Hello friends,
If you directly landed on this page than I must tell you, please read it's first two parts, than you will get easily be connected with this part.
आज मैं बहुत टेंशन में हूँ, नहीं!!!! काम या घर की वज़ह से नहीं। आज संडे है और मोहित, उसका भाई और उसके मम्मी पापा आज हमारे घर आ रहे हैं। पता है,!!! टेंशन मुझे नहीं, टेंशन दीदी को लेना चाहिए, लेकिन शायद उससे ज्यादा टेंशन तो मुझे हो रहा है। और आज से ही नहीं, 2 दिन पहले जब मोहित ने मुझे मैसेज करके संडे के दिन आने का कन्फर्म किआ, मैंने तो तभी से घर को सिर पर उठा रखा है। ऐसी तैयारियां तो मैंने कभी भी किसी भी मेहमान के लिए नहीं की, जो मैं मोहित के लिए कर रहा हूँ। और हाँ, आज मैंने अपना हाँथ बटाने के लिए अस्मिता को भी बुलाया था, जिससे मेरी थोड़ी मदद हो जाती, लेकिन महारानी लगता है, मेहमानों के जाने के बाद ही आयेगीं।
अस्मिता :- (घर में अंदर आके चारों तरफ़ आश्चर्य से देखते हुए) "OMG!!!! लगता है दीदी को देखने लोग शाही राज घराने से आ रहे हैं।"
स्नेहा :- (अस्मिता की बात पर हँसते हुए) "Ofcaurse!!! बूँदी राज घराने से राजकुमार खुद तशरीफ़ ला रहे हैं आज।"
शशांक :- (किचन से बाहर आकर स्नेहा और अस्मिता को हँसते हुए देखकर) "आप दोनों का मज़ाक खत्म हो गया हो तो मेरी मदद करदो, मुझे तैयार भी होना है।"
अस्मिता :- (सोफ़े पर बैठते हुए) "चिल कर यार शशांक!!! वो लोग स्नेहा दीदी को देखने आ रहे हैं, तू कम तैयार दिखेगा तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"
शशांक :- (अस्मिता का हाँथ पकड़ कर सोफे से खींच कर किचन में ले जाते हुए) "ये बकवास वहां किचन में खड़े होकर भी कर लेना, (किचन में आकर) देख ये नाश्ता है, और ये गैस पर लंच रखा है, जब ये बाहर लाये तो मिक्स मत कर दियो। और हाँ चाय भी चढ़ा दे, वो लोग आने वाले ही होंगे, मैं तब तक कपड़े बदल लेता हूं, ok।"
अस्मिता :- (शशांक को आँखे दिखाते हुए) "तूने मुझे यहां बाई बनाने के लिए बुलाया था???"
शशांक :- (अस्मिता के गाल खींच कर) "Common यार!!! तू मेरी इकलौती फ्रेंड है, अब तू मेरी मदद नहीं करेगी तो कोन करेगा, और वैसे भी कोई भी बाई सिर्फ एक दिन के लिए आने को ही तैयार नहीं थी, so you are my last option।"
अस्मिता मुझे मार पाती इससे पहले ही मैं किचन से जल्दी से भाग निकला। और मैं अपने कमरे में जा ही रहा था कपड़े बदलने के लिए, तब तक door bell बज गई। मुझे लगा कि मैंने जो ice creame मंगवाई है लंच के बाद खाने के लिए, उसकी डिलीवरी आयी होगी, और मैंने तुरंत जा कर दरवाजा खोल दिया। लेकिन ये कोई डिलीवरी बॉय नहीं था, ये तो मोहित राजावत था। मैंने दो दिन से इतनी मेहनत की थी कि, जब मैं पहली बार मोहित से मिलु तो सब कुछ सही रहे, और देखो!!!! मैं जब मोहित से पहली बार मिला, तो घर की पुरानी टीशर्ट और पाजामे में, गंदी सी शक्ल, और पसीने में लथ पथ!!!! मैंने ऐसा तो बिल्कुल भी नही सोचा था। लेक़िन!!!!!! जैसा मैंने मोहित के बारे में सोचा था, वो बिल्कुल वैसा ही निकला। I must tell you, मोहित अपनी फोटोज़ से भी कई ज्यादा अच्छा दिख रहा था, उसकी आँखों की वो गहराई, उसकी फोटो में तो देखी ही नही जा सकती थी। उसकी भवों की वो भंगिमाएं, किसी भी कैमरा में कैद ही नहीं कि जा सकती थीं, एक मिनट!!!!! भवों की भंगिमाएं?????? Ohhh nooo!!!! ये भवों की भंगिमाएं तो शायद मेरे ऐसे हुलिए की वजह से हैं।
शशांक :- (अपनी ख़ामोशी को तोड़ते हुए) "Ohhh I am really sorry!!! मैं बस वो किसी और को एक्सपेक्ट कर रहा था, आप आईये ना अंदर!!!"
मोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Ice Creame????"
शशांक :- (आश्चर्य से) "What a coincidence!!!! मैंने भी यही flavour order की है dessert के लिए। मुझे लगा उसी की delivery आयी होगी।"
मोहित :- (मुस्कुराते हुए) "दरअसल ये आपकी order की हुई ice creame ही है। अभी आप इसे बस रख लो, मैं सारी बात बाद में बताता हूँ। (शौभित और उसके मम्मी पापा भी लिफ्ट से निकल कर शशांक के घर के दरवाज़े तक आ गए)"
शशांक :- (प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ ice creame मोहित के हाथों से लेते हुए) "Okk!!! आप लोग अंदर आईये ना। (सभी को बैठक में लाते हुए जहाँ प्रमोद गुप्ता जी पहले से ही सोफे पर बैठे हुए अखबार पड़ रहे थे) पापा.... शोभित जी और उनके परिवार वाले आ गए हैं।"
प्रमोद (शशांक के पापा) :- (सोफे से उठ कर आये मेहमानों का स्वागत करते हुए) "नमश्कार भाई साहब!! नमश्कार भाभी जी!!! आईये बच्चों, बैठिए। (सभी को सोफे पर बैठते हुए) घर ढूंढने में कोई परेशानी तो नहीं हुई??"
शशांक :- (मुस्कुरा कर मोहित को ही देखते हुए) "परेशानी कैसे होती, मैंने live location जो send की थी।"
प्रमोद :- (शशांक की ओर देखते हुए) "लोकेशन??? (मुस्कुरा कर मोहित के पापा की ओर देख कर) ये आज कल के बच्चे और इनकी बातें, मुझे तो जरा कम ही समझ आती हैं।"
सभी लोग आपस में बातें कर रहे थे। शोभित जी मोहित से कुछ पूछ बता रहे थे, और उनके मम्मी पापा मेरे पापा से शायद मौसम के हाल और अपने अपने शरीर मे होने वाले दर्दो के ऊपर बात कर रहे थे। और मैं बस वहां खड़ा हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बस मोहित को घूरे जा रहा था। वो तो अच्छा हुआ कि मोहित ने मुझे ऐसा करते नही देखा, और अस्मिता ने ठीक समय पर वहाँ आकर मुझे शर्मिंदा होने से बचा लिया।
अस्मिता :- (सबको पानी का गिलास देने के बाद मेरे पास आ कर, सबसे चुप के धीरे से मेरे पैर को अपने पैर से कुचल कर) "अंदर चल।"
जब अस्मिता ने मुझे अपने पैर से मारा तब कहीं जाकर मुझे होश आया कि मैं वहां खड़ा होकर कर क्या रहा था। फिर मैंने अपने हाँथों को महसूस किया, जो इतनी देर से ठंडी ice creame पकड़ने की वजह से सुन्न होने की कगार पर पहुंच ही गए थे। फिर मैं भी अस्मिता के साथ वहां से किचन में आ गया।
अस्मिता :- (पानी वाली ट्रे को किचन प्लेटफार्म पर रखते हुए) "तू कर क्या रहा था वहां खड़ा होकर??? अब नहीं कपड़े बदलने थे तुझे??"
शशांक :- (मुस्कुराते हुए ice creame को फ्रीज़ में रखते हुए) "तूने देखा मोहित को, कितना cute लग रहा है ना!!! अपनी फोटोज़ से तो और ज्यादा ही अच्छा दिख रहा है ना।"
अस्मिता :- (नाक भवें सिकोड़ते हुए) "उसे बाद में देख लियो, अब जल्दी जाकर कपड़े बदलके आ, और ये नाश्ता बाहर ले जाने में मेरी हेल्प कर।"
अस्मिता को और गुस्सा आये इससे पहले में वहां से निकल कर अपने कमरे में गया, और जो कपड़े मैने आज पहनने के लिए पिछली रात को ही निकाल के रख दिये थे, उन्हें जल्दी से बदलने लगा। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे ही थे कि, एक दम से मेरे कमरे का दरवाजा खुला और मैं कुछ बोल पाऊँ उससे पहले मोहित मेरे कमरे में एंट्री ले चुका था। मोहित को देखते ही मैंने अपने अर्ध नग्न शरीर को ढंकने की कोशिश की, और मुझे ऐसी हालत में देखकर मोहित भी तुरंत पलट गया।
मोहित :- (पलटकर) "I am really sorry!!! वो मेरे हांथ उस ice creame की वजह से खराब हो गए थे, तो अंकल ने वाशरूम use करने के लिए मुझे यहां भेज दिया। मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि यहां आप हो।"
शशांक :- (जल्दबाजी में कपड़े पहनते हुए) "No its ok!!! बस एक मिनट और मत पलटना। (कपड़े बदलने के बाद, जल्दी से उस कमरे से बाहर आते हुए) now this all room is yours।"
This is bad!!! पहले बाहर के दरवाज़े पर, और अब ये!!! मैंने मोहित से पहली मुलाकात ऐसे तो बिल्कुल भी नही सोची थी। आज तो सब अच्छा होना चाहिए था, पता नहीं आज सब गड़बड़ क्यों हो रहा है। यही सब सोचते हुए मैं किचन में आया, और हड़बड़ाहट में वहां सब इधर उधर करने लगा। मेरी हड़बड़ाहट को देखते हुए अस्मिता ने मुझे एक ग्लास पानी का दिया, और पूछा कि क्या हुआ? मैंने उसे सब बताया और वो!!!!
अस्मिता :- (जोर जोर से हँसते हुए) "अच्छा हुआ कम से कम तूने चड्डी तो पहनी हुई थी।"
शशांक :- (गुस्से से) "तुझे इस टाइम भी मज़ाक सूझ रहा है। मुझे ये बताने की वजाय की मैं ये सब सही कैसे करूँ, तू उल्टा हँस रही है।"
अस्मिता :- (हँसते हुए) "Chill यार!!! हो जाता है ऐसा कभी कभी, अब उसे थोड़ी देर के लिए भूल और ये नाश्ता बाहर लेकर चल मेरे साथ, अंकल 2 बार आवाज़ लगा चुके हैं। अगर हम अभी बाहर नहीं गए, तो वो अंदर आ जाएंगे।"
अस्मिता की बात मानने के अलावा मेरे पास कोई और रास्ता भी नही था, लेकिन अब मुझे मोहित को face करने में थोड़ी awkwardness महसूस हो रही थी। लेकिन मेरे पास उसे face करने के अलावा कोई और चारा भी तो नही था। मैं और अस्मिता नाश्ता लेकर बाहर बैठक में आ गये। तब तक मोहित भी मेरे कमरे से बाहर निकल आया था। मैंने सभी को चाय के कप उनके हाँथों में दिए। और जब मैंने मोहित को चाय देने के लिए कप आगे बढ़ाया, तो उसने बड़ी ही सरलता के साथ, हल्की से मुस्कुराहट और अपनी नाक और आँखे सिकोड़ते हुए, बिना आवाज़ के मुझसे "सॉरी" कहा। और मैंने भी उसका प्रतिउत्तर देते हुए, मुस्कुरा कर हल्के से अपना सिर हां के जवाब में हिला दिया। और सच मानो, किचन से यहां बैठक तक आते समय मुझे जो भी असहजता हो रही थी, मोहित के इस जरा से छोटे से हाव भाव ने, तुरंत ही उस असहजता को सहजता में बदल दिया। वहीं पापा ने अस्मिता को दीदी को बुलाने भेज दिया, और अस्मिता तुरंत ही दीदी को लेकर वहां बैठक में आ भी गयी।
दीदी ने आज मम्मी की मेरी सबसे पसंदीद रॉयल ब्लू रंग की सिल्क वाली सारी पहनी थी, और साथ ही उन्होंने मम्मी की सोने की बाली और उनकी चैन भी पहनी हुई थी। और दीदी ने हमें इसके बारे में सुबह से कुछ भी नही बताया था। और शायद अच्छा ही हुआ कि नही बताया था, वरना इस वक़्त मैं और पापा दीदी को देख कर जो महसूस कर रहे थे, शायद हम वैसा तब महसूस ना कर पाते। हम दोनों की ही आँखे हल्की नम हो गयी थी। दीदी मेरे सामने से गुजरी और प्यार से मेरे गाल पर हाँथ फेरते हुए, पापा के पास जाकर सोफे पर बैठ गयी, और फिर धीरे-धीरे वही सब बातें शुरू हो गई, जो इस वक्त आमतौर पर होती हैं| मोहित की मम्मी ने दीदी से वही सब सवाल करने शुरू कर दिए, "खाने में क्या-क्या बना लेती हो" "क्या पसंद है" "खाली समय में क्या करती हो" वगैरह-वगैरह| फिर मेरे पापा ने समझदारी दिखाते हुए वही जरूरी बात कही, जो इन सब बातों के बाद कही जाती है, "हम दोनों बच्चों को अकेला छोड़ देते हैं जिससे यह दोनों आपस में खुलकर बात कर सके"... वाह मेरे समझदार पापा!!! यह सब बातें मुझे और अस्मिता को इतनी मजाकिया लग रही थी ना, कि हम बस एक दूसरे को इशारे कर कर के, बिना दांत दिखाएं हंसे जा रहे थे| तभी पापा ने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी, कि मैं स्नेहा दीदी और शोभित जी को अंदर कमरे में ले जाऊ, जिससे वह दोनों आपस में अकेले में बात कर सकें|
जैसा पापा ने कहा ठीक वैसे ही, मैं दोनों को स्नेहा दीदी के कमरे में छोड़ आया, और अस्मिता किचन में जा कर दीदी और शोभित जी के लिए कुछ चाय नाश्ता अंदर वाले कमरे में ले जाने के लिए तैयार करने लगी| मैं वापस हॉल में आया तो पापा, मोहित के मम्मी पापा से कुछ बातचीत कर रहे थे| लेकिन मोहित कहीं नहीं दिखाई दे रहा था| तभी पापा ने मुझे इशारा करके एक चाय का कप बाहर बालकनी में ले जाने को कहा, और मैंने वैसा ही किया| मोहित को उसके ऑफिस से कोई फोन आया था, तो वह बाहर बालकनी में बात करने के लिए आ गया था|
मोहित :- (मुझे चाय लाता देख) "अरे!! मैं बस आ ही रहा था, बस ये एक मेल फॉरवर्ड करने लग गया था|"
शशांक :- (चाय का कप बालकनी की मुंडेर पर मोहित के पास रखते हुए) "कोई बात नहीं, वैसे भी अंदर कोई खास बातचीत नहीं चल रही|"
मोहित :- (फोन को अपनी जेब में रखते हुए) "हां मैंने देखा आपको, मम्मी पापा की बात पर हंसते हुए!!"
शशांक :- (मुस्कुराते हुए) "अरे वो तो बस यूंही!!! मैं और अस्मिता दीदी को यही सब बोल बोलकर तब से परेशान कर रहे थे, जब से आप लोगों के आने की खबर मिली थी|"
मोहित :- "Ok!!! So this is your first time!!!"
शशांक :- (आश्चर्य से) "आपको कैसे पता???"
मोहित :- (मुस्कुराते हुए) "Hmmmm!! आप सभी की एक्साइटमेंट और इतनी तैयारी को देख कर ही समझ आ गया था|"
शशांक :- "अच्छा!!! और आपका??"
मोहित :- (चाय का कप उठाते हुए) "इससे पहले हम दो फैमिली से और मिल चुके हैं| लेकिन वहां कुछ बात जमी नहीं|"
शशांक :- "Ohhh!!! तो बात ना जमने का कारण?? Let me guess!!! शोभित जी को लड़कियाँ पसंद नहीं आई!! या फिर आपके मम्मी पापा को??"
मोहित :- (चाय की चुस्की लेते हुए) "नहीं!!! उन लोगों को मैं पसंद नहीं आया!!!"
शशांक :- "मतलब??"
मोहित :- (चाय के कप को मुँडेर पर रखते हुए) "As you know, I am gay!!! अब यह बात पढ़ने में और सुनने में जितनी अच्छी लगती है, सामने से शायद यह बात इतनी अच्छी नहीं रहती। शायद यही एक कारण है कि उन दो फैमिली से मिलने के बाद भी हमारी बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब आपकी फैमिली से तो कांटेक्ट ही मेरी प्रोफाइल के थ्रू हुआ था तो इस वजह से यहां वह प्रॉब्लम नहीं है।"
शशांक :- (मुस्कुराते हुए) "हाँ!!! आपकी सेक्सुअल ओरिएंटेशन से शोभित जी के रिश्ते पर क्या फर्क पड़ेगा। शायद आप जिन फॅमिली से अभी तक मिले हो, उनकी फैमिली में कोई गे नही होगा, इस वजह से उन्होंने ऐसा सोचा हो। लेकिन यहाँ मेरे होते हुए वैसा कुछ नही होगा।"
मोहित :- (चाय का कप उठाते हुए) "आपके होते हुए!!! मतलब???"
Ohhhh my god!!!!! मैंने अभी तक मोहित को अपने गे होने के बारे में तो कभी ज़िक्र ही नही किआ। अब मैं क्या करूँ??? अभी बोल दूँ?? लेकिन अब बोलना थोड़ा awkward तो नही लगेगा। मैं ये सब सोच ही रहा था कि पापा ने अंदर से आवाज़ लगा दी। मैं और मोहित अंदर बैठक मे आये, तो देखा दीदी और शोभित जी भी अंदर कमरे से बाहर आ चुके थे। बैठक मैं बैठे सभी के चेहरों का नज़ारा अपने आप ही सब कुछ बयाँ कर रहा था। अस्मिता किचन से प्लेट में मिठाई लेकर हॉल की तरफ आ रही थी। दीदी और शोभित जी एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे। पापा, मोहित के पापा का गले लगाने के लिए आगे बड़ रहे थे। Ofcaurse दीदी और शोभित जी ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था। अस्मिता ने सभी का मुंह मीठा कराया, और शोभित जी की मम्मी दीदी को सोने की अँगूठी पहनाने लगीं।
प्रमोद जी ( शशांक के पापा) :- (झिझकते हुए) "अरे भाभीजी! अभी इस सब की क्या जरूरत है?"
मोहित की मम्मी :- (स्नेहा को अँगूठी पहनाते हुए) "भाईसाहब, ये तो बस मेरा आशिर्वाद है।"
प्रमोद जी :- (मोहित के पापा से) "वैसे भाईसाहब, अभी इस सब की कोई आवश्यकता नहीं है, पहले बच्चों को एक दूसरे को जानने समझने देते हैं, फिर एक अच्छा सा मुहूर्त निकालकर सगाई करा देंगे।"
मोहित के पापा :- " बिल्कुल भाईसाहब! ऐसा ही करेंगे। लेकिन यह अंगूठी तो बस निर्मला जी की खुशी के लिए है। अब हम आपको बता ही चुके हैं, कि हम लोग काफी समय से शोभित के लिए एक अच्छा रिश्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन जैसे ही हम अपने छोटे बेटे के बारे में बात करते हैं, तो सबको इस बात से ऐतराज हो जाता है। यह खुशी का समय हमें बड़े लंबे समय के बाद मिला है, इसलिए निर्मला जी को भी अपने मन के अरमान पूरे कर लेने दीजिए।"
प्रमोद जी :- "जैसा आप ठीक समझे भाईसाहब। आपकी बात मैं समझ सकता हूं, लेकिन जैसे धीरे-धीरे मैं बदला हूं, यह समाज भी धीरे-धीरे बदल जाएगा। जब शशांक ने अपने gay होने के बारे में बताया था, तो मुझे भी उसे समझने में वक्त लगा था। मुझे भी यही सब समाज की बातों के बारे में कई ख्याल रहते थे। लेकिन फिर बच्चों की खुशी के लिए ही तो हम सारे प्रयास करते हैं। अगर इसी में हमारे बच्चों की खुशी है, तो फिर हमें भी उनके हिसाब से बदलना पड़ता है।"
Oh my god!!! What my father just did!!! जब पापा ने यह सब बोला, तो मोहित का चेहरा देखने लायक था। अस्मिता की खिलाई मिठाई का ठस्का लगते - लगते बचा है मोहित को, और उसकी आंखों और चेहरे पर उमडे इतने सारे सवालों के भावों को मैं अच्छे से समझ सकता हूं। लेकिन अभी यहां हॉल में सबके सामने में कुछ कर भी नहीं सकता। मैं मोहित को सब explain करना चाहता हूं, कि मैंने अभी तक उसे अपने gay होने के बारे में क्यों नहीं बताया, या यूं कहूं, कि बताना भूल गया। लेकिन अभी तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता, और शायद अब कुछ कर भी ना पाऊं। पापा ने मुझे सबके लिए खाना लगाने के लिए बोल दिया है, तो अब तो मुश्किल है कि मैं मोहित से अकेले में कुछ बात कर पाऊं।
इतने दिनों से दोनों आपस मे बात कर रहे हैं, लेकिन इस बात का ज़िक्र हुआ ही नहीं कि मोहित और शशांक की saxuality एक ही है। खैर जैसा शशांक ने बताया कि उसे याद ही नही रहा इस बारे में बताने का, और सही भी तो है, हम बात इसी से थोड़ी शुरू करते हैं, की मैं gay हूँ, या मैं straight हूँ। तो इसमें शशांक की भी गलती नहीं, लेकिन अब वो ये बात मोहित को कैसे बताएगा, जानने के लिए इंतेज़ार कीजिये final part का।
Lots of love
Yuvraj ❤️