Hello friends,
If you doesn't read the first and second part of this story than please read it first, than you will get easily be connected with this final part.
समय पंछी के टूटे पंख सा धीरे धीरे हवा में बहता रहा, और साथ साथ ही रोहन और वेद का प्यार गहरा होता चला गया। इस कहानी में अब केवल रोहन और वेद ही अकेले नही थे, जिनका प्यार परवान चड़ रहा था, वेदिका भी अपने एकतरफा प्यार को अपने दिल की गहराइयों तक महसूस करने लगी थी। अब वो कई ऐसे काम भी करने लगी थी, जिससे वो वेद का ध्यान अपनी और खींच सके। अब वो रोज़ाना ही कुछ ना कुछ स्वादिस्ट खाना, कभी खुद या कभी अपनी माँ से बनवा कर सिर्फ वेद के लिए ही लाने लगी थी। कभी कभी कोई छोटा सा उपहार या फूलों का गुलदस्ता वेद को थमा दिया करती थी। जहां रोहन ये सब देख कर जल भुनता था, वहीं वेद पर इन सब का कोई असर नही था, लेकिन वो रोहन के चेहरे पर आने वाले भावों को देख कर हंसता जरूर था। धीरे धीरे यूँही समय बीता, और वेद ने 12वीं तो अच्छे अंकों से पास की ही, साथ ही साथ उसने AIPMT में भी अच्छी रैंक ला कर, ग्वालियर के ही GRMC में MBBS करने के लिए दाखिला भी ले लिया था। वेद के इतने अच्छे परिणाम के जश्न में उसके घरवालों ने एक छोटे से कार्यक्रम का आयोजन भी किआ।
वेदिका :- (रोहन से खुश होकर) "रोहन यार आज तू बस मुझे 5 मिनट वेद के साथ अकेले में दिलवा दे, मैं आज उसे पृपोज़ करना चाहती हूँ।"
रोहन :- (आँखे बड़ी करके) "तू पागल हो गयी है क्या??? मैंने कितनी बार कहा है तुझसे, की वो नही है तुझमे इंटरेस्टेड, तुझे समझ नही आता क्या??"
वेदिका :- "यार तुझसे जितना कह रही हूँ ना, तू बस उतना ही कर, मैं वेदिका हूँ, वेद की वेदिका, वो मुझे कभी मना नहीं कर पायेगा।"
रोहन :- (वहाँ से जाते हुए) "कोशिश करूंगा!!"
वेद :- (रोहन को उदास जाता देखकर, उसके पास आकर) "क्या हुआ???? अब तो मैंने जो वादा किया था, की नही जाऊंगा ग्वालियर से, वो भी पूरा किया, फिर भी उदास हो???"
रोहन :- "यार वेदिका ने मेरा दिमाग खराब किआ हुआ है।"
वेद कुछ कह पाता इससे पहले ही उसे उसकी मम्मी ने आवाज़ लगाई। और वेद रोहन को 10 मिनट बाद ऊपर छत पर आने का बोलकर वहां से चला गया।
वेदिका :- (रोहन के पास वापस आते हुए) "क्या बात हुई वेद से, मिलेगा वो मुझसे??"
रोहन :- "नहीं यार वेदिका!!! मैंने अभी उससे कोई बात नहीं कि है।" (वेदिका से तंग आकर रोहन वहां से जाने लगा)
वेदिका :- "अरे तो जा कहाँ रहा है??? वेद से बात कर पहले जाकर, फिर कहीं जाना।"
रोहन :- (खिसियाते हुए) "यार ऊपर बाथरूम जा रहा हूँ, जाऊं या नहीं???"
वेदिका :- "चल मैं भी चलती हूँ तेरे साथ, मैं वेद के रूम में चली जाऊंगी और तू वेद को वहीं भेज देना।"
दोनों वेद के घर मे अंदर चले गए, वेदिका वेद के रूम में गयी और रोहन बाथरूम में। कुछ देर बाद वेद भी अपने घर की छत पर रोहन से मिलने के लिए गया। वेदिका ने वेद को ऊपर छत पर जाते हुए देखा, और वो भी उसके पीछे पीछे चली गयी। वेद ने जब छत पर अपने ठीक पीछे किसी की आहट सुनी, तो उसने सोचा कि ये रोहन ही होगा, और उसने I Love You कहते हुए पलट कर उसे गले लगा लिया। जैसे ही वेद ने उसे गले लगाया, उसे फौरन इल्म हुआ कि ये रोहन नही है और वो तुरंत ही पीछे हट गया। वेद ने जिसे I Love You कहकर गले लगाया था, वो कोई और नही वेदिका ही थी। वेदिका के वेद के मुँह से खुद के लिए I Love You सुनना तो जैसे सातवे आसमान पर पहुंचने के बराबर था। वेदिका की तो अब खुशी का कोई ठिकाना ही नही था। और वेदिका ने भी वक़्त ना गंवाते हुए फौरन ही वेद को I Love You Too कहते हुए उसके होंठों पर किस कर दिया और वेद को अपने गले से भी लगा लिया। और ये सब होते हुए, रोहन ने अपनी आँखों से देख भी लिया। रोहन को वहां देख कर वेद ने तुरंत ही खुद को वेदिका से दूर किया और रोहन के पास उसे समझाने के लिए पहुंचा।
वेद :- "रोहन ऐसा कुछ भी नही है जैसा यहाँ दिख रहा है।"
वेदिका :- (वेद और रोहन के पास आते हुए) "रोहन से डरने की कोई जरूरत नही वेद, इसे तो पहले से पता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। और ये हर बार यही कहता था कि तुम मुझसे प्यार नही करते, अब अच्छा हुआ कि इसने अपनी आँखों से देख लिया।"
वेद :- "ऐसा नहीं है वेदिका, मुझे लगा कि वहां......"
लेकिन वेद कुछ कहने की वजाय खामोश हो गया। और वेद की उस खामोशी ने जहां रोहन के दिल को एक गहरा दर्द तो दिया ही, साथ ही साथ वेदिका के दिल मे वेद के लिए प्यार को गहरा भी कर दिया। रोहन वहां से बिना कुछ कहे, अपनी आँखों से निकलते आँसुओ को थामे अपने घर वापस लौट आया। और कुछ ही देर बाद वेद भी उसे मनाने उसके घर आ पहुंचा।
वेद :- "यार प्लीज रोहू, मुझे गलत मत समझ, मैं सिर्फ तुझसे ही प्यार करता हूँ, और वहां भी मुझे लगा कि तू ही है मेरे पीछे इसलिए मैंने I Love You बोला था। मैंने वेदिका के लिए नही कहा था।"
रोहन :- (आँखों मे आँसू लिए) "बात वेदिका की या मुझे तुम पर भरोसे की है ही नही वेद।"
वेद :- "तो फिर तू क्यों यहां आ गया और यहां बैठ कर आँसू बहा रहा है??"
रोहन :- "तुमने वेदिका को क्यों नही बोला कि तुम मुझे I Love You कहना चाहते थे??? क्या तुम्हें मुझसे शर्मिंदगी होती है??"
वेद :- "नहीं यार ऐसा कुछ भी नही है, वो तो मैं बस इसलिए चुप हो गया था, की अगर मैं वेदिका को अपने बारे में बता देता तो वो सब जगह ढिंढोरा पीट देती, और फिर उसके बाद कि सिचुएशन हम दोनों के लिए बिल्कुल भी अच्छी नही होती। तू जनता है रोहू, हमें अभी कुछ और समय सबसे छुप कर ही रहना होगा, वही हमारे लिए सही रहेगा। समय आनेपर मैं खुद सबको हमारे बारे में बताऊंगा।"
रोहन :- "मैं जानता हूँ तुम्हे वेद, वो समय तुम्हारे हिसाब से कभी नही आएगा। तुम आज की तरह ही हर वक़्त खामोश रहोगे। और ये दर्द मेरा दिल बार बार नही सह पायेगा।"
वेद :- "ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा रोहू। (रोहन के सर पर हाथ रखकर) मैं तेरी क़सम खाता हूं रोहू,मैं समय आने पर सबको हमारे बारे में बताने से बिल्कुल पीछे नही हटूंगा।"
ये दूसरी क़सम थी जो वेद ने खाई थी। अब उसने अपनी इस क़सम को पूरा किया या नही, ये तो आपको आगे की कहानी में पता लग ही जायेगा। लेकिन उस दिन के बाद से रोहन और वेद के बीच मे थोड़ी सी दूरियां आ गयी थी, जो दोनों कबूलना नही चाहते थे। एक तो अब वेद कॉलेज में आ चुका था, तो उसकी समय सारणी बिल्कुल बदल चुकी थी, और उस नए बदलाव का असर उन दोनों के रिश्ते पर भी पड़ रहा था। वहीं दूसरी ओर, वेदिका ने भी अब वेद के बारे में बाते कर कर के रोहन को परेशान कर रखा था। जिसकी वजह से रोहन भी अब वेद के बारे में कम ही सोचना पसंद करता था। और अपने आप को अपनी पढ़ाई में ही उलझाए रखता था। 12वीं के साथ साथ वो AIPMT की तैयारी भी कर रहा था, आखिर उसे भी तो वेद के साथ GRMC में अपना दाखिला करवाना था। इन सब के बीच मे, रोहन और वेद प्रत्येक रविवार को, सारा दिन साथ ही बिताया करते थे। कभी शहर में, कभी शहर के आस पास घूम फिर आया करते थे। दोनों का रिश्ता छोटे मोटे मनमुटावों के साथ अच्छे से फलफूल भी रहा था। लेकिन दोनों के रिश्ते में एक बड़ी उथल पुथल तब आयी, जब वेद की दादी की तबियत अचानक खराब हो गयी। और उन्होंने ज़िद पकड़ ली कि अब तो वो अपने पोते की बहू की शक्ल देखेंगी तभी इस दुनिया से मुक्ति लेंगी।
वेद के लाख समझाने के बाद भी उसके घरवालों ने उसकी एक बात ना सुनी, बल्कि वेद को ही इस बात पर राज़ी करवालिया की अभी बस इंगेजमेंट कर लेते हैं, और शादी जब उसकी पढ़ाई और नौकरी हो जाएगी, उसके बाद ही करवाएंगे। जब रोहन तक ये बात पहुंची, तो उसके लिए तो ये सब किसी बड़े सदमे से कम नही था।
वेद :- "रोहू प्लीज मेरी बात समझने की कोशिश कर यार!!! मेरे पास कोई और रास्ता ही नही बचा था, मैं आखिर क्या करता?"
रोहन :- "तुम उन्हें हमारे बारे में बता सकते थे, तुम अपने बारे में बता सकते थे, लेकिन तुम किसी लड़की से शादी करने के लिए तैयार कैसे हो गए वेद???"
वेद :- "यार बात शादी तक नही पहुँचेगी प्लीज् मेरा भरोसा करो!!'
रोहन :- "कैसे करूँ तुम्हारा भरोसा??? कोई वजह तो हो तुम पर भरोसा करने की???"
वेद :- "रोहू मैं जानता हूँ कि इस वक़्त मैंने ही तेरा दिल दुखाया है, और मैं ही तुझे ख़ुद पर भरोसा करने के लिए भी बोल रहा हूँ। लेकिन तू बस अभी मेरे प्यार पर भरोसा करले और कुछ समय के लिए अपनी आँखें बंद करले। जैसे ही मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊंगा, फिर तू जैसा कहेगा, मैं वैसा ही करूँगा। लेकिन अभी हम इस लायक नहीं है, की हम अपने घरवालों को अपने मन की बात बता सके। अभी के लिए जो मैं कर रहा हूँ, वही सही है।"
रोहन :- "और तुमने जो मुझे कसमें दीं थीं उनका क्या??"
वेद :- "मैं अपनी कोई क़सम नहीं तोड़ रहा हूँ रोहू, मैं तुझसे ही प्यार करता हूँ और हमेशा तुझसे ही करता रहूंगा। और मैं समय आने पर अपने रिश्ते के बारे में सबको खुद ही बता भी दूंगा। और ये इंगेजमेंट तो बस एक दिखावे के लिए है, इससे ज्यादा कुछ नही।"
वेद ने अभी तो रोहन को समझा दिया था, और वेद से बात करके रोहन का भी कुछ मन हल्का हो गया था। लेकिन शायद ये तूफान के आने से पहले वाली शांति महज़ थी। समय दोनों के ही जीवन मे जो बदलाव लाने वाला था, इसका अंदाजा दोनों को ही नही था। जिस बदलाव की नींव, वेद की दादी की ज़िद से पड़ चुकी थी, उस नींव को मजबूत किआ, इंगेजमेंट रिंग की खरीददारी ने। रोहन के बार बार मना करने के बाद भी वेद उसे अपने साथ जबरदस्ती सराफा बाज़ार ले ही आया, इंगेजमेंट रिंग खरीदने के लिए। वहां पहले से ही वेद की मम्मी और वेदिका मौजूद थी। जब रोहन ने वेदिका के वहां उपस्थित होने का कारण वेद से पूछा। तब उसे मालूम हुआ कि वेदिका ही वो लड़की है जिससे वेद की इंगेजमेंट तय की गई है। और वेद की मम्मी की बाते सुनकर तो जैसे रोहन के तन बदन में आग ही लग गयी थी।
वेद की मम्मी :- "हमे तो अपने वेद की पसंद पर बहुत नाज़ है, वरना इतनी जल्दबाज़ी में हम पता नही वेद के लिए कोई अच्छी लड़की ढूंड भी पाते या नही। वो तो अच्छा हुआ कि वेद ने अपने मन की बात हमें बताई, और फिर वेद की पसंद हमें कैसे पसंद ना आती।"
ये सब सुनकर जहां वेदिका शर्म से लाल हुई जा रही थी, और वेद रोहन को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था, और वहीं रोहन का ये सब सुनकर इतना बुरा हाल था, की उसका मन तो कर रहा था कि वो वेद और वेदिका दोनों के बाल ही नोच डाले। खैर फिर सभी ने अँगूठी देखना शुरू किया। और वहीं वेद ने धीरे से एक पतली सी अँगूठी उठाई, और चुपके से रोहन की और बड़ाई। लेकिन रोहन तो अभी भी वेद की मम्मी की बातों से आग बबूला हुआ बैठा था, तो उसने वेद का हाँथ झटक दिया। वेद समझ गया था कि रोहन फिरसे थोड़ा सा गुस्सा है। इस बार उसने रोहन का हाँथ का पकड़ा और उसकी बाएं हाँथ की अनामिका में वह अँगूठी पहना दी और धीरे से उसके कान में कहा।
वेद :- "मम्मी की बात को ज्यादा दिल पर मत लो, अगर मैं इन लोगों को वेदिका के बारे में नही बताता तो ये लोग पता नहीं किसे ढूढ़ कर ले आते। और वेदिका को तो मैं बचपन से जनता हूँ, तो उसे समझाना मेरे लिए ज्यादा आसान होगा, बस इसलिए मैंने उसका नाम इन लोगों को बता दिया। अब करने दो इन लोगों को अपने मन का, मुझे तो जिसे अँगूठी पहनानी थी, उसे पहना दी।"
अपनी बात पूरी करके वेद ने चुपके से ही रोहन के अँगूठी पहनाए वाले हाँथ को चूम भी लिया। वेद की इस हरकत ने जहां रोहन के चेहरे पर एक मुस्कान ला दी थी, वहीं वेद की मम्मी ने भी ये सब होते देख लिया था। और बस यही वो अंश था, जो रोहन और वेद के जीवन के बदलते समय रूपी हवन में आखिरी आहुति का काम करने वाला था। कुछ देर बाद ही अँगूठी की खरीददारी के बाद, वेद की मम्मी ने वेद और वेदिका को इंगेजमेंट के कपड़े खरीदने के लिए साथ मे भेज दिया, और ख़ुद रोहन को लेकर वापस घर लौट आईं। उन्होंने घर वापस आकर, रोहन के मम्मी पापा को घर के बाहर बुलाया, और भरे मोहल्ले में उनको खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया। जब रोहन के घरवालों ने उनसे इस बदतमीज़ी का कारण जानने की कोशिश की तो उन्होंने उनलोगों की और बेज्जती करना शुरू कर दी।
वेद की मम्मी :- "अरे तुम छोटी जाती वालों की आदत को अच्छे से जानती हूँ मैं, पहले तो ये सब काम अपने घर की लड़कियों से करवाते थे तुम लोग, अब लड़कों से भी करवाने शुरू कर दिए। तुमने अपने लड़के को यही सीखा पड़ा कर भेजा था मेरे घर, की मेरे घर के इकलौते बेटे को फंसा सको। उसे लूट सको। तो देखो शुरुआत करदी है तुम्हारे लड़के ने। आज ये अँगूठी लूटी है मेरे बेटे से कल को ना जाने क्या क्या लूटोगे।"
रोहन की मम्मी :- "बहनजी आपसे कोई गलतफहमी हो गयी होगी, दोनों बच्चे बचपन से साथ खेलते आये हैं, हम वेद को अपने बच्चे जैसा ही मानते है।"
वेद की मम्मी :- (रोहन का हाँथ पकड़ के खिंचते हुए) "तू बताएगा या मैं बताऊं तेरी माँ को तेरी करतूतें। जितना तुम लोग दिखावा कर रहे हो ना, इतने शरीफ़ हो नहीं तुम लोग। घिन आ रही मुझे तो ये सोचते हुए भी की ये सब काम तुम अपने लड़के से करवा रही हो।"
रोहन :- (आँखों मे आँसू लिए) "आँटी आप गलत समझ रही हैं। ये अँगूठी वेद ने खुद पहनाई है मुझे।"
वेद की मम्मी :- (रोहन के गाल पर तमाचा मारते हुए) "मुझे तो सब पता है, अपने माँ बाप को बता की क्यों पहनाई है उसने तुझे ये अँगूठी।"
रोहन :- (रोते हुए) "मैं और वेद प्यार करते हैं एक दूसरे से।"
वेद की मम्मी :- (रोहन को मारते हुए) "सुन लिया अपने लाडले के मुँह से, अब ये नया तरीका निकाला है अमीर घर के लड़कों को फसाने का तुम लोगों ने। (रोहन के मम्मी पापा को उंगली दिखाते हुए) अगर मेरे बेटे की शादी में या उसकी इंगेजमेंट या उसके जीवन मे तुम्हारे इस लड़के का साया भी पड़ा ना, तो कहां गायब करवाउंगी इसे, सारी उम्र नहीं खोज पाओगे। इसलिए अच्छा होगा कि इसे लेके खुद ही यहां से चले जाओ। तुम जैसे नीच लोगों की इस शरीफ़ मोहल्ले में रहने की जगह भी नही है। (उन्होंने रोहन के हाँथ से वो अँगूठी उतारी और उसे धक्का देकर वहां से चली गईं।)"
वेद की मम्मी द्वारा की गई इस बेज्जती का रोहन के मम्मी पापा पर बहुत ही गहरा असर पड़ा था। वो लोग ज्यादा पैसे वाले तो नही थे, लेकिन अपनी मेहनत के बल पर पुरानी बस्ती के छोटे से घर को छोड़कर, इस कॉलोनी में घर खरीदा था। चैन और इज्जत के साथ अपनी बसर कर रहे थे, और बस अपने बेटे को शान से शहर का एक अच्छा डॉक्टर बनता देखना उनका एक सपना मात्र था। लेकिन आज की इस घटना ने उस सपने तक चलने को तो छोड़ो, सहारे की इज्ज़त की बैसाखी को भी तोड़ दिया था। रोहन की मम्मी रोहन को घर के अंदर लेकर गईं और उससे पूछा।
रोहन की मम्मी :- "ये सब क्या सुनने को मिला हमे रोहन??"
रोहन :- (रोते हुए) "I am sorry मम्मी, लेकिन मैं और वेद सच मे एक दूसरे से प्यार करते हैं।"
रोहन की मम्मी :- "कैसा प्यार रोहन??? तुम दोनों लड़के हो??"
रोहन :- "मम्मी हम दोनों गे हैं। और काफी समय पहले से एक दूसरे को चाहते हैं।"
रोहन की मम्मी :- "वो अपनी पसंद की लड़की से शादी करने जा रहा है। और तुम उसे गे कह रहे हो?"
रोहन :- "नहीं मम्मी वो तो बस दिखावा कर रहा है, वो मुझसे ही प्यार करता है।"
रोहन की मम्मी :- (अपने माथे पर हाथ पीटते हुए) "उसकी शादी दिखावा है, और उसकी मम्मी ने जो अभी सारे मोहल्ले के सामने हमारी नाक काट दी वो क्या है फिर???"
रोहन :- "मम्मी मुझे एक मौका दो, मैं अभी वेद से बात करके सब सही करने की कोशिश करता हूँ।"
रोहन की मम्मी :- (रोहन को रोकते हुए) "कहीं जाने की जरूरत नहीं है अब तुम्हें। जितनी हमारी शान बढ़ानी थी तुम बड़ा चुके हो। अब उस वेद के पीछे जाकर उसकी माँ को फिरसे मौका देने की कोई जरूरत नही, की वो फिरसे सबके सामने हमे जलील करे। (रोहन के पापा से बोलते हुए) आप आज ही इंतेज़ाम कीजिये की हम अपने पुराने घर जा सके, अब इन मोहल्ले वालों से नज़रें ना मिलाई जाएंगी हमसे।"
रोहन :- "मम्मी प्लीज् मेरा विश्वास करो, वेद आँटी को समझाएगा, वो खुद आकर आपसे माफ़ी मांगेगी।"
रोहन के पापा :- (रोहन के आँसू पोंछते हुए) "बेटा जो लड़का अपने घरवालों को अपने प्यार के बारे में नही बता सकता, गे होकर भी एक लड़की से शादी करने को तैयार हो गया, तुझे लगता है कि वो अपने घरवालों से तेरे लिए लड़ेगा???"
रोहन :- "नहीं पापा, मुझे वेद पर भरोसा है, वो मेरा साथ कभी नही छोड़ेगा। (अपनी मम्मी के हाँथों को पकड़ते हुए) मम्मी उसने भगवान के सामने मेरे सर पर हाँथ रख कर क़सम खाई की वो हमेशा मुझसे प्यार करेगा।"
रोहन की मम्मी :- "तुम लोग अभी बच्चे हो रोहन, और ये सब तुम लोगों का बचपना। लेकिन जो आज हमारे साथ हुआ है, वो कोई बचपना नही है जिसे हम भुला दें। इस अपमान के साथ जीने से अच्छा तो हम मर जाए।"
रोहन :- (अपनी मम्मी के आँसू पोंछते हुए) "नहीं मम्मी ऐसी बातें मत कीजिये। देखिएगा जब वेद को ये सब पता चलेगा तो वो सब ठीक कर देगा।"
रोहन की मम्मी :- "रोहन क्या तू बस मेरी एक बात मानेगा??? उस वेद से दूर रह बस।"
रोहन :- "मम्मी मैं उससे प्यार करता हूँ, और आज से नहीं, जबसे मैंने होश संभाला है बस उसी को चाहता हूँ, मैं उसके बगैर नही रह सकता। आप मेरा विश्वास करो, मैं एक बार वेद से बात करलूँ, फिर वो खुद ये सब सही कर देगा।"
रोहन की मम्मी :- "तू कब समझेगा, अगर वो तुझसे प्यार करता, तो जैसे तू बिना हिचके अपने प्यार के बारे में बता रहा है, वो भी बताता। लेकिन उसने एक लड़की से शादी करना चुना है तुझे नही।"
रोहन :- "मम्मी वो तो बस उसका दिखावा है, इसीलिए तो उसने मुझे आज ही वो अँगूठी पहनाई थी....."
रोहन की मम्मी :- (रोहन को बीच मे रोकते हुए) "बस..... मुझे कुछ और नही सुनना। तुझे मेरी क़सम है जो तूने आजके बाद वेद के पास जाने के बारे में सोचा भी। अगर मैंने तुझे उसके साथ देख लिया ना, तो तू मेरा मरा मुँह देखेगा।"
अब किसी के लिए भी प्यार की क़सम के आगे उसकी माँ की दी क़सम की ही जगह होगी। और वही हमारे रोहन के साथ भी हुआ। उसने भी अपनी माँ की दी क़सम को ही मानना जरूरी समझा। और बिना वेद से मिले वो मोहल्ला और फिर कुछ दिनों बाद वो शहर भी छोड़ दिया। और फिर कभी उसने ग्वालियर शहर की ओर पलट कर नही देखा। ना ही कभी वेद के बारे में जानने की कोशिश की। वेद को जब इस सब के बारे में पता चला तो पहले तो उसे अपनी मम्मी पर ही गुस्सा आता रहा, और वो अपनी मम्मी को ही रोहन से दूर होने का कसूरवार मानता रहा। और बहुत कोशिशों के बाद, रोहन और उसके परिवार का पुराना पता खोज निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रोहन अब वो पुराना घर भी छोड़ कर जा चुका था, और वेद की कई मिन्नतों का असर, रोहन के मम्मी पापा पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा, और उनलोगों ने रोहन की जानकारी कभी भी वेद को नही लगने दी। धीरे धीरे समय गुजरने के साथ अब वेद रोहन से जुदा होने की वज़ह को अपनी मम्मी के साथ साथ, रोहन को भी मानने लगा, की रोहन ने उसके प्यार पर भरोसे की वजह उससे दूर हो जाने को ही सही माना। यही वो महज़ एक क़सम थी जिसने दो प्यार करने वालों को एक दूसरे से दूर तो किआ था, लेकिन कोई भी क़सम किसी के लिए पनपे प्यार को कैसे खत्म कर सकती है। जैसा कि वेद के पास से मिले, रोहन के द्वारा दिये गए पर्स, और उस अँगूठी ने साफ साफ दिखा दिया था, की भले ही अब वेद रोहन से दूर है, भले ही वो रोहन को भी इस जुदाई के लिए कसूरवार मानता है, लेकिन उसका रोहन के लिए प्यार इन सब से कहीं ऊपर भी है, और किसी क़सम का मौहताज भी नहीं है।
अब उधर मुम्बई में वेद के मम्मी पापा, वेदिका और दिव्यांश उस हॉस्पिटल में पहुंच चुके थे, जहाँ सभी वेद के ऑपरेशन के बाद होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे। वेद अभी भी ICU में ही डॉक्टरों की निगरानी में था, और कुछ ही समय बाद उसे होश भी आने लगा।
ICU नर्स :- "वेद सारस्वत को होश आया गया है, आप में से कोई एक अभी मेरे साथ चल कर उनसे मिल सकता है।"
वेदिका :- "माँ आप जाइए, पहले आप मिल आइए, फिर हम लोग चले जायेंगे।"
ICU नर्स :- "वो किसी रोहू का नाम ले रहे थे नींद में, तो अगर पहले रोहू उनसे मिलले तो ज्यादा अच्छा रहेगा, बाकी आपकी मर्जी।"
वेदिका :- "आपने कुछ गलत सुना होगा, रोहू तो उनके परिवार में किसी का भी नाम नहीं है। माँ आप ही जाइए।"
वेद की माँ जब वेद को देखने पहुँची, तो अपने इकलौते बेटे को यूँ पट्टियों में, इतनी सारी मशीनों के साथ लेटा हुआ देख पाना, उनके लिए बहुत ही कठिन था। और वो भी तब, जब 2 सालों से उनका वही बेटा, ना जाने किस बात पर नाराज़ होकर उनकी आँखों से दूर चला गया था। जिसके वापस लौट आने की उन्होंने कई मन्नतें भी मानी थी, और कई देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना की थी, लेकिन उसी बेटे को इस तरह से वापस पाने पर उन्हें खुशी भी थी, और दुख भी। जब वे वेद के नज़दीक पहुँची तो उन्होंने ने भी वेद की मुँह से बार बार आती एक आवाज़ को गौर से सुना.... "रोहू...." "रोहू...." "रोहू..." उनके लिए ये अंदाजा लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था कि कहीं ये रोहू वही रोहन तो नहीं। जिसको सालों पहले उन्होंने वेद की ज़िंदगी से बाहर निकाल फेंका था, और कहीं यही तो वो कारण नहीं, जिसकी वजह से उनका अपना बेटा 2 सालों से अपने ही घर से गायब था। इन्हीं सब अंदाजों के बीच वेद की मम्मी के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी, जब वेद ने अपनी आँखें खोली। वेद ने इधर उधर देखा और बोलने लगा।
वेद :- (बिस्तर से उठने की नाकाम कोशिश करते हुए) "रोहू..... रोहू..... रोहू....."
वेद की मम्मी :- (वेद को बिस्तर पर लिटाते हुए) "नहीं है रोहन यहां बेटा, देख मैं हूँ, तेरी मम्मी!!"
वेद :- "नहीं मम्मी मैने देखा है उसे, वही था। आखिरकार मुझे मिल गया वो। (अपनी मम्मी को देखते हुए, फिर अपने आस पास, अपने हाँथ, पैरों, और सर पर बंधी पट्टी को छूते हुए) आप यहां कैसे आयी, और ये सब क्या है???"
वेद की मम्मी :- "तेरा एक्सीडेंट हुआ था बेटा, और तेरा एक छोटा सा ओपरेशन भी हुआ है। तुझे अभी आराम करना चाहिए, हम बाद में करेंगे ये सब बातें। सबसे पहले तेरा ठीक होना जरूरी है ना।"
वेद :- (कुछ सोचते हुए) "एक्सीडेंट!!!! हाँ मुझे याद है, रोहू ने ही मुझे गाड़ी से निकाला था। कहाँ है वो!!! रोहू..... रोहू..... रोहू.... (चिल्लाते हुए)"
ICU नर्स :- (वेद को चिल्लाता देख वहां आते हुए) "मैंने आपसे कहा था ना कि पहले रोहू को ही भेजिए इनके पास। (वेद को संभालते हुए) सर आप लेट जाइए और चिल्लाईये नहीं, आपको अभी आराम की जरूरत है।"
वेद :- (नर्स की बात सुनकर) "रोहू बाहर है क्या नर्स??? आप उसे भेजिए ना मेरे पास!! मुझे पता है वो बाहर ही होगा, उसने ही तो मुझे एक्सीडेंट के बाद गाड़ी से निकाला था। आप भेजिए ना उसे।"
ICU नर्स :- "सर अभी तो ऐसा कोई व्यक्ति बाहर नहीं है, मैं कोशिश करती हूं उन्हें ढूढने की, तब तक आप आराम कीजिये। माताजी अब आप भी बाहर आ जाइये, इन्हें आराम करने दीजिए।
नर्स वेद की मम्मी को वहां से बाहर ले जाती है। और वेद की मम्मी की आँखों मे आँसू के साथ साथ चेहरे पर एक मायूसी भी होती है। वो वेद की रोहन के लिए ऐसी तड़प को देखकर अचंभित भी थीं, और खुद पर खुद ही के द्वारा लिए गए फैसले के लिए आक्रोशित भी। वेद की रोहन को देखने की ये ललक उन्हें ये जताने के लिए काफी थी, की उन्होंने जो रोहन और उसके परिवार के साथ इतने सालों पहले किआ, वही फैसला उनके बेटे की 2 सालों से घर से गायब होने की वजह बना था। अब उनके सामने वेद के पिछले कुछ सालों के रूखे व्यहवार का कारण एक दम साफ था। क्यों वेद कुछ सालोँ से इतना उखड़ा हुआ, इतना बेचैन, इतना परेशान रहता था। इसकी वजह बस रोहन का उससे दूर होना ही था। और उसी दूरी से व्यथित होकर, 2 सालों से वेद ने ग्वालियर शहर भी छोड़ दिया था। अब वेद की मम्मी को रोहन की उस दिन की कही बात साफ साफ सुनाई दे रही थी, "हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हम एक दूसरे के बिना नहीं रह पाएंगे।" अब वेद की हालत देख कर उन्हें खुद पर शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी। एक माँ होते हुए, अपने इकलौते बेटे को खुशियों से भरा संसार देने के वजह, उन्होंने अपने ही बेटे के जीवन मे ये वियोग लिख दिया था। जब वे ICU के बाहर आई, तो वेद के पापा ने उनसे पूछा कि "वेद ठीक तो है ना??" तो वे उनके गले लगकर फुट फुट कर रोने लगीं।
वेद की मम्मी :- "इस सब की वजह मैं हूँ सारस्वत जी! मैंने ही सब जानते बूझते हुए उन दोनों को अलग कर दिया था। मैंने ही सब देखते हुए अपनी आँखें बंद करलीं थीं। और अपने बेटे को ना समझने की गलती मैंने कि, और इसका दोष मैने रोहन पर लगा कर, उन दोनों को अलग कर दिया। दोनों को जुदा करने का पाप मैंने ही किआ है सारस्वत जी!!! उसकी सज़ा भी मुझे मिल रही है। 2 सालों से मेरा बेटा मुझसे दूर है, और जब आज वो मुझसे मिला है, तो वो मेरी शक्ल तक नही देखना चाहता। मैं एक बुरी माँ साबित हो गयी आज सारस्वत जी!! मुझसे गलती हो गयी।"
वेद की मम्मी को रोता देख, और उनकी बातें सुन, वेदिका को भी अब कुछ कुछ पुरानी यादें आने लगीं थीं। की क्यों रोहन और वेद हमेशा साथ ही रहा करते थे, क्यों रोहन हमेशा यही कहा करता था कि वेद उससे प्यार नही करता, क्यों वेद ने बस एक बार I Love You कहने के बाद दोबारा कभी भी अपने प्यार का इज़हार नहीं किया, क्यों वेद रोहन के चले जाने के बाद से ही उदास और मायूस सा रहता था, और क्यों वेद पिछले 2 सालों से ग्वालियर शहर से दूर था। अब वेदिका को भी अपने कई सवालों के जवाब मिल चुके थे। तभी वहां हॉस्पिटल स्टाफ़ का एक आदमी आया, और उनमें से किसी एक को कैश काउंटर पर जाकर कुछ जरूरी कागज पर दस्तखत करने और कुछ जरूरी पैसे जमा करने को बोलकर चला गया। वेद के मम्मी पापा की हालत को देखते हुए, वेदिका और दिव्यांश कैश काउंटर की ओर चले गए। वहां जाकर, वेदिका ने बतौर वेद की मँगेतर, सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, और हॉस्पिटल स्टाफ़ द्वारा बताए गए रुपये भी वहां जमा किये। जब वे लोग वहां से वापस जाने लगे, तो वहां के स्टाफ़ ने वेदिका को वो सभी सामान लौटाया जो वेद के साथ ही इस हॉस्पिटल में आया था। वेदिका ने सभी सामान को देखा, और वो पर्स और एक अँगूठी जो हमेशा वेद अपने पास ही रखता था, वेदिका वो देखकर पहचान गयी कि ये सब वेद का ही सामान है। वेदिका ने लेकिन जब उस पर्स को खोला तो उसमें हमेशा से लगी एक तस्वीर ग़ायब थी। और जितना वेदिका वेद को समझ पाई थी, तो उसके लिए वो तस्वीर बहुत ही ज्यादा ख़ास थी, और अब वो उस तस्वीर के इतने ख़ास होने की वजह भी जान चुकी थी। उसने तुरंत ही उस स्टाफ़ से उस गायब तस्वीर के बारे में पूछा, तो स्टाफ़ की तरफ से उसे यही जवाब मिला कि मरीज के साथ उन्हें बस यही सामान मिला था। तभी वेदिका की नज़र वहां लगे स्टाफ ड्यूटी बोर्ड पर गयी, और वो समझ चुकी थी कि अब उसे क्या करना है। उसने वो सभी सामान दिव्यांश को थमाया, और उसे वेद के मम्मी पापा के पास जाने को कहा। और खुद चल दी जनरल वार्ड 5 की ओर, जहां आज इंचार्ज डॉक्टर रोहन परसेडिया था, जैसा कि उसने स्टाफ़ ड्यूटी बोर्ड पर पड़ा था। जब वो उस जनरल वार्ड में पहुँची तो उसका अंदाजा एक दम सही निकला, ये वही रोहन, वेद का रोहू ही था, जिसकी वजह से ये सब वेदिका को सहना पड़ रहा था। रोहन ने जब वेदिका को अपने सामने देखा, तो उसे समझ ही नही आ रहा था कि वह कैसी प्रतिक्रिया दे, लेकिन रोहन को कुछ कहने की जरूरत ही नही पड़ी, और वेदिका ने आगे बड़ कर, रोहन को एक जोर से थप्पड़ उसके गाल पर दे मारा।
वेदिका :- (गुस्से में) "वेद से पहले तू मेरा दोस्त था रोहन, मैने तुझे अपना सबसे अच्छा दोस्त माना था, मैंने तुझे अपने मन की हर वो बात बताई थी, जो मैंने अपने मम्मी पापा भाई तक को नही बताई कभी। और तूने ऐसा किआ मेरे साथ।"
रोहन :- (आँखों में आँसू लिए, और अपने गाल पर हाँथ रखे हुए) "मैं क्या बोलता तुझे वेदिका???"
वेदिका :- "यही की तुम और वेद प्यार करते हो एक दूसरे से, और मैं तुम दोनों के बीच आ रही हूँ। तूने मुझे कुछ कहे बिना ही ग्वालियर और वेद को भी छोड़ दिया। तुझे कम से कम एक बार वेद के बारे में तो सोचना चाहिए था ना, वो कैसे रहा है इतने सालों तेरे बिना रोहन। तूने किसी का नहीं, लेकिन वेद का ही दिल तोड़ दिया है। देख उसकी हालत चल कर वो आज भी बस तेरा ही नाम पुकार रहा है, उसे बस तुझसे ही मिलना है। (रोहन का हाँथ पकड़ कर खिंचते हुए) तू चल मेरे साथ अभी बस।"
रोहन :- (वेदिका को रोकते हुए) "मैं नहीं जा सकता वेदिका उसके पास।"
वेदिका :- (रोहन की ओर देखते हुए) "क्यों???? क्यों नहीं जा सकता तू??? क्या हुआ है ऐसा तुम दोनों के बीच जो सालों से तू घर वापस नहीं आया, और पिछले 2 सालों से वेद भी ग्वालियर से दूर है। आखिर क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच ये सब??"
रोहन :- (आँखों में आँसू लिए) "क्या बताऊँ मैं तुझे वेदिका, जब वेद की मम्मी ने सभी के सामने मेरे और वेद के रिश्ते पर सवाल उठाए, और मेरे मम्मी पापा की बेज्जती की, तो मेरी मम्मी ने मुझे वेद से दूर रहने की क़सम दी थी, अब मैं अपनी मम्मी की क़सम कैसे तोड़ू।"
वेदिका :- "क़सम!!! बस एक क़सम के लिए तूने वेद को छोड़ दिया?? अपने प्यार को छोड़ दिया?? अपना शहर, अपनी सारी खुशियां छोड़ दीं??? तू ये कैसे कर सकता है रोहन? वेद वहां तड़प रहा है तेरे लिए।"
रोहन :- "मैं नहीं जा सकता वेदिका!!!"
वेदिका :- (गुस्से से) "ठीक है, तू अपनी क़सम निभा, मैं वेद को संभालती हूँ।"
इतना कह कर वेदिका गुस्से से वहां से चली जाती है। और रोहन बस रोते हुए, अपनी माँ के द्वारा दी गयी क़सम को याद करके, रोते बिलखते वेदिका को वहां से जाते हुए देखता रह जाता है। कुछ देर बाद उससे रहा नहीं जाता, और वो वेद के ICU इंचार्ज को फ़ोन करके वेद का हाल जनता है। तो ICU इंचार्ज उसे बताता है कि, वेद बहुत बेचैन है, और बार बार किसी रोहू को बुला रहा है, अगर वो शांत नहीं हुआ तो उन्हें उसे नींद का इंजेक्शन देना ही होगा, नहीं तो वेद अपनी तबियत और ख़राब कर लेगा। रोहन फ़ोन पर ये सब सुनकर फिरसे रोने लगता है, और तभी वेदिका फिरसे उसके पास आती है, और उसे अपना फ़ोन पकड़ा कर, फ़ोन पर किसी से बात करने को कहती है। रोहन अपने आँसू पोंछ कर फोन को अपने कान से लगाकर हेलो बोलता है, और सामने से उसे अपनी ही मम्मी की आवाज सुनाई देती है।
रोहन की मम्मी :- (बुझी आवाज़ में) "बेटा मैंने अभी वेद की मम्मी से बात की, कैसी तबियत है अब उसकी??? और मुझे वेदिका ने भी बताया कि तू वेद से मिलने भी नही जा रहा है???"
रोहन :- (अपनी आवाज को संभालते हुए) "हाँ मम्मी वो मुझे थोड़ा काम ज्यादा है ना तो समय नहीं मिल पा रहा।"
रोहन की मम्मी :- "बेटा मैं तुझे अच्छे से जानती हूँ, तू ऐसा सिर्फ मेरी वजह से नही कर पा रहा है, वरना तू अंदर से इस समय कितना बिखरा हुआ है, ये मैं तेरी नक़ली आवाज से ही भांम्प गई हूँ। मैं जानती हूँ कि इन सब मे तुम दोनों बच्चों की कोई गलती नहीं थी। लेकिन हमारे लिए फैसलों का सबसे ज्यादा बुरा असर तुम दोनों पर ही पड़ा है। आज मुझे जब वेदिका ने समझाया और जब मैंने वेद की मम्मी से बात की, तब मुझे इस बात का एहसास हुआ, की हम दोनों माँओ की गलती की सज़ा तुम दोनों बच्चे भुगत रहे हो....."
रोहन :- (रूआंसी आवाज़ में) "नहीं मम्मी, इसमें आपकी कोई गलती नहीं।"
रोहन की मम्मी :- "मुझे मत टोक बेटा आज बोलने से, ये हमारी ही गलती है, जो तुम दोनों बच्चे आज दुखी हो। बेटा!!! आज मैं तुझे अपनी दी हर क़सम से मुक्त करती हूँ। तू जा अपने वेद के पास, और सम्भालले अपने प्यार को। और मेरा आशीर्वाद तुम दोनों बच्चों के साथ है। तुम दोनों हमेशा खुश रहो, और जल्द ही अपने घर वापस आ जाओ।"
अपनी मम्मी की बात सुनते ही रोहन तुरंत भाग पड़ा ICU की ओर, जहां उसका वेद उसका इंतेज़ार कर रहा था। और ICU के बाहर उसे पहले मिले वेद के मम्मी पापा। उन्हें देखकर रोहन के पैर खुदबखुद ही रुक गए।
वेद की मम्मी :- (भागकर रोहन को गले से लगाकर) "रोहन!!! वेद तेरा ही इंतेज़ार कर रहा है बेटा। मुझे माफ़ करदे बेटा, मैंने तेरी एक ना सुनी, और तुम दोनों को अलग कर दिया। मुझे माफ़ कर दे बेटा।"
रोहन ने वेद की मम्मी की आँखों से बहते आँसुओ को पोंछा और आगे बड़ते हुए ICU में दाख़िल हुआ। वेद ने जैसे ही रोहन को अपने सामने देखा तो वो अपने बिस्तर से उठने लगा। रोहन आगे बड़ कर उसे बिस्तर से उठने से रोका और वेद को अपने गले से लगा लिया। वेद ने भी रोहन को अपनी बाहों में भर लिया। आँखों से आँसू और चेहरे पर मुस्कान लिए दोनों ही बहुत देर तक बिना कुछ बोले बस एक दूसरे के गले से लगे रहे।
रोहन :- (वेद के गले लगे हुए ही) "अब तो वो पर्स बदल लो, फट गया है अब तो वो।"
वेद :- (मुस्कुराकर और जोर से रोहन को अपनी बाहों में जकड़ते हुए) "तो ला देना नया।"
रोहन :- (वेद की बाहों से अलग होते हुए) "वैसे एक बात बताओ, वहां उस दिन रोड पर तो ऐसा कुछ नहीं था कि तुम्हारा एक्सीडेंट हो जाये, तो क्या गाड़ी के ब्रेक फैल हो गए थे???"
वेद :- "जिसे ढूढना ही मैंने पिछले 2 सालों से अपना लक्ष्य बना लिया था, मुझे वो दिख गया था। इसलिए मेरा खुदपर काबू ही नही रहा, और मेरी गाड़ी ने भी अपना आपा खो दिया, और ये एक्सीडेंट हो गया। लेकिन जो भी हो अच्छा हुआ, कम से कम इस एक्सीडेंट की वजह से ही तो तू मेरे पास तो आया।"
रोहन :- "वैसे मैं नहीं आता यहां, लेकिन तुम्हारी मँगेतर ने मुझे मजबूर कर दिया तुम्हारे पास आने पर!!"
वेद :- "मँगेतर!!! वेदिका भी आई है क्या???? यार वो अभी भी खुद को मेरी मँगेतर कहती है क्या??? पता है तेरे जाने के कुछ दिनों बाद ही दादी का देहांत हो गया था, और हमारी इंगेजमेंट फिर हो ही नही पाई। और उसके बाद मम्मी पापा ने कोशिश तो बहुत की मुझे मनाने की लेकिन मैंने फिर शादी करने के लिए साफ मना कर दिया था। और जब उनका शादी के लिए जोर देना ज्यादा ही शुरू हुआ, तो मैंने एक बार सोचा कि मैं उन्हें सब सच बता दूंगा, लेकिन तभी मुझे कहीं से तेरे बारे में पता चला कि तू अपना MBBS पूरा करने वाला है, तो बस मैं सभी MBBS कॉलेजेस में तुझे ढूढने निकल पड़ा, हाँ मुझे इसमें 2 सालों के समय जरूर लगा लेकिन मैंने तुझे ढूंड ही लिया। (रोहन का हाँथ पकड़ते हुए) अब एक काम कर, सभी को मेरे पास भेज, मुझे अपनी एक क़सम पूरी करनी है, और सभी को अपने रिश्ते की सच्चाई के बारे में बताना है।"
रोहन :- "नहीं!!! अब किसी को कुछ समझाने की जरूरत नही पड़ेगी, सबको सब कुछ समझ आ गया है अब।"
दोनों के बीच मे कुछ सालों की दूरियां जरूर आई थीं, लेकिन तब ना तो उनका प्यार अधूरा रह गया था, और ना ही अब उनके दोबारा मिल जाने पर उनका प्यार पूरा हो जाएगा। प्यार तो बस प्यार होता है, जो हमेशा दो लोगों को बांधे रखता है, एक दूसरे का बनाये रखता है। चाहे जितने भी उतार चढ़ाव, कितनी भी क़समें आपके प्यार के रास्ते मे बाधा बनने की कोशिश करें, लेकिन अगर आपका प्यार सच्चा है, तो वेद और रोहन की तरह, वो प्यार की ताकत ही होगी जो आपको फिरसे एक दूसरे से मिलवा ही देगी। तो अगर आपकी ज़िंदगी मे भी कभी सच्चा प्यार दस्तक़ दे, तो आप ये सभी सोच के बारे में ध्यान ना दें, की आपका प्यार पूरा होगा या अधूरा रह जायेगा। आप बस सच्चे दिल से उस प्यार की इबादत करें, वो प्यार सभी परिस्थितियों को पार कर अपनी मंज़िल पा ही लेगा।
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Lots of Love
Yuvraj ❤️