हुए, अपने फ्लैट की ओर चल दिया। आज से पहले अयान को गुड़गांव में इतना खुश कभी नहीं देखा था। अयान को देखकर कोई नहीं कह सकता था, कि अयान कुछ महीनों पहले, अकेलेपन के कारण, यह शहर छोड़ कर जाना चाहता होगा। आज तो अयान को देखकर लग रहा था, मानो उसे इस शहर से प्यार हो, और वह हमेशा के लिए यही बस जाना चाहता हो।




        आज अयान रात 12:00 बजे अपने घर वापस आया था, और आते ही अपने बैग से डायरी निकालकर कार्तिक को याद करके कुछ शायरी लिखने लगा था।



"कितनी मदहोश हैं ये आँखे, इनमे डूबने को दिल करता है,


कितना मासूम है ये चेहरा, इसे चूमने को दिल करता है,


अब यूँ दूर रहकर, और ना तड़पाओ मुझे,


अब तो बस तुम्हे अपना बनाने को दिल करता है।"




         अब से अयान की यही नई दिनचर्या हो गई थी। ऑफिस के बाद का सारा समय अब अयान का उसी कैफे में बीतने लगा था। और अगर कोई दूसरा वेटर अयान के पास आता था, तो वह उसे कार्तिक को ही आर्डर लेने के लिए बुला देने को कहता था। कैफे के मैनेजर को तो इस बात से कोई प्रॉब्लम नहीं थी, लेकिन अब उस कैफे के स्टाफ में कार्तिक और इस नए गेस्ट को लेकर कानाफूसी जरूर शुरू हो गई थी। Sunday के दिनों में तो अयान अपना सारा काम निपटा कर दोपहर से ही कैफे में जाकर बैठ जाया करता था, और रात को कैफ़े बंद होने पर ही वहां से वापस आया करता था। लेकिन ऐसा सिर्फ 12 दिनों तक ही चला। कैफे में अब अयान को कार्तिक का गेस्ट कहकर, कार्तिक को खुलेआम चिढ़ाया जाने लगा था। और कार्तिक को यह मजाक बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। तो कार्तिक ने तय किया कि आज जब वह गेस्ट आएगा, तो कार्तिक उससे बात करेगा। और अयान के कैफे में आते ही बाकी का स्टाफ कार्तिक की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा, उसे आंख मार कर उसे चिढ़ाने लगा। कार्तिक ने जैसा सोचा था वैसा ही किया।




अयान :- (कार्तिक को अपनी ओर आता देख, मुस्कुरा कर) "Hello Kartik! How are you??"


कार्तिक :- (अयान की तरफ थोड़े रूखे भाव मे देखते हुए) "I am not good!!! Can we talk for some time??"


अयान :- (कार्तिक को असमंजस में देखते हुए) "Yeah! Sure!"


कार्तिक :- (कैफ़े के बाहर चलने का इशारा करते हुए) "Follow me"



       कार्तिक कैफे के बाहर आ कर, कैफ़े से थोड़ी दूर आ जाता है, और अयान भी उसके पीछे-पीछे वैसा ही करता है


कार्तिक :- (अयान को अब थोड़े गुस्से से देखते हुए) "क्या problem है??"


अयान :- (मुस्कुरा कर कार्तिक को देखते हुए) "कैसी problem??"


कार्तिक :- "Look! Nobody is kid here! Why are you doing this??"


अयान :- (फिरसे मुस्कुरा कर) "What i did??"


कार्तिक :- (चिढ़ते हुए) "Dont behave like a stocker dude!!!"


अयान :- (हँसते हुए) "मैं कहाँ किसी को stock कर रहा हूँ, मैं तो बस यहाँ खाने पीने आता हूँ।"


कार्तिक :- (झुंझलाते हुए) "ज्यादा न oversmart बनने की जरूरत नहीं है, अगर सिर्फ खाने पीने आते तो बात यहाँ तक आती ही नहीं। देखो यार, मैं इस job में कोई पन्गा चाहता ही नही हूँ। मैं यहाँ बिल्कुल सीधे साधे तरीके से, बिना किसी की नज़रों में आये, शांति से काम करना चाहता हूँ बस। तो तुम इस कैफ़े से ओर मुझसे दूर ही रहो। समझे।"



        इतना कहकर कार्तिक वहां से गुस्से में वापस कैफे में चला जाता है। और अयान बस वहां खड़ा मुस्कुराता हुआ, कार्तिक की बातों के बारे में सोचता हुआ, थोड़ी देर तो वहीं खड़ा रहता है, और फिर मुस्कुरा कर वापस अपने फ्लैट पर लौट आता है। वापस आकर अयान बस कार्तिक के बारे में ही सोचता रहता है, और मुस्कुराता रहता है। अयान ने आज कार्तिक को इस रूप में पहली बार देखा था, और उसे कार्तिक का गुस्सा करना बहुत पसंद आ गया था। वह कार्तिक के बारे में सोच ही रहा होता है, कि उसके फोन की घंटी बजती है। यह फोन उसके दोस्तों का कॉन्फ्रेंस कॉल होता है। अयान अपने दोस्तों से आज इस समय कॉल करने का कारण पूछता है। तो उसका एक दोस्त कहता है, कि बस उसका उन दोनों से बात करने का मन कर रहा था। उन तीनों में थोड़ी देर इधर-उधर की बातें भी होती हैं। लेकिन आज के इस कॉल में अयान के दोनों दोस्तों को ही अयान के बात करने के अंदाज में कुछ बदलाव लगने लगता है। और वे दोनों अयान पर जोर देने लगते हैं, उन्हें बताने के लिए, कि अयान आज इतना खुशमिजाज क्यों है। अयान भी बिना शर्माए उन दोनों को बता देता है, कि शायद उसे प्यार हो गया है। उसे कोई बहुत पसंद आ गया है, वह अब हमेशा उसके आसपास ही रहना चाहता है, अब बहुत खुश रहने लगा है, ऑफिस में भी लोगों से घुलने मिलने लगा है, और अब उसे यह शहर भी पसंद आने लगा है। अयान के दोनों दोस्त यह बात सुनकर बेहद खुश हो जाते हैं। और अयान से उसका नाम पूछते हैं। अयान बिना हिचके कार्तिक का नाम उन्हें बता देता है। जिस पर आयान का एक दोस्त बोलता है, कि उसने सही से नहीं सुना क्या अयान ने "कार्तिका" कहा?? जिस पर अयान उन्हें बताता है, कि कार्तिक एक लड़का है। इस पर अयान के दोनों दोस्त कुछ देर के लिए शांत हो जाते हैं। फिर थोड़ी देर बाद अयान का एक दोस्त पूछता है "अयान तू गे है क्या??" इस पर अयान उन्हें जवाब देता है, कि उसे नहीं पता। लेकिन उसने जब कार्तिक को पहली बार देखा था, वह सब कुछ भूल गया था। वहां सिर्फ कार्तिक के अलावा उसे कोई और नजर नहीं आ रहा था। बस वो पहली नजर में ही वह कार्तिक को हमेशा के लिए अपना बना लेना चाहता था। और क्या यह आकर्षण है, यह जानने के लिए उसने बहुत समय कार्तिक के आसपास गुजारा। लेकिन इससे कार्तिक के लिए उसका खिंचाव बढ़ता ही गया। तो अगर यह प्यार है, तो हाँ अयान को कार्तिक से प्यार है। और अगर इसे गे होना कहते हैं, तो हाँ अयान गे है।


        अयान की बातें सुनकर उसके दोनों दोस्त शांत हो चुके थे। थोड़ी देर के सन्नाटे के बाद अयान ने अपने दोस्तों से पूछा कि "क्या इस बात से उनकी दोस्ती पर कोई फर्क पड़ेगा??" जिसका उत्तर अयान के एक दोस्त ने दिया कि "नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं होगा, वह तीनों हमेशा पक्के दोस्त रहेंगे।" और अयान के दूसरे दोस्त ने भी इस बात पर हामी भरी। थोड़ी देर और उन तीनों में कार्तिक के बारे में बातें होती रहीं। फिर वे तीनों एक-दूसरे को गुड नाइट बोलकर सोने चले गए।




        दो -  एक दिन तो अयान ने यही सोच में निकाल दिए, कि वह कार्तिक के पास कैसे जाए, उससे कैसे बात करें। उसने 10 12 दिन में जो भी प्रयास किए थे, जो कि उसके लिए सबसे ज्यादा कठिन थे, उस कैफे के मैनेजर, वहां के स्टाफ से थोड़ी बहुत दोस्ती करना, कार्तिक की आखरी बात से यह साफ था, कि अयान के वे सभी प्रयास व्यर्थ हो चुके थे। फिर 1 दिन कार्तिक के पास जाकर अपने मन की बात उसे कहने के लिए अयान ने बहुत हिम्मत जुटाई, और ऑफिस के बाद कैफे से थोड़ी दूरी पर, कार्तिक के बाहर आने का इंतजार करने लगा। उसने कैफे के बाहर ही कार्तिक से बात करना सही समझा। क्योंकि अगर वह कैफ़े के अंदर जाकर, सबके सामने कार्तिक को बात करने के लिए अकेले में चलने को कहता, तो हो सकता था कि कार्तिक बुरा मान जाता, और पहले से भी ज्यादा गुस्सा करता।



         करीब रात 11:30 पर कार्तिक और बाकी का स्टाफ कैफे से बाहर आ गए। और कुछ देर आपस में बात करके, सभी अपने अपने घरों की ओर चले गए। अयान भी कार्तिक के पीछे पीछे बढ़ने लगा। कार्तिक थोड़ी दूरी पर जाकर, एक बस स्टॉप पर खड़ा शायद किसी का इंतजार करने लगा। अयान उसके पास जाता, इससे पहले वहां एक काले रंग की गाड़ी आई, जिसमें 2 लड़के बैठे हुए थे। कार्तिक ने उनसे कुछ बात की, और उनकी गाड़ी में बैठ गया। और वह गाड़ी दिल्ली की तरफ चली गई। अयान वहां खड़ा बस उस गाड़ी को जाते देखता रहा, और वह सोचने लगा कि जहां तक उसे कैफे के स्टाफ से पता चला था, कि कार्तिक सुशांत lok-1 के सी ब्लॉक में कहीं किराए के कमरे में अकेला रहता है, फिर यह दिल्ली की तरफ क्यों जा रहा है। वह कई सवाल लिए वहां से अपने फ्लैट पर आ गया। और रात भर उस गाड़ी और उसमें बैठे उन लड़कों के बारे में ही सोचता रहा।



       अगले दिन अयान ने सोच लिया था, कि आज तो वह हर हाल में कार्तिक से बात करेगा। और रात को वह फिर इंतजार करने लगा, कैफे के बाहर कार्तिक के आने का। लेकिन आज अयान थोड़ी सी तैयारी के साथ आया था, अपने साथ कुछ फूलों का गुलदस्ता भी लाया था। कार्तिक के बाहर आते ही अयान उसका पीछा करने लगा। और कार्तिक के कल वाले बस स्टॉप पर पहुंचने से पहले ही, उसने कार्तिक को आवाज लगाकर रोक लिया।




कार्तिक :- (अयान को अपनी ओर आता देख) "यहां क्या कर रहे हो तुम??"


अयान :- (कार्तिक की तरफ गुलदस्ता बढ़ाते हुए) "तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा था। तुमसे माँफी मांगनी थी।"


कार्तिक :- (अपने हांथो से गुलदस्ता अयान की तरफ धकेलते हुए) "इसकी कोई जरूरत नही, और ना ही मुझसे माँफी मांगने की कोई जरूरत है, बस मुझसे दूर रहो।"


अयान :- "नहीं रह सकता। I Like You"


कार्तिक :- (अयान की बात सुन, हंसकर) " क्या??"


अयान :- (कार्तिक को हंसता देख, मुस्कुरा कर) " सच मे। जबसे तुम्हे पहली बार देखा है, मैं बहुत attracted feel कर रहा हूँ। और इन कुछ दिनों में तो शायद मैं तुमसे प्यार भी करने लगा हुँ।"


कार्तिक :- (और जोर से हँसते हुए) "प्यार??? तुम मुझे जानते भी नही हो। एक काम करो, घर जाओ, पेंट उतारो, और मेरे बारे में सोच कर अच्छे से हिलाओ, 2 मिनट में सारा प्यार बाहर आ जायेगा, और तुम हल्का महसूस करोगे।"


       इतना कहकर हंसते हुए कार्तिक वहां से जाने लगता है, और हंसते हुए बड़बड़ा के जाता है, "प्यार करता हूं"। अयान कार्तिक को रोकने के लिए फिर से उसके पीछे जाता है, और उसी बस स्टॉप पर कार्तिक आज किसी दूसरी गाड़ी में बैठकर जा रहा होता है। कुछ देर अयान वहीं खड़ा रहता है, और थोड़ी देर बाद मन मारकर अपने फ्लैट पर वापस आ जाता है।




    क्या अयान कार्तिक को अपने दिल का हाल बता पायेगा? क्या कार्तिक अयान के दिल की बात समझ पायेगा? ऐसे कई सवालों को जानने के लिए बने रहे अयान और कार्तिक के साथ। Next part will be uploaded soon. Hope you like my this story as previous ones. Plz give your valuable comments here or wherever you read this story.





Lots of love

Yuvraaj ❤️


   























2 comments:

  1. Beautiful start....
    Can’t wait to read the next chapter.... hopefully soon

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  2. Thanks for reading. Final part is out now. Hope you like it too.

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